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छठा भाग बस चलना है । छोटू ये सोचने में लगा था कि उसे विरासत में कुछ नहीं मिला । दूसरों के सुखों को देखकर उसे दुख होने लगा था । उनके पास सब कुछ है । मेरे पास कुछ भी नहीं । छोटों के मन में कई दिनों से यही चल रहा था । ऐसे मौके पर सिर्फ एक ही था जो उसके साथ था । उसका पक्का दोस्त रोहित मतलब मैं मतलब असाटी । चलते चलते मेरे घर के सामने पहुंचकर छोटू ने जोर से आवाज लगाई । अभी तो पार्टी कहाँ हो गये? मेरे घर से कोई आवाज नहीं आई तो थोडा और चलाने के बाद भैया घर पर नहीं है । रक्षा ने खिडकी खोलते हुए कहा दुकान पर होगा छोटों को समझने में देने लगी । ये असाटी भी बडी आपत्ति है । छोटों अपने घर की तरफ मुड गया भैया मेरा रिजल्ट आ गया । छोटों के घर में घुसते ही संस्कृति ने अपनी रिजल्ट शीट उसे थमाती एम ए टॉप की आये बढिया और शिक्षा मंत्री के द्वारा गोल्ड मैडल भी मिलना है । सच्ची पहुंची छोटू खुशी के मारे पागल हो गया । बार बार उस मार्किट को निहार रहा था । उसने मिंटो में घंटों का काम ये किया की ये बात पूरे मोहल्ले भर में आपकी तरफ फैला दी । बडे दिनों बाद छोटो इतना खुश हुआ था । जा जा दो, डब्बे मिठाई के दे दो । और हाँ, आज उधार नहीं की ये लोग पैसे छोटू दौडते दौडते हासिल चाचा के पास पहुंचा । कहते हैं खुशी सबके लिए एक जैसी होती है । बस उसे जाहिर करने का तरीका अपनी अपनी औकात देखकर होता है । आसिफ चाचा जो छोटों के परिवार के बहुत करीब थे । चाचा वो शख्स थे जो छोटों के परिवार के साथ ही शहर में रहने को आए थे । उसके दादा के अच्छे दोस्त थी । यहाँ शहर में आकर उन्होंने मिठाई की दुकान कर ली । उनका गुजारा इसी दुकान की देख रेख में होने लगा । वो आसिफ कम गुलजार ज्यादा थे । हर एक बात पर दो लतीफ चेक देते हैं । अगर हर बुरे वक्त में छोटू के परिवार का हमेशा साथ दिया और अभी तक दे रही है । क्योंकि आया आज ऐसा क्या हो गया? बडी उछल कूद कर रहे हो । हासिल चाचा बोले अरे उछल कूद क्यों ना करो चाचा अपनी छोटी ने एम ए टॉप किया है कि गोल्ड मेडल भी मिलना है । छोटू बोला अच्छा जय तो बडी खुशी की बात है हमने । गुडिया ने तो कमाल कर दिया । मैं दिल्ली आई जहाँ डब्बे लेकर जाओ और सारे मोहल्ले को जे बाद पता चलना चाहिए । आसिफ चर्चा ने आदेश और चार मिठाई के डब्बे छोटों के हाथ में थमा दिए । अक्सर हमारे साथ भी यही होता है । जब हम कोई चीज पाना चाहते हैं लेकिन जहाँ पर भी उसे हम हासिल नहीं कर पाते लेकिन जब वही चीज कोई अपना बडी शौक से पाल लेता है तो हमें भी बहुत खुशी होती है । छोटू का वर्षों पुराना सपना जो हमने साथ में देखा था आज उसकी बहन पूरा कर लाये । छोटू मिठाई के डब्बे लेकर घर वापस आ गया । पूरे मोहल्ले को उसने मिठाई खिलाई । चाची को जांचा को लाला को, ताई को, उनके पति परमेश्वर को लाभ लाभ ला सबका यही कॉमन सा सवाल था पढाई तो हो गई है अब बहन की शादी का सोचते हैं कुछ आखिर में घर पहुंचकर छोटों ने संस्कृति को गले लगा लिया । अपने भाई को बहुत दिनों के बाद इतना खुश देखा था, संस्कृति दें । सारे मोहल्ले भर को तूने मिठाई खिला दी और हम को पूछा तक नहीं । क्योंकि छोटू मैंने घर में घुसते कहा नहीं यार तुझे कैसे बोल सकता हूँ पार्टी छोटू मेरे मुँह में मिठाई होती तो मेरे घर आया था । रक्षा ने बताया हाँ आया था तो उस से कुछ बात करनी थी । बोल क्या बात है । मैंने मिठाई खाते हुए कहा बैठ कर बात करें तो बोला अभी नहीं । मेरे पास बिल्कुल टाइम नहीं है । बाद में बात करूंगा तो तुझे तो पता है । दुकान नहीं पहुंचा तो पापा दुनिया भर की सुनाएंगे । मैं दुकान चला गया । सुन बेटा छोटेलाल प्रॉब्लम तेरी लाइफ में भी हैं । मेरी लाइफ में भी है प्रॉब्लम्स की कमी तेरी लाइफ में भी नहीं और कमी मेरी लाइफ में भी नहीं । मैं रास्ते में चलते चलते छोटू को पंडितों वाला ज्ञान दे रहा था बस उनको देखने का । हम दोनों का नजरिया बिल्कुल अलग है । तो डर डर के मुश्किलों को देखता है । उन से डरता है और मैं उन का खुलकर सामना करता हूँ । मतलब मतलब ये कि राई को पहाड बना लेने की तुम्हारी पुरानी आदत है । तुम्हारे सामने खडे महान आदमी ने मतलब मैंने एक महान काम करने के बाद एक महान बात कही थी । मुश्किलों से डरकर भागों के तो कायर कहेगी दुनिया और उनका डटकर सामना करोगे तो शेर पहला होगी । मैंने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा बात तो समझ आई तेरी मगर मगर क्या मेरे ढोकले डर लगता है यार ये दिन जन्मों की तरह गुजर रहे हैं । साला अभी तक मैं कुछ नहीं कर पाया । दर दर की ठोकरे खाते फिर रहा हूँ । समझ नहीं आ रहा कि अब मैं क्या करूँ । मेरे साथ वाले कितने आगे निकल गए और वे वही खडा हूँ । बेबस लाचार बनकर छोटू तुझे पता है तो खुद में ही बहुत बडी प्रॉब्लम है । ये नहीं कर पाया वो नहीं कर पाया । मेरी लाइफ झंड हो गयी है और पता नहीं क्या क्या सोचता रहता है तो क्या करो में सोचना तो पडेगा ना यार घंटा सोचना पडेगा दूसरों से अपना कम्पेरिजन करना छोड क्योंकि जो तो है वह सिर्फ दूर है । जो तू कर सकता है वो सिर्फ तो ही कर सकता है और कोई नहीं कब तक खुद को कोसते रहोगे । छोटू चुप था उसके पास बोलने के लिए कुछ नहीं था । रोहित ने समंदर की तरफ देखा । सबके मन में क्वाई से लबालब भरी है । उन ख्वाहिशों का किनारा किसी को नहीं पता मगर कितनी ख्वाइशें कितनी फीसदी लोगों के मुकम्मल होती है ये भी किसी को नहीं पता । छोटे बच्चे से लेकर अगले आदमी तक सब सपने देखते हैं मगर दोनों के सपनों में फर्क है भाई किसी चीज के बारे में सोचना और चिंता करना दोनों में बहुत फर्क होता है । छोटू शांति से एक समझदार बालक की तरह एकचित होकर के सब चल रहा था । इससे पहले छोटू कुछ करें मैंने पाँच हमारा चेस लेकिन चिंता मत कर इतना सब कहाँ से सीखे हो तो मसाला टी ब्रह्मज्ञान है । ये याद कर लो बेटा तो क्या करना चाहता है । अपनी लाइफ में छोटों ने समझदारी बडा सवाल दाग दिया । मुझे किसी से भी खुद को कम्पैरिजन करने की जरूरत नहीं है । मैं कभी भी किसी भी रेस का हिस्सा नहीं बना चाहे वो जिंदगी की हो ये किसी भी चीज को पाने की मुझे नहीं भागना यार । किसी भी रेस में अपना खुद अकेले कुछ करना है और जिस दिन मुझे लगने लगेगा कि मैं किसी दौड का हिस्सा हूँ, मैं वो रेस छोड दूंगा । मतलब गिव अप कर देगा । फर्क है गिव अप करने और भागने से इनकार करने में । क्या भाई चलने और दौडने में फर्क होता है? समझाओ गया साटी दोस्त गिवअप नहीं करूंगा मगर दौडना भी नहीं है, आराम से चलना है मुझे दौडने में ना वो सब छूट जाता है जिसे हम छूट जाने के बाद याद करते हैं । जिंदगी के सफर में आराम से चलना है । आराम से चलने पर भी बीती चीजों की या तो आती होगी ना याद आती है । अगर याद आने पर हम यही कहते हैं कि काश उस पल खुलकर जी लिए होते तो आज कोई अब सोच रहे था । सच बताऊँ तो आराम से चलने में बीते लम्हों का अफसोस नहीं रहता । फिलॉस्फर बन गया तो पार्टी गुडमैन जैसी बातें कर रहे हैं । यही तो हम लोग बन जाते हैं । छोटू हमेशा हर चीज ग्रेट लोगों से ही नहीं सीखी जाती । उनका कहा थोडी है और थ्योरी चाहते से कुछ नहीं होता तो सीखने को आसिफ चाचा से भी सीख सकते हो तो मैं अपने दादा दादी से भी सीख सकते हो और तुम से असाटी दोस्ती करना शायद मगर इतना पर कई की जमाने में चलना है तो जमाने के साथ चलना होगा । चलेंगे ना जमाने के साथ विवाद और फसादों का हिस्सा रहा असाटी आज शांति और संतोष की बात कर रहा है । छोटू मेरे मजे लेने लगा फिर भी तू करना चाहता है दौडना नहीं चाहता हूँ, बस चलते रहना चाहता हूँ जिससे पहरों में जंग भी ना लगे और गिरोह भी नहीं । क्या थिंकिंग गुरु तुमारी छोटू मुस्कराया राइटर बनना है । रोहित ने छोटों से नजरे मिलाएं । राइटर हाँ क्या लिखेगा फिर तेरी लाइफ पर क्योंकि तेरी लाइफ ये सबसे बडा सियापा है । उस दिन मैंने ये बात कह दी थी मगर सच साबित होगी ये मुझे नहीं पता था । सही है भाई सिंह छोटू उस कराया । वैसे हम जाता रहे हैं । थोडी देर चल खुद पता चल जाएगा सरप्राइस नहीं तो सामने देख छोटू ने नजरे कुमाई, अपना कैंप पे कैसी का नाम था कैसी एकदम नया था । उसके सामने पहुंचकर रोहित अपने हाथ में बनी घडी देखने लगा । उसकी नजरें कहीं दूर देख रही थी । चलो कहाँ काॅफी ट्रीट दे रहे गया? साडी सवाल बहुत पूछता है तो दोनों कैसे में गए? कुछ देर बाद छोटों के कंधे पर किसी ने हाथ रखा । अनिकेत तो यहाँ क्यों? मेरे कैसे में मैंने रहूंगा? क्या अब भी ये तेरह कैसे हैं? बडी क्रिकेट निकले तो नहीं ये ये अपना कैसे हैं? कैसे हो भाई? लोग हमारे अभिन्न मित्र सत्तू महाराज उर्फ सत्यानाश मिश्रा थे तो उनका भाई सत्तू सारा रोहित का प्लान था अभी एक और बाकी है । मैंने कहा सुनील छोटू बोला नेताजी आपने तो कैसे खोल लिया । नेता गिरी छोड दी गया । मल्टी टैलेंटेड लोग है दुनिया में मैं बोला मतलब मतलब जे है सब तुम राज नेता गिरी और कैसे दोनों साथ साथ सुलझाएंगे । एक और वित्र पधार चुके हैं । मैंने अपनी आवाज तेज की जुहार नमस्ते मिस्टर परफेक्ट छोटू बोला सुनील चेयर पर अपनी तस्वीर रख चुके थे भी अब पर्फेक्ट तो कोई नहीं है दुनिया में हमको मालूम में साहब अगर बहुत पहले गाली फरमाए थे हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन दिल को खुश रखने के लिए गालिब ये ख्याल अच्छा है । मैंने कहा इन्हीं बातों के कारण हमें नहीं मिस्टर परफेक्ट कहते हैं । सारे सवालों के जवाब मौजूद है इनके पास छोटू बोला भाई लोग क्या लोगे चाय या कॉफी? चाहे छोटू बोला काफी सुनील का एकलौता हाथ उठा । पुरानी यार मिले थे । बहुत बातें हुई । एक घण्टा कब निकल गया बताई नहीं चला कुछ का ये नेता जी । सत्यराज ने मजाक करने का अपना प्रसिद्ध पुराना पैंतरा अपनाया । क्या सुनाई? मिश्रा जी वही जो आजकल आप व्हाट्सएप स्टेटस पर डालते हैं । सत्तू वराज किसी आए क्या हमारी नजर अनिकेत पर थी । ऐसा का डालते हो गए । नेता जी आजकल शायद भी बन गए हैं । सत्यराज तपाक से बोले, अच्छा तो आपने चंद्र नगमें हमारी खिदमत में भी पेश कर दी थी । सुनील शायरों की स्टाइल अपनाई हाँ भाई सब ने साथ दिया सुनने भाई, अब तो कैसे भी तेरह सरकार भी देरी अब काहे गाडर? छोटू ने कहा अच्छा ठीक है । बहने कितनी कुर्सी हो पाई तो क्या है? ए श्राद सबने साथ दिया । अरे क्या है कि सबको जो आती है हमें वो चीज नहीं आती । सबको जो आती है हमें वो चीज नहीं आती । बहुत सोचा हूँ । मगर कम्बख्त हमें गंभीर नहीं आती । क्या बात है । तमिल नहीं आती । बहुत बत्तमीजी या सब मराठी पॉइंट पकडा कोई बातें भाई तमिल जभी से आ गई तो बुढापे तक के आएगी । सुनील ने निष्कर्ष निकाला सब कहाँ की लगाकर हंसने लगे । चलता हूँ दोस्त हो मैं चेयर से उठ गया । दुकान जाना है वहां हम को भी दुकान नहीं घर जा रहा है । मिश्रा जी चल रही है । जाते जाते हम भी कुछ सलाह दे जरूर मिश्राजी । छोटू बोला कहते हैं राहत तुम चुनना सही भीड में खोना नहीं क्या बात किया बाद राहत तुम चुनना सही भीड में खोना नहीं जिंदगी तो झंड है हारकर रोना नहीं अद्धभूत मेरी हिंदी बाहर आई अब मेरी बारी । छोटू बोला तो क्या है कि सुना है मोहब्बत में लोग शायर हो जाते हैं । सही सुना है आगे तो सन सुना है मोहब्बत में लोग शायर हो जाते हैं । मोहब्बत अगर टाइम पास हो तो लोग लायक हो जाते हैं । सही बात है लायर मतलब पत्र झूठे, बेईमान अच्छा है । बात खत्म हुई । सब के सब शायर बन गए हैं । उस मुलाकात की अंतिम लाइन थी दिसंबर दो हजार पंद्रह । आज छोटू की सुबह जल्दी हो गई । उसके मन में खुशी की लहर दौड रही थी । उसे अपने दोस्तों की वह सारी बातें याद आ रही थी जो कल चाय की चुस्की लेते हुए कैसे में हुई थी । छोटू और रोहित समंदर के किनारे खडे दूर से ही उसकी गहराई का अंदाजा लगा रहे थे । छोटू बे वजह मुस्कुरा रहा था । क्यों हज बडा लहरा रहे हो? मैंने छोटों को देखकर कहा हाँ । छोटू बोला कल की बाते याद आ रही है । अचानक मेरा मोबाइल बज उठा जी सर, ओके तैयार होगा । मैंने मोबाइल पर कहा कल सुबह नौ बजे तैयार रहना मैं जाने लगा क्यों? सवाल बहुत करते हो तो कह दिए तैयार रहना । बस में वहाँ से चला गया । छोटू सरप्राइज की उम्मीद में वहीं खडा रहा । शाम के करीब सात बज रहे थे । छोटे बीच पर टहल रहा था उसे सोचा कॉफी पी जाए । छोटू के कदम बीच पर बने कैफिटेरिया की तरफ बढने लगे । कैसे पहुंचा ही था कि सामने से एक कार आई छोटू के सामने आकर रुक गई । इत्तेफाक हो या किस्मत ये पडी थी कार का गेट खुला मैडम जी बाहर आई और झूठों पर बरस पडी है । क्या आज भी मरने का इरादा है मरने के लिए मेरी गाडी गलती हमेशा तो में सौर छोटू के मुझसे ये शब्द सुनकर पारी को अजीब सा लगा । ॅ पार्किंग में घुसी जा रही हूँ । वहाँ खडी गार्ड ने पारी की अच्छी खबर ली । नये आये हो गया मैं यही पाक करती हूँ कर अरे नहीं गार्ड की छोटू बोला मैं ही गलत जगह पर खडा हूँ और गाडी के सामने भी जानबूझ कर आया हूँ । गलती मेरी है हर आदमी की तरह छोटों ने निष्कर्ष स्वरूप अपनी गलती मान ली । सोस और परिणाम गाडी बैठे कैसे में आएगा और रिजॉर्ट जगह पर जाकर बैठ गई । छोटू हसने लगा कि ये तो पहले से ही बुक है । परिणय उसे घूरकर देखा ही जैसे उससे बडा पेड को इस पूरी दुनिया में न हो । मेरे लिए ही बुक है परीक्षा । जवाब था मैं हर संडे को यहाँ आती हूँ । छोटू भी सामने की चेयर पर आकर बैठ गया । छोटों की बेवकूफी पर चुप था तो मेरा पीछा क्यों कर रहे हो? परिणाम फिर सवाल किया कुछ समझाना है क्या? उस दिन रियल में क्या हुआ था? मुझे जानना इतनी नाराज की भी अच्छी नहीं । मजबूरी भी समझो । बातें मत बनाओ । परिणय उसे घूरकर देखा । अब तुम ये मत कहना कि इसके पीछे भी खानी है । हाँ वो तो है मगर झूठ छुप हो गया । मगर क्या तुम समझोगी नहीं । यही ना परीक्षा गुस्सा बढता जा रहा था । चलो चीज टॉपिक छोटों ने बात बदली । मम्मी पापा कैसे हैं? तुम्हारे बडी चुप रहे । उसके मुँह में ताला लग गया । दोनों के बीच एक सन्नाटा छा गया । खामोशी का एक नया दोनों के बीच देखने को मिला । बस समंदर का पानी के नारों से टकरा रहा था । लहरों की आवाज तेज थी । छोटों से रहा नहीं गया । उसने चुप्पी तोडते हुए कहा हो गई कुछ तो बोलो कुछ नहीं । कुछ तो छोटू ने फिर पूछा क्या हुआ? कुछ तो बताओ कुछ पर विश्वास कर सकती हूँ । विश्वास किसी का भी हो, चाहे बडे से बडे आदमी का हो या फिर तो अच्छे से टुच्ची आदमी का बडी मुश्किल से मिलता है एक चांस दे सकती हूँ । पारी हसी जो मुझे उस समय छोड कर जा सकता है जिस समय मुझे उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी उस पर विश्वास कैसे करूँ? मुझे माफ कर दो यार मैं मजबूर था कल तुम मजबूर थे आज मैं मजबूर हूं पर इन्हें नजरे फिर ली । उस दिन तुम तो चले गए थे मगर जब मुझे होश आया तो देखा मेरी लाइफ बिल्कुल बदल गई थी भाई मामा क्या चला गया मेरी बेस्ट फ्रेंड आयशा के पापा का ट्रांस्फर दूसरे शहर में हो गया में बिल्कुल अकेली हो गई । मैं आपकी कॉफी वेटर कॉफी लेकर आया सर आप क्या लेंगे? फिर कुछ नहीं लेंगे । पारी बोली फॅार सात बजे के बाद पानी के अलावा कुछ नहीं लेते । बरी मुस्कुरायेगी सिर्फ कैसे के बाहर वाटर कूलर लगा है । वहाँ से पानी पी सकते हैं । पीटर ने बडी शांतिपूर्वक कहा खरीद जोर जोर से हंसने लगे ऍम छोटी सी स्माइल देकर वेटर वहाँ से चला गया तो मैं गुस्सा नहीं आया । बिल्कुल नहीं कम से कम तो हँसी तो फायदा ने काफी खत्म की ही थी । उसका फोन बजट था जी बस घर आने वाली हो । पारी उठकर बाहर चली गई । कहाँ जा रही हूँ कहीं भी जाओ तो मेरी कबसे भरवा होने लगी । करवानी होती तो सारी बोलता, मुझे भी जाना पडेगा । परी तेजी से चली गई । छोटू भी कैसे से निकलकर सडक पर आ गया ही जेब में हाथ डाले गाना गाते हुए घर जाने लगा । गलियों से कुत्तों के बहुत ही की आवासियों से डरा रहे थे फिर भी चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान दिए । छोटू धीरे धीरे आगे बढ रहा था । वो सिर्फ अपने घर की तरफ नहीं बढ रहा था बल्कि अपनी मंजिल की और कदम बढा रहा था उस मंजिल की और जिसका न तो निशान दिख रहा था ना ही कोई रोशनी की किरण । बस दूर तक अंधेरा ही नजर आ रहा था सिर्फ अंधेरा, एक गहरा काला अंधेरा सिर्फ अंधेरा

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