Made with in India
उसके बाद मैंने कुछ ऐसा किया की आस पास का शांत माहौल भी मानो बेरंग हो गया । मैं जोर से चिल्लाया और आसमान की तरफ तारों को देखते हुए चिल्लाते हुए कहा यह चिल्लाते हुए कहा की और उन्नति मैं तो मैं कभी नहीं छोडूंगा, जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी । और नदी ने मुझसे कहा राहुल धीरे बोलो तो होंगा हूँ । और बहुत धीरे धीरे आस पास के लोग तो देख रहे हैं । मैंने देखा अपने आस पास सचमुच लो मुझे देख रहे थे और एक औरत के हाथ में कुत्ता था । वहाँ भी मुझे आॅड के देख रहा था । उस शहर में हम अनजान है ना तो कोई और उन्नति को जानता था और न ही कोई मुझे उसमें मेरा हाथ की जाती है और मुझे वहाँ से ले गए क्योंकि उसी ठीक नहीं लगा शायद कि लोग हमें देख रहे हैं और मैं तो मानो पागल हो गया । पूरा तापमान नगर में हो गया मेरे शरीर का क्योंकि मेरा हाथ पकडकर हम वहाँ से भाग निकले और उसने मुझसे कहा अब यहाँ भी मत शुरू हो जाना किसी तरह से जान बचाकर भागे हूँ । उसने जब ये बात कही तो मानो आसमानों की आंधी उडने लगी मानव आसमान में खेलता हुआ सूरज और डूबता हुआ हूँ । आसमान में अरमानों की आंधी उड रही थी, सूखे बत्ती सरसराहट कर रहे थे और तभी बेवक्त की बारिश होने और एक मोहब्बत की आज थी जो आज सिर्फ मेरे ही भीतर नहीं थी आज अरुंधति भी उसमें शामिल थी । ऐसा लग रहा था कि मानव आज पेशवा बाजीराव और मस्तानी साहिबा की प्रेम कहानी पूरी हो गई । अरे ऊपर से हमें सन्देश भेज रहे हैं अपने आंसुओं के रूप में क्योंकि बेवक् की बारिश होने लगी और उस बारिश में खुद भी हमें क्योंकि अरंधति एक छत के नीचे एक कोना पकडकर मुझे पागलो की तरह चिल्ला रही थी । राहुल राहुल मत भी को तुम मिक्की कौर छोडो बीमार हो जाओगे इधर आ जाओ भर मैं तो चेतनाशून्य था । आज बस भी गए जा रहा था क्योंकि जिसकी मैं कल्पना भी नहीं कर सकता । कुछ ऐसा हुआ था मेरे साथ हूँ । कितना खुश था मैं केवल मेरी खुशी अगर कोई बयान कर सकता तो वहाँ थी और उन्नति और बारिश के बोलते हैं । मैं खुश था शायद उस समय पूरे पृथ्वी के लोगों के बीच मंच, इतना खुश इंसान कोई नहीं था क्योंकि कल्पना भी नहीं की थी । मैंने और उन्नति परेशान हो चुकी है । उसने मुझे अपना मोबाइल नंबर दिया और कहा जाओ और मुझे फोन करना । मैंने गाडी में देखा तो सचमुच सात बज चुके थे और भी घर को गई और मैं भी अपने घर को । मैंने उसे कहा कि क्या मैं तो मैं छोडने घर तक हूँ । उसने कहा नहीं तुम जाओ नहीं हैं और बारिश में भी होगी तो बीमार पड जाओगे मैंने उसे आॅल तो उसने आज भी मुझे टोका और कहाँ फिर मिलेंगे कहूँ बुद्धू अपने अपने घर को नहीं हूँ । जब मैं घर पहुंचा तो बहुत खुश था क्योंकि उस कमरे के अंदर की दीवारें मानवोचित देख कर खुश हूँ क्योंकि उन्होंने मेरी तन्हाई को अक्सर देखा वो मुझे समझ सकती नहीं मैंने आज खाना भी नहीं खाया क्योंकि मन ही नहीं खा रहा हूँ आंखें इस राजस्थानी छोडकर बंगाली लडकी का प्रेम सफल हुआ । हर मुझे खुशी थी इस बात की की और उन्नति में भी एक आम लडके से प्रेम क्या है ना कि एक रजवाडी छोडे और उसके लिए मैं उसका राहुल धान ना की अभिषेक मैंने और उधर जी के नंबर पर कॉल किया । दो घंटे जाने के बाद मुझे उस ने मेरा फोन मानो इंतजार ही कर रही हूँ मेरे फोन का तो मैंने कहा तो उसने भी जवाब दिया एक प्यारी आवाज । उसने मुझसे कहा कि अपने कपडे चेंज कर लो, बहुत भी गए हो तुम । आज उसने कहा कि तुम भी अब अपनी पढाई करूँ । कल बात करेंगे । मैंने ठीक है कहा और गुड नाइट का फोन कटा । मैंने पढाई करने की कोशिश की । बात को जमी नहीं । घंटों तक किताब के सामने बैठा रहा । पर मेरी और किताब की आज नहीं बनी । घडी पर पूरे पूरे एक बज रहे थे । सोने की कोशिश की पर नींद भी नहीं आई क्योंकि दुख वाली रात किसी नींद आती है और सुखों वाली रात कौन होता है? तो इस बात को मेरे सेवा कोई नहीं समझता क्योंकि मैंने सुखों वाली और दुखों वाली दोनों रहते देखनी थी । मैंने अरुंधति को ठीक दो बजकर बीस मिनट पर फोन लगाया । उसने उठाया तो मैंने उसे कहा कि कैसी हो और अंगद तीन जवाब नहीं दिया और मुझसे पूछा था कहा कि मुझे भी नहीं नहीं आ रहे हैं । उसने मुझसे मजाक में कहा की मेरे घर के बाहर आजाओ । मैंने भी मजाक में उत्तर दिया कि मुझे तुम्हारा घर पता नहीं है वरना जरूर आना । हम दोनों एक दूसरे की बात पर हस पडे । मुझे खुशी थी इस बात की की जरूरत औकात से बाहर जरूर थी पर मैंने अपनी बना ही ली और भले ही चादर छोटी थी पर हम दोनों उसमें फिट है हूँ । गहरा प्यार की रात थी, प्यार अपनी फिर खाओ पर था अब मेरा प्यार एक हाईटेक प्यार था क्योंकि हमारी प्यार की बुनियाद में आधुनिक संसार का एक बडा ही पेचीदा गया था । मोबाइल फोन चल शुक्रिया ग्राहम बेल का भी हमारी जिंदगी में अब ऍम क्योंकि वहाँ मेरी बहुत केयर करती थी क्योंकि वो मुझे खोना नहीं चाहती थी तो मेरी बहुत केयर करती थी । इसलिए कुछ दिन की सुबह जब मैं उठा तो मुझे जुकाम और खांसी थी क्योंकि शायद थोडा ज्यादा पी के अकल रहा । जब और उन्नति का फोन आया तो वह झट से मेरी आवाज पहचानकर मुझ पर सोच जोर से हंसने लगी क्योंकि मेरी आवाज बहुत चेंज थी और मुझे बीच बीच में खांसी हो रही है । उसने मुझे हसते हुए कहा और भी को बारिश में और स्पीच चलेंगे । शायद यही हसी मैं उसके चेहरे पर रोज देखना चाहता था इसलिए मैंने बीच में उसे टोका नहीं । पागलों की तरह हसने में खुद क्योंकि मैं उसकी हसने की वजह बनना चाहता था । मुझे खुशी भी इस बात की की और नदी में प्रियतमा है और बहुत ज्यादा खुशी इस बात की थी कि मेरी प्रियतमा यानी अरुंधति पूरी राजस्थान टॉप मेरी कल फ्रेंड थी । उसने मुझसे कहा कि हम शाम को पांच बजे फिर वही मिलेंगे कोचिंग के पेड के सामने । और मैंने कहा ठीक है तब तक हम पढ लेते हैं तो मैंने फोन काटा । दिनभर मैंने पढाई की और अभी तो पढाई में भी मन लगा क्योंकि अब कल वाली बात को पूरे आठ दस घंटे हो चुके थे । शाम के पांच बजे मैं रोज की तरह तैयार होकर खोजेंगे । पास किया और नदी को मिलने आज भी मुझसे पहले पहुंच चुकी थी । मैंने उसे सौरी कहा और कहा कि मैं आज भी लेता हूँ । उसने कहा जी जनाब नहीं देंगे । आप आज ही पूरे पांच मिनट लेट हैं । उसके बाद हम दोनों वहाँ से आगे की ओर चल दिए । बहुत ठंड थी । आज हम दोनों के मुंह से भाग निकल रही थी । उसने आज एक काले रंग की चीज और एक कोड डाला था । उसने घुटनों तक के बूट पहने थे और मैंने एक लेदर की जाकर और सिर पर टोपी और ऍम जुलते । मैं अचानक और अंदर जी ने मुझसे पूछा कि कैसी चल रही है हमारी तैयारी नीट के लिए मैंने उसे जवाब दिया की अच्छी चल रही है । बदले में मैंने उसे कहा कि तुम बताओ तुम्हारी तो ठीक चल रही होगी तो पर होता तो फिर और उन्नति ने कहा कि अरे ऐसा कुछ नहीं है । अगले रविवार हमारा नीट का पेपर है । पेपर पास है तो इसलिए पूछा मैंने एक दिन गिने की आज कितनी जारी है और अंगद ने मुझे बताया कि आज मंगलवार है और पांच दिन बाद है । ज्यादा मैंने मुझे बाहर दोहराया । मंगलवार, मंगलवार शिफ्ट में कैसे भूल सकता हूँ या और उन्नति ने बडे अच्छे उनमें से मुझे देखा और कहा क्यों? क्या हुआ तो मैंने उसे कहा जल्दी चलो हम चलने लगे । उसने तेज चलते चलते मुझे दोबारा पहुंचने की कोशिश की कि अखिल बताओ तो सही हम कहाँ जा रहे हैं? मैंने और गति से कहा कि आज हम चलो तो सही फिर खुद ही देख लेना । हम काफी दूर तक चले । क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मैं मंगलवार को कहा जा रहा था? जी हाँ और उन्नति और मैं मंदिर के सामने दी और उन्नति ने मुझे हैरान होकर पूछा तो विश्वास करते हो क्या? भगवान मैंने उसे कहा तुम जल्दी अंदर चलो, पहले बनना खत्म हो जाएगा और उन्नति ने मुझसे कहा अरे बताओ तो सही क्या खत्म हो जाएगा? मैंने उसका हाथ पकडा और सीधा प्रसारण वाली लाइन में उसके साथ खडा हो गया और उन्नति ने कहा अरे पहले दर्शन तो कर ले फिर लेंगे प्रसाद । मैंने उससे कहा दर्शन होते रहेंगे । पहले छोले पूरी लेने । चुनाव मुझ पर हंसी बहुत तेज और झट से चुप हो गई क्योंकि हमारा नंबर आ चुका है । हम ने छोले पूरी और मैंने अरुंधति से कहा चलो पीछे एक बार के वहाँ बैठकर खाते हैं । मेरे साथ चल तो रही थी पर सवाल पर सवाल किये जा रही थी । फिर मैंने उसे बताया कि मैं हर मंगलवार यहाँ आता हूँ । छोले पूरी हनी, हम उस पर । खोवा जी मैं खुश हुआ क्योंकि इस बार भी उसकी हंसी का कारण नहीं था । हम दोनों पार्क में अंदर गए । हर रोज की तरह प्रति एक बेंच पर उस ठंड में प्रेमीजोडे खुद को गर्म रखने का प्रयास कर रहे थे । आप समझ रहे हैं ना कैसे वो अपने आप को गर्मी प्रदान कर रहे थे । हम मान परचम बंदे कर और उन्नति ने मुझे कहा राहुल कहाँ ले आए तो मुझे तुम यहाँ छोले खाने आते हुए ये सब देखने मैंने उसे कहा । नहीं नहीं पागल आॅफर बैठते हैं तो हम दोनों बैठे और छोले पुडी खाने लगे और उन्नति बगल वाली बेंच पर देखने लगी तो मैंने उसे कहा कि छोड डिस्टर्ब कर रही हूँ । मैं जरा मुस्कराई और चुपचाप खाने लगी । मैंने उसे कहा मेरा सपना था इस बेंच पर अपने साथ तुम को बढाना और गांधी ने मेरी बात करते हुए कहा कि कहीं ये जो सब कपल्स कर रहे हैं ये भी तुम्हारा सपना तो नहीं था । मैंने जी को दाद में फसा कर कहा नहीं नहीं चीज थी इतने गंदे काम ना जी ना हम ठीक है । ऐसे हमें साथ में आधे घंटे से ऊपर हो चुका था । घर जाकर पढाई भी करनी थी तो मैंने कहा और अंदर चलो । उसने कहा ठीक है चलते हैं । मैं आगे चलने लगा । उस नीचे लाया राहुल जिसका अगस्त की प्लेट पर तुमने छोले खाये थे वहाँ है । मैंने कहा वहीं पडी है तुम्हारे पीछे । उसके बाद उसने पूरे पांच मिनट का एक अच्छा लग चल दिया । स्वच्छ भारत पर मुझे तो नींद आने लगी थी तो मैंने उसे कहा तुम चुप चाप से मुझे प्लेट उठाने को भी कह सकती थी । यार, इतना पकाने की क्या जरूरत थी? उसने खासकर कहा तो नहीं सुधरोगे और ऍम में डालकर वहाँ से चलने लगे । आज पहली बार मैंने उसे उसके घर के गेट तक छोडा । थोडा ही पास है उसका घर । मेरे कैसे बस थोडा देवरी दिशा में है । उसने मुझसे बाहर से ही बताया कि वहाँ मेरा कमरा है और उस कमरे की खिडकी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वह मेरा कमरा । अंदर से तो मैं उसका कमरा नहीं देख पाया क्योंकि वह किराये का कमरा था । उस कमरे में और उम्मीद भी अकेले ही रहती थी । पूरे पांच हजार किराया था । उसका खाना भी खुद बना दे रही है । ठीक नहीं था लेकिन मैं दो हजार रुपये देकर एक छोटे से कमरे में रहता था । मैंने उसे आज जानबूझ कर चाहते वक्त अलविदा का क्योंकि मैं चाहता था कि उस की तरह आज भी मुझे डाटकर कहें, अलविदा नहीं फिर मिलेंगे और रोज की तरह आज भी उसने मुझे डांटा और कहा अलविदा नहीं ये कहूँ कि फिर मिलेंगे । आखिर में कामयाब हुआ । मैंने उसे आखिरी बार पीछे मुडकर गेट के अंदर देखा उसने हाथ हिलाकर मुझे बाइक का मैंने भी ठीक वैसा ही क्या और वहाँ से चल दिया । घर पहुंचकर पडने लगा और अंग्रेजी का फोन रात के तीन बजे आया । मैं अभी पढ ही रहा था और अंगद जी ने मुझे ये बताने को फोन किया कि अब सोचो बिना बीमार हो जाओगे क्योंकि उसे पता था कि मैं रात को पडता हूँ और मैं दिन में सोता हूँ तो शायद है । ये कोशिश थी उसकी मुझे सुधारने की । मैंने उससे कहा और रंगती मुझे तुम्हारे पास आने का मन हो रहा है और गति ने कहा तो आज मैंने हस्कर कहा पागल समझेंगे क्या बाहर देखा है कितने कडाके की ठंड पड रही है और हम दोनों हंसने लगे अपने यहाँ पर मैं खुश ताकि मैं उसके मुस्कुराने की वजह बनने में सफल हो रहा था । मैंने और उन्नति से कहा कि अब हम पूरे चार दिन बाद मिलेंगे यानी शनिवार को क्योंकि रविवार को एक जन है और हम दोनों को पढना है और उन्नति ने उस रात सुकून के साथ ले क्योंकि उसे मुझ पर विश्वास हो चुका था । उसे अब विश्वास हो गया था कि अभिषेक अभी उसके कैरियर के बीच बाधा मन कर नहीं बल्कि उसे मोटिवेट करने आएगा । उस दिन पहली बार और उन्नति ने मुझे तीन जादुई अक्षय कहें ऍम मैंने झट से फोन पर देखा, क्या कहा मुझे सुनाई नहीं दिया । उसने कहा हट बुद्धू और इतना कहकर फोन गार्ड यहाँ की थी वहाँ पर शायद मुझे अभी भी सपना लग रहा था क्योंकि इन सब बातों की मैंने अभी तक कल्पना भी नहीं की थी । मैं सोने की कोशिश कर रहा था और सोच रहा था कि मैंने अपनी और नदी के रिश्ते की शुरुआत एक बेबुनियादी छूट से की है कि मैं राहुल हूँ तो मैंने भी सोचा की मैं जल्दी उसे सब कुछ सच सच बता दूंगा कि मैं राहुल नहीं बल्कि अभिषेक और मैं कोई आम लडका नहीं बल्कि प्रताप पाँच का एकलौता वारिस और यह भी कि हम उदयपुर में कोई छोटे किराये के घर में नहीं रहते बल्कि हम प्रताप हवेली में रहते हैं जो कि पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है और अपने पापा के बारे में दिन बीते और आखिर शनिवार आ रही है । हमारा मिलने का समय तय हूँ और इस बार और उन्नति ने साफ साफ कहा की तो उस की तरह देर मत करना तो मैंने आज पूरी कोशिश की की मैं आज सटीक समय पर पहुंच आज मैं सही समय पर तैयार । पर मैंने जानबूझ कर लेट कि ताकि आज भी और उन्नति मुझ पर चलाए क्योंकि मुझे बडा अच्छा लगता था जब मुझे डाइटिंग रोज की तरह में पांच मिनट लेट ऍम के मुताबिक वही हुआ है और उन्नति ने मुझसे कहा कि तुम कब सुधरोगे रोज लेट हो जाते हो । उसने कहा कि उन्हें एक दिन देखा हूँ ना मैं मंद मंद मुस्कराया और कहा । धन्यवाद धन्यवाद और उन्नति ने पागलो की तरह जोर जोर से हंसते हुए कहा अरे बुद्धू, मैंने कहा कि हम आज बहुत दिनों बाद मिल रहे हैं । हम दोनों हस्ते हस्ते वहाँ से चल पडे । सच में आज मानो उस से बात करके सुकून सा मिल रहा हूँ । भले ही हम पूरे तीन दिन बाद मिले थे और कल हमारा नीट का एग्जाम था । हम दोनों डर रहे थे क्योंकि कल पेपर कैसा होगा? पूरे एक साल की तैयारी के बाद कल हमारा आखिरी इम्तेहान था । कल के बाद हम दोनों चिंता मुक्त होने वाले थे । ना ही कोचिंग की टेंशन नहीं पढाई की क्योंकि कल के एक्जाम पर सब निर्भर करता था । हम दोनों ने आपस में यही बात की । कल क्या होगा, कैसा होगा और अंदर तो कुछ ज्यादा ही डर रही थी । मैंने उससे कहा कि तुम तो वैसे भी टॉपर हो तो मैं क्या डर की बात मेरी बात बीच में नकार देती क्योंकि वह वाकई में आज बहुत चिंतित थे और मैं कुछ भी नहीं कर सकता था क्योंकि मैं भी खुद डर रहा था । जिंदगी कल से एक नए छोड में होगी । आधे घंटे बाद मैंने उसे उसके घर तक छोडा और वहाँ से आ गया । मैं खुश था क्योंकि अब मैं भी उस की चिंता करने लगा था । हर रोज मैं उसे घर के गेट तक छोडने जाता । अभी मैं घर में था और इसी बारे में सोच रहा था कि कल क्या होगा । मैंने पूरी तरह कल के एग्जाम के लिए पूरी ईमानदारी से मेहनत की थी । मैंने रात रात भर जाग कर पढाई की थी । तभी और उन्नति का फोन आया । मैंने फोन उठाया तो उसने मुझे बताया कि उसे कल के एग्जाम को लेकर बहुत डर लग रहा है । उसने आज खाना भी नहीं खाया था । फिर मैंने उससे कहा कि खाना खा लो क्योंकि टेंशन लेकर कोई फायदा नहीं । फिर मैंने उसे गुडनाइट कहा और हम दोनों सो गए । सुबह उसका फोन आया । मैं सो रहा था तो उसने शुभ प्रभावों का मैंने गाडी में देखा तो घडी के सात बज रहे थे जबकि हमारा पेपर नौ बजे शुरू होने वाला था । उसने मुझसे कहा कि तैयार हो जाओ । थोडी देर बाद मिलने वाले हैं और उसने कहा कि एग्जाम सेंटर पहुंचकर अभी अपनी सीट भी ढूंढनी । ठीक दस मिनट बाधा मिलेंगे । हम पेपर देने जा ही रहे थे । हम दोनों का एग्जाम सेंटर अलग अलग स्कूल में था । हम दोनों ने बस पकडी । बस में बहुत ज्यादा भीड । मैंने बस रुकवाकर उसे भी नहीं बता रहा हूँ और मुझे सोचती है कि क्या हुआ । अभी तो हमारे एग्जाम सेंटर नहीं आया । मैं उसका हाथ पकडकर उसे आगे की ओर ले गया । वह पूछना चाह रही थी कि हम कहाँ जा रहे हैं और मैं खामोश था । करीब तीस कदम चलने के बाद मैं उसे चर्च ले गया क्योंकि आज संडे था और मैं कभी किसी भी संडे चर्च जाना नहीं बोलता हूँ । मैंने चल जाकर उसका हाथ पकडकर जीजस क्राइस्ट प्रार्थना की । फिर हम वहाँ से बाहर आ गए पर उसकी आंखें पीछे मुड मुडकर अभी भी चर्च को देख रही थी और वहाँ मुझे चके थी । मैंने उसकी सारी उलझनों को दूर करते हुए उसे बताया कि मैं हर संडे आता हूँ तो मैं भी मेरे साथ हो की शायद यही की दुआ करता हूँ । उसने कहा कि परिश्रम मंगलवार को से लगा था कि मुझे बडा नासिक कोई नहीं संसार में और उसने बताया कि उसे मुझ पर करते है तो हमारे पास समय नहीं था । उसका एग्जाम सेंटर मुझे थोडी दूरी पर था तो उसे छोडकर में आपने एग्जाम सेंटर पहुंचा । हालांकि उस ने मुझसे कहा कि वो अकेले चली जाएगी और मैंने जबरदस्ती की और उसे उसके स्कूल के गेट तक छोडा ।
Writer
Sound Engineer