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03-मुट्ठी भर धूप -वीर in  |  Audio book and podcasts

03-मुट्ठी भर धूप -वीर

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वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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वी सोमवार की शाह ऍफ कुछ उल्टा पुल्टा कर दिया था । हूँ चीजों को उलझाने का मेरा हुनर पे जोड था और खास तौर पर इंसानी रिश्तों के मामले में अपने बचाव में मुझे यही कहना है कि आज मेरी जिंदगी का सबसे पूरा दिन था । मैं जैसे ही मीटिंग से भागा और पुरुषों के टॉयलेट में जाकर छिप गया । शाजिया को ऐसा हो गया कि कुछ गडबड है । भागने किस महान काम मैंने और भी महान बना दिया जब मैं तब तक वहाँ से बाहर नहीं निकला जब तक मुझे यकीन नहीं हो गया की मीटिंग पूरी हो गई है और मीरा से आमना सामना होने की कोई गुंजाइश नहीं है । ऍम नहीं सहानुभूति जनचिंता के साथ मुझे देखा वैसे ही जैसे कुछ समाज से किसी भागने वाले इंसान को देखता है । मैंने उन्हें गुप्ताए कहा और चुप चाप शाजिया की विशालकाय गाडी में बैठ गया हूँ । कार में दाखिल होते ही मैंने उसे ही कहते हुए चुनाव कि हमारी चीज जैसे ही तैयार हो जाएगी हमने भिजवा देंगे । हम क्लब से एक दूसरे से बिना कुछ कहीं बाहर निकलेंगे मानो क्लब के एक कान हूँ और वो हमारी बातचीत को मूॅग कंपनी या उससे भी बुरा हुआ तो मीरा तक पहुँचा देगा । क्या हरकत थी आखिरकार उसने खुलकर उस सवाल को रखी दिया । मैंने कुछ नहीं कहा । मीटिंग के शुरुआती दस मिनट में तो तुम्हारे मुंह से एक शब्द नहीं निकला । मॅाम वहाँ से ऐसे गायब हो गए जिसको भूत देख लिया हूँ । वो डांट लगा रही थी । यही तो बात है । ऍम भूत को देख लिया था । अपने अतीत के भूत को मुझे नहीं लग रहा था कि उस वक्त उसे सारी बातें बताना ठीक होगा । ऐसा नहीं था कि मुझे उस पर भरोसा नहीं था । बस मुझे खुद पर यकीन नहीं था कि मैं सब कुछ साफ साफ बता पाऊंगा । कम से कम अभी तो बिलकुल भी नहीं । मुझे लगता है मेरा विकेट बहुत बुरा बिता कलॅर से जो खाना मंगवाया था उसने सौं बीमार कर दिया है । मैंने खुद को सच्चा साबित करने की भरपूर कोशिश की है । मुझे नहीं लगता कि शाजिया को मेरी बात पर यकीन हुआ लेकिन उसने से मान लिया । बाकी के रास्ते हम सिर्फ खामोश रहे । हम जब तक ऑफिस पहुंचे तब तक फॅस को फोन कुमार चुके थे । वो लिफ्ट के करीब हम पर टूट पडने को खडे थे । उन्होंने हम जब भी गर्मजोशी से हाथ मिलाया, वाहनों से उखाड कर ही दम लेंगे और बताया ॅ संदेशा भिजवाया है कि इंडियन फूट कंपनी और उसके सीईओ मिसेस वर्मा हमारी प्रेजेंटेशन देखना चाहेंगे । रखी छोटी करते हुए उसने मेरी तरफ देखा और कहा दिखाओ बेटे हैं ये भारत की बात है तो भारत देश की तुम्हारे घर की समझे ऐसा बना दूँ कि वो हमारे हाथ चाट चाट कर खा जाएंगे । मैं मुस्कराया और हम सिर्फ ला दिया एक फूट कंपनी और हमारे हाथ चार चाटकर खाएँ क्या बात है जिम आपने मजाक पर ठाकरे लगाने लगा । शाजिया किसी तरह मुस्कराई जबकि मैं उतना भी नहीं कर सकता हूँ जिनके जैसा जोशो खरोश दिखाने के मामले में मैं दूर दूर तक उसका मुकाबला कर ही नहीं सकता था । दफ्तर में जिम जोनास कहीं से भी तो उस नहीं था । उस साफ तौर पर पहुँच था और उसका भी करा देता था । मैंने कहा था कि वह शायद रख दी का खिलाडी था और कोई भी जब उसकी छह फिर तो हम भी कब काठी को देखता था । उस पर यकीन करना मुश्किल नहीं होता था । कुछ काम पूरा करने और कंपनी के खजाने में पैसे जमा होते रहने से मतलब था । मजे की बात ये थी कि उसे विज्ञापन के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था और यही मेरे लिए मुसीबत । उन्हें शुक्रवार तक हमारी प्रजेंटेशन चाहिए । कुमार हो उन पर अपने जादू की छडी । उसने अपनी खुशी से कहा कि मैं कभी भी डर जाता लेकिन उस दिन नहीं ना इतना हिल चुका था की जिम चाॅस और मुझसे उसकी उम्मीदों की मैं परवाह नहीं कर सकता था । मैंने वायदा किया की बेहतरीन काम कर दिखाऊंगा । शाजिया को ऐसे देखा मानो कह रहा था कि उनसे बाद में मिलता हूँ और झटपट अपने ऑफिस के क्यूबिकल नहीं गुम हो गया । मैंने दरवाजा बंद किया और लेदर के काले पहुँच पर बैठ गया । वही इस पर लेटे लेटे मैंने कई कॉन्सर्ट तैयार किए थे । मेरा मन इतना टूटा हुआ था कि फर्श से छत तक की उस लम्बी चौडी खिरकी से टॉवर ब्रिज के नीचे से थेम्स नदी का खूबसूरत नजारा भी सुकून नहीं दे पा रहा था । मैं बस किसी तरह तरह के निकल जाने का इंतजार करता रहा । वही रास्ता था, ऍफ निकलता गया और मेरे दिमाग से वो हम झटके । अब मुझे सब कुछ साफ साफ नजर आने लगा था । आखिर उसने बॉलैंड घर को ही कौन सब के लिए क्यों चुना । वो तो वो जानती थी कि मैं उसे तैयार करूँ । उस जानना चाहती थी कि मैं किस लायक हूँ । क्या वो उससे मिलने का बहाना ढूंढ रही थी? ठीक है अपनी इस लिस्ट से साफ ही बात को हटा देता हूँ । मुझे यह था कि वह मुझे दोबारा कभी मिलेगी । वो देखना चाहती थी कि मैं उसके मनमुताबिक कुछ करने के काबिल हूँ या नहीं । क्या वो बोर्डरूम की टेबल पर बैठकर देखने का लोग उठाना चाहती थी । पानी पानी हो कर उसे खुश करता हूँ । वो उसे लेना चाहिए नहीं । हाँ, यही बात उसे बमुश्किल एक घंटे का वक्त देना होगा । लेकिन वो जानती थी कि मुझे रिसर्च करनी होगी । कौन से पर सोचना होगा और सही असर के लिए घंटों तक काम करना होगा । होना एक बॉलर गेम खेल रही थी और मेरे पास उसमें शामिल होने के सिवाय कोई चारा नहीं था तो कोई बात नहीं । मैं ऐसी प्रजेंटेशन तैयार करूंगा जिससे वो ठुकरा नहीं लगेगी । मैं पूरे उत्साह के साथ घर के लिए निकला । ऍफ को चीज होगा । हर उस चीज पर सर्च कर डालूंगा जिसकी सहमत है और फिर तब तक दिमाग लगाऊंगा जब तक की कॉपी खुद खुद ना लग जाए । हालांकि मेरा जो ज्यादा देर नहीं टिका । घर पहुंचा तो देखा की कविता पहले ही आ चुकी थी । कविता और मैं कुछ समय से डेट कर रहे थे और थोडे समझ एलेवेन में थे शादी और लेकिन रिश्तों के वर्ग पर काफी बहस हो चुकी थी । लेकिन ऐसे दिनों में दूसरों की मुश्किलें एक जैसी लग रही थी । वो कुछ छूट धारी वकीलों का टेलीविजन शो देख रही थी तो हर केस जीत जाते थे मेरे लिए ये सब कपोलकल्पना रूस लेकिन के बाद कविता से अच्छे होने की उम्मीद करना एक ही तरह की कल्पना थी । ऐसी जिसकी मैं सच होने की उम्मीद कर रहा था उसका मुझे आती देखा । टेलीविजन बंद कर दिया । ऍम में जाना चाहता था कि नाटक करते हुए कि मेरे दिमाग में कुछ चल रहा है लेकिन उसमें मेरा रास्ता रोक लिया । हमें बात कर लेनी चाहिए । उसमें थोडी गंभीरता से कहा हमें बात कर लेनी चाहिए किसी भी पुरुष के लिए अच्छा नहीं होता जो भावनात्मक रूप तोड कर रख देने वाले दिन के बाद घर लौटा हूँ । आज नहीं कविता नहीं, अभी नहीं अभी इस मैंने मेहनत हम बातों को छुपाते हुए डालते नहीं रह सकते हैं । हमें हालांकि सच्चाई का सामना करना होगा और जितनी जल्दी कर लो उतना ही अच्छा है । उसने ऐसे कहा मानो पूरे दिन दोनों के बारे में सोच रही थी । मुझे नहीं लग रहा था कि मैं उस दिन आपने बीच के रिश्ते पर किसी भी तरह की बातचीत करने की हालत में था । कविता और मैं बर्मिंघम में भारतीय शादी में मिले थे । धूरा मेरा दूर का भाई था और बहन कविता की तो आपसे डिनर पार्टी किसी मोटे भारतीय आदमी ने दी थी जो किसी भारतीय रेस्टोरेंट हुई थी और मुझे जगह की लहसुन वाली महक आज भी याद है । फॅमिली सुनने की क्षमता जब खत्म हो गई थी तो मैंने अपनी ड्रिंक उठाई थी और सिगरेट का कश लगाने बाहर निकल आॅउट बात पर खडे देखा था । पूरा शांत की लहसुनिया पंद्रह से बचने के लिए बाहर खडी थी वो सब ठीक नहीं । मैंने पहली बार उससे कहा था हूँ अपने लंबे तार वाली है ये मेरी बात जहाँ तक है तो मेरी कुछ पसंद नहीं है लेकिन उस कितना उन्होंने मुझे लुभाया था । उसे ऍफ में वहाँ खडा देखा था ऍम रखी थी । वो आंखों को स्कूल देने वाली थी । उसके पर उसके कंधों पर चाय थे और साफ तौर पर हाल ही में किसी सलून में सौ मारे गए थे । पतले चेहरे पर छोटी और धूरियां को और उतरे फोटो की बदौलत किसी भी फॅमिली के काबिल थी । ऍम के प्रति हम दोनों के नफरत हमारे साथ आने की वजह बन गए । बाद में हमने लहसुन की कृपा को लेकर कई मजाक भी किए हैं । लंदन लौटने के बाद हम संपर्क में रहे । वो सौ हो में एक फॅमिली चलाते नहीं । उसमें कला की समझ नहीं थी और मैं सोचता था कि काला भला आतंकवादियों से कैसे बच्चे भी है । उसे मेरी बात पसंद आई और जल्दी ही हमने दूसरे को टेस्ट करने लगे । अच्छा मेरे बेकार से मजाक पर भी ठाकरे लगाकर हसती थी । वो एक अमीर परिवार से ताल्लुक रखती थी जो भारी सामान उठाने वाली मशीन लीज पर दिया करते थे । तो मुझे इस सबसे विचित्र और हैरान करने वाली बात लगी की अपनी कमाई के लिए कोई इस रास्ते को भी हूँ । छह महीने तक डेटिंग के बाद वो मेरे साथ रहने चले आए । हमें साथ रहते हुए दो साल हो गए । उसको फिर से बात छेड नहीं और मैं चाहूँ या नहीं वो बात करने पर पडी थी । फिर भी मैं जब भी तुमसे मॉम डैड से मिलने को कहती हूँ तो तुम तुम हमेशा कोई न कोई बहाना बना देते हैं । बीस कविता की आज हम इस बात को रहने नहीं दे सकते हैं । प्यार से कहा ये बात आज होगी जब कभी नहीं देखते हैं । मैं तुम्हारी खेल से थक चुकी हूँ । मेरे पीछे पीछे बेडरूम में चली आई । मुझे उसके हमले से बचने की चक्की भी नहीं मिल रही थी । मैं घेरा हुआ सा महसूस कर रहा था जो अच्छी बात नहीं थी । मैं खुद को शांत रखने की भरपूर कोशिश कर रहा था । मेरे माँ बाप वोट नहीं । वो जानते हैं कि तुम उनसे बचने के बहाने बना रहे हो । शनिवार को मामले अपने हाथों से तुम्हारे लिए डिनर बनाया था । उन्हें कितना बुरा लगता है । वो धीरे धीरे मुझ पर हावी होती जा रही थी । मैं अब खुद को रोक नहीं पा रहा था । मैं तुमसे बस यही जानना चाहती हूँ कि तुम अगले कदम के लिए तैयार हूँ क्या नहीं और ये एकदम साफ बात है । ब्लॅक फॅमिली तैयार नहीं हूँ । मुझे नहीं चाहिए अगला कदम कहता तो मेरे लिए काफी बच्चे बहुत ही खाता हूँ । बहुत सीखना नहीं चाहता था । लेकिन मैं जंग नहीं शामिल हो चुका था । वो मुझे होकर देखती रही । बहुत देर तक सन्नाटा छाया रहा हूँ और फिर मेरे को छूते उदार कर उन्हें एक कोने में फेंक दिया हूँ । उसको छोड रहा हूँ । उसकी आंखों से कह रहे थे, भगवान के लिए मुझे बार पर अगले कदम के बारे में बात ही क्यों करते हैं? हम जहाँ हैं उसमें क्या बुरा है? क्या आप खुश नहीं है? मैंने उसकी तरफ देखे बिना ही कहा मेरी नजर कारपेट पर खडी थी, शादी नहीं करना चाहते । हो रही थी मैं कुछ नहीं है तो मैं नहीं चाहती कि बच्चे हैं, परिवार हूँ । उसकी बातें सुनकर मैं किसी शैतान की तरह महसूस कर रहा था जिससे मुझे और ज्यादा गुस्सा आ रहा था । मैंने अपनी आंखें बंद कर दिए । जवाब तो बीस पच्चीस पडी । मैंने तय कर लिया था कि मैं कुछ भी बुरा नहीं हूँ । मेरे करीब आई और चेहरा अपनी तरफ कुमारिया । मेरे पास देखने के सिवाय उन रास्ता नहीं था हूँ । मैंने उसका चेहरा देखा और ऍम अखिल वो अपने साथ मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही थी? अखिल क्यू जैसे चल रहा है, वैसा ही रहने नहीं देती है । बीस मिनट और गुस्से के बीच की आवास में हो रहे हैं । नहीं मैं शादी नहीं करना चाहता हूँ और बच्चे भी नहीं चाहता हूँ । तुम्हारे माँ बाप से भी नहीं मिलना चाहता है । कभी नहीं । ऐसा कुछ नहीं करूंगा तो मैं नहीं करना चाहता हूँ । कोई अगला कदम नहीं है । सब एक कदम है । इस कदम के बाद सारे कदम रूप चाहते हैं । इस कदम के बाद अब ऐसी खाई में घूम हो जाते हो जहाँ कुछ नहीं रह जाता है । मैंने उसका बताया और दूसरी तरफ देखने लगा । आंखों में आंसू लिए वो मेरी तरफ देखते ही नहीं हुआ कि मैं ऐसी बातें कर रहा हूँ । मैंने अपना सर फोन चार्ज पर लगाया और उसके आंखों में भरे । उससे को अनदेखा करते हुए पात्र में चला गया । तरफ से कोई पर फिर घरेलू झगडे की कीमत चुकानी पडेगी । मैंने पैसों से जोर से बंद कर दिया तो मैंने आॅन अपनी शक्ल देखिए । ऍम नहीं क्या बन गया हूँ किसका ऍम बिल्कुल नहीं था । मुझे लोगों को चोट पहुंचाना अच्छा नहीं लगता था । दरवाजे के बाहर खडी थी और इतनी साफ आवाज में बात कर रही थी कि मैं हर शब्द को सुन सकते हो नहीं तो सच में ऐसे कभी नहीं हो । इसकी चेतावनी पहले ही मेरे दोस्तों ने दीजिए । मैं तो मैं छोड कर जा रही हूँ । और तुम चुप नहीं रहोगे तब मैं आउंगी और अपनी चीजें ले जाउंगी । मैं नहीं जानती कि वह कौन है लेकिन कोई है जिसने तो मैं कहीं का नहीं छोडा है और एक दिन एक दिन तो मैं समझ जाएगा कि अपने अतीत के चलते तुमने अपने भविष्य को तबाह कर लिया । मुझे उसके आवास में उसके आंसूओं का एहसास नहीं हुआ । शहद हूँ हो चुके थे । एक बात बताता हूँ जब और आपको शांत व स्थिर मन से छोड कर जाती है तब समझ लीजि वो वापस नहीं आएगा हूँ । मैंने सब कुछ तबाह कर लिया था । हाँ नहीं किया था ।

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वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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