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हूँ कभी तीन मेरे सतगुरु के दरबार में सत्य लगाया जाता है जन्म मरण का दुख है भारी उस को मिटा या जाता है जो लोगों के दाग लगे जो उसको छोडा या जाता है । मेरे सद्गुरु के दरबार में सत्य लगाया जाता है सब अवगुण को दूर है करते सब गुण सिखाया जाता है जिनको शंका है आकर देखले हर दुविधा मिटा या जाता है मेरे सद्गुरु के दरबार में सत्य लगाया जाता है । विषय आ सकती से दूर है करते आनंद दिलाया चाहता है साढे कबीर गोपाल दया से हरीश कभी उतर जाता है । मेरे सब गुरु के दरबार में सत्य लगाया जाता है ।