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पांचवा भाग बाकी टपरी शाम के करीब सात बज रहे थे । छोटों अपने घर से निकल पडा कहाँ जा रहा था इसका पता उसे भी पता नहीं था क्योंकि आज वो उस गली से गुजर रहा था जो आज तक उसकी रहगुजर भी नहीं रही थी । पता नहीं आज उसे क्या हुआ । गाली को चेंज हुआ, मंदिर के सामने खडा हो गया । अपने जूते खोले और मंदिर के अंदर चला गया । कुछ देर बाद वह मंदिर से बाहर आया और थोडी दूर पर बनी चाय की टपरी है जिसका नाम बाकी टपरी था । वहां बैठ गया । चर्चा एक कटिंग बना दो । बहुत जोर से तलब आई है चाहिए कि अभी लो बेटा चाय का एक घोटी उसके गले से उतरा था की उस की नजर मंदिर के सामने रुकी कार पर पडी । उसे धुंधला धुंधला सा कुछ याद आने लगा । लाल रंग की गाडी ये तो वहीं खा रहे है जिससे मेरा एक्सीडेंट हुआ था । छोटू ने अपने चारों तरफ नजर घुमाई । हात में कटिंग चाय का ग्लास ले छोटू कार के पास पहुंचा । अच्छा तो ये वो गार है जिसने मुझे ऊपर पहुंचाने का पूरा प्रोग्राम फिक्स किया था । छोटू ने जोर के लाख कार के टायर में दे मारी । अरे क्या कर रहे हो करनी क्या बिगाडा है तुम्हारा छोटू पीछे मुडा तो से एक जाना पहचाना चेहरा दिखा तो खाना में ये पडी थी अच्छा तो वो जना तुम हो जो मुझे ऊपर पहुंचाना चाहती थी । छोटू ने जायेगा ग्लास कार के बोनट पर रख दिया तुम क्या कह रहे हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा हूँ । मुंबई जो भी आएगा वह बढते जाओगे क्या पारी का गुस्सा जायज था क्योंकि मैं भी किसके मूल लग रही हूँ । परिणय कार का गेट खोला । अरे ऐसे कैसे जा रही हूँ तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूँ कि मैं तुम पर केस भी कर सकता हूँ । बडी छोटू कार के सामने खडा हो गया । तुम्हारी मन में जो आए वो करो । मगर मुझे जाने दो पर इन का स्टार्ट की और तेजी से निकल गई । छोटू हाथ में चाय का क्लास पकडे वहीं खडा रहा । बस जाती जाती उसकी कार को देखा जिसके पीछे रेड कलर में प्लस का निशान बना था । एक सच्चाई है जो से बताना बहुत जरूरी है । छोटू डबरी पर बैठा सोचने लगा उसे बताना चाहता हूँ । उस रात की बात छोटू की बात को अनसुना कर के परिवहन से चली गई । मगर छोटू के मन में एक हलचल से होने लगी थी । मुझे नाराजगी का कारण तो समझ आता है मगर बाद नहीं करेगी तो बात कैसे बनेगी? नाराजगी कैसे दूर होगी, वो क्या करेगा, उसे नहीं पता है । बस यही सोचकर की उसकी दिल्ली अभी दूर है । अपने घर को जारी लगा अपने बारे में किसी की सोच को कैसे बदला जाए? छोटू ने टपरी वाले चाचा से जाते जाते पूछा जोलन मुद्दा है भैया ये दूसरों की सोच बदलने के चक्कर में कई घनचक्कर हो गए । चाचा ने ज्ञान दिया तो इतना हिंदी जाडों चर्चा ज्ञान दे रहे बेटा रख लोग पंडित मानो तो मौका मिला नहीं कि ज्ञान देने लगे । मतलब ज्ञान मोदी जी की वजह से इज्जत करते हैं । तुम्हारी क्या बता कब तक प्रधानमंत्री बन जाओ और सुनो ये ज्ञान घर जाके चाची को देना । क्या पता उन की सोच बदल जाए । आपके बारे में कहकर छोटू ने गर्दन घुमाई । वो उस गले में गुम हो गया जहाँ उसका आना जाना कम था । एक सवाल के साथ गली के अंधेरे ने उसे कैद कर लिया । सवाल था कि चांस बनाना है या फिर चांस का इंतजार करना है?

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