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सर्जिकल स्ट्राइक -09 in  |  Audio book and podcasts

सर्जिकल स्ट्राइक -09

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सुलतान फौजी - एक कश्मीरी आतंकवादी। उसने मुम्बई में एक बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया, जिसमें सैंकड़ों निर्दोष शहरी मारे गये। सुलतान फौजी पकड़ा गया। एक ऐतिहासिक फैसले में उसे 26 जनवरी के दिन फाँसी की सजा दी जानी थी, ताकि पूरी दुनिया देखती कि हम देशद्रोहियों के साथ क्या करते हैं। लेकिन उससे पहले ही सुलतान फौजी जेल तोड़कर पाकिस्तान भाग निकला। तब यह मिशन सौंपा गया कमांडर करण सक्सेना को। कमांडर- जिसने सुलतान फौजी को पाकिस्तान में ही घुसकर मारा। वहीं अपने हाथों से फाँसी की सजा दी उसे।
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काॅलम दूर ही हुए थे । तभी उस विशाल हॉल का दरवाजा खुला जिसमें वो हंगामाखेज पीडिंग चल रही थी । बॅाम्बे लम्बे कदम रखता हुआ बेहद बौखलाई हुई व्यवस्था में काॅलर की तरफ बडा उस एजेंट के हाथ में एक मोबाइल फोन था । क्या बदतमीजी है? फॅमिली रही है सर ऍसे बडे तक पर अंदाज में कहा कमांडर करन सक्सेना का फोन है तो फौरन आपसे बात करना चाहता है । कमलनाथ ऍम फट गया हूँ । समझ पडेंगे सुप्रीम फौजी तो अपनी कुर्सी से इस तरफ चलकर खडा हुआ था । जिसे कमांडर वही आ धमका होगा । उसके टाॅल और ज्यादा जोर जोर रहने लगा । जबकि काॅल अब आॅर्ट के हाथ से फोन किया था । अलग कमांडर करण नौ से शेयर की तरह खडा हाँ मैं करना ना सर बोल रहा हूँ, क्या कहना चाहते हो? ऍम रहते हुए थे । दोबारा नाम काफी सुना था । करना तो भारी दरिंदगी के कई किस्से सुने थे । ऍम पूरा दहाडा करना है जैसे हम हिंदुस्तानी से नफरत करते हैं जैसे हम हमेशा हिंदुस्तान को गुलाम देखना चाहते हो । फॅार के युद्ध के बाद पीस हिन्दुस्तानियों के खून से नहीं आए थे और तुम तुम ने खुलकर अट्टाहास किया था । काम कहना चाहते हो मैं तो मैं तो आपका क्या दिला रहा हूँ का दाल कमांडर करन सक्सेना तरह शब्दों में बोला मैं ये बता रहा हूँ कि इंसान जैसे बीज होता है, उस हालत की दरांती से वैसे ही फसल काटने पडती है । ऍम फौजी ने मुंबई में जो खून की होली खेली थी कि सब अभी तो उसका ऍम होना है क्या तुम पता ले रहे हो? कर्नल नौ से छुटकारा होगा तो मैं मतलब समझ सकते हैं । कमांडर रहते ही जब कहा वैसे मेरी कोई इच्छा नहीं है कि मैं जापान की बराबरी करो । मैंने तुम्हारे सत्ताईस अट्ठाईस स्वाद भी मार डाले हैं । लेकिन अभी भी मेरा कोई टारगेट नहीं है कि मैं पांच हजार की गिनती पूरी करूँगा । मेरा असली मकसद सुल्तान फौजी को सजा देना है और मैं अपने इस मकसद को पूरा कर के ही रहूंगा । सुल्तान पहुँच हूँ ऍम तो उस तक कभी नहीं पांच ऍम अब मेरी पूरी कोशिश सुल्तान फौजी तक पहुंचने की होगी । कमांडर बोला तो मुझे चाहे कहीं भी छुपा लो का लेकिन उस वर्तमान में से नहीं बचाओगे था अब तक थामकर एक आखिरी खबर और सुनाओ ऍम तुम्हारे आॅल्टर से थोडा फासले पर ही पाकिस्तान का एक सबसे बडा रक्षा अनुसंधान केंद्र है जहां पाकिस्तानी वैज्ञानिक नए नए हथियारों पर रिसर्च करते रहते हैं । बिल्कुल है । ऍम थी तो वो वहाँ पे क्या है? तो मैं खुश नहीं किया । ऍम ऍम मैंने बस वहाँ दो दर्जन शक्तिशाली टाइमबम फिट कर दिए हैं । बस किसी भी ठंड फटने वाले हैं । बहुत चल रही है तो मैं वहाँ हुई बर्बादी की सूचना भी मिल जाएगी । नई ऍसे पागलो की तरह होता तो ऐसा नहीं कर सकते । कमांडर ऍफ कर दिया है करना और यू बदल मतलब अभी तुमने सुल्तान फौजी की सुरक्षा का भी इंतजाम करना है । फिर कहूंगा अब उसकी बारी है । वैसे भी ऍम फौजी की सुरक्षा के लिए कोई ज्यादा बेहतर जगह नहीं है । अलविदा कहना अल देगा । कमांडर करन सक्सेना की अंतिम मौसम के दिलोदिमाग पर बिजली की तरह लडखडाकर गिरे थे । ऍम तथा की सुल्तान फौजी उस वक्त ॅ जैसे पत्थरदिल आदमी के भी पसीने छूट पडे खबर आ गया हूँ । फिर वो आनंद फाइनल में दोबारा टेलीफोन की तरफ छुट्टा था ताकि रक्षा अनुसंधान केंद्र में फोन मिला सके और वहाँ होने वाली बर्बादी को रोक सके तो नंबर डायल करता था । उससे पहले ही दूसरी तरफ से घंटी बजती फोन नजदीक के पुलिस स्टेशन से था । सूचना दी गई की रक्षा अनुसंधान केंद्र की पूरी इमारत ऍम ध्वस्त हो गई थी । वहाँ मौजूद सारे कार्ड मारे गए । नहीं नहीं । अनुसंधान केंद्र में उस वक्त पाकिस्तान के सौ बेहतरीन वैज्ञानिक काम कर रहे थे । उस सब ही उस बम ब्लास्ट में शहीद हो गए । ऍसे तेज, संस्कारी छूट गई । मोबाइल फोन उसके हाथ से फिसल कर तो हम से ऍम

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सुलतान फौजी - एक कश्मीरी आतंकवादी। उसने मुम्बई में एक बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम दिया, जिसमें सैंकड़ों निर्दोष शहरी मारे गये। सुलतान फौजी पकड़ा गया। एक ऐतिहासिक फैसले में उसे 26 जनवरी के दिन फाँसी की सजा दी जानी थी, ताकि पूरी दुनिया देखती कि हम देशद्रोहियों के साथ क्या करते हैं। लेकिन उससे पहले ही सुलतान फौजी जेल तोड़कर पाकिस्तान भाग निकला। तब यह मिशन सौंपा गया कमांडर करण सक्सेना को। कमांडर- जिसने सुलतान फौजी को पाकिस्तान में ही घुसकर मारा। वहीं अपने हाथों से फाँसी की सजा दी उसे।
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