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02-मुट्ठी भर धूप -मीरा in  |  Audio book and podcasts

02-मुट्ठी भर धूप -मीरा

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वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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मीरा सोमवार की दोपहर मुझसे पैसे ही टकराया । जिसे ढलान पर बिना ब्रेक वाली मालगाडी तेजी से नीचे जा रही हो । वो भी था तो मेरे सामने बैठा था इतने साल बाद और मुझे ये नाटक करना था कि सब कुछ ठीक है क्या? मैं सपनो की दुनिया में थी या फिर ऐसा था की मैं उसे जानते ही नहीं थी । क्या मैंने ये मान लिया था कि पहले कभी कुछ हुआ ही नहीं था । शायद वो कोई अजनबी था । इसके साथ मुझे काम करना था और हमारी पहली मुलाकात थी । क्या किसी तरह की परीक्षा थी क्या पागल हो रही थी मेरे मन में? मुझे बताया कि मैं उस की तरफ ना देखो मेरा दिन तक का कर रहा था । मैंने चेतावनी को अनदेखा किया और एक नजर उसे देख लिया । उसकी उम्र डालती देखिए कलम के बाद गरीब ऐसे करते थे पर थोडे बहुत सफेद होने लगे थे । बद्दी सी हल्की दाढी रखने की उसकी आदत कई नहीं थी और आज भी वह ऍम लगता था । कुछ भी नहीं बदला था फिर भी सब कुछ बदल चुका था । मैं देख पा रही थी कि वीर के लिए अचानक टूटे दुखों के पहाड से जूझना मेरे मुकाबले थोडा मुश्किल हो रहा था । मुझे खुद पर काबू रखना पड रहा था । कॅप्टन ने शाजिया से मेरा परिचय कराया जो विज्ञापन कंपनी की फॅमिली लीडर थे तो वैसे ही दिखती रही थी । लेकिन मुझे उसकी पालिया पसंद नहीं आएगा । मैं इन बातों से परेशान नहीं होने वाली थी । मैंने गहरी कापटी हुई सांसद और शाजिया को गौर से देखा । वो मेरी तरफ मार्केटिंग के अमूमन हावभाव से देख रही थी । मैं इसकी उम्मीद नहीं कर रही थी कि मैं भी के सामने बैठे होंगे । अच्छा मुझे अपने अंदर बहुत पानी का एहसास हुआ । मुझे मिचली से आ रही थी । वीरू खडा हुआ । अचानक बेढंगे तरीके से उसके वहाँ से जाने की इजाजत मांगी । इजाजत मिलने का इंतजार तक नहीं किया और वहाँ से कुछ भाग खडा हुआ । वो नहीं लगता हूँ और बाकी की मीटिंग, झूठमूठ की बातों तथा दिल टूटने के यादव का धन लगा सब बनकर रहेंगे । माइग्रेन ने पूरी ताकत से हमला किया । इसका मुझे डर भी था । अब मुझे ऑफिस से छुट्टी लेनी पडेगी । मेरे अंदर एक और मीटिंग की हिम्मत नहीं बची थी । मैंने जल्द से जल्द रिचमंड की तरफ से बाहर जाने का फैसला किया चुका था तो उस वक्त सडकों पर ट्रैफिक नहीं था । लेकिन ट्रैफिक लाइट्स मुझे रफ्तार धीमी करने को कह रही थी । सब मुझे ही रोक रहे थे और इन सब के पीछे किसी न किसी की हल्दी जरूरत थी । अच्छा कुछ हुआ उसके लिए कोई तो जिम्मेदार हैं । इश्वर सारे खेल कर रहा था । फिर वो लम्बे कॉफी ब्रेक पर चला गया । आदत है इस दोपहर की धूप को लंदन के बादल कहाँ चले जाते हैं जब उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है । हम जिस घर के मालिक थी वो बडा हो । हम दो लोगों के लिए काफी बडा । मैं जानती थी कि अखिल नहीं इसे मेरे लिए खरीदा था और हमेशा मैं खुश रह कर दी थी लेकिन आज नहीं । आज का दिन अच्छा नहीं था । उसकी कार आने ही वाली थी । आज तो जल्दी घर लौट आया था । मैं चाहती थी कि आज वो जहाँ नहीं होता क्योंकि तनहा रहना चाहती थी । बीस अचानक हुई इस मुलाकात के बाद मन में कितनी तरह की भावनाएं को बढ रही थी । मुझे उन सब से निपटना था । नाटक करना मुझे आता नहीं था । अखिल स्टडी में कुछ फाइलें देख रहा था । उसने मुझे देखा और मुझे खराब था । मैंने किसी तरह अपने आप को संभाला । हल्लो बेदी उसने चाहते और खुश होते हुए कहा, जिससे मेरी बेहद संवेदनशील भावनाएं कुछ हद तक काबू में आ सके । मैंने कुछ बोलने के लिए अभी मुंह खोला था । ऊपर से गुजरता विमान बातचीत के बीच को पडा है । उसके तेरी फॅमिली आवास में दिमाग खराब कर दिया । धक करेंगे तुम यूरोप की सबसे बडी फाइनेंस कंपनी के सीईओ और उन्होंने दुनिया के सबसे व्यस्त एयरपोर्ट में से एक के करीब घर दे दिया है । क्या गजब की किस्मत पाई है? मुझे ऐसा ही नहीं हुआ कि जब विमान का शोर चरम पर था तो मैं भी पूरी ताकत से चीख रही थी और फिर लंदन के उपनगर की शांति ने मुझे अपने आगोश में ले लिया था । ऐसा लग रहा था जिसे जिस में पागल हो गई थी शायद वो भी गई थी । हम झगड रहे हैं । क्या अखिल की शक्ल ऐसी थी? मानव व्हाट्सएप्प का मोटी कौन हो? वही जो आंखें फाडकर हैरत से देखता है, मेरे सिर दुख रहा है । मैंने कोमल स्वर में कहा अचानक उसकी चिंता बढ गई । पेनकिलर लिया नहीं ऍप्स किसी गोली की तरह से निकला । मेरे रूके उनका अखिल पर कोई असर नहीं हुआ तो एक लेना है । क्या तुम अगले कुछ घंटों तक ऐसी बात तो नहीं होंगे । मैंने उस की तरफ घूरते हुए तपाक से कहा, अखिल के चेहरे पर एक मुस्कान थी और उसके अच्छे बर्ताव ने मेरा गुस्सा और बढा दिया । उसने मुझे तुच्छ होने का अहसास चला क्योंकि मेरे अंदर उससे जैसी मानवीय भावना । मैंने उसके सवाल का जवाब नहीं दिया और अपनी पेट्रोल भी चली गई । मैं जितने लोगों से मिली, अखिल उनमें सबसे अच्छा मुझे इतना खुश कर देता है कि कभी कभी मैं लकडी पर सर मार दिया, जिससे किसी और पर भूत सवार हो गया हूँ और मन ही मन अच्छे भी कहती हूँ । हमारी कोई नाटकीय प्रेम कहानी नहीं । इसके बाद हमारी शादी हो गई । असल में जितनी दुनिया भी थी कि अपने अंतरंग पलों में भी हमें दोबारा चीजें में कोई खुशी नहीं मिलती थी । मैं सिंगापुर स्थित अपने तथा की कंपनी का काया पलट करने के लिए काम कर रही थी । अखिल को कुछ दिन पहले ही पीटर प्राइस की ईस्ट एशिया फाइनेंस हैट के तौर पर चुना गया था । मेरी कंपनी को लोन नहीं दे रहा था । मैंने उसे पटाने के लिए लंच पर उस से मुलाकात की । पोपट भी गया, लेकिन मेरी खूबसूरती के जानना पहुंचने के बाद भी उसने लोन नहीं दिया । मैं उसे प्यार कर बैठी हूँ और लोन कहीं और से ले लिया । मैं उससे लाॅ तो खुशमिजाज बहुत शाम हुआ हूँ । मेरे भीतर चिडचिडाहट फूट फूटकर भरी थी तो की जिंदगी से मुझे वही सब तो मिला था । वो सब दुष्ट और शांत रहना चाहता हूँ तो मेरी सारी कमियों के बावजूद सुप्रीम करता हूँ । उतना अनोखा इंसान था की मैं उसे जाने नहीं दे सकते थे । लेकिन उसने बीवी जैसी लडकी से शादी क्योंकि इस की भावनाएँ पल पल बदलती रहती है । मुझे इसका जवाब कभी नहीं मिला है । छह महीने तक मुलाकातों का दौर चला हूँ । फिर हम एक दूसरे के माँ बाप से मिलेंगे तो खुश थे और खुशी खुशी मंजूरी दे दी । छह महीने बाद मुंबई में भारी भरकम खर्च वाली भारतीय शादी हुई है । ये पांच साल पहले की बात है । उस वक्त ही अखिल मेरा खेवन हार बन गया था । ऍम मेरा विश्वास और कभी कभी मेरा पाँच एजबॅस् सके । आज उसी रोल में था । मैंने पर्दा की जा पेनकिलर घट का और हम सब तकिए पर फिर मेरे सिर्फ से फटा जा रहा था । हजारों नगाडे बज रहे थे । एक सुपर दस शोर था हूँ अखिलेश इस तरह से हमने आने की जरूरत क्या थी? किसी तरह मैंने उस सुब की को दबा ॅ को भी हो चुकी थी तो मुझे किसी भी स्थिति में इसे अपने ऊपर हावी नहीं होने देना है । मुझे गहरी सांस लेनी चाहिए । मुझे तो जाना चाहिए अपने मन पर लगाम कसनी चाहिए ताकि इन सारी निर्बाध भावनाओं को दूर कर सकता हूँ । हूँ ऍसे कुछ मदद मेरे बाहर जहाँ चाहा रही चिडियाँ अब काम खींच पैदा कर रही थी । दरवाजे पर दस्तक हुई थी । मैं अब भी पति पर तक की को फेंककर मारने की मंशा लिए हुए थे । तभी दरवाजे की हाल किसी तरह के बीच अखिल का हाथ नजर आया । उसने माइग्रेन के लिए बाम बढा दिया । आप बहुत शर्मा कहीं तो मैं कुछ मदद कर सकता हूँ । उसके दरवाजे के पीछे से ही कहा मैं कुछ नहीं बोला । उसने थोडा थोडा का दरवाजा खोला और फिर मेरी सहनशीलता से हौसला बढते ही वो भीतर आ गया । ऐसा नहीं है कि वो डरा हुआ था तो दूर दूर तक ऐसा नहीं था । सिर्फ लुभाने की कोशिश कर रहा था और वो कामयाब हो गया । मैंने सिर्फ उसकी कोर्ट में रख दिया और मेरे बात है पर बाम की हॉलिडे हॉलिडे मालिश करने लगा । कितना अच्छा आदमी है । वहाँ गई बहुत अच्छा है । मैं उसकी तरफ मुस्कराकर देखा और वह भी उस तरह दिया । उसने मुझे किस किया और मैंने अपनी आंखे बंद कर और लोग वीर ऍफ आया था । उसके बाद सारी बातें याद दिला देना गुस्सा जो वो कडवाहट और इन सब से कहीं अधिक । उधर धीरे धीरे ही सही लेकिन निश्चित तौर पर मेरे अंदर गुस्सा बढता जा रहा था । मैं उसे ठेस पहुंचाना चाहती थी जैसा कि उसने मुझे पहुंचाई थी ।

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वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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