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दत्तू का क्या हुआ in Hindi

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AuthorRahul Singh Rajput
इंसान के हाथों होने वाले अपराध की सच्‍ची कहानियों को बयां करता यह उपन्‍यास रहस्‍य और रोमांच से भरा है।
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नौ अक्टूबर को नागपुर के एक पुलिस स्टेशन में फिर एंड मालवीय नामक एक व्यक्ति नहीं । रिपोर्ट लिख हुआ कि उसके घर के एक भाग में रहने वाले दत्तू पटेल आठ अक्टूबर से गायब है । वो उस दिन दोपहर को तीन बजे के करीब साइकिल पर घर से रवाना हुआ था । बस उसके बाद वह नहीं लौटा था । इधर उधर काफी खोज के बाद मालवीय रिपोर्ट लिखवाने आया था । दत्तू पटेल मध्य प्रदेश के वर्ष जिले के तरो दा ग्राम का रहने वाला था । नागपुर में नौकरी करता था और अपने परिवार ऍफ में रहता था । पुलिस ने इधर उधर पूछताछ की लेकिन कुछ बताना चाह रहा हूँ । तरूणता ने भी कोई खबर नहीं । जब दस अक्टूबर भी पटेलिया उसकी साइकिल के बारे में कोई सूचना नहीं मिली तो पुलिस इंस्पेक्टर ने मामले की गंभीरता समझी । अब उसे संदेह हुआ कि कुछ गडबड जरूर है । धतु के घर पूछताछ करने पर पता चला की लडाई झगडे जैसे कोई बात नहीं हुई थी । तो सभी के साथ दत्तू के संबंध बहुत अच्छा था । इसलिए संभावना तो गलत ही थी कि वो इंस्पेक्शन से घर छोडकर चला गया है । इससे समस्या के समाधान में जो सबसे पहला प्रश्न आता था वो ये था कि आखिर पटेल के अनिष्ट से किसी लाभ हो सकता है । पुलिस इंस्पेक्टर को इसका उत्तर नहीं मिला । शहद दत्तू की कमरे की खोज से कोई सूत्र हाथ लगता है । यह सोचकर इंस्पेक्टर उसके घर पहुंच गया और आर मालवीय से तू पटेल का कमरा दिखाने को कहा । उसने सावधानी से कमरे का निरीक्षण करना शुरू किया । संदूकों को उलट कर उनमें रखी हर चीज की जांच की गई । कोने में रखी मेज के दोनों दराज देखेंगे । अब इंस्पेक्टर ने मेज पर रखे कागजों को जांचना शुरू किया । थोडी देर बाद वो हाथ में एक कागज लिए कुर्सी पर बैठ गया । उस कागज पर जो कुछ लिखा था वो इस समस्या का पहला सूत्र था । लिखा था दत्तू पटेल को नमस्ते ऍम मिलो आने से पहले सूचना दे देना । उस पर आज ही लिन्से के हस्ताक्षर थे और तारीख पडी थी । आठ अक्टूबर उन्नीस सौ ऍम बाहर आया और मालवीय से पूछने लगा की वह अर्जी लिन्से के बारे में क्या जानता है और पटेल से उसकी क्या संबंध है उससे जिनसे का पता पूछकर बोल इनसे के घर की ओर चल दिया । वहाँ जाकर इधर उधर कुछ पूछताछ की जिससे काफी अजीब बातें पहुँचने रामकृष्ण जीलिन सेना बुराई कोर्ट में एडुकेट था । आपने तीन महीने मकान में रहता था । दूसरी मंजिल पर उसका दफ्तर था जहाँ पर आपने वो किलो से मिलता था । तीसरी मंजिल पर बैठक थी जहाँ पर उसके दोस्त होते रहते थे । डाॅ । उसका दोस्त था और अक्सर उससे मिलने आया करता था । वो उससे अपनी पारिवारिक के समस्याओं पर भी राय लिया करता था । लिन्से की घर को शराबी और गज एडियों का अड्डा बताया गया । ये भी पता चला कि दत्तू और लिन्से के कुछ अन्य मित्र वहां बैठ कर गांजा और शराब क्या करते हैं । इस घटना से कुछ महीने पहले तो और लिन्से के संबंध बिगड गए थे और तुम से दूर दूर रहने लगा था । उसने लिन्से के खिलाफ प्रचार भी शुरू कर दिया था । उसी ने वीरेंद्र मालवीय व अन्य लोगों को बताया था कि लिन्से नए धोखाधडी करके उसके हजारों रुपये लिए हैं । वो चोरों के गिरोह से संबंधित है । चोरी के माल में उसका भी हिस्सा होता है । जिनसे भी इच्छुक नहीं रहा था उसने दत्तू पटेल पर आरोप लगाया कि वो उसके विरूद्ध झूठी बाते कहकर उसकी मानहानि कर रहा है । वो दत्तू को धमकी देने से भी नहीं चूका है कि अगर उसने अपना प्रचार बंद नहीं किया तो दत्त को जिंदा नहीं छोडेगा । इन घटनाओं की सूचना इंस्पेक्टर के लिए काफी थे । लिन्से से पूछताछ करने के लिए चल पडा लेकिन तभी कुछ सोच कर दे गया । उसने सोचा कि इस तरह एकदम जाना ठीक नहीं । पहले उससे पत्र के बारे में कुछ और पता चलना चाहिए । वो सोच रहा था कि जब लिन्से और दत्तू के संबंध इतने अधिक बिगडे हुए थे । तुम ऍम को खत लिखकर अपने घर क्यों बुलाया? क्या दत्तू ने कोई जवाब दिया था कि उसने लिन्से से भेंट का समय निश्चित कर लिया था? क्या वह आठ अक्टूबर को उससे मिला था? इन बातों का जवाब थोडे बिना लिन्से से मिलना उसे एकदम बेकार लगता है । वो अच्छी तरह समझ गया था कि अगर तत्त्व के अध्यक्ष होने में लिन्से का हाथ है तो फिर एक्टर बडे ही धूर्त आदमी से है । कुछ घंटों बाद इंस्पेक्टर सादे कपडों मिल इनसे के घर के आस पास चहलकदमी कर रहा था । कुछ देर यही टहलने के बाद उसे एक महत्वपूर्ण बात पता चले कि आठ अक्टूबर की शाम को लगभग पांच बजे दत्तू पटेल साइकिल पर लिन्से की घर आया था । उसके बाद किसी ने उसे घर से निकलते हुए नहीं देखा । उसी दिन रात में आठ बजे के करीब लिन्से के मकान की तीसरी मंजिल से छोटी भी चीज की तीज आवाज भी सुनाई पडी थी । पडोसियों ने जाकर पूछताछ की थी तो लिन्से की माँ ने ये कहकर लौटा दिया कि वह कोई खास बात नहीं है । इस जानकारी ऍम उसे ऐसी आशा नहीं । पांच बजे हमसे के मकान में घुसने के बाद दत्तू का क्या हुआ? पडोसियों को जो होती हूँ कि सुनाई दी थी वो आखिर किसकी थी । वो अच्छी तरह समझ रहा था की इन बातों का जवाब उसी मकान में रहने वाला कोई आदमी दे सकता है । दत्तू के अपहरण के पीछे लिन्से का हाथ होने की बात कुछ कुछ सही लगती थी क्योंकि उद्देश्य भी स्पष्ट था और अवसर भी मिला था लेकिन केवल किसी से कम नहीं होता था । अपराध का ऐसा निश्चित प्रमाण मिलना अनिवार्य होता है जो उद्देश्य और अवसर के साथ संबंध होकर अपराधी को पकडो आ सकें । इसी घटना के उद्देश्य और सर तो थे लेकिन अपराध का निश्चित प्रमाण कायरता और वो तो लिन्से के मकान में रहने वाला कोई व्यक्ति ही बता सकता था । लेकिन इंस्पेक्टर यही सोच रहा था लिन्से के परिवार के सदस्यों को तो उस सूची में रखना भी देखा था । हाँ, अगर ऍफ का कोई नौकर हो तो इस खोज के परिणाम अच्छा लिखें । ग्यारह अक्टूबर को एक पुलिस अफसर गनपत नामक एक पंद्रह वर्षीय लडकी को इंस्पेक्टर के सामने गया । वो लिन्से की घर में नहीं था । डर के मारे गनपत का बुरा हाल था । अनुभवी इंस्पेक्टर ने उसका चेहरा देखते हैं । आप लिया कि वह अवश्य कोई रहस्य जानता है । थोडी ही कोशिश के बाद इंस्पेक्टर को वो सब पता चल गया जो पत्र जाता था । आठ अक्टूबर की शाम को पांच बजे जब तू पटेल इनसे के घर आया तो लिन्से कृष्णा पत्नी का भतीजा और शालीग्राम मौके के साथ दूसरी मंजिल पर बने चेम्बर में बैठा था । दत्तू की आती है । उसे लेकर वो तीसरी मंजिल पर बनी बैठक में चला गया और उसके बाद तो कभी बात नहीं आया । शाम को आठ बजे के करीब जब गनपत रसोई में काम कर रहा था तो उसे ऊपर से किसी की चीज सुनाई थी । अरे बाब मैं हमारा वो उत्सुक होकर ऊपर भागा लेकिन दूसरी मंजिल पर लिन्से के चेंबर में कोई न मिला । इसके बाद वो तीसरी मंजिल पर मनी बैठक की तरफ दौडा । बैठक का दरवाजा बंद था । उसने खोलने की कोशिश की लेकिन अंदर से कुंडा बंद था । दरवाजे की दरार में से देखा कि दत्तू जमीन पर पडा था । शालीग्राम ने उसके पैर कर रखे थे और कृष्णा होने बाल थाम रखे थे । जिनसे हाथ में तलवार लिए उस पर झुका था । गनपत डरकर फोर नीचे आ गया । पुलिस ने लेने की घर की तलाशी भी ली तो पता चला की वो नागपुर में नहीं है । दो मंदिरों में से तो कोई आपत्तिजनक चीज नहीं मिली लेकिन तीसरी मंजिल पर एक कमरे से निकलती अजीब दुर्गंध से इंस्पेक्टर को कुछ शक हुआ हूँ । इंस्पेक्टर ने कमरे की तलाशी नहीं तो पता चला की दुर्गंध कमरे में बने एक चबूतरे से आ रही है । वो ईंट और सीमेंट से बना हुआ था और अभी अभी बनाया हुआ लगता था । जब उतरा तोडा गया तो उसमें एक गाना हुआ अश्विनी निकला जो दुकान था इसके खिलाफ उसके संबंधियों करते लिन्से का कहीं पता ना चला । हाँ चौदह अक्टूबर को कृष्णा को गिरफ्तार कर लिया गया । वो पुलिस को एक तथ्य गया जिसमें क्योंकि साइकिल के कुछ उससे बरामद कर लिए है । उसी दिन शालीग्राम को भी गिरफ्तार कर लिया गया और उससे भी दत्तू की साइकिल के दूसरे हिस्से सोलह अक्टूबर को बनाना इसमें लिन्से ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया । उसे कडी पहले में ना बुलाया गया । मामले की जांच पडताल पूरी करने के बाद लिन्से कृष्णा और सारे ग्राम को नागपुर के सेशन जज की अदालत में पेश किया गया । उन पर आरोप लगाया गया था तो उन लोगों ने आठ अक्टूबर उन्नीस सौ उनचास या उसके आसपास किसी तारीख को नागपुर में जानबूझ्झकर । तू पटेल की हत्या कॅाम से अपराधी नंबर वन ने अपनी सफाई में कहा कि मैं घर पर नहीं था । मैं नहीं आता कि दत्तू पटेल किस तरह मारा था और उस टाइम मैं तो मेरे घर में किस तरह दफना दिया गया । ये मामला आकस्मिक मृत्यु का लगता है । मेरी अनुपस् थित में किसी अन्य मित्र ने उसका मैं तो मेरे घर में दफना दिया । कृष्णा अपराधी नाम बन्दों ने भी लिन्से की फिल्मी का समर्थन किया । उस ने ये भी कहा कि तब तो चार अन्य व्यक्तियों के साठ दिन से की अव्यवस्थित में उसके मकान पर आया था । वहाँ दत्तू ने गांजा और शराब का सेवन किया तभी अकस्मात उसकी मृत्यु हो गई और उसका मैं तो शरीर वहीं अटारी में पढा रहे हैं । जब कृष्णराव से सफाई की मांग की गई तो उसने कहा कि गांधी पटेल, गनपत और अन्य लोगों ने देखा था की तो शराब पीने के बाद दिल की गति रुक जाने से मर गया । मैंने उन लोगों को पूरा भरा था । शादी रहूँ अपराध मतीन ने कहा कि वो इससे घटना के बारे में कुछ नहीं जानता । वो ये भी नहीं जानता की मृत्यु शरीर उस मकान में कैसे आ गया । उसने अपने आप को निर्दोष का अपनी फॅमिली के समर्थन में लिन्से ने एक बहुत बडा बयान दिया जिसके अनुसार वो आठ अक्टूबर को दोपहर में नागपुर से अमरावती के लिए चल दिया था दत्तू की उस मकान में आने से पहले और सोलह अक्टूबर को बनारस में आत्मसमर्पण से पहले नागपुर नहीं लौटा था सुनवाई और अपील अदालत में दिन से कि जल्दी की दलील तो रद्द कर दी इसके विपरीत इस बात की पूरी प्रमाण थे कि ग्यारह अक्टूबर की शाम तक और बारह बजे की खोज के वारंट जारी किए जाने तक दिन से अपने घर में ही था और ये की उस ने एक पत्र लिखकर दत्तू को आठ अक्टूबर को अपने घर बुलवाया था । मैं बात असंभव ही रखती है कि उसकी जानकारी और सहमत के बिना किसी व्यक्ति अथवा किन्हीं व्यक्तियों ने उसके घर की तीसरी मंजिल पर एक तो शरीर को दफनाने की हिमाकत क्या है? तेज इंस्पेक्टर पहली बार गया था कि लिन्से घटनास्थल से दूर होने की बात प्रमाणित करने की चेष्टा करेगा । इसलिए उसने ऐसे प्रमाण जुटाने शुरू कर दिए जिससे लिन्से की बात गलत सिद्ध हो जाए तो उसने सोचा एडवोकेट होने के कारण ना हुआ । बारह अक्टूबर के बीच किसी न किसी अदालत में लिन्से की कुछ मुकदमे अवश्य रहे होंगे । काफी मेहनत से करती आज आज पडताल करने के बाद उसे ऐसे प्रमाण मिल गए जिससे लिन्से की एलवी की बात एकदम गलत सिद्ध हो गए । लिडंसे ने नागपुर के एडिशनल डिप्टी कमिश्नर की अदालत में जहाँ ग्यारह अक्टूबर को उसका मुकदमा था, प्रार्थना पत्र दिया था । उसमें लिखा था, मुझे सत्यार्थी की ओर से उन्नीस सौ अडतालीस उनचास की मालगुजारी, अपील नंबर छह सौ दो और लेकिन तैंतीस सात के बारे में एक ग्यारह अक्टूबर उन्नीस सौ पचास को अदालत में पेश होना है । मैं पिछले चार दिन से बीमार होगा इसलिए मेरी प्रार्थना है कि उसकी सुनवाई किसी अन्य तारीख के लिए स्थगित करने की कृपा करें । उस पर लिन्से के हस्ताक्षर थे और ग्यारह अक्टूबर की तारीख पडी थी । अपने फैसले में इस बात पर विचार करते हुए अदालत ने कहा कि इस पत्र में लिखी गई बातें इस बात का पक्का प्रमाण है कि दिन से अपने घर में था जहाँ दत्तू का मृत्यु शरीर दफनाया गया । ग्यारह दस हजार तक हूँ सरकारी वकील ने सशक्त तर्क करते हुए कहा कि परिस्थितिजन्य प्रमाणों के अतिरिक्त गनपत के प्रत्यक्ष प्रमाण से यह बात सिद्ध होती है कि दत्तू की मृत्यु षड्यंत्र की कहाँ हुई है, जिनसे की सहमति के बिना दत्तू कशेली उसके घर में कहीं भी जब साया नहीं जा सकता था, वहाँ तो में इस सबका उत्तरदायित्व उसी पर आता है क्योंकि उसके पास इस बात का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं है कि उसने तो शरीर को दफनाने के लिए ऐसा कदम क्यों उठाया । इसलिए इस बात पर विश्वास नहीं करने का कोई कारण नहीं है कि ये उसने अपना अपराध छिपाने के लिए क्या यदि मृत्यु स्वभाविक होती तो उस पर आचरण बिलकुल भिन्न होता हूँ । उसने दत्तू की मां और पत्नी को इस दुखद घटना की खबर दी होती है । अपने मित्र का दाह कर्म ठीक तरह से क्या होता हूँ? सरकारी वकील ने आगे कहा कि ग्यारह अक्टूबर को नागपुर से भाग जाना उसकी निर्दोषता की बात से मैं नहीं था । इसके अतिरिक्त दत्त की हत्या के लिए लिन्से के पास उद्देश्य मेरा दोनों के संबंध बहुत बिगड चुके थे । उसे अपना देश पूरा करने का अवसर भी मिला था । इस सनसनीखेज मुकदमे की सुनवाई के अंत में जज ने तीनों अपराधियों को दत्तू की जानबूझ कर की गई हत्या के लिए उत्तरदायी ठहराते हुए लिन्सी को मृत्यु की सजा सुनाई और बाकी दोनों को उम्रकैद की । तीनों बन्दियों ने नागपुर हाईकोर्ट में मृत्युदंड और आजीवन कारावास के निर्णय के विरुद्ध अपील की । आपने लम्बे निर्णय में हाईकोर्ट ने कहा कि हमें ये मान लेना चाहिए कि हमारे सामने ऐसी कोई बात नहीं है जो तत्त्व की मृत्यु का कारण बता सकें । बल प्रयोग कभी कोई प्रमाण नहीं मिल का अदालत नेग्लिजेंसी कि नौकर गनपत के बयान पर विश्वास नहीं किया । हो सकता है कि दत्तू की मृत्यु है, हृदयगति रुक जा रही अथवा मुश्किल से हुई हूँ । संक्षेप में इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि दत्तू की मृत्यु तो भाविक नहीं थी अथवा वो बल प्रयोग से हुई । अब तक जो बातें हमारे सामने आई हैं उनसे वही प्रमाणित होता है कि लिन्से के मकान की अटारी मेरे शव को दफनाने के लिए पहले से कोई तैयारी नहीं की गई थी । स्पष्ट है कि ये निर्णय उसकी मृत्यु के बाद ही हुआ । इसलिए अदालत में इन तीनों को संदेह का लाभ देते हुए गन्ने को रद्द कर के उन्हें बरी कर दिया । सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील की । सामान्य जज श्री महाजन ने अपने निर्णय में कहा, अपने घर की तीसरी मंजिल पर दत्तू की कब्र बढाने के पीछे लिंसी का जो आचरण रहा है वो माटी ही कहा जा सकता है और ये इस बात का पुष्टि प्रमाण नहीं है कि उसी नेतृत्व की हत्या की । हालांकि इसमें काफी संदेह होता है । सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की अपील रद्द कर दिया और नागपुर हाईकोर्ट का निर्णय बाबा रखा है हूँ हूँ ।

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