‘Basics’ या मूल ज़रूरतें को पूरा करते हुए वक़्त के साथ चलना और बदलना ज़रूरी है। बशर्ते उसमें सुकून की अनुभूति हो। संवाद के कई माध्यमों से रूबरू होने का जीवन में अनुभव मिला। पिता और दोस्तों को अंतर्देशीय पत्र से लेकर लोकल पी सी ओ बूथ पर पल्स रेट के दर पर बात करना और आख़िर में घर में मोबाइल फ़ोन का आना। चरणबद्ध सफ़र में हर चीज की अहमियत का पता चलता गया। नोकिया ३३१० ने परिवार की दूरी मिटा दी। फ़ौजी पिता की बातचीत तसल्ली दे जाती थी। भटकाव कम थे। समय का ना तो अभाव था और ना शिकवा। इस महीने इस फ़ोन को २० साल हो गए।
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