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आप सुन रहे हैं । फॅमिली कहानी का नाम है फाॅरेस्ट नंबर जैसे लिखा है अभिषेक खाप लिया लिया और मैं हूँ नवनीता तुम ऍम जो मन चाहे फाॅर मेरा आगे का सफर आखिर मेरी ट्रेनिंग उदयपुर हरिद्वार एक्सप्रेस जल्दी चालीस किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से मेरी मंजिल की होगी । कुछ समय बाद मेरा उदयपुर पीछे छूट रहा था । लगभग दस मिनट में हम महाराणा प्रताप नगर में थे जो कि ट्रेन का पहला स्टेशन भी था । ऍम हुई यात्रीगण कृप्या ध्यान दें । हम उदयपुर सिटी स्टेशन से महाराणा प्रताप नगर स्टेशन पहुंच चुके हैं । स्टेशन पर रुकने की समय सीमा केवल दो मिनट धन्यवाद और तभी मेरी बगल की सीट पर एक विवाहित जोडा है । उनके पास दो छोटे बच्चे भी थे । मैंने उन्हें नजरअंदाज करते हुए देखी के बाहर स्टेशन की ओर देख सतरें चल पडी थी हूँ । स्टेशन के बाहर लगे टी स्टॉल पर अन्य लोग पीछे छोटे जा रहे थे । विवाहित जोडे में से अंकल ने मुझसे पूछा कैसे हो छोटे राजा क्योंकि पूरा उदयपुर मुझे इसी नाम से जानता था । मैंने प्रति उत्तर दिया जी ठीक है इस बार आंटी ने मुझसे पूछा कहाँ जा रहे हो? छोटे राजा मैंने कुछ दिलचस्पी ना दिखाते हुए कहा, जी हरिद्वार और आप आंटी ने जवाब देते हुए कहा छोटे राजा हम शिमला जा रहे हैं, हमारा घर वहीं है बच्चों की स्कूल की छुट्टी थी तो सोचा दो दिन गांव हूँ मैं । वैसे मैंने उनकी बात करते हुए कहा जी मैं भी शिमला ही जा रहा हूँ, अब आगे की पढाई वहीं करूंगा । शिमला की नहीं रहूंगा तो मुझे एक रूम की जरूरत है । क्या आप मेरी मदद करेंगे? रूम ढूंढने में तीस अंकल ने मुझसे कहा प्लीज कहकर हमें शर्मिंदा न करें । छोटे राजा आप राज परिवार से हैं और बात रही रूम की तो हमारा एक कमरा तो है वैसे किराये पर देने के लिए । पर वहाँ कमरा आपके लायक नहीं । मैं कोई अच्छा कमरा । मैंने उनकी बात काटते हुए कहा जी मैं वहीं रह लूंगा । एक ही साल की तुमने अनंतर मैं रहूंगा कहाँ? इस बात से मैं चिंता मत हो चुका था और मैं बस अब अपने सफर का आनंद ले रहा था । और मजे की बात तो ये थी कि मैं इस सफर पर अब अकेला नहीं था । मैंने अंकल आंटी से कहा की कृप्या करके आप मुझे छोटे राजा कहकर ना बोला था क्योंकि नए शहर में मैं एक नई शुरुआत करना चाहता हूँ । मैं अपनी स्वयं की एक पहचान बनाना चाहता हूँ था । मैं एक राजस्थानी राजवंश परिवार का हूँ । इस बात की किसी को नए शहर में भनक तक नहीं लगनी चाहिए और वास्तव में तो मैं नए शहर में एक आम जीवन यापन करने वाला था । उसने शहर में मैं अभिषेक नहीं बल्कि राहुल देखो । अब सुबह के सात बज चुके थे । रामपुर मनिहरन स्टेशन पर ट्रेन रुकी । पांच मिनट बाद फिर से जल्दी अब बाहर पूरी तरह से अंधेरा हट चुका था । इसके बाद हम तीन आठ बज के तिरालीस पर रुडकी जंक्शन पर पहुंचे । कल दोपहर से लेकर अभी आठ बज के तिरालीस तक हम पूरे नौ सौ पैंतीस किलोमीटर का फासला तय कर चुके हैं और अंत में हम दस बजे हरिद्वार पहुंचे तो ट्रेन से उतरे हम पांच यानी मैं ॅ और उनके दो बच्चे हैं । हरिद्वार से उत्तराखंड परिवहन निगम की बस से सीधा शिमला के लिए रवाना हो गए । मैं डाल देता हूँ कि पहाडी ड्राइवरों की जो इतनी ऊंचाई पर भी सारा नहीं चाहते हैं और बडी आत्मविश्वास से बस चलाते हैं, मेरी तो जान मानव गले तक आ रखी हो । अनंतर सुंदर वादियों के बीच से गुजरते हुए हम शिमला के अंतिम पडाव पर पहुंचे । अब हम शिमला में थे और जिसमें स्टेशन से हम उतरे । अंकल ने बताया कि बेटा इस जगह को टूटीकंडी के नाम से जाना जाता है । शिमला की सुन्दरता एक का एक मैंने चारों और नजर मारी । हाँ, कितना सुंदर है? शिमला मेरे मुंह से निकला और वाकई मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं इतनी सुंदर जगह पर था क्योंकि मेरे चारों तरफ की वादियाँ मानव सफेद बर्फ रूपी चादरों से अच्छा देता हूँ । हर जगह का नजारा सफेद ही था । छह । इलाज इतना सुन्दर मैंने फोटो पर देखा था । वह उसे लाख गुना ज्यादा शानदार भी था । मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था कि वास्तव में यदि धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो वह शिमला में है । अंकल आंटी के घर तक पहुंचने के लिए हमने एक टैक्सी । अगले कुछ दस से पंद्रह घंटों में हम अंकल आंटी के घर के गेट के नीचे थे, पर हम ऊपर आएगा और अंकल नहीं । मुझे मेरा कमरा दिखाएगा, क्योंकि देखने में छोटा जरूर था । मेरे लिए पर्याप्त । उसमें छोटा किचन भी था । मुझे कमरा पसंद है । मैंने अंकल को कहा मुझे कुछ जरूरी सामान लेने हैं की जान के लिए तो क्या मेरी मदद करेंगे । बाजार से सामान जुटाने में तो अंकल और मैच चल दिए बाजार की तरफ । मैं अभी भी रास्तों पर गिरी बर्फ और वहाँ की सुंदरता को ही देख रहा था । हमने कुछ जरूरी वस्तुएं जुटाई और वापस आ गया । वापस आते हुए रास्ते में मेरी नजर सडक के बाईं और स्थित एक सुंदर जगह पर गई जहाँ पर एक बोर्ड लगा था और उस पर जो लिखा था उसे देखकर मेरी आंखें खुली की खुली रह गए क्योंकि उस पर मेरे कोचिंग सेंटर का नाम लिखा था । सोचा लगे हाथों अंदर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन और फीस वगैरह भी भर आता हूँ । तो अंकल और मैं अंदर चलेगा । हमने कोचिंग के प्रबन्धक महोदय से कोचिंग के संबंध में कुछ अन्य जानकारियां नहीं । सर ने मुझसे कहा बेटा कहाँ से हो और आपके पिता क्या करते हैं? तभी मुझे अपने से किया वायदा एक याद आया कि मैं अपनी वास्तविक पहचान छिपाकर रखने वाला हूँ तो मैंने झूठ झूठ कह दिया की मैं राजस्थान के बहुत छोटे गांव से आया । मेरे पापा दुकानदार है और मेरा नाम राहुल करने का बेटा । अब कल से कोचिंग आज क्योंकि कल से ही एक नया बात शुरू हो रहा है, आप कल से रूम नंबर वन में बैठ जाना और सारी औपचारिकताओं को निभाते हुए मैं और अंकल वहाँ से आ गए । अंकल ने मुझसे कहा कि तुम ने अंदर छोटों का कि तुम्हारे पिता जी एक । मैंने उनकी बात करते हुए कहा कि अंकल मैंने आपको बताया था ना ट्रेन में कि मैं अपनी पहचान किसी को नहीं बताऊँगा और हम वापस घर आ गए । मैं ये जानकर खुश था कि मेरे कमरे से मेरी कोचिंग की दूरी कुछ भी नहीं थे । मेरा कमरा शिमला शहर के बीचोंबीच हिम नगर जगह था । मैंने अपने कमरे को ठीक से सुसज्जित किया और अब रात हो चुकी थी । मैंने पापा को फोन किया की पापा मैं ठीक से पहुंच गया था पर मुझे रहने को एक कमरा भी मिल गया । मैंने उन्हें बताया कि एक अंकल मिल गए थे ट्रेन में जो कि शिमला कही उन्हीं की मदद से रहने को कमरा भी मिल गया और कोचिंग में भी बात कर ली है और क्लास भी कल से शुरू होने वाली है । पापा ने कहा शाहबाज मेरे शेयर अब हम बडे हो गया । वैसे तुम्हारी कोचिंग कितनी दूर है नहीं तो एक गाडी खरीद लेना । वैसे मैं चाहता तो मैं खरीद सकता था किन्तु मैं एक आम जीवन जीने वाला था तो मैंने पापा को साफ मना कर दिया । मैंने कुछ समय बाद फोन रख दिया । मुझे कल सुबह आठ बजे कोचिंग जाना था । मैं सोच रहा था कि सबकुछ कितनी जल्दी हो गया । मुझे शिमला में रहने को एक कमरा भी मिल गया और मेरी कोचिंग में भी बात हो गई । खैर हो गया और सभा कोचिंग चल रही है ।
Writer
Sound Engineer