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भाग 03 in  |  Audio book and podcasts

भाग 03

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दिल्ली के एक मामूली ऑटो रिक्शा ड्राइवर की किस्मत ने बड़े ज़बरदस्त अंदाज़ में पलटा खाया और उसके हाथ 24 कैरेट शुद्ध सोने की 6 एंटीक मूर्तियाँ लग गयीं, जिनकी कीमत 10 करोड़ रुपये थी! लेकिन मूर्तियाँ मिलने के बाद उस ऑटो ड्राईवर के जीवन में तबाही, आतंक और बेहद चौंका देने वाली घटनाओं का ऐसा खौफनाक सिलसिला शुरू हुआ कि वह त्राहि-त्राहि कर उठा। जानने के लिए सुने "एक हादसे की रात!" Voiceover Artist : आशीष जैन author : अमित खान
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फोन उन दोनों के लिए बडे नाजुक क्षण थे । मंत्री तो लाश को हाथ लगाते हुए भी खबर आ रही थी लेकिन कुलभूषण के बार बार आग्रह करने के बाद पोस्ट काम को करने के लिए राजी हो गई । उस वक्त रात के दो बज रहे थे । पूरा किशनपुरा सन्नाटे में डूबा था । कुलभूषण ऍम आज से पहले वो ये कहते हुए नहीं सकता था कि उस मोहल्ले में बेहद पत्थरदिल लोग रहते हैं । रात को कितनी हाय तौबा मचती है वहाँ कैसी कैसी छत पे होती है ऍम कोई अपने खिडकी में से भी छात्र देख ले वहाँ कोई पडता है तो मर जाए उनकी बला चाहिए । लेकिन आज कुलभूषण के दल से तो निकल रही थी । अगर आज उसकी नगाडे जैसी चीख सुनकर वहाँ मंत्रा के अलावा कोई और अधिवक्ता तो वो गया था तो के भाव फिर वो मूर्तियों का बारिश तो क्या बनना था । उसे उसे हत्या के अपराध में जेल के अंदर चक्की और पीछे नहीं पडती है । बहरहाल अभी तक नसीब उसके साथ था । उसने खून से रंगे कपडे उतारकर नई धुले हुए कपडे पहने । उसके बाद खून चरण कपडों पर केरोसिन डालकर उसने उनमें आग लगा दी और रात को नानी के रास्ते बहा दिया । मंत्रालय भी एक जरूरी काम किया । उसने पहले पानी और फिर पेट्रोल की मदद से फर्श पर लगे खून के धब्बों को अच्छे तरीके से साफ कर डाला । जब कि कुलभूषण ने आनन फानन में अजनबी की जेबों से आपने फिंगर प्रिंट भी मिटा दिए थे । फिर ऑॅडिट पर लगी मिट्टी भी साफ की ताकि उसी एक पॉइंट की वजह से वो कहीं भी होना चाहिए । बहरहाल कुलभूषण जैसे सीधे साधे आदमी से जितनी उम्मीद की जा सकती है, उसमें उससे कहीं ज्यादा काबिलियत का परिचय देते हुए सबूतों को बता दिया । अजनबी ऑटो रिक्शा में लाते वक्त उन दोनों ने अपने हाथों में दस्ताने पहले अजनवी लम्बी चौडी कदकाठी वाला आदमी था । इसलिए टांगे वगैरह मोडकर वो बडी मुश्किल से ऑटो रिक्शा पिछले सीट परसेंट हो गया । भाषा के ऊपर एक मोटा कंबल डाल दिया गया । फिर मंत्रा बेहद खौफजदा मुद्रा में लाश के पहलू में इस तरह बैठ गई, जिससे वो लाश राष्ट्र होकर कोई मरीज और वो उस मरीज की कोई सभी संबंधी ऍम पडा । अब कुलभूषण की आंखों के सामने रात के काजली अंधेरे में डूबी काली कोलतार कि वीरान सडक की जो मूसलाधार बारिश होने की वजह से शिष्य की तरह चमक रही थी और उसकी आंखों में सपने थे । सुनहरे सपने कुलभूषण देखा उसकी और मंत्रा की शादी हो रही है । उनके पास एक बडा सा घर है । शानदार गाडी । आगे छह नौकर चाकर खुश हैं । बेहद खुशी कुलभूषण सपने देखता रहा और ऑटो रिक्शा अपना फासला तय करता रहा । तभी तभी संकट की शुरुआत हुई ऍम पीछे से आती सारण की आवाज को सुनकर कुलभूषण पडा सारे सपने काफूर हो गए । उसके पीछे गर्दन हमारी अवॅार्ड दिया था पुलिस और तो ठीक है ऍम पीछे फॅमिली जितनी सायरन बजा बजाकर ऑटो रिक्शा को रोकने का आदेश दे रही थी । पुलिस हमारा पीछा क्यों कर रही है? मंत्रालय एक आॅफिसों की तरह पूछा मुझे क्या मालूम कुलभूषण के जिस्म का लेकिन वो खडा हो गया सिर्फ सब ये पता चल गया ऍम लेकिन अभी ऐसे पता चल सकता है ये तो वही बेहतर जाने । मंत्रालय कपालेश्वर में बोली मगर ऍम हमारी हरकत के बारे में पता चल चुका है । फॅमिली बोलती थी भूषण इस चक्कर में मत बहुत मत्वपूर्ण फस जाएगा । नहीं तो अमीर बनने का बडा शौक चढा हुआ था । एक मंत्रालय बेकार की बातें मत करो । कुलभूषण योजना था । पहले ही उसका दहशत के बारे बुरा हाल था । उसके जिस्म से पसीने की बहन निकली थी । उसके ऑटोरिक्शा, स्पीड और बडा ऑटो भी तूफान की तरह सडक पर दौडने लगी । उससे भी कहीं ज्यादा तेजी से दिमाग दौड रहा था । उस वक्त अतिभाव जो एक पहले बडी मुसीबत से छुटकारा पाने की कोई नाया तरकीब सोच रहा था । ठीक है कुलभूषण आंदोलित लहजे में बोला हूँ ऍम क्या बात है एक पुलिस से बचने का मेरे दिमाग में एक आइडिया है तो कंबल ओढकर लाश के ऊपर ले जाएं चलती हूँ पसीने छूट गए मंत्रा गई अब क्या कह रहा हूँ मतलब कुलभूषण चिल्ला उठा पुलिस की जितनी नजदीक आती जा रही है जैसा मैं कह रहा हूँ । ऐसा कार्य और बहुत हम दोनों का फसना ते हैं । लेकिन लेकिन लास्ट ऊपर लेने से क्या हो जाएगा? मंत्रा के आंखों में मौत नाच रही थी । उसकी हवा खुश थी । देख लाश के ऊपर लेने के बाद ये भी पता चल जाएगा की क्या होगा । इसलिए जल्दी कर उन दोनों की आपसी बहस किसी ठोस नतीजे तक पहुंच पाती । उससे पहले ही उसके बीवी जिप्सी जोर जोर से सारण बजाते हुए ऑटो रिक्शा के पहलू में से गुजरेगी और फिर सडक के बिल्कुल बीचों बीच वोटों के सामने चाहता हूँ हो गए कुलभूषण के उसने फौरन ब्रेक अप्लाई किया है । फिर भी और ऍम करते हैं । काफी दूर तक कर सकते चले गए और ऍम होते होते बचा हूँ । उसी पल मंत्रा भी हरकत है । वो एकदम दहशत के वशीभूत होकर लाश के ऊपर जा पडी थी । लाश के ऊपर गिरता ही उसने झट से लाश पर बडा कम्बल खींच लिया था और फिर उस कम्बल से अपने आप को और लाश को अच्छी तरह ढक लिया । अब वो लाश के एकदम ऊपर नहीं अजनबी की गोद में उधर जिप्सी के रूप में ही उसमें से थोडा धरती पुरस् करने नीचे को नहीं । उसका कुछ शुरू से ही शक नजर आ रहे थे । नीचे होते ही फॅमिली तरफ बडे कुलभूषण ने देखा उनमें जो सबसे आगे था वो बडे खतरनाक मुखमण्डल वाला सब इंस्पेक्टर की रैंक का पुरुषकर्मी था । जब की उसके पीछे पीछे आने वाले दोनों पुरुषकर्मी हवालदार कुलभूषण ऑटो रिक्शा की ड्राइविंग सीट से कुछ और जब चिपक कर बैठ गया और अपने होने वाले हैं । खौफनाक अंजाम की कल्पना से ही ठंड था, कांपने लगा । तब तक वो तीनों से करीब आ चुके थे । उसके अंदर शाह कुलभूषण हें । मरियम से जवान में पूछा ऍम समझ डॉक्टर के हथौडे जैसी आवाज नहीं सीधे उसका तुम आप पर चोट की बाहर निकाल ऍम था । कुलभूषण हाथ पैर की टीचर करने लगे लेकिन लेकिन क्या है साहेब नहीं हर अभी सब इंस्पेक्टर मच्छी खाते हुए आगे छुपकर उसका निर्वान पकड लिया । समझा नहीं मैं क्या कह रहा हूँ मगर कुलभूषण के मुंह से निकलने वाले आगे के तमाम शब्द एक नंबर ठीक में परिवर्तित हो गए क्योंकि गुस्से मैं बनाते हुए उस सब इंस्पेक्टर रहे । कुलभूषण को न सिर्फ बाहर पकडकर की जाता है बल्कि बाहर खींचते ही उसने धडाधड उसके ऊपर तीन चार ऐसे झापड जड दिए हैं कि वह चीखते हुए घडी के पेंडुलम की तरह दायें बायें छूट गया चलता है । ऐसा अपने बाप से जवान चलता है उससे ये अच्छा पडा और झडा ऍम उसके आंखों के गिर्द अनार पटाखे से छूटने लगे । लेकिन लेकिन मेरा कसूर क्या है ये तो बता दो । कुलभूषण फरयाद की तुझे अपना अपराध नहीं मालूम । साले सब इंस्पेक्टर ने उसे शहर पर बातें हुई नजरों से हो रहा है तो मुझे अपना कसूर नहीं मालूम । खडा हो झापड बडे कसकर उसकी कनपटी पडे । कुलभूषण केरोलाइन छूटते छूटते बच्चे हैं तो उन लोग के पट्ठे सब इंस्पेक्टर उसके बाल पकडकर छोडे इतनी तेज ऑटो रिक्शा चला रहा था । हवाई जहाज बना रखा था । ऐसे और ऊपर से पूछता है मेरा अपराध क्या है? मेरा कुसूर क्या है? सब इंस्पेक्टर ने गुस्से में धान मिलाकर उसके पेट में इतनी जोर से घुटना मारा कि वह हल्का एक कुत्ते की तरह टकराव होगा । सब कुछ पडा कडक पुलिस वाला था पर ये सोचकर कुलभूषण को राहत मिली के मामला स्पीडिंग के चालान का था सुभाष का नहीं लेकिन मेरी क्या गलती है साहब कुलभूषण रूंधे हुए स्वर में चलते हुए बोला अच्छा पिछले तेरी गलती कुछ नहीं ऍम कर देने वाली नजरों से घोडा ऑटो रिक्शा को आंधी तूफान बना रखा था । पुलिस सारण की आवाज भी सुनाई नहीं दे रही थी लेकिन फिर भी तेरी कुछ गलती नहीं ऍम कुलभूषण स्वर में बोला और इसी वजह से मैं ऑर्टोप् आंधी तूफान बनाकर चला रहा था । ऍम फॅमिली साहब एक लडकी की जान खतरे में है । ऍम अपने हाथ में मौजूद टॉर्च का प्रकाश ऑटो रिक्शा की पिछली सीट पर डाला मंत्रिसमूह खोले पडी थी । अलबत्ता कम्बल सोचना लाश को बडी कर ही नहीं से ढक रखा था । हाँ ऊपर टॉर्च का प्रकाश पढते ही मंत्रा दर्द भरे अंदाज से कराएं । उसने इमरजेंसी वाली बात शायद सुन ली थी ऍम लडकी को बीमार हालत में देखा सब इंस्पेक्टर के तेवर कुछ ढीले पडेगी से साहब ने बोला है कि सीरियस ऍम हॉस्पिटल ले जाओ । अब अगर ये बात है तो पहले मैंने बताया ऍम बोलने का मौका ही कहाँ दिया साहब आप तो आप तो एकदम से गिर गए सब इंस्पेक्टर में फिर से आगे लाल पीली की लेकिन मित्रों को ज्यादा ही मोटी नजर आ रही है । वो क्या है साहब कुलभूषण जल्दी से बोला ये मेरे से है ना । इसलिए देखने में अच्छा लगता है हो हो गया सब इंस्पेक्टर मुस्कराया है और उसी के साथ दोनों हवलदार भी हो होकर के हंसने लगे । आपने पहुँचा कुलभूषण ऍम इतना ज्यादा लेट होंगा उतना ही केस बिगड जाएगा थे । गया जाओ और सुना सब इंस्पेक्टर कठोर जैसे में बोला आज तो मैंने तुम्हें इमरजेंसी की वजह से छोड दिया है लेकिन अगर आइंदा फिर कभी तुमने फ्लाइंग स्पॉट के सायरन की आवाज सुनकर भी ऑटो रिक्शा नहीं रोका ना तो फिर तुम्हारी खैर नहीं । जय समझ गया साहब समझ गया हो जाएगा से कुलभूषण तुरंत ऑटो लेकर वहां से नौ दो ग्यारह हो गया । उसे ऐसा लगा मानव चान बची और हो पाएगा । सुबह के पांच बजे का समय ये वो समय होता है जब मॉर्निंग वॉक के लिए लोग अपने अपने घरों से बाहर निकलते हैं । लेकिन उस दिन की शुरूआत बडे ही सनसनीखेज ढंग से हुई । इंडिया गेट के आसपास चहलकदमी करते लोगों का जमघट दिखाए । अमर जवान ज्योति के नजदीक वाली झाडियों के आसपास लग गया था । जमघट लगने का कुछ कारण था घनी झाडियों में एक लाश का पाया जाना । अजनबी की शक्ल शिक्षित लाश को सबसे पहले कॉर्पोरेशन के एक माली ने देखा । सूरज निकलते ही झाडियों की कटाई छटाई के वास्ते वो गाना वहां था । झाडियों में लास्ट देखते उसने कलॅर चलाना शुरू कर दिया । परिणामस्वरूप वहाँ भीड जमा हो गई । ये भी बडी दिलचस्प बात थी कि कुलभूषण उस वक्त सुबह भी वहाँ पुलिस और आम लोगों की प्रतिक्रिया जानने के लिए मौजूद था । ऍम पहन रखा था और उसके हावभाव ऐसे थे मानो वो भी दूसरे लोगों की तरह ही मॉर्निंग वॉक के लिए निकला हूँ और लाश की बात सुनकर चौंक गया हूँ । आॅफलाइन स्कॉर्ट दस्ते का सामना करने के बाद इतना घबराया था की अमर जवान ज्योति के पास सन्नाटा देखकर उसने लाश को वहीं झाडियों में फेंक दिया । कुलभूषण का इरादा तो लाश को किसी ऐसी जगह ठिकाने लगाने को था जहाँ से वो पुलिस को कई हफ्ते तक बरामद होती । कुलभूषण जानता था कि उसने लाश ऐसी जगह है की है जहां सुबह होते ही हर काम पड जाएगा । इसलिए वो खुद भी उस हर काम का नजारा करने के लिए वहाँ मौजूद था । तब एक का एक भीड में शोर शराबा सा हुआ और फिर जोर जोर से सायरन बजाती पुलिस जी घटनास्थल पर आकर होगी ॅ होगी अपने पूरे दलबल के साथ जीतने से कुछ पडा है । इंस्पेक्टर योगी सत्ताईस अट्ठाईस साल का एक हष्ट पुष्ट नौजवान था । उसने दबंग व्यक्तित्व का मालिक था । अंडरवर्ड के बडे बडे गुंडे की उसके नाम से हो करती थी और आपने इसी रॉफ्ट आप के कारण ही वह अभी नया नया ही सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर बना था और फ्लाइंग स्क्वॉड के उस रस्ते से संबंधित था तो सिर्फ हत्या वाले किसानों की । तब भी करता है स्पैक्टर योगी को देखते ही भीड हाई की तरफ फट गई । उसके व्यक्तित्व से कुलभूषण भी प्रभावित हुआ और उसका दिनों के बाद में एक ही सवाल लगाने की तरह बजने लगा । अब क्या होगा अब क्या होगा? उधर योगी जैसे ही अपने सहयोगियों के साथ लाश के नजदीक पहुंचा । तुरंत एक हजार के मुझे निकला । अरे साहब ये तो चीरा पहलवान है फॅस आजाद वही जो पहले अखाडे में जाकर पहलवानी करता था । लेकिन फिर धीरे धीरे जुर्म के पेशे में आ गया और खून खराबा करने लगा । ऍफ का नाम अपने ऊपर । साहब अच्छा नहीं, वही छेना पहलवान तो नहीं इस पर होगी । जल्दी से बोला इसका कई डकैतियों में भी था और सही अंदाजा लगाया साहब वही चीज ना पहलवान है वो स्पैक्टर योगी अब धीरे धीरे स्वीकृति में गर्दन हिलाने लगा । उसके बाद पुलिस ने सबूत जुटाने और पंचनामा बनाने की तैयारियां शुरू कर दी । कुलभूषण जब घर पहुंचा तो वहां मंत्रा बडी बेसब्री से उसका इंतजार कर रही थी तो घबराहट के मारे ऑफिस में नहीं गई । क्या हुआ कुलभूषण को देखते ही उसकी तरफ लडकी है । कुछ खास बात पता चली है हाँ और भूषण गहरी सांस लेता हूँ । कुर्सी पर बैठ गया । उस अजनबी का नाम मालूम पड गया । अच्छा कौन था वो कोई चीना पहलवान नाम का अपराधी था । इसके ऊपर डकैती और हत्या के कई केस दर्ज थे । वो कुछ और पता चला नहीं बाकी तो कुछ नहीं पता चलता है । कुलभूषण ने बेहद सस्पेंस और मुद्रा में कहा अब शाम को जब शांति टाइम्स आएगा शायद उसी से कोई और नई जानकारी मालूम हूँ । उसके पास बडी बेसब्री से संडे टाइम्स का इंतजार शुरू हुआ । वो दोनों नटराज मूर्तियों के बारे में कोई जानकारी हासिल करने के लिए कुछ ज्यादा ही उत्सुक थे । खास तौर पर कुलभूषण तो इस मामले में हद से ज्यादा बेकरार था । शाम को तीन बजे के करीब शांति टाइम्स आया । चीना पहलवान से संबंधित खबर अखबार के कवर पेज पर ही मोटी मोटी हैड लाइनों में छपे थे । लिखा था कुख्यात अपराधी चीना पहलवान की रहस्यमई हत्या, शव बरामद । नई दिल्ली चार जुलाई आज सुबह दिल्ली शहर के कुख्यात अपराधी जीना पहलवान की शब्द लक्षित लाश पुलिस को इंडिया गेट के नजदीक बृहत रहस्यमय हालत में बडी नहीं । मृत्यु का कारण वो दो गोलियाँ बताई जाती है जो छेना पहलवान की पीठ में लगी हुई थी । इस संबंध में गश्ती दल के दो पुलिस कर्मियों का कहना है कि उन्होंने रीगल सिनेमा के नजदीक कष्ट लगाते वक्त तो उन्होंने बारह बजे के करीब गोलियों के दो धमाके सुने थे । गोलियों की आवाज सुनकर तो फौरन आवाज की दिशा में दौडे । जहाँ उन्होंने चीना पहलवान को भागते हुए देखा उसके हाथ में काले रंग का एक केस था तो पुरुषकर्मी चीना पहलवान को पकडा पाते उससे पहले ही वो लीगल के सामने अंधेरे में खडी एक ऑटो रिक्शा में बैठकर फरार हो गया । गश्तीदल के पुलिस कर्मियों ने ऑटो का नंबर भी नोट करने का प्रयास किया था लेकिन उसकी नंबर ब्रेड पर मिट्टी पुती होने के कारण वो अपने मकसद में कामयाब हो सकें । पुलिस का अनुमान है ऑटो रिक्शा ड्राइवर चीना पहलवान का कोई सहयोगी था और इस मामले की तह तक पहुंचने के लिए ऑटो रिक्शा ड्राइवर और चीना पहलवान के ब्रीफकेस की बडी सरगर्मी से तलाश कर रही है । कुलभूषण नहीं की खबर भी बडी और ममता को भी सुनाई । पूरे समाचार में नटराज मूर्तियों का कहीं कोई शक नहीं था । नहीं नहीं बहुत बडी भयानक थी दिल्ली पुलिस ऑटो रिक्शा ड्राइवर का चीन पहलवान से तो संबंध निकाल रही थी । उसने तो दोनों के होश उडा कर रखती है । बडी खबर है ऍम अखबार में छपी खबर को सुनकर मंत्रा के शरीर नहीं अब अभी दौडी क्योंकि भले ही पुलिस तुम्हारी और चीना पहलवान के बीच क्या संबंध निकाल रही है वो तुम्हें उसको कोई सगे वाला समझ रही है । मुझे नहीं समझ रही कुलभूषण कराया । पाॅवर को उसका सगे वाला समझ रही है जो उसे रीगल सिनेमा के पास से लेकर भागा था । लेकिन भूषण मंत्रा की आंखों में हराने की भाव नहीं । वो वॅार पूरी तो था देख रहा हूँ अभी के पास सिर्फ हम दोनों को मालूम है । हम तो और पुलिस के रहस्य नहीं जानती कि वॉटर ड्राइवर नहीं था । ठीक अगर पुलिस अभी इस रहस्य को नहीं जानती तो तो बहुत जल्द कुछ बन जाएगी । मैं उससे पहले कहती थी भूषण चक्कर में मत पड मत, पर फस जाएगा कि नहीं । तब मेरी बहुत तेरह कान पर नहीं देख रही थी क्योंकि तब तो जिस सिर्फ और सिर्फ अमीर बनने का शौक चढा हुआ था एक मिंत्रा अभी ऍम कुलभूषण झुंझला उठा । सच बात तो ये है कि अभी भी हमारा कुछ नहीं बिगडा है । अगर हम ठंडे दिमाग से सारे हालातों का जायजा ले तो खुद हमें भी महसूस होगा कि पुलिस हम तो कभी भी नहीं पहुंच पाएगी । क्यों नहीं पहुंच सकती क्योंकि पुलिस अभी सिर्फ ये जानती है । मंत्रा कुलभूषण एक शब्द चमकता हुआ बोला कोई चीना पहलवान को ऑटो रिक्शा में लेकर भागा शब्दों पर गौर करूँगा कोई अब ये बात मैं कमल अंधेरे में है कि वो कोई कौन था? दिल्ली पूरे सभी न तो मेरे नाम से वाकिफ है और नौ से मेरी ऑटो रिक्शा का नंबर ही मालूम है । कुलभूषण के आवास और ज्यादा रहस्यमय छोटी दिल्ली शहर में ऑटोरिक्शाओं की कोई कमी नहीं है । हजारों की संख्या में ऑटो यहाँ पिछले दिल्ली पुलिस को ये बात इतनी आसानी से नहीं पता चलेगी कि जिस ऑटो रिक्शा में चीना पहलवान रीगल के पास से भागा उस ऑटो रिक्शा ड्राइवर कौन था हूँ और और मूर्तियां मंत्रालय साॅल्वर में पूछा मूर्तियों का क्या होगा? देखो मूर्तियों के संबंध में एक बडी अच्छी बात है । कुलभूषण उत्साहपूर्वक बोला उनके बारे में भी दिल्ली पुलिस को कुछ भी मालूम नहीं है । तो तो कहना चाहते हो देखो मंत्रा हूँ और भूषण कैसे समझाया इस वक्त जो बातचीत पहलवान से हमारा लिंग जोडती है और वह है हमारे पास मौजूद सोने की छह नटराज मूर्तियां । उन मूर्तियों के हवा हमारे पास ऐसा कोई सूत्र नहीं है जो पुलिस के सामने इस बात की शहादत बन सकें कि हमारा चीना पहलवान से जयपुर उसकी लाख से कैसा भी कोई रिश्ता था और फिलहाल हमारे पास सबसे दूसरा ट्रंपकार्ड ये है कि पुलिस उन मूर्तियों की तरफ से भी पूरी तरह अनजान है । इसलिए इससे पहले कि दिल्ली पुलिस ऑटो ड्राइवरों की छानबीन करते हुए मेरे तक पहुंचे उससे पहले ही क्यों ना हम वोट दिया बेचकर दिल्ली से ही फरार हो जायेंगे । क्या कह रहा हूँ मंत्रा चौकी ठीक तो कह रहा हूँ कुलभूषण सनसनीखेज और में ही बोला पुलिस को सभी ऑटो ड्राइवरों की जांच पडताल करने में कम से कम तीन चार दिन का वक्त लग जाएगा और उसमें हम आराम से वो नटराज मूर्तियां भेज सकते हैं । मूर्तियां बेचने के बाद हमारे पास कोई सबूत नहीं बचेगा । लेकिन तो सवाल तो ये भूषण को मूर्तियां देखी भी किस तरह जाएगी? मंत्रालय खुश फोर में बोली देखो मैं पहले ही आशंका जाहिर कर चुकी हूँ । अगर वो मूर्तियां चोरी की हुई तो तो क्या होगा? तो पकडा नहीं जाएगा । नहीं कुलभूषण ने बडे ही विश्वास के साथ इंकार में कर्जन हिला दिया । मैं तब भी नहीं पकडा जाऊंगा । किसी मंत्र ने हैरानी से नेतृत्व फैलाकर पूछा तरह सूचनामंत्री कुलभूषण आइडिया बताया अगर कोई आदमी किसी दुकान पर जाकर चोरी का माल बेचे जो दुकानदार ज्यादातर चोरी का ही माल खरीदता हूँ तो प्रेस ठीक तरह के साथ फिर वो दुकानदार भला पुलिस को इन्फॉर्मेशन क्यों देगा? फिर तो मैं किसी सर आप को जानते हो । मंत्री के मुझे संस्कारी छोटी जो चोरी का सोना खरीदता है । फ्रांस जनता हूँ और आज रात को ही मैं उससे मूर्तियों का सौदा करूंगा क्योंकि इस मामले में मैं ज्यादा देर नहीं करना चाहता हूँ । मंत्रा हैरानी से कुलभूषण को देखते रहते हैं । उस कुलभूषण को तो हर पल एक गहरी पहली बनता जा रहा था ।

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दिल्ली के एक मामूली ऑटो रिक्शा ड्राइवर की किस्मत ने बड़े ज़बरदस्त अंदाज़ में पलटा खाया और उसके हाथ 24 कैरेट शुद्ध सोने की 6 एंटीक मूर्तियाँ लग गयीं, जिनकी कीमत 10 करोड़ रुपये थी! लेकिन मूर्तियाँ मिलने के बाद उस ऑटो ड्राईवर के जीवन में तबाही, आतंक और बेहद चौंका देने वाली घटनाओं का ऐसा खौफनाक सिलसिला शुरू हुआ कि वह त्राहि-त्राहि कर उठा। जानने के लिए सुने "एक हादसे की रात!" Voiceover Artist : आशीष जैन author : अमित खान
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