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हूँ । आप सुन रहे हैं कोई ऍम किताब का नाम है मुठ्ठीभर हो । इसमें लिखा है विक्रम भट्ट आशीष चैन की आवाज में कुछ हुआ है ना सो नहीं । जुम्मन क्या हैं हूँ वो भी सोमवार की सुबह उस पत्ते नहीं हवा से लडने की भरपूर कोशिश की पर हार गया । डाली से टूटा हवा में अलसाया सा लहराता हुआ फुटपाथ पर जा गिरा । मैंने देखा और सोचने लगा या किसी भी देर लगेगी जब कोई दे पर वहाँ बढिया इससे कुछ चल देगा । बहुत ज्यादा नहीं । मैंने अंदाजा लगाया फुटपाथों पर गिरे पत्थरों की किस्मत अच्छी नहीं होती । हवा में सर्दी खुल चुकी थी । मैंने अपनी जैकेट को पतन से चिपकाया और ऊपर तक के बटन भी लगा लीजिए । शाजिया को पांच मिनट पहले ही यहां पहुंच जाना चाहिए था । उस शायद ही कभी लेट होती है । नामचीन फॅस डिपार्टमेंटल स्टोर के करीब ब्लॅक होने पर मैं खडा था । सुबह सुबह दफ्तर जाने वाले और तेरे से जॉगिंग पर निकले लोग । दोनों में हेडफोन लगाए । मेरे आस पास से निकल रहे थे । हर सुबह में वहाँ शाजिया का इंतजार किया करता था । ये हमारी आदत बन चुकी थी । शाजिया से मैं पहली बार तब मिला था जब मैंने और ऍम के लिए काम करना शुरू किया था वो पाकिस्तान की थी । क्लाइंट को सर्विस देने वाली एजेंसी की सबसे अच्छी लडकी मैं भारत का था और अगर अपनी तारीफ करूँ तो सबसे अच्छा कॉपीराइटर शोले तो भडक नहीं थे । हम जब सबसे अच्छे दोस्त बने तो कई लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया । अगर ऐसा क्या है कि विदेश में ये दक्षिण एशियाई सबसे अच्छे दोस्त बन जाते हैं और अपने देश में एक दूसरे के खून के प्यासे बता नहीं सकता । लंदन में आठ साल बिताने के बावजूद ये समझ नहीं आया था । इस बीच पांच चेंज हील वाले पैर में उस मोर्चाें पत्ते को रोना ही था । शादी अपने रेंजरोवर में पहुंच गई । मैं सोच रहा था कि क्या मैं स्कूल में ये पढाया गया था । डाली से टूटने के बाद भी पत्तों में कोई भावना बचती है । ये देर रात इंटरनेट पर रिसर्च का सब्जेक्ट हो सकता था । हेलो भी शाजिया ने मुझे देखते ही सुन्दर से मुस्कान बिखेरती हूँ । मैं जैसे ही पसंद है सीट पर बैठा है । उसने कैपेचीनो का मेरी तरफ पडा दिया जिसकी उस वक्त सख्त जरुरत है । ये भी हर सुबह की हमारी एक री थी । कार से काम पर साथ जाने के दौरान कैफीन की भरपूर डोस लेना । इससे पहले कि विज्ञापन के तूफानी झोके हमारे कम वेतन होगी, काम से निचोड जाने वाले लेकिन रचनात्मक मन को झकझोर ना देंगे । शाजिया पाकिस्तान के उत्तर पश्चिमी प्रांत की बेहतरीन खूबसूरती थी । कॅश इसके धुएं के जैसी अफगानी आंखें और गहरे भूरे रंग के बाल थे जो मॉनसून में धरती पर उतरे बादलों की तरह उसके कंधों को ढक लेते थे । छुट्टियों के दिन भी होते ही सब्र दस देखा करती थी । विकेट कैसा रहा, बिना कमाए उसने तब भी शुरू कर दी । मैं जवाब देकर पहुँचता नहीं चाहता था । शाजिया को झूठ पकडते देर नहीं लगती है । अचानक मेरा मन उस मनहूस घटना को सोच कर बैठ गया । मेरी छोडो तुम बताओ । मैंने अपनी आवाज मतल की को छिपाने की कोशिश करते हुए पलट कर पूछा । ये भी कोई बात हुई । शाजिया हस्ता लगी कॉफी की चुस्की लेते हुए मैं शनिवार के बारे में सोचने लगा । जब कविता से मेरा झगडा हुआ था, मैंने क्या कुछ नहीं कहा था और बाद में उस पर अफसोस हुआ और फिर दरवाजा आराम से बंद कर दिया था । अगर लकडी के दरवाजों में भावना होती है तो मुझे पक्का यकीन है कि वो हम से संबंध तोडकर हमारा घर छोड कर चले जाते हैं । खूब मेरी छोडो तुम्हारा विकेट कैसा गुजरा मैंने जानबूझ कर पूजा शाजिया मुस्कराने लगी और कार चलाते वक्त जितना खिला सकती थी उसके साथ उसने अपनी चमचमाती पन्ना की पालिया दिखाई । ऍम तो बेहद महंगी होगी । मैंने उसकी बढता डिजाइन पर आपने नफरत को छुपाने का भरसक प्रयास करते हुए कहा होंगी मुझे भी लगता है लेकिन उन्होंने कहा कि मैं भी देश कीमती हूँ और एक बार या खुशकिस्मत हैं कि इस देश कीमती होता की खूबसूरती को बढा रही हैं । शाजिया किसी स्कूली लडकी की तरह खिलखिलाने लगी । अच्छा बताओ एक पाकिस्तानी के लिए किसी ऍम करोड पति को पढाने के कितने चांसिस है? मैंने छोडा शाजिया हंसने लगे और मेरी पीठ पर खुशा मार दिया । चलने वाले आॅप्शनल इंडियन कहीं कंजूस इमोशनल की जहाँ तक बात है तो वो सही हो सकती है । करीब छह महीने पहले शाजिया लू चॅू खून कराई थी और बताया था जिसके मुलाकात उस आदमी से हुई जिससे मिलना उसका सपना था । वो ना केवल किसी ग्रीस स्कॉट की तरह दिखता था बल्कि ग्रीन करोडपति भी था । तब से कह सकता हूँ ये कैसा आदमी उसके सपने हर औरत देखती होगी फाइव पर शाजिया ने मार्बल आज को पीछे छोडते हुए गाडी आगे बढा ऍफ इसका पता बदल गया क्या मुझे नहीं लगता है शहर से बाहर था मैंने कॉफी का आखिरी घूंट लेते हुए मजाक में कहा पता नहीं क्या बदला है पगले ऍम मीटिंग है कंट्री क्लब की मीटिंग वो भी सोमवार की सुबह जरूरी जिनके लिए कोई बडा क्लाइंट होगा । प्रदेश दफ्तर जाता श्रद्धांजलि देने के बजाय यहाँ भेजा गया है मैंने छुट्टी शाजिया ने हामी भरी । एक इंडियन आॅडिटर है । कई साल के लिए पक्के दे ये लोग मुंबई और सिंगापुर में काम किया करते थे । अब उन का सीईओ लंडन में बैठता है और मैं भी जानना चाहता था कि वह आगे की बात पता नहीं लगेगा । और अब वो यूके की मार्केट के लिए इंडियन स्टाॅक्स का एक ब्रैंड लेकर आ रहे हैं । इसे लॉन्च करने के लिए उन्हें किसी ऍम की तलाश मोटा क्लाइंट है । फॅसा सभी के लिए काम देगा । शाजिया ने फास्टलेन की तरफ गाडी हमारे मेरा तनाव अब पडने लगा था इसलिए जिम चाहता है कि हम हर हाल में ऐसे हासिल कर रहे हैं । जहाँ तक मुझे लगता है ऍम सर हिलाया और मेरा दिल बैठ गया । अब मैं सोमवार को उतना ही डरा हुआ था जितना कि शुक्रवार को लेकर डरा रहता था । अगर ये नहीं हुआ तो मैं शूट कर दूंगा । जेटली हर हाल में चाहिए । शाजिया ने हमारे सी योग जिम ऍम नकल उबारते हुए कहा और मैं मैं ठाकरे लगाने लगा । बीते कुछ दिनों में पहली बार मैं दिल खोलकर हंसा था । मेरा मन एक बार फिर फुटपाथ के बड्डे पर चला गया था । क्लब की सिक्योरिटी शाजिया से पूछताछ करनी थी और अब हम से अंदर जा रहे थे । घुमावदार रास्ते के बाद ट्यूडर शैली में बनी इमारत नहीं इसके देख रहे काफी अच्छी तरह की गई हूँ । क्लबों को देखते ही मेरे भीतर गुस्सा सा उबलने लगता था । वो आपको अपनी संस्कृति का हिस्सा बनने के लिए लग चाहते हैं और फिर कहते हैं कि आप उन के काबिल नहीं है । कुछ हद तक वैसे ही जैसे हाई स्कूल की लडकियों के नखरे होते हैं जिसमें मुझे सुंदर मुखडों में बलगम की याद दिला दी । मैंने ख्यालों में डूबा था और इस बीच शाजिया ने गाडी बरामदे के सामने खडी की और चाबियाँ वहाँ मौजूद वर्दीधारी ड्राइवर को थमा । फॅमिली और मिस्टर भी राय मैंने सही पहचाना ना ऐसा आवाज को सुनते ही मेरी नजर साफ सुथरे ब्लू पिन स्ट्राइट सूट वाले शख्स की तरफ गयी । आए तो ऍम वर्मा का असिस्टेंट हो शाजिया और मैंने ऍम से हाथ मिला । शाॅट मुलाकात की औपचारिकता पूरी की और आगे बढ गई मुझे वर्मा और इसको खेल करने के लिए और मेंबर्स लाउंज में आपका इंतजार कर रहे हैं । आप दोनों मेरे पीछे पीछे चले आइए ऍम वाले गलियारे की और इशारा किया और आगे आगे चलने लगा । अब क्या कार्यों की तरह पीछे पीछे चलने लगे । मैंने शाजिया की तरफ देखा बहुत चढाई और धीरे से कहा उस पर माँ ऍम जैसी शाजिया ने मुझे ऐसे देखा जैसे कह रही हूँ कि मीटिंग ऍम करूँ और ऐसी खुसपुसाहट से डांट लगाई जिसे बस मैं सुन सकता था । बदमाशी मत करो । मैंने भी सुधर जाने का नाटक की और मुंह घुमा कर मुस्कराने लगा । महोगनी लाओ भी तल की पट्टी पर लिखा था । वहीं से हम क्लब के बीच के हिस्से में दाखिल हुए । बॉल इसकी हुई लकडी और काले चमडे से बना थेट अंग्रेजों जैसा मेरा खिडकी से बैठक पर नजर डाली । जाॅन हमें आगे का रास्ता दिखा रहे थे और एक के बाद एक दो बातें हुई थी एक मैंने उनके सिर्फ पीछे से देखा और दो दिल की धडकनें बंद हो गयी । श ही है वो ऍम हो क्या रहा है तो बहुत बडा मजा तो नहीं? नीरा मैं काउंट पर उनका दाहिनी और बैठा है और पूरे पाँच सेकंड तक घूमता रहा हूँ । सही नहीं था लेकिन जो कुछ हो रहा था वो मेरे बस में भी तो नहीं था । उन्होंने मुझे नार्थ देख लिया तो मैं मैं जब तक आ गया उस समझ नहीं सकी की क्या कहीं नहीं । मैं कुछ कहने की हालत में था क्योंकि मैं जब उनसे आखिरी बार मिला था तब से जैसे उसकी उम्र हमसे गई तो बिल्कुल ही लग रही थी । काले खंगराले बाहर गहरी भूरी आंखें सुन्दर सी ना और उभरे हो वो उसको रे और बादाम चेहरे की शोभा बढा रहे थे । थोडी सी अंग्रेजी आम चेहरे उनके हूँ तो शरीर हो और भी खूबसूरत बना दिया था । और फिर बेपरवाही से बाॅर्डर से उसकी खबर छाक रही थी तो बता रही थी कि वो आज भी कितनी पतली है । क्या वो मेरे सपनों से उठती हुई बाहर निकली है और सामने आ गई तो या फिर कोई डरावना सपना था । मिस्टर वेस्टर्न ने परिचय कराया और मैंने देखा कि जल्दी ही वो खुद को संभाल चुकी थी हूँ । मैं उस से बाहर नहीं निकल पाया था । इस मामले में अक्सर देर से जब कभी वापस नहीं लौट पाता था शाजिया क्योंकि क्लाइमॅक्स की जिम्मेदार थी इसलिए उसने ये बताना शुरू कर दिया था कि हमारी विज्ञापन एजेंसी कितनी महान है । मैंने इस बीच में अपने दिल को फिर से चलाने के लिए उसे धक्के मारना शुरू कर दिया । हो भी गया और ऍम कर रफ्तार से चलने लगा कि मुझे ये शब्द तीन हो गया की मुझे दिल का दौरा पडने वाला है । अब उसके होटल रहे थे अब उसका रही थी । अब वो फॅमिली भरा रही थी । अब तो हमें कुछ लेने को कह रही थी । इन सब के उसने एक बार भी मेरी तरफ नजर उठाकर नहीं देखा तो मैं मैं उसे इस तरह होता रहा जैसे वो कोई चमत्कार हूँ । सारी इंद्रियां मानो बंद पडती जा रही थी लेकिन दिल गिरफ्तार कम होने का नाम नहीं ले रही थी । शाजिया ने मेरी तरफ देखा और चौडी मुस्कान के साथ कुछ कहा मैं भी मुस्कराया । हम इससे पहला और कुछ पर अपनी सहमति जता दी । मेरे लिए तो स्वास्थ लेना भी दूभर होता जा रहा था । पहले से भी खूबसूरत लग रही थी । मैंने उससे पहली बार देखा था बशर्ते ऐसा कुछ हुआ होता । उस आलीशान चमडे की कुर्सी पर उसका अच्छा रहा । राष्ट्रीय और नहीं ना सुख दिख रहा था और बात है कि वो कुर्सी शायद हट्टे कट्टे आरबी जनरलों के लम्बे पकडे स्काॅर्पियो के लिए थे । ऍम को लेकर उसकी समझे हमेशा की तरफ भी जोड स्पेशल चीज के अंदर की गई थी और अधूरे रंग की बॅाय मुझे थोडी हवा की जरूरत थी लेकिन वहाँ ऍम की कोई कमी नहीं थी । हर कोई बडी आसानी से सांस ले रहा था । पर्याप्त ऑक्सीजन के बावजूद मैं ही था ऍम आपने लगता था अचानक बहुत खडा हुआ जो उस महोगनी लाउंज के तौर तरीको के लिए अटपटा था, ऍम गई । उन की तरफ ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं होती । जब आप पर चिंता हमला बोल देती है, मैं ऍम से पुरुषों के टॉयलेट का रास्ता पूछा भाएगी । और एक बार फिर मैंने तेजी से कमरे का दरवाजा बोला और बहुत सुबह ऍम से बैठ गया । ऍम मार्केट होता है । वो कहाँ करती थी? क्या क्या उसने नहीं कहा था? और क्या कुछ मैंने नहीं कहा था । पुरानी बातें बेबस किनारे पर निराशावादी आंधी तूफान भैरो की तरह टकराने लगी । मेरे अंदर चाहिए । आवाज ने मुझसे कहा मैं अपने चेहरे पर ठंडे पानी के छींटे मारो । फॅमिली क्या पानी डाॅॅ फॅमिली को काम करने में कामयाबी हासिल कर लेंगे? आप नहीं कॅश नहीं । मैं उसकी कंपनी में तो हम हासिल कर लेंगे । अलग होने के बाद सही मैं खुद को संभाल नहीं पाया था और बार बहुत हो जाता था । वैसे ही इस बात पर पढा सकता हूँ । जो कुचल दिया जाता हूँ, उससे मिले आठ साल हो गए । अब एक तरह से कुछ भी हो चुके थे, लेकिन हकीकत में नहीं थे । अब हम बच नहीं हम यही थे । उस वक्त मैं नहीं जानता था कि आपने शांति और गंभीर बाहरी आवरण के पीछे मेरा भी उसी सर्दियों के पत्ते की तरह जी जैसा की मैं था और अब तो पाना चुका था ।