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आठवां भाग सब सफर में है । भयानक रात का । तीसरा पहले हिन् दादा के खर्राटों से छोटू सोनी बारह था । गले में कुत्तों के भौंकने के असहनीय आवासी उसे गुस्सा दिला रही थी । वो कर भी जा सकता था । कुत्ते के सामने हम भी तो बहुत ना शुरू नहीं कर सकते, ना रात हुई है तो सुबह भी होगी । ये सोचकर छोटों अपने कानों पर हाथ रखकर सोने की कोशिश करने लगा । धीरे धीरे रात रात को अपने में ओढते सुबह की ओर बढने लगी । इक्कीस दिसम्बर दो हजार पंद्रह सुबह का सुंदर नजारा उत्साहित सूरज बादलों को चीरकर अपना तेज दुनिया के कोने कोने में फैलाने के लिए बेताब था । समंदर का मिजाज आज खुशमिजाज था । तेज लहरों के कारण समंदर का पानी अपने किनारों से टकराकर फिर उसी में समा जाता । हवाई सनएडिसन करके छोटों के कानों के पास से गुजर रही थी । मंदिर मंदिर हवा के झोंके वहाँ बैठे कई जोडों को राहत दे रहे थे । काफी हरियाली वहाँ पर नजर आ रही थी । छोटू मन ही मन कुछ बातों को दवाई तेजी से रास्ते में आसिफ चाचा को सलाम ठोकते हुए एक आलीशान मकान के बाहर खडा हो गया । कहाँ घुसे जा रहे उठाया एक मोटा सा हष्ट पुष्ट पहलवान टाइप सिक्योरिटी गार्ड ने ब्रेक लगाकर पूछा । छोटू नजरे घुमाई । शेखर अंकल से मिलना है । छोटों ने बडी विनम्रता से पूछा बच्चे तुमने आने में देर कर दी । गार्ड ने बोला क्यों लुढक गए क्या? लिंगार्ड छोटू के पास आकर उसे घुटने लगा क्या? बोले तो छोटों की कॉलर गार्ड के हाथों में थी क्या? बोला तो आने में देर कर दी ये आप किसी से भी बोलोगे तो कोई भी यही समझेगा की कुछ बुरा हुआ देर कर दी । मतलब विदेश गए हैं । वह फैमिली के साथ जानते हो । विदेश क्या कहलाता है? क्या कहलाता है जहाँ देश नहीं है वह विदेश कहलाता है । समझे बुडबक समझे पीटर जो है निकल लोग यहाँ से नहीं तो घुमा के ऐसा गाल पर खींचेंगे की अतरंगी बूट हो गए । अच्छा छोटों चुपचाप वहां से जाने लगा । शेखर साहब उसके पापा के दोस्त थी । उसके पापा ने अपने दोस्त के साथ कंपनी खडी की थी । दोनों ने आधार का पैसा भी लगाया था । मगर उसके पापा के जाने के बाद शेखर अंकल ने भी छोटू और उसके परिवार से किनारा कर लिया । छोटों तो इसी विश्वास के साथ वहाँ गया था कि उनसे कुछ मदद मिल जाएगी । मगर हुआ उल्टा छोटू के कदम डगमगाने लगेंगे । चलते चलते वह बहुत दूर निकल आया था । रास्ते में उसे कब्रिस्तान दिखा । वहाँ कब्रिस्तान के बाहर छोटू बैठ गया । कब्रिस्तान के बाहर बडे अक्षरों में एक ज्ञान की बात लिखी थी । आप किसी के सहारे मत रहो । जिसके जा रही के बाद आप बेसहारा हो जाओ का देख रहे बेटा एक अंकल उसके पास आकर बैठ गए । आपका भगवान का दोस्त । उन अंकल ने जवाब दिया, मतलब मरे लोगों की राष्ट्र को यहाँ कब्रिस्तान में खाक करता हूँ । उन अंकल के चेहरे पर एक स्माइल थी, अच्छा मजाक है । छोटा गोला मजाक नहीं काम है । छोटू वहाँ से जाने लगा । कहाँ जा रहे हो अंकल लेटो का आप से मतलब मतलब तो नहीं है मुझ से लेकिन मंजिल यही है । सब की बात ऊपर से गए । मेरे मतलब जो लोग देख रहे हो, ये सब सफर में है तो और इनकी मंजिल पर मैं और तुम बैठे हैं । कैसे ये सब आएंगे मार के इस कब्रिस्तान में खाक होने अंकल के चेहरे पर एक बूढी हंसी थी । आंखों में आंसुओं का समंदर लिए भटकता भटकता । फिर उसे समंदर की तरफ छोटू मुड गया । रविवार का दिन किनारे पर लोगों का जमावडा धीरे धीरे बढ रहा था शायद आज उस से मुलाकात हो जाएगी । छोटों ने मन ही मन सोचा समंदर के किनारे बैठा छोटो कई घंटों से किसी का इंतजार कर रहा था । शाम का समय ठंड के कारण उसकी नाक जम गयी थी । उसकी आंखें बडी बेसब्री से दूर दूर किसी को देखने की कोशिश में लगी थी । इंतजार खत्म हुआ । सामने से एक कार आकर रुकी । कार का गेट खुला । डॉक्टर आएगा । बाहर निकली जो वो कैसे के अंदर पहुंची तो उसने देखा चोट उसकी रिजर्व स्थान पर बैठा था । बेटे ने उसे बताया कि बार बार मना करने पर भी छोटू वहाँ से नहीं उठा । तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? यहाँ मुझ से बिना पूछे बैठने की पारी में अपना ॅ टेबल पर पटका । तुम से मिलना था इसलिए बैठा हूँ । एक घंटे से छोटों ने बडी मासूमियत से कहा किसने इजाजत दी तो सौरी मेरी गलती है तो फेमस डॉक्टर बन गए हो तो मुझे तुमसे पहले प्वाइंट लेना चाहिए था । हाँ दोनों चुप हो गई । एक बात करुँ बुरा तो नहीं मानोगी । छोटू बोला बोलो रहने दो । बुरा मान जा होगी । नहीं मान होंगे । अब बोलो भी रहने दो फिर कभी बता दूंगा । छोटू ने बत्तीस दिखाई बताना हो तो बताओ नहीं तो भाड में जाओ गुस्से से पारी की आंखे बडी दिखने लगी । चलो मैं बता देता हूँ । छोटू फिर बोला मुझे नहीं सुना । पर इन फिर कहा मैं बता रहा हूँ ना, तो सुनु अगर तो अगर मैं अगर तुम ऐसे एक स्टेशन मरीजों को भी देती होगी तो मरीज बिना इलाज के ही मर जाते होंगे । छोटों हस पडा वर्ट मैं एक डॉक्टर हूँ और मुझे पता है कि इस से कैसे बात करनी है । फॅस बुरा मत मानना । छोटू बोला मैं पूरा बाहर हूँ । अच्छा एक और बात होगी छोटों ने फिर बात छेडी, बिल्कुल भी नहीं, पर इन्हें दाद ने पूरे अगर तुम्हारी बकवास हो गई हो तो काफी ऑर्डर करूँ जी जरा पर इन से घूरकर देखा । आवारापन छोडो और कुछ काम धाम करूँ । परी कॉफी खत्म करके जाने लगी, मैं वाला नहीं हूँ । माना नौकरी नहीं है मेरे पास । मगर मुझे विश्वास है कि मुझे नौकरी जरूर मिलेगी । पारी को जिसका इंतजार था, वही हुआ । हाँ, बस आने वाली हूँ । घर पर इन्हें फोन कट किया और तेजी से कैसे से बाहर चली गई । छोटू फिर उसे ये नहीं बता पाया कि उस रात क्या हुआ था । फिर छोटों की हालत समुद्री जहाज के ऊपर बैठे कौवे की तरह हो गई थी । कोई पता बता दे हमें कहा जाना है कितनी भी दूर चले जाए वापस उसे उसी जहाज बनाना है । उसने भी अपने कदम बढाई । कैसी बाहर निकला और घर के लिए चल बडा बे परवाह बेगानी सडक पर आवारा लोगों की तरह वो भी आवारा बन गया ।

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