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9. Profession During Stammering (Problem For Stammer) in Hindi

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AuthorRohit Verma Rimpu
The Five W in Stammering यानी हकलाहट के पाँच "क" यह किताब हकलाहट की समस्या के विषय को समर्पित है । अपनी इस किताब में मैने पाँच "क" , क्या ,क्यों , कब , कहाँ , कैसे यानि हकलाहट की समस्या क्या है । हकलाहट की समस्या क्यों पैदा होती है । हकलाहट की समस्या कब पैदा होती है । हकलाहट की समस्या कहाँ सबसे ज़्यादा यां कहाँ सबसे कम पैदा होती है । हकलाहट की समस्या को कैसे क़ाबू में किया जाए । इन सबका वर्णन करने की कोशिश की है । और इसके साथ हकलाहट के जीवन पर आधारित कुछ लोगों की कहानियाँ हैं। इन कहानियों में से कुछ कहानियाँ काल्पनिक हैं और कुछ सत्य जीवन पर आधारित हैं। और यह सब कहानियाँ हकलाहट के पाँच " क " को ध्यान में रख कर लिखी गई है। और साथ में इनके ज़रिये यह बताने की कोशिश की गई है की हकलाहट की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति के जीवन कौन कौन सी समस्याएँ आती हैं और इस समस्या को कैसे क़ाबू में किया जाए । Voiceover Artist : Ashish Jain Script Writer : Rohit Verma Rimpu
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भारत नौ प्रोफेशन ड्यूरिंग स्टाॅल हकलाहट की समस्या से ग्रस्त व्यक्ति के जीवन में सबसे कठिन काम होता है अपने भविष्य को बनाना और अपनी जीवन यापन के लिए उचित काम को ढूंढना । क्योंकि जीवन यापन करने के लिए क्या यू कहीं की कोई नौकरी करने के लिए सबसे जरूरी होता है बोलना जो एक हकलाहट की समस्या से परेशान व्यक्ति के लिए सबसे बडी चुनौती होती है वो चाहे कितना भी पढा लिखा क्यों ना हो, चाहे उसके पास तो नौकरी करने के लिए उचित डिग्री भी हो लेकिन अगर वो ढंग से नहीं बोल सकता तो उसकी पढाई लिखाई और उसकी कमाई हुई । सब डिग्रियां बेकार साबित होती हैं । इस बात में कोई शक नहीं है कि हकलाहट की समस्या काबू में नहीं आ सकती क्योंकि ये समस्या मेहनत, लगन, धैर्य और ईमानदारी से काबू में आ सकती है । तो हम बात कर रहे हैं हकलाहट की समस्या के दौरान अपने करियर को बनाने की । अगर किसी इंसान में कोई कमी होती है तो उसमें कोई न कोई खूबी भी जरूर होती है । सबसे पहले आपको अपनी वो खूबी को ढूंढना है और अपनी हकलाहट की समस्या को मद्देनजर रखते हुए अपनी खूबी को अपने पेशे में तब्दील करने का प्रयास करना है । क्योंकि हकलाहट की समस्या से परेशान व्यक्ति का दिमाग बाकी सामान्य व्यक्तियों के दिमाग की अपेक्षा ज्यादा तेज होता है तो उसे कोई भी देश अपनाने में ज्यादा कठिनाई नहीं होती । लेकिन किसी भी पेशे को अपनाने से पहले उसकी हकलाहट की समस्या आ सकती है । पिछली हकलाहट की समस्या से परेशान व्यक्ति को चाहिए कि वह भविष्य में वहीं पेशा अपनाएं जिसके हकलाहट की समस्या के अनुकूल हो । यानी वो पेशा जिसको वो अपनी हकलाहट की समस्या के रहते भी अपना कर आसानी से अपना जीवन व्यापन कर सके । तो आइए चर्चा करते हैं कुछ ऐसे पेशों की जिनको हकलाहट की समस्या के दौरान अपने जीवन यापन के लिए अपनाया जा सकता है । बॉडी बिल्डर और जिम ट्रेनर हकलाहट की समस्या के चलते मेरे जहन में जो सबसे पहला पेश आता है वो है एक बॉडी बिल्डर या जिम ट्रेनर बनना । इस को शौक के तौर पर शुरू किया जाता है । जो बात नहीं एक जुनून बन जाता है । एक प्रोफेशनल बॉडीबिल्डर बनने के लिए उतना ही समय और धन लगता है जितना के डॉक्टर या फिर इंजीनियर बनने में लगता है । हकलाहट की समस्या से परेशान व्यक्तियों के लिए बॉडी बिल्डिंग सदैव फायदेमंद रहता है और वह आसानी से स्पेशल को अपना कर अपने जीवन में कामयाब हो सकते हैं । इस बात के पीछे मेरा पर किए हैं क्या सर हकलाहट की समस्या से परेशान व्यक्ति का इस समाज में मजाक बनाया जाता है । इसके विपरी ये समाज समझ नहीं पाता । उसके द्वारा किए गए मजाक प्रॉन्स व्यक्ति पर क्या प्रभाव पडता है । समाज के द्वारा हकलाहट की समस्या से परेशान व्यक्ति का बार बार मजाक बनाए जाने से उस व्यक्ति के मन में समाज के प्रति एक प्रकार का गुस्सा होता है जो वो जिम में जाकर कसरत करते हुए निकाल सकता है । भारतीय सिनेमा में फिट बॉडी और सिक्स फॅस के चलन की बदौलत जिम ट्रेनर की मांग लगातार बढ रही है और इस दौर में आप पर्सनल जिम ट्रेनर के तौर पर अपना जीवन व्यापन हो आसानी से कर सकते हैं । सिंगर हकलाहट से परेशान व्यक्ति देशा बोलते समय हकलाता हूँ लेकिन वो कोई गीत गाते समय बिल्कुल भी नहीं चलता है । यानी वो कोई भी गीत आसानी से जा सकता है । अगर किसी हकलाहट से परेशान व्यक्ति को गीत संगीत का शौक है तो वह पेशे को आसानी से अपना सकता है । इसके लिए उसको बहुत सारे लोगों को सामने बोलने का डर जिसको हम स्टीच फेयर कहते हैं वो खत्म करना होगा और अगर आप में कुछ कर दिखाने का जज्बा है तो डेली मिरर प्रैक्टिस से ये स्ट्रेटोस्फेयर की समस्या आसानी से दूर हो सकती है और आप एक अच्छे गायक बन के अपनी रोजी रोटी चला सकते हैं । रॉबर्ट ऍम अमेरिका ऐसे बेहतरीन गायक है तो हकलाहट की समस्या से परेशान थे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने पूरे संसार में अपनी सफलता के झंडे गाडे । डांस टीचर और कोरियोग्राफर ये पेशा भी शौक के रूप में शुरू किया जाता है और बाद में इस चौक को अपने जीवन यापन के लिए पेशे के रूप में बदला जा सकता है कि कोई मुश्किल काम नहीं है । बस आपने सीखने और कुछ कर दिखाने का जज्बा होना चाहिए । मशहूर फिल्म अभिनेता महमूद जी ने कहा है, जो व्यक्ति अपनी टांगों पर खडा हो सकता है और आसानी से चल सकता है वो डांस भी कर सकता है । भारतीय सिनेमा जगत में डांस टीचर या फिर कोरियोग्राफर की माँ हमेशा बनी रहती है । शहर खाना बनाना भी प्रकार की कला है । सदियों से हमारे रसोईघरों में और तो का राज और वोटरो या बावर्ची खानों में मर्दों का राज चला रहा है और परंपरा राजा महाराजा के जमाने से चली आ रही है । इस कला में और तो और मर्दों का समान रूप से एकाधिकार चला रहा है । यानी इस कला के हकदार जितनी औरते ही है उतने मर्द भी बराबर का हक रखते हैं । इस कला की सबसे बडी खासियत यह है कि इसमें कुछ बोलने की जरूरत नहीं पडती है । आपके द्वारा बनाया गया खाना ही आपको गुणवत्ता बयां कर देता है । अगर आप इस कला में थोडी बहुत रुचि रखते हैं तो इसे पेशे के रूप में अपना कर आप जीवन यापन आसानी से कर सकते हैं । एथलिट्स और प्लेयर कैली ब्राउन, रॉन हर पर और टॉमी जॉन यू लोगों के नाम है जो हकलाहट की समस्या से परेशान है परंतु इसके बावजूद उन्होंने अपनी इस कमजोरी को किनारे करके एक बेहतरीन एथलीट के तौर पर संसार में अपना कद ऊंचा किया । अगर आप क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो भविष्य में आप के लिए इस क्षेत्र में कई रास्ते खुले हैं परन्तु ये रास्ता थोडा कठिन जरूर हो सकता है । इसलिए अगर आप इस पेशे को अपने जीवन यापन के तौर पर अपनाना चाहते हैं तो आपको पूरी मेहनत और ईमानदारी से अपने आप को इसके काबिल बनाना होगा । दोस्त तो ऐसे और कई पेशे हैं जिनमें ज्यादा बोलने की जरूरत नहीं पडती । जहाँ आपका काम ही आपकी काबिलियत बयां कर देता है और जिनको अपनाकर आप अपना जीवन यापन आसानी से कर सकते हैं । उदाहरण के तौर पर पेंटर, ड्राइवर ऍम तो सबसे मुश्किल काम यही है वहीं पेशे का चुनाव करना जिसको आप आसानी से कर सकते हैं यानी जिसमें आपकी रुचि भी है इसके लिए आपको अपने मन की सुनी होगी आपने आज पडोसी अपने रिश्तेदारों के कहने पर अगर आप कोई ऐसा पेशा अपना लेते हैं जिसमें आपकी रुचि बिल्कुल भी नहीं है, हो सकता है आप उसमें नाकामयाब साबित हूँ । उदाहरण के तौर पर अगर आपकी रुचि सिंगर बनने में हैं परन्तु किसी दबाव में आकर आप शेफ बन जाते हैं तो किस प्रकार का खाना तैयार करेंगे ये तो भगवान जानता है या फिर और अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि अगर आपने एक बात ठान ली है कि मैंने इस दुनिया में कुछ कर के दिखाना है और नाम कमाना है तो आपकी कोई भी कमजोरी आप को नहीं रोक सकती और फिर चाहे वो आपकी शारीरिक कमजोरी हो या फिर हकलाहट की समस्या बढिया राष्ट्रीय थोडा कठिन हो सकता है परंतु नामुमकिन नहीं हो सकता हूँ ।

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The Five W in Stammering यानी हकलाहट के पाँच "क" यह किताब हकलाहट की समस्या के विषय को समर्पित है । अपनी इस किताब में मैने पाँच "क" , क्या ,क्यों , कब , कहाँ , कैसे यानि हकलाहट की समस्या क्या है । हकलाहट की समस्या क्यों पैदा होती है । हकलाहट की समस्या कब पैदा होती है । हकलाहट की समस्या कहाँ सबसे ज़्यादा यां कहाँ सबसे कम पैदा होती है । हकलाहट की समस्या को कैसे क़ाबू में किया जाए । इन सबका वर्णन करने की कोशिश की है । और इसके साथ हकलाहट के जीवन पर आधारित कुछ लोगों की कहानियाँ हैं। इन कहानियों में से कुछ कहानियाँ काल्पनिक हैं और कुछ सत्य जीवन पर आधारित हैं। और यह सब कहानियाँ हकलाहट के पाँच " क " को ध्यान में रख कर लिखी गई है। और साथ में इनके ज़रिये यह बताने की कोशिश की गई है की हकलाहट की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति के जीवन कौन कौन सी समस्याएँ आती हैं और इस समस्या को कैसे क़ाबू में किया जाए । Voiceover Artist : Ashish Jain Script Writer : Rohit Verma Rimpu
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