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प्रतिशोध - अजनबी हसीना    in  |  Audio book and podcasts

प्रतिशोध - अजनबी हसीना

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10 हॉरर कहानियां का संग्रह 'प्रतिशोध' आपके रोंगटे खड़ा कर देगा। ये कहानियां अलग-अलग घटनाओं और व्‍यक्ति से जुड़ी हैं। तो देर न करते हुए ट्यून करें कुकूएफएम और सुनें खौफनाक कहानियां।
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आप सुन रहे हैं कुछ हुआ ऍम कहाँ का नाम है प्रतिशोध जिसकी लेखिका है फॅमिली हेलो नमस्कार । मैं हूँ और जो अभिनव हो करें ये आपने लाइब्रेरी में ऐड करें, ऍम सुने जो मन चाहे है अजनबी हसीना मैं बडी बेसब्री से बस के चलने का इंतजार कर रहा था लेकिन बस का ड्राइवर था कि न जाने कब से इंडियन तो चालू कर बैठा था मगर आगे बढने का नाम ही नहीं ले रहा था । मैंने हो से से आकर अपना हाथ बस की सीट पर दे मारा । मैं अपने दोस्त केविन के घर जा रहा था । कॉलेज का आखिरी साल था और हम पांच दो सौ उन्हें केविन के घर पर इस बार की छुट्टियां में जाने का प्लान बनाया था । लेकिन हमेशा की तरह मैंने सुबह उठने में देरी कर दी और मेरी ट्रेन छूट गई । मेरे सारे दोस्त सांगुडी में मेरी राह देख रहे थे । मेरे लापरवाही की वजह से सारे प्लान पर पानी भर गया । ऊपर से बस्ती की चलने का नाम ही नहीं ले रही थी । मैंने मन ही मन उस मनोज जानवर को कोसा । तभी मेरी बस खूबसुरत की लडकी चाहिए और मेरे पास वाली सीट पर अगर बैठ गई देखने में वो मेरी हमउम्र लगती थी । उसे देखते ही मैं अपनी सारी खुन्नस भूल गया । दस कभी बस भी चल बडी छह से उसके लिए ही इतनी देर से होगी हो । मैंने तो सोचा था कि आज ये बस छूट जाएगी । वो उस लडकी ने अपने हाथ जोडे और आपके बनकर सबसे कहा । भगवान का शुक्र है कि ऐसा नहीं हुआ । मैंने देखा उसके दायें हाथ में एक अंगूठी थी जिसपर धीरे जुडे हुए थे । हीरो के बीचों बीच कुछ लिखा हुआ था लेकिन मैं ठीक से नहीं बढ पाया । आप चाहूँगी जा रही है मैंने बात छेडी जी मोहन किसे मुस्कुराई मैं भी वहीं जा रहा हूँ । मैं मनी मनी ये सोच कर खुश हो रहा था कि उसकी संगत में सफर अच्छा करेगा । मैं पहली बार जा रहा हूँ । मेरा एक दोस्त रहता है वहाँ आपको क्या पता नहीं वो जगह जवान लडकों के लिए बहुत खतरनाक है । हालांकि ऐसा कुछ मैंने केवल को कहते हुए सुना था की वहाँ कोई छोडा नहीं है जो मर्दों का शिकार करते है । तो फिर भी बातों का सिलसिला जारी रखने के लिए मैंने अनजाने बनने का नाटक किया । अच्छा मैंने उसकी बात पर हैरानी जाहिर की । ऐसा क्यों? उस हसीना ने अपनी कहानी शुरू की । कहते हैं बहुत साल पहले शाम गुडी में एक लडकी रहती थी जिसका नाम वरदा था । वो एक लडके से बहुत प्यार करती थी जिसका नाम था राघव । दोनों के घर वाले सुरेश ने के खिलाफ है । वार्ता के परिवार को जब इस बात की भनक पडी तो उन्होंने वर्धा के लिए रिश्ते देखना शुरू कर दिया । वरदा ने जब ये बात राहुल को बताई तो उसने घर से भागकर शादी करने की योजना बनाई । अगले दिन वर्ड अपने घर से भाग का राजा से शादी वादी के जंगल में मिली । राघव को वर्धा से सच्चा प्यार नहीं था । उसकी नजर वर्धा की दौलत पर थी । उसे लगा अगर वह शादी करने की बात करेगा तो वर्धा अपने साथ अपने सारे जेवर भी लेकर आएगी । लेकिन जब राहुल को पता चला कि वरदा खाली हाथ आई है तो वर्धा से पीछा छुडाने के तरीके सोशल लगा वर्धा को घने जंगल में ले गया और एक वीरान जगह देख कर उसकी हत्या करती हैं । आप जंगल के ठीक बीच में एक सौ साल पुराना विशाल बरगद का पेड है । राघव ने वर्धा की इलाज को वहीं दफना दिया और वहाँ से भाग खडा हुआ वर्धा की आत्मा को मुक्ति नहीं मिली और वो वहीं जंगल में भटकती रही । राघव से मिले धोखे के कारण उसे अब हर मार से नफरत हो चुकी थी । वो शादी वादी के मर्दों को अपना शिकार बनाने लगी । शांग्जी के लोगों ने एक तांत्रिक से मदद भी मांगी । उस तांत्रिक ने गांव के चारों तरफ मंत्रों का घेरा बना दिया । इस घेरे के अंदर वर्धा की आत्मा मर्दों की ज्यादा से ही प्रवेश करती थी । उस तांत्रिक ने शादी वादी के मर्दों कोई सलाह दी कि जब वर्धा की और ट्रिप आत्मा आपसे अंदर आने की अनुमति मांगे तो कहना तुम का लाना कल क्यों? क्योंकि कल कभी नहीं आता होते हुए बोली हर कल अगले दिन आज में बदल जाता है । उसकी बात का समझ में आते ही मैं भी जोर से हंसा लोग आ गया । शाम हुई । उसने उंगली से बस स्टॉप की ओर इशारा करते हुए कहा हम दोनों स्टॉपर उधर गए और बस आगे बढ रही है । चांगली के जंगल बहुत सुंदर है । मुझ से बोली अगर तुम देखना चाहते हो तो मैं तो मैंने चलती हूँ । आकाश मन तो बहुत हुआ कि उसके साथ उसी वक्त चल पडो तो केवल और बाकी दोस्तों का खयाल आया तो मैं पीछे हट गया । आज नहीं मेरे दोस्त मेरे इंतजार कर रहे हैं । मुझे उसे डाल दो । बडा सोच हो रहा था लेकिन तुम कल आना मैं जरूर आऊंगा । अच्छा कहते हुए वह मुडी और आगे बढ गई । मैं भी थोडा और दो कदम आगे भी बढाएँ । लेकिन फिर अच्छा हुई कि मैं उसे एक बार फिर देखो । जब मैंने पलट कर देखा तो कहीं नजर नहीं आई में भारी मन से केविन के घर की तरफ चल पडा । लोग आ गए । लेटलतीफ मुझे देखकर केवल जरा नाराजगी से बोला कितनी बार दम से कहा है सुबह जल्दी उठने की आदत डाल लिया करो । तुम्हारे देर तक सोते रहने की आदत कर छूटेगी आकाश इस भारत के भी कई फायदे होते हैं तो मैं खुशी से पागल हुआ जा रहा था । जैसे वायदे । केविन ने मुझे घूरते हुए पूछा इस बुरी यादव के कारण तो आज मैं अजनबी हसीना से मिला क्या? लडकी की बात सुनते ही सारे दोस्तों ने मुझे घेर लिया । उसके बारे में जरा हमें भी तो बताओ ना? आकाश मैंने उन्हें हमारी मुलाकात का पूरा ब्यौरा दिया और वर्धा की वो कहानी भी सुनाई । झूठ बोल रहा है ये । केवल ने हंसते हुए कहा । ये किसी लडकी लडकी से नहीं मिला । एक तो देर से आता है ऍम बनाने की कोशिश कर रहा है ये तुम कैसे कह सकते हो? मैं बडा गया वो लडकी शाहुल की रहने वाली है ना केवल पूछा तो जरा हमें भी मिला हूँ मिलाऊंगा लेकिन कल मैंने पूरे आत्मविश्वास से कहा कल मैंने उससे मिलने आने को कहा है । ये भी झूठ केविन फिर ऐसा क्योंकि जनाब अगर वो लडकी शाम थोडी की है तो उसे वर्धा की कहानी भी मालूम होगी । वर्धा की प्रेमी है । उसका खत्म नहीं किया था । उसने घर से भागने की योजना जरूर बनाई थी लेकिन फिर वो खुद ही हम गायब हो गया । वरना ने जंगल में बहुत देर उसका इंतजार किया । लेकिन जब वो नहीं आया तो उसने नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली । ये है असली कहानी दोस्तों ये आकाश तो बस झूठ पर झूठ बोलता जा रहा है । इसे मैंने कहा था कि यहाँ चुडैल रहती है । जो मर्दों का शिकार कर दी है । उसके आगे आकाश ने पूरी मनमोहन कहानी बना ली । ये कैसे हो सकता है? मुझे कुछ गडबड नजर आई । अचानक मुझे याद आया कि उस लडकी ने जाने से पहले मुझे मेरे नाम से बुखार था । मगर उसे मेरा नाम कैसे पता चला? मैंने तो कभी नहीं बताया । केवल मेरा दिल जोर से धडकने लगा । क्या मारता की लाश मिली थी नहीं कि विंडसर लाया हूँ और कहाँ? उन दिनों बारिश का मौसम था और नदी का भाव बहुत तेज था इसलिए लाश कहीं मैं नहीं होगी । चलो मेरे साथ मैंने केवल का हाथ पकडा और बाकी दोस्तों को भी साथ चलने का इशारा किया । फॅमिली जैसे मैंने एक थोडा भी साथ ले लिया । जंगल पहुंचकर मैंने पूछा वो सौ साल पुराना बरगद का पेड कहाँ है? उस तरफ के वहाँ से इशारा करते हुए कहा हम सबको इस तरफ चल पडे । बरगद के पास पहुंचकर मैंने खुदाई करनी शुरू कर दी । थोडी देर खोलने के बाद हमें एक नरकंकाल मिला । हम सब चौंक गए । तभी मैंने उस कंकाल के दायें हाथ पर कुछ समझते हुए देखा । मैं पांच गया और वहीं जमीन पर बैठ गया । मैंने मिट्टी हटाई और देखा । उसके दायें हाथ में हीरे की अंगूठी है । वो ठीक वैसे ही थी जैसे उस बस वाली लडकी के हाथ में थी । हम सब ने मिलकर तो उस अंगूठी पर लिखे नाम को पढा । उस पर लिखा था वायदा अच्छा हुआ । आकाश केवल सहमते हुए बोला तुमने उसे कल आने को कहा है

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