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परिचय in  |  Audio book and podcasts

परिचय

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प्रभात वेला Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त Voiceover Artist : Ashish Jain
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हूँ नमस्कार दो सौ मैं हूँ आशीष क्या आप मुझे सुन रहे हैं? फॅार सोनी जो मन चाहे जहाँ पर मैं लाया हूँ । साहित्यकार गुरुदत्, प्रतिनिधि रचनाएं इन रचनाओं का पहला भाग है प्रभात वेला उपन्यासों का संक्षिप्त परिचय । पौराणिक उपन्यास श्रृंखला के इस खंड में तीन उपन्यास समाहित हैं प्रभात मिला कुमारसंभव और उमडती घटाएं । प्रभात वेला सृष्टि के आदिकाल पर आधारित है तो कुमारसंभव उसके कई सहस्त्र बाद के भारत के पौराणिक वातावरण पर आधारित उपन्यास है । आप उम्र घटाने तो उसके लाखों वर्ष बाद के आर्यावर्त भी हम वार्ता आदि के पौराणिक वातावरण् स्थिति पर आधारित है । यहाँ संक्षेप में उनके कथानक पर प्रकाश डाला जा रहा है । प्रभात वेला यह उपन्यास मानव जीवन की प्रभात रेला पथार सृष्टि उत्पत्ति वे लगा है । आज से कई लाख वर्ष पूर्व की यह गाथा है । उस समय तक पृथ्वी पर वनस्पतियां प्रचुर मात्रा में हो चुकी थी और इधर जीव जंतु भी अत्यधिक संख्या में उत्पन्न हो चुके थे । उस अवसर पर सोम और रोहिणी ने मिलकर सूर्य की रश्मियों से कलोल करना आरंभ कर दिया तो इस भूतल पर अनेक स्थानों पर पंचमहाभूतों में मंथन प्रारंभ हो गया । आदित्य ने रोहिणी से सहयोग किया और सोम ने इस सहयोग में सहायता की पृथ्वी पर अंडों के रूप में गर्व स्थित हो गया । ऐसे ही एक अंडे से इस उपन्यास की नायिका जिसे कालांतर में महर्षि मरीचि ने प्रस्तुति नाम से अभिहित किया, उत्पन्न हुई थी, उस समय उस स्थान पर दिन का उषाकाल था । शनः एक्शन है, अंडा परिपक्क होता गया और यथा समय फूटा । बोस में से हमारी नई का रूप प्राणी बंद हुआ हूँ । ये प्रथम नारी पूर्ण युवती के रूप में उत्पन्न हुई थी । बहुत होने के उपरांत मैं कुछ देर तक तो भूमि पर ही पडी रही हूँ, किन्तु जब उसको स्वच्छ वायु और प्रकाश का आस पास मिला तो कुछ ही क्षणों में सांस लेने लगे और उष्णता के सहयोग से उसमें स्फूर्ति का संचार होने लगा । कुछ कुछ दिनों में भूमि पर से उठकर बैठ गई और फिर खडी हो गई । उसने अपने चार और की हरी भरी श्रृष्टि को निहारा और असमंजस में बडी निहारती नहीं । धीरे धीरे उसने वनस्पतियों तथा अन्यान्य जीव जंतुओं से संपर्क स्थापित किया हो । उस वातावरण में वो सहज होने लगी । तभी सहसा एक दिन उसको नदी में स्नान करते समय अपने ही जैसा दोपहर दो दो आंख, दो कान, नाक आदि वाला एक अन्य प्राणी नदी तट पर खडा दिखाई दिया । ये दक्ष प्रजापति था । दोनों को एक दूसरे को देखकर प्रसन्नता हुई हूँ । सांकेतिक भाषा में परिचय हुआ और फिर पक्ष उसको अपने साथ अपने स्थान तथा पे काम है कि आश्रम में ले गया । पृथ्वी के अन्यत्र भागों पर भी इसी प्रकार की सृष्टि हो चुकी थी । आप वहाँ कुटुंब बन गए थे । एक बार ऐसे ही एक वनचर कुटुंब अपने पिता में है कि आसाराम किए सुख संपन्नता को देख कारण उस पर आक्रमण कर दिया तो पिता महीने अपनी दिव्या अथवा योगिक विद्या के प्रभाव से उन के आक्रमण को निरस्त कर दिया । किन्तु उनमें से कुछ वनचर पिता है की आज्ञा से आश्रम के बाहर अपने लिए स्थान बनाकर रहने लगे और कुछ अपने स्थान को लौट गए । यहाँ से मानव का मानव से परस्पर संघर्ष प्रारम्भ हुआ । कालांतर ने दक्ष और प्रस्तुति का विभाग हो गया । दक्षिण तो जब प्रथम अवसर पर प्रस्तुति को देखा था तभी विचार कर लिया था । वो उससे संतानोत्पत्ति करेगा तो इसके लिए पिता में है की आज्ञा अनिवार्य थी । प्रसूति ने भी पति के रूप में दक्षिण को ही चुनाव इस प्रकार उनका परस्पर प्रभाव हो गया । सुरश की बढती गई मानव मानव ने सोच विचार और आचरण की विभिन्नता भी बातें होने लगीं । इसके साथ ही निर्वाह के लिए उत्पादन व्यवस्था के लिए वर्णाश्रम का गठन, अनुशासन और प्रशासन का प्रबंध आदि किए गए । मानव स्वभावानुसार कुछ वो ये व्यवस्था रुचिकर भी तो कुछ को ये अरुचिकर लगी विचारों में विभिन्न था । इसका मुख्य कारण था बृहस्पति । इस मतभिन्नता के जनक और प्रोत्साहक बनें । वनचर बन गए और पिता का स्थान तथा पद प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए उन्होंने आश्रम पर उन हाँ वन चरों की सहायता से आक्रमण किया जो इस बार भी निष्फल सिद्ध हुआ । श्रृष्टि का विस्तार होता चला गया । अनंग और आदित्यों का जन्म हुआ । कालांतर में राज्य व्यवस्था लागू करने की बात आई तो बेन को राजा बनाया गया । मैंने शासन तो अच्छा किया तो इससे वो उच्छृंखल हो गया । उसका वध करके प्रश्न को राजा बनाया गया । नथाना प्रगति करता गया और किरण कश्यप और उसके पुत्र प्रहलाद का काल आया । प्रहलाद ने अपने पिता की आसुरी वृत्ति का विरोध किया । आप अनंतनाम में विद्रोह भी कर दिया । उस समय नरसिंह को अवतार धारण कर हिरण्यकश्यपु पा वध करना पडा । पहला के राज्यभिषेक पर उपन्यास की पारी समाप्ति होती है हूँ ।

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प्रभात वेला Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त Voiceover Artist : Ashish Jain
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