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04-मुट्ठी भर धूप -मीरा in  |  Audio book and podcasts

04-मुट्ठी भर धूप -मीरा

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वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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मीरा शुक्रवार की सुबह लंबे समय बाद मुझे अपने बॉडी को देखते हुए इतनी देर तक सोचना पडा था । काली ड्रेस, ब्लू ऍम और फिर क्या आप पर पडता है । भार पडता है । मुझे जबरदस्त देखना था और यही तो ऑनलाइन का हिस्सा था । न जाने चांस पाए को चैनल की आधी शीशी कहाँ पडी है । वो भी प्लान में शामिल थी । फॅस के साथ मीटिंग के लिए पांच मिनट पहले ऑफिस पहुंच चुकी थी फॅसने मुझे बताया कि हिंदुस्तानी जेंटलमैन और पाकिस्तानी लेडी कॉन्फ्रेंस रूम में मेरा इंतजार कर रहे हैं । मैंने उसे कहा कि वो उनके लिए चाहे पिछले और मैं कुछ देर में पहुंच रही हूँ । मैं ये दिखाना चाहती थी कि सब कुछ मेरे मन मुताबिक हो रहा है । फिर मैंने अपने ऑफिस में कुछ देर के लिए अपने आप को बंद कर लिया । शक्ति सौ सौ को जानना था और प्रोफेशनल देखना था तो मैं थी ऑफिस की खिडकी से बाहर दिख रहा लंडन अलसाया और तेरह था । कुछ दूरी पर मैं सेंटपॉल के कैथेड्रल को देख रही थी । इस अब धुंध के चलते देखना आसान नहीं था । सर्दियाँ आ रही थी । तेजी से और पूरी धंधे के साथ तो मैं खुद को सहज करने के लिए बैठ गई । मैंने कुछ दूर से सडकों पर तेजी से भागती ऍम ना मैं सोच रही थी कॅश बजाते हैं जब उन्हें किसी आपात स्थिति के लिए नहीं जाना होता है । ट्रैफिक के बीच से निकलने की एक चलाकी भी हो सकती है । मैं सोच रही थी कि क्या मैं कभी किसी पर भरोसा ना करने की आदत से वार पाउंगी और भरोसे की बात नहीं । मुझे वीर की याद दिला दी । अब सारी बातें उसकी ही याद दिलाती हैं । वीर तक खबरा चुका होगा तो बाहर बार मन ही मन अपनी बातों को दोहरा रहा होगा । जानती थी मैं जितने पैसे दे रही थी, किसी भी विज्ञापन एजेंसी के लिए बडी रकम होगी और बीरपुर इसे हासिल करने का बहुत ज्यादा दबाव होगा । अच्छी बात है । मैं खडी पर टिक टिक कर धीरे धीरे आगे बडती दूसरी सोई को देख रही थी । कारोबार के मेरे अनुभव ने मुझे सिखाया था । किस सारी कॉर्पोरेट लेन देन का रिश्ता पावर से होते हैं । अगर आप तीन हासिल करनी है तो अक्सर आपको ऐसा दिखाना होता है कि आपको स्टील की जरूरत नहीं है जबकि आप उसके लिए मारे जा रहे होते हैं । मेरे लिए तो बात यही तक थी लेकिन मैं वीर को असहाय देखना चाहती थी । हर लिहाज से असहायक जैसे की रहती है । मैंने ऍम को पूरे बीस मिनट तक इंतजार कराया और तब मैं ऑफिस रूम में दाखिल हुई । बाहर काले आसमा से अब रिमझिम बरसात होने लगी थी । वीर खिडकी के सामने किसी का आया की तरह बैठा था । पाकिस्तानी लडकी उसके दायां तरफ क्या नाम था उसका? हाँ शाजिया उनके साथ जूनियर्स की टीम थी जिनसे न तो मेरा उत्साह बडा और मैं ही मैं देखना चाहती थी । मैंने शजिया को हेलो कहा और फिर मेरी नजर फीर पर पडी । उसी पल में उस एक नजर में हम दोनों के बीच भी हूँ । टूटे सपने, बिक्री, उम्मीदें इतना ठो और हो उससे मेरी आंखों में आंखें डालकर देखा । मैंने मशीन ढंग से कहा हो और उसमें दूसरी ढंग से जवाब दिया मेरी खौर क्या सुबह तैयार होने में मैंने कितना वक्त लिया? उसका असर दिख रहा था । मैंने काले रंग की घुटने तक की प्रादा पहनी थी । उसके साथ जुडेगी पतली बच्ची के ॅ और चीज की इसका उसके ऊपर बडा असर पडा । उसकी आंखें मेरे ऊपर सर्वस्य ज्यादा देर तक टिकी रही और अगर मैं गलत नहीं हूँ तो उनमें थोडी नरमी थी । कभी नहीं चाहती थी । मैं नहीं जानती थी कि मैं उसके ऊपर ऐसा असर क्यों देखना चाहती थी । शायद मैं जानती थी लेकिन कुबूल नहीं कर रही थी । चलो अभी इस पर बात करने का वक्त नहीं है । मैं जब बैठी तब राज्य से पूछा कि वो हमें बताया कि हमारी कंपनी को लेकर उनकी सोच क्या है? शाजिया ने हमें मार्केट शेयर और टारगेट ग्रुप को लेकर एक प्रेजेंटेशन दे । बीस किसी ख्याल में खोया था । ऍसे बताया कि कैसे वो भारतीय लोगों के साथ ही अंग्रेज ग्राहकों का दिल भी जीतना चाहते हैं हूँ । मैं जब सारी बातें सुन रही थी तब यही सोच रही थी कि पीर के दिमाग में चल क्या रहा है । आखिर मेरिटर क्यों नहीं देख रहा था । ये सारी बातें जानती थी तो कहीं जा रहे थे लेकिन ऍफ का हिस्सा होने के कारण सिर्फ हिलाना पड रहा था । ऐसा दिलाना पडता था कि उन्हें जो कुछ जानना चाहिए उस जानते हैं । फिर शाजिया ने प्रजेंटेशन वीर के हवाले कर देंगे । वीर ने टेबल के दूसरी तरफ बैठे हैं । हम सभी की ओर नजर दौडाई और अपनी सोच को सामने रखने के लिए खडा हुआ । वो मेरी तरफ देखने से पूरी तरह बच रहा था । भारत और ब्रिटेन का एक लंबा इतिहास रहना है । इसके बारे में हम सब जानते हैं । लेकिन यहाँ से एक मार्केटिंग डिवाइस के तौर पर देख नहीं और भारत के स्वास्थ को फिर से लेकर आने का मुद्दा है । उसके आवास भारी, दमदार और गहरी थी । मेरे गौर किया कि उसने अपनी पसंदीदा जसप्रीत शर्ट ऍम सूट पहना है । तो तो ज्यादा फॉर्मल था और नहीं पूरी तरह ऍम उसकी शर्ट की कॉलर के पटल नहीं लगे थे । ये उसका अगर वाला तरीका था । जो जाने जो मुझे गुस्सा दिलाता था, वो तो इस इंग्लिश लडकी की करना कीजिए जो गांव के एक सुंदर से मकान में रहती है । एक दिन वो अटारी को खंगालती है और उसके हाथ लग जाता है । उसकी दादी का ऐसा खजाना जिसमें किताबें ही किताबें हैं । उसकी दादी अंग्रेजीराज के दौरान भारत में थी और कई चीजों के अलावा भारत से स्वादिष्ट भारतीय व्यंजनों की रेसिपी भी लेकर आई थी । वो बोलता जा रहा था, मैं ठीक रही थी, उसे अपना काम बखूबी आता है । मैं ये भी देख रही थी कि मेरी टीम पूरी दिलचस्पी के साथ उसकी बातें सुन रही थी । यहाँ तक कि डाॅ । इनका चेहरा अक्सर भावशून्य रहता है न घर उसकी तरफ पडी वो भी मुझे नहीं देख रहा था तो लडकी रेसिपी की किताब लेकर किशन में आती है और सामग्रियां छुटाने लगती है फिर खाना पकाती है खुशबू से उसके माँ बाप किशन में खिंचे चले आते हैं । उसकी दादी, उसका पूरा परिवार और पडोसी तथा जाते हैं । वो रेंजरों को चखने लगते हैं और फिर घर के बाहर शॉट नहीं देखते हैं कि राशि शहर स्वास्थ के लिए इकट्ठा हो जाता है । मेरे हाथ में कॉपी है जिसमें लिखा है तीस ऍम सारे लोग उत्साह से तालियाँ बजाने लगे । मैं देख रही थी इस सभी कोई पसंद आया था । फिर सबकी नजरें मुझ पर टिक गई क्योंकि फैसला मुझे करना था । वीर के पास मेरी और देखने के अलावा गोल्ड जा रही नहीं था । मैंने पूरा वक्त लिया और कमरे के तनाव को पडने दिया । ठीक है जितनी विनम्रता संभव थी उससे बोली इस कंपनी को चलाने का मेरा जितना अनुभव है उस लिहाज से या अब तक का सबसे बेहुदा आइडिया है बुरी पंद्रह अच्छी सुनाई बडी लेकिन मैं झुकने वाली नहीं थी । बस अभी मेरा प्लान था । मैं हैरान हूँ कि एक विज्ञापन एजेंसी जो कॉलेज ग्रेज, इतनी जानी मानी और बाजार को समझने वाली वो उतने नौसिखियों जैसा आॅस्कर आएगी । मैंने से पसंद करने की भरसक कोशिश मुझे लगता है इससे तो हमारा ही नुकसान हो जाएगा । मैंने शांत भाव से अपनी बात लगती है । शाजिया मेरी तरह वैसे देख रही थी मानो उसके आखिर बाहर निकल आएंगे । उनकी टीम के दूसरे लोग नोट करने का स्वांग रच रहे थे और मेरी कॉर्पोरेट लडाके हराम है । जैसा की मैं देख पा रही थी, सिर्फ एक वीर था । मेरी तरफ लगातार देखे जा रहा था उसके वोटों पर होटल मुस्कान क्या मानव जानता था कि यह तो होना ही है तो मुझे बहुत अच्छी तरह जानता था । मुझे लगता है कि ये पूरी तरह से समय की बर्बादी थी । मैंने किसी की परवाह किए बिना अपने बात खत्म करना फॅार प्लीज फॅमिली को बता दीजिए कि हम इस विज्ञापन को खारिज कर और कुछ दूसरे विकल्प ढूंढ रहे हैं । मिस्टर वेस्टर्न ने हामी भरी और मैं अपने कमरे से बाहर आ नहीं नहीं एक मकसद के साथ अपने ऑफिस की तरफ बढ गई । जो कॉन्फ्रेंस हॉल से करीब पांच मिनट का पैदल रास्ता था । मैं की कदम चल रही थी और खुशी के झोंको के आने का इंतजार कर रही थी । खुशी पीर को चोट पहुंचाने । लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ । मैं ऑफिस में कॅान्स्टेबल में अपने चेहरे को अकेली बैठी बैठी घूम रही थी । नहीं खाली तो उन का एहसास किया जिससे कभी महसूस नहीं किया था । मेरे भीतर वो खालीपन पूरी तरह से भर चुका था ।

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वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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