फुंकसिंह, शंकर, रूपा डाकू हैं और अब अपने इस जीवन को अलविदा कह कर अपने जीवन की नई शुरूआत करना चाहते हैं। डाकुओं की मन:स्थिति, उनके प्रति सरकारी अधिकारियों का दृष्टिकोण और लालफीताशाही इनके बीच संघर्ष करते एक आदमी के आत्मविश्वास की कहानी है दिवास्पन।Read More
फुंकसिंह, शंकर, रूपा डाकू हैं और अब अपने इस जीवन को अलविदा कह कर अपने जीवन की नई शुरूआत करना चाहते हैं। डाकुओं की मन:स्थिति, उनके प्रति सरकारी अधिकारियों का दृष्टिकोण और लालफीताशाही इनके बीच संघर्ष करते एक आदमी के आत्मविश्वास की कहानी है दिवास्पन।