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एक पानी पूरीवाला शहर के सबसे अमीर शख्‍स चौधरी साहब की बेटी को किडनैप कर लेता है। उनकी पहुंच मंत्री तक है और घर में कड़ी सुरक्षा भी तैनात होती है, फिर भी यह सब हो जाता है। किडनैपर बच्‍ची को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है और वह उसका दोस्‍त भी बन जाता है। लेकिन किडनैपिंग क्‍यों हुई है यह कोई नहीं जानता?
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भाग चाह ऍम मैं बोल रहा हूँ ऍफ का फोन देखते हैं या नहीं तुरंत पहुंॅच कुछ मिला क्या हो फॅमिली है आप जल्दी से फॅमिली चाहता हूँ ठीक है मैं भी वहाँ पहुँचता हूँ कितना जाएगा उन्होंने फॅमिली हो सकती फॅसने लगे उन्हें फौरन निकलना था इसलिए उन्होंने अपनी फॅमिली और घर से निकल रहे हैं । ऍर रजत के साथ एक आदमी खडा था ये शहर के किनारे से निकलती हुई मीठी नदी एक तरफ शहर था और दूसरी तरफ हूँ बडे बडे ढेर सारे हूँ काम और शहर को छोडती थी । मीठीबाई प्रेज वैसे तो शहर की वजह से नदी के किनारे अक्सर करते रहते हैं पर ये किनारा बहुत कम था और उसकी वजह ही शहर में हो रहे विकास, नदी की सफाई, घट बनाना और पूजा अर्चना वहाँ पर पहुंचा रहना हैं । बहुत सारे मंदिर भी एक तरह से तो छोटा बनारस लग रहा था सर ये पुराने यहाँ का लोकल निवासी रजत ने वहाँ खडे दुबले पतले मरियल से इंसान की तरह दिखाते हुए बोला ये जानता उसके बारे में कुछ नहीं ऍम उन्होंने जो देखा वह सब कुछ बता दे साहब को हूँ साहब एक हाथ में जैसा कि पोस्टर में है, रोजाना यहाँ आता था । देर रात को आता था और सुबह निकल जाता था । जब मैंने पोस्टर में देखा तब साहब को बताया तो हम उस पोस्टर वाले आदमी की बात करो ना । विजय ने पोस्टर की तरफ बाहर आ गया । जिस अपनी करीब सात से आठ दिन रहा होगा वहाँ पर बहुत शांत सिर्फ आते जाते दिखता था । साहब कहाँ रहता था रात को सर, यहाँ नावों की भीड में भी उसके बडी सुनाओ थी । यही इसी नदी के किनारे उसी में रहता था । अच्छा उसके बाद और क्या देखा तुमने सब बस इतना ही देखा उससे कोई बात नहीं करता था, नहीं तो उसके नाम पर जाता था । परसों सुबह उठा और देखा तो नाम गायब और उसी दिन से वो आदमी भी गायब और कोई था की उसके साथ नाव में रजत ने सवाल किया नहीं जब वो अकेला था तुझे कैसे पता तो नाव मैं कभी गया नहीं साहब, मेरी नजर रखा । टाइम उस नाव पर ही लगी रहती थी । पक्का उसके अलावा और कोई नेता होता तो जरूर देखता हूँ । उसके साथ किसी बच्चे को देखा गया नहीं साहब! पूरन घबराते हुए बोला तुम घबरा कर रहा हूँ, सब बहुत किया है । ठीक है तुम जाओ । एसपी साहब ने पूरन को बोला हूँ अपने काम करूँ ऍफ का यहाँ रहना कोई मामूली बात नहीं । उसके साथ कोई तो ऐसा नहीं होगा जो उसने लोकल मदद होगी तो हम यहाँ आस पास पता करो सर एक बात तो है जो कर नदी के रास्ते से बला है । रजत सोचते हुए बोला तुमने सच कहा जाए आपको बहुत चला है तो बहुत दिमाग पर अब ये देखना है कि किधर भागा है नदी के इस तरह किया उस तरह जी सर उसके घर जाने में आसानी होगी । रजत जिस तरफ नदी का बहाव है या उस तरफ जेतर से नदी आती है, सुंदर बाहर है उस तरफ नदी आगे जाकर तीन हिस्सों में पड जाते और उधर दूर दूर तक नदी के किनारे खाली बन जा रहे हैं । छोटे छोटे दहाडे पथरीली नदी बन जाती आगे सर और उस तरफ इधर जंगलों में से नदी निकल कर आइए सर एक भयानक जंगल है जिसमें खूंखार जानवर है उधर जाने का कोई मतलब नहीं है और इधर वो भागा होगा जहाँ से दूर दूर तक कोई ढूंढना है । तुमने साॅस तब यही बात वो जोकर भी सोच रहा हो तो रजत सोच में पड गया ज्यादा सोच मत रह जाता हूँ । तीन अलग अलग टुकडियों को नदी के बहाव की तरफ मैदानी इलाकों में भेजा और मेरे साथ चलोगे था कि उल्टी दिशा है । सभी कस्टमर में सबकुछ फूल फील होना चाहिए । शायद तो चार दिन निकल जाए नदियों में । जी सर मैं अभी कभी सब व्यवस्था करता हूँ पर सारा मैं निकलना । काॅल अभी तुरंत और यहाँ पर पूछताछ ऍफ को देखते हुए बोला वो सब किसी और को देखो फिलहाल मैं उसके पीछे भागना है । मुझे पूरा भरोसा है कि वह कहीं ना कहीं नदी में ही होगा । फॅमिली बिना देरी किए निकल जाना चाहते थे और वो तरफ पानी पानी । अब मुझे नदीम अच्छा नहीं लग रहा है । ऍम चाहते हो तुम खाना भी अच्छा वाला नहीं खिलाते हैं जो करने को बडे ध्यान से देखो और फिर अपने लैपटॉप में लग गया । क्या कर रहे हो ऍम मुझे दिखाओ ना बनाने ऐसे सवाल किया जैसे रोज का उठना बैठना हो उसका उसके साथ नहीं दे सकता । क्यों बोला ना नहीं दे सकता है । राजकुमारी साइबा जोकर मुस्कुराते हुए बोला पानी का नजारा देखो बहुत जल्दी आपके लिए पैसा और बर्गर की व्यवस्था करूंगा । ऍम चौंकते हुए तो लिया ना क्या सचमुच का मुझे कौन पिज्जा दिलाना टिकट यहाँ पर पहले पानी में से निकल जाएगा । कितने घंटे लगेंगे? अभी तो मुझे कहानी जा रहे हो । शिमला क्या शिमला वहाँ मैं जाना चाहती थी वहाँ ऍम ऍम बताओ तो कितने घंटे लगेंगे? छत्तीस घंटे क्या? छत्तीस घंटे तो बहुत ज्यादा है । तब तक मैं क्या होंगे? ऍसे अकेले कुरकुरे ऍम नहीं, मैं ये सब नहीं खाती । रुकते हुए बोलिए क्या मुझे बार बार बताना पडेगा? राजकुमार दीजिए क्या पिकनिक पर नहीं है? सारे कोई बात नहीं हैं । आगे से नहीं लगता ठीक है पर मैं क्या करूँ? मुझे कोई कहानी सुना दो । कहानी जोकर अपनी आंखों के भावों को उठाते हुए बोला ये ठीक है । मैं कहानी सुना सकता हूँ हूँ । कैसी कहानी होगी कलपने क्या सत्य कहानी सच्ची घटना की कहानी सुना अच्छी वाली खुश होते हुए बोले मुझे ॅ बहुत अच्छा लगता था वो भी सत्य घटना पर आधारित क्राइम पेट्रोल भी देखा करती थी और मुझे बहुत अच्छा लगता था । बढिया तो बहादुर लडकी अब ये बताओ की रावनीत सस्पेंस वाली कहानियाँ सुनो या राजा रानी वाली का जोकर । आपने लाख आपको बंद करते हुए मुझे डरावनी कहानी अच्छी लगती हैं । है ना तब से बोलिए ठीक है तो उन्होंने कहानी ये कहानी सुनो एक परिवार के भोले भाले थे । सब पीढी गवार थे । एक दादा था एक आती थी । उन के दो लडके थे । दोनों की हुई शादी थी पर दिन बीता पीते साल महीने सभी लोग लगे । सबसे चीजें घर में गिरी एक साथ पिछले हाँ दोनों की हुई चार लडकियाँ गांव वालों ने मारा था हो गया उनका मुश्किल जीना लडकों की जहाँ में भटके दरबदर पर नियति ने तो उठाना किसी जन्म का पास लेकर होना फिर क्या हुआ दोनों भाई व्याकुल हुए दिखाया हकीम को अकेले ने बोला मेरे बस की बात नहीं तुम जाओ दिखाओ तांत्रिक को अब सुनो कहानी विस्तार से एक खोली पानी परिवार और तांत्रिक के दुराचार की कहानी ऍम ओ देखता हूँ पूरा दिन खराब हो जाता है । मैं सामने ऍम बदल शराब के नशे में था और अपनी पत्नी को डांटते हुए बोला हजार जरीन को सामने लाइटर ऍम बाहर कर दो किस नहीं जाउंगी सामने तो दल की पत्नी का रखते हुए हैं तो मैं इतनी नफरत है तो उन्हें सामने नहीं हूँ हूँ । जिंदगी तथा हो गई है तो फॅस एक के बदले में भी लडका नहीं जाना हूँ । मैं खानदान का बदल बडबडाते हुए खटिया पर हो गया । दोनों माओ के पास चाहो लडकियाँ बैठे थे । दूसरी तरफ एक झोपडी में दादा दादी हुए थे रात हो चुके थे । घर के सभी लोग खाना खा चुके थे पर अभी जो दल का छोटा भाई घर नहीं आया था शाम ढलते ढलते वो घर आ जाता था पर आज ही देर कर दी थी तो और उसके भाई में कामकाज आता । बाहर में बहुत अंतर जहाँ खेत का काम करता था और शराब का आदी भी था तो वहीं बेचन घर बनाने राजकीय का काम करता था और किसी भी तरह की बुरी लत नहीं थी हूँ बाहर साइकिल की आवाजाही तो चारों लडकियाँ भाग कर रहा है बेचना चुका हूँ अपनी साइकिल खडा कर रहा था तभी सामने चारों लडकियाँ दौडती हुई आई और बेचैन से निपटने बाबूजी बाबूजी काका काका क्या हुआ मेरी राजकुमारी ऍम चारों लडकियों को दुलार करता हुआ हूँ । अच्छा तो आज भी बडे बाबू जी ने डाटा सबको यही बात है ना नहीं । बाबूजी ऍम कुछ न कहते पर बडी लडकी करीब दस साल की होगी पर इतना कहकर रुक गए और वहाँ पर समझने लगे और तब तक बेचन बच्चों के साथ अंदर था क्या बात है बहुत ही बच्चे आज को ज्यादा परेशानी बेचैन अपनी भाभी से बोला भैया ने कुछ ज्यादा झगडा किया गया । रतल की पत्नियाँ कुछ और ना बोली थी और अपनी देवरानी के साथ चुपचाप बैठे रहेंगे । इस मजबूती हुई थी हमारी तो तभी बेचन की पत्नी बोले एक साथ इस घर के बहुत क्या बात है? बिटिया तो ये बताइए जब बेटे को लगा कि और कुछ ना बताएंगे तो चिंतित मन से बडी लडकी से पूछा ऍम हाँ जी ने आज अम्मा पर भी हाथ उठाया और उन्होंने माँ को बहुत गालियाँ दी । कहते हैं कि बेटा पैदा कर वरना मारता वो हम चारों का मोदी नहीं देखना चाहते हैं । अच्छा तो ये बात है बेचैन बिटिया के आजू पहुंचते हुए पूरा मैं सुबह होते ही ऐसे बात करूँगा । ऐसे कैसे कह दिया ये सब और कैसे बहुत से मारपीट की । मेरी बेटियां तो मेरी जान है । जब तक मैं हूँ किसी को कुछ नहीं होगा कॅश कि हम लडको जैसी नहीं । लडके ऐसा क्या करते हैं हम सभी लडकों से महान हो । बच्चों ये समझ का फर्क है । हमारा समाज हमारे मतलब के हिसाब से काम करता है तो वहाँ पे बच्चे हो ये सब छोडो मैंने प्यार करने के लिए कुछ भी होता है । मुझे बताऊँ अब चारों लडकियाँ कुश्ती बहुत जाओ तो मैं सोच रहा हूँ होने से पहले मेरा छोला देख लेना । बेचैन हसते हुए छोले की तरफ इशारा करते हुए बोला तो कोई चारों एक साथ होने की तरफ रुकना मैं देखती हूँ बडी लडकी ने बाकी तीनों को तो तीनों सफलता दिखाती हुई वहीं हो गए । यही नाम था उस बडी लडकी का झोला खोला था उसके आगे क्या कोई क्षेत्र चौडी होगी वो खुश होगी । हुआ ये तो है रस वाली बोली ये है मजा आएगा । रहे आराम से आराम से खाना तुम लोग आपस में बात कर बेचन की पत्नी झोले को उठाते हुए बोलिए और क्या क्या ऍम खुद ही देख लो । पेट मुस्कुराते हुए बोला थाना बे खिलाओगे देवर को या बस बच्चों की तरह जुलाई देख होगी । ठीक रहती थी मैं खाना लाकर आप छोले में से सामान निकाल । इतना कहकर वो चले गए । क्या आ गया है जो ले हाँ । बादल की पत्नी ने सामान निकालना शुरू किया । बिंदी चूडियां, बालों में लगाने का लाल पीला छोटे वोट लाली भी है । हाँ जी, इसमें से आधा तो आपके लिए ही है । आप अपनी पसंद से ले ले । कितनी बार कहा है मेरे लिए ये सपना है । क्या करूँ मैं ये सब लगा है । ये सब मीना को देते हैं क्या? क्या दे दो मीना को दीदी तभी खाने की थाली और एक लोटा पानी लेकर मीना यही सब फॅसा मान और क्या हमला बोले देखो देखो उसमें से जो भी बढिया लगे और पसंद है वो पहले आपको नहीं तो सब वापस होगा । मीना प्यार वाला गुस्सा दिखाते हुए बोली सुनो जी! जब दीदी नहीं लेंगे तो मुझे भी नहीं चाहिए । सब वापस कर दीजिए । ठीक है जैसी मीना रानी की इच्छा वेचन खाना खाते हुए बोला, नहीं नहीं, कुछ वापस भी होगा । मैं अपनी मर्जी से जितना लेना ले लेंगे, वापस नहीं होगा । कुछ ऍम और फिर तीन आॅखें । यही परिवार था रुदल और बेचने का । माता पिता पूरे हो चले थे और उन्हें ज्यादा कोई मतलब होता नहीं । क्या चल रहा है परिवार में क्या क्या नहीं । मिट्टी का घर था । कुछ अप्रैल तो कुछ खास तो उसकी झोंपडी थी । खेती बारी थी उनकी पर्व तो दल के बिगडे रवैये नहीं । घर की माली हालत को खराब कर दिया था । आजादी के बाद तीन दशक निकल चुके थे । हर जगह सब सुविधा शुरू हो गई थी । पर ये गांव अत्यंत पीछे । यहाँ तो अभी तक बिजली भी नहीं आएगी । स्कूल तक नहीं था । प्राथमिक शिक्षा के लिए भी बहुत दूर जाना पडता था । पूरी तरह से प्रशिक्षित कहूँ पिछडा गांव और सुविधाओं से महरूम था । होगा पिछडी और अतिपिछडी जातियों का गांव ढाई सबसे बडी बात कोई आगे से चलकर कुछ करना भी नहीं जाता था । अभी तक इस गांव में एक भी पक्का मकान नहीं था । तू रहने दे रहा हूँ । तू क्या बात करेगा । एक आदमी रोधन से बोला जितनी भी मेहनत कर लेंगे अंत में एक लोटा पानी देने के लिए भी कोई नहीं मिलेगा तो तेरी और तेरे भाई की तो तो चार लडकियाँ तो अपने घर चली जाएगी । वहाँ के बाद फिर क्या करेगा? तो बदल खेत में कुदाल मारते हुए बोला जो भी होगा देखा जाएगा तो मैं क्यों इतना परेशान हो तो अपने तीन बेटों के साथ होगा वो तो मैं वो गूंगा ही सोचा । अपना समझकर बता दूँ क्या बताओ ताने मारने के अलावा और क्या बताओगे तुम लोग बॅाल यदि दवा से नीम हकीम से अब तक बेटा नहीं हुआ तो मैं तो मैं एक सलाह दे सकता हूँ, नहीं चाहिए मुझे कोई सलाह भगवान ही नहीं चाहता की मेरे घर बैठा हूँ तो कुछ भी करो नहीं होगा । मेरी बात यदि समझ में आए और मान करे तो बता देना । मुझे एक शुभ चिंतक हूँ इसलिए बोल रहा हूँ । बदल खेत में कुदाल चलता रहा और बाद में वहाँ से निकल गया । उसके जाने के बाद बदल के दिमाग में उस आदमी की बातें पहुंचने वो जितनी बार खेत में कुदाल से प्रहार करता, उतनी बार उसके दिमाग पर साथ में द्वारा मारे गए तानों का भी प्रहार होता । पाँच निर्वाणी चार चार लडकियाँ शादी के बाद क्या होगा था भाई? तो दल के दिमाग पर उसकी बातें हावी होने लगी थी । एक तो वो मेहनत कर रहा था, उसके बाद दिमाग में बेकार बेकार से बातें जन्म ले रही थी । उससे मैं लाल हो रहा था और उसी में एक में कुदाल चला रहा था । काम करेगा तो आपने के मर जाने के बाद तेरे खेत की रखवाली कौन करेगा? तेरे परिवार की रखवाली करते हुए अप्रैल को कौन संभालेगा? रुदल तू तो वन शहीन हो जा रहे हैं । बदल के ही सब बाते सोचने लगा । नहीं ऐसा नहीं हो सकता हूँ । मैं बाहर किस नहीं होने दूंगा । मेरा खानदान बात ही नहीं हो सकता । मेरे घर में पुत्र पैदा होगा । चाहे जैसे भी हो मैं घर जाऊंगा भगवान से पर मेरे घर में बेटा पैदा होगा हूॅं ऐसे उसने लगा दो साल का प्रतिबंध एक ताना मारने वाले अंदाज मैं साहस लगाने लगा । मेरा भाई तो बोला है उसे कुछ नहीं पता । कम से कम तू तो जा रहे हैं । बहुत सारे उपाय है बेटे पाने के लिए कब तक बता दु दाल आखिर कब तक खुद को तडपाता रहेगा । सबके घरों के बाहर बेटे के नाम का दिया चलता है । तू कब तक इंतजार करेगा? बता जरा मुझे भी तो बता जब तक सिद्धा हो तब तक में आखिर क्या करूँ? फॅमिली सोचने लगा किस तरह से पैदा करो बेटा पैदल इन्हीं सब को देड वन में था की कुदाल कबार खेत में हो रहा था । हाँ वहाँ तो बाहर का समय था । कडक होते तो दल पसीने देता था और उसके अंदर जैसे हाथ की ताकत आ गई हूँ तो कुदाल चला जा रहा था । उसी बीच रंजन ने आवाज आ रही है बावजी आना लाई हूँ ऍम की आवाज नहीं सुनी और कुदाल चलता है । बावजी आना लाई हूँ । रंजन बदल के पास आकर दोपहर हो गयी है खाना खा लो, तनिक आराम कर लो ऍम पर यार खाना देने वाले हो । ब्लॅक उडान चला रहा था और रंजन को बिना देखे गुस्से से बोला काम कर लो लोगों के रहते आराम का कॅाल की भयानक आवासित डर गए और उसी देख में दो कदम पीछे हट गए । उसने खाने की पोटली को खेत के किनारे रख दिया और रोती हुई तेजी से घर की तरफ भागे । पित्ती कहानी सुनाकर जोकर ऍम अब तक कैसी लगी? कहानी राजकुमारी जी कहानी तो बहुत अच्छी है । प्रिया दीदी सचमुच की सच्ची कहानी तो रोधन कितना बुरा आदमी था जिनके साथ उसे इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए । अकेले उसके खुद की बेटी थी । अब तो ऐसा नहीं आना चोकर । अब तो लोग बेटी और बेटों में फर्क नहीं करते हैं । आज की बात अलग है । राजकुमार दीजिए पर आज भी कहीं न कहीं अंतर तो समझा ही जाता हैं । ठीक है आगे की कहानी तो बताओ, क्या हुआ? फिर कुछ खालो फिर बताता हूँ क्या खिलाओगे वहीं से के लिए चिप्स कुरकुरे तो मैं चाहूँ तो मैगी खिला सकता हूँ । हाँ, सच में पहले की खुशी का ठिकाना नहीं था तुम सच में मैं खिलाओगे । खिलखिलाकर बोली जेंस कुछ पैकेट है हमारे पास मैगी पास्ता और सूप के ऍम एन अपने होठों को गोल करते हुए पूरी मतलब पूरी तैयारी के साथ निकालो मिशन है ना के लिए निकलना पडा । राजकुमारी आना छूकर मायूस होकर हूँ तो मेरा सब भाषा भी मन नहीं था कि आपका पहनकर करना मजबूर था । बहुत कोई बात नहीं हो कर के पास आकर बोले तुम अपना मकसद पूरा करो, हम कुछ नहीं करेंगे पर वादा करो मुझे सही सलामत घर छोड दोगे । ये बात सुनकर होकर के आगे चल चलाया और है ना अपने पास बिठाते हुए बोला वादा करते हैं आप देना चला के किए मेरे साथ ऐसे ही बनी रही मैं आपको आपके घर छुट्टी ठीक है अब ऍम और आगे की कहानी बता दूँ नदी के बहाव के विपरीत ना पानी को चीरती हुई आगे बढ रहे हैं ।

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