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थॉमस हार्डी की लोकप्रिय कहानियाँ - Part 14 in Hindi

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थॉमस हार्डी (2 जून 1840 -- 11 जनवरी 1928) प्रकृतिवादी आंदोलन के अंग्रेजी उपन्यासकार और कवि थे।अपने जीवनकाल में वह अपने उपन्यासों के लिए अधिक प्रसिद्ध थे जबकि उन्होंने स्वंय को मुख्य रूप से कवि माना है। writer: थॉमस हार्डी, सुमन वाजपेयी Voiceover Artist : Shreekant Sinha Author : Thomas Hardy
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ये रोशनी की तरह सच है । क्रिस्टोफर पिंक नहीं सहमति जताई । मैं बस यहाँ से गुजरात रहा था । उसकी योजना का पहला कदम था बाहर के दरवाजे को बंद कर देना ताकि कोई आना सके । फिर अंकल की छोटी वक्त हारें बलूत की । मैं इसको आपके सामने रख कर काम में छूट गए । फिर वो अपने अंकल के शव के पास कहीं जो वैसे ही कृत कुर्सी पर बैठे हुए थे । ठंडी पर एक पाटीदार आरामकुर्सी जो काफी ऊंची थी तो मुझे बताया गया था और कुर्सी, अंकल और सब चीजों को सरकाते हुए तो वेज के पास नहीं खिडकी की ओर पीठ करके उन्हें वहाँ शक्तियां ताकि ये लगे कि वो उस मलोत की मेज पर चुके हुए हैं जो की बच्चे की तरह और साथ ही मेरे अपने घर में किसी फर्नीचर की तरह है जिसके बारे में मुझे पता था । मैं इस पर उसने उनके लिए बडी पाइप खोलकर रखती है और पृष्ठ पर उनकी उंगली टिकट थी । फिर उसने उनकी पाल के थोडी सी खोलती हूँ फिर उन पर चस्पा लगा दिया ताकि पीछे से पूरी दुनिया को ये लगे कि बाइबिल पढ रहे हैं । फिर उसने दरवाजा खोल दिया और बैठ गए और जब अंधेरा हो गया तो मोमबत्ती चलाती तथा अंकल के किताब के पास में रख दिया । आप लोग अनुमान लगा सकते हैं कि जब तक एजेंट नहीं आया उसका समय कैसे बीता होगा और कैसे जब दरवाजे पर उसके खटखटाने की आवाज आई तो उसके जैसे रोंगटे खडे हो गए । कम से कम कुछ यही बताया गया था निफ्टी तुरंत दरवाजे की ओर बाकि मैं । मैं माफी चाहते हो सर । अपनी सांसों को संभालते हुए वो बोली आज रात मेरे अंकल की तबीयत कुछ ठीक नहीं है और मुझे लगता है कि वो आप से मिल नहीं पाएंगे । ये तो कोई कहानी लग रही है यानी कि मैं निरर्थक ही रखती । वो छोटे से काम के लिए इतनी दूर चल कर आया हूँ तो नहीं सर ऐसा नहीं है । उसे लगता है कि नए दस्तावेजों को देने का काम फिर भी हो सकता है नहीं, बिल्कुल नहीं । उन्हें नवीनीकरण कराने का पैसा देना होगा और मेरी उपस् थिति में चर्मपत्र पर हस्ताक्षर करने होंगे । वो संदेहास्पद लग रही थी । अंकल कानून के मामलों को लेकर बहुत घबराए हुए । जैसा की आप जानते हैं वो टालते रहे और वर्षों से टालते आ रहे हैं और आज सब कुछ । मुझे इस बात का डर है कि कहीं उनके दिमाग से वास्तव में निकल ही नहीं हूँ । जब मैंने उनसे कहा कि आप चर्मपत्र की लिखाई के लिए चलते हैं, यहाँ आने वाले हैं तो उनके कमजोर तीन दांत हिलने लगीं । उन्हें हमेशा सही एजेंटों से डर लगता था । वे लोग गिनाया लेने आते थे और वैसे ही किस्म के लोग निशारा । पूरा व्यक्ति मुझे खेद है उनके लिए लेकिन काम तब तक नहीं हो सकता जब तक कि मैं उन्हें देखना लू और उनके हस्ताक्षर न करवाना हो । छह । मान लीजिए आपने हस्ताक्षर करते हुए देखते हैं और वो आपको उनकी ओर ना देखते हुए ना देखें । मैं उन्हें ये कहकर शांत कर होंगे कि आप साक्ष्यों के तरीके से बारे में बहुत ज्यादा कठोर नहीं है और अंदर नहीं आना चाहते हैं । इसलिए आपकी जितनी उपस्थिति अनिवार्य है उसमें काम हो जाएगा । क्या ऐसा हो सकता है क्योंकि वो इतने बूढे वक्त आपके व्यक्ति हैं । इसलिए अगर आप ऐसा कर देते हैं तो ये आपका बहुत बडा उपकार होगा । निःसंदेह मेरे नाम मात्र की उपस्थिति से कम हो जाएगा । इसी के लिए मैं यहाँ हूँ लेकिन पीला उनको वो मुझे देखें मैं कैसे साक्षी हो सकता हूँ । तो ऐसे सर अगर आप मुझे यहाँ जाने की इजाजत देकर अनुग्रहित करें । वो उन्हें कुछ कस्तूर बाई तरफ ले कहीं और वे बैठक के खिडकी के पास पहुंच गए । खिडकी के पर्दे को जानबूझकर खुला छोड दिया गया था । मोमबत्ती की रोशनी बाहर पहुँचे की झाडियों तक पहुंच रही थी । उसी से एजेंट को कमरे का दूसरा सिरा दिखाई दे रहा था । साथ ही पूरे व्यक्ति की पीठ ऍम तथा उसके कंधे बताओ जिसके सामने किताब और एक मोमबत्ती रखी हुई थी । उसका चश्मा उसके नाक पर था जैसा कि उसने वहाँ दिखाया था । जैसा कि आप देख रहे हैं, सर तो अपनी बाइबिल पढ रहे हैं । उसने बहुत ही डाॅ का । हाँ मुझे लगता था कि धर्म के मामले में ये बहुत ही लापरवाह इंसान है । इन्हें अपनी बाइबिल बहुत पसंद था । निफ्टी ने उन्हें आश्वस्त किया मुझे लगता है शिक्षण वो उसके ऊपर झपकी ले रहे हैं । जब की पूरे और अस्वस्थ व्यक्ति के लिए आम बात है । अब आप यहीं खडे होकर उन्हें हस्ताक्षर करते हुए देखें क्योंकि वो बहुत ही हो चुके हैं । ठीक है ना सब ठीक है । ऍफ चलाते हुए कहा निसंदेह प्रवेशांक क्या के लिए जो थोडा पैसा देना है उसकी तुमने व्यवस्था कर ली होगी? हाँ, मैं निकाल कर लाती हूँ । उसने रकम निकाली, उसे कागज मिला, बेटा और उसे पकडा दिया और जब उसने उन्हें लिया तो कर्मचारी ने अपनी कोर्ट की ऊपर की जेब से बहुमूल्य चर्मपत्र निकले और उनमें से एक उसे हस्ताक्षर करवाने के लिए दे दिया । अंकल के हाथ में थोडा लकवा मारा हुआ है । सर और चुकी वो अभी उन से हैं । इसलिए मुझे नहीं पता कि वह किस तरह के हस्ताक्षर कर पाएंगे । इससे कोई फर्क नहीं पडता । बस हस्ताक्षर होने से मतलब है हो सकता है पूछे उनका हाथ पकडना पडेगा । उनका हाथ पकडता हूँ, वही ठीक रहेगा । नीति नहीं । घर में दोबारा प्रवेश क्या ॅ खिडकी के बाहर खडा सिगरेट पीता रहा । हमने टीके अपने का सबसे नाजुक हिस्सा आया । कर्मचारी ने उसे अपने अंकल के आगे कलमदान रखते हुए और उसकी को ही छूटे हुए देखा । मानव वो उसे छकाना तो उससे बात करना चाहती हैं और दस्तावेज फैलाते हैं । जब उसने उन्हें ये दिखाने के लिए इशारा किया कि कहाँ हस्ताक्षर करने हैं, तब उसने खुद पेन को सियाही में डुबोया और उनके हाथ में पकडा गया । उसका हाथ पकडने के लिए वह बहुत कुशलता से उनके पीछे आकर खडी हो गई ताकि एॅफ थोडासा उनका सिर्फ और उनके द्वारा पकडे हाथ हूँ देख सके । पर उसने वृद्ध को दस्तावेज पर अब का नाम लिखते देखा । जैसे ही वो कम हो गया वह चर्मपत्र लेकर कर्मचारी के पास आई और बैठक की । खिडकी से आने वाली रोशनी में उसने साक्षी के रूप में उस पर हस्ताक्षर कर दी है । फिर उसे जमींदार द्वारा हस्ताक्षर किए हुए कागज उसे पकडा थी और चला गया । अगली सुबह ऍम अपने पडोसियों को बताया की रात को सोते सोते बिस्तर पर उसके अंकल की मौत हो गई । उसने अवश्य उन्हें कपडे बदलकर वहाँ लिटा दिया होगा । उसने अवश्य किया होगा तो उस लडकी में बहुत हिम्मत है । बहरहाल लंबी कहानी को अगर संक्षिप्त कर दिया जाए तो इस तरह से उसने अपना घर और फिर वापस पाया तो वास्तव में उसके हाथ से चला गया था और उन्हें पाकर उसे अपना पति भी मिल गया । जब वृद्ध जमींदार की मृत्यु हो गई तो उसके बेटे ने संपत्ति संभाली । फॅमिली ने जो किया था उसके बारे में बातें होने लगीं क्योंकि उसने इस बारे में अपनी एक तो मित्रों को बताया था पर लेटी एक युवा संदर्भ होती थी और उस समय जमींदार का बेटा भी काफी सुंदर युवक था और अपने पिता की तुलना में खुले विचारों का नहीं और उसे थोडी बहुत संपत्ति रखने पर कोई आपत्ति नहीं थी । उसने उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं । अब बोलने के दौरान एक शोर उत्पन्न हो गया था और जल्दी ही वैन एक पहाडी से नीचे उतरने लगीं जो एक लंबे पहले हुए गांव की ओर ले जाती थी । जब घर नजर आने लगे तो एक एक करके यात्रियों को उनके घर के आगे उतारा जाने लगा । सराय पहुंचकर वापस लौटे, प्रवासी नहीं, एक पलंग लिया और हल्का भोजन करने के बाद उस घटना से अवगत था । हालांकि उगते चांद की रोशनी से भरे होने के कारण कोई भी वस्तु अपने इस वास्तविक प्रस्तुति में आकर्षण मुक्त नहीं थी जो कभी उसकी कल्पना के क्षेत्र में अपनी छवियों के साथ रहती थी । जब कोई दो हजार मील उनसे दूर था जैसा की एक पूर्णतया विदेशी अजनबी की आंखों के द्वारा देखा गया था कि पुराने देश के एक पुराने कहाँ से चुडा खास आकर्षण इस मामले में बचपन की यादों से बडी बडी उम्मीदों द्वारा कम हो गया था । वो कभी चिमनी तो कभी पुराने दीवार को देखता हुआ तब तक चलता रहा जब तक चर्च के आहाते मैं नहीं गया जिसमें उसने प्रवेश दिया । कब्र के सिर की तरफ लगे पत्थर की पत्ती जो चंद द्वारा और सफेद हो गई थी पर जो लिखा था तो अब आसानी से नजर आ रहा था । उस समय पहली बार लेकलैंड को महसूस हुआ कि वह भी इस गांव का हिस्सा है जिससे वो पैंतीस वर्ष पहले छोडकर गया था । यहाँ से लेट्स डॉॅ और कॉलेज के अलावा प्राइवेट स्पाॅट और अन्य भी थे जिनके बारे में उसने हाल ही में सुना था । वेनाम दो उसे उनकी अपेक्षा कहीं ज्यादा अच्छे से याद हैं । एक्सॅन परिवारों के संसद, हिम प्रतिनिधि या उनमें से कुछ अभी बीच जीवित थे पर उसके लिए बॅाबी ही थे । यहाँ आसानी से मिलने वाली चलो और प्रताप को देखने के अतिरिक्त उस ने सोचा कि इस अस्तर पर वापस लौटने पर उसके ऊपर आरंभ से स्वयं को पुनर्स्थापित करना आवश्यक होगा । विषेशकर जबकि वो इस जंगल को नहीं जानता था और जगह भी उसे पहचानती नहीं थी । समय ने उसके आनंद का इंतजार करने की कृपा नहीं की थी । नहीं स्थानीय जीवन ने उसका स्वागत करने की ऍफ के आगमन के बाद उन की आकृति कुछ दिनों तक सराये गांव की सडकों व खेतों और ऊपर लौंग पटल के क्षेत्रों में दिखाई थी और फिर भूत की तरह वो चुपचाप गायब हो गए । उन्होंने कुछ गांव वालों को बताया था कि इस जगह को देखने और उसके निवासियों से बातचीत करने के पास उनके आने का प्रत्यक्ष उद्देश्य पूरा हो गया है । पर उनका अप्रत्यक्ष उद्देश्य उनके बीच अपने जीवन के आखिरी दिनों को बिताना शायद कभी भी पूरा नहीं हो पाएगा । उनके आने के बाद से लगभग बारह या पंद्रह वर्ष गुजर चुके हैं और उनका चेहरा फिर दोबारा किसी ने नहीं देखा । लोक नृत्य के बेला पादक अगर प्रदर्शनियों विश्व में लूँ और ऐसे ही अन्य चीजों की बात करते हैं तो आज कल मैं उनमें से बहुत सारे को देखने के लिए इधर उधर नहीं जाता हूँ । वृद्ध संसद ने कहा, एकमात्र प्रदर्शनी जिसने की या जो कभी मेरी कल्पना को प्रभावित कर सकती है, वो थी इन सबकी चैनक क्रम में सबसे पहली और पुराने जमाने के बाद लंदन के हाइड पार्क में सन् अठारह सौ इक्यावन में हुई ग्रेट एक्सिबिशन आज की नहीं पर ही उस नएपन की भावना को नहीं समझ सकते हैं जो उसने हमारी युवावस्था में हम में उत्पन्न की थी । अब तक और अवसर को सम्मान में संज्ञा सोचा उसके लिए विशेषण बन चुका है । वो प्रदर्शनी, टोपी, प्रदर्शनी, हजार चिंता, घडी, प्रदर्शनी, मौसम प्रदर्शनी, उल्लास चाहने वाले शिशु बीबियां समय के लिए भी थी । साउथ में सेक्स के लिए वो वर्ष कई तरीकों से एक असाधारण कालानुक्रम, इत सिमान या संक्रमण पंक्ति पर जिसमें बहुत घाटा, जिसे समय में खडी चट्टान भी कहा जा सकता है । जैसे की भौगोलिक गलती में हमने स्वयं को प्राचीन वहाँ आधुनिक को अचानक मिलाकर प्रस्तुत कर दिया हो । ऐसा जो कभी भी देश के इस हिस्से में जीत हासिल करने के बाद किसी भी वर्ष में शायद हुआ हूँ । इन सब लोक उन्होंने हमें विभिन्न भत्र और सरल मान्य व्यक्तियों के बारे में बात करने को अग्रसर कर दिया, जो उस समय हमारे सीमित शांतिपूर्ण क्षितिज मिला है और उसी के अनुसार चले तथा तीन लोगों के बारे में, खासकर जिनके विचित्र थोडे से इतिहास नहीं के लिए बिंदुओं को प्रदर्शनी के द्वारा छुआ गया था, जिनके दिलचस्पी उनसे कहीं ज्यादा थी, जो दुनिया की उन बहीर भर्ती जगहों में रहते थे । स्टील, फॅमिली तीनों में से श्रेष्टता सबसे पहले वॉट ओला मोर आए थे । अगर वही उनका वास्तविक नाम था, जिन्हें हमारी पार्टी के वरिष्ठ लोग अच्छे से जानते थे । वे कहते थे कि और थे उन्हें पसंद करती थी । सर्वोच्च रूप से बाहरी रूप से थोडा हूँ । पुरुष उन्हें ज्यादा पसंद नहीं करते थे । शायद कई बार तो उनके प्रति विकास शक हो जाते थे । एक संगीत का फैला और कंपनी के आदमी सैद्धांतिक रूप से एक पशुचिकित्सक वो कहीं से आकर जिसके बारे में कोई नहीं जानता था कहाँ से कुछ समय के लिए ऍम में रुकी । हालांकि कुछ लोगों का कहना था कि इस क्षेत्र में उनका सर्वप्रथम आगमन ग्रीन हिल फेयर में एक कार्यक्रम में बेला वादक के रूप में हुआ था । उनके संपन्न आवासी उनकी भोली भाली कुमारी लडकियों पर अपना प्रभाव जमाने के कारण उनसे एशिया करते थे । ऐसा प्रभाव जिसे देखकर कई बार प्रतीत होता था कि उनमें कुछ अजीब और जादूगर ई का पुट हैं । व्यक्तिगत रूप से वह कुरूद नहीं थे । जब तक फ्री अंग्रेज कम लगते थे, उनका वर्ण कहना चाहते हो नहीं था । उनके बदबूदार और चिपचिपी से बाल थे और उन पर छुपाकर लेप लगाने की वजह से और चुप चुप हो जाते नहीं । उन्होंने जब पहली बार एक पार्टी में आए तो उनमें से दिए के तेल में भी के बॉयल लव दक्षिणी जंगल की कंधा आने लगी । कभी कभी वह बालों के छलने बना लेते । एक दोहरी बनती है जो लगभग उनके सिर से गाडी आ रही होती है, पर चुकी वे कई बात नहीं होते थे । तो ये निष्कर्ष निकाला गया कि वे उसके स्वाभाविक बाल नहीं है । उन लडकियों के द्वारा जिनका प्यार उसके प्रति घृणा में बदल गया था, उन्होंने उसे उसके पालों की प्रचुरता के कारण उपनाम दिया । कुछ अच्छा माँ जो इतने लम्बे थे कि उसके कंधों तक आते थे और समय के बीतने के साथ वो नाम से आता और ज्यादा प्रचलित हो गया । उसके बेला भारत का संबंध उसके उस आकर्षण से जाता था जिसका वो प्रयोग करना था क्योंकि अगर स्पष्ट रूप से कहा जाए तो उसकी एक बहुत ही खास और व्यक्तिगत विशेषता थी । जैसा कि दिल को छू लेने वाले किसी उपदेशक में होती है । उसमें असंख्य ऐसे थे जो इस बात पर दृढ थी कि व्यवस्थित उपयोग के लिए आलस और विमुक्त था । सब मुंह और दूसरे पे कि नहीं नहीं की कॅरियर के बीच में यही नहीं थे । बेला बजाते हुए वो आंख बंद कर लेता, किसी तरह के स्वच्छ इन लोगों का प्रयोग नहीं करना और ऐसे ही वायरल इनको अपनी इच्छा पर सबसे दुःख पूर्ण मारकों पर खून नहीं था, जिन्हें पहले कभी देहातियों ने सुना तक नहीं था । जिन विनय पूर्ण अभिव्यक्तियों को वो उत्पन्न करता था उसमें एक भाषाई भाव होता था, जो एक फाटक के खंभे के हिरदय से भी करार निकाल सकते थे । वह पल्ली के किसी भी बच्चे की जो संगीत के प्रति संवेदनशील था, उनकी आंखों में वह मात्र पुराने नृत्य की धूम को वाइलेंट पर बजाकर आंसू निकाल सकता था । उसने पिछले साडी की लगभग सभी धुनों को बजाया, ऍम के विकृत कुछ अच्छे । अब नए होटल मृत्यु में एक ना महीन छाया मासों की तरह उभरते हैं । उन्होंने केवल उत्सव क्या ऐसे पुराने जमाने और नए वह पुराने के बीच के लोगों द्वारा पहचाना जाता है जो अपने आरंभिक जीवन वार्ड ओला मोर जैसे पुरुषों के बीच रहे थे । उसकी तारीख पुराने मिले स्टॉप ऍसे थोडे बात में थी जिसमें डीयू सम्मिलित था । सम्पूर्णता को अपने ईमानदार प्यार में उन्होंने नए व्यक्ति की शैली की उपेक्षा करते थियों फिल्मस डीयू फेरी वाले का छोटा भाई रियूबेन कहाँ करता था कि उसमें बिल्कुल भी गहराई नहीं है । ना अभिव्यक्ति और ना ही ठोसपन नहीं था । वह सारा काल्पनिक था और शायद ये सच था । वैसे भी मोदी ने कभी भी चर्च का कोई स्वच्छंद प्रकट नहीं किया था । अपने जन्म के समय से संगीत वो कभी भी मिल स्टॉक चर्च कि गैलरी में कहीं बैठा था जहाँ सुन के बाद दूसरों नहीं श्रद्धया भजन कान कितने बजाये थी । कभी भी उसने सारी संभावनाओं से चर्च में प्रवेश नहीं किया था । उसके संग्रह में सारी महापापी धोनी थीं । वो अपने चरम समय में अब और बोल्ड हंड्रेड नहीं बचा सकता था जितनी की वो ब्रेशन सर्पेंट बना सकता था । फेरीवाला कहा था ब्लॅक स्टॉक में एक बात तय हुआ करता था जिसे बजाना बहुत ही कठिन था कभी कभी माॅस्को व्यक्तियों के अंतकरण पर और वह तो दिल को छू लेने वाला प्रभाव उत्पन्न कर देता था । विषेशकर सो कुमार और प्रति संवेदी संस्थाओं की युवा महिलाओं पर ऐसी एक थी का ऑफलाइन ऍम । हालांकि उस से मिलने से पहले ही उसकी सगाई हो चुकी थी । फिर भी सब में काट लाइन आप ओला मोर की हफ्ते छुडाने वाली धुनों से प्रभावित थी । आपने कस्ट बल्कि सुखद और परम क्षति तक वो एक प्यारी सहम, सहम कर बोलने वाली लडकी थी जिसकी अन्य लडकियों के साथ होने पर जब जब चिडचिडे हो जाने की प्रवृति थी उस समय वह मेल स्टॉप पल्ली में निवासी नहीं थी, जहाँ मौत कहता था । बल्कि नदी के पार कुछ मिल दूरी पर स्टील फोर्ड में रहती थी । उसका कैसे करता था उससे और उसके बाद उन से परिचय हुआ । ये वास्तव में किसी को नहीं पता पर का स्थान गई थी कि वो या तो एक मौसम की शाम शुरू या विकसित हुआ था जब लोअर मिलने स्टॉक से गुजरते हुए वह थोडी देर विश्राम करने के संयोग वर्ष उसके घर के पास बने पुल पर रुकी । ऑॅयल सी उसके मुंडेर का सारा ले लिया मौत अपने दरवाजे पर खडा था । जैसे उसकी आदत थी वहाँ से घुस जाते हुए लोगों के फायदे के लिए आपने वायलेंट के ई तारों से अर्थ और अंश अर्द्धस्वतंत्र कंपनों के सूक्ष्म धागों को काट रहा था और उसके चारों ओर खडे बच्चों के गालों से बहते आंसुओं को देख ऍफ का ऑनलाइन मेहराबों के अंदर नदी की लहरों में डूबे होने का दिखावा कर रही थी । पर वास्तव में वह सुन रही थी । वो जानता था उस समय उसके दिल केटर अनवरत चलने वाले नृत्य कि भूल भुलैया में हवा के पहले की अच्छी इच्छा के साथ खत्म हो गया था । अपने संबोधन से बाहर आने के लिए उसने वहाँ से जाने का निश्चय किया । हालांकि उसे इसके लिए उसके सामने से ही हो सकता था । वादक पर छुपकर नजर डालते हुए उसे ये देखकर राहत महसूस हुई की उसकी आंखें वाद्य संगीत शास्त्र के एकाकीपन में पंद्रह थी और वो तेजी से आगे बढीं । बच्चों को उसके करीब पहुंची तो उसके कदम सुस्त पड गए उसके ऍम के साथ और ज्यादा अपने आप से आते थे, रखने लगे और फॅसने लगे । जब वो एक काम उसकी विपरीत दिशा में थी । उस पर एक और नजर डालते हुए उसने देखा की उसकी एक आंख खुली है और उसकी मानसिक अवस्था पर जब मुस्कुराया तो मना हूँ, उससे सवाल पूछ नहीं है । उसकी चाल स्वयं तब तक उसको सम्मोहित करने वाले व्यवहार से विलग नहीं कर पाएंगे जब तक कि वह घर से बाहर नहीं निकल आई और ऑफलाइन घंटों तक उस अचीव सम्मोहन से स्वयं को बाहर निकाल नहीं पाई । उस दिन के बाद जब भी आस पास में कोई नृत्य होता जिसका उसे निमंत्रण मिल कम और वहाँ आप ओला मुॅह संगीतज्ञ की तरह होता काट लाइन उपस् थित होने का उपाय निकाल लेती हैं । हालांकि कई बार ऐसा करने के लिए उसे मीलों पैदल चलना पडता हूँ क्योंकि हूँ स्कूल फोड में उतने आपने कार्यक्रम नहीं करता था जितने की अन्य जगहों पर । उसके ऊपर उसके प्रभाव के अगले प्रमाण काफी विलक्षण थे और उसके बारे में पूरी तरह से बताने के लिए एक तंत्रिका विशेषज्ञ की सतत पडती । जब भी वह अंधेरा होने के पास किसी भी शाम चुपचाप अपने पिता पल्ली क्लब के घर में बैठी होती जो इसके इलफोर्ड गांव की सडक पर स्थित था, जो पांच में पूर्व की ओर लोअर मिल स्टॉप और मोर फोड के बीच उच्च सडक थी या था बिना एक्शन की भी चेतावनी के और उसके पिता बहल और उस युवक जिसके बारे में पहले संकेत दिया गया है जिसने उसको पता लगाने दिए बिना ही उसकी आत्मीयता को बहुत समर्पित भाव से प्रेम जता दिया था, के बीच होने वाली बातचीत के बीच में वह शिवनी में होने वाली अपनी जगह से अचानक उठ जाती । मानो उसे कोई बहुत तेज झटका लगा है और छत की ओर था । हाथ लगाते हुए उछलती और फिर जोर जोर से होने लगती है । आधा घंटा भी नहीं देता है कि वह पहले की तरह शाम हो जाती हूँ । उसके पिता उसके इस तरह दौरा पडने की प्रवृति के बारे में जानते हुए अपनी इस सबसे छोटी बेटे की इस आदत को लेकर अत्यंत चिंतित थे और उन्हें भरा था की ये किसी किस्म की मेरी का दौरान ना हो पर उसकी बहन झूठ लिया को ऐसा नहीं लगता था । जूलिया नहीं इसके कारण का पता लगाने गया था । होने के क्षण भर पहले केवल चिमनी के कोने में लगा असाधारण रूप से संवेदनशील थान ही चिमनी के नीचे आ रही है । राजपथ पर चलते आदमी के कदमों की ताल को पकड सकता था लेकिन उन्हीं कदमों की थाप में जिसका वह इंतजार कर रही थी, ऑनलाइन के अचानक उछलने का कारण नहीं था । पैदल चलने वाला व्यक्ति माओ ओला मोट था जो बात लडकी को अच्छे से पता थी लेकिन वहाँ आने का उसका उद्देश्य उससे मिलना नहीं होता था । वो किसी अन्य औरत से मिलने आता था जिसे वो अपनी एक अभिष्ट कहता था जो दो मिल दूर मोर फोड में रहती थी । एक और केवल एक अवसर पर ये हुआ की ऑनलाइन अपने आपको छुप नहीं रखता है वो तब भी जब केवल उसकी बहन ही बहुत ही वो वो चिल्लाई तो उसके पास जा रहा है और मेरे पास नहीं आ रहा है ।

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थॉमस हार्डी (2 जून 1840 -- 11 जनवरी 1928) प्रकृतिवादी आंदोलन के अंग्रेजी उपन्यासकार और कवि थे।अपने जीवनकाल में वह अपने उपन्यासों के लिए अधिक प्रसिद्ध थे जबकि उन्होंने स्वंय को मुख्य रूप से कवि माना है। writer: थॉमस हार्डी, सुमन वाजपेयी Voiceover Artist : Shreekant Sinha Author : Thomas Hardy
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