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आप सुन रहे हैं क्योंकि वो एफ एम इस किताब का नाम है उडान एक परिंदे की जिससे लिखा है सोमिल जैन ने मैं भी पारिक आपके साथ कुकू एफ एम सुनी जो मन चाहे पहला चैप्टर पांच फरवरी दो हजार पे मैं दुबई के लिए उडान भर चुका था । मुझे टिक ऑफ करने के लिए मेरा पूरा परिवार एयरपोर्ट पर मौजूद था । अपनी आंखों से देखे हुए मेरे कुछ सपनों में से एक सपना पूरा हो रहा था । सपना सिंपल था । विदेश सिर्फ घूमना है, वहाँ रहना नहीं है । मैं बहुत खुश था मगर थोडा नर्वस आ रहा था क्योंकि पहली बार एरोप्लेन में बैठा था । कभी जमीन को इतनी ऊंचाई से नहीं देखा था । मजा इसलिए आ रहा था क्योंकि विंडो वाली सीट मिली थी । हेडफोन मेरे पास में पहले से थे । पहले दुबई नहीं जा रहा था मगर लाइब्रेरी के काम से जाना पड रहा था और खुशकिस्मती यह रही कि मेरे मूव बोले भैया भावी ही दुबई में सालों से अपना डेरा जमाए है तो हमेशा मुझसे कहते थे यहाँ सुकून है, शांति है, धर्म है, धन है । बोला अब लाभ ला । मैंने भी वही किया जो टिपिकल इंडियंस करते हैं और आजकल का ट्रेन भी है तो कुछ भी । अगर फेसबुक पर डाल की नीति अपनाते हुए पॉकेट से अपना बैचलर जीवन साथी निकाला । बहुत सेल्फी मोड में विभिन्न प्रकार के एंगल से फोटो क्लिक की । फिर उसके बाद भी वही किया जो सब करते हैं । फेसबुक अकाउंट पर अपनी को टाइप करते हुए कैप्शन में प्रथम हवाई जहाज यात्रा टाइप करके पोस्ट कर दी । फॅसने पर्सनली मेरे पास आकर कहा हूँ । मैंने भी एक हल्के से स्माइल पास करते हुए फोन से जॉब किया । मैंने सुबह सुबह ही जयपुर से दुबई के लिए उडान भरी थी । वीजा मिलना मुश्किल नहीं था । मेरे बगल में विराजमान फिरंगी टाइप आंटी से मैंने बात करनी चाहिए । फॅालो मैंने शुरुआत की हेलो । उन्होंने मारी से आवाज में कहा रोहित असाटी टाइमर राइटर मैंने इम्प्रेशन जमाने के लिए इंग्लिश झाडी ऍम वो और ये गोइंग ही दुबई वाय उन्होंने मुझे घूरकर देखा । ज्यादा जयपुर मत । उनका क्लियर जवाब था मैंने नजरे झुका ली । मैं इन तीन घंटों कोरा बर्बाद भी करना चाहता था । इसीलिए अपनी डायरी निकाली और लिखना शुरू किया । तीन घंटे तक मेरे हाथ बस लिखे जा रहे थे, जो मेरे मन में आ रहा था । सुबह लिखे जा रहा था तभी अनाउंस हुआ । फ्लाइट दो मिनट में दुबई लैंड करने वाली थी । कौन से बुक लिखी है? फ्लाइट लैंड होने के बाद आंटी ने जाते जाते मुझसे पूछा लिख रहा हूँ । अभी पब्लिश नहीं हुई । मैंने कहा वो मुस्कुराई । उन्होंने अपनी ऍसे एक बुक निकालकर मेरे हाथ में थमा दी । मैं कुछ बोल का उससे पहले हो जा चुकी थी । कमला ऍन वाला यही राम था । उस किताब की राइटर का बुक के पीछे बनी उनकी तस्वीर देखकर मेरे मुंह से निकला । अब ही तो इंडियन है । मैं चाहता तो भैया भाभी के घर भी रोक सकता था । मगर जब फ्री फोकट में दुबई की नामचीन होटल का न्यौता मिला है तो कहा है छोडा जाए मुफ्त का चंदन घिस फेरे । नंदन वाली कहावत को याद करते हुए अपना लगेज लिए एयरपोर्ट से बाहर आ गया । मिस्टर रोहित असाटी मेरे नाम का प्लेस गार्ड लिए एक महानुभाव को मैंने अपनी तरफ आते देखा । मुझे अपने करीब आते थे । उन महानुभाव ने अपनी जुबान खोली । दुबई में तमारो स्वागत है । धन्यवाद । मैंने मुस्कुराकर कहा महानुभाव टैक्सी ड्राइवर थे । उन्होंने मेरे लगेज को टैक्सी की डिग्री में डाला और टैक्सी तेज रफ्तार से एटलांटिस होटल को रवाना हुई । व्यस्त दिन व्यतीत हुआ । मैं भैया भाभी से मिल चुका था । बहुत जरूरी मीटिंग भी अटेंड हो गई थी । होटल के रूम में पहुंचने ही मेरे बेस्ट पर कमलादास की बुक पडी थी । मैंने अपनी डायरी को हर जगह खोजा मगर डायरी कहीं नजर ही नहीं आई । मैंने मोबाइल का दे डाउन क्या? फेसबुक के इनबॉक्स में अवनी के मैसेज पडे थे मुझे सिर्फ एक मैसेज सुकून दे रहा था । तुम्हारी डायरी मेरे पास है तो तुम्हारे पास कैसे आई? मेरी डायरी मैंने मैसेज टाइप किया । मिलकर बताउंगी कब कल बॉम्बे चौपाटी पर ये कहा है लोकेशन भेज रही हूँ । मैं अपनी मुझे लोकेशन सेंड की । मुझे नींद आ रही थी । मैं ऑफलाइन हो गया । अवनी के पास मेरी डायरी थी, पब्लिशर की बेटी है । डायरी पढे बिना नहीं रहेगी । इसी उधेडबुन में मेरी नींद लग गई ।

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