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06-मुट्ठी भर धूप -मीरा in  |  Audio book and podcasts

06-मुट्ठी भर धूप -मीरा

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वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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मीरा शुक्रवार की शाम अक्षय हूँ । मैंने फोन को कांस्य चिपकाये हुए पूरी कोशिश की कि मेरी आवाज लडखडा की सराहना दें । मेरे आस पास सब कुछ मिलता है और लहराता नजर आ रहा था । नताशा पागलों की तरह नहीं जिसकी वजह वही पेड बता सकता था जिसके साथ वो बातें कर रही थी तो ही उसी पेड के दूसरी तरफ थी और पूरी तरह छुट्टियाँ कर रही थी । उस ब्रेड के साथ पूरी सहानुभूति थी । कॅश रहना पड रहा था । मैं सोच रही थी क्या पेडों में सूंघने की क्षमता होती है । अगर ऐसा है तो कितना खिलाना होगा । सोची को इस पर उल्टी कर दें । मैं ड्राइविंग सीट पडती और सडक के किनारे गाडी पार्क कर रखी थी । सीट पेड अब तक लगी थी और रिंकल्स चल रहे थे । मुझे गर्व हो रहा था कि मैंने नशे की हालत में गाडी न चलाने का फैसला किया था । तुम कहाँ हूँ? अक्षय की आवाज में डर था, रक्षा मेरा भाई था । मेरा हीरो सुपर स्टार इसी कंधे पर कभी कभी नजर रखकर होती थी । यानी मेरा रखवा नाम । हमारे बीच एक साल का फासला था तो उससे बडा था और साफ तौर पर यंग अचीव फॅार स्कूल ॅ डिपेंड टीम का सदस्य क्रिकेट और श्री टीमों में भी था । मुझे उसकी लाड प्यार वाली छोटी बहन होने पर ना आस्था ऍम अपने सारे सपने उसी से जोड रखे थे और इससे मुझे किसी खूबसूरत गुलाबी बुलबुले में चीजें छूट मिलेगी तो मैंने अपने लिए बना रखा था । मैंने काफी मिली है और कार्टर रोड पर एक पेड के किनारे मेरी गाडी खडी है । मैंने समझदार दिखाने की भरपूर कोशिश करते हुए उसे बताया । उम्मीद कर रही थी कि इस जिम्मेदार रवैये के लिए मेरी तारीफ की जाएगी । दुख है कि मेरी तारीफ हो नहीं की गई । मेरा कार्टर रोड पर एक बेड किस तरह ॅ अपने आस पास देखो बताओ कहाँ पर हो तो उस तरह वो और खींच से भरा सुनाई दे रहा था तो मुझे लगता है कि स्वाभाविक ही था जब की रात के दो बज चुके थे और चंद हुए अपनी छोटी बहन के लिए परेशान होने के बजाय उसे गहरी नींद में होना चाहिए था । यहाँ बिल्डिंग है । इस पर लिखा है तो मैं एक खंबे पटक के नाम को पढने की पूरी कोशिश कर रही थी और मेरी धुंधली नजर के चलते ऐसा लग रहा था जैसे जिसमें झूले पर से किसी ॅ की कोशिश कर रही थी और लिखा है आओ मैंने विजयी होते हुए अपनी बात पूरी की । लग रहा था मैं कितनी थी तो चिडचिडाहट के बावजूद अच्छा हसने लगा । मूर्गी वो गेट है, किसी बिल्डिंग का नाम नहीं है । वो ही कह रहा था फूट डालने ऊपर से नीचे तक मुझे भर दिया था । हम जहाँ भी तो वही रुको । मैं तो मैं बोलता हूँ और हाँ तारीफ चलाना नहीं तो में लेने आ रहा हूँ । अक्षय आदेश देने के साथ ही सावधान रहने के अंदाज में मुझसे कहा मैंने उसकी बात मानने का फायदा क्या? ऍम नताशा की पागलों वाली हंसी खिलखिलाहट में बदल चुकी थी । रूही ने उल्टी करना बंद कर दिया था और उसकी वो दिखाई । अब सहन करने लायक ऍम है । काफी राहत महसूस कर रहा होगा । कुछ पाए अक्षय अपनी ब्रैंड न्यू मर्सिडीज में पहुंचा था । नताशा होगी को समझाने की कोशिश करते देखना हंसी से लोटपोट कर देने वाला था । उपस् खिलखिलाने और उसको फ्राई करने की नाकाम कोशिश कर सकती हूँ । इसका उस पर कोई असर नहीं पडा । ऍम था उसे सब जानते थे । लंबा और छरहरा इसके पास फॅमिली से ललाट पर गिरते थे और ऐसा लडका था जिसपर कोई भी लडकी अपनी चांचड सकती थी और उसे देखकर बहन हो जाती थी । मैं समझ नहीं पाती थी कि आखिर हाई स्कूल में ही सारी लडकियाँ मेरी दोस्त क्यों बनना चाहते हैं । ईद दिन मुझे समझाया कि असल में मैं अक्षय तक पहुंचने का जरिया थी । मेरा भाई अपने साथ हमारे ड्राइवर को भी लेकर आया था । वो चार आॅन कुछ भी अगर बच्चों के चलते हैं गहरी नींद से झकझोरकर जगाया गया था । उसने मैरीकाॅम और वो ही को उनके घर छोडा जबकि अध्यक्ष हैं अपनी लग्जरी कार में मुझे घर ले कर रहा हूँ । अक्षय मुंबई में मॅक्ग्राथ के दो बजे भी आॅनलाइट ग्रीन होने का इंतजार कर रहे थे तो उसको ऍम कर क्या रही होगी रहा हूँ तुम कॉलेज में नहीं रही भगवान के लिए पडी हो जाओ और अपनी जिम्मेदारियों को समझो ऍसे लगाकर हंसने लगे और इस तरह उस पर गिरी की मेरी कुछ बस लिया मानो तो टूटे बच्चे उसने मुझे पीछे धकेल दिया हो । गुस्से में था और मुझे हँसी आ रही थी ऍम अब इतने भी नौटंकी मत करूँ । मैंने अपने वोटों को खोल कुमार कर इस तरह कहा कि उस पर अपनी धाक जवान हूँ । बीच उसने कार आगे बढा रहे हैं पता नहीं स्टाॅक क्या मतलब है । उसने आंखें इस तरह घुमाते हुए कहा जिसे उसे मुझे समझाने लायक बातचीत की बीत नहीं थी । बाकी का रास्ता हूँ । बिना बातचीत के ही कट गया । हम बस आॅडियो के बीच इशारो इशारों में दूसरे से लडते रहे । मेरी नींद खुली तो दोपहर भी ढलने वाली थी मुझे बहुत पूरा हॅारर में इस तरह थोडे चल रहे थे । मारो फॅार नहीं घुस आया था मेरा मुँह ऐसा लग रहा था मानो किसी ऍम कर दिया हूँ । सबसे पहले स्टार्ट फॉर्म दिखाना जरूरी था । स्क्रीन के ऊपरी पाये होने पर ब्रिंग कर रहा लिफाफा बता रहा था कि मुझे दुरंतो से पढ लेना चाहिए हूँ । वो रोहित का मैसेज था । कल रात जबरदस्त बातचीत हुई । मैंने दो लोगों के लिए काॅल बुक किया है । आठ बजे तो मैं कर लूँ जबरदस्त बातचीत । आज रात मैं डेट पर थी । मुझे दहशतगर्द दौरा पडने लगा । मुझे याद नहीं है मैंने रोहित से बात की चीज जा ये ठीक पर जाने की हामी भरी । जी ड्राॅ कॉलेज के दिनों से ही मेरा दोस्त था, ठीक है लेकिन मेरे हिसाब से कुछ ज्यादा ही अच्छा था । फॅसने कहूँ तो ऐसा बिल्कुल नहीं जैसा मैं सोचती हूँ मुझे अभी नेट से बात करनी होगी । अब भी की नहीं तो सब और खाने में इतनी देर लगाई । मनुष्य मना बीत गया हूँ और कुछ ज्यादा ही धीमी रफ्तार में बोल रही थी । रात क्या हुआ? मैंने पूछा जवाब देने में नताशा को कुछ सेकंड हो गए हैं । उसे भी दशाई हैंगोवर था या समझने की कोशिश कर रही थी कि मैं कर रहा हूँ । मैं किस की बात कर रही थी । मैं पूरी तरह नशे में धुत थी और मुझे याद है कि पार्टी सफर दस थी और अर्जुन जबरदस्त बॉस था । निवेदिता गाए जैसी दिख रही है और मुझे लगता है वो ही पूडियां कर रही थी । ऍम मैंने तो मेरे भाई को अपने सपने में भी देखा । नताशा खुशी से पागल हो रही थी लेकिन मैंने उसे बीच में ही रोक दिया क्योंकि दूसरी ही चिंता मुझे खाए जा रही थी । रोहित के बारे में बता क्या मैं कल रात उससे बात कर रही थी तो वो मुझ से बात करते देखा । मैंने पूछा और भगवान से मना रही थी कि शायद ये सिर्फ एक बडी गलती भर हो । ऍम नताशा और पागल हुई जा रही थी । उन दोनों सच में बहुत देर तक बातें कर रहे थे तो मैंने तो उसे अपना फोन नंबर भी दिया और मुझे लगता है हम ने से कहा कल मिलती हूँ अगर मुझे सही सही याद है । ये ऍम मैंने क्या कर दिया? तुमने क्या कर दिया? नताशा शायद फिर से उसने लगी थी और मैं उस वक्त उसके हसी बर्दाश्त करने के मूड में नहीं थी । हम आज स्टेज पर जा रहे हैं ये तो पक्का है लेकिन सबसे भयानक बात ये है कि मुझे याद भी नहीं कि मैंने रोहित के साथ जाने का वायदा किया था । मैं फिर सही कहा आपने लगी नहीं, ऐसा तो नहीं कि तुम नहीं उसे डेट पर ले जाने की बात की हूँ और अब तुम्हें याद नहीं । नताशा ने अब और भी डराने वाली बात कह दी । साथ में खिलखिलाने भी लगी । नहीं, मैं ऐसा कर ही नहीं सकती । मैंने अधूरे विश्वास के साथ कहा फिर भी कुछ रखता है कि शायद देने से किया था । मैं गलतियां करने में गजब की हुनरमंद है । खासतौर बार जब भी शराब के नशे में कुछ ज्यादा ही दयावान और खुश हो जाती हूँ । नताशा और मैंने आने वाली डेट के तमाम नतीजों के फायदे नुकसान को लेकर बातचीत की और इन सब के बीच फिल कॉलिन्स पागलो की तरह मेरे सर मैं ट्रंप बजाता जा रहा था, प्रकाशा और मुझे इसे सुलझाना होगा तो मामला बेहद गंभीर था । लंबी बात चीत, समझाने, बचाने, तार और विनम्र होने के महत्व को स्वीकार करने के बाद आखिरकार हम इस नतीजे पर पहुंचे कि मुझे रोहित के साथ बस एक बार एक बार चले जाना चाहिए । वैसे भी उसे भी मौका देना चाहिए । कृष्ण शाम के लिए सब कुछ तय कर रखा था तो हालांकि फॅमिली करने के लिए ऑॅल की सम्बन्धी है । मैं अपने बेडरूम से बाहर निकले तो देखा कि फॅमिली साथ जमशेद गंभीर चर्चा में शामिल था हूँ । पश्चिमी मुंबई के उपनगर ऍम गगन चुंबी इमारतों में से एक में हमारे पेंटहाउस समंदर साफ साफ दिख रहा था । लॅास की सुनहरी किरणों से नहाया था और अक्षय ने मेरी तरफ पलट कर देखा तो उसके मुस्कराहट उन किरणों से चमक उठी । मुझे तब उसका ऐसा नहीं था लेकिन तस्वीर जीवन भर के लिए मेरे मन में बस गए हैं । मुझे डर लगता था की कुछ तस्वीरें हमारे मन में पहुँच जाती है । इसकी कोई साहब वजह नहीं होती है और जो हमेशा के लिए हमारी यादों का हिस्सा बन जाती है । ये भी पैसा ही एक था । चारों तरफ इतनी खुशी का माहौल क्यों है? मैंने अपने परिवार से मुस्कराते हुए पूछा, हम अपने फूटब्रिज इसको पूरी दुनिया में फैला रहे हैं और हमारा पहला ऑफिस सिंगापुर में होगा । टेंट नहीं । ओमान और खुशी के साथ ऐलान किया और बताऊँ सीईओ कौन होगा? मेरे भाई ने कहा और आपने मुस्कराहट सहित मुझे इस रहस्यमय शामिल कर लिया । मैं तुरंत उसके पास पहुंची । हॅारर लिया अक्षय ने । सच में इसके लिए बहुत मेहनत कि थी और से ये मौका मिलना ही चाहिए था । जो डाॅट उसे दे रहे थे । छपी लेना ठाकरे लगाना हमारे परिवार की पहचान थी । जल्दी हम एक दूसरे के गले मिल रहे थे और जनवरी को खास तौर पर करने लगा रहे थे । अक्षय कई मायनों में बिल्कुल मेरे लिए पिता के जैसा था । उनकी जैसा ही खुबसूरत दिखता था और वैसा ही आकर्षक मामूर में एक टीम में थे खूबसूरत और नाॅट लोगों जैसे लेकिन उस दिन हम सब एक जैसे थे । एक दूसरे के लिए बहुत खुश । उस सुनहरी शाम ने मुझ पर अपनी चमक छोड देती है और अचानक रोहित प्रसाद थी । इतनी बडी मुश्किल नहीं लग रही थी । जब मुझे लेने आया तो सब फॅमिली छह छबीला दिख रहा था । वो थोडे जीते लेकिन उसका सुंदर चेहरा और सही ढंग का कॉलोनी उसे इतना भी बुरा नहीं वाली कैटेगरी के काबिल बना रहा था । मैं देख रही थी उसकी नजरें मुझ से हट ही नहीं रही थी । गहरे नीले रंग ऍम मेरी पतली कमर साॅफ्ट कुछ ऐसे थे कि किसी भी बेबस प्रेम के लिए ऐसा करना मुमकिन नहीं होता हूँ । ऍम टॉप के साथ ब्लैक जीन्स पहनी थी और शाम के लिए अपनी लोग को तीन वाले काले चिट्ठे के साथ पायलट कष्ट दिया था । रोहित विनम्र था और ऍम अच्छी । अच्छी बात है कि मैं उसकी बात पर सर लाती रही और मौके बेमौके खिलखिला दिया करती थी । सच करना चाहिए और स्वच्छता कि बहुत रखी थी और चोको सामने आता है । उस पर किसी समुद्री डाकू की तरह पडती है जो लंबी समुद्री यात्रा से लौटा था । उस करीब जहाँ से आ गई और मैं सोच रही थी कि मुझे खाने पर इतनी बर्बरता से टूट देंगे । कोई भी सभ्य व्यक्ति कहाँ तक बर्दाश्त करेगा? उसे समझ नहीं आ रहा था की रेस्टोरेंट में मुझे ले जाने के लिए मेरी कमर पर हाथ रखा है क्या नहीं मैं दो बार उसके हाथ को उठते और गिरते देख चुकी थी । आखिरकार उस आइडिया को छोड दिया और मेरे लिए दरवाजा खुलता शानदार मैंने हूँ हल्के अंधेरे कमरे में मैंने नजर दौडाई खिडकी के किनारे टेबल पर एक शख्स को बैठे देखा । वो अपने सामने बैठे लडकी के लिए ज्यादा व्याकुल होता नहीं दिख रहा था । विज्ञापन के होर्डिंग जा रही नीली ऑनलाइन उसके चेहरे पर पड रही थी तो रोशनी में वो माइकल एंजेलो की पेंटिंग कोई ऍफ दिख रहा था तो था नहीं तो मैंने उसे जब देखा तो मेरे दिल ने धडकना बंद कर दिया था । मेरा मन जो नहीं समझ सकता शायद बिर टाॅल नहीं समझ लिया है क्योंकि हम जब भी टेबल की तरफ उसके करीब से गुजरे ही तो मेरा दल पूरी तरह से बेकाबू हो गया और चोरी चोरी कहीं उसके दिल के करीब चला गया ।

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वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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