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05-मुट्ठी भर धूप -वीर in  |  Audio book and podcasts

05-मुट्ठी भर धूप -वीर

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वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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वीर, शुक्रवार की दोपहर शादी और मैं किंग्स रूट के जिस बार में भयानक खामोशी के बीच बैठे थे, बहुत ज्यादा लोग नहीं आते थे । बीयर भी रह पसंदीदा ड्रिंक नहीं था और दोपहर में पीना हमेशा से मेरे उसूल के खिलाफ । पर मैं किसे झांसा दे रहा था, नहीं वसूल थे ही । कहा मैं दूसरे जैक डेनियल की तरफ बढ गया था और शाजिया खतरनाक ढंग से टॉनिक कटक दी जा रही थी । इंडियन फूट कंपनी का मामला पूरी तबाही वाला था जिस पर मुझे हैरानी नहीं थी लेकिन शाजिया के लिए वो खौफनाक था । अभी जिम जॉइन को फोन लगाकर बुरी खबर भी नहीं दी थी । कुछ वासियों को एक घंटे में चार बार कॉल कर चुका था । उन्हें उसने जहाँ पूछ कर उठाया नहीं था तो आप भी जो भी था इतना तो मैं कही सकता हूँ । अच्छी बात ये थी कि ये हफ्ता इससे पूरा नहीं हो सकता । चुल्लूभर पानी में डूब जाने की बजाय शायद मुझे दोपहर में ही जान में डूब जाने का जश्न मान लेना चाहिए । टूटने की बात आई तो मुझे उसका बड्डे की याद आई जो मैंने खुद अपने लिए खोदा था । कविता मंगलवार की दोपहर आएगी और अपार्टमेंट सारा सामान समय क्या शाम को जब मैं घर लौटा तो डाइनिंग टेबल पर एक नोट मिला । इसमें लिखा था, मैंने घर की चाबी सेकंड फ्लोर पर पोर्शिया के पास दे दी है । पर इतना ही लिखा था भावुक होकर अलग होने के लिए सब तीखा और रूखा संदेश नहीं हो सकता था । शायद उसे डर था कि कहीं भावनाएं अपने साथ वहाँ ले जायेंगे । लंबे समय के बाद पूरा अपार्टमेंट अकेले मेरे लिए रह गया था । मैं कुछ दूरी पर ऍप्स की चमकती लाइट्स को देख रहा था और सर्दियों के फैशन की कल्पना कर रहा था । कई तरीके से सर्दी सब आने लगी थी । मैंने चाय को वस की के कुछ गीत बजाये कुछ और चाय फोर्स की को सुना । मैं खुद को मीरा को याद करने से नहीं रोक पा रहा था । शायद कविता ठीक कहती थी मैं कमीना होगा । उसके दो साल के रिलेशनशिप के बाद मुझे छोड दिया था और मैं था की मीरा के बारे में सोच रहा था । खाली कमरे साफ हो चुकी हूँ । अकेला टूथब्रश, बिना किताबों और सर फोन चार्जर वाली बॅाल उसकी बर्फी हूँ जो अब तक तकिये में बस सीधी इन सबका मुझ पर कोई असर नहीं पडा । क्या वहाँ पर किसी की उन्होंने नियम पर चलती है जहाँ कोई टूटे दल वाला व्यक्ति जाता है और दूसरे दलों को बेरहमी से तोड देता है । या फिर ऐसा है कि टूटे दिलवाले के पास देने को बस टूटे हुए टुकडे ही होते हैं । उसका एक ही तर्क हो सकता है जब आप अपने सच्चे रूप की बजाय बीमार हो जाते हैं तब आपका प्यार भी बीमार हो जाता है । उस रात मैं का उच्च्पर ही स्वयं कुछ था जो मुझे पेट्रोल में सोने से रोक रहा था । पता नहीं जी कविता की गैरमौजूदगी थी या भावनात्मक रूप से गर्त में चले जाने की मेरी खीज । हालांकि मैंने सबसे बातें की हमारे पास एक विज्ञापन तैयार करने के लिए सिर्फ दो दिन बचे थे । जब जब वीर मैंने तय कर लिया था कि बस यही सोचूंगा । अगले दिन मैंने सुबह सुबह ही शाजिया को फोन किया और कहा कि मैं घर पर रहकर ही काम करूँगा । ठीक तो उसने पूछा । मैंने कहा हाँ मैं ठीक हूँ । उसने पूछा की कविता घर पर है । मैंने बता दिया कि वह मुझे छोड कर चली गई है । दो घंटे बाद शाजिया ने दरवाजे की घंटी बजाई । वो कॉफी और गरमा गरम नाश्ता लेकर आई थी । उसकी जैसे तो उसके बिना और मैं क्या करता हूँ । उसने मुझसे कहा कि मैं घर गयी जैसा देख रहा हूँ । मैंने कहा हूँ देख रहा हूँ । उसने मुझसे पूछा पूरे हफ्ते में किसी वजह से परेशान था । मुझे पता था कि कविता से ब्रेकअप होने वाला है । मुझे बीते तीन दिनों से अपने विचित्र व्यवहार के लिए अच्छा बहाना मिल गया और अपने बेतुके बर्ताव के लिए उस बहाने को झट से पकड लिया । मैं उसे कैसे बता सकता था? ऍम विज्ञापन का कौन से पेश ने वाले थे? उसने मेरी जिंदगी में वापस लौटकर सच कहूं तो पेट पर लात मारी थी । कॉफी के दो कप कटक जाने के बाद मैं इंटरनेट खंगालने लगा और वो सब कुछ जान देना चाहता था जो हमें इंडियन फूट कंपनी के बारे में जान देना चाहिए । शाजिया कमरे के दूसरी तरफ बैठी थी और अपनी मार्केटिंग की तैयारी कर रही थी । बाहर बारिश हो रही थी और ठंडी हवा का एक झोंका भी डराया । मैंने खिडकी से बाहर देखा और और मन में विचित्र सी बात आई । मेरा भी खिडकी से बाहर बारिश को देख रही होगी । फिर एक और खयाल क्या गड्डा खोदने वाले दिमाग से बाहर निकल पाया हूँ । गुरुवार की सुबह तक ऍफ की कमर तोड दी थी और शाम तक जिम चौहान खुशी से झूम उठा था । शुक्रवार की सुबह दूसरी ही कहानी हो गए ऍमेचर्स परिचित सभ्य तरीके से हमारा अभिवादन किया और शाजिया के साथ मुझे इंडियन फूट कंपनी के ऑफिस में दूसरे ऍम तक ले आए । वो ऍम बहुत महंगी चुके थे । अंदर से वो खालिस स्टील और क्लास का बना था । इसमें समुद्री नीले रंग का टेस्ट था । मैं समझ सकता था कि बाहर के मुकाबले अंदर की सात हजार में मीरा तक काफी हद था तो थोडा रोमानी और स्वागत करने वाला था । शाजिया अपने साथ एक जूनियर टीम को लेकर आएगी तो उन्हें हम से पहले ही कॉन्फ्रेंस रुपये बिठा दिया गया था । वो मुस्कुरा रहे थे और उन्होंने हमें देख कर अभिवादन किया । हमने भी मुस्कराकर अभिवादन का जवाब दिया । हमने ऍम के चाय के ऑफर को कबूल किया और मीटिंग के शुरू होने का इंतजार करने लगे । जैसे जैसे समय बीत रहा था और मीरा के आने में देरी हो रही थी मुझे समझ जाने लगा कि माजरा क्या है है । मीरा को कभी देर नहीं होती । लोगों को इंतजार कराना उसकी आदत नहीं और अगर वो ऐसा कर रही है तो सब कुछ शुरू होने से पहले ही हो चुका है । वही एक और गेम था । वो बस मुझे नीचा दिखाना चाहती हैं । सब कुछ उसके लिए ही किया गया था । आखिर में जब मीटिंग में आई तो मेरे मन में जो थोडा बहुत शक रह गया था वो भी दूर हो गया । उसने ऐसे कपडे पहने थे की माँ डाले और ऍम को चैनल की खुशबू सब कुछ स्पष्ट कर रहा था । ये हमारे खुशबू थी । मैंने इसके साथ ही से प्यार किया था । जो कभी हमारे प्यार की पहचान थी वही अब नफरत का हथियार बन चुकी हूँ । कैसी विडंबना थी, होना तो बोली थी और नहीं माफ किया था । मैंने अपनी पूरी ताकत हूँ क्योंकि मैं जानता था कि सबने इसी पसंद किया था । मैं जानता था कि वो उसे खारिज कर देंगे और उसने कर दिया तो सब कुछ शब्द थे जिन्होंने उसके प्लान को लागू किया । हम अपने आ गए थे जहाँ तू जब शराब पी रहे थे मुझे लू बनाना बंद करो भी मैं इतनी मूड भी नहीं हूँ । शाजिया बरस पडे और ब्रेड साहब गहरे खयालों से मुझे खींच लाई जिनमें में खोया हुआ था । जानती हूँ मैं जानती हूँ की उस वर्मा की बच्ची और तुम्हारे बीच कुछ है । कोई भी सही दिमाग वाला उस प्रजेंटेशन को नजदीकी टोकरी में नहीं डालेगा । जो हमने दिया उस दिन उसमें क्लब में तुम्हें चौबीस जैसा शुरू किया कविता छोड कर चली गई और आज इंडियन फुटबॅाल चल क्या रहा है? शाजिया सब चंद गई थी और मेरा झूठ पकडा गया था । भगवान सब भेद हो गया था । शाजिया मैं बहुत ज्यादा नशे में और पूरी तरह से हूँ । अभी कुछ मत पूछो ऍम मैं जा रहा हूँ । मैंने किसी तरह खुद को खडा किया और नशे की हालत में लडखडाता हुआ तब से वहाॅं उसे भागो मत भी मुझे बताओ । मैं मुस्कराने लगा है । इतनी नफरत कौन कर सकता है? शादिया सिवाय उसके इससे प्यार में धोखा मिला हूँ । कुछ देर वो पहुंचक किसी खडे रह गए और उसके मुँह में नहीं आया । मेरी तरफ बढते हुए उस ने मेरा हाथ थामा और मुझे वहीं कोमल से सोते पर खींच कर बैठा दिया बी तो मेरे तो बचत उनसे पूरी कहानी हूँ । अब तक तो मैं कहीं नहीं जा हूँ चाहे तो मैं कुछ नहीं कॅापी ने बढिया है । उसने ऐसी आवाज में कहा कि अब कोई बहस नहीं हो सकती । मैं आवा खोकर उसे देखता था । कहाँ से शुरू करूँ में

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वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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