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Five is Not Just a Number - Part 8 in Hindi

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AuthorAbhishek Thapliyal
सुनिए मेरी प्यार की कहानी कैसे मैं एक आज घराने का लड़का अपने प्यार को पाने में क्या-क्या मुश्किलों से गुजरता हूँ, सुनिए पूरी कहानी| Author : Abhishek Thapliyal Voiceover Artist : Navneet Atul
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उसके नाम के अर्थ के समान ही चमक ना उसकी फितरा थी । मैं दूसरे दिन का बडी बेसब्री से इंतजार करने लगा कि कम आज का दिन काटे और कब कोचिंग जाकर मैं उसे सौरी कहूँ तो समय आज भी बलवान था । किसी तरह रात आई और दूसरे दिन मैं कोचिंग गया तो फिर उस की तरह मान दरवाजे पर पहुंचा हूँ । फॅमिली से एक बडे आंख वाली लडकी आज भी रोज की तरह पढ रही थी । मुझे कोई लंबा नहीं हुआ उसको देखकर क्योंकि रोज ही ऐसी होती थी । आज कोचिंग की दिनचर्या में एक ऑल परिवर्तन था । मैंने पूरी कोचिंग में आज उसको नहीं देखा क्योंकि मुझे पता था कि जरूरत औकात से बाहर है हूँ । हाँ उतने फैला हुआ है जितनी खुद की चादर हूँ । छुट्टी हुई और अभी रोज की तरह एक परिवर्तन । मैं बस्ता उठाकर भागा नहीं बल्कि क्लास में तब तक रुका जब तक कि सारे बच्चे बाहर न चले गए और उन्नति भी बाहर जाने लगे । मैंने उसके पास जाकर एक लडका ऍम उसने प्यार से कहा कि क्यों राहुल सॉरी जो असल में इस बात का जवाब मेरे पास भी नहीं था कि मैं उसे क्यों ही कह रहा हूँ । तो मैं वहाँ से चल दिया । बस्ता उठाकर घर को मैंने पीछे नहीं देखा कि वहाँ कैसी है, उसकी क्या प्रतिक्रिया है । सच कहूँ तो हिम्मत ही नहीं हुई, देखना चाहता था और फिर ध्यान आया कि जरूरत औकात से बाहर है । बहुत नहीं फैलाओ, जितनी की चादर तो वहाँ से चल दिया और घर पहुंचकर ही सांसी । मैं अभी भी और उन्नति के बारे में सोच रहा था और मैंने सोचना बंद किया । इसलिए नहीं की जरूरत औकात से बाहर है और पाओ नहीं फैलाओ । जितनी लंबी चादर हूँ बल्कि इसलिए कि नीट की परीक्षा ठीक एक महीने बाद होने वाली थी । हालांकि मेरी तैयारी पूरी थी और मैं और मेहनत करना चाहता था तो पढने में जुड गया । कोचिंग में सिलेबस पूरा हो चुका था । आज से ज्यादा लोग तो कोचिंग आती भी नहीं थे क्योंकि वाकई में सब टाइम पास चल रहा था । कोचिंग में पढाई नहीं हो रही थी । सभी बच्चे घर पर ही पढते थे । हमें कोचिंग से भी आदेश आ गए थे कि आप की इच्छा है । यदि आप कोचिंग जाना चाहते हैं तो आइए वरना घर पर ही मेहनत करेंगे तो आधा कोचिंग खाली हो गया था और मैं फिर भी दूसरे तीसरे दिन कोचिंग गया और उन्नति भी । रोज कोचिंग आती थी और मैंने भी अब मन बना लिया था की अब मैं भी नहीं आऊंगा । कुछ क्योंकि कुछ खास हो नहीं रहा था, कोचिंग में जाना चाहता था तो मैंने यह तय किया कि अब आज से पांच दिन बाद आऊंगा और वहाँ भी इसलिए कि मैं अपने कोचिंग की आदेश समेट कर ले जाना चाहता था । तो बस एक दिन बहुत था । उसके लिए मैंने कोचिंग जाना बंद कर दिया और घर पर ही पडने लगा । पर घर पर कुछ मन नहीं लग रहा था क्योंकि और अंदर भले ही मेरी पहुंचे बाहर थी । पर असल में पहला प्यार तो वही थी ना मेरा चाहे वो कितनी भी अच्छी क्यों ना हो, चाहे उसने मेरा प्रपोजल ठुकरा ही दिया था । पर असल में तो मैंने प्यार उसी से किया था । चाहे मुझे पता होगी और अंगद को कितने लोगों ने सम्मानित किया । भले ही गूगल पर हूँ लेकिन मैंने तो एक ऐसी लडकी से प्यार किया था ना जो मासूम थी । इसकी बडी बडी आखे थी भी रंगवाल थे । मैंने से और उन्नति से प्यार किया था । सौदा मैं तब करता यदि में ये सब जानने के बाद उस से प्यार करता हूँ । ये सारी बात मेरे दिमाग में चल रही थी । पांच दिन बाद मैंने घर में रात को सोचा, कल मैं कोचिंग जाऊंगा और आखिरी बार और उन्नति को जी भर कर दे होगा क्योंकि पूरी जिंदगी भर मैंने अब उसके बिना ही गुजारनी क्योंकि मैं उसके लायक नहीं था और उसके बाद वैसे बीमा मुझे नहीं दिखेगी और उस रात मैंने एक फ्रैंड लिया । मुझे मालूम था कि कल के बाद मैं कभी कोचिंग नहीं हूँ क्योंकि कोचिंग पूरी हो चुकी थी और मैंने यह क्या कि भले ही और उन्नति मुझसे बिझड जाए फिर भी मैं उसे उतना ही प्यार करूंगा जितना करता हूँ । मैं जानता था कि वह बडी बडी आंखें वहाँ बार मुझे कल से नहीं देखेंगे पर मैं उस से दूर रहकर भी उतनी ही मोहब्बत करूंगा जितने की अभी करता हूँ । सुबह मैं कोचिंग के लिए तैयार हो रहा था । आज कुछ अजीब लगता है क्योंकि मैं कल से कोचिंग के लिए तैयार नहीं होगा । मैंने उस दिन घर से लेकर कोचिंग तक के रास्ते के एक एक कदम को मना । मेरे घर से मैं कोचिंग के गेट पर पहुंचा, गेट से आगे बढा और आज मैंने अपने मेन गेट से अपनी कक्षा तक की सीढियां नहीं पूरी तेरह सीढियाँ नहीं अभी मैं अपने दरवाजे पर ही खडा था । रोज की तरह मैंने सबसे पहले नजर क्लास की आखिरी बेंच पर मारे । एक बडी आंखों वाली लडकी वो वहीँ बैठी थी । इसके फाॅलो हवा में लहरा रहे हैं । करीब परिवर्तन था उसमें किताब में नहीं देख रही थी बल्कि गेट पर खडी शक्कर यानि मुझे देख रही थी तो मुझे काम था इस बात कहा की मैं कोचिंग की चौखट पर आखिरी बार खडा हूँ क्योंकि यही जगह थी जहां से मेरी नजर सबसे पहले और अंदर जी को ढूंढती थी कि हमें ये बताना भूल गया की और ऍम मुझे देख रही थी । आज मैंने नजर नहीं चुकाई और थोडा उसे देखा हूँ और अपनी सीट पर आ गया । आज में नजर झुकाकर बेंच पर देख रहा था इसलिए नहीं कि वहाँ पर मेरी दिलरुबा दी बल्कि इसलिए कि रोज में उसे वहीं पर से देखा करता था और आज मेरा कोचिंग में अंतिम दिन था । ऐसा लग रहा था कि मानो एक महीना महीना हुआ हूँ । कोचिंग हूँ । एक साल हो चुके थे । ऐसा लग रहा था कि मेरी कोचिंग में आज पहला दे हैं और मेरा कोचिंग में अंतिम दिन था । मैंने अपनी क्लास की एक एक बेंच को निहारा । आपने ब्लैकबोर्ड को ध्यान से देखा क्योंकि कल सभी आज बन कर रह जाएगा । मुझे मालूम था मेरी कोचिंग के दोस्त अजय, शुभम, रजत करोड सभी के साथ में यादे बना रहा था क्योंकि कल सब याद मन कर ही तो रह जाएगा । इंटरवल में आज मैंने सभी दोस्तों को पार्टी भी दी क्योंकि मुझे पता था कि ये लास्ट पार्टी हैं । अपने मित्रों के साथ बाहर कैंटीन से वहाँ पेड भी देखा जहाँ से मैं रोज और अंदर जी को निहारा करता था । इंटरवल खत्म हुआ । हम सभी ऊपर कोचिंग में क्लास रूम में गए । मुझे अभी भी याद था कोचिंग में की गई मस्ती हर एक चीज आती है । मानव काली की तो बात हो । वक्त पंख लगाकर उड गया था । छुट्टी की वह घंटी बजी और मेरी आंखों से एक आंसू टपका क्योंकि मैं जा रहा था कोचिंग से दूर और और गति से दूर एक बार उसे देखा मैंने । ऐसा लग रहा था कि जिस दिन मेरा कोचिंग में पहला दिन था उसी भाव से मैंने उसे आज देखा । हर रोज की तरह वो आज भी ऍम ऍम मुझे भी देख रही थी । शायद उसे पता चल चुका था कि राहुल का आज लास्ट दिन है पर क्या असर पडता है । मैं चल दिया कोचिंग की सीढियों से नीचे उतरने लगा ऍम गेटकीपर अंकल को नमस्ते किया क्योंकि वो मेरा आखिरी नमस्ते था कोचिंग को भी और अंकल को मैंने मेन गेट से वहाँ पे देखा । बडी यादें जुडी हैं । उस पेड के साथ अभी भी मानव ऐसा लगा कि मैं उसके पीछे छुपकर और अंदर को देख रहा हूँ । घर की ओर जाने लगा हूँ अभी पीछे ऍम राहुल हो, एक ही झटके में पीछे देखो कौन थी? कौन थी? कौन थी? हाँ याद आया और उन्नति की एकमात्र दोस्त जिसके साथ अक्सर रहा करती थी सरस्वती नाम था उसका मेरे पास आई और कहा और अंगद ने कहा है कि कल शाम को पांच बजे कोचिंग गेट के बाहर मिल जा रहा हूँ । क्या था या फिर क्या था कुछ बाकी रह गया था क्या भी? मैंने सावित्री को ठीक उस की ही तरह जवाब दिया जैसा उसने मुझे दिया था । मैंने कहा बताओ अभी बताऊँ शायद कल मैं ना हूँ । तो सावित्री ने मुझसे कहा कि जरूरी बात करनी है तो मैंने उस की ही तरह हामी भरते हैं । आज मेरे भीतर कोई भी सवाल जवाब नहीं चल रहे थे । पता नहीं क्यूँ ऐसी क्या बात करनी थी । ऐसा क्या कहना था की जैसे मुझे क्योंकि मुझे मालूम था कि जरूरत औकात से बाहर है, पाऊँ नहीं फैलाओ । जितनी चादर हूँ । मैंने सरस्वती को कहा ठीक है मैं कोशिश करूंगा नहीं । सरस्वती को कोशिश करूंगा । बात कहकर मैं वहाँ से चल दिया । मैंने पूरी रात भर यही बात सोची कि आखिर और उन को भला अब क्या बात करनी है । वहाँ भी कल शाम छह बजे और मेरे आगे भी बहुत बडा प्रश्न था कि क्या मुझे जाना चाहिए? पूरी रात भर मैंने यही सोचा कि क्या करूँ? आखिर क्या जरूरी बात करनी है उसे । आखिर में मैंने भी मन बनाया हो गया कि मैं कल जाऊंगा । दूसरे दिन की सुबह हुई । अब तो मैंने कोचिंग जाना भी बंद कर दिया था तो पूरे दिन भर पढाई की क्योंकि नीट को एक महीने से कम का समय था । दिन गुजरात और आखिर घडी के पांच बजे और एक घंटे बाद और उन्नति को मिलने के लिए कोचिंग के गेर पड जाने वाला था । मैंने ठीक उसी तरह नहीं आयेगी जैसे उस दिन की थी जब मैं अंदर जी को पहली बार प्रोपोज करने के लिए जाने वाला था । आज भी मौसम कमाल का था । बस आज उस दिन के मुकाबले थोडा ज्यादा ठण्ड नहीं और आज अंधेरा भी ज्यादा था । आसमान में फॅर रहे थे । चंद कुछ खास दिख नहीं रहा था । शायद बादलों के बीच चल गया था हूँ । उस दिन की ही तरह ठीक आज भी मैंने मसला डाला और जूते पहले और एक जैकेट पहनी । हालांकि आज जैकेट दूसरा था और जूते भी दूसरे सामने शीशे पर देखा तो आज मैंने बालों पर हाथ नहीं क्योंकि मैं ठंड के कारण टोपी पहनने वाला था हूँ । तभी हड्डी में पांच बजे मैंने जल्दी जल्दी टोपी पहनी और मैं दरवाजा लगाकर बाहर को भाग क्योंकि मैं आज लेट नहीं होना चाहता था तभी आ जाएँ । अपने भाई सुमेश की बात की पर हूँ । मैं फिर से घर की तरफ होगा और ऍम और फटाफट में दरवाजा लगाकर चल दिया । आज मेरे भीतर कुछ बातें नहीं चल रही थी क्योंकि आज उसे मुझ से कुछ बात करनी थी । तभी मैं कोचिंग पहुंचा । तेज कदम रखते हुए उस पेड के पास गया । क्या वहाँ रहती थी, वहाँ पढती थी । आज भी वह मुझ से पहले पहुंच चुकी नहीं । हम दोनों ने एक दूसरे को देखा हूँ पर उस की ही तरह आज ही मेरी आंखें और मुंह दोनों खोलेंगे क्योंकि मैंने धीमे सर में कहा मैं आज फिर से लेट हो गया, हमेशा देर कर देता हूँ । उसने मुझे बताया कि पूरे पांच मिनट लेट हो तो मुझे मैंने फिर से कहा सारी मैंने अपनी बात शुरू की की क्या हुआ? रंगती कोई बात है क्या? और मैंने उसे ये भी कहा कि परसों के लिए सौरी और बेटी ने अपनी कातिलाना निगाहें मेरी आंखों में रखी और तुम क्यों इतना सॉरी बोल रहे हो । और इसी बात में उस ने ये भी कहा कि थैंक्स की मैंने तो यहाँ बुलाया और तो आप भी गए पर तुम्हारी तरह में तुम्हारे लिए चॉकलेट नहीं लाये क्योंकि मेरा बड्डे अभी पूरे एक महीने बाद मुस्कराया और कहा अरे चॉकलेट तो परसों एक बहाना था तुमसे मिलने का और नदी ने मुझसे कहा कि तुम कबसे छोड रहे हैं कुछ । मैंने उसे बताया कि मैं ऑलरेडी कोचिंग छोड चुका हूँ । उसने कहा हो और मुझसे कहा कि ठीक किया वैसे भी कुछ खास नहीं हो रहा था कोचिंग अरुंधति ने मुझसे कहा कि सारी औपचारिकताओं को छोडो और उसने बडे ही प्यार से मुझे कहा कि राहुल पता है आज तक बहुत सारे लडको ने मुझे अपने दिल की बात कही है तो तुम भी उनमें से एक हो और तुम्हारी तरह मैंने सभी का प्रस्ताव तो कराया है । मुझे तो यह भी पता नहीं कि ऐसा क्या है मुझे कि लोग मुझे इतना पसंद करते हैं । प्रशांत था मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये मुझ से पूछ रहे हैं बता रही है । उसने कहा लेकिन उन लडकों की तरह कुछ बात तो है तो मैं हूँ । मैंने घर जाकर बहुत सोचा तुम्हारे बारे में बात आधी थी । मैं थोडा सा मुस्कराया और मुझे बीच में ही टोककर बडे प्यार से कहा तो भाई मुस्कराते हूँ शायद उसका मतलब ये था कि अच्छा मुस्कुरा लेते हो । मैंने भी धन्यवाद का और कहा कि उदास लोगों की मुस्कुराहट ही सबसे अच्छी होती है । वहाँ भी मुस्कुराये और मुझसे कहा कि राहुल एक बात है तो मैं तुम्हारी दोस्त बनना चाहती हूँ । बस इस बात को कहने के लिए मैंने तुमको यहाँ बनाया है । आज जब तो कोचिंग में नहीं आए तो मुझे खराब लगा क्योंकि आज कोई था ही नहीं क्लास में जो मुझे लेक्चर के बीच बीच में बार बार मोड कर देख रहा हूँ । और आज किसी ने छुट्टी के बाद जिस पेड के नीचे अभी खडे हैं उसके पीछे से छिप छिप कर भी नहीं देखा मुझे मैं ये सब सुनकर चकित रह गया । इसलिए नहीं कि उसने मुझे फ्रेंडशिप रिपोर्ट किया बल्कि इसलिए कि उसे पता चल चुका था । सब कुछ यहाँ तक की ये भी की छुट्टी के बाद में उसे इस पेड के पीछे छिप छिपकर देखता हूँ । तो मैंने उससे पूछा कि तुम्हें पता चल गया है क्या की मैं तो मैं कैसे फॉलो करता हूँ । उसने मुझसे कहा यहाँ कब का पता है मुझको हूँ होता उडाने को आई थी उससे कई पहले का पता है मुझे मैंने आंखे बंद की और आसमान की तरफ हस्कर देखा । हरमन में सोचा अब उनकी तो वाट लग गई । उसने कहा कि क्या मुझसे दोस्ती करोगे? इस बार मैंने उसे साफ मना कर दिया कि नहीं? दोस्ती नहीं मैं तो मैं बिहार करता हूँ । मैं सिर्फ तुम्हारा दोस्त नहीं हूँ । मेरे अंदर मैं तुमको एक बडी जगह देख चुका हूँ । अगर तुम मेरे साथ रिलेशनशिप में रह सकती हूँ, ठीक है पर ये दोस्ती वगैरह मुझसे नहीं होगा । जैसे साथ में ये बात भी कहीं मैंने की वैसे रहने दो क्योंकि मैं तुम्हारे बिना रहने की आदत डाल चुका हूँ । अब तो मैं तो भूलने की कोशिश कर रहा हूँ और शायद किसी हद तक कामयाब होता भी दिख रहा हूँ । मैंने उससे कहा कि हमारा वैसे भी कोई जोड नहीं तो कहाँ? टेंट में नाइंटी फाइव पॉइंट फाइव प्रतिशत पली टॉपर और कहाँ मैं बहत्तर वाला हारा हुआ इंसान तो मैंने उसे कहा कि तुम कहाँ बारवी में राजस्थान टॉपर और मैं सिक्सटी नाइन वाला लडका और कहा कि वैसे गलती मेरी ही है । बिना पूरी सच्चाई जाने तो उसे दिल लगा बैठा और इस पागल दिल का क्या है? आज यहाँ तो कल वहाँ उसने मुझे कहा की कितनी आसानी से कह दिया तो उन्हें कि मैं तो मैं बोलने की कोशिश कर रहा हूँ और किसी हद तक कामयाबी हो रहा हूँ कितनी आसानी से राहुल पर? मैं तो मैं कैसे भूल जाऊँ? सच बात तो ये है युवा, स्वीट और नदी ने मुझसे यह भी कहा कि परसों तुम्हारे प्रपोजल को ठुकरा देने के बाद मुझे पूरी रात नहीं नहीं आई मुझे बस तो नहीं तुम दिखाई दिए । उसने मुझसे कहा कि वादा करो राहुल कभी अकेला नहीं छोडेंगे मुझे उसने कुछ कहा । अमित उनको भाषणबाजी तुम्हें कि हम आके बालू वाशियों मैं शांत था एकदम शांत तो बिल्कुल शांत और मुझे कुछ समझ नहीं आया । मैंने हर बार की तरह इस बार भी धन्यवाद का । उसने कहा बुद्धू आदमी तो उनको भालू वासी तो मैं कि आम के बालो वासियों का मतलब होता है कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ ऍम

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Sound Engineer

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