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फॅमिली दुल्हन भाग तो चारों तरफ बिल्कुल सन्नाटा पसरा हुआ था । लोग भी बहुत कम ही दिख रहे थे । थोडी दूर चलने पर ही हम एडवोकेट मिला, जिसके ऊपर लिखा हुआ था ताल । भुवनेश्वर में आपका स्वागत है । हम वहाँ से चहलकदमी करते हुए उस जगह पहुंच चुके थे तो पाती जो अन्दर की तरफ जाती थी उसको बाहर ही एक पुजारी बैठा था, जिसमें हमें अंदर जाने से रोक दिया । मैं अंदर जान से क्यों रोक रहे हो तो नेशनल पुजारी पर प्रश्नों की झडी लगा दी । किसन कर पुजारी विनम्र स्वभाव में बोला । आप सभी को इस पवित्र गुफा में चमडे के सामान से निर्मित वस्तुएं जैसे ॅ आदि ले जाने की मनाही और मोबाइल कैमरा ले जाने पर भी प्रतिबंध है । इसे लेकर नहीं रहेंगे तो फिर रखेंगे किधर ऍम जलाकर उस पुजारी से कहा । इस बार भी पुजारी ने मुँह में हाथ से दूसरी तरफ निशाना करते हुए जवाब दिया हमने लॉकर है, आप वहाँ सामान जमा करके तो कर लेकर जा सकते हैं । ब्रिटिश सबसे पहले मोबाइल और बटोही को इकट्ठे करने के बाद लाकर की तरफ जमा करने के लिए चला गया । थोडी देर में ही हमारे सामने था और अपने साथ एक टाइप को लेकर आया था । हम लोग गुफा के अंदर प्रवेश करने लगे । कुफा प्रवेश करते ही शुरुआत में पत्थर से डर मैं टैक्सी दी थी । छुट्टी चाहिए लगभग पचास मीटर तक थी । नीचे उतर दही संदल जगह थी । नीचे आते ही गाइड हम लोगों के सामने आ गया और बोलने लगा मेरा नाम नहीं चौधरी हैं यहाँ से थोडी दूर पर ही लोहाघाट नामक कांस्य । मैं आपको इसको पैसे थोडी सारी आवश्यक जानकारी दूंगा । पातालभुवनेश्वर मंदिर पिथौरागढ जनपद उत्तराखंड राज्य का प्रमुख पर्यटक केंद्र है । यह गुफा प्रवेश द्वार से एक सौ साठ मीटर लंबी ऍम फुट गहरी है । पातालभुवनेश्वर देवदार के घने जंगलों के बीच अनेक भूमिगत कपडा उन का संग्रह है । ये संपूर्ण परिसर दो हजार सात से भारतीय पुरातत्व विभाग पा रहा अपने कब्जे में ले लिया गया है । हिन्दू धर्म के अनुसार यहाँ तैंतीस कोटि के देखता फिर विमान है जैसे कुछ लोग तैंतीस कोटि को तैंतीस करोड भी समझने की भूल कर देते हैं और ये साथ साथ बताना चाहूंगा की तैंतीस कोटि का अभिप्राय तीस करोड नहीं, तैंतीस प्रकार के देवी देवता से वाधानी तथा और लोकगीतों में इस भूमिगत वहाँ के बारे में कहा जाता है कि यहाँ भगवान शिव और तैंतीस कोटि के देवता फिर विमान है । यहाँ छूने के पत्थरों से कई तरह की आकृतियां बनी हुई हैं । इस गुफा में बिजली की व्यवस्था भी है । पानी के प्रवाह से बनी है तो केवल एक गुफा नहीं बल्कि कुमाऊं की एक श्रृंखला है । पुराणों के मुताबिक पातालभुवनेश्वर के अलावा कोई स्थान ऐसा नहीं जहाँ एक साथ चारों धाम के दर्शन होते हूँ । ये पवित्र बाॅस अपने आप में सदियों का इतिहास समेटे हुए हैं । पुराणों में लिखा है कि त्रेता युग में सबसे पहले इस गुफा की खोज राजा मत्वपूर्ण ने की थी । चुप देता युग में अयोध्या पर शासन करते थे तो आप अपने पांडवों ने क्या क्योंकि भगवान के साथ चौपड खेला था और कलयुग में जगद्गुरु शंकराचार्य का सात सौ बाईस किसी के आस पास इस गुफा से साक्षात्कार हुआ तब उन्होंने ये ताम्बे का एक शिवलिंग स्थापित किया । इसके बाद जाकर कही चंदन आ जाओ ने इसको पास हो जाएगा । स्कंदपुराण के मानस खंड में वर्णित किया गया है कि आदि शंकराचार्य ने ग्यारह सौ इक्यानवे ईसवी में इसको फाका पुनः द्वारा किया था । यही पातालभुवनेश्वर में आधुनिक तीर्थ इतिहास की शुरुआत हुई थी । आज के समय में पातालभुवनेश्वर को सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है । देश विदेश से कई सलानी इसको पा के दर्शन करने के लिए आते जाते रहते हैं । इसके साथ ही एक शिवलिंग है जो लगातार ऊपर की ओर बढ रहा है । कहा जाता है कि जब ये शिवलिंग को भाग्य छत को छू लेगा तब कलयुग का अंत हो जाएगा और ये दुनिया खत्म हो जाएगी । माना जाता है कि एक गुफा कैलाश पर्वत पर जाकर खुलती है । ये भी माना जाता है की युद्ध के बाद पांडवों ने अंतिम यात्रा से पहले इसी गुफा में तब क्या था क्या बात करते हो । मैं उस शिवलिंग को अवश्य देखना चाहूंगा कि आप उस जमाने के होते हुए इन बातों पर विश्वास करते हैं । मैंने कहा की बात को बीच में काटते हुए कहा मैं जानता हूँ शुरू में विश्वास करना इतना आसान नहीं होगा फॅार देख सकते हैं । यहाँ सब अपने अपने हूँ, कहीं भी किसी तरह का कोई छोड मौजूद नहीं । मैं अभी आपको बहुत शिवलिंग के दर्शन भी करवाऊंगा रहा था । इतने मेरी बातों का धीरज से जवाब दिया । मैं इससे जुडी भी पाते जानना चाहता हूँ क्रिकेट बताते रही है । मैंने मुस्कुराकर का इस की तरफ देखा और काइट फिर हमें वहाँ की और जानकारी देने में लग गया । हिन्दू धर्म में भगवान का इस चीज को प्रथम पूछे माना गया । गणेश जी के जन्म के बारे में कई कथाएं प्रचलित है । कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने क्रोध ऍम सर धड से अलग कर दिया था । बात में माता पार्वती जी के कहने पर भगवान का नहीं इसको हाथी का मस्तक लगाया गया था । लेकिन जो मस्तक शरीर से अलग किया गया माना जाता है तो बस तक भगवान शिव जी ने पाताल भुवनेश्वर गुफा में रखा है । पातालभुवनेश्वर की गुफा में भगवान गणेश के सर कटे शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर एक सौ आठ पंखुडियों वाला समाज तक दल प्रमुख कमाल के रूप की एक चट्टान है । इस प्रमुख कमाल से पानी भगवान का देश के शिलारूपी, मस्तक, फॅमिली है । मुख्य बंद आदि गणेश के मुख्य में करती हुई दिखाई देती है । मान लेता है कि ये प्रमुख कमल भगवान शिव नहीं यहाँ स्थापित किया था । ये बताते बताते वो काइट हमें थोडा आगे की तरफ ले गया तो फायदा करी होने की वजह से हम लोग चक्कर आगे बढ रहे हैं । लगभग पंद्रह फुट की दूरी पर चलने पर हमें एक जगह पर उसने रोक दिया । ऊपर की तरफ इशारा करते हुए बोला ये देखिए ये ब्रह्म कमल का रूपए ध्यान से देखने पर आपको एहसास होगा क्यों? प्रमुख कमाल से पानी की बूंदे टपक रही है जो सीधे नीचे बडे शिवलिंग पर पडती है । मुझे अपनी आंखों पर विश्वास करना मुश्किल लग रहा था क्योंकि वाकई प्रमुख कमल जैसा दिखने वाला पुष्प गुफा के ऊपरी भाग में ही बना हुआ है । क्योंकि पत्थर का होने के बावजूद भी पुष्प की आकृति का दिख रहा था । स्थिति कर साफ लग रहा था, लेकिन नवनिर्मित नहीं है तो इसमें किसी भी तरह का जोड नहीं रहा । वास्तव में उसी पत्थर रुपये ब्रहमकमल से पानी की बूंदें शहर है । कल नीचे शिवलिंग पर चल से अभिषेक का नहीं, बिलकुल सटीक शिवलिंग के बिल्कुल मध्य में पढना ही नहीं ये देखिए । यही वो पत्थर है जिसका जिक्र मैंने थोडी देर पहले आप लोगों से किया था । इन गुफाओं में चारों युगों के प्रतीक रूप में चार पत्थर स्थापित है । लेकिन ये वाला पत्थर जैसे कलियुग का प्रतीक । माना जाता है कि साल दस साल धीरे धीरे ऊपर उठ रहा है । माना जाता है कि चस्तरीय कलियुग का प्रतीक पत्थर दीवार से टकरा जाएगा । उस दिन कलियुग का अंत हो जाएगा । उस चले सच में पत्थर दिख रहा था क्योंकि नीचे धरातल से ऊपर की तरफ पडता हुआ तो हो रहा था । उसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता था कि धीरे धीरे ऍम बढ रहा होगा । इस जगह मन को अजीब सा सकून महसूस हो रहा था । मन में कोई इच्छा ही नहीं रही हो दिल को ये बाल बहुत ही भाग रहे हैं । मैं उन विचारों में खोया हुआ था तो फिर से गाइड ने अपने ज्ञान के पिटारे को खोलना शुरू किया । इसको पा के अंदर केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के दर्शन होते हैं । बद्रीनाथ ने बद्री पंचायत के खिला रहे मूर्तियां जिनमें हम को भी वरन लक्ष्मी, गणेश तथा करोड शामिल है । दक्षिण नाग की आकृति भी गुफा में बनी चट्टान में नजर आती है । इस पंचायत के ऊपर बाबा अमरनाथ की गुफा तथा पत्थर की बडी बडी चट्टानें पहली हुई है । किसी को फाॅर्स की जीत के दर्शन होते हैं । इसके बारे में मान्यता है कि मनुष्य कालभैरव के मुझसे दर्द हुई प्रवेश कर पूछ तक पहुंच जाएगा तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है । ये कहते हुए उसने अपने हाथ से ज्यादा करते हुए एक विचित्र को पार की तरफ इशारा किया क्योंकि हाल किसी के ऊपर चढने पर दिखाई दे रहे थे । सही में उसको फायदा दूसरा छोड तो था जिसका मार्ग कहीं न कहीं जाना हो रहा था । उसको वहाँ की तरफ रुकना करते हुए वापस हम उसी जगह आ गए और का इतने सामने की तरफ इशारा करते हुए कहा ये देखिए विशेष ना के पन्नों की तरह हो गयी संरचना पत्थरों पर नजर आ रही है । मान्यता है कि धरती इसी पर टिकी है । गुफाओं के अंदर बढते हुए तोफा की छत से गाय के एक धन की आकृति नजर आती है । यह भागवती कामधेनु का एक बहन है । कहा जाता था कि देवताओं के समय में स्तन में से दुग्धधारा बहती थी । कलयुग में दूध के बदले इससे पानी टपक रहा है । उसके ऐसा कहते ही मेरी नजरें उस बोर गई । ये सारा नजारा वास्तव में मेरी सारी अफवाहों को सच करता हुआ प्रतीत हो रहा था । इस जगह की पुरानी कहानियाँ इस गुफा में मौजूद साक्ष्य की वजह से मुझे अब वास्तविकता का अहसास करवा रही थी । इस जगह को देखने के बाद कोई भी व्यक्ति विश्वास कर सकता था । इस बात को मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि बिना इस जगह को प्रत्यक्ष रूप से देखें । यहाँ किसी भी कहानी पर विश्वास करना असंभव था । हम लोगों ने उस जगह का सूक्ष्म निरीक्षण किया और गायक भी हमारा बखूबी साथ दिया । खडी हूँ चार बजे का हो चला था । हम लोग वहाँ से वापसी के लिए चल पडे । करीब ढाई घंटे में हम लोग लोहाघाट पहुंचे और वहीं रात्रि का खाना खाने का निश्चय किया । होटल में वहाँ सभी ने भरपूर खाने का मजा लिया और तकरीबन साढे आठ बजे तक हम लोग चंपावत पहुंच गए । लोहाघाट चम्पावत मात्र तेरह किलोमीटर की ही दूरी पर था । कमरे में आते ही सभी स्तर पर फेर हो गए । मैं और भैया बीच वाले कमरे में हो गए हैं । वहाँ एक डबल बैठ लगा हुआ था । खिडकी से ताजी हवा रही थी । बिस्तर पर पढते ही नींद के आगोश में समा गए । अचानक रात को चंद्र चल पायल की आवाज से मेरी नींद टूटी । आंख बंद किए ही प्रस्तर पर इस आवाज को महसूस कर रहा था । ध्यान देने से पता लगा कि धीरे धीरे की आवाज तेज होती जा रही थी जिसका यही प्रतीक था की पायल पहले कोई समीर भी आ रही है । यह बात सुनते ही मेरे पूरे शरीर में जैसे करंट के साथ हो गया । मैंने अपनी एक आंख को खोलकर अपने हाथों की तरफ देखा । ऍम खडा हो चुका था । मैंने हिम्मत की अच्छा ऍम कि तभी वो पायल की आवाज अचानक बंद हो गए । वहाँ की मेज पर रखे बोतल से पानी पिया । अब वापस अपने बिस्तर में घुस गया और चादर ठान ली । फिर ज्यादा जानते हैं पायल के चाँद चाँद आवाज से ही शुरू हो गई । अब तो इस आवास में मेरी दिन तो दूर भागने नहीं मैं फिर से अपनी जगह पर खडा हुआ हूँ । लेकिन इस बार आवाज आनी बंद नहीं हुई । मैंने सोचा की बगल में लेते हाईकोर्ट हूँ की सोच कर जैसे मैंने भाई की तरफ हाथ बढाया तभी वह आवाज आनी बंद हो गए । थोडी थी वही मूरत बना बैठा रहा । ऐसा नहीं था कि आवाज आनी बंद हो गए तो आवाज थोडी थोडी देर में चार से पांच सेकंड के लिए आती है और तीन चार मिनट के बाद वहीं झनझन किसको औरत भारी फायर जिसमें गुरु की मात्रा ज्यादा होगा वो पहन कर चली आ रही है । अब मेरा दिल सोंग्स ओर से धडक में लगा एक तो मुझ पर इतना भी हुआ की हाँ ऐसा लगा कि दल छाती से निकलकर मेरे मुँह में आ जाएगा । मेरे तो बिल्कुल ही समझ में नहीं आता था कि क्या करूँ । मैंने सोचा कि क्यों ना मैं खुद दरवाजे को खोलकर देखो । ये आवास कैसे आ रही है? नहीं कोई अदालत नहीं कर रहा । मैं अपनी जगह से उठा और सबसे पहले अंदर वाले कमरे की तरफ । वहाँ बाकी के तीनों लोग तो थोडे भेजकर सो रहे थे । मैंने फिर बाहर का रुख किया और दरवाजे को खोलकर बाहर जाने का निश्चय किया । घटना आपसे दरवाजे की कुंडी को खोलते ही झटके के साथ दरवाजा खोल दिया और बाहर आ गया और दरवाजे को खोलकर जैसे बाहर निकला वहाॅं इस बार आवाज बिलकुल मेरे सामने चाहती हूँ । मैं तो मानो कोई नई नवेली दुल्हन इस तरफ चली आ रही हूँ । लेकिन मुझे चुप हुआ कि ये आवाज केवल सुनाई दे रही थीं तो कुछ भी नहीं रहा था । ये कैसे संभव हो सकता था? मैंने तो पीछे घर के पीछे जैसे ही आया ऍम वजह से मरने को हुआ तो मुझे ऐसा हुआ कि किसी ने पीछे से मेरा कंधा पकडा हुआ है । मेरे माथे से बहता पसीना कान के रास्ते होता हुआ करतन से नीचे की तरफ रहते हुए जहाँ चली पैदा कर रहा था ऍम खडा मेरे अंदर पलट कर देखने का भी साहस नहीं हुआ । अच्छा अंशु तो फॅमिली के कर रहे हैं । यहाँ पास जानी पहचानी से लग रही थी मैं मन ही मन बजरंगबली को याद करते हुए पीछे की तरफ फायदा और पीछे पलटने के बाद आके खोली तो हवा से रह गया तो यहाँ पे रात को तो भी घर के पीछे की तरफ इस जगह पर क्या कर रहा है । भाई वहाँ खडा था और आश्चर्य से मुझे तार देखो पूछ रहा था । मुझे काफी देर से पायल की आवाज आ रही थी । मैं उसकी आवाज को सुनते हुए तूने ठेका ले रखा हुआ है हर चीज का इतनी रात को बाहर अकेले और बिना पूछे मजा अगर यहाँ जंगली जानवर भी होते हैं ये कहते हुए मेरा हाथ पकडकर कमरे के अंदर जाकर दरवाजा बंद कर लिया हो गए ।