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2. Kranti Ki Chingariya in  |  Audio book and podcasts

2. Kranti Ki Chingariya

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क्रन्तिकारी सुभाष Author:- शंकर सुल्तानपुरी Author : शंकर सुल्तानपुरी Voiceover Artist : Raj Shrivastava Producer : KUKU FM
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शहर ऍम गोरे मारक ने किसी बात पर भारतीय बालक का कॉलर थामकर जोड दिया । सारी कक्षा में सन्नाटा छा । भारतीय बालक से हम गया और कातर दृष्टि से गोरे पालक की ओर निहारता मगर उसके बगल की सीट पर बैठे एक दूसरे विद्यार्थी के बाजू पढने लगे । ऍम किसी को बीच बचाव न करते देखकर गोरा बालक और शेर हो गया । भारतीय बालक की आंखों में शमा चायना का भाव था । पि्रंट उसका सहपाठी क्रोध और प्रतिशोध में कहाँ रहा था? उसके विशाल तेजस्वी नेत्रों में चिंगारियां अटक रही थी और वह गोरे बालक से बदला चुकाने के लिए आतूर हो रहा था । क्षण प्रतिक्षण उसकी इच्छा होती थी कि उछल कर उस पर मार्च को रे पालक का गिरवाना मामले और मारे घुसों के उसकी ना तोड दे । ऐसा कक्षा में अध्यापक ने प्रवेश और क्रोधासुर बालक की इच्छा घटकर रहेगी, लेकिन भीतर ही भीतर सुलग तरह इंटरवल हुआ तो उसके अपने भारतीय सहपाठी को अलग बुलाकर कहा तुम मुश्किल हो । अगर इस बदमाश ने मेरा इतना अपमान किया होता तो मारते मारते कचूमर निकाल लेता । उसका मैं अकेला क्या करता? वह बालक गिलानी से रो पडा । साहस हो तो अकेला आदमी बहुत कुछ कर सकता है । उसने दिलासा दी खबरा हो नहीं मैं उसे अंग्रेज के बच्चे से तुम्हारे अपमान का बदला छुट्टी होने किसी बडे ऑफिसर का लडका है । बालक ने सहमत स्वर में कहा वो कुछ भी हो उग्र साथ ही ने निर्मतता से कहा मनुष्यता! न्याय की दृष्टि से हर इंसान बराबर होता है । मैं जानता हूँ कि उसने बडप्पन और अंग्रेजियत के नशे में अकारण ही तुम्हारा अपमान किया है । इसलिए उसे माफ नहीं किया जा सकता । आप धन्य है सुभाष भाई श्रद्धा और आभार से गदगद होकर सहपाठी ने कुछ साहस क्या आप ही कहते हैं । हमें उसे अपमान का बदला ली नहीं चाहिए परन्तु इसका परिणाम भयंकर हो सकता है । उसकी चिंता मत करो । साहसी सुभाष ने दृढता के साथ उत्साहित किया । अन्याय का विरोध करना प्रत्येक वंशिका का टफ है । उसका परिणाम कुछ भी निकले । हमारी अन्याय, सैनिक कमजोरी ने ही हमें अंग्रेजों का गुलाम बना रखा है । आपके विचार कितने महान है? सहपाठी अचानक से अपने साथ ही की ओजपूर्ण शहर को देख कर रहा तुम सिटी में मेरे साथ रहना । सुभाष ने कहा इंटरवल समाप्त हुआ । दोनों ने कोई मंत्रणा की और वहाँ कक्षा में बैठे हैं । अध्यापक विषय पढा रहे थे, मगर बारह सुभाष का ध्यान सोना था । शरीर से कक्षा में बैठा था परन्तु हृदय और मस्तिष्क से नहीं था । नाना प्रकार के ज्वलंत प्रश्न उसके हृदय पटेल पर उभर रही । वो अपने आप में डूबा हुआ था । ये गोरी चमडी वाले अपने आप को क्या समझते हैं? हमारी ही धरती पर ही हमारे शासक और भाग्य विधाता बनकर हम पर तमाम अत्याचार कर रहे हैं । गुलामी करते करते हम अन्याय और अत्याचार सहने के आदी हो गए । जब तक हम निर्भिकता के साथ ऐसी कुटिल नीतियों का विरोध नहीं करेंगे, हमें दासता से मुक्ति नहीं मिल सकती । जब एक अंग्रेज लडका हमारे साथ ऐसा दुर्व्यवहार करने का साहस कर सकता है तो इतनी बडी ब्रिटिश सकता । हम भारतीयों पर जाने कैसे कैसे जुल्म खाती हूँ । ऍम दृढनिश्चय के साथ वो अपने स्थान से उठा और सहपाठी को अपने पीछे पीछे आने का संकेत क्या दोनों द्रुतगति से स्कूल के मही द्वार की ओर चल पडेंगे । आगे वो कांग्रेस पार्टी चला जा रहा था । कुछ दिनों में दोनों उसके निकट पहुंच गए । सुभाष ने पीछे से उसकी टांग में लगी मारी । असावधान होने के कारण वह चारो कोने छुट गया बदमाश करेगा गरजते हुए सुभाष नेस्ट गिरेबान खामकर उठाया आहट अंग्रेज बालक हक्का बक्का सा सुभाष की ओर देखता रह गया तो उन्हें इसका अपमान क्यों किया था? सुभाष ने कठोर स्वर में पूछा एक भारतीय वाला द्वारा एक अंग्रेज बालक को पीटना एक असाधारण घटना थी । तमाम विध्यार्थी वहां एकत्रित हो गया और इस अभूतपूर्व रोमान्चकारी दृश्य को अच्छे से देखते रहेंगे । आइन्दा जो किसी भारतीय विद्यार्थी के साथ उन्हें ऐसा दुर्व्यवहार किया तो याद रखना हड्डी पसली तोड कर दूंगा । झटका देकर सुभाष ने से छोड दिया । उस दिन से सुभाष के दुस्साहस को लेकर सारे स्कूल में सनसनी फैल गई ।

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क्रन्तिकारी सुभाष Author:- शंकर सुल्तानपुरी Author : शंकर सुल्तानपुरी Voiceover Artist : Raj Shrivastava Producer : KUKU FM
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