जरूरी नहीं हर कहानी का अंत मिल कर ही मुकम्मल हो। कुछ कहानी न मिलकर भी मुकम्मल कहलाती है। प्रेम, एक ऐसा एहसास है, जिसे पाकर ही लोग पूरे हो जाते है! इस कहानी में भी आपको प्रेम का यह स्वरूप सिद्धार्थ और नंदिनी के जरिए देखने को मिलेगा। जिन्होंने एक दूसरे को न पाकर भी एक मुकम्मल इश्क़ रच दिया।Read More