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Shri Krishna (Katha) 1.2 in  |  Audio book and podcasts

Shri Krishna (Katha) 1.2

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श्री कृष्ण Written by गुरुदत्त Published by हिंदी साहित्य सदन Voiceover Artist : Suresh Mudgal Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त
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तो जब वसुदेव और देवकी बंदीग्रह में के थे और उनके पुत्रों की हत्या हो रही थी तब चक्रवती राज्य पूर्व वंशियों का था । परंतु पुरुवंश का राजा दुरुस्त राष्ट्र बंदा था और उसका भाई पांडु । वे राज्य के प्रभाव में राजधानी छोड वालों को चला गया था और वहाँ भी भगवत भजन में लगा हुआ था । ये चक्रवर्ती राज्य का करते हुए होता था कि वह देखें कि राज्य में कहीं धर्म तो नहीं हो रहा है । अंदर दुरुस्त राष्ट्र चक्रवर्ती राज्य के उत्तरदायित्व को निभा नहीं सकती । इसका जहाँ कंस चक्रवती राजा से विद्रोह कर रहा था और भोगविलास मेडलीन भाई बंधुओं पर क्रूरता का व्यवहार चला रहा था, वहाँ जरासंध भी आपने आज पडोस के राज्यों को आत्मसात करता हुआ अपना साम्राज्य स्थापित कर रहा था । जब कंस को नाराज के कहने पर ये पता चला कि उसकी मृत्यु देवकी के एक पुत्र से होने वाली है तो उसे अपनी मृत्यु का भय लग गया । इस कारण उसने नीचे क्या कि देवकी और वसुदेव की संतान को जीवित नहीं, छोडेगा नहीं रहेगा । बास उन्हें बजेगी, बांसुरी परन्तु परमात्मा के ढंग नहीं आ रहे हैं । जब एक एक कर देवकी की सात संतानों की हत्या हो चुकी तो देवकी ने अपने पति से कहा देव! ये जीवन तो बहुत ही दुखपूर्ण हो गया है । मैं तो अपने को एक गाय बकरी हो रही मानती हूँ जिस के बच्चों को कसाई अपनी भोग सामग्री मानने के लिए ले जाकर मार डालता है । ये सब ऐसे है । मसूद को भी इस प्रकार का जीवन ऐसा प्रतीत होने लगा था । वह इस प्रकार के अत्याचार से बचने के विचार करने लगा । उसने अपने कुछ मित्रों से, जो उसी बंदीग्रह में मिलने आया करते थे, संस्कृति की और देवकी की अगली संतान को बचाने का प्रबंध किया गया । पडोस के गांव में एक ही जाती है । नंद के घर में भी संतान होने वाली थी । उससे संतान की अदला बदली करने का विचार और प्रबंध किया गया । बंदीग्रह के संरक्षकों को भी इस योजना में सम्मिलित कर लिया गया और देवकी की आठवीं संतान होते ही उसे बंदीग्रह से निकालकर यमुना पार कर गोकुल गांव में नंद के घर पहुंचा दिया गया । नन्द की पत्नी यशोदा की लडकी हुई थी । उसे लाकर देवकी को दे दिया गया । फॅसने समझा कि देवकी की लडकी हुई है । इस पर भी क्या जाने किसी प्रकार का संयंत्र कर उसकी हत्या में कारण हो जाएगा । उसने इस लडकी की भी हत्या कर दी । इस प्रकार निश्चित हो मैं दीदी की अगली संतान की प्रतीक्षा करने लगा । देवकी के ओर संतान नहीं हुई । देवकी की संतान जो बंदीग्रह में चोरी चोरी निकालकर गोकुल से ननद के पास पहुंचाई गई थी । कृष्ण के नाम से विख्यात हुई है । कृष्ण गोकुल में वहाँ ग्वाल बालों के साथ खेलता हुआ बडा होने लगा । कंस को एक बार संदेह हुआ कि देवकी की आठवीं संतान बजकर बंदीग्रह से निकल गई है । इस कारण अपने राज्य में जहाँ जहाँ भी किसी लडके पर उसी संदेह होता, उसे वह मरवा डालता था । कसम की हत्या करने के लिए भी उसने कई हत्यारे भेजे, परंतु वे सफल नहीं हुए । किसी ने किसी प्रकार कृष्ण की रक्षा होती नहीं । कंस ने देखा कि उन्हीं दिनों की उत्पन्न बालकों को मार भरते समय ननद का लडका कृशन नहीं करवाया जा सका । जितने भी हत्यारे उसे मारने के लिए भेजे गए थे, वे उसे मारने में सफल नहीं हुई है । अभी तू हैं हत्यारों को भी मार डालने में सफल हुआ था । इससे उसको इस बालक से अज्ञात अनुभव होने लगा । उन दिनों कृशन का एक भाई बलराम हूँ जो वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी का पुत्र था और कृशन से आयु में बडा था । उसके साथ ही रहता था यद्यपि वो है । देवकी का पुत्र नहीं होने के कारण कंस को उससे बेहद का कारण प्रतीत नहीं होता था परन्तु जब तो उन्हीं के पुत्र बलराम को भी गोकुल में पालने के लिए भेजा गया तो कंस का संदेह सुदृढ होने लगा कि कहीं उसका हत्यारा इस बालक का साथी न हो । इस पर भी वो उसका संदेह मात्र ही था । उसे विश्वास नहीं होता था कि बलराम का गोकुल में साथी उसकी हत्या करने वाला लडका ही है । उसने अपने विचार से देवकी तब बच्चों को मरवा डाला था । कंस इन दोनों युवकों से सतर्क था । एक दिन भर से अभिभूत उसने अपने मंत्रियों से सम्मति की की । इन युवकों को कैसे नहीं चीज करें ये निचे हुआ की मुद्रा में मान लों का एक दंगल कराया जाए और उसमें गोकुल के दोनों युवकों को बुलाया जाएगा । उनसे अपनी किसी खूंखार युद्ध से युद्ध करवाकर उन को मरवा डाला जाएगा । अतः मथुरा में एक दंगल का आयोजन किया गया और उस दंगल में सम्मिलित होने का निमंत्रण दोनों युवकों को भेजा गया । यद्यपि निमंत्रण लाने वाले नहीं बलराम और कृष्ण को सचेत कर दिया था मलयुद्ध में जाना भर से रहित नहीं, परंतु कृष्ण ने बलराम के साथ मलयुद्ध में कंस को ललकारने का निश्चय कर लिया । मैं अपने भाई बलराम के साथ मथुरा जा पहुंचा हो ।

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श्री कृष्ण Written by गुरुदत्त Published by हिंदी साहित्य सदन Voiceover Artist : Suresh Mudgal Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त
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