जीवन का लक्ष्य क्या है? इस सवाल ने उपन्यास के मुख्य पात्र बद्रीनारायण को बहुत ज्यादा विचलित कर दिया था। प्रेम कुमारी का प्यार और आचार्य का वात्सल्य भी बद्रीनारायण की बेचैनी को कम नहीं कर सका बल्कि दिन ब दिन यह बढ़ता ही गया। बद्रीनारायण खुद को अजंता के भित्ति चित्रों के निर्माण में खुद को झोंक देता है। उसे लगता है कि उसने जीवन का लक्ष्य पा लिया। क्या सच में बद्रीनारायण ने जीवन का लक्ष्य पा लिया था?Read More