Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
3. Interview Ka Darr in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

3. Interview Ka Darr in Hindi

Share Kukufm
2 K Listens
AuthorRohit Verma Rimpu
The Five W in Stammering यानी हकलाहट के पाँच "क" यह किताब हकलाहट की समस्या के विषय को समर्पित है । अपनी इस किताब में मैने पाँच "क" , क्या ,क्यों , कब , कहाँ , कैसे यानि हकलाहट की समस्या क्या है । हकलाहट की समस्या क्यों पैदा होती है । हकलाहट की समस्या कब पैदा होती है । हकलाहट की समस्या कहाँ सबसे ज़्यादा यां कहाँ सबसे कम पैदा होती है । हकलाहट की समस्या को कैसे क़ाबू में किया जाए । इन सबका वर्णन करने की कोशिश की है । और इसके साथ हकलाहट के जीवन पर आधारित कुछ लोगों की कहानियाँ हैं। इन कहानियों में से कुछ कहानियाँ काल्पनिक हैं और कुछ सत्य जीवन पर आधारित हैं। और यह सब कहानियाँ हकलाहट के पाँच " क " को ध्यान में रख कर लिखी गई है। और साथ में इनके ज़रिये यह बताने की कोशिश की गई है की हकलाहट की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति के जीवन कौन कौन सी समस्याएँ आती हैं और इस समस्या को कैसे क़ाबू में किया जाए । Voiceover Artist : Ashish Jain Script Writer : Rohit Verma Rimpu
Read More
Transcript
View transcript

भारतीन इंटरव्यू का डर एक दिन की बात है । मैं अपनी दुकान में बैठा था कि अचानक एक अनजान नंबर से फोन आया । मैंने फोन उठाया तो दूसरी तरफ एक लडके की आवाज थी जिसकी उम्र अंदाजन बीस बाईस वर्ष के आसपास होगी । अपने बारे में बताने के बाद उसने अपनी समस्या के बारे में बताया । उसकी समस्या हकलाहट से संबंधित थी परन्तु जैसा कि उसने बताया कि उसे हकलाहट की समस्या अक्सर नहीं होती । सिर कुछ विशेष परिस्थितियों में ही उसे हकलाहट की समस्या का सामना करना पडता था । मुझे समझने में देर नहीं लगी कि उसे ये समस्या किसी अन्य की हकलाहट की नकल करने के कारण पैदा हुई है । परंतु मैंने उसे इसके बारे में नहीं बताया है । अपनी बात को आगे बढाते हुए उसने कहा इससे लगता है की उसे हकलाहट से संबंधित ऐसी कोई भी समस्या नहीं है परंतु कई बार उसे कुछ खास परिस्थितियों में हकलाहट का सामना करना पडता है जिसके लिए वह तैयार नहीं होता । उसने बताया की उसका नाम मैं अखिलेश यादव है और वह बिहार का रहने वाला है । उम्र छब्बीस साल और अपनी ग्रेजुएशन पूरी कर और नौकरी ढूंढ रहा है । मिथलेश ने बताया कि आज कल उसकी समस्या ये है कि जब वह नौकरी के सिलसिले में इंटरव्यू देने जाता है तो वो उन सब के सामने हकलाने लगता है जिस वजह से उसे नौकरी मिलने से पहले ही नौकरी से हाथ धोना पडता है । खुश ने बताया कि उसे बिल्कुल भी समझ नहीं आ रही है । इसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है क्योंकि वो अक्सर हकलाता नहीं है । उस सबके सामने बिना किसी रुकावट के आसानी से बातचीत करता है परन्तु वो इंटरव्यू के समय ही क्यों हकलाने लगता है । मैंने फॅस बनाया और उसको इंटरव्यू देने से पहले और बाद में की सारी बात बताने को कहा । उसने बताया कि अभी तीन दिन पहले की बात है वो नोएडा की एक मल्टीनेशनल कंपनी में इंटरव्यू देने गया । वो इंटरव्यू देने से पहले बाकी प्रतियोगियों के साथ कतार में बैठकर अपनी बारी का इंतजार कर रहा था । जैसे जैसे उसकी बारी नजदीक आ रही थी वैसे वैसे ही उसे कुछ घबराहट महसूस हो रही थी । जैसे ही उसका नंबर आया और उसने जहाँ इंटरव्यू ली जा रही थी उस कमरे का दरवाजा खोला तो उसे अंदर बैठे लोगों से जो इंटरव्यू ले रहे थे उनसे अंदर आने की इजाजत मांगनी थी । परन्तु उसके मुंह से आवाज ही नहीं निकल रही थी है । जैसे तैसे इशारा कर के अंदर तो आ गया परन्तु साथ ही उसे उन सब के सामने किए गए इस अजीब बर्ताव का डर सताने लगा । वो पसीने से भीगने लगा । उसके चेहरे से घबराहट से जिन साफ साफ नजर आने लगे उसकी इंटरव्यू शुरू करते हुए सामने बैठे लोगों ने उसका नाम पूछा तो उससे उसका नाम तक नहीं बोला गया । वो एकदम चुप चाप बैठा हुआ था और साथ ही अपना नाम बोलने की कोशिश कर रहा था । वो डर के मारे कांपने लगा था । उसके हो धरके मारे थरथराने लगे थे । उसकी ऐसी स्थिति दे । वहाँ बैठे लोगों ने उसे इंटरव्यू खत्म और धन्यवाद बोलकर उसे बाहर जाने के लिए बोल दिया । इतनी बात बोलकर निखिलेश चुप हो गया । कुछ देर खामोश रहने के बच्चा मैंने उससे बात की । उसने उदासी भरे लहजे से बताया कि अगले सप्ताह को उसने फिर से इंटरव्यू के लिए जाना है और अगर इस बार उससे कुछ नहीं बोला गया तो बहुत बुरा होगा क्योंकि उसका इंटरव्यू में उसका सारा भविष्य निर्धारित होगा । मैंने उससे उसकी पिछली जिंदगी की कुछ जानकारी ली जिससे मुझे ज्ञात हुआ कि उसे जन्म हकलाहट जैसी कोई समस्या नहीं है । उसने साफ बता दिया कि उसके बचपन में अपने एक मित्र क्योंकि हकलाहट की समस्या से पीडित था, उसकी नकल की थी और उसकी यानी मिथलेश के घर वाले ये मानते हैं कि वो उसके उसी दोस्त का शाप की वजह से है । उस की सारी बातें सुनने के पश्चात मैंने उसे बोला शाह अगर कुछ नहीं होता था । ये बात सच जरूर है की तुम्हारी ये स्थिति हमारे बचपन के दोस्त की वजह से है । यानी हमारी हकलाहट की समस्या जो तुमने अपने बचपन के दोस्त के हक लेपन की नकल की थी ये उसी नकल उतारने का नतीजा है परन्तु अब इसके बारे में सोचना बेकार है । तुम अपने भविष्य पर ध्यान केंद्रित करो जैसा की तुमने बोला है एक सप्ताह के बाद तुम्हारा फिर सहित इंटरव्यू है । प्रभारी इंटरव्यू में सफल रहे इसके लिए तुम्हें कुछ काम करना होगा । वो कहते हैं ना मरता क्या न करता । मिथलेश ने कहा मेरी हर बात मानने के लिए तैयार है बस उसको इस बार के इंटरव्यू में सफलता मिलनी चाहिए । तभी मैंने उससे कहा ये सब हो जाएगा तुम चिंता मत करो, बस तुम वैसा ही करो जैसा मैं कहता हूँ । तब मैंने मिथलेश को कहा कि पहले तो वो सुबह सुबह जल्दी उठकर शहर क्या करें और साथ में गले और सांस से संबंधित व्यायाम क्या करें इससे उसका दिन भी अच्छा रहेगा और हकलाहट से संबंधित उस की समस्या भी ठीक रहेगी । और जब इंटरव्यू देने के जाना हो तो वो बिना किसी डर के बेखौफ होकर जाए और इंटरव्यू के समय एक काम जरूर करें । जब इंटरव्यू देने के लिए कतार में बैठा हो तो उस समय वो अपना एक पसंदीदा चॉकलेट खाए और जैसी उस की बारी आएगी और वो इंटरव्यू देने के लिए कमरे के दरवाजे की और अपना हाथ बढाए । तभी अपने दिल के साथ एक वायदा करेंगे और मन ही मन में उसे कहीं की । अगर लगता है ठीक उसी समय डर की वजह से उसके दिल धडकने की गति काफी तेज हो जाती है । परंतु इस दौर के दौरान वो अपने आप से वादा कर लेता है कि अगर अंदर अंदर सब ठीक ठाक रहा तो वो अपने आप को अपनी पसंदीदा जगह में पार्टी देगा । ये सब बातें मिलाकर उसका दिल और दिमाग नहीं पैदा हो रही डर और कंफ्यूजन की स्थिति को लगभग खत्म कर देती है । जब मिथलेश इंटरव्यू दे रहा होता है उसका चेतन जागरूक हो जाता है और साथ ही उसका अवचेतन मन है जो की उसकी हकलाहट की समस्या के लिए जिम्मेदार होता है । वो उस के एफ सी रेस्टोरेंट के बारे में सोचने में व्यस्त हो जाता है कि वो रेस्टोरेंट कौन से रास्ते से जाएगा, वहाँ जाकर क्या क्या खाएगा और इस प्रकार वो अपनी इंटरव्यू देने में कामयाब हो जाता है । इस पूरे घटनाक्रम से अज्ञात होता है कि हकलाहट की समस्या कोई बीमारी नहीं है और न ही कोई मानसिक रोग है । सिर्फ अपने दिल को थोडा, बहलाकर और दिमाग को कहीं और लगाकर हकलाहट की समस्या को कुछ देर तक काबू किया जा सकता है । अखिलेश ने उपरोक्त तरीके के बारे में मुझसे कई बार पूछा कि इसमें कैसे कम किया परंतु मैंने उसे कभी नहीं बताया क्योंकि अगर मैं इस बात का खुलासा पहले कर देता तो शायद मैं और निचले दोनों अपने मकसद नहीं कामयाब ना होते हैं हूँ ।

Details

Sound Engineer

The Five W in Stammering यानी हकलाहट के पाँच "क" यह किताब हकलाहट की समस्या के विषय को समर्पित है । अपनी इस किताब में मैने पाँच "क" , क्या ,क्यों , कब , कहाँ , कैसे यानि हकलाहट की समस्या क्या है । हकलाहट की समस्या क्यों पैदा होती है । हकलाहट की समस्या कब पैदा होती है । हकलाहट की समस्या कहाँ सबसे ज़्यादा यां कहाँ सबसे कम पैदा होती है । हकलाहट की समस्या को कैसे क़ाबू में किया जाए । इन सबका वर्णन करने की कोशिश की है । और इसके साथ हकलाहट के जीवन पर आधारित कुछ लोगों की कहानियाँ हैं। इन कहानियों में से कुछ कहानियाँ काल्पनिक हैं और कुछ सत्य जीवन पर आधारित हैं। और यह सब कहानियाँ हकलाहट के पाँच " क " को ध्यान में रख कर लिखी गई है। और साथ में इनके ज़रिये यह बताने की कोशिश की गई है की हकलाहट की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति के जीवन कौन कौन सी समस्याएँ आती हैं और इस समस्या को कैसे क़ाबू में किया जाए । Voiceover Artist : Ashish Jain Script Writer : Rohit Verma Rimpu
share-icon

00:00
00:00