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लाल जोड़े वाली दुल्हन - 03 in  |  Audio book and podcasts

लाल जोड़े वाली दुल्हन - 03

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Publisher:- FlyDreams Publications ... Buy Now:- https://www.amazon.in/dp/B086RR291Q/ ..... खौफ...कदमों की आहट कहानी संग्रह में खौफनाक डर शुरू से अंत तक बना रहता है। इसकी प्रत्‍येक कहानियां खौफ पैदा करती हैं। हॉरर कहानियों का खौफ क्‍या होता है, इस कहानी संग्रह को सुनकर आप समझ जाएंगे! कहानियों की घटनाएं आस-पास होते हुए प्रतीत होती हैं। आप भी सुनें बिना नहीं रह पाएंगे, तो अभी सुनें खौफ...कदमों की आहट …!
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लाल जोडे वाली तुलन भारत तीन अब बिस्तर पर लेटा तो था लेकिन नींद कोसो दूर थी । मेरे जहन में कई सवाल घर कर गए थे । आखिर कौन थी वो इतनी रात को कहाँ भटक रही थी? क्या वो कुछ दुल्हन थी? आपस ऍम नहीं नहीं नहीं पहन नहीं था क्योंकि ये चाहती आंखों से देखा था मैंने और उस आवाज को मैंने काफी करीब से महसूस भी किया था । ये सोचते सोचते कब सो रहे हो गया इसका ऐसा ही नहीं हुआ । मुझे किस्मत तीन आई इस्काॅन खुलता ही खडी पर नजर पडने से हुआ है । खडी में ठीक दस बज रहे थे तो मैं तीन दिन तक होता रहेगा यहाँ पक्का बिल्कुल पता नहीं लगता । ये पड बढाते हुए ना अपनी जगह होता है । ये देखकर मैं आश्चर्यचकित रह गया की कितनी देर तक सोने वालों में मैं अकेला नहीं था । जब खोले भेजकर सोने में लगे होते हैं । बनने से कुछ करना है तो क्या आवाज तो साफ साफ तो नहीं पढ रही थी । मैं कमरे के बाहर आया तो देखा के राजेश बाहर कुर्सी पर बैठा हुआ था और धूप का आनंद ले रहा था । मुझे अपनी तरफ आता देखकर और बोला शुभ प्रभात हो ऍम क्या बात है । ऑफिस नहीं जा रहा हूँ । सब अभी तक हो रहे हैं । मैंने उस से जानना चाहा कि आप कर सकते हैं अभी तक सोए हुए क्योंकि इतना निश्चित रूप से आज बकरीद की छुट्टी है । हम लोगों को छुट्टियों के दिन देर तक सोने की आदत है । मुझे सुबह उठने की आदत है इसलिए मैं नहीं होगा तो देख रहा हूँ । इसका मजा लेना भी एक सुखद अहसास होता है । ये कहकर वो मुस्कुराने लगा । हाँ, मेरी तरफ से किस खाते हुए बैठने को कहा । मैंने थोडी ही बैठकर इधर उधर की बातें की । फिर वहाँ से उठकर होने चला गया । नहाकर में अंदर भरे कमरे में आकर कपडे पहनने के लिए गया । अंदर आते ही मुझे ठंड का एहसास हुआ जबकि खडी में दिन के साढे ग्यारह का भक्तों चला था । धूप भी आजकल हुई थी तो मैंने सोचा कि शायद वहाँ पर अचानक कमरे में आने से ऐसा होगा । अगले ही पल मुझे एहसास हुआ के कमरे में मेरे सवा किसी के पुत्र उडाने की आवाज आ रही है । ऍफ का ध्यान हटाते हुए आतंकी को आहिस्ता से ऊपर पैर पर रखते हुए ध्यान से सुनने की कोशिश करने लगा । ध्यान से सुनने से पता लगा कि वह फुसफुसाहट तो उस कमरे में स्तर के नीचे से ही आ रही है । ऍम सहमते हुए तेज आवाज में कहा, मेरा ऐसा कहते हैं कि वो आवाज यानि बिल्कुल बंद हो गए । मैं सोचता हूँ आवाज बाहर से आ रही होगी । फिर मैं कंघी से बाल हमारे में लग गया । मुश्किल से अभी कुछ ही हो रहा हूँ कि मुझे किसी छोटे बच्चे के हंसने की आवाजाही तो आवाज उसी बस करके भी चल रही थी । कॅश अपना बिस्तर की ओर । क्या मैंने झुककर देखा तो अगले ही पल पछाड खाकर गिर पडा । पलंग के नीचे छोटा सा बच्चा होने में बैठा हुआ था और नजदीक से बातें कर रहा था । बात करने के दौरान जो कभी क्यों हस्ता जैसे किसी ने उसे खुद को देखिए । बीच बीच में खुद को उसको दी से बचाने का प्रयास कर रहा था तो वहीं जमीन पर लेटे लेटे ये सब नजारा देख रहा था । फिर इस समझ में नहीं आ रहा था कि ये पच्चीस है कौन? और यहाँ पलंग के नीचे कहाँ से आ गया । आपके गया तो वहाँ किसके साथ खेल रहा है तो उसे तो दिख रहा था लेकिन मुझे थी एक पल को मुझे लगा कि ये पहले लेकिन जब तो फायदा मैंने अपनी आंखों को भेजकर देखा तो वही दृश्य था खेलते खेलते उस बच्चे की नजर मेरी तरफ । और तो मुझे बहुत गुस्से से देखने लगा । जैसे मैंने उसके किसी कार्य मैं देखने डाल दिया हूँ । अच्छा रहा गुस्से से लाल हो गया जब तक वो दो से ढाई साल का लग रहा था । लेकिन इतने छोटे से बच्चे को अखिल इतना खतरनाक गुस्सा कैसे आ सकता है । इससे पहले कि मैं कुछ और समझ पाता उस बच्चे ने अपनी ताहिनी हाथ को उठाते हुए मुद्दे को बंद करने जैसे हरकत की और ऐसा करने के बाद उसने अपनी दोनों आंखों को बंद करते हुए पानी तरफ ॅ खोपडी को लटका दिया । जैसे किसी को फांसी दे दियो मैं हडबडाकर उस जगह से उठकर चीखते हुए बाहर की तरफ भाग खडा हुआ तो वो तो फॅमिली पर क्या क्या पहन अपने दोस्तों के साथ कैरम खेल रहे थे । फिर किस तरह तेज सुंदर भागने की वजह से मैं टकरा गया था मुझे और उनके तो उसको बहुत तेज चोट लगी थी । अरे पागल हो गया क्या हुआ कहाँ? तो सभी ने एक साथ प्रश्नों की झडी लगा दी । मैंने कमरे की तरफ इशारा करते हुए कहा फॅसा हुआ है । फिर इतना कहते ही सभी अन्दर की तरफ भाग खडे हुए । सभी अंदर गए और सब अपना पेट पकडते हुए हसते हुए बाहर आए । अचानक इस त्योहार से मुझे बडा अजीब लगा । मुझे लगा कि ये सब इन्हीं में से किसी एक का खेल है । कुछ बहुत तेज गुस्सा आ रहा था तभी एक मैं हूँ उसी को बडी मुश्किल से रोकते हुए गा भाई वो तो लेते आओ उसका इतना कहना ही और सब के सब हंसने लगे हैं । मेरी उलझनें और बढती जा रही थी । तभी मैंने देखा केप्रदेश उस बच्चे को गोदी में उठाता हुआ बाहर लाया और बोला ये कोई मतलब नहीं है । इस बच्चे का नाम हुआ और जो पडोस में ही रहने वाली भाभी का बच्चा है क्योंकि अक्सर खेलते खेलते हमारे कमरे में घुस जाता है । उनके ऐसा कहते ही मेरी जान में जान आई । अभी उन लोगों के साथ छोटी हाथ में शामिल हो गया जब स्थिति सामान्य हो गई । तब मेरे मन में यह प्रश्न था की अगर वो बच्चा जाने में पलंग के नीचे आ गया था तो फिर वो इस तरह गुस्से से लाल कैसे हो गया था तो वहाँ आपको बढाते हुए अजीब से हरकत करना छोटे बच्चे के बस की बात नहीं । आखिर बहुत पता भी तो रहा था कुछ जैसे किसी से सच में बात कर रहा हूँ । इतने दिनों से कुछ कोई भी हो रही थी । गिरा दल ही विश्वास करने को तैयार नहीं था कि ये कोई सामान्य घटना मुझे सब किसी को भी बताना जल्द लग रहा था । क्योंकि इस बात का विश्वास तो दूर की बात है । किसी ने सुननी भी नहीं । पायल वाली घटना भी तो कथित हुई थी । ना हो ना हो कोई तो बात है जो किसी होने की तरफ इशारा कर रही है । इन्हें ख्यालों में खोए हुए जाने कब शादी हो गई । आभासी नहीं हुआ हम लोग खाना खाने के बाद सोने चले गए । मेरा बडा भाई और दिनेश पहाड वाले कमरे में हो गए । मैं राजेश और स्वदेश के साथ अंदर वाले कमरे में हो गया । आज मुझे भी नहीं लग रहे थे । पांच । इस पायल के आवाज और उस अजीब सी चले हुए दुर्घंध का फिर से अहसास करने का इंतजार कर रहा था । मैं मोबाइल में साउथ इंडियन मूवी देखने में लग गया । राजेश के साथ में वो भी देखने लगा । लगभग आधी मूवी देखने के बाद मेरी नजर राजेश पर गई हो चुका था । मोबाइल के प्रकाश से मेरी आंखों में चुभन का एहसास हुआ । मैंने मोबाइल को साइट में रखकर सोने का नेशनल क्या? जैसे ही मैंने मोबाइल को साइड में रखा । कुछ खिडकी के बाहर किसी जाने का एहसास हुआ । उस शख्स ने लाल रंग के कपडे पहने थे । बस इतना ही देख पाया था । थोडी देर में ही चाँद क्यानन पायल की आवास फिरसे आनी शुरु हो गई । ऍम खिडकी से बाहर की तरफ नजर घुमाई । खिडकी से चांद की रोशनी अंदर आ रहे थे । मैंने इस बार हिम्मत करके पास में लेते । राजेश को उठाया तो काफी गहरी नींद में था । मैंने जब अपने दोनों हाथों से बलपूर्वक लाकर उठाया तो वो बोला क्या हुआ उनकी उठा रहे इतनी रात को अपनी आंखों को मिलते हुए उस ने ये बात कही । मैंने उसे बाहर खिडकी की तरफ इशारा क्या मेरी बात नहीं समझ पाया । उसके नजर में दिमाग पर पसीने की बूंदों पर पडी तो चौंककर बोला क्या बात है? कोई बुरा सपना देख लिया गया । ऐसे ठंड में तुम्हारे माथे पर पसीना कुछ लग रहा है तो वो भारत बाहर घूम रही है । आज मैंने उसको देख कौन आ रहा तो किस औरत की बात कर रहे हो । राजेश चौंकते हुए मुझसे पूछा आज जब हम लोग मेरी बातों पर हस रहे थे तो मैंने पूरी बात नहीं बताई । मुझे लगा कि क्या पता तुम लोग मेरी बातों पर विश्वास नहीं करेंगे । कौन सी बात है । अगर हम कहना चाह रहे हो तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है । सुबह छपना छोटे से बच्चे जिसका नाम तो था उसे देखकर योग ही नहीं भरा हुआ था । तो बच्चा बैठ के नीचे किसी से बात कर रहा था । बात करते करते मुझे महसूस हुआ । बहुत कोई न कोई औरत थी जो रह रहकर उसे कुछ भी कर के हटाने का प्रयास कर रही थी । उसने हस्ते हस्ते अचानक मेरी तरफ देखा और हाथ उठाकर मुझे बंद करने की कोशिश की । जैसे मुंबई वाले को दबाना चाहता हूँ खूबसूरत उसकी आंखें खाके सुर्ख सुर्ख लाल थी । एक एक साधारण तीन साल का बच्चा इस तरह नहीं कर सकता हूँ । मुझे लगा उसके साथ वही औरत थी जैसे मैंने अभी थोडी देर पहले फिर से बाहर उस तरह वहाँ जाते हुए देखा है । मेरी बात अब शायद राजेश के कुछ पालने पड रही है तो ध्यान से मेरी हर बात को सुन रहा था कितना सुनते ही पोपोल पडा तो मैं ये बात सुबह बतानी चाहिए थी । घर छोडा लेकिन अपने बाहर के सौरभ को देखा हूँ । ऍम चाहूँ तो खुद पता चल जाएगा । अगर मैंने उसे करके की तरफ नजर टिकाए रखने को कहा लेकिन उसने मेरी बातों की ओर ध्यान ना देते हुए प्रश्न कर डाला तो मतलब आप के साथ कैसे कह सकते हो कि वो औरत वही है जैसे तुमने खिडकी से बाहर देखा था । चलो मान लिया कि ये वही औरत है तो तुम तवे के साथ कैसे कह सकते हो कि वह फिर इस आवाज के साथ ही उसके बाद बीच में ही अधूरी रह गई । उसे शायद काफी हद तक जवाब मिल गया था । बाकी बचे सवालों का जवाब उसे बहुत चलते मिलने वाला था । वो आवाज संकर मेरी ठीक के बन गई थी । राजेश अभी भी वास्तविक और आभासी तथ्यों के बीच खुल जा पढा था । उसे अभी मेरी बातों पर पूर्णतयः विश्वास नहीं हो रहा था । मेरे अंदर साहस नहीं था कि मैं उस तरीके को दोबारा देख सकूँ । मैंने ऍम करने लगा तो थोडी देर में पायल की आवाज आनी बंद हो गई । उसमें मुझे हिलाकर उठाने का प्रयास किया । लेकिन मैंने बिना कोई हलचल किए । लेटे रहने में ही करनी मत समझे । मुश्किल से दो मिनट भी नहीं हुए थे कि उस पायल के आवाज देर से आने लगी है । अब ऐसा लग रहा था कि मानव को आवाज बिलकुल हमारे ही करीब से आ रही हूँ । उसने मुझे सोर्सेज गोटी काटी और आपने बाजू को मिलता हुआ वोट बैठा और जैसे ही मैं उठ कर बैठा तो मैंने देखा कि उसके सत्रह पायल के आवाज का पीछा कर रही थी और वो लडकी की तरफ टकटकी लगाकर देखे जा रहा था । अब उस पायल के जान जान आवाज का जैसे जैसे करीब आने का पता लग रहा था, इसी तरह एकमत खुश करने वाली खुश होते हैं तो होती चली जा रहे हैं । अचानक खिडकी की तरफ देखकर हम दोनों एक साथ चीख पडे ऍम । इतना कहते ही हम दोनों वहाँ बैठे बैठे हो गए ।

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