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एक पानी पूरीवाला शहर के सबसे अमीर शख्‍स चौधरी साहब की बेटी को किडनैप कर लेता है। उनकी पहुंच मंत्री तक है और घर में कड़ी सुरक्षा भी तैनात होती है, फिर भी यह सब हो जाता है। किडनैपर बच्‍ची को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है और वह उसका दोस्‍त भी बन जाता है। लेकिन किडनैपिंग क्‍यों हुई है यह कोई नहीं जानता?
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भाग नौ बोल क्या जानना चाहता हूँ बाबा थक हारकर बोला कहाँ से शुरू करूँ अपनी कहानी बातें बहुत है । टाटा जाना चाहते हो वो बताओ कमरे में इसी चल रही थी । पर बाबा के माथे पर पसीने की बूंदें साफ दिखाई दे रही है आपने पहले अपराध से ही शुरू कर दो बाबा मुझे जब जरूरत हुई इतना पूछ लूँगा । विजय साहब बोले बाबा पहले तो शांत मुद्रा में बैठा और कर कुछ सोचने के बाद बोला जब आठ साल का था तब से ही मैं मंत्र तंत्र और झाड थोक में माहिर था । उसका एक ही कारण था मेरे पिताजी तो एक सपेरे थे । जंगल, जंगल, खून खून कर वो साहब पकडा करते थे और कभी कभी मैं भी उनके साथ गांव में साहब का खेल दिखाने जाता था । कभी कभी ऐसी भी बात होती थी कि किसी के घर पर यदि किसी को साहब काट लेता हूँ तो हमारे पिताजी सांप का जहर निकालने के लिए उसके घर जाते थे । या तो वो लोग उस मरीज को लेकर हमारे घर पर आते थे । तब से मैं भी सांप का जहर निकालने और काटे हुए सांप का जहर उतारने में माहिर हो गया था । इसके साथ तंत्रमंत्र, भूत प्रेत की जानकारी मुझे भी होने लगी थी । कुछ तो मैं राज्य से सीखता था और कुछ इधर उधर खून कर भी देखता था । ज्यादातर मैं वाॅकर से सीखा था । शुरुआत एक बडी वारदात हुई थी । आठ साल की उम्र में मेरे एक आदमी को सांप का जहर पिला दिया तो मैं प्रयोग कर रहा था । पर जब बाद में मर गया तो मेरा प्रयोग असफल हो गया । उस समय थोडी देर में गांव वाले पागल हो गए थे तो मुझे मारने के लिए व्याकुल हो गए थे । तब मेरे पिताजी ने मुझे घर से भगा दिया । ये कहकर की बोलों मुझे डालेंगे । हाँ, सच में बहुत किया था और मैं घर छोडकर बहुत निकला । खर्च हो गया पर मैं ज्यादा कर रहे हैं । भागते भागते मैं एक मंदिर में जा चुका हूँ । फिर मैं कुछ दिनों तक रहा है । कुछ दिन बाद में वहाँ से साधु संतों के साथ निकल गया । मुझे उनका साथ अच्छा नहीं लगता था पर लेकिन मुलाकात हो एक तांत्रिक से और उस तांत्रिक के बाद उसके साथ ही रहने लगा । धन कमाने और ख्याति पाने के मेरे एक लाल साले जान लिया और अपने बचपन के सपने को पूरा करने के लिए मैं दिन रात सोचता रहता था । धीरे धीरे मैं तंत्रविद्या में माहिर होता गया । एक दिन बहुत बडे मंदिर का बाबा बनाओ । बस यही मेरी प्राथमिकता थे । पर उसके लिए मुझे धन की आवश्यकता थी और इतना सारा धन मिलना ऍम । उसके बाद मैंने हार नहीं मानी और फिर मैंने धीरे धीरे आपका एक दल बनाया और हम मंदिरों की कीमती मूर्तियों को लूटने लगे तो बाबा अपनी जिंदगी की असलियत कोई कहानी की तरह नहीं जा रहा था और बाकी के लोग बडे ध्यान से सुन रहे थे । किसान बातों को नोट भी कर रहा था और आॅर्डर में रिकॉर्ड भी कर रहा था । जाॅन बडे ध्यान से सुन रहे हैं । अपना बहुत पैसे वाला हो रहा था । मूर्तियों का महंगे दामों में बडे बडे कारोबारियों को बेचने लगा । इसी बीच मैं तंत्र मंत्र स्थितियों पर भी शोध कर रहा था । पर मेरा सपना था एक बडे से मंदिर का नहीं है । उसके लिए मुझे बहुत पैसा चाहिए था और राजनीतिक सहायता देंगे । तो उस समय में इतना पहुंच वाला नहीं था कि किसी पार्टी या किसी मंत्री से बात करूँ । दिन रात एक बडे मंदिर के निर्माण के सपने देखता था । कभी कभी सपनों में बौखला जाता था । कभी काल तो कभी दुर्गा माता सपनों में आती थी । ऐसा लगता था जैसे दुर्गा जी मुझे अपने तलवार के एक बार से ही धरती पर धराशाही कर देंगे । जब कालीमाता बच परिवार करती तो मैं अपने कटेसर पर लगे आंखों से अपने बाकी के शरीर को देखता हूँ । ठीक पडता था, किस सिलसिला चलता रहता था और फिर चले बडी मूर्ति की तलाश में इधर उधर घूमते रहते थे । आज तक मेरे पास को खबर नहीं आई जो ऍम सुनना चाहते हैं । मैं ये सुनना चाहता था कि कोई विशाल खजाने का पता था या कोई ऐसी जगह जहाँ पर हो ताकि मैं अपना सपना पूरा कर सकूँ । रिकॅार्ड और फिर बाबा अधिक हो गया । ज्यादा बहुत बाबा क्या हुआ था? हाफिज होगी । बहुत बडी खबर लाया हूँ क्योंकि हफ्ते हुए जो भी मात्र सत्रह साल का अनाथ लडका था जैसे बाबा ने अपने रहमोकरम बनना चाहता हूँ क्योंकि जब भी आता था बाहर से अच्छी खबर लगता ना हर तरह की खबर क्या खबर है । क्योंकि बाबा उत्साहित होते हुए बोले तो बहुत ज्यादा । आपने फॅमिली का नाम सुना है । पहले तो पानी पीकर सांस लेने होगी फिर आराम से बताया सर जो के पास में रखे लौटे के पानी को एक ही बार में कट गया । बाॅलिंग बाबा सोचते हुए बोले याद नहीं आ रहा पर खबर क्या है? वो तो बोल रहा हूँ तो बोले वही माता का मंदिर जो खण्डर में तब्दील हैं तो राजस्व केंद्र ने बनवाया था । अपनी कहानी सुनी होगी क्या खुल गए? देवी सुकन्या माता का मंदिर है? हाँ याद आया । याद आया बाबा तोता बज बोलेंगे पर खबर क्या होगी तो बडी खबर तो नहीं है ना ये सुकन्या माता का मंदिर । खबर तो बडी है बाबा क्योंकि खुश होकर हूँ इतनी बडी और खुशी वाले की सुनकर आप हो जाओगे और मयूर की भांति नाचने लगे बताएगा भइया पहली में ही बात करेगा होता पड रही है भाजी उसके अंडर में माता सुकन्या देवी की मूर्ति थी । एक विशाल मूर्ति है और उस मूर्ति के नीचे पडा साथ मैं कहना क्या बात कर रहे हो ये तो ये तो नहीं बताना चाह रहा था कि उस मूर्ति के नीचे है । अरे बाबा रखी है तो पहले पूरी बात सुन लिया क्योंकि व्याकुलता में बोल राजस्व केंद्र ने उस खाने को इसलिए बनाया था ताकि दुश्मन से गति लडाई में हार मिली । अपनी रानियों और बच्चों को कुछ दिन तक पहुंच छुपाकर रख सके । अच्छा फिर क्या हुआ? बाबा की आंखें चोरी हो गई । जब राजा को ऐसे कोई हार नहीं मिली जिसमें उन्हें सब खोना पडेगा और कोई बडी लडाई नहीं हुई तो वो जगह खाली ही रहे हैं । फिर उसका खाने में राजा ने अपनी विरासत की कीमती वस्तुओं को वहाँ पर रखना शुरू किया अपनी आने वाली पीढियों के लिए जिसमें बडी बडी सोने की मूर्तियां से रात हीरे, माणिक मोदी, सोने चांदी और तरह तरह के कीमती पत्थर वहाँ छुपाकर रखे गए समय गुजारता रहा और राजाओं की राजशाही जाने लगे । तब राजा के पुत्रों ने अपने उस धन दौलत को मंदिर के तहखाने से वापस लेना चाहते । मंदिर में पुजारी ने उस मूर्ति को हटाने से मना किया । जोश में आकर राजा पुत्र ने राज पुजारी की हत्या कर दी । पुजारी की हत्या के बाद वहाँ की जनता पागल हो गई और दिन रात मंदिर की रखवाली करने लगे । गांव वालों को धन की हकीकत के बारे में नहीं पता था । वो तो बस अपनी सुकन्या माता की सेवा में लगे हुए हैं और क्या मजाल कि कोई माता की मूर्ति को हटा सकें । कई बार छीनाझपटी हुई, लाठी डंडे से मार पीट हुई पर अंत में राजा के पत्रों ने हार मान ली और विदेश में जाकर रहने लगे । मतलब तो मैं ये कहना चाहती हूँ की पोस्ट धन आज भी वहाँ सुरक्षित है । वापस कौतूहलता में बोला मत तक परीक्षा लगी तो इसका बाबा के और दिल सोरों से धडक रहा था की हाँ क्योंकि मुस्कुराता हुआ बोला मैं यही कहना चाहता हूँ ये क्या बता दिया तो मैं बाबा जी खुश होते हुए बोले ऐसा लग रहे जैसे मेरा सपना पूरा हो जाएगा और यही सच में ऐसा हुआ तो मैं तो मुख्यशाखा तो बना दूंगा । बजे ये सब तो ठीक है पर एक समस्या है । बहुत ही उदास होकर बोला समस्या है जो कि बाबा जी के चेहरे का रंगोलिया ऐसी कौन से बात होगी । वो जगह तमाम लाशों की वजह से शापित है और यदि वहाँ से धन निकाला गया तो किसी की जान भी जा सकती है जो की डरते हुए बोला बस इतनी सी बात बाबा मुस्कुराते हुए बोला ये सब बजट की बजाते हो जाएगा । अच्छा आप इस जगह से धन निकालूंगा क्या पाली होगी और मेरे तो और चैनलों का साथ में ले लेंगे क्योंकि थोडा सा बताया तो पापा ने पूछा क्या हुआ शापित जगह आप लग रहे होते हैं तो हो ऍम हूँ कितना टाइगर बाबा हसने लगा एक लंबे सफर के बाद बाबा अपने चेहरों के साथ कॉलेज पहुंच जाता है । फिर शुरू हुआ वहाँ पर बाबा का माया जाए । बाबा सबसे पहले वहाँ उस खंडर जैसे मंदिर में अपना डेरा डालता है और एक बडे तपस्वी के रूप में वहाँ पर अनजान बनकर तब करता है वहाँ के लोगों की समस्याओं को दूर करता है । दस में से एक कभी ठीक हो गया तो बाबा का लम्बा प्रचार हो जाता है और धीरे धीरे बाबा प्रसिद्ध हो गया । बाबा का नाम होने लगा भूत प्रेत, तंत्र मंत्र झाड हूँ । इन सब में बाबा माहिर है । छोटी छोटी बातों पर भी लोग बाबा के पास जाना पसंद करते हैं । ऐसा लगता था जैसे बाबा वहाँ का भगवान हो गया था । कोई बात या डॉक्टर के पास नहीं जाता था । बाबा का झडपों की सबको पसंद आता था । धीरे धीरे वहाँ की अंधविश्वासी जनता बाबा पर पूरा भरोसा करने लगी थी और बाबा वहाँ की जनता के दिलों में घर कर बैठा था । धीरे धीरे समय के साथ बंदा वहाँ पर बहुत प्रसिद्ध हुआ और फिर जब विश्वास पूरा कायम हो गया, कब उसने शुरू की वहाँ पर धान की खोज खंडर में खोजबीन के दौरान दादा के चेले के ऊपर दीवार कर जाती है और वो मर जाता है । ऐसा देखकर बाबा का एक चेला और जो भी भयभीत हो जाते हैं और उन्हें लगता है जरूर कोई बात है । सर्वे दोनों वहाँ से भागना चाहते थे तो बाबा ने उन्हें रोका और कहा उससे लो तब सब इस तरह मुझे छोडकर चाहोगे नहीं यहाँ पर करोडों का धन बाबा ध्यान तो तब कम आएगा ना जब हम जिंदा रहेंगे । क्योंकि सब बताते हुए बोला तो धर्मा क्योंकि आप चल रहे हैं मैंने अपनी आंखों से देख लिया । माता बाली चाहती और मैं दूंगा माता को बाली तो क्या आप हमारी हो गए करते हुए बोला चला नहीं नहीं बाबा ने समझाते हुए बोला अपने बच्चों की बलि कैसे दे सकता हूँ । फॅमिली जाती है और मैं स्त्री बाली दूंगा । त्रिबल दोनों कुमारी लडकियों की बाली दादा कराया तभी माँ होगी बंदा हम कहाँ से लाएंगे? लडकियाँ हूँ तो मैं लाने की जरूरत नहीं फिर कौन लाएगा और कितनी लडकियों की बडी होगी हूॅं ज्यादा हसने लगा पूरा मंदिर एक सौ जोरदार अट्टाहास में तब्दील हो गया जाट लडकियाँ चाहिए माता सात बाली चाहती है और लडकियां तुम या हम नहीं बल्कि एक गांव वाले हिलाएंगे सब सात चौक करते होना चाहिए । बोले बाबा ये कैसे संभव है, कहाँ से लाएंगे, कहाँ वाले साथ साथ लडकियाँ तुम दोनों बस देखते जाओ और मेरा साथ देते जाओ । उन दोनों को ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं । फिर बाबा की नजर पडे उस गांव के अतिपिछडे तो ऐसे परिवारों पे जिनके घर लडकियों की संख्या ज्यादा देखते और लडके थे ही नहीं । बाबा ने उन्ही को अपना निशाना बनाया था की उन की बलि चढाई जा सके पर उस धन को प्राप्त किया जा सके । उस दिन के बाद उन दो परिवारों के ऊपर बाबा की नजर एक बाज की भांति रहने लगे । दोनों चले बार बार उस घर के आस पास में तो आते थे ताकि उनके घर का समाचार कोई ऐसा मजबूरी वाला समाचार चल सके । बाबा के पास आना पडेगा और एक दिन समाचार मिल ही गया पाता । बाबा होगी दोनों परिवारों में बेटे की जहाँ वो टूटकर ऐसा जैसे यदि बेटा ना हो तो ऐसा हो जाएगा । ये सुनकर बाबा मुस्कुराने लगा । उसके बाद बाबा ने सभी को वो किस्सा सुनाया जो जो करने एना को सुनाया था । कहानी सुन लेने के बाद जो कर अपनी जगह से उठा पर बाबा के पास जाकर उसके काल पर एक जोरदार तमाचा और भरकर बोला आप पाकिस्तान ब्रेक ध्यान से देख मेरी शक्ल को तुम अच्छा नहीं करना हो तो बच्चों की नहीं बाबा को ताया उत्तर जो करने ज्यादा के मौका अपने हाथों से पकडकर और बता के बिल्कुल सामने जाकर बोला । देख देख मेरी आंखों को देख मेरी शाॅप पहचाना की नहीं । आप बडे ध्यान से जोकर को देख रहे थे और अपने दिमाग पर ओवर टाइम लगा । तब जब कुछ पता नहीं चल पाया तो बोला हूँ मुझे कुछ याद नहीं आ रहा है । जहाँ कैसा आएगा तो होकर उनको याद दिलाना चाहता हूँ तो नहीं तो मेरे परिवार के साथ किया था । जिस बच्चे की चाहत में मेरा परिवार तो हर हाथों की कठपुतली बन गया और जिन चाहत पहले की बलि चढा दी दुनिया मैं उसका भाई हूँ, नहीं हूँ पता नसीब कुरूप सब पत्ता आदमी अपनी जहर पहनों की बाली के बाद पैदा हुआ था । बता क्या अलग से आवास नहीं मैं चाहता तो हम बाहर कर सकता था । पता है तो मैं आपको बताना चाहता था तो कितना बडा है जो कर चला रहा था और बाकी सभी सुन रहे थे । चार बहनों के मर जाने के बाद मैं पैदा हुआ एक राक्षस ताकि ऍम गुल में आने के बाद और मेरे पैदा होने के बाद मेरे यहाँ आप बता चाचा चाची सब मर गए । दादा दादी ने कुछ साल तक पाला और सपना थोडा पडा हुआ तो उन्होंने इसको कृत्य की कहानी सुनाई । सुनने के वो भी चलता है उस गांव में तेरे आने से मेरी और न जाने कितनों के घर को कुछ कर दिया तो नहीं तो क्या करना है । बोल क्या करता मैं मुझे भी माँ कुछ करना था और मन्दिर निर्माण करवाना था तो उसने मुझे थोडा बहुत करना पडा । मैंने मेरे लिए उनकी बलि नहीं चढाई तो सब देवी माँ के लिए था । उसके बाद क्या हुआ कि सच में देवी माँ खुश हुई क्या सच में उसको क्या दरवाजा खुला? जी हां जब हमने सात बलि चढा लिया और दरवाजा खुल गया और उसके बाद हमें अपार संपदा मिली तो सब कुछ मिला जिसके हमें तमन्ना भी नहीं की थी । उस पूरे खंडर को हमने धीरे धीरे खंगाल डाला और तूफान में से सारा माल धीरे धीरे हटवा लिया । ये सब संवाद चल ही रहा था कि अचानक हर्ष उठा और वजह से बोला जितनी जल्दी हो सके फांसी पर चढाव ऍम कुछ ऐसे ऐसे इंसान को देखना ही नहीं । अच्छा नहीं कितना को मारा होगा कितनी लाशों पर से कुछ सरकारी उन्होंने इतना बडा साम्राज्य बनवाया है और फिर हर्षवर्धन के आंखों से आंसू निकल रहे हैं । वो तुरंत जो कर के कदमों में जॅान मेरी बेटी को है ना सुरक्षित है आज साहब आपको इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है । आपको बता देता हूँ आप वहाँ से ना खुला सकते हो और मोहंती साहब तो जो कर चर्चा आपकी तरफ देखते हुए बोला आपकी जगह काम ने परेशान किया । आप मुझे गिरफ्तार करके सजा दीजिए और जो मन में आए वो कीजिए । पर याद रहे हैं इस आदमी को सजा जरूर मिलनी चाहिए । नहीं तो कानून पर से भरोसा उठ जाएगा । क्या गलती थी जो करें और क्या गलती की थी उसने उसके साथ जो हुआ तो कितना गलत था और अभी जो उसने क्या वो कितना अलग है । दुनिया के सामने बाबा को लाने के लिए उसने ये सवाल करते की और उसने सेना को कितना क्या? तो सच में एक नई फिल्म इंसान था । अगर नहीं होता तो शायद ऐसा भी षड्यंत्र सकता था जिससे वह बंदा को मार सकता था और अपने परिवार का बदला ले सकता था । एक ऐसे अंधविश्वास को खत्म कर सकता था जैसे बाबा ने अपने लिए चक्रव्यूह रचना की तरह बना रखा था । किसको एंड करना आसान नहीं था, उसके बावजूद भी जो करने इतने कठिनाइयों का सामना करते हुए इतना बडा कदम उठाया उसके बाद में जैसा आपने अपनी टीम को फोन किया ताकि बाबा और जोकर को गिरफ्तार किया जा सके, जो करके आंखों में आंसू थे । एक जीत के आंसू की हमने बदला ले लिया । बरबाला के चेहरे पर कोई भाव नहीं, जैसे उसे कोई फर्क नहीं पडा हुआ । जैसे उसके दिमाग में कुछ चाल चल रहे हैं के बाद जो कर देख चुराता पर समझता पाया । जो कराना का पता बता चुका था और उस पते पर पुलिस दौरान पहुंच गई । इधर पुलिस ने बाबा जोकर को गिरफ्त में ले लिया था । दोनों को पुलिस स्टेशन ले जाया गया । दोनों को अलग अलग लॉकअप में रखा गया और आज दादा के साथ होकर भी ब्लॉक आपने था शांत गंभीर जोकर आंखों से झर झर कह रहे थे उसके आंसू उसकी मंशा सफल हो गई थी । बाबा अचार्य सर, सबके सामने बात पर चौका अभी भी गंभीर था । ऐसे जैसे उसके दिमाग में कुछ चल रहा हूँ । क्या गलती थी उस मासूम से जानते हैं ना कि जिसको इतनी पीडा झेलने को मिलेगा । आखिर बजाय के बाबा ही तो था ना । तभी फोन की घंटे बच्चे और कांस्टेबल ने फोन था ऍम मैं बोल रहा हूँ सर आप बोलिये, मुझे ऐसा है क्या? उधर लाइट उन का मोबाइल नहीं लग रहा । मैं दोबारा फोन करता हूँ और फोन कट गया । वो जैसा बातों में थे और जब कमरे में वापस आए तो देखा डाॅक्टर रजत का मैं कॉल उन्होंने तुरंत कॉल किया फलवती यह रजत बोलो सर, यहाँ नहीं है क्या? मतलब सब जो करके बताए गए पते पर ऐसा नहीं है । क्या बात करते हो? पिता झल्लाते हुए बोले क्या वो बहुत ही नहीं नहीं करते है ना यहाँ पर अभी नहीं है । कुछ सामान बिखरे पडे । मतलब क्या हो सकता है सर शायद जो करके आदमी नहीं नहीं क्यों ऐसा नहीं कर सकता तो थाने पहुंचा, पूछताछ हूँ । मैं आता हूँ कि ये चौकिंग क्योंकि ब्लॉक अपने बंद था और वो सब कबूल कर चुका है तो अपना कहाँ गई

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