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Ep 4: वसीयत का जंजाल - Part 1 in  |  Audio book and podcasts

Ep 4: वसीयत का जंजाल - Part 1

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ब्योमकेश बक्शी की रहस्यमयी कहानियाँ writer: सारदेंदु बंद्योपाध्याय Voiceover Artist : Harish Darshan Sharma Script Writer : Sardendu Bandopadhyay
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बहुत चार वसीयत का जंजाल सुबह करीब दस बजे का समय होगा । मैं नहाने की सोच रहा था की बगल वाले कमरे में फोन की घंटी घनघना उठी है । ब्यूंग किसने जाकर फोन उठाया? फिर उसकी आवाज सुनाई दी, हलो कौन साहब, बिंदु बाबू नमस्कार कैसे है? आप सब ठीक है । नजर जी क्या गा? अरे वाह! मुझे आना ठीक है । कृपया पता बता दें थी गए हैं । मैं आधे घंटे में पहुंच रहा हूँ । ब्योमकेश कुर्ता पहनते हुए कमरे से बाहर आया । चलो एक जगह जाना है, मर्डर हुआ है । विधु बाबू ने हमें बुलाया है । मैंने उठकर पूछा कौन भी दो बाबू? डिप्टी कमिश्नर ब्योमकेश ने मुस्कुराकर कहा हाँ, वही पर कह नहीं सकता कि इसके लिए किसको धन्यवाद । दो । उन की बातों से तो नहीं लगता है कि उन्होंने स्वयं बुलाया है । शायद आदेश ऊपर से ही मिला है । हमें अपने कामकाज के सिलसिले में अक्सर पुलिस के डिप्टी कमिश्नर विधु बाबू से मिलना होता है । वे दिखावा ज्यादा करते हैं । जब भी मौका मिलता है तो अपनी शेखी में हम लोगों को अपना लेक्चर पिलाना कभी नहीं बोलते हैं और हर तरह से यह संकेत देने का प्रयास करते हैं कि ब्योमकेश अपनी क्षमताओं और कौशल में उनसे बहुत नीचे है । ब्योमकेश शेख से भरी बातों को बहुत ही विनय सुनता है और मान ही मन मुस्कुराता रहता है । विधु बाबू अपने बुद्धि और काबिले दिखाने के चक्कर में अक्सर पुलिस फाइलों कि अनेक गोपनीय सूचनाओं को भी लिख कर देते थे । इसलिए जब जब ब्योमकेश को पुलिस की जानकारी की जरूरत पडती, वहाँ वीरू बाबू का लेक्चर सुनने चला जाता है । विडियो बाबू अपने जवानी में इतने जडबुद्धि नहीं थे । वे अपने काम काज में चुस्त दुरुस्त थे । लेकिन पुलिस की घिसी पीटी नियमित कार्यप्रणाली की एक लैबर निरन्तरता ने उनके मस्तिष्क को भोथरा कर दिया था और उन्हें अब रूटीन गाडियों से ज्यादा कुछ सुझाव नहीं देता था । उनके सहयोगी उनके पीछे उन्हें बुद्धू बाबू कहा करते थे । बहरहाल, हम लोगों ने जल्दी से नाश्ता किया और निकल पडे बस से । हमें बहुत ना में लगभग बीस मिनट लगे । वहाँ जगह उत्तरी कलकत्ता के संपन्न इलाके में थी । हम लोग घर के नंबर देख रहे थे कि सामने के घर के आगे दो सिपाही खडे दिखाई दी है । हम समझ गए कि वही बता है जहाँ हमें जाना है । ब्योमकेश ने जब अपना नाम बताया तो वे सिपाही एक और हट गए । बाहर से वहाँ दो मंजिला मकान साधारण लग रहा था लेकिन अंदर जाकर देखा तो काफी विशाल दिखाई दिया । बरामदे के बाहर सीढियों के किनारे फूलों के गमले, अंदर गैलरी में पीतल के सजावटी गमलों में ताड के पौधे, विशाल एक्वेरियम में रंग बिरंगी मछलियां कुल मिलाकर एक संपन्न परिवार के चिन्ह दिखाई दी है । सेंट्रल हॉल का मार्ग दोनों और बालकनियों तक जाता था । तीसरा मार्ग सीढियों से केंद्रीय कक्ष की तरफ जाता था । हम लोग राई और के कमरे की और बडे जहाँ लोग एकत्र थे । कमरे के बीचोंबीच अपना भारी शरीर लिए वीरू बाबू कुर्सी पर बैठे बार बार अपने सफेद मुझको ताव देकर अपनी मौजूदगी का ऐलान कर रहे थे । नौकर से पूछताछ हो चुकी थी । खानसामे की बारी थी आंखों में आंसू लिए वह विदु बाबू के प्रत्येक प्रश्न पर भय से उछलकर कांपने लगता था । कुछ सिपाही खानसामा के पीछे खडे थे । हमें देखते ही वीडियो बाबू के चेहरे पर हल्की नाराजगी का भाव दिखाई दिया तो आए हैं । आप लोग बैठे हैं तो ज्यादा कुछ नहीं है । साधारण बॉर्डर है, कोई उलझन नहीं है । साफ पता चल रहा है कि किसने ऑर्डर किया । वारंट भी जारी हो गया है । लेकिन चीज का आदेश था कि आपको बुलाया जाए । इसलिए उन्होंने जोर की आवाज में गला साफ करते हुए कहा, हमारे डिपार्टमेंट में सवाल तो किया जाता नहीं । वो जो क्या बाहर गए हैं तो देख ले । एक बार हालांकि कुछ है नहीं । वाकई ब्योमकेश बोला सर, क्योंकि स्वयं अपने चार्ज लिया है । मैं बोला क्या नया देख पाऊंगा? लेकिन क्योंकि कमिश्नर्स आपने स्वयं आदेश दिया है तो मैं इतना ही कर सकता हूँ कि यहाँ रहकर आपकी सहायता का रूप वहाँ भी यदि आपकी अनुमति हो तो । लेकिन हुआ क्या? मर्डर किसका हुआ है? खुशामद पहाड को भी पिछला देती है । वीडियो बाबू के चेहरे से रूखापन साफ हो गया । वे बोले कॅालेज वो इस घर के स्वामी है । उनकी हत्या रात को सोते समय कर दी गई । हत्या का तरीका थोडा विचित्र है इसलिए कमिश्नर परेशान है । लेकिन वास्तव में वहाँ बहुत आसान है मोदी लाल जो कराले बाबू का एक भतीजा है, उसी ने की है घर दूध और तभी से फरार है । क्योंकि इसने विनय भाव से कहा मेरे जैसा सीमित बुद्धि वाला व्यक्ति इन गुड बातों को तभी समझ सकता है जब उसे विस्तारपूर्वक समझाया जाए । क्या अब एक बार पूरा व्रतांत शुरू से बता नहीं क्रपा करेंगे? विदु बाबू के चेहरे पर असंतोष के बादल अब पूरी तरह छंट गए शान से मुझे और बोले थोडा रोगों जरा में इससे पूछताछ पूरी कर लो । फिर में सहारे घटना बताता हूँ । खानसामा अब भी वही खडा काम रहा था । विधु बाबू उसे हडकाते हुए बोले सावधानी से जो कहना सोच समझकर कहना एक गलती हुई नहीं कि यहाँ कडी देख रहे हो थी क्या? खानसामा ने घबराकर कहा जी जर बी तूने अपनी शेष पूछताछ जारी रखते हुए कहा, कल रात जब तुमने मोतीलाल को घर से बाहर जाते देखा तो समय क्या हो जाता है? मैं मैं मैं ही नहीं देख पाया । सर, लेकिन उस समय एक या दो बजा था । एक बात बोलो क्या बजाता? ये एक या दो सर । उस समय रात के करीब बारह या एक बज रहा था । अच्छी तरह सोचो । विडियो बाबू क्रोध में बोले एक बार पब एक बार पक्का करके एक बार बोलो क्या आधी रात थी, एक बच्चा था या दो बजा था खानसामा गले में धूप सडक कर बोला यस सर! आधी रात उत्तर सुनकर बैठे सिपाही ने कागज पर नोट कर लिया । वहाँ चोरों की तरह बिना आवाज किए भागा था । है ना जी सर जी सर, बात ये है कि अकसर बातों को वो बाहर रहते हैं । हाल तो बात मत करो । जो मैं पूछ रहा हूँ उसी का जवाब दो । क्या तुमने मोतीलाल को नीचे आते देखा था? नहीं अगर मैंने उन्हें घर से बाहर जाते देखा था तो उन्हें उन्हें सीढी से नीचे आते नहीं रहेगा । था कहाँ है तो उस समय फॅार बोलते क्यों नहीं कहा है तो उस समय आतंकित स्वर में खानसामा हकलाकर बोला मुंह माईबाप सरकार घर के सामने जो चाल है उसमें मेरे गांव के साथ ही रहते हैं । रात को काम पूरा होने के बाद मैं थोडी देर के लिए उनके पास बैठता हूँ । वो तो यहाँ बात है । तो उस समय अपने दोस्तों के साथ गाँव अजय के नंबर रहते हैं । है ना जी माईबाप तो आपके दरवाजा खुला पडा था क्यों खानसामा भय से कम गया । धीरे से बढ बढाया जी सर विधु बाबू त्योरी चढाए । कुछ देर बैठे रहे । फिर बोले तो अपने अड्डे है । तुम देख सकते थे कि घर में कौन गुजरा है और कौन बाहर जा रहा है जी सर, घर से कोई और बाहर नहीं निकला सर, अच्छा तो यहाँ बताओ । तुम जब लौटे तो क्या समय था सर? मोदी बाबू के जाने के आधे घंटे बाद में वापस आ गया । तब तक सुकुमार बाबू लॉर्ड आए थे क्या शो कुमार वहाँ कहाँ से लौटे थे यह मुझे नहीं मालूम है । अगर वे कितने बजे लौटे थे । मोदी बाबू के जाने के बीस पच्चीस मिनट बाद विधु बाबू की त्योरियां और चढ गई । उन्होंने कुछ देर सोचकर कहा तो आप जा सकते हो । हमें जरूरत हुई तो तुम है फिर आना होगा । खानसामा ने झुककर फर्जी सलाम किया और खुश होकर नदारद हो गया । विधु बाबू ने सभी पुलिस अधिकारियों से कमरा खाली करने को कह दिया । कमरे में केवल ब्योमकेश और मैं रह गए । उन्होंने हमारी और घोलकर देखा देखा आप लोगों ने एक आदमी ने सबको जो कैसे उंगलिया साहब हो जाता है केवल ऍम करना आना चाहिए । चलिए हाँ तो मैं आपको बताऊँ । जब तक मैं पूरी कहानी खोलकर नहीं बताया था तब तक आप के समझ में तो आने से रहे तो भी गए । मुझे ही कहना होगा । मैंने सभी लोगों से पूछताछ कर पूरा व्रतांत पता कर लिया है तो ध्यान से सुनी है । ब्योमकेश ने ध्यान से सुनने के लिए अपना सर नीचे की ओर झुका दिया । तब विधु बाबू ने कहना शुरू किया घर के मालिक का नाम कराली बाबू था । वे निसंतान विदर्भ है । काफी संपत्ति के मालिक कराली बाबू के कलकत्ता में चार पांच मकान थे और बैंक में लाखों रुपए की संपदा थी । उनका परिवार तो नहीं था, पर उनके संरक्षण में पांच लोग पाल रहे थे । इन पांचों में इनके तीन भतीजे थे मोतीलाल, माकन, लाल और फणिभूषण तथा दो उनकी स्वर्गवासी पत्नी के भांजी । भांजे जाते सत्यवती और सुकुमार । ये पाँचों इसी घर में रहते थे । उनका दुनिया में और कोई नहीं था । कराली बाबू क्रोधी स्वभाव के व्यक्ति थे । उन्हें गठिया की शिकायत थी । इसके अलावा भी कई अन्य रोग लग गए थे, इसलिए वे अपने घर से बाहर नहीं जाते थे । लेकिन पूरा घर उनसे डेट की तरह डरता था । वे सनी कि व्यक्ति थे और अपनी सडक । मैं अपनी वसीयत बदलते रहते थे । आज के एक नाम नाराज हुए तो दूसरे के नाम तो इस प्रकार अब तक तीन वसीयत बना चुके थे, जो अब उनके लॉकर से प्राप्त हुई है । पहली वसीयत में उन्होंने माखन को अपनी सारी जायदाद का वारिस बनाया । दूसरे में मोतीलाल को और तीसरी तथा अंतिम वसीयत में सबकुछ सु कुमार के नाम कर दिया । यह तीसरी वसीयत परसों लिखी गई । अब सारी संपत्ति का वारिस सुकुमार है । हर बार कोई न कोई उन की नाराजगी का शिकार हो जाता तो कराली बाबू उसका नाम कार्ड देते हैं । इसी संदर्भ में कल दोपहर कराली बाबू और मोतीलाल के बीच झडप भी हुई । मोतीलाल स्वभाव से झगडालू है और यह जानकर की वजह से उन को बेदखल कर दिया है । वहाँ कराले बाबू के मुंह पर गाली गलोच कराया था । इसके बाद आधी रात के करीब मोतीलाल चुप चाप घर से बाहर चला गया । नौकर और खानसामा दोनों ने उसे बाहर जाते देखा और सुबह को कराले बाबू मत पाए गए । पहले कोई नहीं जान पाया कि उनकी मृत्यु कैसे हुई । मैंने अगर पता लगाया उनकी मृत्यु हुई से की गई थी, जिसे गले और रीड की संधि तैयार के मेंदोला और विराट बना के मध्य में हो गया था । जब विधु बाबू रुके तो ब्योमकेश ने सिर उठाया क्या आश्चर्य रीड की हड्डी और मेन बुला के बीच में सोई खूब कर हत्या । यह तो अंग्रेजी उपन्यास ब्राइड ऍम जरूर जैसा है । एक्शन रुकने के बाद वहाँ बोला, आपने तो पहले ही मोतीलाल के नाम वारंट जारी कर दिया है । क्या वहाँ कहीं काम काज करता है, उसके बारे में क्या कोई जानकारी है? नहीं कुछ नहीं । विधु बाबू बोले आठवीं तक पढा बाद में आवारा गर्दी करता रहा । आपने कहा था केवल पर जिंदा है और बाजारों घटिया जीवन जीता है और माखन लाल क्योंकि इसमें पूछा ये मैं भी वैसे ही है लेकिन इतने घटिया नहीं है । गांजा सुनवा पीता है पर पक्का गंजेडी नहीं हुआ है । और फणिभूषण ये महाशय लंगन दिन है वो कहावत देना वो कहावत है ना । लंगडा और अंडा क्या गोल नहीं दिला सकता । पर ये ठीक था गया लंगडा होने के कारण वहाँ घर से बाहर नहीं जा सकता । तीनों भाइयों में यही है जिसमें मानवीय गुण दिखाई दे जाते हैं । और ये सुकुमार ये क्या है? सो कुमार अच्छा लडका है । मेडिकल कॉलेज में फाइनल ईयर का छात्र है । उसकी बहन सत्यवती भी कॉलेज जाती है । ये दोनों ही वद्ध महाशय की देखभाल करते थे । मेरे ख्याल से अभी तक शादी किसी की भी नहीं हुई है । सही है लडकी की भी नहीं । ब्योमकेश उठ खडा हुआ और बोला सर चलिए एक बार घर का मुआयना कर लिया जाए । मैं समझता हूँ अभी इलाज को हटाया नहीं गया है नहीं अगर विदु बाबू अनिच्छा से उठे और आगे आगे सीढियाँ चढने लगे । सीढियाँ दोनों ओर से ऊपर जाकर एक जगह मिलती है और प्रथम चलने तक पहुंचती है । सीढियों के ठीक नीचे के कमरे को देखकर ब्योमकेश ने पूछा उसमें बहुत रहता है । विधु बाबू बोले यहाँ मोदी लाल का कमरा है । अपने इच्छा अनुसार वहाँ नीचे के कमरे में रहना पसंद करता है । वृद्ध महाशय है । अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे और रात में नौ बजे के बाद बाहर रहने के विरोधी थे । उनका काम राठी इसके ऊपर है तो और वो काम ना । ब्योमकेश ने नीचे के कोने वाले कमरे को दिखाते हुए कहा माँ घर लाल रह गए हैं । उसमें मोतीलाल को छोडकर ये सभी लोग शायद घर में ही होंगे । हाँ और मैंने सब कोई स्पष्ट आदेश दे दिया है । मेरी आज्ञा के बिना कोई घर छोड कर नहीं जाएगा । बाहर सिपाहियों का पहला है ब्योमकेश स्वीकारोक्ति में कुछ बुदबुदाया । पहले चलने पर सीढियों के ठीक सामने बंद दरवाजे वाले कमरे को दिखाकर विदु बाबू बोले यहाँ कराले बाबू का सोने का कमरा है । कमरे की दहलीज पर ब्योमकेश ने झुकते हुए पूछा यह कैसे निशान हैं? वीडियो बाबू ने भी नीचे झुककर देखा । फिर उठते हुए बेफिक्री से बोले चाहेंगे निसार है सत्यवती रोजाना सुबह कराली बाबू को चाहे लेकर जगह में आती थी । आज सुबह कराली बाबू ने कोई उत्तर नहीं दिया तो उसने देखा कि उनकी मृत्यु हो गई है । वो समय संभव हडकंप में कुछ चाहे जमीन पर गिर गई थी हो तो वह पहली इंसान थी जिसे मृत्यु का पता लगा । हाँ, कमरा बंद था । वीरू बाबू ने ताला खोला और हम लोग अंदर आए । वहाँ मध्यम साइज का कमरा था । सामान काम पर करीने से लगा था । एक मिर्जा पूरी कालीन बिछा हुआ था । कमरे के बीच में रखी मेज पर हादसे कहरा गया । मेजपोश बिछा था कोने में हैंडर पर तय किया हुआ दो दी गुड का लडका था । नीचे पॉलिस्टर चमकते जूतों की कतार लगी हुई थी । बाई और पलंग था जिसमें सफेद चादर के नीचे जैसे करोड से कोई सो रहा था । चादर उसके कानों तक देखी हुई थी । पलंग के पास एक स्टैंड पर दवाओं की बोतल और दवा नापने वाले कब कतार में रखे थे । पलंग के सिरहाने एक छोटी मेज पर पानी का जगह और उल्टा गिलास रखा था । कमरे को देखकर लगता था कि उसका स्वामी अपने कमरे को स्वच्छ और टिप टॉप रखना पसंद करता था । कमरे की स्वच्छता देखकर यह अनुमान लगाना कठिन था कि इसमें पिछली रात में इसके स्वामी की हत्या हो गई है । दीपावली पर चाय का प्याला रखा हुआ था । ब्यू उनके इसने एक्शन उस कप का मुआयना किया और मन ही मन बडबडाने लगा । जैसे अपने से ही कुछ कह रहा हूँ । आधी चाहे कब से गिरकर प्लेट में ही है । कब आधा बना है फिर नीचे कैसे ही नहीं । बीजू बाबू ने ब्योमकेश का बडबडाना सुनकर एक गहरा निराशा का स्वास्थ छोडा और बोले रहे भाई, यही तो मैंने बताया था वह लडकी मैंने सुना है । ब्योमकेश बोला पर क्यों? बीजू बाबू ने इस प्रश्न का उत्तर देना उचित नहीं समझा, लेकिन बिच कहकर वे दूसरी और खिडकी से बाहर देखने लगे । ब्योमकेश ने बहुत ही सावधानी से चाय के प्याले को उठाया । चाय के ऊपर सफेद परत जम गयी थी । उसने पास में रखी चम्मच से चाय को हिलाकर उसका एक घुट लिया । मूव पहुंचा और पलंग के पास पहुंच गया । काफी देर तक लाज पर नजर बनाने के बाद ब्योमकेश ने पूछा लाश को तो छुआ गया न होगा है ना वैसी है जैसे पाई गई थी विडियो बाबू ने जो अब तक खिडकी में से ताक रहे थे । जवाब दिया हाँ, केवल चादर को सिर तक ढक दिया है और मैंने वहाँ सुई निकालना है । ब्लॅक चादर को नीचे की जा एक दुबली पतली वृद्ध का आयात करवट से लेती थी । लगा जैसे गहरी नींद में अब हो रहे हैं । उनके सफेद बालों के नीचे माथे की त्वचा में लाइनें और झुरियां थी । इसके अलावा चेहरे पर किसी दर्द का भाव नहीं था क्योंकि इसने शरीर को हिलाये डुलाए बगैर बारीकी से जांचा । उसने पीछे गर्दन के ऊपर बालों को उठाकर देखा । सावधानी से नाक के पास कुछ देखने के बाद उसने विदु बाबू को बुलाया और बोला, सर, मुझे विश्वास है कि आपने पूरे शरीर का अच्छे से मुआयना कर लिया होगा, लेकिन मैं आपका ध्यान दो बातों पर लाना चाहता हूँ । गर्दन में सोई घुटने के तीन निशान हैं । बीजू बाबू ने पहले नहीं देखा था, अब उन्होंने देखा तो बोले हाँ, लेकिन इसमें खास बात किया है । जाहिर है कि वर्टिब्रा और मेडल ला के संदेश स्थल को ढूंढने में हत्यारे को तीन बार कोशिश करनी पडी हो और दूसरी बात क्या है? क्या आपने नाग देखी है? नाथ जी नाक । बीजू बाबू ने झुककर नाक को देखा । मैंने भी झुककर नजदीक से देखा । नाक के छेदों के इर्द गिर्द कुछ छोटे छोटे चिन्ह है जैसे सर्दियों में त्वचा फटने से हो जाते हैं । विधु बाबू ने कहा, शायद उन्हें सर्दी जुकाम हुआ हो । उस स्थिति में बार बार नाग पहुंचने पर कुछ चेंज हो जाते हैं । पर इस से इस केस का क्या मतलब निकलता है? भाई, यहाँ तो बताओ । उन्होंने मजाक के लहजे में कहा, कुछ नहीं कुछ नहीं । चलिए हम लोग बगल के कमरे में चलते हैं । शायद वह कराली बाबू का काम करने का कमरा था, जिसमें में अधिकांश समय बिताते थे । कमरे में मेज, कुर्सियां, टाइपराइटर और बुक्स थे । बीजू बाबू ने मेज पर लगे लॉकर की और इशारा करके बताया उनकी सभी वासी रहते । यहीं से मिली है ब्योमकेश कमाने का । फिर से मुआयना किया नौकर में और कोई कागज नहीं मिला । कमरे की दूसरी ओर छोटा सा टॉयलेट था । ब्योमकेश ने झांकर देखा और वापस आते हुए बोला, और कुछ देखना नहीं है । चलिए हम लोग सुकुमार बाबू के कमरे में चलते हैं । वही ना ऍफ दार है । अरे यहाँ क्या में एक बार उस को देख सकता हूँ । बीजू बाबू ने जेब से एक लिफाफा निकालकर उसमें से सोई को निकाल कर दो उंगलियों में पकडकर दिखाया । वहाँ साधारण सोई से बडी थी जैसे कि मोटे धागे की सिलाई में इस्तेमाल होती है । सूरी के छेद में दाग अटका हुआ था । ब्योमकेश ने बडी बडी आंखों से उसे देखा और धीरे से बोला, आश्चर्य! बडा आश्चर्य है कि आज चलते हैं । यह धागा देख नहीं रहे । यह काला देश में धागा हाँ, वो तो मैं देख रहा हूँ । पर इस वर्ष के लिए यह तो बताइए कि इसमें आश्चर्य किया है । सुई में धागा है । ब्योमकेश ने एक नजर विदु बाबू के चेहरे पर डाल कर स्वयं भी अपना मजाक बनाने लगा । वो वाकई अब इसमें क्या आश्चर्य? सुई में धागा नहीं होगा तो क्या होगा? सोयेगा और काम भी किया है । उसने सोई को लिफाफे में रखते हुए कहा और विधु बाबू को लिफाफे लौटा दिया । चलिए अब सु कुमार बाबू के कमरे में चलते हैं । गलियारे में दाई तरफ कोने का कमरा सुकुमार बाबू का था । दरवाजा बंद था । विदु बाबू ने खटकटाया बगैर धक्का देगा खोल दिया । सुकुमार मेज पर को नहीं रख कर बैठा था और हाथों में सिर को पकडे हुए था । हमारे प्रवेश करते ही वहाँ उड गया । एक और पलंग था । दूसरी ओर मेज, कुर्सी और बुक्स था । ऊंचे डेस्क दीवार से लगे हुए थे । मेरे अनुमान में सु कुमार की उम्र चौबीस पच्चीस के लगभग रही होगी । देखने में आकर्षक शरीर गठा हुआ लेकिन घर में भयानक दुर्घटना के प्रभाव ने पूरे शरीर को पीला करके त्वचा को सुखा दिया था । आंखों के नीचे सियाह गोले उभर आए थे । हम तीनों को अंदर आते देखकर उसकी आंखों में भर तैरने लगा । विधु बाबू ने कहा, सुकुमार बाबू, ये ब्योमकेश बक्शी है । ये आप से बात करना चाहेंगे ।

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ब्योमकेश बक्शी की रहस्यमयी कहानियाँ writer: सारदेंदु बंद्योपाध्याय Voiceover Artist : Harish Darshan Sharma Script Writer : Sardendu Bandopadhyay
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