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जगह रेलवे स्टेशन सौराष्ट्र में दिल्ली प्लेटफॉर्म पर खडी थी । प्लेटफॉर्म पर काफी भीड थे । कोई ट्रेन का इंतजार कर रहा था तो कोई ट्रेन से दिल्ली आया हुआ था । चाहे वाले और नाश्ता बेचने वाले जोर जोर से चिल्लाकर अपनी चीजें बेच रहे थे । खुली सामान लेकर जा रहे थे । अजय सौराष्ट्र मेल के रिजर्वेशन डिब्बे में खिडकी के पास बैठा बाहर का दृश्य देख रहा था । ट्रेन के हॉर्न की आवाज हवा में गूंजी और ट्रेन अपने गंतव्य की ओर चल पडी । अजय ने अपने बैच से हैड फोन निकाल कर उसे मोबाइल से कनेक्ट किया और गाना सुनने लगा । उसने अपनी आंखे बंद रहता है । वो कुछ पर सोना चाहता था पर ये बस उसकी कॉलेज बनकर ही रह गई । कुछ पल बाद जब उसने आंखें खोली तो वो बुरी तरह चौंक गया । उसके सामने रहना खान थी जो अपना सामान ऊपर के बढते पर रख रही थी । अच्छे गुस्से से उठता हूँ । बोला तो मैं क्या कर रही हूँ ये बाकी खत्म होता । उससे पहले ही ऐसे कसर उपले वक्त से टकरा गया । वो उधर से कर रहा और वापस ॅरियर । तुरंत उसके सर को सहलाने लगी और डाटते हुए बोली बस कभी यानी मत रखो अपना बस छोटी लगाते रहना । मुझे दिक्कत बावले होती हूँ । कितनी पढकर अपना ध्यान रखों पर नहीं आपको तो अपनी मनमानी करनी है । रिया जिस तरह से डांट रही थी ये देख बाकी मुझे जाकर मुस्कुरा रहे थे । अच्छे नहीं ये देख लिया । रिया को ये करने से रोका और उसे सीट पर बैठा दिया और बोला दुनिया क्या कर रही हूँ आपको कंपनी देने । आयु जिग्नेश ही कह रहे थे क्या बरोडा खेले जा रहे हैं तो रास्ते में बोर हो जाएंगे तो मैं आपके साथ कंपनी देने के लिए जाओ तो बस मैं गई अजय तुम हैरान था । वो बोला इस जिग्नेश की तुम मैं और और तो कुछ काम धंधा है की नहीं । मैं हमेशा मेरे पीछे पडी रहती हूँ । मैं कोई हाॅकी थोडे जो आपके पीछे पीछे होंगे वो तो मारो डर के म्यूजियम पर एक आर्टिकल लिखना तो बस उसी के सिलसिले में जा रही हूँ । मुझे पता था कि आप बी सी ट्रेन में होंगे । अच्छी नहीं बनाते हुए कहा कितना झूट बोलती हूँ मुझे पता तो मेरे पीछे क्यों पडे ताकि तो मुझे सना और साहिल की मदद करने के लिए राजी कर सको । अरे वहाँ आपको भविष्यवक्ता भी है तो ये बता दीजिए । आप कब मान रहे? अच्छे नहीं । गुस्से से कहूँ तो ये कभी नहीं होने वाला है । मुझे अपने पाप का भागीदार मत बना और मैं तुमसे बात क्यों कर रहा हूँ? मैं दूसरी ट्रेन से चला जाऊँ पर तुम्हारे साथ कभी यात्रा नहीं करूंगा । अजय उठने लगता ऍसे कहाँ पकडा? खान पकडते ही अजय के अंदर एक सिर्फ हंसी दौड कहीं अधिक समझ नहीं आता था कि हर बार रिया की छोडने पर उसे कुछ अलग सा महसूस क्यों होता है? क्यों उसका दिल जोर से धडकने लगता है? क्यों से ये अच्छा लगता है? दोनों स्थिर हो चुके थे जैसे किसी ने उन्हें स्टेट चुका हूँ और वह स्थिति रह गए । तभी रिया के चेहरे पर लग जा के भाव और उसमें अजय कहाँ छोड दिया और कहा अगर आपको मेरे साथ यात्रा करने में दिक्कत है तो मैं चली जाती हूँ । प्रिया खडी हुई है और अपना सामान बढ से उतारने के लिए हाथ बढाया था कि उसकी आंखों के सामने फिर से अंधेरा छाने लगा दिया । एकदम से डर गई और मान नियमन बोलने लगे कि प्लीज अभी नहीं अभी नहीं और मनी मान बोलने लगी कि प्लीज अभी नहीं अभी नहीं ये लगातार उसके मन में चल रहा था । बोझ को भनक भी नहीं लगने देना चाहती नहीं । उसके सामने सबकुछ धुंधला, धुंधला होने लगा । उसके पैर लडखडाए और वह गिरने ही वाली थी कि अजय से पकड लिया । भोजन की बाहों में थी प्रिया मन ही मन मुस्कुराई और खुद से बोलूँ । हाई तेरह संभालना जिंदगी भर ऐसी संभालो के तो हम बार बार गिरने को तैयार है । वो बेहोश नहीं, अजीब से बर्फ पर बैठाया और बोला हूँ आप ठीक है मुस्कान रिया ने हमें साॅस । अजय ने अपने बैच से पानी की बोतल निकालकर रिया को दी हो । रिया ने थोडा पानी पिया और अजय को फिर से बोतल थमाया दिया के चेहरे पर एक अनजाना सा डर था क्या? क्या होटल पर पानी था? ऍसे अपने हाथों से साफ किया और बोला तो मैं कहीं जाने की जरूरत नहीं है । यहाँ पे बैठों पर एकदम चुप फॅस किए बिना रिया ने यहाँ की मुद्रा में से हिलाया । अच्छे से बर्थ परसो जाने को कहाँ पर रिया मना करने लगे तो अच्छे से डांट कर सुनाया । रिया केवल कहने के लिए इस हुई वो मुआवजे की तरफ करके हुई । उसकी आंखें खुली नहीं । अच्छी अपनी जगह पर आकार बैठो और क्रिया के चेहरे को जैसे छोटा बच्चा चंद को देखता है वैसे ही उसे देखने लगा तो सोच रहा था कि क्यों रिहाना को तकलीफ में देखकर वो रह नहीं पाता हूँ । जब कि वह से आंख नहीं बात ही नहीं क्योंकि वो नहीं होती तो बार बार देखने को जी करता है । जबकि वह सामने आने पर तो वो चाहता है कि वह अभी के अभी मेरी नजरों से दूर चली जाएगी । क्या वह जादूगर है की कोई तैयारी की? उसे देख कर मैं कटपुतली सा बन जाता हूँ । हमारे बीच से क्या रिश्ता है की हम दोनों अलग मंजिल के मुसाफिर होकर भी एक ही रह पर चल रहे हैं । अच्छे रहना का चेहरा नहीं आ रहा था वो सोच रहा था जब चुप रहे थे तो कितनी मासूम लगती है और जैसी मुंह खोला टोटल की भी नानी लगने लगती है । पता नहीं उसका जीवन साथी से कैसे मिलेगा? हाँ बहुत अच्छे की सोच पर हल्के हल्के मुस्कुरा नहीं रिया मध्य रात को अचानक उठ के उसमें अजय जहाँ बैठा था वहाँ अपनी नजर डाली तो सामने के दृश्य को देखकर उठ के बैठ गए । अजय दारू की बोतल को कोल्ड ड्रिंक में डाल रहा था । ट्रेन बेहद तेज गति से अपने गंतव्य की ओर जा रही थी । क्या बोले सब्जी या क्या कर रहा हूँ अच्छा आपने वोटों पर हाथ रखने का इशारा किया और बेहद धीमी आवास में कहा देखो धीरे बोल सब जन चाहिए । रिया ने आसपास नजर को मालूम लोग सोच रहे थे या ने सवालिया नजरों से अगले को घूम रहा हूँ । अजय को ये अच्छा नहीं लगा और उसने मोटर हिलाते हुए कहा, इस तरह गुरुमत अभी गुजरात बॉर्डर शुरू हो जाएगी और आपको पता ही होगा कि गुजरात ट्राई स्टेट है तो बस पीने का बंदोबस्त कर रहा था । प्रिया मन ही मन काश भारत का हर स्टेट ड्राई होता हूँ । रिया ने अजय से कहा, आपको शर्म आनी चाहिए कि आप लडकी के सामने शराब पी रहे हैं । डोंट वरी । मैं आपके सामने नहीं पीने वाला । रेलवे वालों ने हमारे लिए टॉयलेट बनाए हैं तो मैं वहाँ चला जाऊंगा तो पीना ही क्यों? आप कुछ नहीं करेंगे तो आपका हाथ खराब नहीं हो जाएगा । आप अपनी माँ के सामने शराब पीकर जाएंगे । उन्हें कितना बुरा लगेगा? आपकी मुंबई पर क्या बीतेगी इसका अंदाजा है । अच्छा एक काम से रुक गया । वो सोचने लगा अगर माँ को पता चल गया तो उन्हें बहुत बुरा लगेगा और साथ साथ डांट भी पडेगी । पर उस पर शराब पीने की तलब भावी नहीं । दो साल से एक भी रात ऐसी थी कि इसमें शराब को नाम दिया था । उसने दिया से कहा हूँ उसका मुझे इमोशनल ब्लैकमेल मत कीजिए । मुझे शराब के बिना नहीं नहीं आती । ये सच हूँ की जब भी अजय शराब के बिना सोने की कोशिश करता हूँ से राधिका के रोने की आवाज सुनाई देती थी । जिसके बाद वह पूरी शराब गटक लेता हूँ और शराब के नशे में अपनी नींद पूरी करता था । क्या पर एहसास हुआ कि वो भी उसी तरह से गुजर रहा है जिसे इसमें अतीत में दिया था । ऍर अजय के पास बैठ गई । उसने कहा मेरे पास इकाई दिया जिससे आपको शराब भी नहीं पीनी पडेगी और आपकी नींद भी पूरी हो जाएगी । वो कैसा है? मेरे किसी बेहद खास ने मुझसे कहा था कि जब किसी अनजान डर की वजह से तो मैं नींद आएँगी तो तुम जिससे सबसे ज्यादा प्यार करते हो उसकी गोद में सर रखकर सो जाना चाहिए । जैसे बचपन में जब घबरा जाते थे तो माँ की गोद में सर रखकर सो जाते थे तो हमारा डर भी गायब हो जाता था और हमें निंदिया जाती थी । अजय ने हसकर का वोट ऐसे पालतू किसने कहा तुम से ऐसा कुछ भी नहीं होता । ऍम सच में होता है तो बचपन में डरकर माँ की गोद में नहीं तो तब कैसे डर भाग जाता था । अच्छी को ये बात में दम लगा और उसने कहा हाँ बात में दम तो है पर क्या माँ नहीं है पर मैं तो मेरी खुद में सोचो वाॅ और मैं तुमसे प्यार नहीं करता हूँ कि बस नफरत करते हूँ । अच्छे दूसरी तरफ देखते रहेंगे । मैं जानती हूँ तो मुझे सबसे ज्यादा नफरत करते हूँ और नफरत भी । प्यार का ये एक भाग ले तो सोचो मेरी गोद में मुझे कोई दिक्कत नहीं है पर मुझे क्या बकवास लगा रखी है । अजय उठा क्रिया ने रोकने की कोशिश की । पर्व दरवाजे की तरफ चला गया । अच्छे दरवाजे के बाहर के अंधेरे को देखे जा रहा था । ट्रेन हवा से बातें करते हुए तेजी से बढ रही थी । अजय के चेहरे को हवायें तेजी से झूल रही थी । अच्छी के हाथ में दारू थी जिसे उसने कोल्टर की बोतल में भरी हुई थी । आज पहली बार अजय को से पीने का मन नहीं हो रहा था । वो अपनी माँ को मिलने की खुशी के साथ ये डर नहीं देना चाहता हूँ तो कभी अपनी माँ से झूठ नहीं बोलता था और आज तक उसने एक भी ऐसा काम नहीं किया था जिससे उसे अपनी माँ से आंखें मिलने में शर्म महसूस हूँ । पर आज वो वही कृति कर रहा था । उसके हाथ का अपने शुरू हो चुके थे । उस की तरफ बढ रही थी । वो बहुत बडे असमंजस में था । उसने अंधेरे में दूर जलती रोशनी को देखा जो थोडी थोडी समय पर बुझ रही थी और फिर से चल रही थी । माना चलने के लिए संघर्ष कर रही नहीं । वो दृश्य अजय की आंखों से ओझल होने वाला ही था कि वो रोशनी जलती रहेगी तो फिर मुझे नहीं और वो दृश्य ओझल हो गया । अच्छे आंखे बंद की । एक लंबी सांस ली और बोतल को दरवाजे से देखती । वो लौट के वापस अपनी जगह पर आया । उसने देखा रिहाना बैठे बैठे ही आंखे बंद करके सो रही नहीं । अच्छे उसके मासूम से चेहरे को निहारा और एक हल्की सी मुस्कान जी के चेहरे पर आ गई । क्या सच में मैं उस लडकी से नफरत करता हूँ तो इसे देखकर मुझे सुकून क्यों मिलता है? रिया के चेहरे पर उसके बालों कि एक लडका गिर अजय कपिल बोल पडा है । ये मासूम ऍप्स के पास बैठा हूँ । उसने उसकी जुल्फों को उसके कानों के पीछे जाने नहीं हो पता नहीं क्यों कि दिमाग में सोचना बंद कर दिया । अब उस पर कोई जोर नहीं था । बस उसका दिल उसे सारी चीजें करने को मजबूर कर रहा हूँ । उसने अपने पैर बढ पर लेंगे और उसे लंबा कर अपना सब रिया कीबोर्ड में रख दिया है । अररिया का अपने हाथ में लिया तो बहुत सावधानी से कर रहा था की कहीं रिहाना जागना जाए । उसने उसका हाथ पकडा और अपनी आंखे बंद कर ली हूँ । प्रिया ने धीरे से आंखें खोलीं । उसने अजय को नहीं आ रहा है एक हल्की सी मुस्कुराहट के साथ एक चैन की सांस ली और वह फिर से आंखे बंद करके सो गयी हूँ । सौराष्ट्र मेल अहमदाबाद स्टेशन पर सुबह के छह बजे पहुंचे । अहमदाबाद के साथ पैसंजर उतरने लगे और ट्रेन में चाहने वाले पैसेंजर तक का मुक्की कर रहे थे । चाय और नाश्ता बेचने वाले जोर जोर से चाहे चाहे की आवाज लगा रहे थे । कभी खिडकी पर एक चाय वाला चाहे चाहे बोलता हूँ । ये आवाज ने रिया की नींद तोड दी । उसने देखा कि अच्छा पहले से उठ चुका था । रिया ने कल रात के बारे में सोचकर मुस्कुराते हुए अंगडाई उसने आसपास देखा । वहाँ कहीं अच्छा नहीं था । वो थोडी बेचैन हो गयी । वो टी और अजय को ढूँढने लगी । पर अजय कहीं नहीं था । रिया के मन को अजीब से डर नहीं किया । वो ट्रेन के दरवाजे के बाहर आई और स्टेशन पर इधर उधर देखने लगी । पर अच्छा कहीं नहीं देखा । वो जल्दी से अपनी जगह उसकी आंखों में आंसू आ रहे थे । उसने अपना फोन निकाला और अजय को कॉल किया । सामने रिंग बज रही थी पर कोई उठा नहीं रहा था । तभी अजय रिया के सामने आकर अपनी जगह पर बैठ गया । उसके हाथ में चाहिए कि दो प्यालियां थी और दूसरे हाथ में कुछ नाश्ता अच्छी । खुद ही क्रिया ने अपना फोन नीचे रखा । रिया जय को हैरानी से देखे जा रही थी । अजय चाय का प्याला बढाते हुए कहा गाॅव गुस्से से कहा तुम कहाँ चले गए थे? ऍम गया था वो क्या? स्टेशन की चाय बहुत बकवास करती है । यहाँ ट्रेन घंटे रूकते तो बस बाहर से चाहे और कुछ नाश्ता लेने गया था । रिया ने अजय की छाती पर हाथ मारते हुए कहा बता कर नहीं जा सकते थे । ऍफ रिया रिया के चेहरे पर के हावभाव बदल गया । उसे अपने कानों पर भरोसा नहीं हूँ । ऍम उसने जिस तुरंत का तुम्हें भी क्या था क्या तो तुमने अभी क्या कहाँ हूँ यही ॅ उसके बाद कुछ कहा तो मैं क्या कहा आपने कोई नाम लिया था? हाँ तुम्हारा नाम लिया था हरियाणा अरे नहीं आपने कुछ और कहा था तो तुम्हारा नाम रहना है ना । प्रिया ने उदास होती हुई हूँ । हाँ तो फिर फॅमिली अजय के हाथ से चाय का प्याला ले लिया और खुद ही खुद मुस्कुराने लगे । एक ऐसा हो चुका था उसे अजय की मुझे खुद का नाम सुना है । पर आज अनजाने में ही सही पर अजय की दिल्ली ऍम रिया नहीं चाहिए कि एक्सिस लेने के बाद का वैसे नींद अच्छे से आई कि नहीं । अच्छे ये सुनकर नजरे चुराते हुए इधर उधर देखने लगा हूँ । वो ये जवाब नहीं देना चाहता था । पर ये सच भी था की वो एक से बात अच्छी तरह से सोया पर वो हैरान भी था कि उसने रिहाना की बात मानकर को बचकानी हरकत क्योंकि क्या सच में उनके बीच की नफरत इतनी गहरी थी, कॅश हो गया हूँ क्यों कल उसे राधिका की आवाज सुनाई नहीं । इन सवालों से अजय का मन झूझ रहा था । रिया जी के चेहरे की हवाइयां उडती देख मन ही मन मुस्कुरा रही थी । उसने जी की टांग खींचते हुए का लगता है हमारे लिए आपकी नफरत वाकई में मजबूत है हूँ । अजय ने भी चाय का सिर्फ लेते हुए कहा अच्छा हमारे बीच नफरत का तो रिश्ता कायम हुआ है और ये नफरत हर्बल बढती रहेगी । जब तक तुम मोहब्बत का रास्ता छोड नहीं देते लेकिन मुझसे ज्यादा मोहब्बत को कोई और समझ नहीं सकता । तो जिस राह पर चल रही हो वहाँ पर अमरीका भी चले थे । यकीन मानो काटो के अलावा हमें कुछ भी हासिल नहीं तो मैं लगता होगा ना कि वहाँ तुम कितना भलाई का काम कर रही हूँ । दो दिलों को एक कर रही हूँ ये सोच कर सुकून महसूस कर रही होगी । पर जब इस मोहब्बत की सच्चाई तुम्हारे सामने आएगी तो यही सुकून जहर बनकर हमारी हस्ती खेलती जिंदगी को तबाह कर जाएगा । तो एक अच्छी लडकी वो सूजी हुई हूँ । हमारे सामने पूरी जिंदगी पडी है तो अपनी जिंदगी इसमें बर्बाद ना करूँ । मैं नहीं चाहता की अन्य कोई अजय चौहान बने इधर मेरे अंदर ही रहे । यही अच्छा तो उसकी भागीदार ना बनाओ । यकीन मानो ये प्यार स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है से दूर हूँ । रिया ने मुस्कुराते हुए कहा कितना अजीब इत्तेफाक की आप ये नहीं चाहते कि हम आपकी तरह बन जाए और हम चाहते हैं कि हम जिस दर से गुजरे थे वो डर से आप ना उसे अच्छे नहीं । आश्चर्य सीरिया के सामने नहीं । रिया ने आगे कहा हूँ जी हम भी इस राह पर चल चुके । एक वक्त था जब हम मोहब्बत से आप से भी ज्यादा नफरत करते थे । आप तो केवल दो साल से नफरत कर रहे हैं । हमने तो एक दशक नफरत की नहीं पर इस राह पर भी हमें केवल कार्ड ही मिले तो दोनों राहों में अंत में काटे ही मिलने है । तो क्यों ना मोहब्बत की राह पर चलकर काटते जिले तो कर दोनों रह में तो उनका दोनों राहों में अंतिम काटे ही मिलने है । तो क्यों ना मोहब्बत की राह पर चलकर काटे जिले वो मीठा दर्द सही कहीं बात जिंदगी जहर बन जाती है तो बडे बुजुर्ग कहते हैं कि जहर को जहर ही काटता है और जब इसका कारण चाहे तो मेरे को भी जहर अमृत ही लगता है । अच्छे अपनी जगह से गुस्से से उठाओ । बोला मुझे लगा था कि हम अच्छे दोस्त बन सकते थे पर काम नहीं सुधरने वाली । हमारी दोस्ती के बीच मोहब्बत और तुम्हारा घमंड आ गया । अजय जा ही रहा था कि नहीं यानी अजय का हाथ पकडा । अजय ने मोड कर दिया की तरफ देखा या बर्थ पर बैठी थी उसने सर उठाकर अच्छे से काम आपके लिए नसीहत जाते जाते वो भी नहीं चाहिए । ये बहुत नफरत के बीच न बहुत हल्की सी दीवार होती है जो कब टूट जाए पता ही नहीं चलता हूँ । तो बस ये ध्यान रखिएगा कि नफरत करते करते कहीं प्यार न कर बैठे । हमसे अनुभव से बोल रही हूँ कि मोहब्बत का रास्ता अक्सर नफरत से होकर गुजरता है । सुबह स्टाॅक अच्छी ने अपना हाल चल रखते हुए रिया को गुस्से से देखा और रिया भी मुस्कुराते हुए अजय की तरफ देखती रही । जगह अजय का घर बरोडा समय शाम का समय पचपन वर्ष की बूढी औरत अपनी बेटी की तस्वीर के पास दिया चला रही थी । वह महिला अपनी उम्र से भी अधिक बडी लग रही थी । बालों में अधिक आ सकती थी । चेहरे पर समय की मार झुर्रियों के रूप में साफ दिख रही थी । उस की बेटी की तस्वीर पर नजर की हाँ बूढी औरत अजय की माँ ही थी । सोनल देवी ने अपनी जिंदगी में सब कुछ देख लिया था पर उसकी बेटी की मौत हो सही नहीं पा रही थीं । उसका छोटा बेटा भी उससे दूर रह रहा था । वो जानती थी कि अजय किस हालत से गुजर रहा है । पर वो भी इतना टूट चुकी थी कि वह भी नहीं चाहती थी कि अजय उसे इस हालत में देखे । उसकी आंखों से चमक जा चुकी थी । अब बस उसमें आवश्यकता के अलावा कुछ भी नहीं दिखाई देता था । पुरा राधिका की तस्वीर को एक नजर से देखे जा रही थी । वो सोच रही थी राधिका सही मायनों में उसकी बेटी थी । जब पहली बार माँ का हाथ राधिका ने पकडा था वह पुरुष आज भी माँ के हाथों पर महसूस हो रहा था । राधिका ने घर की बडी बेटी होने के सारे फर्ज निभाए थे । अजय माँ को याद ना करे पर राधिका हर दिन अपनी माँ को फोन करती है । माँ को आज भी वो दुनिया था जब राधिका एमबीबीएस की एंट्रेंस पास कर चुकी थी और उसे एमबीबीएस के लिए मायानगरी मुंबई जाना था । पर राधिका ने साफ तौर से मना कर दिया था कि वहाँ को छोडकर कहीं नहीं जाएगी । माँ के बहुत समझाने के बाद वो अपनी पढाई पूरी करने के लिए मुंबई गई । पर जो बेटी अपनी माँ को छोडकर पढाई करने नहीं जाना चाहती थी उसने अपनी पूरी जिंदगी फॅमिली उसने एक बाल के लिए भी अपनी बूढी मां के बारे में नहीं सोचता हूँ । तेरे बिना कैसे जी पाऊंगी । फिर पार्थिव शरीर कैसे देख पाउंगी । काश भगवान ने मुझे अंधी बनाया होता तो वह दहशतनुमा अधिक पार्टी ईश्वर इतना निर्दयी कैसे हो सकता है कि उस पर श्रद्धा रखने वालों को इतना कष्ट था? वो क्यों भूल जाता है कि मनुष्य का हृदय कद में छोटा है तो वो कैसे में बडे आघात सह सकता है । सोनल देवी ने बल्कि जब कहीं उसी के साथ कष्ट की गाल पर जाती नहीं माने । सांसों को घर पर रहने नहीं पूछने तक की जहमत नहीं उठाई । कभी पीछे से ही आप मध्य मम्मी ये आवाज नहीं माँ के सीधे मैं बहुत वक्त से दबी मातृत्व को जगा दिया । कौन सी होगी जो अपने बच्चे की आवाज ना पहचाने । उसने तुरंत मुड कर आवास वाली दिशा में देखा तो रूम के द्वार पर अजय खडा था और कुछ दूरी पर बुरखे में कोई लडकी हाथ में बॉक्स लिए हुए खडे । अपने कलेजे के टुकडे को देखकर माँ असमंजस में बढ गई है कि वह मुस्कुराए हेरोइन दो साल बाद अपने लाल को देखा था । वो तुरंत दौड कर अपने बेटे के पास जाना चाहती थी । पर भावनाओं के वश में उसके कदम बेहद भारी हो गए थे । आंखों से धरदार कर के आंसू बहते जा रहे थे और चेहरे पर इन बडी सी मस्का ये तो वही बात हुई कि दिन के उजाले में हमने सूरज और चांद दोनों देख लिए । वजह के पास आई और उसका चेहरा आपने काटते । हाथों में लेकर उसका पूरा चेहरा झूमने लगी । गाल अलाॅट, आंखें सबकुछ दो साल की ममता वो आज ही लूटा देना चाहती थी । उन्होंने अजय को कसकर गले लगा लिया । ये खाली मिलना साधारण समय से ज्यादा समय तक चला । मानो माँ जी भर के अजय को गाली लगा रही नहीं माने जी को अपनी अकड से आसाद क्या? अजय ने माँ की तरफ देखा । उसकी माँ के आंसू अभी भी बह रहे थे । अजय ना में सिर हिलाकर माकुर होने से मना कर रहा था । अच्छा अपने हाथ से माँ के आंसू पूछे । ये सारा दृश्य देखकर पीछे बुरखे में खडी एरिया भी भावुक हो गए । उसका दिल भी अपनी माँ को गले लगाकर जी भर के रोने को था और वक्त की मांग कुछ ऐसी थी कि वो चाहते हुए भी माँ से नहीं मिल सकती थी ।
Writer
Sound Engineer