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Ep 4: वसीयत का जंजाल - Part 4 in Hindi

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18 K Listens
AuthorHarish Darshan Sharma
ब्योमकेश बक्शी की रहस्यमयी कहानियाँ writer: सारदेंदु बंद्योपाध्याय Voiceover Artist : Harish Darshan Sharma Script Writer : Sardendu Bandopadhyay
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Transcript
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सत्यवती उठी और घबराकर बोली, किन तो आपको कुछ बताया नहीं । ब्योमकेश बोला, बताने को क्या है? मैं आपको ऐसी कोई उम्मीद नहीं दे सकता, जो बाद में आपको निराशा दे । इस पूरे कांड में विदु बाबू नामक महाज्ञानी शामिल हैं । यहाँ नहीं जानती क्या? बहरहाल यहाँ तो मैं निश्चयपूर्वक कह सकता हूँ कि यदि आप ने मुझे पहले दिन ही सब कुछ बता दिया होता तो पूरा केस अब तक आसानी से सुलभ गया होता । सत्यवती ने अश्रुपूर्ण नेत्रों से पूछा, जो कुछ मैंने कहा है, क्या वह दादा को नुकसान पहुंचाएगा? आपको विश्वास है भी? उनके इस बाबू मेरा अपना कोई नहीं है । यह कहते हुए उसका गला भर आया । ब्योमकेश ने तेजी से उठकर उसके लिए दरवाजा खोला और मुस्कुराकर बोला, अब आप जल्दी कीजिए, देर हो रही है और फिर यहाँ कुमारों का घर है । सत्यवती उठी और दुखी मंत्रित जाने लगी । लेकिन जैसे ही वह द्वार पर पहुंची, ब्योमकेश ने दबी जबान में कुछ कहा जो मैं नहीं सुन पाया । सत्यवती ने चौक कर ब्योमकेश को देखा । उसकी आंखों में मुझे आंसू भरे आभार की झलक दिखाई दी । हाथ उठाकर उसने अभिवादन किया और सीढियां उतर गई । दरवाजा बंद करके ब्योमकेश आकर बैठ गया और अपनी घडी देखकर बोला अरे सात बज गए । फिर अपने मन में हिसाब लगाने के बाद बोला अभी काफी समय है । उत्सुकतावश मैं अपने को रोक नहीं पाया और पूछ बैठा ब्योमकेश तुम है, अब क्या लग रहा है? मैं तो कुछ भी नहीं सोच पा रहा हूँ, लेकिन तुम्हें देखकर मुझे आभास हो रहा है कि तुम है । सारे तथ्यों की जानकारी हो गई है । ब्योमकेश ने सिर हिलाकर कहा सब कुछ नहीं, अभी नहीं । मैंने कहा तुम जो भी गांव किन तो यह निश्चित है कि वहाँ सुकुमाल नहीं है, भले ही उसके खिलाफ सबूत मौजूद हूँ । ब्रो उनके इसने हस्कर कहा, तो फिर कौन है? मैं वो सब नहीं जानता । लेकिन निश्चित रूप से वह सुकमा नहीं है । ब्योमकेश चुभ रहा । उसने सिगरेट सुलगाया और लंबे कश खींचने लगा और लम्बे काट खींचने लगा । मुझे लगा वहाँ और कुछ नहीं बोलेगा । मैं भी शांति से केस की विचित्र उलझनों के बारे में सोचने लगा । कुछ देर बाद भी उनके इसने एक पूछा, मेरे ख्याल से तुम सत्यवती को सुंदर नहीं कह सकते है ना चकराकर । मैंने उसकी ओर देखा और बोला ऐसा क्यों? मुझे हो ऐसे ही पूछ रहा था । मैं समझता हूँ ज्यादातर लोग उसे बहुत सावली कहेंगे मेरे मस्तिष्क में यह बाद घुस नहीं पा रही थी कि इस केस का सत्यवती के रूप से क्या रहता है । लेकिन कई बार ब्योमकेश के दिमाग के विचित्र मार्ग की कल्पना करना असंभव हो जाता है । मैंने गंभीरता से विचार करके कहा यह सही है कि लोग सत्यवती को सावली कहेंगे, किन्तु मैं समझता हूँ गुरु हरगिज नहीं । इतना सुनकर ब्योमकेश हस्कर उछल पडा और बोला तो हमारा मतलब जैसा कि कवि ने कहा है काली है वहाँ तुम कहते हो काली रात से निकली पर मैंने उन काली हिरनी जैसी आंखों को देखा है । ठीक है यह तो बताओ जीत तुम्हारी सही उम्र क्या है? मैंने फिर चकराकर पूछा । उम्र मेरी उम्र जैसे कराली बाबू की मृत्यु के रहस्य का हाल मेरी उम्र में छिपाओ ब्योमकेश के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता । मैंने कुछ गुणाभाग करके बताया कि मेरी सही आयु वर्ष पांच महीने और ग्यारह दिन है । पर क्यों? ब्योमकेश ने संतोष की सांस ली और कहा तो तुम मुझसे पूरे तीन महीने बडे हो, इस बात का ध्यान रखना भूलना नहीं तो उम्मीद है सब क्या कह रहे हो? मेरे भाई कुछ नहीं मेरा सेरे समस्या को लेकर चकराने लगा है । चलो आज रात को फिल्म देखने चलते हैं । ब्योमकेश कभी सिनेमा नहीं जाता हूँ । सिनेमा या नाटक उसे पसंद नहीं थे । इसलिए पहले तो मुझे आश्चर्य हुआ । फिर मैं बोला आज तो मैं गया हुआ है । क्या वाकई पागल हो गए हो? ब्योमकेश ने हस्कर कहा कोई ताज्जुब नहीं । मेरा जन्म चंद्रराशि में हुआ है और श्रीमान भट्टाचार्य ने मेरी जन्मपत्री देखकर बताया था कि यहाँ बालक चंद्रमा के प्रभाव में पागल भी हो सकता है किन्तु हमें देर हो रही है । चलो जल्दी से खाना खाकर निकलते हैं । मैंने सुना है कि चित्र में बहुत अच्छी फिल्म लगी हुई है । इसलिए खाना खाकर हम लोग चित्र पहुंचे । फिल्में साढे नौ बजे शुरू हुई । फिल्में लम्बी थी इसलिए बारह बजे के करीब खत्म हुई थी । हमारा घर कुछ दूरी पर था । कुछ एक बसे अभी दिखाई दे रही थी । जैसे ही मैं बस स्टॉप की और बढा ब्योमकेश बोला नहीं चलो हम लोग थोडा पैदल चलते हैं । वह तेजी से कदम बढाकर चलने लगा । जब काॅस्ट स्ट्रीट के बाद वहाँ छोटी सी गली में घुसा तो मुझे समझ में आ गया कि हम लोग कराली बाबू के घर की ओर जा रहे हैं । मैं यह सोच नहीं पा रहा था कि आखिर इतनी रात गए, वहाँ जाकर वहाँ क्या करना चाह रहा था? बहरहाल, मैं बिना कुछ कहे उसके पीछे पीछे चलता गया । हम लोगों की चाल साधारण छल से कुछ तेज थी । फिर भी हमें वहाँ पहुंचने में काफी समय लग गया । घर के सामने सडक की लाइट चल रही थी । ब्योमकेश ने लाइट के नीचे अपनी घडी देखी, लेकिन उसकी जरूरत नहीं पडी क्योंकि ठीक उस समय सभी घडियों में बारह बजे के अलावा हम बज उठे थे । ब्योमकेश ने खुश होकर मेरे पीठ पर एक हाथ मारा और बोला वाह कम हो गया । चलो अब टैक्सी लेते हैं तो दूसरे दिन सुबह करीब साढे आठ बजे हम करा ली । बाबू के घर पहुंचे पुलिस वालों के साथ विधु बाबू वही मौजूद थे । ब्योमकेश को देखकर पहले तो वे संकोच में पड गए । फिर आपने वो संभालकर गंभीर आवाज में बोले बियोन् केजवाब, वो शायद आप जान गए होंगे कि मैंने सू कुमार को हिरासत में ले लिया है । वास्तव में वही हत्यारा है । मैं शुरू से ही जान गया था । पर इसका प्रपंच देख रहा था वाकई यहाँ का । अगर ब्योमकेश ने विदु बाबू की बडी बडी आंखों को ध्यान से देखा । जैसे उम्मीद कर रहा हूँ कि कब हुए कोई नया गुल खिला दें । यह सब देखकर इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर के चेहरों पर हंसी फूट पडी और छिपाने के प्रयास में उन्होंने अपने चेहरे दूसरी ओर घुमा दिया । विडियो बाबू ने कुछ संदेह के लहजे में पूछा, आज आने की कोई खास वजह? ब्योमकेश बोला, नहीं, कुछ नहीं । मुझे पता लगा की एक नई वसीयत पाई गई है । मैंने सोचा एक नजर देख लूंगा काफी देर तक वेज उलझन में रहे की वसीयत ब्योमकेश को दिखाए जाए या नहीं । अंत में अनिच्छा से आपने फाइल कोहली और उसमें से एक दस्तावेज निकालकर ब्योमकेश की और बढाया और बोले ध्यान से पहाड बाड न देना । यहाँ वसीयत सुकुमार के खिलाफ सबसे मैं तो पूर्ण सबूत हैं । कराले बाबू की हत्या करके सुकुमार चोरी करके यह वसीयत ले आया और उसे अपने कमरे में छिपा दिया । आपको मालूम मैं कहाँ छिपाया था अपने कमरे में तीन अलमारियों के नीचे क्या सुकुमाल गिरफ्तारी के समय कुछ बोला था यहाँ बोलता वही जो सब कहते हैं । मुझे कुछ नहीं मालूम और चौंकने का नाटक ब्योमकेश ने दस्तावेज को चारों ओर से ज्यादा फिर बडी सावधानी से खोलकर पडने लगा । मैंने भी अपनी गर्दन दिवसी करके ब्योमकेश के पीछे से देखा एक सादे कागज पर टाइप किया गया था । आज सितंबर के बारिश हुए । दिन उन्नीस सौ तैंतीस क्रिश्चियन कैलेंडर के अनुसार मैं पूरे होशोहवास में आपने वसीयत लिख रहा हूँ । मेरी मृत्यु के पश्चात मेरी सारी चल और अचल संपत्ति के साथ साथ मेरी सारी धनराशि का उत्तराधिकारी मेरा कनिष्ठ भतीजा बडी भूषण होगा । इससे पूर्व लिखी गई अन्य सारी वसीयतों बकायदा रद्द और निष्फल की जाती है । हस्ताक्षर कराली चरण बाजू वसीयत पढने के बाद ब्योमकेश उठ खडा हुआ । उसकी आंखें एक नए उत्साह से चमक नहीं लगी । वहाँ बोला विनोबा बो, यहाँ तो कमाल हो गया यहाँ वसीयत तो उसने अपने को रोक लिया और दस्तावेज को विदु बाबू की और बढा दिया । विजय बाबू ने वसीयत को आश्चर्य से दोबारा शुरू से अंत तक सावधानी से बडा और सिर उठाकर पूछा क्या है इसमें? मुझे तो कुछ नहीं देगा । यह नहीं देखा । ब्योमकेश ने हस्ताक्षर के नीचे रिक्त स्थान को दिखाते हुए कहा । विधु बाबू ने जब वह देखा तो उनकी आंखें फैल गई और मुंह से निकला वो दवाओं के नाम । इतने में ब्योमकेश बोला शांत । उसने शांत रहने का इशारा किया और दरवाजे की आहट लेने लगा । कुछ देर रुकने के बाद वह धीरे से उठा और आहिस्ता कदमों से दरवाजे तक पहुंचा और भक्ति से दरवाजा खोल दिया । माखन लाल खडा चोरी से बातचीत सुन रहा था । उसने भागने की कोशिश की लेकिन ब्योमकेश उसकी बाजुओं को खींचते हुए उसे अंदर ले आया और उसे कुर्सी पर पटक दिया । इंस्पेक्टर इस पर नजर रखना भागने ना पाए इसके मूल को भी बंद कर दो । माखन दहशत में आधा हो गया था । उसने बोलना चाहा । मैं चुप राव एकदम चौक विनोबा बो मजिस्ट्रेट से एक दूसरा वारंट हुआ है । अपराधी के नाम की जगह खाली ही रखें । उसे हम बाद में भर लेंगे । वहाँ विदु बाबू के नजदीक पहुंच गया और झुककर उनके कान में बोला तो बता का आप इसकी पूरी खबर लेने हैं । आश्चर्य भरे लहजे में विधु बाबू बोले, लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा है । बाद में बताऊंगा । इस बीच कब आ करके वारंट मंगवा ले । आव्रजित ब्योमकेश तेजी से सीढियां चढकर फणिभूषण के कमरे के बाहर पहुंचा और दरवाजा खटखटाने लगा । दरवाजा अपने आप ही खुल गया । हम लोगों को देखकर फनी चौंक गया । उसके मुंह से निकल गया बी उनके इस बाबू हम लोग कमरे में आ गए । अब क्योंकि इसकी पूर्ति प्रायर गायब हो गई थी, सस्ते में बोला । आपको जानकर खुशी होगी की हमें पता लग गया है कि कराली बाबू का वास्तव में हत्यारा कौन है? भडिया भी कि मुस्कान के साथ बोला, वहाँ मैंने सुना है कि सुकुमार बाबू को हिरासत में ले लिया गया है । लेकिन मुझे भी यकीन नहीं होता । यहाँ तो है । विश्वास करना बडा मुश्किल है । उसके कमरे से एक नई वसीयत मिली है । उसमें संपत्ति का हकदार आपको बनाया गया है । बडी बोला यह भी मैंने सुना है । जब से मुझे यहाँ पता लगा है मेरा मन खट्टा हो गया है । महज कुछ हजार रुपयों के लिए काका को जीवन खोना पडा । उसने गहरी सांस लेते हुए कहा, संपत्ति इन सभी पापों की जड है । मेरे लिए सारी संपत्ति छोड गए । पर मैं खुश नहीं हूँ क्योंकि बाबू मैं चाहता था कि मुझे संपत्ति न भी देते हैं । पर जीवित रहते ब्योमकेश बुक सेल्स के पास खडा पुस्तकों को देख रहा था । माने मन में बोला सही है सही है संपत्ति कभी सुख नहीं देती । कहावत सुनी है ना यह कौन सी पुस्तक है? फिजियोलॉजी अरे वहाँ सुकुमार की पुस्तक है बे । उनके इसने पुस्तक में डालकर उसके मुखपृष्ठ को देखकर कहा भरणी धीरे से हटकर बोला हाँ, सुकुमारक सर मुझे मेडिकल की पुस्तकें पडने को देता था । जीवन भी कितना विचित्र है । इस घर में केवल सुकुमार ही ऐसा व्यक्ति था जिसे मैं अपना मित्र समझता था । यहाँ तक कि अपने भाईयों से भी ज्यादा । और वही ब्योमकेश ने कुछ और पुस्तके नीचे उतारी और आश्चर्य में कहा आप तो खासे पढाओ व्यक्ति है ना और क्या आप सभी पुस्तकों में पढने के समय मार्क लगाते हैं । बडी बोला हाँ, पडने के सेवाएं मेरी ओर कोई हॉबी नहीं है । उस तरह ही मेरी साथ ही है । केवल सुकुमार मेरे पास हर शाम आकर बैठता था क्योंकि इस बाबू मेहरबानी करके मुझे यह बताइए कि क्या वाकई सुकुमार नहीं यह क्या है इसमें कोई संदेह का अवसर नहीं है । ब्योमकेश ने कुर्सी पर बैठकर कहा अपराधी के खिलाफ जो सबूत निकला है उसमें संदेह की कोई भी गुंजाइश शेष नहीं है । आइए इधर बैठे मैं आपको सारी बात समझाता हूँ । फनी उसके पास पलंग के किनारे बैठ गया । देखिए हत्या दो प्रकार की होती है । एक वो जो अधिक आवेश में आकर की जाती है, जिसे हम आवेश में हत्या अथवा क्राइम ऍम कहते हैं । दूसरी वे हत्याएं हैं जो पहले से सोची समझी गई तथा पूर्वनियोजित होती है । आवेश की हत्या में अपराधी को पकडना आसान होता है । अधिकांश केसों में वहाँ स्वयं ही स्वीकार कर लेता है । लेकिन जम आदमी सोच समझकर पूर्वनियोजित हत्या करता है तो वहाँ अपने ऊपर आने वाले सारे संदेहों को भी हटा देता है । ऐसी स्थिति में उसे पकडना मुश्किल हो जाता है । तो हमें नहीं मालूम होता है कि अपराधी कौन है और दूसरों पर संदेह काम में लग जाते हैं । ऐसी स्थिति में क्या किया जाए? हमारे पास के वाले एक ही मार्ग बचता है कि हम हत्यारे के तरीके को जांच का केंद्र बिंदु बनाए । इस केस में हमने एक विचित्र बात यहाँ पाई कि हत्यारा चालाक और मूर्ख दोनों हैं । उसने हत्या बडी बुद्धिमानीपूर्वक है, पर हत्या के सारे हो हजार अपने ही कमरे में छुपा रही है । आप ही बताइए, क्या यह जरूरी था की हत्या के लिए सत्यवती की कोई का ही प्रयोग किया जाए? क्या शहर में सोनियो की कमी हो गई थी और क्या वसीयत को इतनी सावधानी से छिपाना जरूरी था? क्या उसे भानगर फेंका नहीं जा सकता था? ये सब से क्या संकेत मिलते हैं? भले ही अपने थोडी को अपनी हथेलियों में लिए सुन रहा था । उसने पूछा क्या ब्योमकेश बोला एक व्यक्ति जो स्वभाव से मंदबुद्धि है वहाँ चालाकी से काम नहीं कर पाएगा । लेकिन जो व्यक्ति चपल है वहाँ मूर्ति का नाटक बडी आसानी से कर लेता है । इसलिए यहाँ यह स्पष्ट है कि अपराधी चालाक है । लेकिन चालाक लोग भी गलती करते हैं तो अपने को हमेशा सीधा साधा बनाने का प्रयास हमेशा सफल नहीं होता । इस केस में भी अपराधी ने कुछ छोटी छोटी गलतियां की है जिनकी वजह से ही मुझे उसे पकडने में मदद मिली है । पढने पूछ लिया कौन सी गलतियां रुकिए ब्यू उनके इसने अपनी पॉकेट से एक सफेद कागज निकाला । मैं पहले इस घर का नक्शा बनाना चाहता हूँ । क्या आपके पास कोई पैन से लिया कुछ मिलेगा जिससे मैं नक्शा बना सकूँ? फनी के पलंग पर तकिये के पास एक पुस्तक पडी हुई थी । उसने पुस्तक से लाल पेंसिल निकालकर ब्योमकेश को दे दी क्योंकि इसने पैंसिल को सावधानी से देखा । फिर मुस्कुराते हुए बोले दारा साल में अब नक्शा बनाना उतना जरूरी नहीं है । मैं शब्दों में ही बता देता हूँ । अपराधी ने तीन भयंकर बोले की है । पहले यहाँ की उसने ग्रेज एनाटॉमी पुस्तक में कुछ लाइनों के नीचे मार्क लगाया । दूसरी उसने भरी अलमारी खिसकाने में काफी शोर किया और तीसरी यहाँ की । उसे कानून का कोई ध्यान नहीं था । फनी के मूंग का रंग उड गया । उसने बुदबुद रहेगा प्रयास किया कानून का ज्ञान नहीं नहीं ब्यू उनके इस ने दोहराया और यही कारण है उसकी इतनी सफाई से बनाई गई योजना फेल हो गए पडेगा । गला सूख गया । वहाँ भर्राई आवाज में बोला मैं दरअसल मैं आपकी बातों को समझ नहीं पाया । ब्योमकेश ने कडे शब्दों में कहा यहाँ वैसी है तो जो सुकुमार के कमरे से मिली है वहां कानून की नजर में गैरकानूनी और व्यर्थ है क्योंकि उसमें गवाहों के हस्ताक्षर नहीं है । लगा जैसे फनी बेहोश हो जाएगा । वहाँ काफी देर तक चुप चाप पत्थर की तरह फर्ज पर नजर गडाए बैठा रहा । फिर कोई नजरों से अपने सिर के बालों को हाथों से नोचते हुए बुदबुदाया सब व्यर्थ सब देखा गया । नजरे ऊपर उठाकर बोला ब्योमकेश बाबू, क्या आप मुझे अकेले में छोड देंगे? मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही है । ब्योमकेश खडा होकर बोला मैं आपको आधा घंटे का समय देता हूँ, अपने आप को तैयार कर लें । दरवाजे पर जाकर वह मुडकर बोला आपने सिलाई का होल्डर फेंक दिया है ना लिया तो था आपने क्योंकि वहाँ मुझे सत्यवती की सिलाई टोकरी में नहीं मिला । पता नहीं क्यों आपने उसे सु कुमार के कमरे में क्लोरोफॉर्म के साथ नहीं छोडा । शायद जल्दबाजी में दिमाग से निकल गया है ना, लेकिन यहाँ तो बताएं क्लोरोफॉर्म लाया कौन? माँ घर लाल फणी तब तक तकिए पर पीछे की तरफ लुढक गया था । वहाँ भर्राई आवाज में बोला आधे घंटे बाद आइए । ब्योमकेश ने कहा अच्छा दरवाजा बंद कर दिया । हम नीचे अगर बैठ गए माखन लाल पुलिस के पास वैसे ही बैठा हुआ था । ब्योमकेश ने नाराज होकर करके आवाज में कहा ऍम ला कर दिया था । माखन लाल ने चौहत्तर कहा मैं कुछ नहीं जानता, साठ साठ बताओ अन्यथा मैं तुम्हारा नाम वारंट में लेकिन दूंगा माखन फूट फूटकर रोने लगा । सर, ईमानदारी से कहता हूँ, मैं सब में शामिल नहीं हो पडी ने मुझसे कहा था कि उसे नींद नहीं आती । ये अधिक लोगो हम की एक बूंद नहीं जाती । इसी से एक है विधु बाबू । आप इसे छोड सकते हैं । जैसे ही माखन को छोडा वहाँ भागा । ब्योमकेश ने विदु बाबू से पूछा क्या वारंट अभी तक नहीं आया? नहीं पर आता ही होगा, लेकिन वहाँ किसके लिए है? तरह वाले बाबु के हत्यारे के लिए विधु बाबू भडक उठे और सिर्फ ऊपर उठाकर बोले क्योंकि इस बार वो यहाँ वक्त हसी मजाक का नहीं है । कमिश्नर साहब क्या जरा सा आपको मानते हैं? आप मुझ पर रॉक गार्डन फिर रहे हैं । यहाँ भी मैंने सहेलिया पर । अब मैं आपके यहाँ मैं फिर पैर के मजाक बर्दाश्त नहीं करने वाला हूँ । मैं मजाक बिल्कुल नहीं कर रहा हूँ । यही सच्चाई है । बिलकुल स्पष्ट ध्यान से सुनी है और क्योंकि इसमें संक्षेप में सारी बातों का ब्यौरा दे दिया विडिओ बाबू क्षण भर के लिए आश्चर्य में जरूरत हो गए । फिर चिल्ला उठे अगर ऐसा है तो आपने उसे छोड कर रखा है । अगर वह भाग जाए तो नहीं । वहाँ भाग गया नहीं, वहाँ पे कसूर होने की दलील देगा और यही हमारी ग्रुप चाल है क्योंकि अदालत में हमारे लिए उसे दोषी ठहराना बहुत मुश्किल होगा और अदालत में जोडियों को तो आप जानते ही हैं । उन्हें तो दोषी को मुक्त करने का बस मौका चाहिए । यहाँ तो मैं जानता हूँ पर विधु बाबू फिर कुछ चिंतन में लग गए । ठीक आधा घंटे बाद हम खडी बाबू के कमरे में गए । वीडियो बाबू ने आगे बढकर दरवाजा खोला और पहले उसे और आगे जाकर एका एक रुक गए । भडी पलंग पर लेटा हुआ था । उसका दावा या हाथ नीचे झूल रहा था और फर्ज पर खून बह रहा था । उसके झूलते हाथ की नब्ज की नाडी कटी हुई थी, जिससे खून की बूंदें नीचे गिर रही थी । ब्योमकेश एक्शन शरीर को देखता रहा । फिर धीरे से बोला, मैंने नहीं सोचा था कि वहाँ इस हद तक पहुंच जाएगा, लेकिन उसके पास और उपाय भी क्या था? एक सफेद कागज पणी के सीने पर रखा दिखाई दिया क्योंकि उसने उसे उठाकर जोर से पढना शुरू किया । ब्योम के बाबू अलविदा मैं एक अपंग और व्यर्थ व्यक्ति हूँ । मेरे लिए इस संसार में कोई स्थान नहीं है । देखता हूँ ऊपर भी मुझे स्थान मिलता है या नहीं । मुझे मालूम है कि अदालत में आप मुझे दोषी साबित नहीं कर पाएंगे । लेकिन मेरे लिए अब जीवित रहने का कोई मतलब नहीं रहा । जब पैसा ही नहीं मिलेगा तो मैं जीवित रहकर करूंगा भी क्या? मुझे काका की हत्या करने का कोई पछतावा नहीं है । उन्हें मेरे से जरा सा भी प्यार नहीं था । वहाँ हमेशा मेरे लंगडे पन का मजाक बनाकर खिल्ली उडाते थे । हिन्दू मैं सूख कुमार दादा का जरूर अपराधी हूँ और इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ । लेकिन मेरे पास उन के अलावा कोई और व्यक्ति नहीं था जिसके मत थे । यह दोष मान सकूँ और फिर उसके जेल चले जाने से मेरा एक फायदा और भी होता है । यहाँ लाभ मेरे मन में पाल रही उस गुप्त इच्छा से संबंधित था जिससे आप होने के कारण मैं कभी जगजाहिर नहीं कर पाया । मैं यह नहीं बताऊंगा कि मुझे क्लोरोफॉर्म कैसे मिला । जो व्यक्ति मेरे लिए लाया था उसे मेरे उद्देश्य की जानकारी नहीं थी, लेकिन बाद में शायद उसे संदेह हो गया हो । आप सचमुच में विचित्र प्राणी है । आपने उंगली के उस होल्डर को भी नहीं छोडा । आपका कहना सही था । मैं उसे उठाना भूल गया था । यहाँ मुझे याद तब आया जब मैं अपने कमरे में वापस आया हूँ । वहाँ अब भी यहीं कहीं गिरा पडा होगा । उस रात जब मैंने सोई और होल्डर को सत्यवती की सिलाई टोकरी से चुराया था, उस समय वहाँ रसोई में खाना बना रही थी । आपकी जगह यदि कोई और होता तो पकडा नहीं पाता । लेकिन फिर भी मैं अपने को आपसे नफरत करने की स्थिति में नहीं ला पा रहा हूँ । नमस्कार अब विदा लेता हूँ । बहुत दूर जाना है । भवदीय भरनी भूषण कर ब्योमकेश ने विधु बाबू को कागज पकडाते हुए कहा, मेरे ख्याल से अभ सुकुमार को हिरासत में रखना जायज नहीं हैं । उसकी बहन को भी खबर कर देनी चाहिए । मेरे ख्याल से वहाँ भी अपने कमरे में होगी चलवा जी! लगभग एक सप्ताह बाद हम दोनों एक दिन शाम को अपने कमरे में बैठे चाय भी रहे थे । पिछले कुछ दिनों से ब्योमकेश रोजाना दोपहर में कहीं जा रहा था । उसने बताया नहीं और मैंने पूछा भी नहीं । कई बार उसे कुछ गोपनीय केस मिल जाते थे, जिसकी गोपनीयता रखने के लिए वहाँ बताना उचित नहीं समझता था । मुझे भी नहीं बताता था । मैंने पूछा आज भी तुम्हें जाना है । ब्योमकेश ने अपनी घडी देखते हुए कहा था, हाँ, कुछ रुके बन से मैंने पूछ लिया यहाँ कोई नया गैस तुम ने लिया है? केस हाँ, लेकिन पूर्ण गया वो अपनी है । मैंने विषय बदलते हुए पूछा । सुकुमार की रिहाई का मार्ग अब खुल गया है ना? हाँ, उसने जमानत के लिए अर्जी दी है । मैंने कहा ब्योमकेश मुझे ठीक से बताओ । भडी नहीं यहाँ हत्या कैसे की? मुझे विस्तार से समझाऊँ । अब भी मैं बुड्ढी को सुलझा नहीं पाया हूँ । ब्योमकेश ने चाय के प्याले को मेज पर रखकर कहा ठीक है, मैं बताता हूँ शुरू से अंत तक सिलसिलेवार उस दिन मोतीलाल ने करा ले बाबू से झगडा किया था । शाम को जब सुकुमार को पता चला तो वह कराली बाबू के पास अपनी बात कहने गया था । पर जब कराली बाबू ने उसे कमरे से निकाल दिया तो पडी के कमरे में गया और लगभग साढे सात बजे तक वहाँ रहा । उसके बाद उसने खाना खाया और सिनेमा देखने चला गया । यहाँ तक तो कोई उलझन नहीं आना नहीं । रात में आठ से नौ बजे तक सत्यवती रसोई में थी । वो दौरान पानी ने उसके कमरे में घुसकर हुई और उंगली में लगाने वाला होल्डर चुरा लिया । उसने अनुमान लगाया था कि कराली बाबू इस बार फिर अपनी वसीयत बदलेंगे जिसमें इस बार संपत्ति उसको ही मिलने वाली है । उसने फैसला कर लिया । अब वहाँ उस खूसट को अपनी वसीयत बदलने का अवसर नहीं देगा । हड्डी के मन में कराली बाबू के लिए नफरत थी । आप लोग अपनी कमी को लेकर बहुत भावुक होते हैं । जो लोग उनकी कमियों को लेकर मजाक उडाते हैं उनसे बदला लेने के लिए वो किसी भी हद तक जा सकते हैं । पानी नहीं बातों को लेकर उनसे नाराज था और बहुत पहले से उनकी हत्या की योजना बना रहा था । खानसामा के बयान के अनुसार हमें पता लगा कि मोतीलाल रात में लगभग साढे ग्यारह बजे घर से बाहर गया । फिल्म के पिनक में अक्सर समय का हेरफेर स्वाभाविक है । इसलिए खान सामान निश्चय से कुछ नहीं कब आ रहा था । मेरे अनुमान के अनुसार मोतीलाल ने करीब ग्यारह बजकर पच्चीस मिनट पर घर छोडा । उसकी कमजोरी थी उसने शायद ही कभी रात घर में बिदाई थी । मोदी लाल के चले जाने के बाद पडे अपने कमरे से निकला । मोतीलाल का कमरा कराली बाबू के कमरे के ठीक नीचे था । भाई नहीं चाहता था कि शोरिया आवाज मोतीलाल को सुनाई दे इसलिए उसने उसके जाने की प्रतीक्षा की । उसे कराली बाबू को क्लोरोफॉर्म से बेहोश करने में पांच मिनट लगे । उसके बाद फनी कराली बाबू की गर्दन में सोई को ठीक से नहीं हो पाया । सही निशाने के लिए उसे तीन प्रयास करने पडे । यदि वहाँ काम सुकुमार जैसा कोई मेडिकल छात्र करता तो उसे इतना समय नहीं लगता । उसके बाद पानी दूसरे कमरे में गया और उसने मेज की दराज से करा ली । बाबू की अंतिम वसीयत निकली । उसने पढकर देखा उसका अनुमान सही था । वसीयत उसी के नाम थी । इन सब कामों में उसे दस से बारह मिनट का समय लगा । अब उसके लिए यह समस्या थी कि उस नहीं वसीयत का क्या करें । वहाँ उसे उसी लॉकर में छोड दे सकता था । बार उससे सुगुमार के गले में फंदा जैसे लगता और आपने वो बचाने के लिए उसे किसी पर इल्जाम तो अपना जरूरी था । इसलिए उसने वसीयत और क्लोरोफॉर्म को सूप कुमार के कमरे में छिपा दिया । वहाँ जानता था ऐसे हत्या के बाद में कमरों की तलाशी होती है और उस तलाशी में ये दोनों चीज सु कुमार के कमरे से निकला ही । इस तरह एक तीर से दो निशाने हो जाएंगे । सु कुमार को फांसी का फंदा और पढें को वसीयत की संपत्ति उसने जब अलमारियाँ खस कराई थी तब उनकी आवाज हुई थी । इसी से सत्यवती की नींद टूटी थी । वो समय पौने बारह बजे थे । सत्यवती ने सोचा सु कुमार सिनेमा देखकर लौटा है लेकिन सच्चाई यह भी सु कुमार उस समय तक वापस आ ही नहीं सकता था । वहाँ जब वापस आया तब सभी गाडियों में बारह के घंटे बज रहे थे । क्या अभी कुछ और जानना चाहते हो और वसीयत में गवाही न होने का कारण क्या हो सकता है? ब्योमकेश एक्शन सोचकर बोला लगता है कराली बाबू ने वसीयत रात के खाने के बाद लिखी हो और वे चाहते हो कि सुबह वे खानसामा और नौकर से उस पर हस्ताक्षर करवा लेंगे । कुछ देर हम लोग शांति से सिगरेट के कश लगाते रहे । फिर मैंने ही पूछा क्या सत्यवती से तुम दोबारा मिले? क्या कहा उसने खूब धन्यवाद दिया होगा तो मैं ना ब्यू उनके । इसने चेहरे पर निराशा लाते हुए कहा कुछ नहीं केवल साडी से सिर ढककर मेरे चरणों का इस पर क्या? बस बहुत ही बहुत ही शालीन लडकी है । वो ब्योमकेश खडा हो गया और मेरी और उंगली उठाकर बोला तो मुझसे उम्र में बडे हो याद रखना और बिना उत्तर दिए अपने कमरे में चला गया । थोडी देर में सजधज के आया देखकर मैंने कहा तो तुम्हारा गोपनीयत क्लाइंट लगता है । बहुत ही शौकीन है । जासूस को भी रेशमी कुर्ते में देखना चाहता है क्या कहने? ब्योमकेश ने सेंटर सुगंधित रुमाल से मूव पहुंचा और फिर बोला, हाँ सत्य का अन्वेषण कोई मजाक नहीं है । उस के लिए बकायदा तैयारी करनी पडती है । मैंने कहा लेकिन सत्य का अन्वेषण करते हुए तुम्हें अरसा बीता । इससे पहले तो मैंने तो मैं इतनी सजधज में नहीं देखा । ब्योम के इसमें गंभीर मुद्रा में कहा, दारा साल सच्चाई यहाँ है कि सही मायनों में सत्य की खोज मैंने हाल ही में शुरू की है तो तुम्हारा क्या मतलब है? तुम्हें जाना हूँ । मतलब गहरा है । मेरे भाई देसी आंखों से देखो और एक शरारत भरी मुस्कान छोडकर जाने के लिए उड गया । सच्चाई सत्य मैंने मस्तिष्क दौडाया और फिर सब कुछ समझ में आ गया । मैंने दौड कर ब्योमकेश को कंधों से जकड लिया । सत्यवती अब समझा यह भी तुम्हारी सत्य की खोज जिसके लिए इतने दिनों से भागते रहे हो । ब्योमकेश तो यार इतना मत वाला निकला । शेक्सपियर ने ठीक ही कहा है यह सारी दुनिया ही प्यार का जंजाल है । ब्योमकेश बोला आप खबरदार तो मुझसे बडे हो और इस लिहाज से तो उसके अंदर नहीं है । जेटली लगते हो । इसके बाद दोस्ती की परिभाषा नहीं चलने वाली है । मैं भी तुम है भाई साहब कहकर पुकार होंगा, इससे तो मैं आसानी भी रहेगी । मैंने टोक दिया क्या प्यार है अब मैं खत्म हो गया । मैं साहित्यकारों की नस्ल से बखूबी परिचित हूँ । मैंने जोर से निःश्वास छोडकर कहा अच्छा बाबा! आज से मैं तुम्हारा बडा भाई हूँ । मैंने यानि की मुद्रा में ब्योमकेश के सिर पर हाथ रखकर कहा जाओ था विडंबना करो । चार बज रहा है तो मैं शीघ्र ही चलना चाहिए । मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है । तुम सदैव सत्य की खोज में लगे रहो । चाहे स्त्री योजित हो अथवा सांसारिक और भी उन के चला गया हूँ ।

Details
ब्योमकेश बक्शी की रहस्यमयी कहानियाँ writer: सारदेंदु बंद्योपाध्याय Voiceover Artist : Harish Darshan Sharma Script Writer : Sardendu Bandopadhyay
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