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14. Pankaj in Hindi

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AuthorRohit Verma Rimpu
The Five W in Stammering यानी हकलाहट के पाँच "क" यह किताब हकलाहट की समस्या के विषय को समर्पित है । अपनी इस किताब में मैने पाँच "क" , क्या ,क्यों , कब , कहाँ , कैसे यानि हकलाहट की समस्या क्या है । हकलाहट की समस्या क्यों पैदा होती है । हकलाहट की समस्या कब पैदा होती है । हकलाहट की समस्या कहाँ सबसे ज़्यादा यां कहाँ सबसे कम पैदा होती है । हकलाहट की समस्या को कैसे क़ाबू में किया जाए । इन सबका वर्णन करने की कोशिश की है । और इसके साथ हकलाहट के जीवन पर आधारित कुछ लोगों की कहानियाँ हैं। इन कहानियों में से कुछ कहानियाँ काल्पनिक हैं और कुछ सत्य जीवन पर आधारित हैं। और यह सब कहानियाँ हकलाहट के पाँच " क " को ध्यान में रख कर लिखी गई है। और साथ में इनके ज़रिये यह बताने की कोशिश की गई है की हकलाहट की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति के जीवन कौन कौन सी समस्याएँ आती हैं और इस समस्या को कैसे क़ाबू में किया जाए । Voiceover Artist : Ashish Jain Script Writer : Rohit Verma Rimpu
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भारत चौदह है । पंकज तो ये तो बेटा पंकज बेटा की जरूरत हो । पंकज बेटा पंकज की माँ अपने बेटे पंकज को ढूँढने के लिए आवासी लगा रही होती है । वो काफी देर से उसे ढूंढ रही होती है लेकिन वो कहीं नहीं मिलता । आखिरकार थक हारकर अंतिम बार जोर से अपने बेटे पंकज का नाम पुकारती हैं । लेकिन पंकज का फिर भी कोई जवाब नहीं आता । उसके माँ थक हारकर से ढूंढते हुए घर की छत पर बने कमरों में देखती है और पंकज वहाँ पर होता है । पंकज वहां बैठ कर अपने विचार के साथ गायन का अभ्यास कर रहा होता है और कहती है पंकज को गिटार के साथ गाते थे । उसे उस पर बहुत गुस्सा आता है और उसने कहा वो देखो कितनी देर से पंकज पंकज चला रही हूँ और ये लाड प्यार है कि अपना तंबूरा लेकर यहाँ सबसे छिपकर अपना करा भाग रहे हैं । चलो यहाँ से नीचे चले और सुन अगर एक मिनट के अंदर अंदर तो नीचे नहीं आया तो तेरह तंबूरा उठाकर बाहर फेंक दो । इतने में पंकज के पिता जी ये शोर शराबा सुनकर वहाँ जाते हैं और से पूछते हैं क्या है भाई? सुबह सुबह ये तुम दोनों ने कैसा शोर मचाया हुआ है । आखिर बात क्या है कि मुझे भी तो बता दूँ । इससे पहले की पंकज कुछ बोले उनका बोलने लगती है ये देखो यार सात को मैं कितनी देर से बुला रही हूँ और ये मेरी बात का जवाब देने के बजाय यहाँ ऊपर छुपकर बैठा है और अपना ये तंबूरा सा लेकर गला फाड रहा है । जब इससे कुछ पूछो क्या बात करो तो तब तब तो पक करके उसके मुंह से आवास तक यहाँ नहीं निकलती और यहाँ पानी की तरह गाना गा रहा है । मैं तो पहले ही कहती थी ये सब ऐसा बोल कर बहानेबाजी करता है ताकि हम इसे कोई काम करने के लिए ना कहते हैं । आप मानो या ना मानो ये तो इन ये सब ड्रामेबाजी है । बिलकुल ठीक ठाक बोल सकता है । बस हमारे सामने ही ड्रामेबाजी करता है । ये सब सुनने के बाद पंकज वहाँ से सीधा अपने कमरे की और चला जाता है । अपने कमरे में जाकर दरवाजा अंदर से बंद कर लेता है और जोर जोर से रोने लगता है । ये हैं पंकज शर्मा कहानी का मुख्य पात्र पंकज को बचपन से ही हकलाहट की समस्या है । इस वजह से वो हर काम में पीछे रह जाता है । चाहे वो पढाई की बात हो या फिर सामाजिक गतिविधियों का मसला । पंकज किसी भी काम में आगे नहीं आया । कहने को तो वो कॉलेज में पढने जाता है परंतु उसके माता पिता के हिसाब से वो वहाँ उनके पैसे बर्बाद करने ही जाता है । उसके माता पिता यह चाहते थे कि वह किसी ना किसी प्रकार से पढ लिख जाए और अच्छी सी नौकरी कर ले ताकि वह भविष्य में अपनी रोजी रोटी कमा सकें । पर मत इन सबके विपरी पंकज कुछ और ही चाहता था । कोई दुनिया से अपना अलग नाम अपनी अलग पहचान बनाना चाहता था । उस सपनों की अपनी अलग ही दुनिया में रहता था । पंकज अपने भाई बहनों में से सबसे छोटा है । उसका सबसे बडा भाई विदेश अच्छी नौकरी कर रहा है और उसको बडी बहन पंकज के कि कॉलेज में एमबीए की पढाई कर रही है । पंकज के माता पिता उसके भाई बहन के अच्छे मुकाम पर होने का उदाहरण देकर पंकज को सदैव ताना मारते रहते थे । जिस वजह से तो अपने भाई बहनों से नफरत करने लगा था और सादा इस प्रयास में रहता कि वह किसी न किसी तरह उन सबसे ऊंचा मुकाम हासिल कर सके पंकज को गानों का बहुत शौक था । उसकी आवाज भी अच्छी थी तो अपने इस शॉप को अपने मुकाम तक पहुंचने के लिए सीढी के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता था । इसके लिए वह अक्सर अपने घर के सबसे ऊपर बने कमरे में बैठ जाता और गायन का प्रयास करता रहता हूँ । अपनी माँ के ताने सुनकर पंकज अपने घर से निकल पडता है और अपने मोहल्ले में बडे पार्क में बैठ जाता है । वो चुप चाप अपनी सोच में मग्न होता है । तभी वहां उनकी बचपन की दोस्त नींद आ जाती है और से चुपचाप बैठे देखकर सारा माजरा समझ जाती है । पंकज अपना सिर्फ बीच अगर के उदास बैठा होता कि दिनों से करीब आकर कहती है ऍम और फिर से घर से डांट खा कर आया है । युवराज के बैठा है मीना और पंकज दोनों बचपन से एक दूसरे को जानते थे । दोनों बचपन से एक ही स्कूल में पढते थे । मीना पंकज के हकलाहट की समस्या से भलीभांति परिचित थी लेकिन वो कभी भी उसकी समस्या का मजाक में ही बनाती थी । इसके विपरीत जब भी वो कभी अपने दोस्तों, मित्रों को मजाक के कारण उदास होता या जिंदगी से निराश होता तो वो उसका हौसला अफजाई करती है । अपनी माँ के डांट खाने के बाद जब पंकज पार्क में उदास बैठा होता है । कमीना बार बार पंकज से उसकी उदासी का कारण पूछती है परंतु वो कुछ भी नहीं बोलता, उसकी खामोशी में सब पास पता कर लेती है । जिस बात को वह से बताना नहीं चाहता था मीना उसे समझती है और कहती है फॅमिली परिवार में ऐसी छोटी मोटी बातें होती रहती हैं । लेकिन तो इन सब बातों को नजर अंदाज करना होगा क्योंकि तुम मेरे या इस समाज के जैसे बिलकुल नहीं हो तो हम सबसे अलग हो । तुम्हारी मंजिल कुछ और है तो मैं अपनी मंजिल को पाने के लिए हरसंभव प्रयास करना होगा । इसके लिए तो मैं ये सब छोटी छोटी बातों को नजरअंदाज करना ही होगा । वरना वरना तो अपना निर्धारित किया हुआ लक्ष्य कभी नहीं पास हो गए । मुझे बचपन से कविताएं पडने का शौक है । इसमें कभी ये कहने की कोशिश करता है की मुश्किलों से रहित जिंदगी मेरे लिए नहीं है । ये मेरे तूफानी मन को मंजूर नहीं है । मैं तो चाहता हूँ एक ऊंचा मकसद और उस मकसद को पाने के लिए जिंदगी भर कभी न टूटने वाला एक अटूट सिलसिला तो भारत एक मकसद है कि मैं दुनिया का सबसे नामवर गायक बनाओ । मेरी प्रसिद्धि और मेरी ख्याति दुनिया के कोने कोने में हो लेकिन इसके लिए तो मेहनत करनी होगी परन्तु सबसे पहले तो अपने परिवार की ऐसी छोटी छोटी बातों को नजरअंदाज करना ही होगा । मीना और पंकज काफी देर तक बातें करते रहते हैं । पंकज की बातें निराशावादी होती हैं लेकिन इसके विपरीत मीना पंकज से आशावादी बातें करके उसका हौंसला बढाने की कोशिश करती है । कुछ देर यूँ बातें करने के बाद पंकज वहाँ से उठकर अपने घर वापस आ जाता है और अपने कमरे में आ जाता है । वो अपने कमरे में बैठकर मीना की कही बातों के बारे में सोचने लग जाता है । खासकर उसकी सुनाई हुई पंजाबी कविता के बारे में सोचता है । मीना की कही हुई बातों से पंकज में एक नया जोश पैदा हो जाता है और उसे मकसद साफ दिखाई देने पडता है । वो एक नए जोश, नई उमंग के साथ अपने मकसद को पूरा करने का निश्चय कर लेता है । वो अपने आप से ये वादा करता है कि चाहे जो भी हो वो अब हार नहीं मानेगा । पूरी जोश के साथ आगे बढेगा लेकिन उसका जो तब जल्द ही ठंडा पड जाता है जब उसके मां उसे ढूंढते हुए उसके कमरे में आ जाती है और से बेवजह डांटने लग जाती है । पंकज वहाँ से उठकर बाहर चला जाता है और वहाँ जाकर अपनी समस्या के बारे में सोचने लगता है । वो हर हाल में अपनी समस्या से छुटकारा पाना चाहता है क्योंकि वो सोचता है कि अगर उसकी ये हकलाहट की समस्या खत्म हो जाती है तो वो आसानी से अपने मकसद में कामयाब हो सकता है और वह सबसे पहले अपनी समस्या को खत्म करने के मकसद में जुड जाता है । इसके लिए तो अपने पारिवारिक डॉक्टर के साथ संपर्क करता है और उसे अकेले में मिलकर अपनी हकलाहट की समस्या को खत्म करने के बारे में कहता है । डॉक्टर से कहता है, लेकिन पंकज बेटा हकलाना तुम्हारी मुख्य समस्या नहीं है । पाक लाने के बारे में दिन रात सोचकर उसकी चिंता करना ये तो हरी समस्या है । हकलाहट की समस्या को दूर करने के लिए सबसे पहले तो मैं उसकी चिंता करनी छोडनी होगी । मैं तो मैं कुछ दवाइयाँ लिख देता हूँ कि दवाइयों तुम्हारी चिंता को खत्म करने में तुम्हारी सहायता करेगी । पंकज डॉक्टर से दवा लेकर घर आ जाता है । बहुत खुश होता है क्योंकि उसे लगता है कि उसे अपनी हकलाहट की समस्या को खत्म करने के लिए दवा मिल गई थी । इस रखा कर वो अपनी समस्या को सदा के लिए छुटकारा पा लेगा । लेकिन जैसे उसमें दवा को खाया तो दवा खाते ही कुछ देर के बाद उसको सिर्फ घूमने रखता है । वो असहाय होकर अपने बिस्तर में गिर जाता है । अपने पारिवारिक डॉक्टर से मिली दवा खाता है । उस सारा दिन उस दवा के नशे में रहता है । अगले दिन वो उस बारे में डॉक्टर से बात करता है लेकिन डॉक्टर से विश्वास दिलाता है कि वह किसी भी प्रकार की चिंता ना करें और कुछ दिनों में सब ठीक हो जाएगा । डॉक्टर की बात सुनकर पंकज वापस घर आता है और उसकी दी हुई दवा का कोर्स पूरा करने लगता है । पंकज जब भी उसकी दवा खाता तो वह सारा दिन उस दवा के नशे में रहता हूँ । लेकिन वो इस बारे में अपने घर वालों से बात नहीं करता क्योंकि वो इस बारे में कुछ भी बताना नहीं चाहता था क्योंकि उसे लगता था कि अगर कोई इस बारे में अपने घर वालों से बात करेंगे तो उसके घर वाले उसे कोई दवा वगैरह खाने नहीं देंगे जिससे उसकी हकलाहट की समस्या का समाधान कभी नहीं होगा । डॉक्टर की दी हुई दवाई खाकर पंकज सारा दिन नशे में रहने लगता है जिससे उसके बरता उसकी दिनचर्या में काफी हद तक प्रभाव पडता है । पंकज के स्वभाव उसके बडता मैं अचानक आई इस तब्दीली को उसका पिता आप लेते हैं । उन्हें शक की नहीं बल्कि शकील हो जाता है कि पंकज किसी किसी प्रकार का नशा जरूर करता है तो इस बारे में उसकी माँ से बात करते हैं । उसकी माँ को इस बात पर यकीन नहीं आता और वो पंकज के पिता की बातों पर अपनी सहमती जताती हैं । एक दिन पंकज के पिता उसके कमरे में जाते हैं और पंकज को लेटा हुआ देखते हैं । वो उसे उठाते हैं लेकिन वो दवाई के नशे की वजह से उठ नहीं पाता । उसी समय पंकज के पिता उसकी माँ को बुलाते हैं और उन्हें पंकज की हालत के बारे में जानकारी देते हैं । पंकज के पिता कहते हैं, मैं तो तो मैं पहले ही कहता था ये नामुराद किसी न किसी गलत संगत में पड गया है कि तुम ही नहीं मानती थी । खाते मेरे सामने नशा करके बैठा है । पंकज उन सब की तरफ करानी से देखता है और उससे पहले की वो कुछ और बोले वो कहता है पिताजी मैंने किसी प्रकार का कोई नशा नहीं किया है । मैंने तो अपनी हट राहत की समस्या को दूर करने संबंधी दवा का सेवन किया है । इस वजह से मुझे चक्कर आने लगते हैं । अगर मेरी इस बात को आपको यकीन नहीं हो तो डॉक्टर से इस संबंध में पूछताछ कर सकते हैं । पंकज के पिता उसकी बातों पर हैरानी प्रकट करते हैं और से लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं । डॉक्टर के पास जाकर वो उस से पंकज की इस हालत के बारे में पूछते हैं । उनके जवाब में डॉक्टर करता है । पंकज अपनी हकलाहट की समस्या की वजह से डिप्रेशन का शिकार हो गया था । उसको डिप्रेशन से उभारने के लिए ही मैंने इसे एंटीडिप्रेशन की दवाइयाँ दी थी और इसकी ऐसी हालत की वजह वहीं एंट्री डिप्रेशन की दवाइयाँ हैं । पंकज के माता पिता पंकज को लेकर वापस घर आ जाते हैं और उसे डॉक्टर की दी हुई दवाई खाने से मना कर देते हैं । परन्तु पंकज नहीं मानता और वो अपने माता पिता से दवाई खाने की जिद करता है क्योंकि उसका कहना था कि वो दवाई खाकर अपनी हकलाहट की समस्या से निजात पाना चाहता है । पंकज के पिता उसे समझाते हैं और उसको अन्य डॉक्टर के पास ले जाते हैं, उन्हें समझाता है और कहता है के हकलाहट की समस्या से छुटकारा पाने के लिए किसी प्रकार की कोई दवाई नहीं होती और वो उन्हें ऐसी कोई भी दवाई खाने से मना कर देता है । पंकज को अपनी हकलाहट की समस्या से छुटकारा पाने के लिए जो एकमात्र आशा की किरण थी वो अब उस डॉक्टर के कहने के कारण बुझ चुकी थी । अब वो पहले से ज्यादा डिप्रेशन में रहने लगा था । इसका कारण ये था कि जब वो दवाई खाता था तो भले ही वो दवाई की वजह से नशे में रहता था लेकिन उसे अपने ठीक होने की उम्मीद थी और उसी उम्मीद की वजह से ही वो कई प्रकार के सपने बोल चुका था । यानी हर वो हर समय यही सोचता था कि जब वह अपनी समस्या से छुटकारा पा लेगा तो वो अपने सारे सपने पूरे कर लेगा । उस सारी दुनिया में अपना नाम बनाना चाहता था और जो काम अपनी हकलाहट इस समस्या की वजह से कर नहीं पा रहा था वो उसे पूरा करेगा । लेकिन अब उसके सपने टूट चुके थे तो निराश था वो लेकिन वो हार नहीं मान रहा था । उसने अपने मन में एक बात ठान ली थी एक ना एक दिन कुछ बन के दिखाएगा क्योंकि वह गिटार बहुत अच्छा बजा लेता था और थोडा बहुत गांधी लेता था । वो अपने इसी हुनर को आगे बढाना चाहता था । यानी वो अपनी मंजिल को पाने के लिए अपने इस हुनर को सीडी की तरह प्रयोग करना चाहता था और उसकी मंजिल थी समाज में उसकी हट । राहत की समस्या की वजह से होई हुई इज्जत को वापस पाना इसके लिए उस नहीं एक गायक बनने का निश्चय किया । परंतु कहते हैं ना कि किसी भी मंजिल को पाना इतना आसान नहीं होता जितना कि इंसान सोचता है । पंकज के साथ भी ऐसा ही हो रहा था । हुआ यूं एक जन पंकज अपने कमरे में बैठ कर अपने गायन का रियाज कर रहा था कि तभी उसके पिता उसके कमरे में आ जाते हैं और से गाना गाते हुए देख लेते हैं । अपने पिता के अचानक अपने कमरे में आ जाने से कुछ खबर आ जाता है । उसके पिता उसके पास आकर बैठते हैं और से बातें करने लगते हैं । बातों बातों में वो पंकज से उसकी भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछने लगते हैं । पंकज अपने पिता से अपने भविष्य की योजनाओं के बारे में बताने लगता है । उनसे कहता है कि उसे गाने का शौक है और वह अपने इसी शौक को अपने जीवन यापन के साधन के रूप में अपनाना चाहता है तो पंकज की बात सुनकर उसके पिता उस पर हस देते हैं और उसकी बात को नजर अंदाज करके उसके कमरे से बाहर चले जाते हैं । पंकज को अपने पिता के इस वही ऐसे बहुत गुस्सा आता है और वो सारा गुस्सा अगले दिन जिम में जाकर व्यायाम करते हुए निकालता है । एक दिन वो जिम ने अपने दोस्त के बाजू पर छोटा सा टैटू देखता है तो जिज्ञासावश उसके टैटू के बारे में पूछने लगता है । पंकज का दोष उसे अपने टैटू दिखाने के साथ साथ बातों में उसे नीचा दिखाने की कोशिश करता है तो पंकज को कहता है डेट बनाना मर्दों वाला काम है । टोमॅटो को बनाते वक्त बहुत दर्द का सामना करना पडता है क्योंकि सिर्फ एक मर्द ही कर सकता है । पंकज को अपने दोस्त की बातें कुछ अच्छी नहीं लगती । वो टैटू बनाते समय होने वाले दर्द के बारे में सोचने लगता है और साथ ही उस दर्द की तुलना अपने इधर जिसको वह बचपन से अपनी हकलाहट की समस्या की वजह से सहन कर रहा था । उस से करता है । पंकज टैटू से होने वाले दर्द को जानने के लिए अपने शरीर पर भी टैटू बनवाने का निश्चय करता है और टैटू बनवाने के इरादे से वो टेटू बनाने की दुकान में चला जाता है । पंकज की सहनशीलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अपने दाहिने बाजू पर बडा सा टैटू बनवा लेता है यानी उसे टैटू से होने वाली दर्ज का एहसास तक नहीं होता । अगले दिन वो जिम में जाकर व्यायाम कर रहा होता है तो उसी समय उसका दो अपने कुछ साथियों के साथ वहाँ आप पहुंचता है और वह पंकज की बेज्जती करने के इरादे हैं । उसको अपना छोटा सा टैटू दिखाने लगता है । पहले तो पंकज उसकी हरकतों को नजरंदाज कर देता है, परंतु जब उसकी हरकतें हद से ज्यादा बढ जाती हैं तो पंकज उसे नजर अंदाज करके उसकी तरफ देखकर मुस्कुराने लगता है और ये व्यायाम करते हुए उसे टैटू दिखाने के इरादे से अपनी कमीज उतार फेंकता है । पंकज का टेस्ट हो उसके दोस्तों की कल्पना से भी बहुत बडा था । वो सब पंकज टैटू देखकर भौचक्के रह जाते हैं और पंकज जी मनी मन खुश हो रहा होता है क्योंकि उसने अपना मजाक बनाने वालों को बिना कुछ कहे करारा जवाब दे दिया । कुछ ही सालों में पंकज नहीं जिम में कसरत कर के अपना सुडौल शरीर बना लिया था और गायन का प्रयास करते हुए वो गाना भी बहुत अच्छा गा लेता था । लेकिन इस सबके बावजूद वो अपनी गायन की प्रतिभा को सबसे छुपाकर रखता था । वो इस बारे में कम ही बात करता हूँ क्योंकि बहुत साल पहले पंकज ने अपने गायक बनने के बारे में अपने परिवार वालों को बताया तो सब उसका मजाक बनाने लगे थे और यहाँ तक कि उसकी माँ ने उसको डाटते हुए यहाँ तक कह दिया था कि वह गायक बनने का सपना छोड रही और अपनी पढाई पर ध्यान दें । पंकज पर अपनी माँ की डांट का इतना गहरा असर होता है कि वह मकसद के बारे में किसी से ज्यादा बात नहीं करता हूँ और ज्यादातर समय गुमसुम ही रहने लगता हो लेकिन मन ही मन वो अपने मकसद को पूरा करने की योजनाएं बनाता रहता । वो अपनी सपनों में ही रहने रखता है । वो दुनिया जिसमें वो अपनी मर्जी का मालिक होता है और जिसमें वो अपने आप को एक सफल गायक के रूप में देखता है । लेकिन इसके विपरीत वो अपनी असल में अपने आप को एक असफल शख्स के रूप में देखता है । वो शायद जो की जिंदगी में बहुत कुछ कर पाने का जज्बा रखता है परंतु अपने परिवार वालों और अपनी हकलाहट की समस्या के कारण कुछ नहीं कर सकता हूँ । उसकी स्थिति एक ऐसे व्यक्ति की जैसे हो जाती है जो कि एक तेज धावक बनने की तमन्ना रखता है लेकिन एक टांग में पोलियो होने के कारण अपनी तमन्ना को पूरा नहीं कर सकता हूँ । खैर काफी सालों के मेहनत के बाद पंकज की गायन स्पर्धा में काफी सुधार होता है । यानी वो एक अच्छा गायक बन सकता है परन्तु वो अपने शहर को अपने परिवार वालों की बेरुखी के कारण समाज को दिखा नहीं पा रहा था । इस वजह से वो बहुत निराश रहने लगा । एक दिन पंकज अपने घर के सामने वाले पार्क में बैठा अपने सपनों की दुनिया में मग्न था की तभी मीना उसके पास आकर बैठ जाती है । वो पंकज से बातें करने लगती है और उसकी निराशा का कारण पूछती है । बातों बातों में पंकज अपने दिल की हर बात मीना को बता देता है । बिना उसकी मन ही मन बात को समझ लेती है और कहती है इतनी सी बात तो उसने उदास होकर बैठने की क्या बात है । वो कहते हैं ना कि अभी प्रॉब्लम कंटेंस्टेंट ऑफ देर सोलूशन यानी हर समस्या के हल्का बीच उसी समस्या के भीतर छिपा होता है तो हम हमारी समस्या का भी कोई न कोई इलाज जरूर घूम लेंगे । देखो एक बार तो सांस है कि तुम्हें अच्छे गायक हो लेकिन तुम अपने परिवार वालों के डर से अपना सपना पूरा नहीं कर पा रहे हो और दूसरी बार तो अपनी हकलाहट की समस्या के कारण समाज के सामने खुलकर नहीं आ रहे । मेरे पास तुम्हारी समस्या का हल है जिससे तुम्हारा गायक बनने का सपना भी पूरा हो जाएगा और तुम्हारे परिवार वालों को इसके बारे में मालूम भी नहीं चलेगा । और रही समाज की बात तो तुम्हें समाज के सामने भी नहीं आना पडेगा । मीना की बातें सुनकर पंकज जिज्ञासा वर्ष उससे अपनी समस्या के हल के बारे में पूछने लगता है । वो उसे कहता है अगर ऐसा कुछ हो सकता है तो मुझे जल्द से जल्द ये बताओ कि मुझे सबसे पहले क्या करना होगा क्योंकि मैं अपनी इस घुटन भरी जिंदगी से तमना गया हूँ । मैं अपने सपनों को हकीकत में बदलना चाहता हूँ । मैं अपने परिवार और समाज को अपनी काबिलियत साबित करने का मौका दिखाना चाहता हूँ । मीना पंकज की बात को बीच में टोककर कहती है हो इतने भावुक होने की जरूरत नहीं है । मेरे पास एक योजना है जिसके तहत उस सब मुमकिन हो जाएगा जो कुछ तुम चाहते हो । तुम गाना बहुत अच्छा गा लेते हो और हमारी आवाज भी बहुत अच्छी है कि तुम भी जानते हो और मैं भी जानती हूँ । हमेशा करेंगे कि सबसे पहले तो मैं एक अच्छा सा गाना गाओगे जिसकी मैं अपने मोबाइल फोन में वीडियो रिकॉर्डिंग करेंगे और उस वीडियो में तुम्हारे चेहरे को अंधेरे में रखा जाएगा । उस वीडियो मैं इंटरनेट में तोहरे नहीं नाम से डाल दूंगी क्योंकि इस वीडियो में तुम्हारा असली नाम और तुम्हारी असली पहचान को गुप्त रखा जाएगा । जिस वजह से समाज और विषेशकर तो हारे परिवार को तुम्हारे गाने के बारे में कतई पता नहीं चलेगा । मुझे तुम्हारी गायन की काबिलियत पर पूरा भरोसा है और मुझे ये भी विश्वास है कि तुम्हारी ये वीडियो इंटरनेट पर कुछ दिनों में धूम मचाने लगेगी । इस वीडियो के मशहूर हो जाने के बाद हम एक से एक अनेक वीडियो बनाकर इंटरनेट पर डाल देंगे लेकिन तुम्हारी असली पहचान और तुम्हारा चेहरा छुपाकर रहेंगे और वक्त आने पर ही तुम्हारी असली पहचान को दुनिया के सामने लाएंगे । उसके बाद जो होगा देखा जाएगा क्योंकि जब तक तुम्हारा कोई विरोध करेगा तब तक काम काफी लोकप्रिय हो जाओ गए । मीना की बात सुनकर पंकज कुछ असमंजस में पड जाता है तो हैरानी से उसकी और देखता है और कहता है तो जो कह रही हो वो सब सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है लेकिन क्या यह वास्तव में संभव हो पाएगा? यानी के सच में से सब संभव है । मीना उसे कहती है देखो पंकज! इस बात का संभव होना या न होना खुद तुम पर निर्भर करता है । अगर तुम में कुछ कर दिखाने का जुनून वास्तव में है तो ये काम तो क्या कोई भी काम असंभव नहीं है तो ये सब बातें छोडो और जैसा मैं कहती हूँ वैसा करो । पंकज मीना की बात मान जाता है । कुछ दिनों के बाद मीना पंकज के गाने की वीडियो रिकॉर्डिंग करती है और साथ साथ इस बात का खासा ध्यान रखती है कि इस वीडियो रिकॉर्डिंग ने पंकज का चेहरा छुपा रहे पंकज के गाने की वीडियो रिकॉर्डिंग बहुत ही अच्छे ढंग से हो जाती है और मीना पंकज की इस वीडियो को इंटरनेट पर डाल देती है । पंकज को अच्छी आवाज और गायन के रियाज की बदौलत वो वीडियो इंटरनेट पर धूम मचाने लगती है । बिना और पंकज अपनी इस योजना को पूरा होते देख बहुत खुश होते हैं और वो एक के बाद एक कई वीडियो रिकॉर्ड करके इंटरनेट पर डालने लगते हैं । लेकिन उसमें पहले वीडियो के जैसे पंकज का चेहरा नहीं दिखा दें । वो पंकज को वीडियो के कारण पंकज के इंटरनेट पर लाखों के करीब प्रशंसक बन जाते हैं । और क्योंकि वीडियो को इंटरनेट पर डालने के लिए मीना को अपना ईमेल आईडी डालनी पडती है जिस वजह से पंकज के कई प्रशंसकों के संदेश मीना की ईमेल आईडी पर आने लगते हैं । जिसे मीना हर रोज पंकज को पढाती है तो दोनों उस संदेश को पढकर बहुत खुश होते हैं । एक दिन पूर्व कंप्यूटर उन संदेशों को पढ रहे थे और उन्होंने एक संदेश की और गौर किया जिसमें किसी रिकॉर्डिंग कंपनी के बारे में जिक्र था । उसमें लिखा था, मेरा नाम राजेश है और मैं और म्यूजिक कंपनी का मालिक हूँ । मुझे नहीं पता कि आप कौन हैं लेकिन मैं आपकी आवाज और अब के गायन की काबिलियत को देख कर बहुत खुश हूँ । मैं आपके साथ एक गाने की कैसे निकालना चाहता हूँ? अगर आप राजी है तो मेरे मोबाइल पर मुझसे संपर्क करें । मीना और पंकज यह सब पढकर बहुत खुश होते हैं और मीना पंकज को राजेश से मिलने के लिए कहती है । लेकिन पंकज राजेश के पास जाने से इंकार कर देता है क्योंकि उसका कहना था की वो अपनी पहचान किसी के सामने जाहिर नहीं होने देना चाहता हूँ । परन्तु मीना उसे कहती हैं कि हमें एक बार राजेश से मिल लेना चाहिए क्योंकि हो सकता है कि उसके पास कोई न कोई इसका हल जरूर होगा । आखिरकार काफी जद्दोजहद और मीना के बहस बाजी के बाद पंकज मान जाता है । पंकज के मानने के बाद मीना तुरंत राजेश को फोन करती है और पंकज के बारे में बात करती है । राजेश मीना से बात करके बहुत खुश होता है और अगले दिन उनसे मिलने के लिए कहता है । अगले दिन मीना और पंकज दोनों राजेश से मिलने उसके दफ्तर आते हैं । राजेश पंकज से मिलकर बहुत खुश होता है और उसको गायन स्पर्धा की बहुत तारीफ करता है । वो पंकज के साथ एक कैसेट निकालना चाहता है । लेकिन पंकज राजेश की बात पर हामी नहीं भरता और राजेश को हाँ या ना कोई जवाब नहीं देता । राजेश पंकज की ऐसी प्रतिक्रिया पर हैरानी प्रकट करता है और उससे इसका कारण पूछता है । पंकज की कुछ बोलने से पहले मीना राजेश को पंकज की सारी कहानी बता देती है । मीना पंकज की हकलाहट की समस्या के बारे में बताती है । वो ये भी बताती है कि कैसे पंकज को अपनी हकलाहट की समस्या की वजह से समाज और परिवार की अनदेखी झेलनी पडती है । राजेश पंकज की मजबूरी को समझ जाता है परंतु से पंकज की पहचान गुप्त रखने की बात को समझ नहीं पाता हूँ और वो इस बारे में पंकज से पूछता है । पंकज उसे बताता है सर मेरे परिवार वाले विषेशकर मेरी माँ मेरे गाने को अच्छा नहीं समझती । वो कहती है कि मैं अपने भाइयों के जैसा पढ लिखकर कोई अच्छी सी नौकरी कर लूँ और इतना ही नहीं मेरे परिवार वाले मुझे मेरी हकलाहट की समस्या के कारण मुझे सजा नीचा दिखाने की कोशिश करते रहते हैं । वो हर समय मुझे बताते हैं कि मैं अपनी जिंदगी में कुछ नहीं कर सकता हूँ । अगर सीधे शब्दों में कहें तो मैं अपने परिवार की नजरों में एक नालायक, निकम्मा और हरा हुआ इंसान है तो सिर्फ मैं जानता हूँ कि मैं असल में क्या हूँ । मैंने अपनी जिंदगी का एक मकसद रखा है कि मैं समाज में विशेष कर अपने परिवार के बीच इज्जत से रहूँ । इसलिए मैंने ये फैसला किया है कि जब तक मुझे मेरी मंजिल नहीं मिल जाती, मैं अपनी पहचान किसी के सामने जाहिर नहीं होने दूंगा । पंकज की बात सुनकर राजेश से कहता है कि वह पंकज के द्वारा गाय गानों की एक कैसे जरूर निकालेगा लेकिन पंकज की पहचान को पूरी तरह से गुप्त रखा जाएगा । पंकज और मीना राजेश के इस फैसले पर खुश होते हैं और उसके प्रस्ताव को स्वीकार कर लेते हैं क्योंकि जैसा वो चाहते थे ठीक वैसा ही हो रहा था । यानी पंकज की गाये गाने कैसे निकल रही थी और उसकी पहचान भी गुप्त रखी जा रही थी और आखिरकार वो दिन आ गया जब पंकज के गायब हुए गानों की कैसेट पंकज तैयार हो जाती है । बाजार में पंकज की कैसे आते ही धूम मचाने लगती है । वह रातोरात मशहूर हो जाता है परंतु कैसेट में पंकज के बारे में जिक्र ना होने के कारण उसकी पहचान किसी के सामने जाहिर नहीं हो पाती । राजेश पंकज की पहली कैसेट की कामयाबी से बहुत खुश होता है और उसकी एक के बाद एक कई कैसे निकालता है । कुछ ही सालों में पंकज की लगभग पांच कैसेट बाजार में आ जाती है और वह सब एक से बढकर एक होती है । पंकज के भाई घर में पंकज के द्वारा गाय गाने गाते रहते हैं । पंकज के पिता तो उसके गानों के घायल हो जाते हैं परन्तु सबके बावजूद पंकज के असर पहचान समाज और उसके परिवार वालों से छुट्टी होती है । यानी किसी को नहीं पता होता कि लगातार पांच कैसेटों से धूम मचाने वाला असल में कौन है । परंतु लोग अव्वल गायक के बारे में जानना चाहते थे । कई लोग बार बार राजेश की कैसे कंपनी में फोन करके या व्यक्तिगत तौर पर खुद जाकर पंकज के बारे में पूछते हैं परन्तु राजेश किसी को भी इन सब कैसेटों के असली गायक यानी पंकज के बारे में नहीं बताता हूँ । एक दिन समाचार वाली राजेश से संपर्क करते हैं और कहते हैं कि वह पंकज का इंटरव्यू लेना चाहते हैं और वह इंटरव्यू के माध्यम से बंक अज को पूरी दुनिया से रूबरू करवाना चाहते हैं । पहले तो राजेश उनके प्रस्ताव को मना कर देते हैं । लेकिन उनके बार बार दबाव डालने से वो कहता है कि वो इस बारे में एक बार पंकज से पूछ लेगा । राजेश पंकज को फोन करके उस से तुरंत मिलने को कहता है । कुछ समय के बाद पंकज राजेश के दफ्तर में आता है । राजेश उससे समाचार वालों के प्रस्ताव के बारे में बताता है । पंकज राजेश और समाचार वालों के प्रस्ताव को तुरंत खर्च कर देता है और वहाँ से जाने लगता है । राजेश पंकज को रोककर से कहता है, देखो पंकज, मैं तुम्हारी मानसिकता को समझ सकता हूँ । अगर तुम डर किस बात का है । कितनी देर तक तुम अपने परिवार वालों से डर डर कर अपना जीवन बर्बाद करोगे । कामयाबी तुम्हारे सामने चलकर खुदा रही है और तुम मना कर रहे हो । अंकल राजेश की बात को बीच में टोक देता है और वहाँ से उठकर जाने लगता है । कभी राजेश से कहता है ठीक है तुम जाना चाहते हो तो जाओ तो भविष्य में कभी भी इस बात का रोना मत होना । मैं कामयाब नहीं हुआ तो मेरे पास आकार बैठो और ध्यान से मेरी बात सुनो । तुमने जैसा चाहिए वैसा ही हुआ है । लेकिन अब दुनिया के सामने आने का वक्त आ गया है । हमारे सामने उन समाचार वालों को इंटरव्यू देने का सुनहरा मौका है जिसके माध्यम से तुम दुनिया वालों पर अपनी भडास निकाल सकते हो तो उनसे सवाल कर सकते हो कि आखिरकार मेरा दोष किया है तो मैं समाज से पूछ सकते हो कि अगर तुम हकलाते हो तो क्या ये तुम्हारा दोष है? और ये सब प्रश्न तुम कैमरे के सामने टेलीविजन पर कुछ हो गए, दूसरे लगभग सारी दुनिया देखेगी । राजेश की बातें सुनकर पंकज समाचार वालों को इंटरव्यू देने के लिए मान जाता है । पंकज के इंटरव्यू के मान जाने के बाद जैसे ही समाचार वालों को मिलती है तो वो बडी जोर शोर से इसकी तैयारी करने लगते हैं । टेलीविजन और समाचार पत्रों में पंकज के इंटरव्यू की धूम होती है । हर कोई शख्स पंकज के इंटरव्यू को देखना चाहता है क्योंकि हर कोई ये जानना चाहता था कि आखिरकार लगातार पांच ऍफ देने वाला शख्स कौन है । पंकज के परिवार में भी इस इंटरव्यू को देखने की जिज्ञासा थी क्योंकि पंकज के भाई और उसके पिता पंकज के गाएगा नहीं पसंद करते थे । आखिरकार इंटरव्यू का दिन आ ही गया । पंकज इंटरव्यू देने के लिए समाचार वालों के दफ्तर में आता है उसके साथ राजेश और मीना भी होते हैं । समाचार चैनल वाले इंटरव्यू का सीधा प्रसारण करने की तैयारी करते हैं । पंकज को जहाँ इंटरव्यू देना होता है वो स्टीच तैयार हो जाती है और कुछ ही देर में इंटरव्यू शुरू हो जाता है । पंकज की इंटरव्यू करने वाला शख्स सबसे पहले अपने और पंकज के बारे में बात करने लगता है तो कहता है इंटरव्यू लेने वाला शख्स नमस्कार मेरा नाम नवीन है और आज हम उस शख्स के बारे में बात करेंगे जिसकी कामयाबी की चर्चा तो हर और है परंतु से जानता कोई नहीं है । उन्होंने बहुत ही कम समय में बहुत बडा मुकाम हासिल कर लिया है । तो आइए ज्यादा समय बर्बाद न करते हुए सीधा उनसे ही बात करते हैं और इतना करते ही वह कैमरा पंकज की और कमाते हैं । नमस्कार जी आपका स्वागत हमारे शो में सबसे पहले आप हमारे दर्शकों को अपने बारे में बताएं । पंकज धन्यवाद नवीन हूँ । मेरा नाम पंकज है और अपने बारे में कुछ बताने से पहले ही ये बता दूँ की मुझे बोलने में कुछ समस्या होती है जिससे हकलाना कहते हैं । तो अगर मैं बोलते समय रुक गया या हकलाने लग गया तो कृपया मेरे ऊपर हंसी नहीं क्योंकि इसमें मेरी कोई मर्जी नहीं चलती । ऐसी समस्या खुद ही होती है और रही बात मेरे बारे में जानने की तो आप सवाल कीजिए यानि आप मेरे बारे में क्या जानना चाहते हैं? नवी पंकज जी आपने अपनी हकलाहट की समस्या के बारे में बताकर हमें तो और भी असमंजस में डाल दिया है । सबसे पहले तो आपने अपनी हकलाहट की समस्या के बारे में खुलकर बताएं यानी ये क्या है? क्यों पैदा होती है और समस्या पर कैसे काबू पाया जायेगा? पंकज जी नहीं जी घबराहट की समस्या क्यों पैदा होती है इसके बारे में तो मैं नहीं जानता हूँ परन्तु मेरी हकलाहट की समस्या कैसे बढ गई छह में बता सकता हूँ । नवीन जी पंकज जी कृपया बताएं क्योंकि हमारे दर्शक जानना चाहेंगे कि आपकी हकलाने की समस्या कैसे बडी हूँ । संकट की बात को जैसी है जब मैं लगभग तीन चार वर्ष की आयु में कुछ कुछ मैंने बोलना शुरू किया तो मैं आम बच्चों के जैसे तुतलाकर बोलता था तो मेरे माता पिता और बाकी के पारिवारिक सदस्य मेरे ऐसे बोलने पर मेरे ऊपर हस्ते थे । लेकिन मेरा बालमन उनकी इस गतिविधि को खेल समझता था । धीरे धीरे जैसे ही मेरी उम्र बडी मेरा बोलना जैसे का तैसा रहा जब मैं लगभग आठ नौ वर्ष की आयु में पहुंचा । मेरे बोलने की समस्या कुछ बढने लगी । मेरे माँ शायद ये सोचती थी कि मैं ऐसा जानबूझ कर कर रहा हूँ । तो जब भी मैं बोलते समय तक लाने लगता तो मुझे डांटने लगती तो माँ की डांट से मैं डर जाता था और पहले से ज्यादा हकलाने लग जाता था तो वो बार बार मेरे ऊपर सही ढंग से बोलने का दबाव बना दी । शायद यही दबाव मेरी हकलाहट की समस्या को बढाने का कारण था । थोडा बडा हुआ तो ठीक से खुश संभालने लगा । अपना भला बुरा समझने लगा । बोलते समय हकलाता था लेकिन पढाई में पहले स्थान पर रहता था । गाने का शौक था और काता भी बढिया था । और भी कई खूबियां थी परंपरित समाज नहीं मेरी उन सब खूबियों को नजर अंदाज करके मेरी हकलाहट की समस्या से मेरा मजाक बनाते रहे । समाज मेरे इस प्रकार बोलने की वजह से मेरा मजाक ना बना दे इसलिए मैं बोलने से कतराने लगा । मैं डरने लगा और यही डर मेरी हट राहत की समस्या को और भी बढाने लगा । नवीन पंकज जी आपने बताया कि आपको बचपन से ही गाने का शौक था । लेकिन आपने आपने स्पिनर को सबसे छुपाकर क्यों रखा? पंकज नवीन जी मेरा व्यक्ति तो बहुत ही शर्मीला किस्म का है । मैं बहुत ही कम बोलता हूँ । इसका कारण शायद मेरी हकलाहट की समस्या ही थी । इस वजह से मैंने अपने हुनर को सबसे छुपा कर रखा था । नहीं पंकज जी, आपकी पांच कैसेट बाजार में चल रही हैं । वो सब एक से बढकर एक है । आप अपनी कामयाबी का श्रेय किसको देना चाहेंगे? पंद्रह जी में अपनी कामयाबी का श्रेय समाज को विशेष कर अपने परिवार वालों और अपनी दोस्त मीना को देना चाहूँगा क्योंकि समाज में मेरी हकलाहट की समस्या का मजाक उडा । इस वजह से मैं अकेला रहना पसंद करने लगा । इस अकेलेपन में रहकर मैं अपना गाने के शौक को पूरा करने लगा । कभी कभी मुझे अपना मजाक बनाने वालों पर कुछ सभी आता था, परंतु मैंने अपने गुस्से को पाला और सही जगह सही समय पर इस्तेमाल किया । इस बीच जब भी मैं अपनी जिंदगी से निराश हो जाता तो मेरी दोस्त मीना मेरा हौसला बढाने के लिए आगे आती । आज मैं अगर आपके सामने गायक के तौर पर बैठा हूँ तो ये मीना की हौसलाअफजाई का नतीजा है । नहीं । पंकज जी यानी कुल मिलाकर आपने काफी दबाव में जिंदगी व्यतीत कर के यहाँ इस मुकाम पर पहुंचे हो । पंकज जी नारायण जी कहते हैं ना कि जिस कोयले पर दबाव पडता है वही हीरा बनता है, अमर हो जाता है और जो दबाव को सहन नहीं कर पाते वो कोयले तो जलकर राख हो जाते हैं । नवीन हुआ क्या बात है? बंदर जी एक आखिरी बार आप मेरे से और दर्शकों से बहुत देर बातें कर रहे हैं परंतु आपको हकलाहट की समस्या काफी कम हो रही है । क्या आप हमारे दर्शकों को इस बारे में कुछ बताएंगे? मेरा कहने का मतलब है कि आपने अपनी हकलाहट की समस्या को खत्म कैसे? क्या पंकज जी मैं अपनी कामयाबी का श्रेय समाज को विशेष कर अपने परिवार वालों और अपनी दोस्त मीना को देना चाहूंगा क्योंकि समाज नहीं मेरी हकलाहट की समस्या का मजाक बनाया जिस वजह से मैं अकेला रहना पसंद करने लगा । इस अकेलेपन में रहकर मैं अपने गाने के शौक को पूरा करने लगा । कभी कभी मुझे अपना मजाक बनाने वालों पर गुस्सा भी आता था, लेकिन मैंने अपने गुस्से को पाला और सही जगह सही समय पर इस्तेमाल किया । इस बीच जबकि मैं अपनी जिंदगी से निराश हो जाता हूँ और मेरी दोस्त मीना मेरा हौसला बढाने के लिए आगे आती है । आज मैं अगर आपके सामने गायक के तौर पर बैठा हूँ तो ये सिर्फ सर मीना की हौसलाअफजाई का नतीजा है । नवी पंकज यानी कुल मिलाकर आपने काफी दबाव में जिंदगी व्यतीत करके यहाँ तक पहुंचे हो । पंकज जी नारायण जी कहते हैं ना कि जिस कोयले पर दबाव पडता है वहीं हीरा बनता है और अमर हो जाता है और जो दबाव को सहन नहीं कर पाते तो कोयले तो चल कर रह हो जाते हैं । नवी वहाँ पंकज जी क्या बात है? पंकज जी एक आखिरी बार आप मेरे से और दर्शकों से बहुत देर से बातें कर रहे हैं लेकिन आपको हकलाहट की समस्या काफी कम हो रही है । क्या आप हमारे दर्शकों को इस बारे में कुछ बताएंगे? मेरा कहने का मतलब है कि आपने अपनी हकलाहट की समस्या को खत्म कैसे? क्या शंका नहीं जी सबसे पहले मैं आपको ये बता दूँ । मैंने अपनी हकलाहट की समस्या को खत्म नहीं किया बल्कि मैंने अपनी हकलाहट की समस्या को काबू में क्या है? क्योंकि हकलाहट की समस्या कभी खत्म नहीं होती । उसको सिर्फ काबू में किया जा सकता है और रही बात इसे काबू करने के तो मैंने अपने जीने के तौर तरीके में कुछ बदलाव करके अपनी समस्या पर काबू पाया है । नहीं नहीं जी शुक्रिया पंकज जी क्या आप बता सकते हैं कि आपने अपने जीवन में कौन कौन से बदलाव करके अपनी हट राहत की समस्या पर काबू पाया? ऍम मैंने अपनी हकलाहट की समस्या पर काबू पाने के लिए जीने की जिन तौर तरीको को अपनाया उनमें दो मुख्य तरीके हैं । उनका वर्णन मैं जरूर करना चाहूंगा । पहला काम मैंने ये किया कि मैंने अपने गुस्से पर काबू करना सीखा और गुस्से को पालकर सही जगह पर इस्तेमाल किया । ज्यादातर जिम में कसरत करते समय इस पाले हुए गुस्से का इस्तेमाल किया । इसका फायदा मुझे दो प्रकार से हुआ । पहला ये कि गुस्सा काम करने में मेरी हकलाहट की समस्या में कभी आने लगी क्योंकि मैंने एक बार देखी कि जब मैं किसी बात पर गुस्सा करता था तो नहीं । हकलाहट की समस्या पहले के मुकाबले काफी बढ जाती थी । दूसरा ये कि अपने पाले हुए गुस्से को जिम कसरत के समय इस्तेमाल करने में मेरे कसरत करने की ताकत बहुत बढ जाती है और मैं अपने साथ कसरत कर रहे बाकी के लोगों के मुकाबले अधिक कसरत करता । दूसरा काम मैंने ये किया की मैंने धीरे धीरे आराम से बोलने की आदत को अपनाया । इसके लिए मैंने किताबों का सहारा लिया । यानी मैंने किताबों को धीरे धीरे लेकिन ऊंची आवाज में पढना शुरू किया । क्योंकि पहले जब भी मैं जल्दबाजी में कोई बात कहता तो मैं हकलाने लगता और तीसरा काम मैंने ये किया और अब भी करता हूँ तो ये है कि जब भी मुझे किसी के सामने बोलना पडेगा तो मैं उससे अपनी हकलाहट इस समस्या के बारे में पहले ही बता देता हूँ । इससे मेरा मन शांत हो जाता है और मेरा दर कुछ कम होने लगता है । आपको याद होगा कि इस कार्यक्रम की शुरुआत में भी मैंने अपनी हकलाहट की समस्या की बात की थी तो उसके बाद कई छोटे छोटे काम जैसे अकेले समय में कोई ना कोई गीत गुन बनाना । हर समय प्रसन्नचित रहने की कोशिश करता हूँ किसी को कहीं बात ये अपना मजाक बनाने वाले को नजरअंदाज कर रहा हूँ और अंत में सब छोटी छोटी बातों को नजरअंदाज करके अपना ध्यान अपने लक्ष्य की और रखना । नवी पंकज जी, आपने हकलाहट के विषय पर बहुत मूल्यवान जानकारी दी । उम्मीद है आपकी दी हुई जानकारी किसी के काम आएगी और कार्यक्रम के अंत में मैं आपसे एक आखिरी गुजारिश करूंगा वही कि आप समाज को क्या संदेश देना चाहेंगे । पंकज नारायण जी समाज को में यही बात कहना चाहूंगा कि हम हकलाहट से परेशान व्यक्ति पहले से बहुत परेशान होते हैं । कृप्या उनका मजाक बनाकर उन्हें और परेशान ना करेंगे । और हकलाहट से परेशान अपने भाईयों से ये कहना चाहूंगा कि आप किसी से कम नहीं हो । क्योंकि शारीरिक विज्ञान में ये बात साबित हो चुकी है कि हकलाहट की समस्या का मुख्य कारण दिमाग का तेज होना है । यानी हट राहत से परेशान व्यक्ति का दवा बाकी लोगों के मुकाबले तेज होता है । तो आप अपने आप को किसी से कम मत समझे, अपने जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करें और उस लक्ष्य को पाने के लिए जी जान से जुट जाएं । नवी बहुत खूब पंकज जी और ये थे आपके चाहिते गायब । पंकज जिन्होंने अपनी पहचान को छुपाने के कारण के बारे में बताया और साथ में हमें और आपको हकलाहट की समस्या के बारे में काफी मूल्यवान जानकारी दी । दोस्तों जाने का वक्त हो गया है । अगले कार्यक्रम में हम पंकज जी के दोस्त मीना और राजेश जी से बात करेंगे । अब हमें अज्ञात धन्यवाद इसके बाद कार्यक्रम समाप्त हो जाता है । पंकज मीना और राजेश के साथ स्टूडियो से बाहर आते हैं । स्टूडियो के बाहर पंकज के चाहने वाले उसका इंतजार कर रहे होते हैं । उसके चाहने वालों में उसके माता पिता और भाई होते हैं । पंकज उन्हें देख कर चुप हो जाता है । वो कुछ डर जाता है परन्तु पंकज जब हैरान रह जाता है तो उसके माता पिता और भाई उसे गले लगाकर से माफी मांगने लगते हैं । उसके बाद पंकज का जीवन खुशगवार हो जाता है । कुछ सालों के बाद वो अपनी बचपन की दोस्त मीना से शादी करके खुशी खुशी जीवन व्यतीत करता है ।

Details

Sound Engineer

The Five W in Stammering यानी हकलाहट के पाँच "क" यह किताब हकलाहट की समस्या के विषय को समर्पित है । अपनी इस किताब में मैने पाँच "क" , क्या ,क्यों , कब , कहाँ , कैसे यानि हकलाहट की समस्या क्या है । हकलाहट की समस्या क्यों पैदा होती है । हकलाहट की समस्या कब पैदा होती है । हकलाहट की समस्या कहाँ सबसे ज़्यादा यां कहाँ सबसे कम पैदा होती है । हकलाहट की समस्या को कैसे क़ाबू में किया जाए । इन सबका वर्णन करने की कोशिश की है । और इसके साथ हकलाहट के जीवन पर आधारित कुछ लोगों की कहानियाँ हैं। इन कहानियों में से कुछ कहानियाँ काल्पनिक हैं और कुछ सत्य जीवन पर आधारित हैं। और यह सब कहानियाँ हकलाहट के पाँच " क " को ध्यान में रख कर लिखी गई है। और साथ में इनके ज़रिये यह बताने की कोशिश की गई है की हकलाहट की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति के जीवन कौन कौन सी समस्याएँ आती हैं और इस समस्या को कैसे क़ाबू में किया जाए । Voiceover Artist : Ashish Jain Script Writer : Rohit Verma Rimpu
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