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भाग दस ॅ दोस्त तू लेख का शीर्षक पढकर आप शायद ये समझ रहे होंगे कि मैं ये बात किसी अहंकारवश बोल रहा हूँ, परन्तु ऐसी कोई बात नहीं है । दरअसल यह प्रकार का सुझाव है जिसको मैं सुधीर यानी लेख के मुख्यपात्र के माध्यम से आप लोगों को देना चाहता हूँ । उम्मीद है कि मेरा ये सुझाव आप लोगों को भी पसंद आएगा । एक बार की बात है मुझे मेरे अंकल ने फोन आया और फोन पर उन्होंने बोला कि मुझे किसी काम के सिलसिले में तुरंत मिलना चाहते हैं । मैं तुरंत उनके घर पहुंचा और उनसे मिला । उनके साथ एक अधेड उम्र के व्यक्ति बैठे हुए थे । मेरे अंकल ने मुझ से उनका परिचय करवाया और मुझसे बातें करने लगे । बहुतों बातों में वो मुझे अपने बेटे सुधीर के बारे में बताने लगे । उनके बेटे सुधीर को हकलाहट की समस्या थी । उसकी उम्र बीस इक्कीस साल के आस पास से मैंने उनको सुधीर की हकलाहट की समस्या के बारे में विस्तारपूर्वक बताने को कहा । उन्होंने अपने बेटे की समस्या के बारे में सब कुछ विस्तारपूर्वक बताया । अब जैसे कि हकलाहट की समस्या से संबंधित व्यक्तियों के साथ होते हैं, ठीक वैसे ही सुधीर के केस में भी होता है । उदाहरण के तौर पर सुधीर की हकलाहट की समस्या उसके बचपन में शुरू हो जाती है । वो पढने लिखने में सबसे आगे रहता है । लेकिन अपनी हकलाने की वजह से वो कई गतिविधियों में पीछे रह जाती हैं । जिस वजह से उसके सुभाव में बचपन से ही काफी कुछ सेल और चिडचिडापन आ जाता है । खैर मैंने उस व्यक्ति यानी सुधीर के पिता से पूछा कि इस मामले में मैं आप की क्या मदद कर सकता हूँ । तब उन्होंने बताया कि पहले तो सब कुछ ठीक था लेकिन पिछले कुछ महीनों के दौरान सुधीर के स्वभाव में काफी तबदीली आ गई है तो बहुत ही शांत और चुपचाप सा रहता है और अगर उससे कोई बात करें तो वो उसका जवाब काफी निराशाजनक देता है । ऐसा लगता है कि जैसे मानो उसे अपनी जिंदगी से बहुत शिकायतें हैं लेकिन वह किसी पर जाहिर नहीं होने देता पर अंदर ही अंदर होता रहता है । हमें डर है कि वो कोई गलत कदम न उठा ले । मैंने उनकी बात पूरी सुनी और सुधीर से मिलवाने को कहा । लेकिन सबसे पहले मैंने सुधीर के बारे में और जानकारी लेना सही समझा जिसके लिए मैंने सुधीर के पिता से उनके परिवार के बाकी सदस्यों से मिलने की अपनी इच्छा जाहिर की । सुधीर के पिता को मेरा प्रस्ताव अच्छा लगा और मुझे अगले ही दिन मुझे अपने घर जाने को कहा । अगले दिन में तयशुदा समय पर सुधीर के परिवार से मिलने उनके घर गया । सुधीर के पिता हमारे शहर के भी नहीं चुने । अमीरों में से एक हैं । उनका घर शानशौकत को बयान करता है । सुधीर के परिवार में कुछ छह सदस्य हैं । एक सुधीर और उसके माता पिता और उसकी तीन बहने । वो अपनी तीनों बहनों में छोटा है, जिस वजह से वो अपने परिवार में सबसे लाडला सदस्य है । मैंने उसकी माँ से सुधीर की हकलाहट की समस्या से संबंधित जानकारी देने को कहा । उन्होंने कहा, सुधीर मेरी तीन बेटियों के बाद पैदा हुआ था, जिस वजह से वह परिवार में सबसे लाडला सदस्य था । हमने उसकी परवरिश में कोई कोर कसर नहीं छोडी । अब जब वह तीन चार वर्ष का हुआ तब उसने बोलना शुरू किया । उसकी तोतली बातें हम सबका मन मोह लेती थी । समय पीटने के साथ साथ मैंने महसूस किया कि सुधीर को बोलने में कुछ परेशानी हो रही थी । वो हर बात को बार बार दोहराता था या नहीं । जब वो पानी पीने के लिए मुझे कहता बोलती थी माँ मुॅह हूँ, मुझे पानी पानी पानी पीना है । पर जब हम उस की इस समस्या को नजर अंदाज करके उसके इस तरह बोलने को लेकर हंसने लगते हैं और उससे जानबूझ कर और बुलवाते हम सबको तो जैसे खेलने के लिए कोई खिलौना मिल गया हो । उसके पापा और खास कर उसकी बहनें उस दिन भर कुछ ना कुछ बुलवाती रहती और जब वो सब उसकी बातों पर हसते तो वो भी हंसने लगता । परिवार के सब सदस्यों को अपने ऊपर हस्ते सुधीर भी खूब हस्ता और मजे लेता । वो बार बार जानबूझ कर ऐसा बोलने लगा ताकि सब उसके ऊपर हसें । शायद वो इन बातों को खेल समझने लगा था लेकिन समय बीतने के साथ साथ उस की समस्या भी बडी होती गई । अब ये खेल नहीं रही । हम इसके समाधान के लिए कई डॉक्टरों के पास गए और उसका बहुत इलाज करवाया है । लेकिन इस समस्या काबू में नहीं आई । अगर तुम हमारी कुछ मदद कर सकते हो तो तुम्हारा हमारे ऊपर बहुत एहसान होगा । मैंने उनकी सारी बात सुने और मुझे समस्या के कारण को समझने में देर नहीं लगी । मैंने उनसे कहा कि मैं सुधीर से मिलना चाहता हूँ लेकिन आपको उसे मेरे बारे में कुछ नहीं बताना होगा । मैं उसकी समस्या, आपकी समाधान उसका दोस्त बनकर करूंगा । हमारे बातें करते करते सुधीर भी घर आ गया । उसके माने सुधीर को मुझसे मिलवाया । इससे पहले मैं कुछ कहता मेरे बारे में सबको बताने लगा । उसने कहा कि वह मुझे जानता है और वो मुझ से फेसबुक और मेरी वेब साइट के माध्यम से मुझ से जुडा हुआ है । उसकी बातें सुनकर मैं और उसकी माँ एक दूसरे की तरफ ऐसे देखने लग गए जैसे कि हम दोनों की चोरी पकडी गई हो । खैर मैंने सुधीर से कहा कि अगर तो मेरे बारे में पहले से ही जानते हो तो मैं समय बर्बाद नहीं करूंगा । यानी सीधा काम की बात पर आता हूँ । मैंने उसे उसके परिवार से अलग अकेले में अपने पास बुला और उससे उसके और उसके हकलाहट की समस्या के बारे में पूछने लगा । सुधीर ने कहा, मैं अपनी समस्या के बारे में क्या बताऊँ? आप सब कुछ जानते हैं । मैं तो बस इतना ही जानता हूँ कि मैं जिंदगी में कुछ नहीं कर सकता । मुझे मालूम है कि मैं क्या हूँ और अगर मेरी यहाँ घबराहट की समस्या होती है तो जिंदगी में कुछ कर सकता था । मेरे अंदर कई प्रकार के हुनर है जिसे मैंने अपने अंदर ही दबा कर रखा है । हकलाहट ने मेरी शिक्षक ही बदल दी । समाज की नजर में मैं मंदबुद्धि न लाए और पता नहीं क्या क्या हूँ । मेरी अध्यापक में तो यहाँ तक कह दिया कि मैं अपने जीवन में कुछ नहीं कर सकता । सुधीर की बातें सुनकर मुझे कोई हैरानी नहीं हुई क्योंकि में हकलाहट की समस्या से जूझ रहे जीवन से भलीभांति परिचित था । उसकी बातों के जवाब में मैंने ऋतिक रोशन जैसे अभिनेता का उदाहरण दिया और उसे बताया कि कैसे को अपने बचपन के दिनों में हकलाहट की समस्या से पीडित थे और शारीरिक रूप से इतने कमजोर थे कि उन्हें डॉक्टरों ने जिम में न जाने की सलाह दी थी । लेकिन आज उन्होंने जिस मुकाम को हासिल कर लिया है वो हमारे लिए एक प्रेरणा स्रोत बन सकते हैं । मैंने उसे कहा हर व्यक्ति में कोई ना कोई गुण होता है जो उसे पाकी व्यक्तियों से अलग करता है । हम जैसे लोग जो हकलाहट की समस्या से पीडित हैं उनमें भी कोई न कोई अलग होता है । हकलाहट की समस्या के कारणों के बारे में अगर तुम पता लगा हूँ तो पाओगे । ये समस्या दिमाग के अत्यधिक तेज होने की वजह से होती है । यानी हम जैसे लोगों का दिमाग सामान्य व्यक्ति की तुलना में ज्यादा तेज होता है । लेकिन समाज के मजाकिया लहजे और अपने ऊपर हो रही अपनी टिप्पणियों की वजह से हम अंदर से इतने टूट जाते हैं कि हमें अपनी कोई भी खूबी या गुड सिखाई ही नहीं देता । आपने किसी अध्यापक या फिर किसी परिचित की निराशाजनक बातों को ही सच मान लेते हैं और अपने दिल में एक बात बैठा लेते हैं कि हम अपने जीवन में कुछ नहीं कर सकते । तो क्या ये बात सच है? नहीं, बिलकुल नहीं क्योंकि ठान लोग तो जीत है और मान लो त्योहार है और अगर तुम्हें अपने जीवन में कामयाब होना है तो तुम्हें अपने जीवन के साथ एक लडाई करनी होगी जो कि सारी उम्र खत्म नहीं होगी । मैंने इसी बात को ध्यान में रखकर एक शेयर लिखा था जो कि अब मेरा प्रेरणा स्रोत बन गया है । वो है जिंदगी से लडने का स्वाद लाजवाब होता । जिंदगी से लडने का स्वाद लाजवाब है । होता गलती अगर कामयाबी सूखा ली तो हर कोई कामयाब होता । अब फैसला काम पर है कि तुम्हें अपनी जिंदगी के साथ क्या करना है । समाज को निराशाजनक बातें सुनकर और घुटकर जीना या फिर इन सब बेकार बातों की परवाह किए बगैर बिंदास होकर जीना चाहते हो । मेरी बातें सुनकर सुधीर ने कहा, आपकी बातें काफी अच्छी हैं और वह मुझे नई ऊर्जा का उत्सर्जन करती हैं लेकिन वो बातें करने और सुनने में ही अच्छी लगती हैं । असल जिंदगी ने इस तरह की बातें काम नहीं करती हैं और अगर आप ऐसा मानते हो कि हम जैसे लोग क्योंकि इस समस्या से पीडित हैं, अपने जीवन में कुछ कमाल कर सकते हैं तो मैं आपके सामने बैठा हूँ । मैं अपने जीवन में क्या कर सकता हूँ क्योंकि मुझे मेरे अध्यापक और समाज नहीं नकार दिया है । मैं अपने जीवन से निराश हो चुका हूँ और मेरी निराशा इतनी बढ गई है कि मैंने कई बार अपने जीवन को समाप्त करने की कोशिश की है । लेकिन ये बात भी सच है कि मैं अपनी असल जिंदगी में डर तो या फिर बुजदिल नहीं हूँ । मैं अपने जीवन में कुछ करना चाहता हूँ । कुछ बन के समाज को अपने ऊपर हो रहे मजाक का मुंहतोड जवाब देना चाहता हूँ । यही कारण है कि मैं आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाना चाहता । सुजीत की बातों के जवाब नहीं । मैंने उसे कहा तो भारी बातें भी ठीक है लेकिन अगर तुम अपनी जिंदगी में कुछ करना चाहते हो तो नहीं । सब बातों को नजरअंदाज करना होगा और अपने जीवन में एक मंजिल को निर्धारित करना होगा और उस मंजिल को पाने के लिए जी जान से जुट जाना होगा । इसके लिए कुमारी हकलाहट की समस्या के कारण यानी तो भारत तेज दिमाग तुम्हारी मदद करेगा । इस दुनिया में सबसे मुश्किल काम अगर कोई है तो वो अपने आप को साबित करना । यानि तुम जो दिखाते हो वो असल में हो नहीं और जो तुम्हारी सोच है या तुम्हारा मकसद है वो किसी को दिखता नहीं । यही सोच और मकसद को पूरा करना या फिर ये कह लो कि अपने अंदर की शख्सियत को बाहर निकालना ही तुम्हारे लिए सबसे मुश्किल काम है । समाज में एक कामयाब व्यक्ति बन के सामने आना तुम्हारे अंदर भी कोई ना कोई हुनर होगा जो तुम्हें हम सबसे अलग करता होगा । तुम उस वानर को पहचानों और उसे बाहर निकालकर अपने मकसद को पूरा करने और अपने जीवन यापन में इस्तेमाल करो क्योंकि तुम्हें पता है कि तुम सबसे अलग हो और सबसे अच्छे भी हो । यानी तुम्हें पता है कि तुम असल में क्या हो तो वही समाज की परवाह नहीं करनी होगी तो मैं अपनी मंजिल को निशाना मानकर उसे पाने के मकसद से जी जान से जुट जाना होगा । जो ऍम यू नो । इतना सब कहकर मैं उसके कमरे से बाहर आ गया और उसके परिवार वालों से मिला और वहाँ से जाने के लिए उसकी अनुमति लेकर अपने घर की और चल दिया । इसके कुछ दिनों के बाद सुधीर की माँ का फोन आया । उन्होंने कहा कि सुधीर के व्यवहार में अब काफी बदलाव आया है । वो अब पहले की तरह नकारात्मक बातें नहीं करता । इसके लिए उन्होंने मेरा धन्यवाद दिया । कुछ दिनों के बाद मैं सुधीर से दोबारा मिला और हकलाहट की समस्या को काबू करने के कुछ व्यायाम और कुछ बातें बताई और इनसब, व्यायामों और बातों को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाने को कहा जिससे उसके व्यवहार और उसकी हकलाहट की समस्या में भी काफी सुधार आएगा । निष्कर्ष सुधीर के केस में ये निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि हकलाहट की समस्या से परेशान बाकी लोगों की तरह सुधीर की समस्या उसकी हत् राहत नहीं थी बल्कि उसके हकलाहट की वजह से पैदा हुई परेशानियाँ ही उसकी असली समस्या थी । उस को बहुत आशाएं थी, कुछ कर दिखाने की तमन्ना थी, लेकिन समाज में उसके हकलाहट की समस्या की वजह से उसे इतना परेशान कर दिया था कि उस की सभी आशाएं और तमन्नाएं ही खत्म करदी थी । कोई भी उसके अंदर के सुधीर को पहचान नहीं पा रहा था । यही सब कारण उसकी निराशा के कारण बने थे, जिसकी वजह से तो बिलकुल टूट सा गया था । उसे जरूरत थी एक अच्छे मित्र की, जो उसके अंदर छिपे सुधीर को पहचानकर बाहर निकले । एक ऐसा दोस्त उसके मकसद को पहचान कर उसे पूरा करने में उसकी हौसलाअफजाई करें । सुधीर तो बस एक उदाहरण है । ऐसे कई सुधी हमारे बीच रहते हैं, जो अपनी हकलाहट की समस्या के कारण इस समाज के दी हुई परेशानियों की वजह से निराशा भरी जिंदगी जीते हैं ।
Writer
Sound Engineer