हूँ । अभी तक आप सुन रहे थे चाणक्य नीति का आठ है अब हम बढते हैं नवे अध्याय क्या आप सुन रहे हैं फॅमिली तो चलिए आरंभ करते हैं नवे अध्याय के आरंभ ऍम कहते हैं मेरे मुक्ति चाहते हो तो समस्त विषय वासनाओं को विश्व के समान छोड दो । क्षमाशीलता, नम्रता, दया, पवित्रता और सत्यता को अमृत की भारतीय भी हो अर्थात अपनी जिंदगी में उसे अपना हूँ । आगे समझाते हैं कि जो व्यक्ति परस्पर की गई गुप्त बातों को दूसरों से कह देते हैं वे ही दीमक के घर में रहने वाले साहब की भर्ती नष्ट हो जाते हैं । इसलिए मित्रों के गुप्त रहस्यों को कभी भी प्रकट ना करें इससे केवल शत्रुता ही पैदा होती है । आगे चल के कहते हैं कि ब्रह्मा जी को शायद कोई बताने वाला नहीं मिला क्योंकि उन्होंने सोने में सुगंध, एक में फल, चंदन में फूल, विद्वानों को धनी और राजा को चिरंजीवी नहीं बनाया । समझाने का तात्पर्य यह है कि सृष्टिकर्ता ने ये कैसे बडा माना कि है कि उन्होंने सोने में सुगंध नहीं डाली, गन्ने पर फल नहीं लगेगा । चंदन के वृक्ष पर कोई नहीं हो गया और विद्वान को धनवान नहीं बनाया और इसके बाद राजा को जो कि सबका प्रजापालक है, उसे दीर्घजीवी नहीं बनाया है । चला कि कहते हैं कि अमृत से जीवन को अमरता प्राप्त होती है, भोजन से शरीर को पुष्टि मिलती है, ट्रपति प्राप्त होती है और आंखों के बिना सारा संसार ही अंधकार में डूब जाता है और दिमाग के बिना तो चिंतन ही असंभव है । चारा कि कहते हैं कि न तो आकाश में कोई दूध गया ना इस संबंध में किसी से कोई बात हुई । ना पहले किसी ने इसे बनाया और ना ही इसका प्रकाशन सामने आएगा । तब भी आकाश में भ्रमण करने वाले चंद्र और सूर्य में ग्रहण के बारे में जब ब्रह्मांड पहले से ही जान लेता विद्वान क्यों नहीं अर्थात वास्तव में वहाँ विद्वान है जिसकी गन्ना से ग्रहों की चाल का सही सही पता लगाया जा रहा है । आगे जाने के लिए बहुत ही अच्छी बात समझाई है कि विद्यार्थी, नौकर पथिक, भूख से व्याकुल व्यक्ति, भय से त्रस्त भंडारी और द्वार पर इंसान को यदि आप कभी सोता हुए देख ले तो तत्काल जगहें क्योंकि अपने समस्त कार्य और कर्तव्यों का पालन ये जाकर ही या फिर सचेत रहकर ही करते हैं । अर्थात विद्यार्थी भी सोयेगा तो पडेगा कैसे? नौकरी भी सोयेगा तो डाका पड सकता हैं । मुझे अफरीदी सोयेगा तो उसे कोई लूट सकता है । भंडार घर का स्वामी और द्वारपाल यदि सोते रहेंगे तो चोरों को चोरी करने का अवसर मिल सकता है । अतः इन्हें सदेव सावधान रहना चाहिए । इसकी बात चार के कहते हैं की साफ राजा, शेर, ततैया और बालक और दूसरे का कुत्ता तथा मुझे व्यक्ति इन सातों को सोने से कभी नहीं लगाना चाहिए । इन्हें जगाने से खानी ही हो सकती हैं । आगे कहते हैं कि जो ग्रामीण केवल धन के लिए अपने विद्या को बेचते हैं, ऐसे ब्राह्मणों की विधियां उस घर पे की भर्ती होते हैं जिसके मुख में विश्व की थैली ही नहीं था । ये किसी को ना तो श्राप दे सकते हैं और नहीं वरदान । आगे समझाते हैं कि जिसके नाराज होने का डर नहीं और प्रसन्न होने से कोई लाभ नहीं । जिसके दंड देने या दया करने का सामर्थ्य नहीं । मैं नाराज हो कर भी क्या कर सकता है । मैं भी उसी से हुआ जा सकता है जिसमें कुछ दंड देने की सामान हो । जिसमें ऐसी सामर्थ्य नहीं है । उस व्यक्ति से डर कैसा? अपना हानिया लाभ देख कर ही कोई किसी से प्रभावित होता है । विश्व इन सबको अपनी फन को फैलाकर पुरस्कार करनी चाहिए । देश के न होने पर भी पुरस्कार से उसे डराना विषय चाहिए । यदि विषहीन सर तो ऐसा नहीं करेगा तो वहाँ अपना बचाव नहीं कर पाएगा । लोगों से पत्थर मारेंगे तो आ रही है कि राजा के पास शक्ति चाहे थोडी हो पर उसे अपनी शक्ति का दिखावा करके शत्रु को भयभित अवश्य करते रहना चाहिए । आगे श्री चढा के कहते हैं कि जुआरियों की कथा को महाभारत की कथा से जोडकर दिखाया है कि राजनीतिक आरोप को जुए की लत से कितना भारी नुकसान उठाना पडता है । इसलिए प्रसंग की कथा को रामायण से जोडकर बताया गया है कि परस्त्री हरण से कितना बडा विनाश होने की संभावना रहती है और चोर की कथा को श्रीमद्भागवत से जोडकर भगवान श्रीकृष्ण की सोलह हजार रानियों के रहते हुए भी इंद्रियनिग्रह की भावना का प्रतिपादन किया गया है । भाव यह है कि बुद्धिमान व्यक्ति वही है जो परिस्थिति गमन से दूर रहता है । पांच सदेव अपनी इंद्रियों को संयम में रखने का प्रयत्न करता है । आगे समझाते हैं कि अपने हाथों से गुंथी माला अपने हाथों से ऐसा चंदन पर अपने हाथों से ही लिखा स्रोत इन सबको अपने ही कार्यों में लगाने से देवताओं के राजा इंद्र कि श्री लक्ष्मी भी नष्ट हो जाती है । आगे समझाते हैं कि दरिद्रता के समय धैर्य रखना उत्तम है । मैंने कपडे को साफ रखना उत्तम है । घटिया आने का बना गर्म भोजन भी अच्छा लगता है और कोई व्यक्ति के लिए अच्छे स्वभाव का होना श्रेष्ठ है । भाव है की दरिद्रता मेरे धैर्य रखा जाए तो दुख नहीं होता । धनी व्यक्ति धैर्यपूर्वक अपना समय गुजार लेता है । फटे पुराने मैले कपडों को ही साफ सुथरा करके और उनको अच्छे प्रकार से सीकर पहना जाए तो वे भी अच्छे लगते हैं । जो बजा जो मक्का इनके जैसे अन्य की भी रोटी अधिक गर्म करके बनाई जाए और खाई जाए तो स्वादिष्ट लगती है और अच्छे शील स्वभाव का व्यक्ति यदि ग्रुप भी हो तो वो भी अच्छा लगता है । यहाँ पर समाप्ति होती है नौवें अध्याय कि अब हम बढते हैं । दस यह है कि और आप सुन रहे हैं फॅमिली के साथ हूँ ।