Made with  in India

Get Free TrialBuy CoinsDownload Kuku FM
Transcript
View transcript

नवा भाग जिंदगी में स्ट्रगल, दिसंबर स्ट्रगल बिना जिंदगी जिंदगी नहीं और किसी की नहीं । सच हम नहीं सच तुम नहीं सच है, सतत संघर्ष रही । कुछ सालों पहले ये पंक्तियां पढी थी क्योंकि वो हमारे नवी क्लास के कोर्स में थी । उस वक्त कविता बस पढ डाली थी अगर उसका मतलब अब समझ आ रहा है । शायद कभी ने इन पंक्तियों में अपने पूरे जीवन का सार भर दिया है । आज का सच भी यही है । खराब भी अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कही ना कही संघर्ष करता है । चाहे वो अमीर हो या गरीब सब अपने स्टाइल स्ट्रगल करते हैं । आमिर आमिर बने रहने के लिए स्ट्रगल करता है । हर गरीब अमीर बनने के लिए स्ट्रगल करता है । मेरे दोस्त की जिंदगी भी इन्हीं संघर्षों से होकर गुजर रही थी । जज्बातों से भरा उसका मन चेहरे पर रोखा पर खुद से खफा अपनी मंजिल से बे खबर खुली आंखों से उडान भरने के सपने देख रहा था । छोटों की नींद खुले, उदासी भरा चेहरा लिए लापता । पता नहीं वो किस तरफ अपने कदम बढा रहा था, भागता जा रहा था । बस भागता भागता वो उन सपनों में खो गया जो उसने खुली आंखों से देखे थे । बंदरों की आवाज से अचानक उसकी नींद टूट गयी । सपना सपना ही रहा । हकीकत सामने थी । कुछ देर बाद छोटू बातों से बाहर निकला । मोबाइल पर रोहित के कई सारे मिस कॉल पडे थे । छोटे ऍप्स पर ध्यान नहीं देते हुए फटाफट तैयार हो गया । अभी मुझे काम से बाहर जाना है । थोडी देर बाद वापस आकर नेशनल करूंगा । छोटू ने शूज पहनते पहनते दादी को आवाज लगाई । घर से बाहर निकलते ही छोटों ने रोहित को कॉल करने के लिए अपना जेब टटोला । अगर उसमें मोबाइल नहीं था । मोबाइल तो ऊपर अटारी पर ही छूट गया । ये सोचकर छोटू आगे बढ गया । छोटे मेरे घर के सामने खडा था और गौर से मेरे घर के दरवाजे पर लगे ताले को देखने लगा । छोटू ने तेज दौड लगाई और भागता भागता अपने घर पहुंचा । अटारी पर पहुंचने ही मोबाइल उठाया और देखा । सोलह मिनट कॉल क्षेत्र छोटू ने कॉल बैक किया । उसे चिंता होने लगी । पहले कभी मैंने उसे इतनी कॉल्स नहीं किए थे । कब से तुझे कॉल कर रहा हूँ तो जवाब ही नहीं दे रहे । में भी रो रहा था यार । मैंने मोबाइल देखा नहीं था । अच्छा बता क्यों कॉल किया । कॉल क्यों किया था, ये तुझे मिलने पर बताऊंगा । तेरे घर गया था, वहां ताला लटका है । यही बताने के लिए कॉल किया था तो बस हॉस्पिटल आ जा भी मैं भी यही होप हॉस्पिटल में क्यों कुछ सीरियस है? हाँ यार, इधर आएगा तो खुद समझ जाएगा । मैंने कॉल डिस्कनेक्ट किया । छोटू तेजी से हॉस्पिटल की सीढियाँ चढते हुए दूसरी मंजिल पर पहुंचा । छोटों ने आसपास अपने नजर दौडाई । कुछ दूरी पर बहुत से लोग खडे थे । उसे पारी कि भुआ देखी । फिर मैं नजर आया । छोटू दौडते दौडते मेरे पास पहुंचा । मेरा सारा परिवार वहाँ मौजूद था । पास आते ही मैं छोटों की गाली लग गया । मेरी आंखें आज भरी थी, आज भी रो रहा था । छोटों को लगा कुछ तो गडबड है । अगर अनुमान यकीन में तब बदला जब उसने मुझसे बात की । हम दोनों बैंच पर बैठ गए । हमारे सामने आईसीओ रूम का दरवाजा था । पापा का आये तेरे यहाँ इतने सारे लोग क्यों घटा हुए हैं? छोटू का पहला सवाल था सामने आई । सी यू में मैंने आंसू पहुंचे । क्या हुआ उन्हें पापा का एक्सीडेंट हो गया यार अंकल का एक्सीडेंट ही तो हुआ है । इतनी सी बात पर तो इतना रो रहा है कि इतनी सी बात है । मैंने से घूरकर देखा हॅूं तो हुआ है, मारे तो नहीं तो कहना क्या चाहता है । तब वो जब वो मर जाते हैं नहीं, आप मजाक कर रहा हूँ तो मुझे अभी भी मजाक सूचना है । मैंने छोटों को गुस्से से देखा । मेरे पापा आईसीयू में है और तुझे मजाक सूचना है, इतना सीरियस हो रहा है तो तो क्या करूँ? हसु नाजू कॉमेडी सीरियल देखो वो बात नहीं है । वो गेट छोटों ने मेरे कंधे पर हाथ रखा । पहले तो ही तो कहता था मेरा बाप ऐसा है । मेरा बाप ऐसा है, मर जाए तो अच्छा है । साला खडूस और पता नहीं क्या क्या । तो वो बात अलग थी । छोटू तो तुझे उनसे मुक्ति मिल जाएगी । फिर क्यों हो रहा है? ऐसी बात नहीं है । छोटे हूँ मैंने एक दफा छोटू के मानसून से चेहरे को देखा तो फिर क्या बातें? रोहित बताओ मुझे तेरी भाषा जो बदल गई । कल तक अपने बाप को बात कहने वाला आज पापा बोल रहा है मैं उन्हें कुछ भी बोलूँ मगर है तो वह मेरे पापा मैं चुप हो गया । मुझे छोटों की इन बातों पर बहुत गुस्सा आ रहा था । गजब दिया । इस वक्त मेरी दोस्त को तेरी शक्ति जरूरत है और ऐसी बातें कर रहा है । मैं मानता हूँ कि उनको मैंने बहुत बुरा कहा । मुझे डाटते हैं, मारते हैं । बस इसलिए क्योंकि वो मेरा बुरानी चाहते हैं । आज मैं इतना काबिल बन पाया हूँ तो बस उन की वजह से मैं फिर से चुप हो गया । दूर दूर तक कोई आदमी दिखाई नहीं दे रहा था । वो भी मुझसे बिहार करते हैं । मेरी पर वहाँ करते हैं । रोहित ने फिर बोलना शुरू किया । बस कुछ लोग वोटों से बता देते हैं और कुछ नहीं बता पाते । तो मैं उनको मुझे डाटते हुए देखा है । उनका बागबान रूप नहीं देखा । बाहर से कठोर देख रहे आदमी को देखकर हम ये नहीं बता सकते हैं कि वो कितना अच्छा है या कितना बुरा है । कुछ मजबूरियाँ कुछ जिम्मेदारियाँ आदमी को कठोर बना देती है मगर वो कमजोर नहीं होता । गु्स्सैल दिखता है मगर मजबूत रहता है । अपने वादों पर मैं आगे कुछ बोल नहीं पाया । मेरा गला रुंध गया । छोटों ने मेरे कंधे पर हाथ रखा मगर मैंने उसका हाथ अपने कंधे से हटा दिया । मैं भी किस पागल को समझा रहा हूँ जिससे बात का प्यार ही नहीं मिला हूँ । झूकी नजरे चुके हैं । आंसू तो उसकी आंखों में भी आ गए । एक काम कर मैंने गुस्से में कहा बेहतर होगा की तो यहाँ से चला चाहूँ सौरिया जो यहाँ से छोटे हूँ । एक बात करूँ फिर मैं चला जाऊंगा । छोटू बैंक से उठ गया तेरे पापा का एक्सीडेंट हो गया और दो इतना रो रहा है फिर मेरी तो पूरी दुनिया उस आधी उम्र में उजड गई थी तो मुझे कितना होना चाहिए । छोटू जाने लगा चलता हूँ दोस्त देखिए छोटू दूसरी मंजिल से नीचे आ रहा था तभी उसे पडी मिली पारी सुनो बोलो समंदर का नजारा पानी पर चमक हूँ किनारे पर लोगों का जमावडा लडके लडकियों के जोडे वहाँ की सुंदरता बता रहे थे । छोटू भी वही किनारे रेत पर बैठक किनारे का पानी बार बार आकर उसके पहले को गीला कर रहा था । वहाँ के गिली रेट में उसने बैठे बैठे लकीरों का टेर खडा करती धूप बढती जा रही थी । सुबह से उस से कुछ नहीं खाया था । धूप भी लग रही थी । यहाँ समंदर के किनारे बैठा छोटू आसपास बडे छोटे छोटे पत्रों को पानी में फेंक रहा था । तभी अचानक पीछे से किसी का हाथ उसके कंधे पर पडा । उसने पीछे मुडकर देखा तो एक लंबे बालों वाला बुजुर्ग सफेद गाडी, पुरानी सी टोपी, मैला कुचैला कोर्ट बहने उसके सामने खडा था । हालत देखकर पता चल रहा था जैसे कई दिनों से नहाया ना हो और खाने को कुछ मिला ना हो । आगे बिल्कुल छोटी सी चेहरे पर झुर्रियां ही झुर्रियां की जो ये बता रही थी कि समय की मार से ये भी अछूते नहीं रहे हैं आप कौन? छोटू ने उन्हें इग्नोर करते हुए पूछा, पत्थर फेंक रहे उस समुद्र में उसे भी दर्द होता है? अच्छा मुझे तो पता ही नहीं था । छोटों को हंसी आ गई । मैंने सोचा लोगों को दूसरों के दुख से ज्यादा खुशी मिलती है तो हम भी समंदर में पत्थर फेंक कर खुश हो रहे हैं । अच्छा ऐसा भी होता है क्या? कहते हुए वो अंकल उसके पास बैठ गए और छोटे छोटे पत्थरों को पानी में फेंकने लगे । ये वही अंकल के जो उस दिन कब्रिस्तान के बाहर मिले थे । अब है कौन? हमदर्द बनने का ज्यादा शौक है क्या नहीं । उन अंकल का सीधा जवाब आया छोटों ने उनसे नजरे कुमारी और फिर से संबंध निहारने लगा । धूप बढ रही थी इसलिए उसने घर जाने की सोची । मैं वहीं हो बेटा जिसकी कीमत इस उम्र तक आते आते सीरो हो जाती है । अंकल बोले मतलब भगवान का हेल्पर अंकल थोडा मुस्कुराएं । छोटू चुक रहा । उसके पास बोलने के लिए कुछ नहीं था तो तुम्हारा नाम क्या है? अंकल ने पूछा हूँ कुछ नहीं छोटू जाने लगा कुछ नहीं । ये कैसा नाम है । नाम तो हमारे जमाने में हुआ करते थे । राजा दीनदयाल लगता है इसी लगभग से आप अकेले रह गए । छोटू बीच में ही बोल पडा । अंकल कुछ नहीं बोले । उन्हें बुरा लगा । चुप चाप नजरे फेमली छोडो समझ गया । उन्हें हर्ट हुआ है होने के पास बैठ गया । सौर्य छोटू बोला कोई बात नहीं, आदत है इसकी । अंकल मुस्कुराती क्या करते होता हूँ? कुछ नहीं । कुछ नहीं । मतलब बेकार हो । बेकार मतलब हमारी भाषा में बेकार मतलब बेरोजगार निठल्ला अंकल ने बेकार शब्द की विस्तृत व्याख्या की । आपको कैसे पता चला? सिंपल है यहाँ दो ही लोग बैठते हैं । पहले वो कुछ काम नहीं । ऐसे तो और जिन्हें काम से आराम नहीं, काम में मजा नहीं, वो यहाँ आराम करते हैं । काफी अच्छा ज्ञान रखते हैं । हाँ वो तो है । आखिर कंपनी का सी । ई । ओ रहा हूँ । मतलब मतलब मजाक कर रहा हूँ । अच्छा मजाक है । दोनों हंसने लगे । सुनो चाय पिलाओ के अंकल ने बेसब्री भरी आंखों से छोटों को देखा । पीला रेता अंकल जी मगर क्या करें? इधर बने कैफे में एक चाय के रुपये लगते हैं और आप समझ सकते हैं एक बेरोजगार आदमी की हालत समझ सकता हूँ । तभी तो चाहिए यहाँ नहीं । पास में डबरी है । वहाँ पांच रुपए में कटिंग चाय मिलते हैं । अंकल के चेहरे पर एक अजीब मुस्कान थी । ठीक है फिर चलो छोडो खडा हो गया और उनके साथ हो लिया । शाम के सात बज रहे थे मैं और मेरा पूरा परिवार आईसीयू रूम में बैठा था । डॉक्टर आएगा । रूम के अंदर आई । अब कैसी तबियत है । अंकल जी थी के बेठा तापा ने बैठना चाहा मगर कोशिश बेकार रही । आप आराम करिये इस की जरूरत है । आपको आएगा ने मुस्कुराकर कहा आएगा जाने लगी रोहित कुछ फॉर्मलटीज बाकी है तो मेरे कैबिन में आ जाओ । वहाँ बात करते हैं कहकर वो चली गई । मैं भी उससे बात करना चाहता था । उसे थैंक्यू कहना चाहता था क्योंकि उसने जो हेल्प की है वो कोई अपना ही कर सकता है । कुछ देर बाद मैंने आयरा के कैबिन के पास पहुंचकर दरवाजे को नौ क्या एस कमेंट अंदर से आवाज आई आई ने मुझे देखा और रोहित बैठो आयलानी चेयर की तरफ इशारा कर के कहा थैंक्यू वैरी मच पडे वेलकम वैसे परी बोलो या डॉक्टर आएगा । परी बोलो इसमें अपनापन लगता है और अच्छा भी पारी मुस्कुराई । मतलब अपने बाल में अच्छा लगता है । वह नाइस पाँच धन्यवाद हाँ, क्योंकि मुझे भी और लगता है जब अपना क्लासमेट मुझे पारी की बजाय आएगा, बुलाता है । हम दोनों हंसने लगे और कैसा क्या चल रहा है सब मजे में है । करीब फाइल उठाते हुए कहा ऐसी क्या मजबूरी थी जो कॉलेज छोडकर भाग गए थे? कहानी छोटी है मगर मैं बात पूरी नहीं कर पाया । मगर क्या रोहित एग्जाम के कुछ दिन पहले हम दोनों बात कर रहे थे मेरे पापाजी शहर में बनी दादा की दुकान पर जिस पर तीन साल से केस चल रहा था उसका निर्णय हमारे पक्ष में हुआ था । वो बहुत खुश थे और उन्होंने ये जगह छोडकर शहर जाने की तैयारी भी शुरू कर दी । वहीं दुकान का काम चलेगा । ये सब पहले छोटों को बताया । फ्लैश बैक इक्कीस मार्च दो हजार ग्यारह मतलब तू यहाँ से जा रहा है । उसने कहा जाना तो पडेगा या तो जाना । छोटू ने अनमने ढंग में कहा बुरा मत मान यार, मैं बुरा क्यों मान होगा? उस की आवाज में चिडचिडापन था तो मैं हूँ । हाँ निकल और तुम लोग भूल मत जाना मैं उस दिन छोटों ने कह तो दिया कि चला था मगर क्यों मुझे लग रहा था कि उसे मेरी जरूरत है क्योंकि उस वक्त जिस दौर से वो गुजर रहा था उसके पास मेरे अलावा कोई नहीं था । दिसंबर रोहित चुप हो गया । फिर क्या हुआ तुम छोड आए उसे करी बोली हाँ लेकिन फिर वो शहर कैसे आया? यही तो बात है हमारी दोस्ती की । रोहित को अब सारी बातें याद आ रही थी । अपने घर पहुंचती ही छोटों ने दादा दादी से कहा की हम शहर चलते हैं । वहाँ दादा का छह से इलाज हो जाएगा । शहर में जो बुआ का घर खाली पडा है वहाँ रह लेंगे । बुआ फूफा जी विदेश में रहने लगे थे इसलिए उनका शहर वाला घर खाली पडा था । उसके दादा दादी तुरंत नहीं माने । मगर जिस रात दादा की तबियत बहुत ज्यादा खराब हो चली थी तो छोटू ने शहर आने का डिसीजन खुद लिया और सब को विश्वास दिलाया कि वहाँ पर अच्छी जॉब ढूंढ लेगा तो सब यहाँ करती । यहाँ पर उसने कुछ बिजनेस की कोर्स कर लिए । फिर फिर क्या वहाँ मेरा साथ छोडने वाला था वहाँ गए हम साथ इस शहर में मैं मुस्कुरा रहा था । मुझे बताना जरा भी जरूरी नहीं समझा तुम लोगों ने परिंदे सहमे हुए कहा है छोडो मगर फिर तुमने उसका साथ छोड दिया । मैं नहीं मैंने कहाँ छोडा उसका साथ पता है । रोहित तुम कॉलेज से ही राइटर बनना चाहते थे तो तुमने मुझे अपने शॉर्ट स्टोरी पढाई थी । यादे तो में हाँ उस स्टोरी की वो लाइने तुम्हें याद है कौनसी उस आदमी का साथ कभी मत छोडो जिससे तुम्हारा साथ तब दिया जब तुम्हारे साथ कोई नहीं था । फायदा चुप हो गई यादे मगर उस ने मेरा साथ कहाँ दिया? अभी जब जरूरत थी तब अकेला छोडकर चला गया । रोहित तुम्हारे पापा को ब्लड डोनेट उसी ने किया है, छोडकर वो नहीं । उस दिन तुम जा रहे थे । आज तुमने उसकी फीलिंग समझे बिना ही उसको जाने के लिए कह दिया । तुम से अपनी फीलिंग नहीं करेगा तो किससे कहेगा? मैं चुप था । मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या करूँ । बस लग रहा था मैंने कुछ गलत किया है । शेट्टी या मेरे मुंह से निकला अभी देर नहीं हुई है । पर इन इशारा किया शायद मैं उसकी तरफ दारी नहीं कर रही हूँ । बस एक दोस्त के नाते कह रहे हैं गलत फैमी मत पालों क्योंकि मैं उसका अंजाम देख चुकी हूँ । अभी कहा होगा वो कॉल करके पूछ लोग हाँ, तुमसे मिलने के बाद छोटू मुझसे मिला था उसका और तुम्हारे पापा का ब्लड ग्रुप सेम था । इसलिए उसको मैंने ही ब्लड डोनेट करने को बोला था । मुझे उसके पास जाना होगा । रोहित बोला तुम जाओ फिर देर मत करो पर ये आवास पहुंची की मैं उसे पसंद करती हूँ । इसीलिए तुम से कह रहा हूँ उसे तुम्हारे जैसे दोस्त की जरूरत है, उसे मना लेना । आज पहली बार मेरी आंखों में छोटों के लिए आंसू थे । मुझे वही बात याद आ रही थी । चोपर इन्हें मुझे याद दिलाई थी । मैं इतना सेल्फिश कैसे हो गया? मैं अपने पापा के पास बैठा था । मेरी आंखों में आंसू थे । पापा की आंखें क्या रो रहे नालायक कारूर ऐसी आंसू निकल आए । कैसे आंसू निकल आए । बेवकूफ अपने बच्चे को बनाना अपने बात को नहीं । बहुत दिन से आपकी डाटने घाई उसी मिस कर रहा था । अच्छा मुझे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने दे फिर बताता हूँ उस दिन मैं और आप वहाँ से । उस दिन मुझे पापा के मुंह से निकला नालायक शब्द थी । अच्छा लगा था

share-icon

00:00
00:00