Made with  in India

Buy PremiumBuy CoinsDownload Kuku FM
10-मुट्ठी भर धूप -मीरा in  |  Audio book and podcasts

10-मुट्ठी भर धूप -मीरा

334Listens
Buy Now
वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
Read More
Transcript
View transcript

और ऍम के समय के मुताबिक सुबह साढे सात बजे मैं पूरी पहुंची । फ्लाइट के दौरान में एक पल के लिए भी नहीं हो चुकी थी । किसी कमर्शियल ब्रेक के बना मैं साढे आठ घंटे तक बस चीज के बारे में नहीं दे रहे हैं । मैं एयरपोर्ट से बाहर निकली तो बेहतरीन छूट में आॅफर को देखा था तो मेरे नाम की तख्ती लिए खडा था ना उसके पास गई और बताया कि मैं हूँ तो मुश्किल है और मुझे होगा जब तक जितनी कार लेकर आ जाएंगे । ऍम आबोहवा की कुछ ही अलग ऍम और मैं मदहोश होने लगे । मैं सोच रही थी कि ये हवा है यहाँ का थी कि मैं ॅ जाने भी ढाई घंटे लगने वाले थे और तब जाकर मैं भी समझ सकते हैं ऍम अच्छा काम किया था उसने लेवॅल अपने कार को एयरपोर्ट की कार पास से निकालने के बाद इंटर लेकिन जाने वाले हाइवे की तरफ मोड दिया । सर्दियाँ आने वाली थी और देख रही थी कि पेडों के अलग अलग में चले जा रहे थे । मैं सोच रही थी की पत्तियों के करने से क्या मेरे को तकलीफ खाती हूँ । मैं भी सोच रही थी पिचर जी मेरी संपत्ति ॅ तो मुझे तकलीफ का ख्याल क्यों आ रहा था? बाहर का नजारा जब हरी भरी वादियों और हिंदी में बदलने लगा तब मेरे मन में कुछ हफ्ते पहले की बातें आने लगी । ऍम इसके लिए मीरा ने चलना मूल्य दिया है और सच में उसका हाथ ही चली गई थी । क्या वो उसे भी कर रहे हैं की दिल्ली बराबर । सच में अक्षय कुछ जल्दी ही इस बारे में पता चल गया और एक सुबह नाश्ते पर उसने मुझसे पूछताछ शुरू कर दी । मीरा तो किसी को डेट कर रही हूँ । अंडे की भुर्जी और प्रोटीन शेक के बीच अक्षय पूछा मैं आगे जागी, आधी सोई हुई थी । उस मजा किरकिरा करने वाली पार्टी और कॉफी शॉप की जबरदस्त बातचीत के बाद वीर और मेरे बीच उन पर हर रात बात होती थी । सारे सारे उसे जानने के लिए पूरी जिंदगी पडी थी । सच कहूँ तो ये तरह से एडिटिंग नहीं है । मैंने लडखडाते मैं कहा पूरी तरह से मीटिंग का क्या मतलब है? अब चैनल चलना बंद कर दिया ऍसे दो बार मिलेगा । मैंने ज्यादा दिलचस्पी ना दिखाने की कोशिश की और और क्या ऍम वो दिल्ली का है । वो ऍम गुस्साएं पक्षी की पूछताछ चेंज हो चुकी थी हूँ हूँ तो प्यार हो गया है । अक्षय कहाँ ऍम मैंने कुछ ज्यादा ही ऊंची आवाज में कहा अक्षय ठाकरे लगाकर ऍम मैंने तय किया कि अब हमले का ही रास्ता बचा है । इसी से दो बार में लेने का मतलब ये नहीं कि ध्यान से प्यार करने लगी हूँ । वैसे भी तो ये कैसे कह दिया कि मुझे प्यार हो गया है? अक्षय मुझे ऐसे देखा जैसे मैं उसके पास ऍम । मीरा ऍम तो मेरी बहुत प्यारी बहन हो तो जब तुम सच में खुश होती हूँ तो बडी खुशी को मैं आप लेता हूँ । इसलिए मैं जहाँ गया हूँ उसकी मुस्कान ऍम ये जरूर करूँगी की अक्षय के साथ नहीं मुश्किल है । वो प्यार से मुझे हथियार डालने पर मजबूर कर देता हूँ । केंद्र क्या इस बारे में तो मैंने सोचा भी नहीं था । निश्चित तौर पर ये प्यार तो नहीं हो सकता । दो मुलाकातों भी प्यार नहीं हो सकता है । ये कहावत सुनी नहीं किया । मैंने चेहरे पर बिना किसी भाव के कहा नहीं । ऐसी कोई कहावत नहीं सुनी लगता है मीरा ने अभी अभी मूर्खता के तंदूर से पकाया है । जी एक कहावत है और मुझे नहीं लगता कि हमें इस पर बात करने की जरूरत है । मैंने बात खत्म करने के अंदाज में कह दिया । अक्षय देख चुप्पी साधने लेकिन खींसे निपोरते आ ही रहा है उसने मेरे मन में उस तरह हमने ऍम अगर ते सच में प्यार कर बैठी हूँ तो ये धीरे मान खतरा नहीं लगता । शायद हमें गिरफ्तार कम कर देनी चाहिए । ऑफिस के रास्ते में फोन पर मैंने बीस से कहा किसकी किसकी रफ्तार कम करनी होगी । कबीर को कन्फ्यूज वुमेन के जो नहीं ले जा रही थी वो भी बिना किसी लाइफ जैकेट के सच में मुझे उस पर दया रही थी । मुझे लगता है कि हम कुछ ज्यादा ही मुलाकातें फोन पर बातें करने लगे हैं । मैं काफी मैं छोड दिखाने की कोशिश कर रही थी लेकिन एल शब्द मेरे दिमाग में बंदर की तरह उछल कूद कर रहा था लेकिन दो बारी मिले हैं । हाँ फोन पर हम लगातार तीन रातों तक बात कर चुके हैं का काम चाहती हूँ की हम थोडा कम बात करें तो घंटों तक बात करने की जरूरत नहीं है । अरे गरम पानी नहीं करेंगे तो एक दूसरे को जानेंगे कैसे । मैंने उसे डांटने के अंदाज में कहा अब मैं पूरी तरह कंफ्यूज हो चुकी थी तो स्लोडाउन से तुम्हारा मतलब खेतों नहीं था कि मुझे अपने बोलने की रफ्तार काम करके धीरे धीरे बोलना चाहिए । मैं ठाकरे लगाकर हस्ते लगी । सेहत भी गजब का ग्यारह है । वो एल शब्द फिर से बुक करा गया तो मूॅग देखना चाहोगे हूँ । इसकी परफॉर्मेंस आज शाम एनसीपीए में होने वाली है तो मैंने अचानक से उसे एक और झटका दे दिया । जानती थी की मुझे युवाओं के मतलब की चीज नहीं है । लेकिन मेरे पिता ने मेरे और अक्षय के भीतर पश्चिमी शास्त्रीय संगीत चाहता हूँ । तब से पैदा कर दी थी जब हम छोटे छोटे बच्चे थे हूँ । हमें अगर जाने का फैसला करना है तो मिलना भी होगा और बात ही करनी होगी । बशर्ते ऍम हल्के उसी तरह बैठना नहीं चाहती । उसने पूरी ईमानदारी के साथ ऍम चाहती थी । मैं उससे बात करती तो मुस्कुराये बिना नहीं रह पाती थी । एक बात जानते हो हमें कुछ भी देखना करने की जरूरत नहीं है । बस बेवकूफी की बातें कर रही थी । आखिरकार मैंने स्कूल कर ही लिया । एल श्रम आखिरी बार रोज ना इसपर मैंने ध्यान नहीं दिया । मेरे पास परफॉर्मेंस की तो देखते हैं इसलिए बता हूँ चलोगे क्या नहीं है मुझे और एनसीपी का मतलब होगा छडी के इशारे पर जैकेट पहने बाद यंत्र बजाते हैं । सारे ऍम था, बिलकुल ठीक है । मेरा क्या? तो सब कुछ तीन घंटे तक एक सौ से बचते वायॅस को देखना चाहती हूँ । अभी तो वो जात है । उसके म्यूजिक के लिए सब करते हैं । मैंने चाहते हुए कहा कुछ देर की चुप्पी थी मैं । आप चुकी थी कि वीर का दबाव सूटबूट वाले वायलिन वादकों को देखने और प्रस्तार धीमी करने के खतरों का साहब किताब लगा रहा था । लोग कंसर्ट कितने बजे हैं तो हथियार डाल चुका था । मैं मुस्कराने लगे, कंफ्यूज थी लेकिन उसे राजी कर ही लिया । मैंने अपनी सबसे खूबसूरत गाली और पूरी तरह फॅमिली अपने पसंदीदा हील वाले काले छोटे पहले और फिर चांस का एक दस पीते दिया । मैं उसकी खातिर खूबसूरत देखना चाहती थी तो उस पर मैं अभी तक नहीं करना चाहती थी । अब भी तो बिल्कुल भी नहीं । भीड ने भी उस शाम के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश की थी । उसका सबूत उसके ताजिक काटे और स्टाइल किए गए बालों और शेर से मिल गया और फिर हल्की गुलाबी शाॅ साथ काला फॉर्मल ट्राउजर । मैं उसे पागलो अलाॅट भेजना चाहती थी जैसे रेट ने स्कार्लेट को किया था । मैंने गौर किया कि वो किस तरह मेरे दिमाग में बडी धूर्तता से पहुंॅच सच में जबरदस्त था । रिकाॅर्ड्स के जरिए मोजार्ट दुनिया को सबसे अनोखे ढंग से अलविदा कह रहा था । मुझे लगा जिसे मैं दर्द भरी धुन से रुपए होंगे । दूसरी तरफ ऐसा दिख रहा था मानो सबसे उबाऊ लेक्चर के बाद घंटी बजने का इंतजार कर रहा हूँ । बेचारा सच में शाम उसके पसंद की नहीं थी । मैंने देखा कि वह जितना और किस को देख रहा था, उतना ही दर्शकों को भी । और निश्चित तौर पर मैंने कई बार उसे ऑडिटोरियम की बनावट पर गौर करते भी देख लिया था । ये तो किस भाषा में जाते हैं । वापस लौटते समय बीतने मुझसे पूछा कौन से लोग मैंने से पूछा । अरे मुजाहिद के संगीत को बजाने वाले उनकी भाषा किया है । उसने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए पूछा, वो लैटिन अच्छा माॅडर्न आती थी । मैं ठाकरे लगाने लगे भी मैं जानती हूँ तो मैं बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा । हर तो मैं नाटक करने की कोई जरूरत नहीं है । मैं जानती हूँ वीर मुझे देख कर मुस्कराने लगा और मेरी बात को मान गया तो थोडी राहत महसूस कर रहा था । मैंने कई बार तो दर्शकों की तरफ देखते हुए पकड लिया था, हो गया था । पर यही देख रहा था कि जिस चीज का मजा सब लेते देख रहे थे उसने मुझे मजा क्यों नहीं आ रहा था? झूठे मैंने तो मैं मुस्कुराते देख लिया था । चलो अब सच बताऊँ तो पता भी दो । मैंने उसे चिकोटी काटने पता तो दिया नहीं बताओ उसकी शर्मीली मुस्कान लौट आई थी । ठीक है में बहुत बोर हो गया था इसलिए समय काटने के लिए अपना पसंदीदा काम कर रहा था । सच कहूँ तो मेरा फेवरेट है लेकिन कुछ ऐसा है जो मैं दूर हो जाने पर करता हूँ और वो है उठाके लगाकर हंस पडा । अगर बता दूंगा तो तुम सही गलत का फैसला करने लगी तो मुझे के बारे में जानकारी नहीं इसलिए मैं पहले ही फैसला सुनने लगी हूँ । उससे तो तुम पहले ही आगे बढ चुके हो तो जानती हूँ जब मैं जाता हूँ कुछ शर्म आती है । मैं कहा मैं अपने आस पास के लोगों को देखता हूँ और फिर कल्पना करता हूँ वो जहाँ है वहीं और जो कर रहे हैं वही कर रहे हैं तो तुम समय बिताने के लिए कल्पना करते हो कि लोग अजीत हैं । मैं बिलकुल जीत गई थी जैसे उसको मजा आता है तुम जानती नहीं । उसने समझाने की कोशिश की । मैं खिडकी से बाहर देखने लगे और मेरी नजर स्कूटर पर जा रहे एक नोटिस आदमी पर पडे । अपने आप ही वैसा ही खयाल मेरे मन में आया और नेता हुआ । मैं कल्पना करने लगी कि स्कूटर पर जा रहा आदमी नंगा है, भयंकर भी था और हसाने वाला भी । बात खुद को हंसने से रोक नहीं सके । देखो मैंने ठीक कहा था ना । भीड ने इतने प्यार से कहा कि उसे हमेशा के लिए अपना बाहर है से बिना कपडे के लोगों को देखने के लिए उन का चुनाव पैसे ही करते हो या उसका भी कोई मैरिड है । मैंने पूछा उनके बारे में कुछ मजेदार होना चाहिए । वैसे भी अश्लीलता और मजाक होता ही है तो मेरे बारे में भी ऐसी कल्पना की है । इससे पहले की मैं रोक पाती । ये शब्द खुद ब खुद मेरे मुंह से अनायास ही निकल चुके थे और अब वो हम दोनों के बीच असहजता पैदा कर रहे थे । जीटॅाक करने की आदत थी ना देखते तुम चाहती हूँ की इसका जवाब दूँगा जी कहते हुए जीतने मेरी तरफ नहीं देखा ना एक अक्षर का मेरा जवान जिसने कई शब्दों की मेरी छेद कुछ पाने की कोशिश की हो जाओ । मैंने कभी कुछ पूछा था कार में उस वक्त बेकार सब कुछ गाना बज रहा था लेकिन यह दिखाने के लिए मैं उसकी लाइफ के मुताबिक उंगलियाँ चलाती रही । मुझ पर कोई फर्क नहीं पडा और मानो मैंने पूछ लिया था कि क्या रहे हैं । हर दिन मर्दों से पूछती हूँ कि वह मुझे निर्वस्त्र देखने की कल्पना करते हैं । मुझे यकीन था कि वीर समझ गया होगा लेकिन उसने इतनी दया कर दी की मेरी शर्मिंदगी को समझ गया और सीधा देखता रहा हूँ । मारो धंधे के बीच से ड्राइव कर रहा हूँ ऍम तुम्हारा हाथ पकडना चाहता था हूँ, इतना ही चाहता था हूँ । उसमें कुछ बताते हुए कहा मेरा दिल उछल पडा और अंदर से वहीं ऍम शब् किसी सुपर नोवा की तरफ फट पडा और ऍम कहीं मेरे मन में अपना संगीत पर जाना है ऍम एक अब शाम तो पकडता नहीं । शब्द अचानक से घर कराते और विचित्र स्वर्ग निकल गए । मुझे लगा तुम डिस्टर्ब हो जाओगी तुम से कितने तक हो गई? नहीं मैंने स्वीकार कर लिया । मेरा मन अभी ये तय कर रहा था कि यह आदमी सच्चा है या फिर बस एक खिलाडी फॅसने एक लडकी का हाथ सिस्टर से नहीं पकडा की उसके सुनने का मजा किरकिरा हो जाएगा । अच्छा हुआ हूँ जो हम तब तक घर पहुंच गए । डेट के बाद घर लौटने वाली ये इतिहास की सबसे बेढंगी ट्राइल । कहीं जा सकते हैं पैसे ॅ के बाद रोहित के साथ घर लौटना लिस्ट में अब भी सबसे ऊपर था । शुक्रिया हूँ मुझे साथ ले जाने का । इस मैं अपनी बात पूरी नहीं कर पाई थी । उसने मुझे अपनी तरफ नहीं हूँ । उसे कैसा मेरी पूरी दुनिया समझ गई । ऐसे लगा जैसी सबसे स्वभाविक सी चीज थी । धीरे धीरे आगे बढ रहा था । जब आपने होटों को मेरे होठों पर रखने लगा तो जिस से पूछ रहा हूँ कि क्या मैं उसकी हूँ? मैं उसकी तरफ छुट्टी चली गई । बदले दो उसने मुझे और भी अपनी और खींच लिया । उसने मुझे बाहों में भर लिया लेकिन मेरे वोटों को दूर नहीं होने दे रहा था और मैं भी सच में दूर नहीं जाना चाहती । नहीं हम खो चुके थे लिखते हुए मानव इसके लिए हमने सदियों तक इंतजार किया था । रेस्टोरेंट में वीजा नहीं क्यों? कुछ कहा था तो सब कुछ सही हूँ । कुछ जानता था । मैं उसे जानती थी और संसाद ने हमें साथ लाने की साजिश की थी । कुछ भी अच्छा नहीं था । पहली किसका? वो बेढंगापन नहीं था । एक खराब सच्चा चुनाव था । मैं उसे उस संसार में ले जाने लगे जहाँ सिर्फ आनंद था । मैंने उसकी चीजों को अपनी इच्छा की गहराई भी खोते लगाने दिया । हमारा तब घुट रहा था लेकिन हम इसे छोड नहीं पा रहे थे । झूठ नहीं सकते थे । आखिरकार मैंने ही खुद को अलग किया । मैं चाहती नहीं थी पर करना पडा । दिल तेजी से धडक रहा था की मुझे लगा मैं मैं गिर जाउंगी । मुझे ऐसा अहसास पहले कभी नहीं हुआ था । मैं जानती थी कि ऐसा एहसास फिर कभी मुझे नहीं होगा । उसके विरोध नहीं किया बल्कि उस जाने दिया । हमने एक दूसरे की आंखों में झांका । फिर उसने मेरे होठों पर गली रखी और पुष्पसारा जो हुआ उसे शब्दों की जरूरत नहीं । उसके कादल नहीं । मैंने हामी भर दी । मैं कर भी नहीं सकती थी । मुझे पैसे किस करूँ । मैंने खुश हो जाते हैं । कहा उसने किया भी ऍम बन्दों को पार कर चुके थे और पीछे मुडकर देखने की जरूरत नहीं थी । रफ्तार काम करने की भी जरूरत नहीं है । उस एल शब्द से भी डर नहीं लग रहा था और सब से कहीं अधिक चेतावनियों की परवाह करने की जरूरत नहीं रह गई । नहीं देर रात की बातचीत अचानक होने वाली स्टेट में बदल गयी जब हम शहर के बीचोबीच किसी कॉफी शॉप में सुबह होने तक बात नहीं करते रहते थे । हम भी देखने लगे ना तो हम पूरी तरह समझाते थे । नहीं वो हमेशा याद रहती थी । तो ज्यादातर वक्त हम उस रोशनी में दूसरे को देखते हुए तो साथ देते थे तो रुपहले पर्दे से अगर हमारे चेहरे पर नाचती रहती थी, जब फिर हम एक दूसरे के हो जाने के आकर्षण से पाँच नहीं पाते थे । दिन कुछ करने के साथ साथ ऐसा करने की हमारी सहजता सारी हदों को पार कर चुके जी मुझे स्विट्जरलैंड जाना है, इस विज्ञापन की शूटिंग है तो और को देने के लिए वीर आधी रात को होने वाली बातचीत होने का इंतजार करता रहा हूँ । भूत चालाकी करने लगा था । कुछ जानता था कि मैं इस बात के लिए उसे कोर्ट ने लगूंगी की उसे अपनी जिंदगी चलाने के लिए काम में कैसे रहना पडता है । ऍम कहा मुझे इतना काम करना है, मेरा तो क्या करती है । अगर हम मेरा मतलब है वो मैं कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था तो मैं तुम्हारे साथ चल रही है । मैंने अपने ठेठ अंदाज में उससे कह दिया तो तो तुम चलती क्यों नहीं तोड देने वाली ईमानदारी के साथ कहा अगर मैंने भी सोचा हूँ हाँ क्यों नहीं मेरी ऍम करने से निकली और मैं लेख ब्रिज की जन्नत जैसे नजारे को देखकर दंग रहे हैं । मैं अब इंटरलेकन की तरफ बढ रही थी । भीड की तरफ सब कुछ इतना खूबसूरत और शानदार लग रहा था कि मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था । मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि इस तरह के चुनाव का ऐसा संभव हो सकता है । इस की खुशी का ऐसा ऍम हमसे खुशी को मच्छी ना प्लीज

Details
वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
share-icon

00:00
00:00