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पवित्र था सुन ना ज्यादा इंसान क्यों करता है घुमा मानुष तन अनमोल मिला है मातृ में ना इंसान सुन ऍम बडे बडे आए गुमानी जगह में चलाना कोई का घुमा संघीय साथ ही कुटुंब कबीला तेरे संग न कोई जान सुन नादा इंसान क्यों करता है कुमार अब भी समय चेंज लेते आ रहे नहीं तो होगी बडी बहन कोटि जन्मों से भटकता आया लिया ना गुरु से ज्ञान सुनने ऍम क्यों करता है गुमान लेते चौकसी फिर भ्रम आवे जो छोडा ना अभिमान जिसका या का गर्व है तो उसको खाक बने हैं संस्थान उडकर पंद्रह से आवे तब कहाँ जावे अभिमान सुन नादा इंसान क्यों करता है घुमा जो चाहो यही भाव से डर ना तो गुरु भक्ति लो था हरीश कभी मैं साठ कहता साहेब गोपाल धर्मा सुन नादा इंसान क्यों करता है कुमार