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4. Proura Bachpan in  |  Audio book and podcasts

4. Proura Bachpan

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क्रन्तिकारी सुभाष Author:- शंकर सुल्तानपुरी Author : शंकर सुल्तानपुरी Voiceover Artist : Raj Shrivastava Producer : KUKU FM
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रोड बचपन बहुत सारे बच्चे सामने हरेभरे मैदान में उछल कूद रहे थे, मगर वो गुमसुम सा एक और बैठे जाने क्या सोच रहा था उसकी मुखाकृति से ऐसा लगता था हमारा किसी गंभीर चिंतन में डूबा हुआ सात आठ वर्ष के नादान बच्चे को कौन सी गंभीर चिंता हो सकती है? मैंने तो ये उसका नीति का स्वभाव था और उसके बाद मित्र उसके ऐसे रूखे स्वभाव पर हैरान गौरवर्ण बडी बडी चमकीली यहाँ के चौडा मात्र रिश्ते, पृष्ठ, शरीर और गंभीर मुखाकृति उसके असाधारण व्यक्तित्व का भाषा देती थी । इस समय वो बालयोगी सा दिखता था हरी सुभाषा दुनिया अकेले बैठे क्या कह रहे हो ऐसा? एक ओर से प्यारी सी बच्ची दौडती हुई उसके समीप आएगी । बच्ची के स्वर और मृदुलता ने उसकी ध्यानावस्था भांग की और इसकी गंभीर चेहरे पर अनायास मुस्कान के फूल खिलाया । बच्ची ने अपार स्नेह ऐसे उसके दोनों कंधी धाम लिए और जो छोटी हुई बोली पढना चल सब के साथ खेल तू जा खेल मृदला मुझे खेला नहीं भाता । उसने साहस प्रेम से बच्ची को समझाया ना सुभाष ता तुम चलोगी तभी जाऊंगी मृदला जिसपर पडती थी कहाँ तो मुझे उनके खेलों में कुछ आनंद नहीं आता । फिर तुम कैसा खेल वजन करते हो । सुभाषा मृदुल ने पूछा वीरता उसने घर से कहा वो खेल कैसा होता है? तुझे दिखाऊंगा कहकर? सुभाष इसके साथ उठ पडे । दोनों हाथों में हाथ डायरेक्ट खिलाडी बच्चों के बीच आ गए । उस्तोली में पास पडोस के धनी और उच्चवर्गीय लोगों के बच्चे शामिल थे । दो तीन अंग्रेज बच्चे भी थे और सब मिलकर कोई अंग्रेजी गीत गाते हुए थे, रख रहे थे । बंद करो ये बेकार का गाना सुभाषनी ऊंचे स्वर में कहा, आवाज में कुछ ऐसा जादू था कि सब के सब मौन हो गए और सुभाष की ओर देखने लगे । अंग्रेज बालकों को सुभाष का इस तरह का ड्रॉप जमाना अच्छा नहीं लगा । उनमें से किसी जज और दूसरा किसी उच्च पदाधिकारी का पुत्र था । क्या इस गाने में क्या खडा भी है? हम लोग आएंगे । अंग्रेज जज की लडकी ने प्रतिवाद किया और पुराना गाने को तत्पर हुआ । इस गाने में अंग्रेजियत की बू आती है । सुभाष नहीं । लडकी आवाज में कहा, इसमें हिन्दुस्तानियों कि बुराई की गई है और अंग्रेजों को महान कहा गया है । ऍम तभी तो हिंदुस्तान पर हमारी हुकूमत इस बार दूसरा अंग्रेज वाले खोला । महान लोग स्वार्थी और विश्वासघाती नहीं हुआ करते । धोखा देकर किसी का राज नहीं हडप लेते वॅार हूँ । अंग्रेज बाला तडफ की और ऍम हारे वरना तुम्हारा मुंह तोड दूंगा । सुभाष सी की तरह हारते हुए उस की ओर ना भाई का ना इतना सुभाई कहती हुई मृदला बीच में आपको और उन्हें कसकर थाम गया । मैं इसलिए लोगों के बीच खेलना पसंद नहीं करता । सुभाष ने क्रोध में कहा जहाँ देखो तहां या अंग्रेज लोग हिंदुस्तान की बुराई करते हैं । ये बात मुझे सहन नहीं होती । इसलिए मैं ऐसे खेल कूद से दूर रहता हूँ । सुभाष कि रोज से बच्चे सहम गए और अपने अपने घर की रखवाली मगर मृदला ने उसका साथ नहीं छोडा । दोनों मित्र घर लौट तुम्हारी तो मुझे भी अंग्रेज लोग अच्छे नहीं लगते । सुभाष मृदला हुई अब मैं इनके साथ नहीं खेल होंगी । बाल सुभाष ने अचरज से अपनी बालिका मित्र की ओर देखा और मधुर मधुर मुस्कुराते हुए उसका सिर्फ तब आकर बोले तो मेरी दोस्त बनने के काबिल है । मैं तुझे अपनी फौज में रखूंगा । फौज कैसी फौज बालिका अचकचाकर रहेगी । मैं साहसी देशभक्तों की एक फौज बनाऊँ । सुभाष बोल वो फौजिया करेगी, फिर दिलाने पूछा अंग्रेजों से लडकर भारत माँ को स्वतंत्र करें । हम मृदला आँखे फाड रहेगी तो यहाँ बैठा है । बेटे चल आज दुर्गा नवमी पूजन करेंगे । एक का एक मां प्रभावती ने आकर बुलाया मैं भी देवी जी का पूजन करूंगा ना कर सुभाष तुरंत पडे सिना मौसी आज रात से बोली मृदुला सुभाष क्या कहते हैं की एक फौज बनाऊंगा जो अंग्रेजों से लडकर भारत माता को स्वतंत्रता दिलाई । हाँ, बेटी के सिर पर स्नेहन से हाथ करती हुई मांगकर कंट्री से बोली मेरे बचपन में ये फ्रॉड विचार कैसे कैसे सोच आती हैं तुम्हारी आशीर्वाद सीमा सुभाष का गर्वपूर्ण उत्तर था ।

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क्रन्तिकारी सुभाष Author:- शंकर सुल्तानपुरी Author : शंकर सुल्तानपुरी Voiceover Artist : Raj Shrivastava Producer : KUKU FM
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