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दसवा भाग विद्या की कसम एक जनवरी दो हजार सोलह न्यू इयर का दिन । सबको अच्छी लाइफ की शुभकामनाएं देने का दिन । अखबारों और सोशल मीडिया पर नए वर्ष की बधाइयों वाला दिन । व्हाट्सएप रोगियों को आपको और आपके परिवार को नए वर्ष की हार्दिक बधाइयां वाला मैसेज फॉर्वर्ड करने का दिन । पिछले दिन हुई पार्टी इसकी खबर से अखबारों को सजाने का दिन । खैर सुबह के करीब बारह बज रहे थे । कई इंटरव्यूज में से ये पहला इंटरव्यू था जो देर तक चला । छोटू चौराहे से मोडा और गले में घुसते ही गली क्रिकेट का नजारा उसे नजर आया । बीच में रास्ता रोककर बच्चे क्रिकेट का आनंद ले रहे थे । छोटू भी बच्चों के खेल को देखने लगा । अभी यार कर मार सीधी विकेट कीपिंग करने वाला बच्चा चलाया तो कहीं भी फेक साले जे बॉल तो रम्मू अंकल के घर में गिरेगी मैं स्ट्राइक के लिए मोटू ने भरोसे के साथ कहा बहाने देंगे मेरे घर में तेरे बाप को लेने आना पडेगा । ये आवाज रम्मू अंकल की थी जो अपने घर की बालकनी में खडे इंतजार कर रहे थे कि कब बॉल उनके घर में गिरे और कब वो अपना चोंगा चालू करें । छोटू क्रिकेट देखने में मगन था । मैंने पीछे से आकर उसके कंधे पर हाथ रखा । मैं उसके गले लगाया और बैग्राउंड में राहुल जैन की आवाज में गाना शुरू हो गया । ये दोस्ती हम नहीं तोडेंगे सौरी भाई माफ कर दे खाना का तुझे बुरा भला कह दिया भला कहाँ कहाँ पे बुराई बुराई तो कहा साटी माफी हो मुझे भी माफ करना । छोटों के चेहरे पर एक चमक देखी अच्छा ये सब छोड ये बता पापा कैसे दे रहे हैं । अब ठीक है । बरी कह रही थी एक हफ्ता लग सकता है हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो रहे में अच्छी बात है फिर वापस क्यों नहीं आया था? इंटरव्यू की तैयारी करनी थी फॅस किस लिए तेरी वजह से आज मेरे पापा जिंदा है । थोडी दोस्ती हम भी दिखा सकते हैं साडी पार्टी हो जाए आज कहाँ पे चले पार्टी वही होगी अपना कैसे में मगर ट्रीट मेरी तरफ से ट्रेन तो हम ही देंगे । तो मैं विद्या की कसम है अगर हमने पार्टी भी विद्या चली जाएगी क्या? विद्या की कसम हाँ यार याद है तुझे स्कूल में तूने जब मेरी हंसी रोक नहीं रही थी यहाँ है मगर उस दिन मेरी गलती रही थी । मुझे क्या पता था कि उस लडकी की मम्मी का विद्या नाम है । मैंने तो विद्या कसम खाई थी मगर उसने मगर उसने तुम्हारी निर्माण से अच्छी खासी धुलाई कर दी । क्या बोल रहा था वो? मेरी मम्मी को खायेगा, मर गई तो हूँ रोहित हस्ते लगा हानियाँ बहुत मारा था साले ने चलिए फिर अपना कहते कसम तो में मानता नहीं हूँ । लेकिन अपनी बात मनवाने का ये अच्छा तरीका है । उस दिन के बाद से कसम खाना छोड दिया । कितना मजा आता था गली में क्रिकेट खेलने का । छोटू ने चलते चलते धीरे से कहा हाँ यार मैं बोला गली में बनी ना लिया जिनमें कि चढ लबालब भरा रहता था । फिर उसमें बॉल जाने का डर उडाओ की दुकान जिसमें दुकान का सामान दुकानें में नहीं बनता था । एक दो हमें छोडने वाले अंकल आंटी जी लीटर रहता था की उन्हें बॉल लग जाएगी । फिर गलती से रहा । चलते आदमी को बॉल लग गई तो फिर उन अंकल आंटी का लाउड स्पीकर चालू मर जा ठंडी के बंदे यही खेलने को मिलता है । तुम दोनों को लुगर के लगे । ऐसी मीठी बातों से हमारा स्वागत होता था हाँ और वो तेरे घर के सामने वाली आंटी नजरे गडाए बैठी रहती थी कि कब गेंद उनके घर में घुसे और कब बात का बतंगड बनाएंगे । गजब का खेल है, क्रिकेट थी तेरी मेरी दोस्ती बताता है । जब हम जीत जाते तो तो कहता छोटू तूने मैच जीता दिया और जब हार जाते तो तो कहता था की और आज किस्मत खराब थी । कहते कहते छोटू रुक गया । कोशिश तो हट के लोगों ने हमारा खेल बंद करने की, मगर हमारा खेलना जारी रहा । कोशिश ही कर सकते थे वो । हम तो सरकारी जगह पर खेलते थे और सरकारी जगह किसी की बात की तो होती नहीं है । यही तो उस वक्त अपना टाइम था । वहाँ हमें बंद करने की फिराक में कई बंद हो गए । मगर अब तो हम बडे हो गए हैं । मच्छी और भी मैंने एम पर जोर देते हुए कहा शायद और समझदार भी । हम दोनों के चेहरे खेलाए लगता था जैसे पुराने दोस्त बडे दिनों बाद मिले हो, पुराने दोस्त तो नहीं मगर बीता बचपन जरूर बहुत दिनों बाद मिल रहा था । बहुत दिनों बाद हम बचपन से बातें कर रहे थे । एक बार की बात याद है तुझे क्या मैं आज कुछ भी करने को तैयार था । जब हम तुझे खेलने के लिए बुलाने आए थे तो तेरे पापा क्या बोले थे सब्जी लाने के तेरा बाप जाएगा । उसने याद दिलाया वहाँ मैंने हामी भरी बहुत तूने क्या जवाब दिया तो चले जाओ ना बाप हमारे इतना भी नहीं कर सकते क्या? तो हफ्ते लेगा । फिर फिर क्या उसके बाद अच्छी धुनाई हुई थी । तुम्हारी असाटी जो जो हाथ में आ रहा था सब से स्वागत हुआ था । एक बात बोलूँ रोहित बोला बोल, बुरा मत मानना अच्छी बात करेगा तो बोला होगा तो यहाँ पे जब हम पांच पांच रुपए की डीवीडी लेकर फिल्म देखते थे । हाँ, बिलकुल याद है उन्हें फिल्म में एक डायलॉग सुना था क्या? यही कि हीरो बोलता है मेरी रगों में मेरे असली बात का खून दौड रहा है । बोलते थे तो तो आज से मैं यह कहूंगा कि मेरे बाप की रगो में तेरा खून दौड रहा है क्या अगर मैंने उसके हसने का इंतजार किया? छोटू ने मुझे कौन से देखा? मैंने बता दिया तुझे । हाँ मैं चुप हो गया । मेरा घर आ गया । कई अरसे बाद हम दोनों के चेहरे चमक रहे थे । खून का कर्ज चुकाने के लिए एक घंटे बाद चलेंगे कैसे मैंने डायलोग मारा । ठीके असाटी सब को कॉल कर लेना । मैं अन्य को बोल दूंगा । मैं चलाया । ऍन बाई