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अध्याय 6 - C in  |  Audio book and podcasts

अध्याय 6 - C

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पुलिस और राजनीति के गठजोड़ कैसे देश को प्रभावित करता है सुनिए इस किताब में writer: मोहन मौर्य Voiceover Artist : RJ Nitin Author : Mohan Mourya
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उस जिस बात का हम लोगों को डर था, आखिरकार वह बात हो ही गई है । ये शहर भेड दंगों के आग में झुलस में लग गया है । टीवी पर न्यूज देखते हुए अजीत नहीं गहरी सांस लेते हुए कहा धूम सही कह रहे हो या वो तो खुदा का शुक्र है किए तो केंद्र सरकार का पहले से ही दबाव था जिसकी वजह से राज्य सरकार और पुलिस को इस बात पर तत्पर एक्शन लेना पडा है । दूसरा इस आपको ज्यादा भडकाने से पहले ही दंगे फैलाने वाले जगहों पर कर्फ्यू लगाकर बुझा दिया है । वरना तो खुदा जाने के हाल होता है शहर का और इस शहर में रहने वालों का । अगर में जवाब पर यार इतना कुछ होने के बाद भी क्या हम लोग यही हाथ पर हाथ धरे खामोश बैठे रहेंगे? तो क्या कर रहे हैं? तुम ही बताओ, सुबह से शाम हो गई और यानी को जवाब ही नहीं दे रहे । याद अनिल कितना कुछ हो गया? और फिर भी तो ऐसे खामोश बैठा । कुछ बोलता क्यों नहीं है? टीवी में ही हो गया क्या अ जितने अनिल से पूछा जो टीवी पर न्यूज देख कर मैं जाने कहाँ हो गया था । यहाँ कुछ समझ नहीं आ रहा है । आखिर हम लोग करें तो क्या कर रहे हैं और क्या नहीं करें जिंदगी में पहली बार आज ऐसी स्थिति में पहुंचा साहब चुंदर जैसी हालत हो गयी है सब वैसे भी हम पुलिस स्टेशन तो जाकर देख ही चुके हैं । सुबह सुबह वहाँ के जैसे हालात है । हम जानी चुके हैं और कोई दूसरा रास्ता भी दिखाई नहीं दे रहे । हम पुलिस को कुछ बता नहीं सकते और हम लोग ऐसे भी नहीं रह सकते वरना अभी तो सिर्फ खुद जगह ही हालत बिगडने । अब अगर ये पूरा शहर दंगों की आग में झुलस गया तो उसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ हम लोग होंगे जो सब कुछ जानते हुए भी ऐसे चुपचाप बैठे हुए हैं । वैसे चलो मान भी लोग अगर प्रशासन के कंट्रोल की वजह से दंगा आप भी बढ के तो भी हमारा जमीन इस बात की इजाजत नहीं देता । देर राज ठाकुर के घर पर हुए हमले के पीछे कौन है ये बात हम लोगों को मालूम होते हुए भी हम लोग यूँ चुप चाप घर पर बैठे रह जाएगा । यार हम लोग एक काम नहीं कर सकते क्या अगर नहीं क्या? अनिल ने पूछा हम ये सबूत ले जाकर सीधे सीधे देवराज ठाकुर तक पहुंचा सकते हैं वो अपनी पावर का इस्तेमाल करके जो वैद अंसारी को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा सकता है । अगर में अपनी बात आगे बढेंगे तेरे में देने पर की भी अकल नहीं अगर कुछ बोलने से पहले थोडा सोच तो लिया कर क्या कहने जा रहा है? अनिल के कुछ कह पाने से पहले ही अजित पीछे क्यों क्या हुआ मेरी अब कल को अगर राज चली गई है तो क्या कर और क्या अब मेरी अकल अपनी जगह ठिकाने पर ये तो अपनी कल की फिक्स है जब देखो सिर्फ खाने के बारे में ही सोचती हूँ अवैध साले सिर्फ खाने के बारे में ही तो सोचता हूँ मेरी तरह ऐसे ऊटपटांग की बातें तो नहीं सोचता अब ऐसा क्या ऊट पटांग कह दिया मैंने अबे साले तू ये तो सोच जरा अगर राम ने ये बात अगर देवराज ठाकुर तक पहुंचा दी तो ये बात पुलिस तक पहुंचाएगा भी या फिर खुद ही जुबैद अंसारी से इसका बदला लेने लग जाएगी । अजीत ने जवाब दे अजीत सही कह रहा है अगर हमे बात देवराज ठाकुर तक तो भूल कर भी नहीं पहुंचा सकते और उसके घर पर हुए हमले और उसकी पत्नी की हत्या के पीछे जो वैद अंसारी कहा था और मैं जिस बात के लिए हम लोग इतने चिंतित हैं, शहर में उससे भी बडा तूफान खडा हो जाएगी । देवराज ठाकुर इस शहर में वो आग लगाएगा जिससे इस शहर को शमशान में बदलने से कोई नहीं रोक पाएगा । अच्छा फिर हम लोग मीडिया को तो समझ सकते हैं । सबूत मीडिया का भी कोई भरोसा कहाँ पर यार ये भी तो नेताओं से मिले हुए होते हैं और उनके हिसाब से अपनी खबरें प्रसारित करते । कितनी बार तो पेड न्यूज की खबरें आती रहती है । साले, पुलिस और मीडिया सब नेताओं के चौखट पर दलाली करते तो फिर क्या सोचा है तो हम एक काम कर सकते हैं । हम लोग किसी भी पुलिस स्टेशन नहीं चलेंगे बल्कि अभी कमिश्नर ने जो फोन नंबर बताया है उस नंबर पर कॉल करके कमिश्नर से अपनी बात करेंगे । क्या कहूँ तो हम उनसे ये कहेंगे कि हमारे पास कोई ऐसा सबूत है जिनसे ये साबित होता है कि मैं ठाकुर की हत्या के पीछे किसका है । हमको सबूत आपको सौंपने के लिए तैयार हैं पर इन सब में हमारा नाम नहीं आना चाहिए तो तुम सबूत देने पुलिस हेडक्वार्टर जाओ नहीं । हम वहाँ पर जाना बिलकुल भी अफोर्ड नहीं कर सकते हैं । इस पुलिस का कुछ भी भरोसा नहीं हो सकता है कि वो लोग हमारी बातों पर यकीन ना करें और हमें अहमद के कत्ल के नाम नहीं गिरफ्तार करते । तो फिर कहाँ पर सौंपो के तुम पुलिस को सबूत? हम कमिश्नर को ऐसी जगह बुलाएंगे जहाँ पर हमें कोई भी खतरा नहीं । उन्होंने वहाँ पर बुलाकर ये सबूत सौंप देंगे और फिर वो जाने और उनका काम जान है । पर अगर कमिश्नर हमारी बताई हुई जगह पर आने के लिए राजी नहीं होगा तो फिर क्या करेंगे? तो देखेंगे फिर क्या कर सकते हैं पर सिर्फ इस वजह से तो हम आप पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकते ना पैसे भी गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि दूसरे सपना कर्मकर कल की चिंता मत कर तो बस हम तो अपना कर्म करते जा रहे हैं । बाकी उसका फल तो ऊपर वाले के आते हैं । कुछ अनिल ने साथ लेकर ऍम तो फिर काम करने जा रहे हो तुम फोन अभी तो रात होने जा रहे । हम उसे कल सुबह फोन करेंगे । वैसे भी अभी फोन करेंगे तो भी वो अभी तो मिलने से आने से रहा । सही है या पैसे भी । इतनी रात को फोन करने से कोई फायदा नहीं । जरूरी नहीं फोन पर वो अभी बात भी करने के लिए फ्री पर ये बाबा कहाँ रह गए इतनी देर से इन सब चक्करों में खाना तो रही गया । बहुत भूख लग रही है । अजित ने अपने पेट पर हाथ रखते हुए कहा तुझे अभी भी खाने की सोच रही अगले साल कुछ तो शर्म गए । अगर नहीं उसे क्यों यार शर्म करने से क्या पेट की आग हो जाएगी । अगर ऐसा होता है तो शायद हम तू करने मुझे तो खाना खाने दे । अजीत ने जब आप शर्म दवाई करता है, जिसे कुछ लिहाज मेरे जैसे पेट को तो किसी का लिहाज ही नहीं तेरे को तेरे आ देना तो चुप हो जा । भगवान ऐसे कब तक इनकी महाबाद चलेगी? बाबा जल्दी करो और खाना लाओ नहीं । ऐसा ना हो कि इन की बातें सुन सुनकर में पागल हो जाऊँ । अनिल ने जोर से आवाज ला रहा हूँ बस एक दो घंटे और इंतजार कर ले अंदर से करतारसिंह की आवाज आएगी नहीं । अगले दिन सुबह ग्यारह बजे ॅ हाँ कौन बोल रहा है, मैं कौन बोल रहा हूँ इस बात को छोडिये । ये पूछे मैंने फोन किस लिए क्या? ना तो हम समझ सकते हैं कि आपने फोन किसने किया । पुलिस क्वार्टर गाय स्टेशन नंबर जारी इसलिए किया गया जिसपर जनता को इस बात के लिए आग्रह किया गया है कि वो अगर रीमा ठाकुर हत्याकांड के बारे में कुछ भी जानकारी रखते हैं तो उसे तो उसे पुलिस के साथ शेयर करेंगे । जी थे कि समझा आपने? मैंने भी ये फोन इसीलिए ही क्या हमारे पास को जैसे सबूत है जिससे यह साबित होता है कि इस हत्याकांड को किसने अंजाम लिया और इसके पीछे किसका हाथ है और इसके लिए मैं सिर्फ कमिश्नर साहब से ही बात करना पसंद करेंगे । देखिए कमिश्नर साहब, अभी तो इस समय बहुत बिजी है । आपके पास जो भी सबूत है वो हमें अभी फोन पर बता दीजिए या फिर उन्हें लेकर किसी नजदीकी पुलिस स्टेशन चले जाए या फिर यहाँ पुलिस हेड क्वार्टर में आ जाएगा । मैं इस बारे में सिर्फ और सिर्फ पुलिस कमिश्नर साहब से बात करूँ । वैसे भी कल शाम को कमिश्नर आपने खुद ही कहा था कि वो इस नंबर पर आने वाली ऍम कॉल को खुदा टाइम करेंगे । देखिए आपकी बात सही है पर कमिश्नर साहब बाहर किसी से बात नहीं कर सकते । कल शाम से लेकर अब तक इस तरह के बहुत से फोन यहाँ पर आ चुके हैं और आज बाल जानकारी देने वाला कमिश्नर साहब के फोन पर आते ही अपने निजी टुकडे सुनाने लग जाता है । इसलिए कमिश्नर साहब का सकता देश है की आने वाली आई कॉल की पहले हम अपने लेवल पर अच्छी तरह जांच करने, इसके बाद ही उन्हें कॉल कर बुलाया । इसलिए आपको जो भी कुछ कहना है मुझे चाहिए । मुझे जरूरी लगेगा तो आपकी कॉल कमिश्नर को जरूर फॅमिली जाएगी और मैं साॅस कमिश्नर से ही बात करूँ । इसलिए मेरी ये बात आप आगे कमिश्नर तक पहुंचा दीजिएगा । वैसे अभी ग्यारह बज कर पांच मिनट हो रहे हैं । मैं आपसे ठीके घंटे बाद यानी बारह बजकर पांच मिनट पर फिर से इस नंबर पर फोन करेंगे । और हाँ याद रखना । तब मैं सिर्फ और सिर्फ पुलिस कमिश्नर से ही बात करना पसंद करूंगा और किसी से नहीं । वैसे अगर तब भी उनके पास मेरी बात सुनने के लिए टाइम नहीं हुआ और वह लाइन पर नहीं आए तो फिर ये सबूत लेकर सीधे मीडिया के पास जाऊंगा और उन्हें बताऊंगा की पुलिस और पुलिस कमिश्नर दोनों कितने निकम्मे उन्हें में से ठाकुर के हत्यारे को पकडने में कोई दिलचस्पी नहीं । नमस्ते कहते हुए सिख बहुरूप धारण किए हुए अनिल ने फोन काट दिया और पीसीओ बूथ से बाहर आया । उसने बूथ वाले को फोन के पैसे दिए और फिर अपने लंबे कदम बढाता हुआ एक तरफ चल वहाँ से पैदल ही चलता हुआ वो पास में ही स्टेटिक पब्लिक स्नान करने जिसके गेट के बाहर पहले से ही अजीत एक बैंक के साथ मौजूद था । उसने आयोजित के हाथ से बैग लिया और दस मिनट के अंदर ही वो अपना सिख वाला बहुत शुरू याद कर एक नया रूप धारण करके वहाँ से बाहर आ गया । खेले पर गाडी उसने अभी भी बडी ही रखी हूँ लेकिन सर पर पगडी के बजाय एक जीना बना था जिसके ऊपर उसने एक दो फॅमिली वही समय हिप्पी लग रहा था । वहाँ से निकलकर वह फिर से अजित से मिला और वह दोनों धीरे धीरे टहलते हुए वापस से उस टेलीफोन उसकी तरफ चलने लगी । वो उस से थोडी दूर पहले ही हो गए और उन्होंने वहाँ का नजारा क्या घुस टेलीफोन बूथ को चार पांच पुलिस वालों ने घेरा हुआ उन्होंने एक नजर उनकी तरफ दौडाई और एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा । फिर वो दोनों वहीं पास में स्थितियाॅ । यहाँ पर अगर पहले से ही एक सीट पर मौजूद वो दोनों जाकर वहाँ पर बैठ गए । उनके बॅाय उनके लिए चाहे और समूह से रखे हैं । अगर ने उनके लिए पहले से ही चाय नाश्ते का ऑर्डर किया हुआ है । क्या बात है । सुनने तो हमारे लिए पहले थी चाय नाश्ते का इंतजाम किया हुआ है अजीत ने मुस्कुराते हुए मुझे मालूम था ना पहले जैसा भुक्कड कोई भी काम करने से पहले कुछ खाने के लिए पूछेगा तो बस यही सोचकर मैंने ऑर्डर कर दिया था अगर ने उसे मुस्कुराते हुए जवाब अबे साले जब देखो मेरे खाने के पीछे पडा रहता है । तेरी प्रॉब्लम के आए अजीत में नकली गुस्सा दिखाते हैं समय तुम लोग अभी भी शुरू मत हो जाना हमारे पास वैसे भी टाइम बहुत कम है । अनिल ने कहा फिर उसने अपनी बात आगे बढ सकें । अगर कितनी देर में पुलिस आ गई थी ऍम तुमने सही सोचा था । नाॅट के अंदर ही पुलिस वालों ने उस भूत को घेर लिया था और आसपास पूछताछ करने लग गए थे । आज करने का मतलब अब हमें जब भी फोन करना होगा पांच सात मिनट के अन्दर पूरी बात खत्म करनी होगी । अनिल ने कहा तो तुम सही कह रहे हो और ये पुलिस बिना साले जिसको पकडने के लिए मेहनत करनी चाहिए उसके लिए तो करते नहीं और बाकी फालतू के कामों के लिए इनसे चाहे जितनी दौड धूप करवा लो । अजीत ने कहा पुलिस वाले तीन जल्दी थोडी किसी पर आसानी से विश्वास कर लेते हैं । वैसे भी हम को पुलिस को सिर्फ सबूतों अपनाया और कुछ नहीं । पर इन लोगों को इस बात से कि हमले के पीछे किसका हाथ है । ये जाने से ज्यादा जरूरी ये बात जानना लग रहा है कि उनका नाम कौन सामने ला रहा है । अनिल ने कहा कि वैसे बहुत सही फोन करना जरूरी है, क्या हम लोग मोबाइल फोन से क्यों नहीं कर सकते? अनिल ने कहा ऍम इसलिए बोला था थोडा कम खाया कर और दिमाग का इस्तेमाल किया कर बस करने का । अब मैंने ऐसा क्या गलत बोल दिया? नहीं अजित हम अपना मोबाइल इस्तेमाल नहीं कर सकते है । मोबाइल के प्रयोग से पुलिस वाले हमारे बारे में आसानी से पता लगा लेंगे । दूसरा हमारे पास अभी इतना समय भी नहीं है कि एम चोरी का मोबाइल इस्तेमाल करें इसलिए हम पब्लिक बहुत सही इस्तेमाल करेंगे । माना आज मोबाइल का योग है । पर अभी भी राजनगर में दो सौ ढाई सौ पब्लिक तो है ही और पुलिस सिर्फ हमारी जानकारी के लिए इतने पब्लिक बूत पर अपने आदमी बैठा भी नहीं सकती । वैसे भी शहर का माहौल अभी खराब और पुलिस फोर्स की वैसे ही कमी अभी हमारे पास से चालीस मिनट है । अनिल ने अपनी घडी में टाइम देखते हुए कहा अजीत और अगर तुम दोनों अपनी घडियां मेरी गाडी से मिला लो, एक सेकंड का भी फर्क नहीं होना चाहिए । तुम दोनों माटुंगा वाले पीसी ऊपर जाओ । ठीक बारह बजकर आठ मिनट पर पुलिस हेड क्वार्टर के इस नंबर पर फोन लगा । अगर फोन बिजी मिले तो समझ लेना मेरी बात पुलिस कमिश्नर से हो रही है वरना फिर आगे की बात पुलिस से तुम लोग ही करोगे । हाँ वो तो ठीक है पर हम लोग इन शोर कैसे करेंगे कि हम पुलिस कमिश्नर से बात कर रहे हैं किसी और से नहीं । अजित ने पूछा फेल कर दी ना छोटी वाली बात । अबे साले इसलिए कहता हूँ खाने के बजाय कुछ काम पर भी ध्यान दे दिया । कर पुलिस कमिश्नर की आवाज इतनी बात तो सुन रखी हमने पहचानने में । आखिर क्या प्रॉब्लम है अगर नहीं हसते हुए अभी साले वो फोन पर सुनी आवाज थोडी अलग सुनाई देती है ना अ जितने झेंपकर जवाब दे अब कहाँ अलग होती है क्या करीना कपूर की आवाज सैफ अली खान की बन जाएगी तू ना अपने दिमाग के साथ साथ अपने कानों का अभी इलाज करवा ले अब अगर ने उसका मजाक उडाते हुए कहा प्लीज मैंने बात हो तुम टाइम और जगह तो देख लिया करो कब कहा की आवाज कर रहा हूँ । वैसे भी अब हमारे पास बत्तीस मिनट ही बचे इसलिए जल्दी से बुधवार काम पर शुरू हो जाओ । कहते हुए अनिल अपनी जगह से वोट गया और ऍम से बाहर जाने उसके पीछे पीछे आजीत और अगर भी अपनी सीट से खडे हो अजित देने से एक बात कहनी थी यार राम मत मानना अगर नहीं आप उन क्या बात है क्या और समोसे के पैसे दे दिए हो कहते हुआ अगर जल्दी से रेस्टोरेंट का गेट खोलकर बाहर आगे अभी साले अगर तू कहते हुए उसमें पीछे आने होगा अजित कहते हुए इसके पीछे आने को हुआ ऍम के एक वेटर ने उसकी कमीज का कॉलर पकडकर हो जाता है । तीन चाय और समोसे के पैसे पीछे कहते हैं बात देगा हूँ मैं पैसे नहीं दूंगा मेरे बाप पहले मेरा कॉलर तो चोर गीत ने कहा और अपनी पैंट की जेब से पर्स निकालते हुए बढता है साला घर फिर कुछ छोडूंगा तो नहीं मैं ये पैसे अगर सूद सहित तेरे से वसूल नहीं की है । मेरा नाम भी अजीत नहीं उधर आगे जाता हुआ अनिल उनकी हरकत देखकर मुस्कुरा उठा । बारह बज कर पांच मिनट कमिश्नर साहब से बात करवाई । कमिश्नर तो नहीं है आपको जो कहना हो यहाँ हम से कह दीजिए हो लगता है तुम्हें पहचाना नहीं मैं ही हूँ जिसमें एक घंटे पहले भी फोन करके कहा था मुझे साॅस कमिश्नर सही बात करने अन्य किसी से नहीं हो तुम बोल रहे हो । ठीक है एक मिनट होल्ड कर लूँ कुछ सेकेंड बार हाँ बोलो क्या कहना चाहते हो मैं कमिश्नर बोल रहा हूँ दो मॅन वक्त बर्बाद कर रहे हो मेरा भी और खुद अपना भी मैंने पहले ही कह दिया था की मुझे कमिश्नर से बात करनी है तो सिर्फ और सिर्फ कमिश्नर से ही बात कर रही है पर लगता है आप लोग बिल्कुल भी सीरियस नहीं और हेमा ठाकुर के कातिल को पकडने के लिए जो किसी को भी फोन पकडा अब चुप चाप कमिश्नर को फोन दे रहे हो या फिर मैं इधर से फोन का तो वैसे अगर फोन पर मुझे ज्यादा देर तक उलझाए रख कर पहले की तरह मेरी लोकेशन पता करना चाहते हो और वहाँ पर आपने पुलिस के आदमी भेजने का इरादा रखते हो तो कोई फायदा नहीं है ना आज मोबाइल का जमाना है और हर आदमी एक नहीं दो दो मोबाइल रखता है और फिर भी राजनगर में पीसीओ की कमी नहीं है । अब अगले साल में तुमने कमिशन को फोन नहीं दिया तो मैं फोन कर दूंगा । फिर मेरा आदमी दूसरे किसी पीसीओ से फोन में लाएगा । वैसे भी मैं तुम लोगों से सिर्फ पांच मिनट बात करूंगा जिसमें से दो मिनट तुम लोग बर्बाद भी कर चुके हो । इसलिए समझदारी से कम लोग और असली पुलिस कमिश्नर को फोन दे दो वरना मजबूरन मुझे सबूत लेकर मीडिया के पास जाना पडेगा । तब तुम लोगों की जो फजीहत होगी तब जाकर जाए तो मैं मेरी बात समझ में आ जाएगा । कुछ पलों की चुप्पी के पश्चात अनिल को फोन पर एक नई आवाज सुनाई चलो हम राजनगर पुलिस कमिश्नर मिश्रा बोल रहे हैं । गांव क्या कहना चाहता हूँ ये हुई ना बात । अब मैं सही कमिश्नर से बात कर रहा हूँ । अब बातों में टाइम हम नहीं बल्कि तो मैं कर रहा हूँ । वैसे भी तुम ने कहा था कि तुम्हारे पास बस सिर्फ तीन मिनट बचे तो सॉरी सर देखिए मेरे पास कुछ ऐसे सबूत हैं जिनसे ये साफ पता चलता है कि देवराज ठाकुर के घर पर हमला किसने किया था और साथ ही साथ ये जानकारी भी है कि वह हमला करवाने के पीछे किसका हाथ है । तो तुम ये जानकारी तो किसी भी पुलिस स्टेशन में लेकर जा सकते हो । मुझसे बात करने की क्या जरूरत है? जी बिल्कुल लेकर जा सकता हूँ और वह सबूत लेकर गया भी था । एक पुलिस स्टेशन पर वहाँ जाकर मैंने जो पुलिस के आला देखें तो बात तो अगले ही पल बिना कुछ कहे उल्टे पैर वापस आना पडा । साले बिना रिश्वत दिए कुछ सुनने के लिए तैयारी नहीं होते और फिर उसके बाद किसी और पुलिस स्टेशन जाने की हिम्मत नहीं हुई । वैसे ये बात आप भी अच्छी तरह से जानते हैं कि आपके सभी पुलिस स्टेशन के यही हाल है और वहाँ पर बैठे हुए तमाम के तमाम पुलिस वाले सिर्फ राजनेताओं और मुजरिमों के तलवे जाते । आम आदमियों को नाली के कीडे समझते हैं । इसलिए मैं नहीं चाहता कि वह सबूत किसी ऐसे पुलिस वाले के आप मेरे दू जो मुजरिमों को पकडने के बजाय उल्टा सबूत उन्हें मुजरिमों के हवाले कर देंगे । तुमने हमें पुलिस स्टेशन की बुराई करने के लिए फोन किया है या फिर रीमा ठाकुर हत्याकांड पर कुछ प्रकाश डालने के लिए फोन किया है जी वही मैंने रीमा ठाकुर हत्याकांड के सबूत ही आपको बताने के लिए फोन किया है । तो फिर बेकार की बातों में समय खराब करने के बजाय तो ये बताओ क्या सबूत है तुम्हारे पास? मेरे पास एक ऐसी चिट्ठी है जो कि कातिल के नाम लिखी गई है जिसमें उसने ये मेंशन किया हुआ है कि देवराज ठाकुर को खत्म कर दो । मेरा मतलब है केलर के नाम देवराज ठाकुर की सुपारी वाली चिट्ठी है । कातिल का निशाना देवराज ही था । वैसे ये अलग बात है कि कातिल की चलाई हुई गोली से देवराज ठाकुर के बजाय उसकी बीवी की हत्या हो गई । जिस आदमी ने वह चिट्ठी तैयार की है और जिसके द्वारा वो चिट्ठी भेजी गई थी मैं उनके नाम आपको बता सकता हूँ । पर चिट्ठी के जरिए बाकी के सबूत आप लोगों को ही तलाश करने होंगे और चिट्ठी उधर से कमिश्नर मिश्रा के बढ बढाने की आवाज आएगी । ठीक है तो वो चिट्ठी लेकर यहाँ पुलिस हेडक्वार्टर आजाओ हमारे पास कमिश्नर नहीं अनिल से का सॉरी सर मैं वहाँ पुलिस हेड क्वार्टर भी नहीं आ सकता । क्यों नहीं आ सकते अगर तुम कानून की मदद करोगे तो कानून तुम्हारा एहसानमंद रहेगा । नहीं नहीं आ सकता है बस इतना समझ लीजिए । मेरी ऐसी कुछ मजबूरी है कि मैं वहाँ पर नहीं आ सकता है तो हम किसी पुलिस स्टेशन में नहीं जाना चाहते हो और ना ही यहाँ मेरे पास आना चाहते हो तो फिर बात कैसे बनेगी? सबूत लेकर मैं आपके पास नहीं आऊंगा बल्कि सबूत लेने के लिए आपको मेरे पास आना होगा । मैं आपको वो सबूत कहीं ऐसी जगह पर दूंगा जहाँ पुलिस की परछाई भी ना पडती हो । कहाँ पर कहीं पर भी? वैसे आप मेरा टाइम खत्म हो रहा है । मैं दोपहर के ठीक दो बजे आपको वापस से फोन करूंगा । हो सके तो आप मुझे अपना मोबाइल नंबर दे दीजिए ताकि आपसे बात करने के लिए मेरा फिर से टाइम खराब नहीं हो । उधर से नंबर बताया गया जिसे अनिल ने अपने पास मौजूद मोबाइल में सेव कर ऍम मैं आपको ठीक दो बजे फोन करुँ । वैसे अभी के लिए नमस्ते कहते हुए अनिल ने फोन काट दिया और एसटीडी बूथ से बाहर आ गया । वहाँ से वो पैदल एक तरफ चलने लगा और थोडी दूर जाने के बाद अपनी जेब से मोबाइल निकाला और अजीत को फोन मिलाया । कम हो गया । मैं यहाँ से निकल रहा हूँ तुम दोनों । मुझे माटुंगा में वह पीजा पार्लर है । वहीं पर मिलना हम वही पर इस बात के लिए डिस्कशन करेंगे कि कमिश्नर को केस जगह बुलाकर वो चिट्ठी सौंपनी और फिर वही बूत से कमिश्नर को फोन लगाएंगे । कहकर उसने मोबाइल काट दिया और एक टैक्सी ऍम आपका अंदाजा बिल्कुल सही था । नेताजी अभी थोडी देर पहले पुलिस हेड क्वार्टर में एक फोन कॉल आया था जिसमें ये कहा गया था कि वह जानता है कि देवराज ठाकुर के घर पर हुए हमले में किसका है और वह हमला किसके इशारे पर हुआ है । पुलिस कमिश्नर अपने कैबिन में बैठा हुआ फोन पर जो वैद अंसारी से बात कर रहा था तो मैं कैसे पता कि ये वही इंसान है जिसकी हमें तलाश है नेताजी वैसे तो पुलिस हेड क्वार्टर के हेल्प लाइन पर कई फोन आए थे जिसमें देवराज ठाकुर के घर पर हुए हमले की जानकारी देने की बात कही गई थी । पर जैसा क्या आपने कहा था चिट्ठी का जिक्र सिर्फ वही करेगा जिसके पास वो होगी और वो जिक्र उसी एक आदमी ने किया था । तुमने उन्हें किसी पुलिस स्टेशन जाने आॅफ पुलिस हेड क्वार्टर में आने के लिए नहीं कहा । कहा था नेताजी कहना भी थक आखिर डिपार्टमेंट में किसी को इस बात को लेकर थोडा सा भी शक नहीं होना चाहिए था । किए कमिश्नर अपना पर्सनल मोबाइल नंबर कैसे डायरेक्ट एक आम आदमी को दे रहा है और जैसा क्या आपने पहले ही बता दिया था उन्होंने आने के लिए मना कर दिया । उन्हें इस बात का अंदेशा सता रहा होगा कि कहीं हम उन लोगों को ही अहमद की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार नगर में अच्छा । फिर उसने बताया कि वहाँ पर सबूत सौंपे का अभी तो नहीं । नेताजी पर उसका दो बजे फिर से फोन आएगा और वह जगह बताएगा जहाँ पर वह पुलिस को सबूत देने वाला अच्छा ठीक है । जब वो जगह बता दें तो उसकी खबर तुरंत मुझे करना है । बाकी का काम मैं देख लूंगा । वो तो ठीक है नेताजी पर आप इतनी तकलीफ क्यों कर रहे हो? आपका हो तो उन लोगों को अहमद के कत्ल में ही गिरफ्तार कर लेते हैं । उन्हें फांसी की सजा दिलवाने की जिम्मेदारी मेरी खिलाफ अपनी परेशानी से आजाद हो जाएंगे । एक नंबर के बेवकूफ हूँ । अगर उन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तारी करवाना होता तो मैं इतना परेशानी के होता । मना तो उन्होंने अहमद के कत्ल के इल्जाम में गिरफ्तार कर लेंगे और कत्ल की सजा दिलवाने के लिए तो तो मैं उन्हें कोर्ट में पेश करना ही पडेगा जहाँ पर हो सकता है कि तुम उन्हें सजा दिलवाने में कामयाब भी हो जाओ । पर इस तरह से गिरफ्तार होने और अदालत में अहमद के कत्ल के मुकदमे के दौरान वो अदालत में ये बता सकते हैं कि देवराज ठाकुर के घर पर हुए हमले में मेरा हाथ है । इसलिए पुलिस उन्हें फंसाने की कोशिश कर रही है जो मैं बिल्कुल भी अवॉर्ड नहीं कर सकता हूँ । चलो ये मान भी लिया कि जज को उनकी बात पर यकीन नहीं भी आए और वो उसे केस से भटकाने की कोई कोशिश ही समझे और दूसरा कोई और व्यक्ति भी उनकी बात पर यकीन नहीं कर रहे हैं । पर ये बात अगर देवराज ठाकुर तक पहुंच गए तो उसे जरूर यकीन हो जाएगा कि वो लोग सच बोल रहे हैं और उसे ज्यादा अभिषक हुआ कि उसके घर पर हुए हमले के पीछे मेरा है तो उसका काम तमाम होने के बजाय ये भी हो सकता है कि उससे पहले ही वो मेरा ही काम तमाम करवा देंगे । आगे वो भी कोई काम शक्तिशाली नहीं है । राजनीति में जितना मुकाम मैं रखता हूँ उतना ही मुकाम भी रखता है । आप ये बात कह तो ठीक रहे नेताजी पर हम उन लोगों को गिरफ्तार करने के बजाय उनका एनकाउंटर भी तो कर सकते हैं और उन्हें मार गिरा सकते हैं, जरूर कर सकते हो । और यहाँ पर भी अभी एक पेट फसा हुआ है । हम नहीं जानते की वो लोग कितने एक हैं, दो या उससे भी ज्यादा है । अब अगर तुम्हारे एनकाउंटर में से उन लोगों में एक भी बच गया तब भी उन्हें इस बात का भी यकीन हो जाएगा कि तुम भी मुझ से मिले हुए तो फिर वो बचा हुआ आदमी सीधे दे राज ठाकुर के पास जा सकता है और उसे सारी बात बता सकता है । इसलिए मुझे पुलिस की कोई हेल्प नहीं चाहिए । इस मामले को मेरे आदमी देख लेंगे तो तो सिर्फ वो टाइम और जगह बताओ जहाँ पर जब वो लोग सबूत लेकर आने वाले पर अगर वो देवराज ठाकुर को ही सबूत दे दे तो उन्हें अगर देवराज को सबूत देने होते तो कब के दे चुके होते हैं । पर पुलिस द्वारा उन्हें गिरफ्तार करने, एनकाउंटर करने की कोशिश में वो जरूर उसके पास जा सकते हैं । इसलिए अपना दिमाग लगाने के बजाय अभी भी तो मैं जितना कहा है सिर्फ उतना ही करो । ठीक है नेता जी आप जैसा कहते हैं वैसा ही करूंगा । पर कहते हुए कमिश्नर ने अपनी बात अधूरी छोड दे बताया बताया है तो मैं तो मारा इनाम मिल जाएगा । कहते हुए उधर से जुबैर अंसारी ने फोन काट दिया । तो अब कमिश्नर को कहाँ बुलाने का इरादा है? यार अगर ने अनिल से पूछा इस समय वो तीनों दोस्त माटुंगा में स्थित पिज्जा पार्लर पर बैठे हुए पिज्जा खा रहे थे । दोपहर का समय होने के कारण पिज्जा पार्लर में इस समय ज्यादा भीड नहीं थी । आधे से ज्यादा हवाले समय खाली था । वो तीनों पिज्जा पार्लर के एक कॉर्नर में ऐसी जगह बैठे हुए थे जहाँ आस पास की सभी सीटें खाली थी और उनकी बातों पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है । फिर भी सावधानी के तौर पर वो इतनी आवाज में बातचीत कर रहे थे कि उनकी बातें किसी अन्य को सुनाई नहीं दे । इस समय उन्होंने कोई भी मेकप नहीं कर रखा था । उन्हें ऐसी जगह बुलाना होगा जहाँ पर पुलिस चाहकर भी कोई शदाकत नहीं कर सके और अगर वह ऐसा कुछ करना भी जाए तो हम ने पहले ही रोक सकें । तुम्हें लगता है कमिश्नर का ऐसा कोई ज्यादा होगा, लगता तो नहीं है । पर यार वो पुलिस का कोई भरोसा भी तो नहीं है । क्या पता वो हमें ही बलि का बकरा बना दे और अहमद के कत्ल के इल्जाम में गिरफ्तार कर लें । अनिल ने चिंतित स्वर में कहा, ये बात तो तुम सही कह रहे हैं अजित हम दोनों ये सबूत लेकर पुलिस को सौंपेंगे और अगर तुम दूर रहकर हम पर नजर रखी होगी, हम दो होंगे तो हम पुलिस कमिश्नर को बोल देंगे की पुलिस के बीच सिर्फ दो लोग हमसे आकर मिले । अब अगर तो में पुलिस का कैसा भी खतरा महसूस हो जैसे अगर उन दो लोगों के अलावा कोई तीसरा पुलिस वाला या कोई और आदमी भी हमारी तरफ आता हुआ दिखे या फिर दूर से पुलिस वाले हमारी घेराबंदी करने की कोशिश करें तो मेरे मोबाइल पर दो दो रिंग की तीन कॉल करोगे । वैसे मैं अपना मोबाइल वाइब्रेशन मोड पर ही रखूंगा ताकि सिर्फ मुझे ही तुम्हारी कॉल का पता चल सके । तुम्हारी कौन आने पर हम पुलिस के उन आदमियों को किसी भी बहाने में उलझाए रखेंगे । बरतो में दो मिनट के अन्दर अपनी गाडी वहाँ पर नहीं कराना होगा । वहाँ आकर तुम स्मोक वाले बम फोड रहे और उसके धुएँ में तो मा में वहाँ से निकाल कर लेकर जाओ । वो तो ठीक गया पर तुमने अभी तक नहीं बताया कि पुलिस से आखिर में लोग का जब कि हमारे पास ज्यादा टाइम भी नहीं बचा है अगर नहीं गाडी में टाइम देखते हुए हम उन्हें शास्त्री फुटबॉल स्टेडियम के दक्षिण दिशा वाले गेट की तरह बुलाएंगे जो यहाँ से दस किलोमीटर दूर है । वैसे भी वो स्टेडियम सिर्फ गर्मियों में ही आबाद रहता है । आजकल तो वह सुनसान पडा हुआ है और उसमें अभी तो सिर्फ कबूतर ही फुटबॉल खेला करते हैं । दक्षिण दिशा वाले गेट की तरफ सामने से जो रोड जाती है उसके किनारे से तो हम पर और दूसरी दिशा से किसी आने वाले पुलिस वाले पर आराम से नजर भी रख सकते हैं । जगह तो तुमने ठीक बताइए हैं वहाँ से निकलने में हमें ज्यादा प्रॉब्लम भी नहीं होगी । पढाई खतरा फिर भी हम पर बना रहेगा । अगर निकाल क्या वहाँ आने के लिए दो तरफ से सडक है । अगर तुम दोनों एक साथ रहोगे तो मैं सिर्फ एक जगह से ही आने वाले पर नजर रख सकता हूँ । और अगर पुलिस दूसरे रास्ते से आई तो बडी प्रॉब्लम हो जाएगा । ये तुमने अच्छा पॉइंट उठाया । मेरा तो इस तरह ध्यान ही नहीं गया था । ठीक है, ऐसा करते हैं । मैं अकेला जाकर उन पुलिस वालों से मिलूँ । अजीत सडक के एक तरफ से तुम पुलिस के आने पर नजर हो गए और दूसरी तरफ से अगर तुम पुलिस के आने पर नजर अनिल ने जवाब यही ठीक लाएगा । पर तो उन्होंने अकेले हैंडल कर तो लोगे ना तो मैं भी चिंता मत करो । मैं उन लोगों को आराम से हैंडल करते हैं । पुलिस को सबूत देने के लिए मैं अकेला ही काफी तो मैं इस बात का खयाल रखना । कहीं वो तुम लोगों से बचकर मुझे अपने जाल में, ना फसल उस की । तुम बिल्कुल भी चिंता मत कर । हम लोग अच्छी तरह से ध्यान रखेंगे । स्वागत अजीत ने अगर से मुस्कुराते पूछा भाई मैं तो अपनी तरफ से पूरा ध्यान रखोगे तो तेरह पता नहीं मुझे कब तो ये भूख लग जाए और निगरानी छोडकर खाने पर बैठकर अगर ने हस्ते जवान दिखेगी । अब साले इतना भी बुक कर नहीं दोस्तों के लिए सारे जन्म भूखा रह सकता हूँ । समझे अजीत ने उत्तेजित होते हुए बिना मुस्कुराए ही जानता हूँ यार अच्छा बातें बहुत हो गई । अभी हम निकलते हैं । वैसे भी डेढ बज चुका है और दो बजे हमें कमिश्नर को फोन करके काफी तैयारियाँ भी करनी है । अनिल ने अपनी गाडी में टाइम देखते हुए यार अभी तो पूरा आधा घंटा बडा कमिश्नर को फोन तो हम सामने वाले बहुत सही करने वाले हैं । तब तक क्यों ना एक पिज्जा हो जाएगी जितने का भुगतान अभी अभी एक बडे पिज्जा में से तो आधा तो तू नहीं खाया और कितना खायेगा साले आधा कम खाया है फिर बराबर तीन भी ठीक है और दो अनिल लिखा है फॅालो बना रहा है । हम दोनों ने दो दो लिए और उन्हें चार खाएँ । समझा तो मुझ पर ऐसा झूटा इल्जाम मत लगा । मैंने सिर्फ तीन ही सीखा है चार तीन चार उनकी ये लोग जो देखकर अनिल मुस्कुरा था । फिर उसने मुस्कुराते अरे तुम दोनों लडाई हमारी इन दोनों ही चाहिए । मतलब दोनों ने चौक करेगा । मतलब ये ऍम तीन का है और अगर तुम्हें दो खाएँ । मतलब मतलब ये घायल कि तुम्हारे जैसे का तीसरा पीस अजीत ने नहीं बल्कि मैंने खाया । हर बार तो तीन तीन खाओ और मैं तो ठीक हूँ ये कोई जरूरी तो नहीं है ना? ऐसे हाँ क्या तो आदेश ऍम अनिल ने अपने होता हूँ बाद अपनी जीत जाते हैं । अब इस साल तो तेरी अदालत थी और मैं खाली पीली अजित पर इन राम लगाने लग गया था यहाँ रजत स्वाॅट तो ऐसा तो एक पिज्जा और लिया उसके पैसे मैं दे दूंगा अगर नया जिससे पकाना नहीं बाद में मुकदमा जाना अपनी बात से पक्का यार चाय तो कसम उठा ले ऍम चलो कसम खाई है तो ठीक है कहते हुए आयोजित अपनी सीट के उठा और पे जा लेने काउंटर की तरफ चल पर अनिल अजगर की जगह नहीं है, मुझे हूँ ।

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पुलिस और राजनीति के गठजोड़ कैसे देश को प्रभावित करता है सुनिए इस किताब में writer: मोहन मौर्य Voiceover Artist : RJ Nitin Author : Mohan Mourya
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