Made with in India
भारत तेरह चार सौ ध्यान में हूँ । समीर आज सुबह से बहुत खुश था क्योंकि आज उसकी वार्षिक परीक्षा का परिणाम आने वाला है और हर बार की तरह इस बार भी उसे अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा है कि वो अपनी कक्षा में पहले स्थान पर आएगा और फिर वो अभी ठीक वैसा कैसा उसमें सोचा था । यानी हर बार की तरह इस बार भी अपनी कक्षा में पहले स्थान पर आया । सुमित जो कि दसवीं कक्षा में पढने लिखने में काफी होशियार था, वो अपने परिवार के साथ पंजाब के शहर मोगा में रहता था । वो एक मध्यमवर्गीय परिवार था । उसके पिता का अपना छोटा सा व्यवसाय था । समीर के परिवार में उसके माता पिता, दादा दादी और एक बडा भाई और एक छोटी बहन थी । समीर को बचपन से हकलाहट की समस्या थी । इस वजह से वह काफी शर्मीला था । बहुत ही कम बोलता था । अक्सर हकलाहट की समस्या से परेशान व्यक्ति के स्वभाव में चिडचिडापन होता है । लेकिन इसके विपरीत समीर एक शांत स्वभाव का मालिक था । वो अपनी हकलाहट की समस्या को कभी नहीं मानता था । वो काम बोल कर और अपने स्वभाव में गंभीरता लाकर अपनी इस कमी को पूरा करता था । समीर जब भी किसी पारिवारिक फंक्शन में जाता तो अपने परिवार से अलग रहने की कोशिश करता हूँ । यानी वो अपने आप को अकेला कर लेता हूँ । इसका कारण ये था कि पारिवारिक फंक्शन में उसके रिश्तेदार उससे कई प्रकार के सवालात करते । जैसे उसका नाम क्या है, वो आजकल क्या करता है, पडता क्या है, पिछली कक्षा में से कितने नंबर आए थे आदि और समीर उनके द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब खिला कर देता, जिस पर उस सब समीर पर हंसने लगते हैं तो इन्हीं सब बातों से डरता और अपने आप को खिला कर लेता हूँ । एक बार की बात है समीर को अपने मामा की शादी में शामिल होने के लिए अपने मैंने हाल जाना था । उसका ननिहाल उसके शहर मोगा के पास गांव लोहारा में था । अब मामा की शादी थी तो यह तय था कि समीर को पूरे परिवार समेत कुछ दिनों के लिए अपने ननिहाल में ही रहना था । लेकिन वो अपनी हकलाहट की समस्या के कारण कुछ तनाव में था क्योंकि उसे डर था कि कहीं उसके रिश्तेदार, भाई बंधु उसके हकलाहट की समस्या का मजाक का बना नहीं । इसी कारण पहले तो वह शादी में शामिल होने से इनकार करता रहा, लेकिन घरवालों के ज्यादा कहने पर वह मान गया । समीर के स्कूल में छुट्टियां होने की वजह से वो अपनी माँ और भाई बहन के साथ शादी के कुछ दिन पहले ही अपने ननिहाल चला गया । समीर ननिहाल में भी अपनी आदत अनुसार अकेले और सबसे छिपकर रहने लगा । यानी वो गया तो था अपने मामा की शादी में लेकिन वो उस शादी में शामिल नहीं था । एक तरफ जहां उसके ननिहाल में शादी का माहौल होने के कारण बहुत चहल पहल थी वहीं दूसरी तरफ समीर अपनी हकलाहट की समस्या के कारण शादी का लुक नहीं ले पा रहा था । एक दिन जब शादी में शामिल सभी लोग रात को नाच गाना कर रहे थे तब समीर एक और बैठ कर उन सबको देख रहा था । तभी उसकी नजर एक लडकी पर पडी । समीर सबकुछ भूलकर उस लडकी की और देखने लग जाता है । वो लडकी बला की खूबसूरत थी । उसकी मासूमियत और भोले से चेहरे ने सभी का मन मोह लिया । सीधे शब्दों में अगर कहे तो सभी र्कोस लडकी को देखते ही पहली नजर में प्यार हो गया था । समीर लडकी के बारे में जानना चाहता था इसलिए वह जितना हो सके उसके नजदीक रहने की कोशिश करने लगा । समीर बातों बातों में अपने बडे मामा की लडकी ने यहाँ से उसके बारे में पूछा । नेहा ने बताया कि उस लडकी का नाम शिखा है और वो उस की मौसी की लडकी है । शिखर का परिवार हिमाचल के धर्मशाला शहर में रहता है । देखा की उम्र समीर की बराबर ही थी । समीर की माँ शिखा के परिवार वालों को अच्छी तरह जानती थी । बातों बातों में समीर ने अपनी माँ को अपनी पसंद वाली शिखा के बारे में बता दिया । समीर की माँ को भी शिखा पसंद आई और उसने बिना कोई देर किए शिखा की माँ से समीर के बारे में बात की । देखा की माँ भी समीर के परिवार वालों को अच्छी तरह जानती थी इसलिए उसने समीर की माँ की तरफ से आए उनके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया । लेकिन अभी उन दोनों की उम्र बहुत छोटी थी इसीलिए उन दोनों परिवारों ने बात को आगे नहीं बढाया और बात को अपने तक ही सीमित रखा । उधर समीर बहुत खुश था तो पूरे समय शिखा और उसके परिवार के आसपास रहा । इस सब के बावजूद समीर ने अपनी हकलाहट की समस्या को उन सब के सामने जाहिर नहीं होने दिया । सभी जब भी बोलते समय हकलाने लगता तो वहीं रुक जाता और बात को भूल जाने का नाटक करता हूँ । सभी ने शिखा और उसके परिवार वालों के साथ अपने मामा की शादी में सप्ताह भर इकट्ठा समय व्यतीत किया और समीर ने शिखा के परिवार में अपनी अच्छी खासी जगह बना ली थी और इस दौरान शिखर ही समीर को चाहने लगी थी । हाँ, समीर के मामा की शादी संपन्न हुई और सब रिश्तेदार अपने अपने घर की और रवाना होने लगे । समीर और शिखा के लिए अधिक दूसरे से बिछुडने का वक्त था । अपने घर की ओर जाने से पहले शिखा ने समीर को उसके शहर धर्मशाला आने को कहा और समीर ने भी उसके शहर आने और उससे मिलने का वायदा किया और शिखर को अलविदा कहा । समीर वापस अपने घर आ गया था लेकिन उसका मन कहीं टिक नहीं रहा था । उस दिन रात शिखा के बारे में सोचता रहता । उसके घर वालों को भी उसकी हालत का पता था जिस वजह से वह सब जानबूझकर उसी शिखर का नाम लेकर छेडते और हसी मजाक करते हैं । समीर भी उनकी बातों का गुस्सा नहीं करता हूँ बल्कि मनी मन खुश होता है । कुछ दिनों के बाद वो फिर उसे अपनी माँ के साथ मैंने हाल जाने का मौका मिला । समीर के ननिहाल में भी सब उसके और शिखा के परिवारों के बीच चल रही बातचीत के बारे में जानते थे । ये सब भी समय से शिखा का जिक्र करके छेडते और हसी मजाक करते हैं । एक दिन समीर की मामा की लडकी नेहा ने बातों बातों में से पूछा कि क्या शिखा के जाने के बाद कभी उससे बात हुई है तो समीर नहीं शर्माते हुए ना बोल दिया । इसके बाद नेहा ने छत से घर के टेलीफोन से शिखा के घर फोन करने लगी और समीर को उससे बात करने की जिद करने लगी । समीर नहीं शिखर से टेलीफोन पर बात करने से इंकार कर दिया । मैंने सोचा कि शायद समीर शर्म और हिचकिचाहट की वजह से शिखर से बात नहीं कर रहा । लेकिन असल में तो बात कुछ और ही थी । समीर को पता था कि अगर वो उससे फोन पर बात करेगा तो कोस्टर और हिचकिचाहट की वजह से वह खिलाने लगेगा । इससे शिखर और उसके परिवार में उसका गलत इंप्रेशन पडेगा । उसे ये भी था की कहीं उसके हडबडाने की वजह से शिखर उससे बातचीत बंद ही ना कर दे । लेकिन नेहा ने बार बार समीर से कहने लगी कि वह शिखर से बात करें तभी समीर वहाँ से चला जाता है । नहीं तो उसके पीछे पीछे जाती है और उससे शिखर से बात न करने का कारण पूछती है । पहले तो समीर चुप रहता है लेकिन यहाँ के बार बार कहने पर उसे शिखर से बात ना करने की असली वजह बता देता है । वो कहता है कि अगर वह शिखर से बात करने लगता और बात करते समय हकलाने लग जाता तो शिखा उसके बारे में क्या सोचेगी । समीर ने नेहा को कहा कि वह उचित समय आने पर शिखा को अपनी हकलाहट की समस्या के बारे में बता देगा । यहाँ को समीर की बात अच्छी लगी और उसने कहा कि वो उस की हर संभव मदद करेगी । नेहा ने सभी से कहा ऐसा करेंगे जब हमें गर्मी के दिनों में स्कूल से वार्षिक छुट्टियाँ पडेंगे । ना तो हम दोनों छुट्टियाँ व्यतीत कर देंगे । कुछ दिनों के लिए शिखा के घर जाएंगे क्योंकि वो मेरी मौसी की लडकी है तो उसके घर जाने में कोई परेशानी नहीं होगी तो हम कुछ दिन वहाँ रुकेंगे और इस पी तो मौका पाकर शिखर से अपने मन की सारी बात कर लेना । समीर को नेहा की बात अच्छी लगी और उसने नेहा के साथ उसकी मौसी के घर यानी शिखा के पास जाने की हामी भर दी । सुनी आप ग्रीष्मकाल की छुट्टियों का बेसब्री से इंतजार करने लगा क्योंकि इन छुट्टियों में उसने पहली बार अकेले में शिखा को मिलना था । लेकिन गर्मियों की छुट्टियों में अभी कुछ समय शेष था और समीर के लिए ये वक्त गुजार पाना बहुत मुश्किल हो रहा था क्योंकि वह शिखा के बिहार में बढ गया था और उसे एक एक दिन एक एक साल के बराबर लग रहा था । नहीं बीतता गया और ग्रीष्मकाल की छुट्टियाँ शुरू हो गई । सुनील नेहा के साथ शिखा के घर जाने का बेसब्री से इंतजार करने लगा । कुछ दिनों पर चार नेहा नहीं सभी को फोन करके जानकारी दी कि हम जल्द ही जल्द शिखा के घर जाएंगे । समीर ये बात शंकर खुशी के मारे उछल पडा है । उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था । कुछ दिनों में नेहा और सनी दोनों शिखर के शहर धर्मशाला की और निकल पडते हैं । समीर के शहर मोगा से धर्मशाला शहर करीब ढाई सौ किलोमीटर के आस पास था । वो दोनों सुबह के समय निकले और शाम तक शिखा के घर पहुंच गए । नेहा की मौसी मैंने शिखा के माने उन दोनों का अपने घर में स्वागत किया । जिस समय वह दोनों शिखा के घर पहुंचे उस वक्त शिखा घर पर नहीं थी । वो अपनी किसी सहेली की जन्मदिन की पार्टी में गई हुई थी । समीर कुछ देर आराम करने के बाद यहाँ से बाजार घूमने और शहर देखने को कहा । लेकिन उन्होंने सफर के दौरान थकने के कारण समीर के साथ जाने से मना कर दिया । समीर अकेला ही शहर घूमने के लिए घर से निकल पडा । सनी धर्मशाला पहली बार आता है । वो पहाडों की खूबसूरती देख देख कर खुश हो रहा होता है । तभी वहां एक जगह पर एक शामियाना लगा होता है । वो जिज्ञासावश वहाँ जाकर देखता है । उस शामियाने में शहर का टैलेंट हंट नाम से प्रतियोगिता हो रही होती है । समीर वहाँ खडा होकर उस प्रतियोगिता का लुत्फ लेने लग जाता है । तभी एक प्रतियोगी वहाँ आता है और पंजाबी भाषा में गाना गाने लग जाता है । लेकिन उस प्रौद्योगिकी मातृभाषा पंजाबी न होने के कारण गाने को सही ढंग से गा नहीं पा रहा था और से देख रहे हैं सभी लोग उस पर हस रहे थे । समीर को ये सब अच्छा नहीं लगा । उसे उस प्रतियोगी की बेज्जती नहीं बल्कि अपनी मात्र भाषा पंजाबी की बेइज्जती महसूस हो रही थी । समझ रहा नहीं गया और वह तेजी से स्टेज की और भागता है । पोस्ट प्रतियोगिता माइक छीन लेता है और उनसे और वहां खडे लोगों से माफी मांगता है । नहीं नहीं वो पंजाबी गाने को खुद गाने लग जाता है । क्योंकि हकलाहट से परेशान व्यक्ति में खासियत होती है । वो सही ढंग से बोल नहीं पाता लेकिन गाना गाते वाला हूँ, उसे कोई परेशानी नहीं होती । समीर के गाना गाने के अंतराल शिखर जी वहाँ जाती है और गाना गाते देख हैरान रह जाती है । सभी लोग समीर के गाने को पसंद कर रहे थे । ये प्रतियोगिता देर रात तक चलती है । इतना में शिखर अपने घर फोन करती है तो उसे नेहा और समीर के आने के बारे में पता चलता है । उन्हीं को भी वहीं अपने पास बुला लेती है । अंत में समीर जी टैलेंट हंट प्रतियोगिता जीत जाता है । अगले दिन जब शिखर कॉलेज जाती है तो उसकी सब सहेलियाँ उस प्रतियोगिता और खासकर समीर के बारे में बातचीत कर रही होती हैं । इस बीच शिखर शाम से उन सबको बताती है कि सभी उनके घर मेहमान बनकर आया हुआ है । शिखर आपने कुछ खास सहेलियों को अपनी और समीर के रिश्ते के बारे में भी बता देती है । उसकी सब सहेलियाँ बहुत खुश होती हैं और शिखा से समीर हो उन सब से मिलवाने के लिए कहती हैं । शिखा अपनी सहेलियों की बात मान जाती है और शाम को ही समीर खून सबसे मिलवाने के लिए मान जाती है । शिखा घर आती है और खुशी खुशी यहाँ से अपनी सहेलियों की बात बताती है । अब वो शाम को समीर को उन सब से मिलवाने के बारे में बताती है । शिखा, नेहा को कहती है कि वह सभी से बात करें और वो उसे अपनी सहेलियों से मिलवाना चाहती है । सभी दिन सब की बातचीत सुन लेता है और वह शिखा के साथ जाने को झट से तैयार हो जाता है । शाम को शिखर, नेहा और सभी तीनों एक रेस्टोरेंट में चले जाते हैं और शिखा वहाँ पर अपनी सभी सहेलियों को बुला लेती है । काफी सारी लडकियों को इकट्ठा देख सभी घबरा जाता है । उधर शिखा की सभी सहेलियाँ समीर को देखकर बहुत उत्साहित होती हैं पर वो सब समीर के बारे में जानना चाहती हैं । वो सब सभी से कई सवाल करती हैं । उनके इस प्रकार के बर्ताव के बारे में सभी ने कभी सोचा तक नहीं था । वो कुछ घबरा जाता है और घबराहट की वजह से वह हकलाने लगता है । धीरे धीरे शिखा की सहेलियाँ समीर की हकलाहट का मजाक बनाने लग जाती हैं और सभी से बार बार कुछ ना कुछ पूछने लगती हैं । समीर उनके हर बात का जवाब हकला कर देता है । जल्द ही वह सब वहाँ से चले जाते हैं । शिखर को समीर के अगला हट की समस्या के बारे में कोई जानकारी नहीं थी । रात को वो नेहा से इस बारे में बात करती है तो यहाँ समीर और उसकी हम राहत की समस्या के बारे में शिखा को सब कुछ बयां कर देती है और उसके साथ साथ तो समीर के बेइंतहां प्यार के बारे में बताती है । अगले दिन शिखर अपने कॉलेज जाती है । उसकी सब सहेलियाँ बात बात पर समीर की नकल उतारकर उसे परेशान करती हैं । शिखा की कुछ सहेलियाँ इसे शिखा ने अपने और समीर के प्यार के बारे में बताया था । वो सब सभी साथ खूब मजाक बनाती हैं । शिखर को उनकी बात पर इतना गुस्सा नहीं आता जितना समीर पर आता है । तो मन ही मन समीर को ठुकराने का फैसला कर लेती है और अपना ये फैसला यहाँ को बता देती है नहीं, उसे बहुत समझाती है लेकिन वो अपने फैसले पर स्तर रहती है । इतना ही नहीं उसकी माँ भी उसे बहुत समझाती है लेकिन वो भी नाकाम रहती है । शिखर मन ही मन समीर के प्यार को ठुकराने की ठान लेती है । वो साफ साफ देते है और अपनी माँ को कहने लगती है । मेरा समीर के साथ किसी प्रकार का कोई संबंध नहीं है और भविष्य में मेरे साथ समीर के बारे में कोई बात नहीं करना माना । इस समय देखने में खूबसूरत है लेकिन सूबसूरती ही सब कुछ नहीं होती । आज सुबह जब मैं कॉलेज गई तो मेरी सहेलियां समीर की बातों को लेकर मेरा मजाक बनाने लगी । अगर उनकी एक मुलाकात में ये हाल है तो उससे शादी के बाद सारी उम्र मेरा मजाक बनेगा । अब सब प्लीज मुझे माफ कीजिए । मैं ऐसे हकले से शादी नहीं कर सकती है । सही है ये सब सुन रहा होता है और वो किसी को बिना कुछ बताए वहाँ से जाने लगता है । अभी नेहा उसे देख लेती है और उसे रोकने की कोशिश करती है लेकिन वो नहीं मानता और उसी रात अपने घर की आर्टिकल पडता है । अगले दिन समीर घर पहुंचता है और किसी से किसी भी बात का कोई जिक्र नहीं करता । उन्हें को फोन पर मना कर देता है कि वो इस बात का जिक्र किसी से ना करें । अब सभी के सामने दो रास्ते हैं । पहला ये कि वह शिखर से बिछुडने के गम में अपने आप को बर्बाद कर दें और दूसरा ये कि वो अपने आप को सही साबित करें । यानी जिस समाज में उसकी बेईज्जती की है उसी समाज को कुछ बन के दिखाए । सभी दूसरा रास्ता अपनाता है । उठान लेता है कि जिस समाज में सेट हो रहा है उसी समाज में अपना कद ऊंचा करना है । समीर ने बचपन में पडा था कि गुस्सा पानी की आप सामान होता है वो लोग आपको गिफ्ट गवा देते हैं और वहीं कुछ बुद्धिमान लोग अपने गुस्से को भापकर प्रयोग समय आने पर करते हैं । सबसे पहले समीर अपने अंदर ये खुद ही घूमता है जिससे की वही अपने मकसद में कामयाब हो सके । तभी उसे पल याद आता है कि जब उसने शिखा के शहर में हो रहे टैलेंट हंट में हिस्सा लिया था उसमें जीत हासिल की थी । समीर उस पल को सोच कर मुस्कराने लगता है । उसे अपने मंजिल तक पहुंचने का रास्ता खुदबखुद मिल जाता है । समीर अपनी मंजिल को पाने के लिए जी जान से जुट जाता है तो निश्चय करता है कि जिस हकलाहट की वजह से उसको सबसे इतनी बेज्जती सहन करनी पडी, वो उस वक्त राहत को ठीक नहीं करेगा बल्कि समाज में साबित करेगा । एक हकलाहट से परेशान व्यक्ति अगर चाहे तो पूरी दुनिया को झुका सकता है । यानी सनी अपनी मंजिल को हकलाहट की समस्या को रहते हुए हासिल करना चाहता था । समीर पढाई के साथ साथ जिम जाना शुरू करता है । वो भी संगीत के रियाज के लिए गुस्ताद के पास जाना शुरू कर देता है । अपने मकसद के बारे में किसी को नहीं बताता हूँ । उसे पानी की भरपूर कोशिश में खामोशी से लग जाता है । कुछ सालों बाद इंडियन आइडल नाम का प्रोग्राम टीवी पर आना शुरू होता है । प्रोग्राम में पूरे भारत में से बेहतर गायकों को चुनना होता है । है । उन सब की आपस में प्रतियोगिता होती है जो उस प्रतियोगिता में प्रथम आता है । उसे ठेर सारे इनामों से नवाजा जाता है । पूरे भारत में इस प्रोग्राम की धूम होती है । समीर इस प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए पहुंच जाता है । पहले चरण मुझसे आयोजकों के सामने गीत गाना होता है । समीर आयोजकों के सामने आता है और अपने बारे में बताने लगता है । लेकिन वो अपने बारे में बताते समय हकलाने लगता है । आयोजक समीर को देख असमंजस में पड जाते हैं । वहाँ बैठे कुछ लोग अपनी हंसी रोक नहीं पाते और जोर से हंसने लग जाते हैं । समीर उनको अपने ऊपर हस्ता देख दिल को नहीं घबराता और उसके हसी का जवाब मुस्कुराकर देता है । वो सबसे गीत गाने की इजाजत मांगकर गीत गाने लगता है । सभी इसकी महीना रंग लाती है । यानी सभी को उसका की बहुत पसंद बाबा है । समीर की सुरीली आवाज सबका मन मोह लेती है । प्रोग्राम के आयोजक समीर की बहुत तारीफ करते हैं और उनका इस प्रोग्राम में चयन कर लेते हैं । धीरे धीरे समय अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों को पछाडकर उस प्रोग्राम के फाइनल में पहुंच जाता है । पूरे भारत में समीर के नाम का डंका बजने लगता है । सब न्यूज चैनल समीर के बारे में चर्चा करने रखते हैं । सब हैरान होते हैं कि एक शख्स क्योंकि ठीक से बोल नहीं सकता आज इंडियन आइडल को जीतने का तुम रख रहा है आखिरकार वो ये प्रतियोगिता चीज जाता है । उस किसी जीत से वह पूरे भारत में मशहूर हो जाता है । वो एक टेलीविजन चैनल से अनुबंध कर लेता है, जिसके तहत उसे पूरे भारत में घूमकर स्टेज शो करने होते हैं । समीर की मेहनत सदका उसके सारे स्टेज शो बहुत सफल होते हैं । समीर की एक स्टेज शो का आयोजन धर्मशाला में होना होता है । समीर को भी इसी पल का इंतजार होता है । पूरे धर्मशाला शहर में समीर के प्रोग्राम के पोस्टर लगाए जाते हैं । कई जगह पर उसके वो पोस्टर भी लगाते हैं, जिसमें सुनील पांच साल पहले हुए टैलेंट हंट प्रतियोगिता में जीता था । इससे वह सब ये साबित करना चाह रहे थे कि समीर के गायन की प्रतिभा को सबसे पहले उनके शहर के लोगों ने नवाजा था । आखिर ता समीर स्टेच्यू के लिए धर्मशाला शहर पहुंचाता है । सभी शहरवासी उसकी एक झलक पाने के लिए उमड पाते हैं । शिखा कि जिन सहेलियों ने समीर का मजाक बनाया था वो सब भी वहाँ मौजूद थी । उस सब दौड कर समीर के पास आती हैं और उनसे पूछती है कि क्या वो हम सब को पहचानते हैं? समीर उन सब की और देखता है और मुस्कुराकर उनका जवाब देता है आप सबको मैं कैसे भूल सकता हूँ । आज मैं जो कुछ भी हूं आप सब की वजह से हुई, लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आती । फिजिक्स हटने का आपने मजाक बनाया था, आज उसी हक ले के पास आने, उससे बात करने को आप सब इतने उतावले क्यों हो रहे हो? समीर की बातें सुनकर शिखर की सहेलियाँ तो वहाँ से चली जाती हैं । सभी धर्मशाला में हुए स्टेज शो में अपनी धमाकेदार प्रस्तुति देता है । समीर का स्टेज शो धर्मशाला शहर के इतिहास में सबसे सफल होता है । ये शो समीर को सफलता की पायदान तक पहुंचा देता है । कुछ दिनों के बाद शिखा की माँ शिखर की शादी समीर से करवाने के सिलसिले में समीर के घर जाती हैं और उनके सामने शादी का प्रस्ताव रखती हैं । इतने में समीर वहाँ पहुंच जाता है और शिखा की माँ से कहता है कि वह शिखर से इस बारे में सीधी बात करना चाहता है । शिखा की माँ सभी की बात मोबाइल से शिखर से करवाती हैं । समय शिखर से पूछता है कि क्या वो अब भी पहले की तरह हकलाता है हूँ, फिर भी उससे शादी करना चाहती है । समीर की बात के जवाब में पहले तो वह कुछ नहीं बोलती । इस पर समीर अपना सवाल एक बार फिर दोहराता है । शिखर तुरंत वहाँ कर देती है । अब समीर से कहता है, मैंने तुम्हें पहली बार देखा तो तुमसे पहली नजर में प्यार कर बैठा । मैंने ये बात अपने परिवार वालों को बताई । मेरी माँ ने तुम्हारे परिवार से बात की । सब हमारे रिश्ते के बारे में मान गए । मेरी जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा था । मैं तुमसे प्यार करने लगा था और उनसे मिलने को बेकरार था । मैं सिर्फ तुमसे मिलने के लिए तुम्हारे पास आया था । हम भी मुझे चाहने लगी थी । जब तुम्हें मेरी हकलाहट की समस्या के बारे में पता चला तो तुमने मुझे ठुकरा दिया । मेरे प्यार की कद्र नहीं की । यही नहीं तुमने मुझे हकला तक कह दिया तो एक अगले से शादी करने के लिए तैयार इसलिए हो क्योंकि अब यही हटना एक कामयाब इंसान बन गया । शक्ल के पास अब बेशुमार दौलत है और इस पूरी दुनिया में सब का नाम चमक रहा है । चलो मान लो, मैं तुमसे शादी कर भी लेता हूँ और शादी के बाद भी मेरी हकलाहट का मजाक बनाया जाएगा । तब तुम्हें मजा कैसे बर्दाश्त करेंगे? समीर के सवालों का शिखा के पास कोई जवाब नहीं था । फोन बंद कर देता है और शिखर की तरफ से आए शादी के प्रस्ताव को ठुकरा देता है । समीर पिछली सब बातों को भूलकर अपने करियर को बनाने की तरफ ध्यान देने लग जाता है । वो अपनी गायिकी के साथ साथ अपनी हकलाहट की समस्या को हल करने पर ध्यान देने लगता है क्योंकि वो एक बात समझ चुका था । अगर उसे अपनी जिंदगी में कामयाब होना है तो उसे अपनी हकलाहट की समस्या का कोई न कोई हल निकालना ही होगा । इसके लिए समीर की मदद उसके दोस्त की । उसने समीर को अपने एक रिश्तेदार के बारे में बताया । उसका नाम रोहित था । रोहित को बचपन से हकलाहट की समस्या थी, लेकिन उसने अपनी मेहनत के बलबूते अपनी समस्या से छुटकारा पा लिया था और अब वही समस्या के शिकार बाकी लोगों की मदद कर रहा था । समीर के दोस्त राहुल नहीं रोहित की हकलाहट की समस्या के बारे में बात की है और उसने समीर की समस्या से छुटकारा पाने के लिए उस की हर संभव मदद करने के लिए कहा । रोहित ने राहुल से वायदा किया कि वह समीर की हर संभव मदद करेगा । इसके तहत रोहित नहीं समीर और उसकी माँ को उससे मिलने के लिए कहा । तयशुदा समय पर समीर अपनी माँ को लेकर रोहित से मिलने के लिए पहुंच जाता है । सबसे पहले रोहित समीर की माँ से उसके हकलाहट की समस्या के बारे में जानकारी देने को कहता है । यानी समीर की हकलाहट की समस्या किस आयु भी शुरू हुई । समीर के बाद रोहित को सब जानकारी देने लगती है । समीर के हकलाहट की समस्या एक आम तौर पर होने वाली समस्या थी । इसको समझने में रोहित को जरा भी देर ना लगे । समीर की माँ ने बताया कि जब समीर लगभग पांच साल का था, उसे बोलने में कठिनाई होने लगी । पहले तो हम सब समझ नहीं पाए कि समीर को क्या बीमारी है? तो हमने अपने पारिवारिक डॉक्टर से समीर के बारे में बात की । जैसा कि आमतौर पर होता है । डॉक्टर मरीज की बीमारी न समझ पाने की अवस्था नहीं, कोई भी दवाई देकर उस पर तजुर्बे करते हैं और अगर वो मरीज ठीक हो जाता है तो वह ही पता लगाते हैं कि वह मरीज उसकी कौन सी दवाई से ठीक हुआ है ताकि अगली बार अगर ऐसा कोई मरीज उनके पास आता है । इसको पहले मरीज वाली बीमारी हो तो वह से वही दवाई देते हैं । उसकी माँ ने बताया कि वो लोग बहुत से डॉक्टरों के पास गए लेकिन वहाँ उन्हें समय और पैसा बर्बाद करने के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ और आखिरकार थक हारकर उन्होंने सभी को भगवान भरोसे छोड दिया । उन्होंने कहा कि समीर की आयु इस समय चौदह वर्ष है और उसके हकलाहट की समस्या इतनी ज्यादा है उसकी बातें समझ नहीं आती । इस वजह से वो अपने स्कूल और अपने मित्रों के बीच एक मजाक का पात्र बन गया है । उनके द्वारा बार बार उसका मजाक बनाए जाने के कारण उसको उलझाने से कतराता है जिस वजह से उसका पढाई में बहुत नुकसान हो रहा है तो हमेशा अलग अलग रहता है और अकेले में ज्यादा खुश रहता है । अगर वह राहुल को अपनी किसी रिश्तेदार के यहां कोई विभाग शादी या किसी फंक्शन में ले जाती हैं तो वहाँ भी तो सबसे अलग ही रहता है । रोहित ने उन्हें भरोसा बनाते हुए कहा कि वह समीर की चिंता ना करें । उसकी इस प्रकार की गतिविधियां उसके हकलाहट की समस्या की वजह से है और जैसे जैसे उसके हकलाहट की समस्या खत्म होगी साथ ही उसकी इस प्रकार की गतिविधियां भी बंद हो जाएंगे । रोहित ने समीर से कुछ सवालात किए लेकिन वो रोहित के सवालों का जवाब नहीं दे पा रहा था । शायद वो उससे घबरा रहा था । इतने में उसकी माँ से डांटने के अंदाज नहीं उसे रोहित के सवालों का ठीक ढंग से जवाब देने को कहा । रोहित ने समीर की परिस्थिति भापकर उसकी माँ को बाहर जाने को कहा । उनके बढा जाते ही रोहित ने सभी से बातचीत करनी शुरू कर दी । अब कुछ ही समय के अंतराल में रोहित ने समीर को अपने विश्वास में ले लिया । वो उससे निसंकोच और बेधडक ही बातचीत करने लगा । अपनी बातचीत में उसने वो सब बातें बताई जिनसे रोहित पहले ही निजी जिंदगी में रूबरू हो चुका था । यानी समीर को अपनी हकलाहट की समस्या के कारण जिन सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड रहा था उन सब समस्याओं में रोहित व्यक्तिगत तौर से वाकिफ था । जिस रोहित को उसकी समस्या को समझाने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पडी । कुछ देर बातें करने के बाद रोहित ने उसे हकलाहट क्या है और ये जो पैदा होती है उसके बारे में विस्तार से बताया और पास में पडी किताब को पढने के लिए कहा । किताब पडने के शुरूआती चरण में वह हकलाने लगा । रोहित ने उसे कम गति लेकिन ऊंची आवाज में पढने को कहा और शब्द को लम्बा खींच कर पडने को कहा । उदाहरण के तौर पर राहुल माँ में हाँ मैं खतरा है, अच्छा वाह था हूँ में रही था कॅश है । कुछ देर इस प्रकार पढते हुए वो बिना किसी रुकावट के किताब को पडने लगा और उसके बाद रोहित ने उसे गाना सुनने को बोला । कुछ देश शर्म आने के बाद उसने गाना शुरू किया बिना रुकावट के यानी हटाए बिना गाना गा रहा था । रोहित के लिए इसमें हैरानी वाली कोई बात नहीं थी क्योंकि हकलाहट की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति विशेष को सिर्फ बोलने में यानि अपनी बात को कहने में परेशानी होती है । लेकिन अगर कोई गीत गाना हूँ तो बिना किसी रुकावट के गा लेता हूँ और इस बात से वह भलीभांति परिचित था । कुछ देर बातें करने के पश्चात रोहित ने उसकी माँ को बुलाया और उन्ही समीर की हकलाहट की समस्या को काबू करने संबंधी सलाह दी क्योंकि किताब को धीरे धीरे और ऊंची आवाज में पडने और खाली समय में एक गीत गाने को लेकर थी । इसके साथ ही रोहित ने समीर को सांस को काबू करने संबंधी कुछ व्यायाम बताए और उनको प्रोप गतिविधियां करते रहने और एक सप्ताह के पश्चात फिर से आने को कहकर उनसे विदा लिया । एक सप्ताह के पश्चात समीर फिर रोहित के पास आता है । रोहित उस से बातचीत करता है परन्तु उसकी समस्या क्यों कि क्यों स्थिर थी । कुछ देर बातें करने के बाद रोहित ने पिछली बार की बताई हुई क्रिया दोहराने को कहा । यानी किताबें, पढना, गीत, गाना और स्वास्थ्य को काबू करने संबंधी बताए गए व्यायाम को करने को कहा । साथ ही अगले सप्ताह फिर आने को कहा । चीज सिलसिला लगभग एक डेढ महीने तक चलता रहा । लेकिन समीर की समस्या अभी भी क्योंकि क्यों स्थिर बनी हुई थी, जो अब समीर से ज्यादा की समस्या रोहित के लिए परेशानी का सबब बनी हुई थी क्योंकि हकलाहट के अध्यापक के तौर पर बनी हुई रोहित की साख दांव पर लगी हुई थी । एक दिन की बात है । समीर की माँ समीर को रोहित के पास लेकर मेरे पास आई और शिकायती लहजे से रोहित से समीर के हकलाहट की समस्या के बारे में पास करने लगी । पहले तो वो चुप चाप उनकी बातें सुनने लगा । उसके बाद रोहित ने उनसे समीर के बारे में विस्तारपूर्वक बताने को कहा और समीर के परिवार के हर एक सदस्य के उसके साथ उनके व्यवहार को बताने को कहा । इस बातचीत से जिन जिन बातों का खुलासा हुआ उससे रोहित को समीर की समस्या को हल करने में आसानी हो गई । समीर के हकलाहट की समस्या को काबू में ना आने का असल कारण उसकी समझ में आ चुका था क्योंकि उसीके पारिवारिक सदस्यों के द्वारा समीर से किए उनके व्यवहार में छुपा था । सभी के परिवार में कुल पांच सदस्य थे । समीर के माता पिता के अलावा सात साल की छोटी बहन और एक बडा भाई था, जिसकी आयु लगभग पंद्रह सोलह साल के आसपास थी । सभी जब कभी भी हकलाता था, उसके पिता उसको डाउट लगाते थे और सही ढंग से बोलने के लिए कहते थे । शायद उन्हें लगता था कि वह जानबूझकर सही ढंग से नहीं बोल रहा हूँ । अपने पिता द्वारा उसे लगाई डांट के डर की वजह ना उसके हकलाहट की समस्या काबू में आने के बजाय और भी बढ रही थी । उसकी छोटी बहन समीर के हकलाने की नकल करती और जब कभी समीर के साथ उसकी लडाई होती है तो वो उसे छुडाने के लिए उसकी खूब नकल उतारती । छोटी होने की वजह से वो सभी की लाडली थी । इस वजह से कोई दूसरे डांटता नहीं था और न ही उसे समीर को छुडाने से रोकता । इसके उलट सभी उसकी इस हरकत का मजा लेते परिणाम शुरू समीर हीन भावना का शिकार होने लगा था । इस वजह से वो अकेला रहने लगा और ज्यादातर चुप रहने लगा । जब भी कभी समीर बात करते समय हकलाने लगता तो उसका बडा भाई उसकी बातों का अंदाजा लगाकर उसकी बात को पूरा कर देता । प्रेशर एक तरह से वो समीर की मदद ही कर रहा था लेकिन समीर उसके व्यवहार को अपनी छोटी बहन के व्यवहार के समान ही देखता हूँ । जिस वजह से उसके व्यवहार में चिडचिडापन आ गया था तो बात बात पर गुस्सा करने लगा था और हर वक्त गु्स्सैल और चल थोडा सा रहने लगा जिस वजह से उसकी हकलाहट की समस्या और भी बढने लगी । समीर की बात से उसकी समस्या के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि वो अपने आप को असहाय महसूस करती हैं क्योंकि वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही थी । एक माँ होने के नाते वो समीर के लिए परेशान जरूर थी लेकिन उन्हें उसकी समस्या को काबू करने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था । अब रोहित के सामने समीर की हकलाहट की समस्या के कारण की तस्वीर बिल्कुल साफ हो चुकी थी और इस समस्या के हल के लिए सबसे पहले रोहित ने उसके पिताजी को उससे मिलने के लिए कहा । रोहित ने उन्हें हकलाहट और डर के बीच के आपसी संबंध के बारे में विस्तारपूर्वक समझाया और साथ ही समीर को उसके हट राहत के कारण डांटने से मना भी किया । फिर बारी आई उसकी छोटी बहन की, क्योंकि बार बार उसकी हकलाहट की नकल उतारकर उसे चिढाती और सबके सामने बेइज्जत करती हैं हूँ । रोहित ने उसे और उसकी माँ को बुलाया । नकल उतारने के कारण होने वाली हकलाहट की समस्या के बारे में बताया । रोहित ने उसे बताया कि हकलाहट की किस्मत मुख्यतय या दो प्रकार की होती हैं । पहली जान जात हकलाहट और दूसरी किसी और की नकल उतारने से होने वाली हकलाहट की समस्या रोहित है । समीर की बहन को समझाया अगर अपने भाई यानी समीर के हकलाहट की नकल उतारने बंद नहीं की, वो भी इसी समस्या का शिकार हो सकती है और जैसा की अक्सर होता है, नकल उतारने से पैदा हुई हकलाहट की समस्या चंद काबू में नहीं आती । उसके बहन ने रोहित को वचन दिया कि वह भविष्य में इन सब बातों का ख्याल रखेगी और आइंदा से कभी भी समीर के हकलाहट का मजाक नहीं बनाएगी और साथ ही उसकी माँ को दिया उसके बडे भाई को कहते अगर कभी राहुल अपनी बात को पूरा नहीं कर पाता तो समीर की मदद ना करें । चाहे जैसे भी हो, समीर को अपनी बात को खुद पूरा करने देना चाहिए और साथ ही उन्हें निम्मलिखित बातों पर अमल करने के लिए कहा । एक । समीर को मेरे द्वारा बताये गए दिशा निर्देशों का पालन करवाएं तो हकलाहट के विषय पर समीर हो । कभी भी डांट फटकारा मत लगाएँ । तीन । समीर की तुलना कभी भी किसी और के साथ मत करें । चाहे जहाँ तक हो सके घर में माहौल खुशनुमा बनाए रखें । पांच । बहुत बात पर समीर को शाबाशी देते रहे । छह । अगर कहीं वो बोलते समय हकलाने लगता है तो उसकी बात को काटे नहीं बल्कि उस की बात को उसे खुद ही पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करें । साथ किताबें पढ नहीं और गाना गाने से हकलाहट की समस्या पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है । इसीलिए उसे बार बार किताबे पडने और गाना गाने के लिए प्रेरित करें । आठ । चाहे उसकी हकलाहट की समस्या काबू में अभी जाती है, परंतु गुस्से, डर और टेंशन की स्थिति में ये समस्या फिर से उभरकर सामने आ सकती है । इसीलिए जहाँ तक हो सके । समीर को ऐसी परिस्थितियों से दूर ही रखें । रोहित के द्वारा बताए गए दिशा निर्देशों को सुनने के पश्चात समीर और उसकी माँ ने रोहित से विदा ली । लगभग सात आठ महीनों के उपरांत समीर की हकलाहट की समस्या लगभग खत्म हो गई थी । अब उसे कभी कवार ही ये समस्या होती थी । समीर का करियर भी समझ चुका था समीर अपनी गायकी के साथ साथ होटल व्यवसाय में भी हाथ आजमा रहा था । उसने छोटी सी उम्र में ही कामयाबी की बुलंदियों को छूने लगा था । शरीर का बडा भाई चेतन शादीशुदा था और समीर के साथ उसके होटल बिजनेस में उसका हाथ बटाने लगा था । समीर की उम्र भी शादी के लायक हो गई थी । हमेशा समीर की शादी के लिए लडकियों की कोई कमी नहीं थी, लेकिन समीर के परिवार वालों को उसके लिए योग्य जीवन साथी की तलाश थी । समीर के पिता के पास जब भी समीर के लिए कोई रिश्ता लेकर आता तो सबसे पहले अपने परिवार के सदस्यों विषेशकर समीर के दादा जी की सलाह जरूर लेते । एक दिन की बात है समीर की चाची समीर की शादी के लिए रिश्ता लेकर आए । रिश्ता काफी अमीर घराने से ताल्लुक रखता था । यानी लडकी पक्ष के लोग काफी पैसे वाले थे । समीर के परिवार वालों को ये रिश्ता पसंद था । बस बात समीर के ऊपर टिकी थी । सभी को भी इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं था । लेकिन जब इस रिश्ते के बारे में समीर के दादा जी से बात की गई तो उनको ये रिश्ता पसंद नहीं आया और उन्होंने साफ तौर पर इस रिश्ते के लिए मना कर दिया । समीर के पिता ने उनसे रिश्ते से मना करने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा, देखो बेटा भगवान का दिया तुम्हारे पर सब कुछ है यानि तुम्हारे पास पैसों की कोई कमी नहीं है तो कोई पैसों वाला घर नहीं । ऐसा घर चाहिए तुम्हारी और तुम्हारे परिवार की इज्जत करें । मैं ये नहीं कह रहा कि पैसे वाले लोग तुम्हारी कोई इज्जत नहीं करेंगे । परंतु तो हमारा जो आदर सत्कार मध्यमवर्गीय लोग करेंगे वो शायद वो पैसे वाले लोग नहीं कर पाए और अगर तुम पैसों की वजह से ये रिश्ता स्वीकार करते हो, हो सकता है कि तुम्हारे होने वाली बहुत हमारी सेवा ना करें क्योंकि वो तो आपने बात के पैसों के अहंकार में डूबी होगी । उसके पास इतना समय ही नहीं होगा कि वह तुम्हारी कोई सेवा करेगी क्योंकि ये बडे बात की बिगडी हुई लडकियाँ होती हैं अपना ज्यादातर समय पार्टी वगैरह और डिस्को में गुजारती हैं उसकी हाय हेलो में तुम चरणवंदना कभी नहीं ढूंढ पाओगे । इसीलिए मेरी राय में अगर तुम कोई मध्यमवर्गीय परिवार की लडकी समीर के लिए ढून्ढ सको तो ये तो भारी और तोहरे परिवार के लिए बेहतर रहेगा । समीर के दादा की बात उनको भाग जाती है और वो उस रिश्ते को मना कर देते हैं और वो अपने नजदीकी रिश्तेदारियों को कोई अच्छा साथ मध्यमवर्गीय परिवार से संबंधित रिश्ता बताने को कहते हैं । कुछ दिनों के बाद समीर की माँ अपनी बहन यानि समीर की मौसी के घर उनसे मिलने के लिए जाती है । समीर की मौसी जालंधर शहर में रहती हैं । कुछ देर इधर उधर की बातें करने के पश्चात समीर की मौसी समीर की शादी के बारे में उसकी माँ से बात करती हैं । वो उनसे अपनी ननद के देवर की लडकी के बारे में बात करती हैं । समीर की मौसी की ना रात के देवर की लडकी का नाम दिशा है । दिशा के परिवार में उसके माता पिता के अलावा तू बडे भाई हैं तो दोनों ही शादीशुदा हैं । एशिया के पिता मुनीम का काम करते हैं और उसका बडा भाई फौज में और छोटा भाई पंजाब पुलिस में हैडकांस्टेबल के पद पर तैनात है । समीर की मौसी की अपनी ननद से ईशा और समीर के बारे में बात करती है और कहती है कि वह एशिया को बिना कुछ बताए किसी बहाने उसके घर ले आएं ताकि वह समीर की माँ से उसे मिलवा सकें । कुछ समय पश्चात समीर की मौसी की ननद ईशा को समीर की माँ को मेहंदी लगाने के बहाने उसके घर लेकर आ जाती हैं । समीर की माँ एशिया की पहली नजर में ही पसंद कर लेती है और अपनी बहन से कहती है क्यों ना बात को आगे बढाने में पहले किसी बहाने समीर को भी एशिया के साथ मिलवा दिया जाए । इस बात पर समीर की मौसी सहमत हो जाती हैं और उनसे कहती हैं, संयोग वर्ष आज मेरी बेटी का जन्मदिन भी है ट्यून । आज शाम को जन्मदिन बनाने के बहाने समीर को बुला लिया जाए और साथ ही एशिया भी वहां मौजूद रहेगी । आप समीर से एशिया के बारे में पूछ लेना और अगर उसी ईशा पसंद आ जाती है तो दिशा के घर वालों से मैं खुद बात कर लेंगे । समीर की माँ मान जाती है और समीर और उसके पिता को जन्मदिन की पार्टी में शामिल होने के लिए बुलावा लेती है । पहले तो समीर वहाँ जाने से मना कर देता है । समीर का दर्द था की वो एक सेलिब्रिटी है और अगर वहाँ जाएगा तो आप सबको कई प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड सकता है । यानी समीर के वहाँ आने से सभी को चाहने वालों की भीड जमा हो सकती थी और पार्टी का सारा मजा खराब हो सकता था । लेकिन समीर की माँ नहीं मानी और उसे वहाँ बार बार आने को कहने लगे । आखिरकार समीर मान जाता है और पार्टी में शामिल होने को राजी हो जाता है । शाम को समीर अपना भेष बदलकर पार्टी में चला जाता है ताकि लोगों से पहचान ना पाए । लेकिन इसके बावजूद भी कुछ लोग से पहचान लेते हैं और वह शरीर को गाना गाने की मांग करते हैं । पहले तो समीर उनकी बातों को नजरअंदाज कर देता है लेकिन जब उसकी नजर एशिया पर पडती है तो उसे देखता ही रह जाता है । इतने में ईशा उसके पास आती है और से गाना गाने के लिए बोलती है । समीर से मना नहीं कर पाता और भरी महफिल में गाना गाने लगता है । गाना गाने के दौरान समीर बार बार ईशा की तरफ देखता रहता है । समीर की माँ समीर की इस हरकत को देखती रहती हैं । समीर के गाना गाने के दौरान होटल में मौजूद सभी लोगों से देखने के लिए वहाँ पहुंच जाते हैं और समीर तक पहुंचने के लिए धक्का मुक्की करने लगते हैं । उसी समय में समीर को चाहने वालों की भीड इतनी बढ जाती है तो उसे काबू करना होटल प्रशासन के लिए मुश्किल हो जाता है । होटल प्रशासन को भीड पर नियंत्रण करने के लिए पुलिस की मदद लेनी पडती है । समीर भी पुलिस की मदद से जल्द से जल्द अपनी माँ और बहन को लेकर घर की ओर जाने लगता है । रास्ते में समीर की बहन प्रिया उससे मजाकिया लहजे से एशिया के बारे में पूछने लगती है सरीर उसके बाद कौन सुना कर देता है । फिर उसकी माँ समीर है एशिया के बारे में बात करने लगती है । पहले तो समीर कुछ नहीं बोलता लेकिन उसकी माँ के बार बार कहने पर समीर उनसे कहता है, मेरे साथ ऐसी बात न करिमा क्योंकि पहली बार मैंने आपको कभी किसी बात से मना नहीं किया । आपकी पसंद ही मेरी पसंद है और दूसरी आप जो भी कदम उठाए सोच समझ कर उठाएं आप मेरी शादी की बात को आगे बढाने से पहले आप उनके बारे में सही से जांच पडताल कर लें । समीर की माँ उसकी बात को बीच में रोककर उसे कहती है, मैंने सब कुछ पहले ही मालूम कर लिया है । एशिया के परिवार वाले कोई गैर नहीं बल्कि तो भारी मौसी की ननद के देवर की बेटी है और तुम्हारी मौसी और उसकी ननद एशिया के परिवार वालों को काफी अच्छे से जानते हैं । उन सब के मुताबिक को काफी भले और शरीफ लोग हैं । समीर अपनी माँ से कहता है, अगर आपको सब कुछ ठीक लगता है तो मैं आप सबकी बात को इनकार नहीं कर सकता है । परंतु मेरी एक शर्त है । बात को आगे बढाने से पहले में एशिया के साथ अकेले में कुछ बातें करना चाहूंगा उसके बाद ही मैं अपना फैसला लूंगा । समीर की माँ से बहुत खुश होती हैं और अपनी बहन को सब बात बता देती हैं । समीर की मौसी बात को आगे बढाने के लिए अपनी ननद से बात करती है । उन सभी को इस रिश्ते को लेकर काफी खुशी होती है और दोनों परिवार तयशुदा समय में सनी और ईशा की मुलाकात करवाने की योजना बनाते हैं । आज समीर ओडिशा से मिलने के लिए उसके शहर जाना था । उस की मौसी क्योंकि समीर की शादी में बिचौलिए की भूमिका निभा रही थी । उसने दोनों परिवारों की मुलाकात करवाने का प्रोग्राम समीर के ही कहने पर उस की ननद के घर पर रखा था । समीर और उसका परिवार सुबह के समय सभी को उसके साथ उसकी ननद के घर पहुंच जाते हैं । उसकी नमक उसके बाकी के परिवार के सदस्य समीर और उसके पारिवारिक सदस्यों का स्वागत करते हैं । कुछ देर चाय पानी पीने के बाद समीर की माँ एशिया को बुलाने के लिए कहती है । कुछ समय पश्चात ईशा वहाँ पर आ जाती है । वहाँ बैठे सभी सदस्यों को बहुत ही आदर सरकार से मिलती है । कुछ देर बातें करने के बाद समीर की माँ इशारों ही इशारों में समीर से एशिया के प्रति उसके फैसले के बारे में पूछती है । समीर भी इशारों में एशिया से अकेले में मिलने और से बातें करने के लिए कहता है । समीर की माँ अपनी बहन से इस बारे में बात करती है और उस की बहन यानी समीर की मौसी अपनी ननद को कहती है । इस पर उसकी नाथ कहती है कि अगर दोनों अकेले में बात करना चाहते हैं तो इसमें हर्ज ही क्या है । शरीर की मौसी ईशा और समीर की एक अलग कमरे में मीटिंग करती हैं । अब दोनों कमरे में अकेले बैठे होते हैं । पहले तो सभी अच्छे से कोई बात नहीं करता लेकिन इससे कुछ ही देर बाद समीर एशिया से बातें करना शुरू करता है । समीर कहता है हेलो जी क्या हाल है । मेरा नाम समीर तो आपने सुना होगा लेकिन इस नाम का बनाने में जो पापड मैंने मिले हैं वो शायद कोई नहीं जानता हूँ । मैं काफी एकांत पसंद व्यक्ति हूँ । मेरा कोई मित्र नहीं है । मैं ज्यादातर अकेला रहना ही पसंद करता हूँ । इसका कारण शायद हो सकता है कि बचपन से मुझे हकलाहट की समस्या थी । इस वजह से सभी लोग मेरा मजाक बनाते थे और इस मजाक से बचने के लिए मैं अपने आप को अकेला कर लेता था । लेकिन मुझे भगवान से कभी कोई शिकायत नहीं है क्योंकि ये बात भी सच है । यहाँ मैं जिस मुकाम पर पहुंचा हूँ उसके पीछे मेरी हकलाहट की समस्या का बहुत बडा योगदान रहा है । मैं तुम से अपने बारे में कुछ छुपाना नहीं चाहता । बचपन में मुझे एक लडकी से प्यार हो गया था लेकिन जब से मेरी हटना हाथ की समस्या के बारे में पता चला तो उसने मेरे प्यार को यह कहकर ठुकरा दिया कि तुम अपने जीवन में कुछ नहीं कर सकते हैं । हमारे साथ जीवन गुजारने का मतलब है कि तमाम उम्र समाज से छुप का रहना । क्योंकि जब तुम अपनी समस्या के कारण समाज में घुल मिल नहीं पाओगे तो मैं कैसे समाज में अपना सिर ऊंचा करने को ही सकती हूँ । उसकी इस बात से मुझे बहुत दुख हुआ । अगर मैं चाहता था उसके बाद कपडे दिल में लगा लेता और सारी उम्र वहाँ गुमनाम से जिंदगी जी रहा होता । लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया । मैंने अपनी हकलाहट की समस्या के रहते हुए अपनी अलग पहचान बनाई । भारत ही नहीं बल्कि संसार का पहला ऐसा गायक बना जो कि अगला हट की समस्या से ग्रस्त हो । आज मेरी हकलाहट की समस्या लगभग समाप्त हो चुकी है । मैं कैसे मुकाम पर पहुंच गया हूँ जहाँ मेरे चाहने वालों की संख्या लाखों में नहीं बल्कि करोडों में है । इसके बावजूद मेरा कोई ऐसा दोस्त नहीं है जिससे मैं अपने दिल की बात कर सकूँ । वो दोस्त मुझे समझ सकें । मैं तुमसे पत्नी नहीं बल्कि एक दोस्त का रिश्ता रखना चाहता हूँ क्योंकि मैं समझता हूँ कि सिर्फ दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है जिसमें हम एक दूसरे को अपने दिल की बात बता सकते हैं । मेरे अनुसार दोस्ती का रिश्ता सब रिश्तों से कहीं ऊंचा है । क्या तुम मेरा वही दोस्त बनना पसंद करोगी? सभी की बातें सुनकर ईशा उसकी तरफ देखती है और कुछ नहीं बोलती है । इसके जवाब में केवल हमें अपना सिर हिला देती है । समीर कमरे से बाहर आता है और अपनी माँ को एशिया से शादी करने के लिए अपनी सहमती देता है । समीर की सहमती से वहाँ मौजूद सभी लोग बहुत खुश होते हैं और एक दूसरे को बधाई देने लगते हैं । कुछ देर पश्चात सभी वहाँ से जाने लगते हैं । समीर भी उन सब सुविधा लेकर अपने परिवार के सदस्यों को लेकर वहाँ से चलने लगता है । रास्ते में उसकी बहन प्रिया समीर से मजाकिया लहजे से ईशा के बारे में पूछने लगती है लेकिन समीर उसकी और ध्यान नहीं देता और अपने ही खयालों में खो जाता है । इस समय समय अजीब सी स्थिति में अपने आपको महसूस करता है । पूरी सफर के दौरान सभी चुप रहता है । वो किसी से कोई बात नहीं करता । घर पहुंचकर समीर की माँ समीर से एशिया के बारे में पूछने लगती है । समीर उनकी तरफ से कर मुस्कुराने लगता है । समीर जब घर पहुंचता है तो उसका एक दोस्त पवन उससे मिलने आया होता है । वो उसे उसके दोस्त राकेश के बारे में बताता है कि राकेश और उसके परिवार के सभी सदस्यों को पुलिस पकड के लिए गई है । समीर बहुत हैरान होता है और वो पवन से सब पर कारण पूछता है तो वो बताता है कि उसे सही में तो मालूम नहीं । बस इतना ही पता है कि उन सब पर दहेज प्रताडना का आरोप लगा है । सभी बहुत हैरान होता है और वो पवन से कहता है कि वह राकेश और उसके परिवार वालों को बहुत अच्छी तरह से जानता है । उसे उन सब पर लगे आरोपों पर विश्वास नहीं है कि सब झूठ है । इतना कहते ही वो अपने दोस्त जो की पुलिस में है उसको फोन करता है और उससे राकेश के बारे में जानकारी हासिल करने को बोलता है । समीर का दोष उसे कुछ ही समय में वापस फोन करके राकेश के बारे में सब जानकारी देने को कहता है । कुछ समय पश्चात सुमित के दोस्त का फोन आता है और वह से कहता है कि राकेश और उसके परिवार पर राकेश की पति ने दहेज की मांग कर रहे हैं और दहेज न देने पर मारपीट करने का आरोप चढा है । राकेश की पत्नी का पुलिस को दिए गए बयानों के आधार पर ही पुलिस ने राकेश और उसके परिवार के सदस्यों को गिरफ्तार किया है । सभी रूप से राकेश और उसके परिवार के सदस्यों की रिहाई के बारे में पूछता है कि अभी उन के खिलाफ एफआईआरदर्ज नहीं हुई है । अभी वह जमानत पर आ सकते हैं लेकिन अगर एक बार एफआईआर दर्ज हो जाती है, उनकी जमानत करवाना मुश्किल हो सकता है । समीर इस सब जानकारी के लिए अपने दोस्त का धन्यवाद करता है और फोन बंद कर देता है । इतने में समीर के पिता जी समीर के पास आते हैं और उससे उसके परेशान होने के बारे में पूछते हैं । सभी रोने राकेश और उसके परिवार के बारे में बताता है । समीर के पिता उसे हौसला देते हैं और उसे किसी प्रकार की कोई चिंता न करने के लिए कहते हैं । इतने में सभी तैयार होने लगता है । समीर के पिता उससे पूछते हैं कि वह कहाँ जा रहा है । उसके जवाब में समीर बताता है राकेश और उसके परिवार की जमानत करवाना है । पुलिस स्टेशन जा रहा है समीर के पिता उसे वहाँ जाने से मना करते हैं । समीर इज्जत करता है और कहता है इधर केश उसका बचपन का दोस्त है । उस पर उसके परिवार पर लगे सभी इल्जाम झूठे हैं और से उन सबकी मदद करने के लिए जाना ही चाहिए । इस पर उसके पिता कहते हैं कि वह राकेश और उसके परिवार वालों की मदद करने से मना नहीं कर रहा है । हमें उनकी मदद जरूर करनी चाहिए लेकिन तो एक सेलिब्रिटी हो और अगर तुम पुलिस स्टेशन जाओगे तो ये कल के अखबार की सुर्खियां बन जाएंगे । इसलिए वहाँ तुम नहीं बल्कि मैं खुद हूँ । उन सब की जमानत के लिए पुलिस स्टेशन जाऊंगा । इतना कहते ही समीर के पिता राकेश और उसके पिता की जमानत के सिलसिले में पुलिस स्टेशन की और रवाना हो जाते हैं । पुलिस स्टेशन में उनकी खासा जान पहचान होने की वजह से उन सबको जल्द ही जमानत नहीं जाती है और वो अपने घर वापस आ जाते हैं । अगले दिन सुबह सभी राकेश को मिलने उसके घर जाता है ताकि समीर को देख कर बहुत खुश होता है और उसकी मदद करने के लिए उसे धन्यवाद देता है । कुछ देर बातें करने के बाद समीर राकेश, उसकी पत्नी द्वारा उन पर लगाए गए इल्जामों की सच्चाई बनाने को कहता है । राकेश अपने ऊपर लगाए सभी इल्जामों को सिरे से खारिज करता है और समीर को अपने ऊपर बीती हुई पूरी कहानी बताता है । राकेश कहता है, जैसा कि तुम जानते हो, समीर की मेरी शादी को भी कुछ ही वक्त हुआ है । पहले तो सब कुछ ठीक चलता रहा हूँ लेकिन शादी के कुछ ही दिनों बाद मेरी पत्नी ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया । पहले तो वह बात बात पर उससे झगडा करने लगे फिर मेरी हर बात को मानने से इनकार करने लगे । इतना ही नहीं तो मेरे परिवार के बाकी सदस्यों के साथ भी लडाई झगडा बहस बाजी करने लगे । मेरे पिताजी ने उसके रोज रोज की लडाई झगडे से तंग आकर कई बार मुझे घर से अलग रहने की कोशिश की परंतु हर बार उसके माता पिता क्या उसके परिवार को कोई न कोई सदस्य आकर हमारी सुलह करवा देता हूँ । मेरा ससुराल यानि उसका घर हमारे घर के थोडा ही पास था । उसका नुकसान ये था कि जब भी कभी हमारे आपस में लडाई होती है तो उसका साथ देने के लिए उसके परिवार वाले झट से आ जाते हैं और हमारे साथ लडाई झगडा करने लगते हैं । हम चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते क्योंकि समाज नहीं लडके वाले हमेशा बदनाम होते हैं । यानी लडकी वाले कुछ भी इल्जाम लगा दें कि समाज बिना किसी जांच पडताल के उसे सच मान लेता है तो इस बार तो उन्होंने सारी हदें पार कर देखो । राकेश अभी बात ही कर रहा था की इतने में उसके घर पर कुछ पुलिस वाले आ जाते हैं । राकेश उन पुलिस वालों से उसके घर आने का कारण पूछता है । वो बताते हैं कि उनके पास राकेश उसके माता पिता हूँ और उसके भाई भाभी के खिलाफ धारा चार सौ अट्ठानबे ए के तहत गिरफ्तार करने का वारंट है । पुलिस वालों की बात सुनकर समीर और रखे हैं एक दूसरे की और देखने लग जाते हैं । इतने में पुलिस वाले राकेश और उसके परिवार के सभी सदस्यों को गिरफ्तार करने लगते हैं । समीर उन पुलिस वालों को रोकने की बहुत कोशिश करता है लेकिन वो नहीं मानते । समीर के काफी समझाने पर पुलिस वाले से कहते हैं कि इन सबको गिरफ्तार करने का वारंट निकल चुका है और वह कानून के आगे विवश हैं । अगर आप इन की कुछ मदद करना चाहते हैं तो किसी वकील से इस बारे में बात करो । समीर राकेश काॅल्स बनाता है और कहता है कि वह घबरा नहीं तो उसे और उसके परिवार वालों को कुछ नहीं होने देगा । सभी राकेश के केस के बारे में अपने दोस्त सौरभ क्योंकि पेशे से वकील है । उससे राकेश के केस के बारे में डिस्कस करता है और उसे राकेश केस की पैरवी करने को कहता है । एक तरफ जहां समीर अपने दोस्त राकेश के तीस मझा होता है वहीं दूसरी तरह समीर की मौसी अपनी ननद को लेकर उसके घर आ जाती है । वो समीर और एशिया की शादी की बात को आगे बढाने के लिए उन दोनों का रोका करने के सिलसिले में उसकी माँ से बात करने के लिए आती है । कुछ देर बातें करने के पश्चात ये सब हो जाता है कि आज से दो दिन के बाद समीर और एशिया का रोका किया जाएगा । समीर आपने रोका फंक्शन को लेकर इतना उत्साहित नहीं था । उसके जहन में बार बार राकेश का केस आ रहा था । सभी सौरभ को फोन करके राकेश पर लगी धारा चार सौ अट्ठानबे ए के बारे में जानकारी देने के लिए अपने घर बुलाता है । सौरभ ने कहा दहेज प्रथा को रोकने के लिए सरकार ने आईपीसी की धारा चार सौ अट्ठानबे एक के अंतर्गत एक कानून पास क्या इस कानून के मुताबिक दहेज प्रथा की वजह से प्रताडित हुए लोगों को एक शिकायत पर पुलिस पति परिवार के सभी सदस्यों को बिना किसी पूछताछ की जेल में डाल सकती है और साथ ही उन सब के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी कर देती है और जुर्म साबित होने पर कम से कम छह साल की कैद हो सकती है । लेकिन इस कानून का दुरुपयोग धडल्ले से हो रहा है क्योंकि दहेज प्रताप की वजह से प्रताडित की गई युवतियों को इस कानून का लाभ नहीं मिल रहा हूँ । क्योंकि समाज के डर से या फिर अपने ससुराल में टिके रहने की वजह से वो किसी को आपने प्रताडित होने की शिकायत नहीं कर दी और इसके उलट मायूस देखने वाली शातिर युवतियां इस कानून का डर दिखाकर अपने पति परिवार से अच्छे पैसे एट लेती है । ऐसी युवतियों की मदद पुलिस से लेकर वकील सब करते हैं माफ करना लेकिन इस बात को भी झुठलाया नहीं जा सकता है कि कई वकीलों और पुलिस वालों की ज्यादातर रोजी रोटी ऐसी युवतियों के दम पर यू का हो । चार सौ छियानवे एक दम पर ही चलती हैं । सभी सौरभ की बात सुनकर हक्का बक्का रह गया । वो उससे इस कानून से बचने का कोई हल यानी राकेश की मुसीबत के हाल के बारे में पूछता है । इसके जवाब में सौरभ कहता है कि इस मुसीबत से बचने का सिर्फ एक ही हाल है कि वो राकेश की पत्नी से बाहर ही कोई भी बचाव करके उसे राकेश पर क्या की इस वापसी लेने के लिए कहा जाए । अगर आसान भाषा में कहीं तो राकेश की पत्नी उन पैसों के बारे में पूछा जाए । इसको लेकर वो राकेश पर क्या चार सौ अट्ठानबे एक केस वापस लेले । इसके अलावा हमारे पास राकेश और उसके परिवार को बचाने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है । इतना कहने के बाद सौरव वहाँ से चला जाता है और समीर राकेश और उसकी पत्नी के बारे में विचार करने लगता है । इतने में उसके पिता समीर के पास आते हैं और उसे राकेश के केस के बारे में पूछते हैं । समीर सौरभ की कहीं एक एक बार अपने पिता को बताता है । समीर का पिता उसकी बातों को सुनकर चिंतित होने लगता है और मन ही मन भगवान से प्रार्थना करता है और कहता है भगवान ऐसी मुसीबत में उसके दुश्मनों को भी न डाले । समीर और उसके पिता भी बात ही कर रहे होते हैं । इतने में समीर की बहने निशान उनके पास आती है और अपने पिता को शिकायती अंदाज से कहती हैं क्या पिता जी आप भी भाई से कितनी गंभीर गंभीर बातें कर रहे हो? कितने दिन हो गए हैं भाई को भविष्य मिले हुए अब इन दोनों का रोका भी हो गया है । परन्तु अब तक इन दोनों में आपस में फोन पर बात तक नहीं की रहे । आजकल का फैशन है लडके । लडकियां शादी से पहले फोन पर एक दूसरे से मुलाकात करते हैं और फोन पर बातें करते हैं । दिशा की बात सुनकर समीर उसके पिता हसने लग पडते हैं । समीर मजाक मनिषा से कहता है पहली बात तो मुझे एशिया के मोबाइल का नंबर नहीं पता हूँ और दूसरी बात मैं आप सबके सामने से बात नहीं करूंगा तो मगर मेरी मदद करना चाहती हो तो अपनी भाभी यानी एशिया के मोबाइल का नंबर पता करवाकर मेरी बात उससे करवा दो । निशा समीर की बात सुनकर बहुत खुश होती है और अपनी माँ से एशिया के घर का टेलीफोन का नंबर मांगने लगती है । समीर और पिता निशा के बाद पर हंसने लगते हैं । इतने में समीर एक दम गंभीर हो जाता है और अपने पिता को पूछता है पिताजी भगवान ना करे अगर मेरा हल्दी राकेश के जैसे हुआ तो । मेरा कहने का मतलब ये है कि जो मुसीबत राकेश के परिवार पर पडी है अगर वही मुसीबत एशिया की वजह से हमारे परिवार के ऊपर पडे तो हम क्या कर सकते हैं? समीर की बात के जवाब में उसके पिता जी कहते हैं, देखो बेटा जीवन में सुख और दुःख दोनों भगवान की देन है और फिर ये शादी वहाँ सब किस्मत का खेल है । हमारे मुकदर में जो लिखा है हम उसको बदल नहीं सकते इसलिए भविष्य की चिंता मत करो और अपने अगले जीवन के बारे में सोच हूँ और अब हम शादी करने जा रहे हो यानी तुम्हारा नया जीवन शुरू होने जा रहा है । इसलिए मेरी मानो तो ऐसे विचार अपने मन से निकाल जो होगा देखा जाएगा । अपने पिता की बातें सुनकर सभी रूम से कहता है, पिताजी आज जो कह रहे हैं, बिल्कुल सही कह रहे हैं लेकिन आप मेरी एक बात मान लेंगे । किसी ना किसी तरह मेरी मंगनी और शादी के बीच एक साल का समय डाल दें क्योंकि उसे एक साल के समय के दौरान मैं ईशा और उसके परिवार के सदस्यों से मुलाकात करके उन सब के बारे में अच्छे से जान लूंगा । सभी के पिता उसकी बात पर अपनी हामी भर देते हैं और से कहते हैं कि वो बिल्कुल चिंता ना करें, जैसा वो चाहेगा वैसा ही होगा । वो दोनों भी बातें ही कर रहे होते हैं कि तभी समीर की बहन निशान उसे आवाज लगाकर अपने कमरे में बुलाती है । समिति दिशा के कमरे में जाता है और निशा उसे अपना मोबाइल फोन पकडा कर बोलती है कि उसके किसी सहेली का फोन आया है उससे बात करना चाहती है । समीर फोन नहीं पकडता और से पूछता है कि अगर सहेली उसकी है तो मुझसे बात क्यों करना चाहती है तो किसी से बात नहीं करेगा । तब निशा से कहती है कि वो आपकी बहुत बडी प्रशंसक है, अब से बात करना चाहती है । समीर मोबाइल पकडता है और बात करने लगता है । समीर लो प्रशंसक धीमी आवाज में अरुचि आप कौन बोल रहे हैं? समीर बोलो में समीर बोल रहा हूँ, आपको बोल रही हैं प्रशंसक जीने एशिया बोल रही हूँ । निशा ने मुझे कहा था कि कोई मुझसे बात करना चाहता है लेकिन उसने ये नहीं बताया कि आप उस से बात करना चाहते हैं । कुछ देर दोनों में से कोई बात नहीं करता । उससे ईशा फोन बंद कर देती है । समीर निशा की और देखता है और वह शरारती अंदाज में उसकी और देख रही होती है । समीर उसको मजाक में मारने के लिए दौडता है । उजाकर अपने पिता के पीछे छिप जाती है । निशियन समीर की बातों का जमकर मजाक बनाती है । कुछ दे हसी मजाक करने के बाद सभी दिशा को कहता है यू फोन पर करने का कोई फायदा नहीं होगा । पहले एक दो मुलाकातें होने दो जिससे हम दोनों एक दूसरे को जानने लग जाए । उसके बाद ही हम फोन पर खुलकर बात कर सकते हैं । यानी समीर ने इशारों ही इशारों में एशिया से मुलाकात करने की बात निशा को कहना ली । विषय से मुलाकात करने के पीछे समीर का मकसद यह था कि वह ईशा और उसके परिवार वालों को करीब से जानना चाहता था परन्तु वो सीधे तौर पर इस बारे में किसी को बताना नहीं चाहता था । वो जानता था कि उसका ये काम सिर्फ उसकी बहन निशा ही कर सकती है और फिर सभी ने सोचा था वैसा ही हुआ । यानी निशाने समीर और ईशा की मुलाकात करवाने का प्रोग्राम बना ही लिया । और ये काम निशाने ईशा की भाभी की मदद से । क्या आखिरकार वो दिन आ ही गया जब समीर नहीं एशिया के साथ अकेले में मुलाकात कर दी थी । बेशक इसके पहले दोनों मिल चुके थे लेकिन उस समय वो दोनों अपने रिश्तेदारों के बीच घिरे हुए थे । दोनों की अकेले में ये पहली मुलाकात थी । पहले उधर समय और स्थान पर दोनों पहुंच चाहते हैं । दिशा और ईशा की भावी ने उनकी मुलाकात करवाने की व्यवस्था एक रेस्टोरेंट मिल की थी । समीर अपने साथ निशा को और दिशा अपने साथ साथ अपनी भाभी को लेकर आती हैं । उस चारों वहाँ रेस्टोरेंट में बैठ जाते हैं लेकिन वहाँ समीर के प्रशंसकों की भीड उसे घेर लेती है । समीर के प्रशंसक उससे फोटो खिंचवाने के लिए एक दूसरे से प्रमुख कि करने लगते हैं जिससे वो बहुत असहज महसूस करते हैं । समीर वहाँ से उन सब को लेकर चलने लगता है । समीर इस बात के लिए उन सब से माफी मांगता है और कहता है उसे वहीं पता था कि ये सब ऐसे हो जाएगा । समीर इससे कहता है, आप सब बुरा ना मानो तो हम सब मेरे दोस्त के घर पर चल सकते हैं । वहाँ पे कोई तंग नहीं करेगा । वो सब मान जाते हैं । समीर के दोस्त रोहित जिसमें उसकी हकलाहट की समस्या को हल किया था उसका घर पास ही था । समीर रोहित को फोन कर उसके घर आने की जानकारी देता है तो बहुत खुश होता है और उसका स्वागत जोर शोर से करता है । सनी ईशा उसकी भाभी के साथ रोहित के घर बैठ जाते हैं । इतने में निशान रोहित को सब बात बता देती है कि कैसे वो सब रेस्टोरेंट में बैठे थे । वहाँ समीर के प्रशंसकों की भीड जमा होने की वजह से वो तुम्हारे घर आ गए । परंतु रोहित के घर में भी रेस्टोरेंट वाला हाल होता है । यानी उसके घर वाले सभी समीर के इर्द गिर्द घेरा बनाकर बैठ जाते हैं । ये सब देखकर निशा रोहित की और देखती है । रोहित परिस्थिति को भाग जाता है और समीर और दिशा को अपना नया दफ्तर दिखाने के बहाने वहाँ से बुला लेता है । रोहित, समीर और निशा को अपने दफ्तर में वहीं बैठा लेता और बाकी सब के साथ वहाँ से चलता है । अब रोहित के दफ्तर में समीर और इशांत अकेले होते हैं । पहले तो वो दोनों यानी समीर और ईशा कुछ बात नहीं करते लेकिन धीरे धीरे समीर बातें करता है । कुछ देर बातें करने के पश्चात समीर दिशा को एक मोबाइल फोन तोहफे के तौर पर देता है और से कहता है यहाँ अकेले में बात करना ठीक नहीं है । हमें मोबाइल फोन के जरिए बात करेंगे । हम बाहर चलते हैं और लोग क्या सोचेंगे । दिशा कुछ नहीं कहती और वो दोनों बाहर आ जाते हैं । कुछ देर रोहित के परिवार के साथ बैठ कर सभी वहाँ से चले जाते हैं । अगले दिन समीर ईशा को तोहफे में दिया मोबाइल फोन पर फोन करता है । पहले तो दोनों को झटके चाहते हैं लेकिन कुछ देर बातें करने के पश्चात वो आराम से बातें करने लगते हैं । समीर दिशा के प्यार में पड जाता है । जब भी समीर को समय मिलता वो ईशा को लेकर रोहित के घर मिलने के लिए पहुंच जाता । समीर दिशा में अपने बचपन के प्यार शिखर को देखने लगा था तो दोनों घंटों फोन पर एक दूसरे से बातें करते हैं । एक दिन सभी की मौसी और ईशा की माँ समीर के घर उसकी माँ को मिलने आती हैं । ईशा की माँ समीर की माँ से दोनों की शादी की बात कर रहा आती हैं । शहीद की माँ कहती है अभी दोनों का सिर्फ रोका हुआ है, अभी मंगनी करनी है फिर शादी के बारे में बात करनी चाहिए । आखिरकार अभी दोनों बच्चे हैं और फिर समीर ने शादी के बारे में भी सोचा नहीं है । उसे कुछ समय चाहिए । वो तो अभी अपने करियर को बनाने में उलझा हुआ है । उसके जवाब में एशिया की माँ कहती है देखिए बहन जी बहुत असल में ये है कि मेरा बेटा जो पुलिस में है उसे विदेश जाने का मौका मिल रहा है और उसका वीजा, पासपोर्ट वगैरह सब कुछ तैयार है और वह दो महीनों में विदेश चला जाएगा और फिर पांच साल बाद आएगा । हम सब चाहते थे कि उसके विदेश जाने से पहले मेरी बेटी ईशा की शादी हो जाए ताकि वो अपने हाथों से उसे विदा करके निश्चिंत होकर चला जाए । समीर की माँ कहती है कि वह इस बारे में अपने पति से बात करेंगे और आज रात हूँ । हम इस सब पारिवारिक सदस्य इस बारे में सलाह मशवरा कर आपको जवाब दे देंगे । उसके बाद तो दोनों वहाँ से विदा लेती हैं । शाम को जब समीर के पिता घर आते हैं तो समीर की माँ उनसे एशिया की माँ का संदेशा देती हैं वो दोनों अभी बात ही कर रहे होते हैं । सभी सभी वहां पहुंचता है और समीर के पिता उसे सब बात बता देते हैं । समीर ईशा के परिवार के जल्द शादी करने के फैसले पर बहुत हैरान होता है तो अपने पिता को कहता है कि वह लगभग चौबीस घंटे एशिया के साथ फोन पर बात करता है । अगर ऐसी कोई बात होती तो उसे जरूर बता देती हूँ । आप माने या ना माने दाल में जरूर कुछ काला है । अभी समीर बात कर ही रहा होता है कि तभी उसके पिता उसे चुप करवा देते हैं और कहते हैं देखो बेटा हर परिवार की अपनी अपनी कुछ ना कुछ मजबूरी होती है । हमें दूसरे पक्ष के बारे में बिना कुछ जांच पडताल किए कोई फैसला नहीं ले सकते । हो सकता है ईशा के परिवार वाले जो कुछ बोल रहे हो वो सच हूँ और उन्होंने एशिया को तो मैं बताने से मना किया हूँ और फिर पैसे भी लडका और लडकी में जितना भी प्यार मोहब्बत क्यों ना हो कोई भी अपने घर के निजी बातें एक दूसरे को नहीं बताते । समीर अपने पिताजी से कहता है कि अब हमें क्या करना चाहिए । जैसा मैंने सोचा था वैसा तो कुछ हुआ । समीर के पिता कहते हैं जैसा भी हो रहा है उन्हें तो हो सकता है । इसमें भी तुम्हारा कोई भला छिपा हूँ और फिर एक ना एक दिन शादी तो करनी ही है । जैसा तुम सोचते हो कि मुझे एशिया और उसके परिवार को समझने के लिए एक साल का समय चाहिए तो सुनो अगर किसी को समझना हो तो पालने ही समझ आ जाता है और न समझने वाले कई कई सालों तक समझ नहीं पाते । यानी तो में ईशा और उसके परिवार वालों को समझने के लिए एक या दो तीन साल का भी समय दिया जाए तो नहीं समझ पाओगे क्योंकि वो लोग जैसे भी हो अपनी असलियत तुम्हारे सामने कभी जाहिर नहीं होने देंगे । यानी वो सब तुम्हारे सामने तुम्हारी जी हुजूरी करेंगे । यानी ये सब बातें करते । समीर के पिता ने सभी को जल्द शादी के लिए मना लिया । परीक्षा के परिवार वालों को भी ये संदेशा भिजवा दिया । जैसा वो चाहते हैं वैसा ही होगा और वह किसी पंडित से । समीर ओडिशा की शादी की तारीख निकल वाले अगले ही दिन एशिया के माता पिता दोनों की शादी के सिलसिले में समीर के घर आते हैं और मंगनी और शादी की तारीख निकालने के लिए पंडित को बुलाते हैं । पंडित जी आज से ठीक डेढ महीने के बाद शादी का मुहरत निकालते हैं । एशिया की माता पिता उनके सामने ये प्रस्ताव रखते हैं । चौदह दिसंबर को दोनों की मंगनी की रस्म और सुबह दिसंबर को शादी और अगर आप शादी की कोई पार्टी रखना चाहते हैं तो वो सत्रह या अठारह दिसंबर को रख सकते हैं । सभी के पिता पहले तो कुछ नहीं बोलते । फिर कुछ देर उनकी बातें सुनने के बाद उनसे कहते हैं देखो जी जैसा आप कहते हैं वो भी ठीक है लेकिन अगर मेरी माने तो शादी के दौरान इतने फंक्शन नहीं करना चाहिए । मेरी माने तो अगर हम एक छोटा सा निजी समारोह करके इन दोनों की शादी संपन्न कर दें और बाद में एक बडी सी पार्टी रख नहीं तो कैसा रहेगा क्योंकि पहले मंगरी फिर दो दिन बाद शादी । ऐसे में मेहमानों की संख्या बढ जाएगी और ये सब बोझ अपने ऊपर ही पडेगा । और फिर अब हम सब एक परिवार बनने जा रहे हैं और बोझा आप पर पडे या हम पर बात नहीं की है । मेरी मानो तो ये सब फिजूलखर्ची है और ऐसा करने से हम इस फिजूलखर्ची को कुछ काम कर सकते हैं और फिर जो पैसा बचेगा, आखिरकार इन दोनों बच्चों के ही काम आएगा । एशिया के माता पिता उनके इस प्रस्ताव से बहुत खुश होते हैं । कुछ देर बातें करने के बाद आखिरकार यह तय होता है कि समीर और एशिया की शादी सोलह दिसंबर को बहुत ही सधे ढंग से होगी और ये एक बहुत ही निजी फंक्शन होगा जिसमें दोनों परिवारों के खास मेहमान शामिल होंगे । शादी में किसी भी प्रकार की कोई भी औपचारिक रस्में जैसे मिल्लि, दहेज बगैरा नहीं होंगे क्योंकि समीर के पारिवारिक सदस्य, खास कर उसके पिता दहेज प्रथा के सख्त खिलाफ थे और मिलने की रस्म के पीछे उनका पर था कि अगर एक बार आपने श्रवण को छेड दिया तो पहली बात तो ये शादी सादे ढंग से की गई शादी नहीं रहेगी । और दूसरी बात मिलने की रस्म के लिए समीर के रिश्तेदारों की संख्या इतनी ज्यादा है कि सभी के साथ की रस्म अदा करना नामुमकिन है, जिससे ज्यादातर रिश्तेदारों का नाराज होना संभव है । तो कुल मिलाकर यह तय होता है कि शादी में किसी भी प्रकार की कोई भी नाजायज रस्म को नहीं निभाया जाएगा । इसके दो दिन बाद यानी दिसंबर को समीर के परिवार की तरफ से एक शानदार पार्टी का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सभी जनसाधारण, लोगों और रिश्तेदारों को न्यौता दिया जाएगा । समीर की शादी में सिर्फ डेढ महीने का समय ही मिल पाया । उसने अपने भविष्य के दो महीनों तक के सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए और शादी की तैयारियों में जुट गया । एक दिन खुद ही शादी की खरीदारी के सिलसिले में बाजार गया हुआ था कि वहां उसकी मुलाकात राकेश से होती है । उसे देख कर बहुत खुश होता है । समीर राकेश को लेकर घर आता है और अपने पिताजी से उसकी मुलाकात करवाता है । तीनों बैठ कर बातें करने लगते हैं । समीर के पिता राकेश से उसकी किसके बारे में पूछते हैं? पहले तो राकेश कुछ नहीं बताता हूँ और बात को टाल देता है । लेकिन उनके बार बार पूछने पर राकेश बताता है कि उसका के सब खत्म हो चुका है । यानी अब उसका तलाक हो चुका है । राकेश के तलाक के बारे में सुन कर सभी हैरान हो जाते हैं । समीर के पिता राकेश से पूछते हैं कि ये सब कैसे और कब हुआ? राकेश उन्हें बताता है । जैसा की आप से पहले ही जानते हैं कि मेरे ससुराल वालों ने मेरे और मेरे परिवार वालों पर धारा चार सौ अट्ठानबे ए के तहत केस दर्ज करवाया हुआ था । इस वजह से पुलिस ने मेरे पूरे परिवार को पकडकर जेल में बंद कर दिया था । हम सब अपने निर्देश होने की दुहाई देते रहे लेकिन हमारे किसी ने नहीं सुनी । एक दिन मेरे ससुराल वालों की तरफ से एक आदमी हमसे मिलने आया । उसने ज्यादा बातें न करते हुए हमसे सीधे सीधे कहा कि अगर सुलह वगैरह या लडकी से तलाक लेना चाहते हैं तो उनको चालीस लाख की रकम हर्जाने के तौर पर अदा करनी होगी । वरना धारा चार सौ अट्ठानबे ए के तहत सजा भुगतने के लिए हम सब तैयार रहें । हमने उसको वहाँ से ये कहकर भेज दिया कि हम पहले अपने वकील से इस बारे में बात करेंगे । उसके बाद ही हम किसी नतीजे पर पहुंचेंगे । उसके जाने के बाद हमने अपने वकील से संपर्क साधा और जो सारी बात उसको बता दी । हमारी हिरानी की हद तो तब हुई जब हमारे वकील ने भी बिना कोई और उपाय बताए सीधे तौर पर चालीस लाख की रकम उन्हें देने के बारे में कह दिया । उस समय हम सबको लगा कि हम पूरी तरह से उन के बिछाए जाल में फंस चुके हैं । उधर, जेल में मेरे माताजी की तबियत बिगडने लगी । मरता क्या ना करता । हमने उनकी बात मान ली लेकिन हमने चालीस लाख जैसी बडी रकम इतने कम समय भी चुका पाने में अपनी असमर्थता जाहिर की और उनसे कहा कि हम अपना घर, मकान उनके नाम कर सकते हैं । हम सब नहीं सोचा उनमें कोई इंसानियत शेष बची होगी । हमारे घर बेचने की बात पर शायद उनका मन बदल जाए लेकिन हम गलत थे । वो हमारे घर के बदले हमारी रिहाई करने के लिए मान गए । अंत में हम सब ने फैसला किया कि हम अपना घर उन्हें देकर इस मुसीबत से छुटकारा पा लेते हैं तो क्योंकि जिंदगी रही तो हम ऐसे कई घर बना सकते हैं । आज हम अपना घर चाहे बच्चा नहीं पाए लेकिन हम अपना घर होकर इस मुसीबत से जरूर निकल आए हैं । आजकल हम पांच ये किराये के मकान में रहते हैं । इतना कहकर राकेश की आंखों में पानी आ जाता है । समीर के पिता उसे अपने गले में लगाते हुए इसको चुप करवाते हैं । कुछ देर बातें करने के पश्चात राकेश सबसे विदा लेता है और वहाँ से चला जाता है । रकेश के वहाँ से जाते ही समीर और उसके पिता गहरी सोच में पड जाते हैं । अभी समीर अपने पिता को गुस्से में कहता है, पिताजी यही कारण है कि मैं आपसे शादी के लिए एक साल का समय मांग रहा था क्योंकि मुझे डर लगता है । अगर भविष्य में मेरा हाल भी राकेश के जैसे हुआ तो अगर मुझे एक साल का समय मिल जाता तो उस समय के दौरान में एशिया और उसके परिवार वालों को जान सकता था लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ । सुमित के पिता उसे चुप करवाते हैं और कहते हैं देखो बेटा । अगर तुम सोचते हो कि राकेश की इस हालत के पीछे सिर्फ उसकी पत्नी और उसके परिवार वालों का हाथ है तो तुम गलत हो । राकेश की बर्बादी की असल वजह कुछ और ही है । राकेश को ऐसी स्थिति तक पहुंचाने के लिए धारा चार सौ अट्ठानबे ए और कुछ ऐसे वकील लोग हैं क्योंकि अपने पेशे यू पहले की अपने कर्तव्य से हटकर सिर्फ पैसों की खातिर ऐसे काम करते हैं । राकेश के तेज में भी ऐसा ही होता है । राकेश के पक्ष का वकील भी राकेश का पक्ष छोडकर पैसों की खाकर लडकी पक्ष की तरफ दारी करने लगा था । खैर छोडो इन सब बातों को फिर तुम्हारी शादी का समय है । ऐसे समय में तुम्हें इधर उधर की बातें छोडकर अपनी शादी की तैयारियों की तरफ ध्यान देना चाहिए । मैंने पहले भी तो मैं कहा था कि तुम सब लोग एक जैसे नहीं होते । एशिया के परिवार के बारे में तो भारी जो विचार है, मैं उनसे सहमत नहीं हूँ । पिछले मेरी मानो ऐसी बातों को अपने मन से निकाल दो और खुशी खुशी अपनी तैयारियाँ शुरू करो । समीर अपने पिता की बात सुनकर चुप हो जाता है । वो भी बातें कर ही रहे होते हैं कि तभी समीर की माँ उनके पास आती हैं और वह दोनों बातें करना बंद कर देते हैं । कुछ समय के पश्चात समीर वहाँ से उठकर अपने कमरे में चला जाता है । समीर ने अपने सारे प्रोग्राम अगले दो महीने के लिए रद्द करवा दिए थे जिससे उसके पास अब काफी खाली समय था और समीर अपना ज्यादातर समय एशिया के साथ मोबाइल पर बातें करते हुए बिताने लगा सहित सारा सारा दिन एशिया से फोन पर बातें करता रहा हूँ । इस दौरान उसने एशिया को अपने जीवन की लगभग हर एक बात बता दी थी । लेकिन इसके उलट एशिया समीर अपने बारे में कम ही बात करते हैं । एक दिन समीर ईशा को फोन कर रहा था लेकिन एशिया उसका फोन नहीं उठा रही थी । सुनील के बहुत इंतजार और काफी प्रयासों के बाद दिशा ने समीर का फोन उठा लिया । समीर एशिया से उसके देर से फोन उठाने के लिए पूछता है । पहले तो इस बारे में कुछ नहीं बताती लेकिन समीर के ज्यादा पूछने पर वो बताती है कि उसका उसकी माँ से झगडा हो गया था क्योंकि वहाँ से सब्जी बनाने के लिए कह रही थी लेकिन उसका मन नहीं कर रहा था और ईशा ने मना कर दिया । इस बात पर ईशा की माँ एशिया को बुरा भला कहने लगी और इतना ही नहीं उसकी माँ ने सबके बीच उसको तक पढ तक मार दिया था । समीर उसकी बात सुनकर एकदम चुप हो गया । उसने कहीं काम पर जाने का बहाना कर फोन बंद कर दिया और सुनीर फोन बंद करके एशिया और उसकी माँ के बर्ताव के बारे में सोचने लगा । वो भी सोच रहा था कि इतने में समीर के पिता उसके कमरे में आ गए और उसको यू लटकाया देखकर वह समीर इसका कारण पूछने लगे । सभी जी एशिया से हुई सारी बार अपने पिता को बता दी । ओडिशा की माँ के एशिया से बडता के बारे में उन्हें बता दिया । समीर के पिता एशिया के माँ के बढता हूँ पर हैरानी जाहिर करते हैं और समीर को कहते हैं कि अब ये उनके घर का मामला है और उन्हें उनके घर के मामले में दखलंदाजी नहीं करनी चाहिए । उसके लिए छोटी सी बात है । ऐसी छोटी बातें अकसर हर घर में होती रहती हैं । समीर अपने पिता को कहता है पिता जी मना ही उनके घर का मामला है और वो आपके लिए छोटी सी बात हो सकती है लेकिन मेरे लिए नहीं । क्योंकि आखिरकार मैं उस घर का दामाद बनने जा रहा हूँ और फिर सब्जी ना बनाने जैसी छोटी सी बात पर एशिया की माँ का अपनी जवान बेटी पर हाथ उठाना । और वो भी तब जबकि उसे पता है कि कुछ ही दिनों में उस की शादी होने वाली है । ऐसी छोटी छोटी बातों से उसके माँ के चरित्र के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह बहुत झगडालू किस्म की हो सकती है क्योंकि जो अपनी बेटी तक का लिहाज नहीं करती वो किसी और का क्या हश्र करेंगे । समीर के पिता ने समीर को किसी ना किसी प्रकार से चुप करवा दिया लेकिन समीर भी कम नहीं था । उस ने अपने दोस्त पवन की बहुत ही गोपनीयता से एशिया के परिवार वालों के बारे में जानकारी हासिल करने को कहा । कुछ ही दिनों में पवन ने समीर से मुलाकात की । ओडिशा के परिवार के बारे में बताने लगा । पवन ने कहा देखो भाई ईशा के परिवार के सदस्यों के बारे में तो तुम जानते ही हो । मैं परिवार के सबसे बडे सदस्य से शुरू करता हूँ । सबसे पहले बारी आती है ईशा के पिता की । एशिया के पिता बहुत ही शांत स्वभाव के मालिक हैं । बहुत कम बोलते हैं, सादा जीवन जीने में विश्वास करते हैं, शुद्ध शाकाहारी हैं और उनको किसी ने आज तक किसी पर गुस्सा करते नहीं देखा । परन्तु एक बात जो मेरी समझ में नहीं आई वो ये है कि वो अपनी शादी के दो महीने बाद ही अपने परिवार से अलग होकर रहने लगे थे । यही नहीं उन्होंने प्रेस ससुराल के घर के पास ही किराये का एक मकान ले लिया था और लगभग चौदह पंद्रह साल उसी मकान में रहे । उसके बाद एशिया की माँ की बारी आती है । इनका स्वभाव इनके पति यानी ईशा के पिता का स्वभाव से बिल्कुल विपरीत है । बात बात पर लडना झगडना तो जैसे उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया हूँ । उनकी गली मोहल्ले गा ऐसा कोई घर नहीं बचा जिनके साथ उनका झगडा ना हुआ हो । लेकिन इसके बावजूद पूरे मोहल्ले में उनकी बहुत चलती है और घर में उनकी मर्जी के बगैर पत्ता तक नहीं होता और सुनने में ये भी आया है कि इन की तो अपने ससुराल वालों से भी नहीं बनी थी और इसीलिए वो शादी के दो महीने बाद ही अपने पति यानि तुम्हारे होने वाले ससुर को लेकर अपने मायके आ गई थी । उसके बाद नंबर आता है तुम्हारे दोनों साले यानी एशिया के दोनों भाई । दिशा के दोनों भाई शादीशुदा हैं, एक पुलिस में है और दूसरा फौज में । पहुंच वाला भाई तो ज्यादातर समय फौज में रहता है और पुलिस वाले भाई के सर पर विदेश जाने का भूत सवार है और उसकी दोनों भाइयों के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं । बस इतना ही पता कर पाया हूँ कि दोनों गरीब घर से हैं और आज तक किसी ने भी उन को घर से बाहर नहीं देखा । ओडिशा की छोटी भावी उसकी हम उम्र होने के कारण एशिया के बहुत करीब है । समीर इस सब जानकारी के लिए मैं उनका धन्यवाद करता है और इस जानकारी के बारे में अपने पिता को बताता है । उसके पिता सबीर की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते और उल्टा इन सब बातों की खोजबीन करवाने के लिए उसे डालते हैं । समीर अपने पिता के आगे कुछ नहीं बोलता हूँ और मंदिर से प्रसाद की तरह चुप चाप देशों के परिवार को स्वीकार कर लेता है । आखिरकार ये डेढ महीने का वक्त कब बीत गया पता नहीं चला हूँ । आज सभी की शादी है । जैसा कि पहले सकता था कि समीर की शादी बहुत ही सधे ढंग से और बिना किसी दहेज वगैरह के संपन्न होती है । समीर के घर में नई दुल्हन का स्वागत बहुत जोर शोर से होता है । ईशा सुमित के घर में मेहमानों के बीच बैठी होती है और सभी मेहमान एशिया की खूबसूरती की चर्चा करते हैं । कुछ देर मेहमानों के साथ बैठने के बाद नेहा ईशा को वहाँ से ले जाती है और से अपना घर दिखाने लगती है । दिशा घर को देख देख कर फूली नहीं समा रही थी तो वहाँ तो बातों में नहीं ऐसे कहती है कि उसने इतना बडा और बढिया घर अपनी असल जिंदगी में कभी नहीं देखा । शाम के समय समीर की बहन और भाभी समीर का कमरा सजाने में व्यस्त हो जाती हैं और वो सब ईशा को सुहागरात के लिए तैयार कर देती हैं और ईशा को समीर के कमरे में बैठाकर चली जाती हैं । कुछ देर इंतजार करने के बाद समीर कमरे में प्रवेश करता है और वो एशिया की तरफ देख कर उसे कहने लगता है आज मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि मुझे तुम जैसी दोस्त एक पत्नी के रूप में मिली है । आज हमारी सुहागरात है और जैसा की रिवाज है कि आज मुझे तो मैं कोई न कोई कीमती वस्तु तोहफे के तौर पर देनी होगी । मैंने इस बारे में काफी कुछ सोचा कि तुम्हें तो फिर में क्या दो तो कोई भी वस्तु हमारी दोस्ती से ज्यादा कीमती नहीं है और मेरा सब कुछ पहले से ही तो हमारा है । दिल बचा था जो तुमने पहले से ही ले लिया था । काफी सोच विचार करने के बाद आखिरकार मैंने वहाँ पर टूट ही लिया जो मैं तो देख सकूँ और जिसे तुम जीवन भर ना भुला । सबको वो तोहफा जो हम को एक दूसरे के और करीब लाए और जो हमारी दोस्ती के रिश्ते को और भी मजबूती दें । मैं तो मैं एक वचन तोहफे के रूप में देना चाहूंगा यानी महत्व मैं वचन देता हूँ कि मैं तुम्हारे होते हुए किसी और लडकी की तरफ नहीं देखूंगा । समीर किन बातों को सुनने के बाद ईशा कुछ नहीं बोलती और उसकी तरफ देखती रहती है । अगले दिन समीर अपनी शादी की पार्टी की तैयारियों में जुट जाता है । समीर के परिवार ने इस पार्टी का आयोजन बहुत धूम धाम से करने की योजना बनाई थी । शाम को एशिया के मायके से सभी सदस्य पार्टी में शामिल होने के लिए पहुंच चुके थे । वो सभी ईशा के कमरे में बैठ कर बातें कर रहे थे । ईशा की भावी उससे धीरे से सुहागरात के तौर पे के लिए कहती है । ओडिशा उदासी भरे लहजे में कहती है कि समीर ने उसे तौर पे में कुछ दिया ही नहीं तो वह क्या दिखाए । एशिया की भावी से बाहर ले जाती है और से पूरी बात के बारे में पूछती हैं तो ईशा बताती है कि समीर नहीं उसे तौर से में कुछ नहीं दिया बल्कि सिर्फ एक वचन को तुमसे के रूप में दे दिया । दिशा विभावि उसके बाद पर खूब मस्ती है और उसकी इस बात का खूब मजाक बनाती है । ईशा उस बात को लेकर उदास हो जाती है । थोडी देर के बाद समीर दिशा के पास आता है और उसे शाम की पार्टी के लिए तैयार होने को कहता है परंतु खुशियों से बात नहीं करती । समय समझ जाता है कि जरूर कोई न कोई बात है । ओडिशा को उसकी उदासी का कारण पूछता है । अच्छा उसे तोफा ना मिलने के कारण उसकी भावी द्वारा उसका मजाक बनाए जाने की सारी बात उसे बता देती है । उसकी बात सुनकर समीर हसने लग जाता है और उससे कहता है, बस इतनी सी बात है पिछले उदास होने वाली क्या बात है? समीर ईशा को कमरे में बैठाकर बाहर आता है और कुछ देर के बाद एशिया के लिए सुंदर सा हीरो का हार लेकर आता है और उससे कहता है ये हार पहन लोग और अगर कुछ पहुंचने के बारे में पूछे तो बोल देना मुझे ये हार मिला है और खासकर अपनी भाभी को जरूर बता देना । मुझे क्या पता था कि कुछ परिस्थितियों में शब्दों की अपेक्षा वस्तुओं की अहमियत ज्यादा होती है । एशिया शाम की पार्टी में वो हार पहन कर जाती है और अपनी भाभी को बुलाकर वो हार दिखाती है । समीर की पार्टी देर रात तक चलती है । अगले दिन सरीर दिशा को खरीदारी के बहाने बाजार घूमने चला जाता है । ईशा अपने परिवार के सभी सदस्यों के लिए कुछ ना कुछ लेने लगती है क्योंकि शाम को उनको एक रस्म के तहत एशिया के मायके जाना होता है तो वो चाहती थी कि वो अपने परिवार के सभी सदस्यों को देने के लिए कुछ ना कुछ जरूर खरीद लें । समीर के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी इसलिए उसने ऐसी छोटी मोटी बातों पर ध्यान नहीं दिया और फिर देखते ही देखते हैं एशिया ने हद से ज्यादा अपने परिवार को देने के लिए खरीदारी कर ली । घर आकर जब उसके पिता को ईशा की इस हरकत का पता चलता है तो वह समीर पर गुस्सा जरूर होते हैं लेकिन वो उसे कुछ कहते नहीं । शाम को समीर अपने परिवार सहित एशिया के मायके जाने की तैयारी करने लगते हैं । समीर की माँ और भावी एशिया को गहनों से लाभ देते हैं जिससे ईशा पहले से ज्यादा सुंदर लगने रखती है । कुछ समय बाद वो सब एशिया के घर जाने के लिए वहाँ से रवाना हो जाते हैं । जब वो सब ईशा के मायके पहुंचते हैं तो वहां उनका स्वागत बहुत जोर शोर से किया जाता है । एशिया की भाविया एशिया को यूज गहनों में लगा हुआ देखते हैं तो उनकी आंखें फटी की फटी रह जाती है । कुछ समय मिलने मिलने के बाद एशिया की दोनों भाइयों से लेकर अलग कमरे में बैठ जाती है और उसके गहनों की तारीफ करने लगती हैं । बातों बातों में वह से कहने लगती हैं दिशा हमारे कहने तो बहुत सुंदर है । काश हमारे पास भी ऐसे गहने होते तो हम भी उसे पहन सकते । एशिया उन्हें कहती है कि बस इतनी सी बात और वो झट से कुछ गहने उतारकर उन दोनों को दे देती है । पहले तो वह गहने लेने से मना करती हैं । ओडिशा को कहती हैं कि अगर समीर उसके परिवार में से किसी को इस बारे में पता चल गया तो अच्छा नहीं होगा । इस परीक्षा कहती है अगर उन्हें पता चलेगा तो ना मेरे पास इससे भी और ज्यादा बहुत कहने हैं । उनमें से पहले होगी और किसी को कुछ पता नहीं चलेगा और इतना कहकर वह सब कुछ कहने अपनी दोनों भाइयों को उतारकर दे देती है । कुछ देर बैठने के बाद समीर और उसका परिवार वहाँ से अपने घर की और रवाना हो जाता है । उन सब के जाने के बाद एशिया की दोनों भाभियां एशिया के द्वारा दिए गए गहने एशिया की माँ को दिखाती है । एशिया की माँ उन्हें एशिया से गहने लेने के कारण उन्हें डांटने की बजाय उन गहनों को देख कर खुश होती हैं । उनसे वो गहने छीन लेती है । वो सब देखकर ईशा के पिता कहते हैं ये सब गलत है और तुम सब को ऐसा नहीं करना चाहिए । इस परीक्षा की माँ उन्हें डांट फटकार कर चुप करवा देती है । उधर घर जाते समय समीर के पिता का ध्यान एशिया के काम हुए गहनों पर पडता है । वो उस समय तो कुछ नहीं कहते लेकिन बाद में इस बारे में सभी से बात जरूर करते हैं । लेकिन समीर उनकी बात पर ज्यादा ध्यान नहीं देता । अगले दिन एशिया अपने घर कुशल मंगल जानने के लिए फोन करती है । वो अपने परिवार के सब सदस्यों से बात करती है । कुछ देर बातें करने के बाद दिशा के बाद उसकी माँ के साथ होने लगती है । ईशा की माँ उससे गहनों के बारे में जिक्र करती है और कहती है बेटा तुम्हारे दिए गहने तो बहुत सुंदर हैं । तुम्हारे जाने के बाद मैंने तुम्हारी भाभी के पास देखे थे तो मेरे पास पैसे और कहते हैं । इस पर ईशा उन्हें बताती है कि वह तो कुछ भी नहीं । उसके पास इससे भी ज्यादा कहने हैं और वो धीरे धीरे समीर के घर में रखे सामान का ब्यौरा देने रखती है जैसे प्रेश टीवी कह रही है वगैरह वगैरह । एशिया की बात उसकी बातों पर हसने लग जाती है और कहती है पेट इतना बडा घर है ये सब कुछ होगा ही । अब हम ऐसी बातें छोड देते हैं और मेरे लिए एक काम करो । जब तुम अगली बार हमारे पास आओ तो मेरे लिए भी कोई कीमती हार या फिर कोई कहना ले आना मुझे समीर की मौसी ने बताया है कि उनके पास बहुत कुछ है । यदि वह बहुत अमीर हैं उनका एक आद कहने या कोई दूसरी वस्तु से कोई खास फर्क नहीं पडेगा । और इस तरह एशिया की माँ ने एशिया को गलत रास्ते पर चलाने के लिए रास्ता दिखा दिया । कुछ दिनों के बाद समीर और दिशा अपने हनीमून के लिए विदेश घूमने के लिए जाते हैं । एशिया का ध्यान वहाँ भी विदेश घूमने फिरने या देखने पर नहीं बल्कि अपने पारिवारिक सदस्यों के लिए कुछ ना कुछ खरीददारी करने की तरफ था । समीर एशिया की सब हरकतों पर नजर रख रहा था । यही नहीं दिशा जब भी मायके आती अपनी माँ या बाकी पारिवारिक सदस्यों के लिए कुछ न कुछ कीमती वस्तु ले जाती है और ये सब काम वो अपने ससुराल वालों से छिप छिपाकर करती थी । वैसे तो ईशा की माँ का कर्तव्य बनता था उसे ऐसा करने से रोके क्योंकि ये चोरी थी जो वो अपने ससुराल में कर रही थी लेकिन ये उसे रोकने की बजाय उसका हौसला अफजाही करती हैं । समीर को इस बात की भनक लग चुकी थी लेकिन वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा था क्योंकि अगर वो कोई कदम उठाता तो उसके ससुराल वालों के इज्जत मिट्टी में मिल जाती है और सही दिशा को एक दो बार ऐसा करते देख लिया था । जिससे उनके इस बात को लेकर हल्की फुल्की लोग झोंक भी हुई थी । लेकिन दिशा हर बार रोने का नाटक करती और समीर इस बात को वहीं पर खत्म कर देता । एक बार की बात है समीर और एशिया को अपने किसी पारिवारिक फंक्शन में जाना था । समीर के बाद एशिया को अपनी तरफ से कीमती हार पहनने को दिया । ईशा वो हार पहनकर समीर के परिवार के साथ उस फंक्शन में शामिल होने के लिए जाती है । कुछ देर के बाद समीर की बहन देखती है कि ईशा के गले से त्यौहार गायब है । एशिया अपने गले में हाथ लगाकर देखती है और हार को अपने गले में नहीं पाती है और परेशान होने लगती है । कुछ देर के बाद समीर और उसकी माँ को हर गुम होने के बारे में पता चलता है । वो एशिया से हार के बारे में पूछते हैं लेकिन वो कुछ नहीं बता पाते । तो बार बार यही कहती है कि मुझे इस बारे में कोई बात नहीं पता । वो सभी हार को ढूंढते हैं लेकिन हार नहीं मिलता । खैर काफी जद्दोजहद के बाद जब हार नहीं मिला तो सब उस हार का जिक्र करना बंद कर देते हैं । कुछ समय वहाँ रुकने के पश्चात वो सब वहाँ से चले जाते हैं । कुछ दिनों के बाद सभी जहाँ फंक्शन था उनके घर जाता है और उनसे उस फंक्शन की बनाई हुई वीडियो फिल्म मंगाता है । वो समीर को वो वीडियो दे देते हैं । सुमित अपने घर आकर वो वीडियो फिल्म देखता है । उस वीडियो के सीटें वो ईशा को हार उतारकर अपने पर्स में छुपाते देख लेता है । सभी को बहुत दुख पहुंचता है क्योंकि वो अब पक्के तौर पर जाना जाता है कि ईशा चोरी कर रही है और अब तो उनके पास इस बात का सबूत था ओडिशा को अपने पास बुलाता है और उस गुम हुए हार के बारे में पूछता है । दिशा फिर से वही बयान देती है की उसे उस हार के बारे में नहीं पता क्योंकि जब उसने पहना था तो कुछ देर के बाद उससे गुम गया था और इस बात का उसे खेत भी है । समीर उसके दिए बयान को नकारता और कहता है कि वह झूठ बोल रही है । समीर के बाद शंकर ईशा कहती है कि वह समीर की कसम खाती है की हार का उसे कुछ पता नहीं है और इतना कहने पर उन्होंने लगती है सुनील उसे अपने पास बुलाता है और उसे वो वीडियो सीन दिखाता है जिसमें ईशा हार को उतारकर आपने पाँच में रख रही होती है । ईशा वीडियो देखकर एकदम सन्न रह जाती है । समीर वीडियो बन कर देता है और से कहता है दिशा अब तो मैं इस वीडियो के बारे में क्या कहना चाहोगे । ये मत कहना कि ये सब झूठ है और उस वीडियो में दिखाई जाने वाली तस्वीर उसकी नहीं है । पहले तो भारी पर कितना विश्वास किया लेकिन लेकिन तुमने मेरे विश्वास का कडाई छोड दिया । तुमने हार को चुराकर क्या करना था । जाहिर है अपनी माँ को ही देना होगा । अगर तुम को या तुम्हारी माँ को किसी चीज की जरूरत ही तो सीधा मुझसे मांग लेते तो चोरी करने की क्या जरूरत थी । उनको इस बात का जरा सा भी इल्म है कि अगर इस बात के बारे में मेरे घर वालों को पता चलेगा तो उनकी नजरों में तो बहुत ही क्या जब रह जाएगी । समीर की बात सुनकर ईशर होने लगती है और से रोता देखकर समीर कहता है अभी रोना होना बंद करो और तैयार हो जाऊँ । मैं अभी तुम्हारे मायके जाकर हमारी माँ से इस बारे में बात करना चाहता हूँ । समीर की बात सुनकर ईशा कुछ दर जाती है और से माफी मांगने लगती है और ये कहती है कि इस बार से माफ कर दें । भविष्य में ऐसी गलती नहीं करेगी । नहीं एशिया समीर को वह हार भी लाकर दे देती है । ईशा की हरकत से सभी का दिल टूट हुआ था और एशिया के बारे में कभी ये सोचा ही नहीं था कि वो इस प्रकार का नीच काम भी कर सकती है । और तौर समीर ईशा की इन हरकतों के बारे में किसी को पता भी नहीं सकता हूँ क्योंकि भविष्य में कोई भी शीशा पर कभी विश्वास नहीं करेगा । वो सबकी नजरों से गिर जाएगी और वैसा नहीं चाहता था । समीर गुमसुम सा रहने लगा । उसने ईसा से बोल चाल कम कर दिया । समीर की शादी को हुए दो महीने का समय व्यतीत हो चुका था की उन दोनों में हल्की फुल्की नोकझोंक होनी शुरू हो चुकी थी । इस दो महीनों के दौरान एशिया पर अमेरिका रंग चढ चुका था तो बहुत ही घमंडी हो गई थी । उस से वहाँ की स्थानीय महिलाओं से दोस्ती करके उनके साथ छोटी छोटी पार्टियों में जाना शुरू कर दिया था । इस वजह से वो और भी भी करती जा रही थी । रात को देर से आना सुबह देर से जागरा समीर के परिवार से खासकर उसकी माँ से सीधे वो बात ना करना आदि उसकी आदतों में शुमार हो चुका था । समीर एशिया की इन बातों को जानकर भी अनजान बन रहा था । आखिरकार एक दिन समीर के पिता ने समीर ईशा के बारे में बात करनी चाहिए परंतु समीर रहे अपने पिता को कहा । वो एशिया की इन हरकतों के आगे बेबस है । उसने उसे कई बार रोकना चाहा लेकिन अब वो उसका कहा नहीं मानती है । अभी समीर के पिता ईशा को बुलाते हैं और डांट लगाते हुए समझाने लगते हैं लेकिन वो उनकी बातों को सुनने की बजाय हम शुरू कर देती है और वहाँ से चली जाती है । सभी के पिता एशिया की हरकत पर हैरानी प्रकट करते हैं और उसी समय समीर की मौसी को फोन कर गई उसे और उसकी मौसी को तुरंत मिलने को कहता है । अगले दिन समीर की मौसी अपनी ननद के साथ सब के घर आती है । कुछ देर बातें करने के बाद समीर के पिता ईशा की सब हरकतों के बारे में उन्हें बताने लगते हैं । समीर की मौसी की ननद क्योंकि ईसा की ताई भी लगती थी, उसे ईशा पर बहुत कुछ चाहता है और उसी समय शाम को बुलाती है । दिशा उनके पास आती है और समीर की मौसी और अपने ताई को बात देखकर हैरान रह जाती है । ईसा गिताई उसे डांटने लगती है कि तभी ईशा बेहोश हो जाती है और वहीं जमीन पर गिर जाती है । एशिया के बेहोश होते ही वहाँ मौजूद सभी लोगों में अफरा तफरी मच जाती है । ये सब उसे लेकर अस्पताल जाते हैं । कुछ देर इलाज के बाद एशिया को हो जाता है । एशिया के होश में आते ही सभी की जान में जान आती है । तभी सभी डॉक्टर से उसके बेहोश होने का कारण पूछता है । डॉक्टर से कहता है कि कि शक्कर बनती है इस कारण से अचानक बेहोशी छा गई थी । एशिया के गर्भवती होने के बारे में समीर समय सभी सदस्य खुशी हमारे उछलने लग जाते हैं । वो उसे लेकर घर पर आते हैं । वो सब ईशा की पुरानी बातों को भूल जाते हैं । ओडिशा और समीर के साथ उनकी खुशियों में शामिल हो जाते हैं । लेकिन इसके विपरीत ईशा अपने गर्भवती होने पर ज्यादा खुश नहीं होती है और ईशा समीर स्पष्ट रूप से कहती है उसे अभी बच्चा नहीं चाहिए । समीर ईशा के इस फैसले पर हैरान हो जाता है और एशिया से इसका कारण पूछता है । दिशा कहती है, पहली बात तो ये है कि मेरी उम्र भी काफी छोटी है और दूसरी बात मैं अभी इस उम्र में बच्चा पैदा कर के अपना शरीर बिगाडना नहीं चाहती है । सभी उसकी बातों को पहले तो समझ नहीं पाता कि वह आखिरकार ऐसा क्यों कह रही है । वो उसे समझाने की कोशिश करता है और कहता है हमेशा हमारी पिछली जिंदगी ने जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाऊँ । अब हम नई जिंदगी की और बढ रहे हैं तो हर एक गर्भवती होने से हमारी नई जिंदगी की और ये हमारा पहला कदम है । लेकिन तो मैं सबसे अपना हूँ बोल रही हो । आखिर क्यों सोचती हूँ कि तुम अभी बच्चा पैदा करने के लिए तैयार नहीं हूँ क्योंकि तुम्हारी उम्र अभी कम है लेकिन तुम्हारी उम्र तो बीस साल के आस पास है और वो मैं गर्भवती होने के लिए पर्याप्त है । तुम कहती होगी तुम्हारा शरीर का ढांचा बिगड जाएगा ऐसी सूचना तुम्हारी अगर यही सोच तुम्हारी माँ की होती तो आज हम पैदा नहीं होती है और फिर बच्चे तो भगवान की देन है और तुम इस दिन को ठुकरा रही हूँ । समीर के मुझ से खरी खरी बातें सुनकर ईशा चुप हो जाती है और उस समय वो कुछ नहीं कहते हैं कि शाह किसी भी हालत में बच्चा नहीं चाहती थी और वह बच्चा गिराने के हर संभव प्रयत्न करने लगे हैं । जैसे वो दवाई वगैरह ठीक समय पर नहीं खाती थी और वो काम जिससे होने वाले बच्चे को नुकसान पहुंच सकता था तो वो जानबूझ कर वही काम करती । सनी दिशा को बहुत समझाता है लेकिन वह उसकी कोई बात नहीं मानती । आखिरकार थक हारकर एशिया की माँ से इस बारे में बात करता है लेकिन उसकी माँ ही एशिया को समझाने की बजाय उसका साथ देने लगती है । समीर इस बारे में ईशा के पिता से बात करता है । लेकिन इससे पहले कि वो कुछ बोलता एशिया की माँ ने पहले ही उन्हें डाटकर चुप करा दिया । एक दिन की बात है सभी दिशा से किसी बात को लेकर झगड रहा था । समीर झगडने की आवाज उसके कमरे के बाहर तक आने लगी थी । तभी समीर के पिता उसके कमरे के बाहर से गुजरे तो उन्होंने सभी के झगडने की आवाज सुनी । तभी समीर के पिता नहीं उस को अपने पास बुलाया और झगडने की वजह पूछी । पहले तो समीर ने कुछ नहीं कहा लेकिन अपने पिता द्वारा बार बार पूछे जाने पर उसने बताया ईशा को डॉक्टरों ने कहीं आने जाने और ज्यादा सफर करने से मना किया है । लेकिन फिर भी वो अपने मायके जाने की जिद कर रही है । जबकि मैं कह रहा हूँ कि वह मुझे ही भला बुरा कह रही है । वहाँ भी बताएँ पापा, मैं इससे ज्यादा झगडा ना करो तो क्या करूँ । समीर के पिता ने समीर से कहा कि वह दिशा को बुला कर लाए और खुद से समझाने की कोशिश करेंगे । उस समय पार ईशा समीर के पिता की कमरे से आती है । समीर के पिता से मायके जाने के कारण के बारे में पूछते हैं । इसपर ईशा उन्हें बताती है कि उनकी मौसी वहाँ आई हुई है और वो उस से मिलना चाहती है । तो सभी के पिता कहते हैं देखो बेटी ऐसी छोटी छोटी बातों को लेकर अगर तुम तो मुझे करते हो, ठीक नहीं होगा और फिर तुम देखो । डॉक्टर ने तो मैं खास तौर पर सफर करने से मना किया हुआ है । वो ही सब नहीं मान रही । अगर कुछ गलत हो गया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा तो मैं अपनी मौसी से ही मिलता है । ना तो हम ऐसा करते हैं कि ड्राइवर को भेजकर तुम्हारी माँ और मौसी को यहाँ बुला लेते हैं तो उनसे यही मिलने रहा हूँ । ईशा मान जाती है और समीर के पिता ईशा के सामने ड्राइवर को एशिया के मायके भेज देते हैं । कुछ देर बाद ईशा वहाँ से चली जाती है । सुनील के पिता समीर को समझाते हुए कहते हैं, देखो बेटा जिंदगी की हर एक समस्या का समाधान लडाई झगडे में नहीं होता हूँ । दिमाग से काम लिया करो मैं वही हालत समझ सकता हूँ तो तुम हमारी हालत भी तो समझो । भगवान ना करें अगर कुछ गलत हो गया तो हम सब रिश्तेदारों और समाज को क्या जवाब देंगे । समीर उनकी बात सुनता रहता है और उन से पूछता है की सारी उम्र उसके साथ ऐसा ही चलता रहेगा । सभी के सवाल के जवाब में वो उसे कहते हैं, देखो ही तो मैं नहीं जानता कि कब तक ऐसा चलता रहेगा परंतु इतना जरूर जानता हूँ की दिशा के एक बच्चा होने के बाद ही सब काम जरूर हो जाएगा और क्योंकि उसका सारा ध्यान बच्चे की देखभाल में लगा रहेगा उससे झगडे वाली बातें सोचने का वक्त ही नहीं मिलेगा । तुम चिंता मत करो और अपने काम पर ध्यान दो सब ही हो जाएगा । लेकिन थोडा समय लगेगा भगवान पर और अपने आप पर भरोसा रखो हूँ । समीर की हालत गले में फंसी हड्डी की जैसे होने लगी थी । उस चाहकर भी शाम को डांट नहीं पा रहा था क्योंकि उसे इस बात का डर लग रहा था कि उसके एक गलत कदम से वो अपने होने वाले बच्चे को कहीं खोला देखो । समीर की हालत को समझने वाला कोई नहीं था क्योंकि वो इस बारे में अपने परिवार वालों से खुलकर कोई बात नहीं करना चाहता था । समीर के परिवार वाले समीर की हालत के बारे में जानते थे, लेकिन तब भी बोलना चाहते हैं और चाहकर भी समीर की कोई मदद नहीं कर सकते थे । समय का चक्र चलता रहता है । आखिर बार उस समय आ ही गया जब समीर के घर एक नन्ही परी ने जन्म लिया । समीर और उसके परिवार वालों की खुशी का जिसे कोई ठिकाना नहीं रहा । इस सब नन्ही परी के आगमन से बहुत खुश होते हैं । लेकिन इसके विपरीत दिशा बेटी के जन्म पर ज्यादा खुश नहीं होती । उसका ध्यान नहीं रखती थी । उधर समीर के घर नहीं तरीके आते ही उसे अपने काम में तरक्की मिलनी शुरू हो जाती है । पहले वह जहाँ वो सिर्फ गायब था, वहीं अब उसे कई फिल्मों के प्रस्ताव भी आने लगे थे और समीर सबका । शाहिद अपनी नहीं पारी को देता था । समीर और उसका परिवार उस नन्ही परी को पारी कहकर बुलाने लगे थे । उस सब उसके साथ खूब खेलते थे । सभी जब तरी के साथ होता तो अपनी सब जानता है, भूल जाता । परंतु इसके उलट ईशा तरीका बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखती । जिस वजह से बडी ज्यादातर समीर की माँ और बहन के पास ही होती है लेकिन एशिया पारी को उनके पास नहीं जाने देना चाहती थी । इस वजह से उसका जमीन के परिवार के साथ अक्सर झगडा होता रहता था । एक दिन की बात है एशिया की सहेली उससे मिलने के लिए आती है । साथ में उसकी छोटी बहन सोनिया होती है । एशिया उसका स्वागत बहुत जोर शोर से करती है । कुछ देर बातें करने के बाद हम दोनों को अपने पति यानी समीर से मिलवाती हैं कि सब बाते करने लगते हैं । तभी एशिया की सहेली के साथ आई उस बैंड सोनिया सुमित से शिखा के बारे में पूछने लगती है । सोनिया के मुझसे शिखर का नाम सुनकर सुमित एक दम चौंक जाता है । कुछ नहीं बोलता हूँ । सोनिया के दोबारा पूछने पर वो बात को गोलमोल खुलवाकर वहीं बंद कर देता है । कुछ समय के बाद वो दोनों वहाँ से जाने रखते हैं । इतने में समीर दिशा से छिपकर सोनिया को घर के बाहर रोक लेता है और उससे शिखर के बारे में पूछने लगता है । वो उसे कहता है कि वह शिखर को कैसी जानती है और ये कैसे जानती है कि उसके और शिखा के बीच कोई संबंध है । समीर के सवालों पर सोनिया हसना लगती है और कहती है समझी । शायद आपने मुझे पहचाना नहीं हूँ । मेरा नाम सोनिया है और मैं धर्मशाला शहर में रहती हूँ । शिखा मेरी बचपन की दोस्त है और शायद आपको याद नहीं कि हम पहले भी एक दूसरे से मिल चुके हैं । समीर उसके बाद पर हैरान होता है और पूछता है दोनों इससे पहले कहाँ मिल चुके हैं । इस पर सोनिया कहती है समीर हूँ । शायद आपको याद होगा कि आप एक बार धर्मशाला आए थे और वहाँ टैलेंट हंट प्रतियोगिता में भाग लेकर उस प्रतियोगिता को जीता था और शाम को उसी प्रतियोगिता के जीतने पर शिखर और आप ने मिलकर उसकी सब सहेलियों को पार्टी दी थी । मैं पार्टी में शामिल थी जहाँ मैंने पहली बार आपसे मुलाकात की थी । सोनिया की बात सुनकर समीर थोडा मुस्कुराता हुआ कहता है, हर यहाँ वो पार्टी क्या बात है । वही पार्टी ना जहाँ मैं कुछ बोलने लगा था और बोलते समय हकलाने लगा था और आप सब ने मिलकर मेरा मजाक बनाया था हूँ । आपको कुछ अंदाजा भी है कि आपका किया गया मजाक उस पर कितना भारी पडा है । आपके मजाक के कारण शिखा ने मेरे पीहर को ठुकरा दिया था । आपकी वजह से आज शिखा मेरे पास नहीं है । आप ही की वजह से मेरा सच्चा प्यार मेरे पास नहीं है और सब की वजह मेरे घबराहट की समस्या नहीं है बल्कि आप क्या हुआ मजाक है क्योंकि आपने मेरे हकलाने पर किया था । इस पर सोनिया कहती है सभी जी हम अपनी गलती पर बहुत शर्मिंदा है । ऐसा नहीं करना चाहिए था । और रही बात सच्चे प्यार की तो शिखर आज भी आप से प्यार करती है । जब से आपकी शादी के बारे में पता चला है तो बहुत दुखी हुई हूँ लेकिन वो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकती थी । अब स्थानीय स्कूल में एक अध्यापिका की नौकरी करती है और उसने जिंदगी भर शादी न करने का फैसला लिया है । सोनिया से शिखर के बारे में सुनकर समीर को और धक्का सा लगा और बहुत दुखी हुआ । कुछ देर बातें करने के बाद वहाँ से चले जाते हैं । समीर अपने कमरे में जाता है और वहाँ ईशा को बहुत गुस्से में देखता है । ओडिशा से उसके गुस्से का कारण पूछता है एशिया उसे कहती है, मैंने सोनिया और तुम्हारी बातें सारी बातों को सुन लिया है तो मुझे शिखा के बारे में कभी नहीं बताया, धोखेबाज हो और तुमने मुझे धोखा दिया है । हमारी जिंदगी में मुझ से पहले ही शिखा नाम की एक लडकी थी । इसके बारे में तुमने मुझे कभी नहीं बताया । ईशा की बात सुनकार समीर हैरान रह जाता है । कहता है देखो मेरी जिंदगी में पहले कोई लडकी नहीं थी इसके बारे में मैं तो मैं बताता हूँ । वो शिखा इसके बारे में तुम बोल रही हूँ । मेरा कोई प्यार प्यार नहीं है । शिखा वो लडकी है जिससे कि मैं सख्त नफरत करता हूँ और ये बात भी सही है कि आज मैं जो कुछ भी हूं उसकी उसी नफरत की वजह से हूँ । और इतना कहकर समीर अपनी पिछली जिंदगी की सारी कहानी ईशा को बताने लगता है । लेकिन इसके विपरीत दिशा उसके बाद पर विश्वास नहीं करती और उससे झगडा करने लगती है । कुछ समय के बाद उनका झगडा इतना बढ जाता है कि ईसा अपनी बेटी पारी को साथ लेकर अपने माइके चली जाती है । समीर के परिवार वाले एशिया की इस हरकत पर बहुत हैरान होते हैं और उसे लेने के लिए खुद उसके मायके जाते हैं लेकिन ईशा और उसकी मांग उन सब को खरी खोटी सुनाकर वहां से भगा देती है । समीर को जब एशिया के परिवार की हरकत के बारे में पता चलता है उसे बहुत कुछ रहता है और उनके साथ झगडा करने के इरादे से वहाँ से जाने का आता है । लेकिन समीर के पिता उसे रोक लेते हैं कि शाम के जाने के बाद समीर अकेला पड जाता है परंतु से अकेलेपन का दुख नहीं होता । उसके विपरीत समीर को इस बात की खुशी होती है कि जब तक वापस नहीं आती तब तक वो बिना किसी लडाई झगडे के चैन की जिंदगी व्यतीत करेगा । लेकिन सब के बावजूद अपनी बेटी पारी को बहुत याद करता था । उसके बिना रह नहीं पा रहा था । एशिया को मार के रहे हुए अभी कुछ ही दिन हुए थे । एक एशिया की माँ का सभी को फोन आता है और फोन पर उसे बताती है कि उनकी बेटी पडेगी । अब इस दुनिया में नहीं रही और इतना कहकर वो फोन बंद कर देती है । सभी को पहले उसकी बात पर यकीन नहीं आता हूँ और वापस को फोन लगता है । लेकिन एशिया समीर का फोन नहीं उठाती । ओडिशा के घर के नंबर पर फोन करता है तो ईशा की भावी फोन उठाती है । सभी रन से पारी के बारे में पूछता है । इसके जवाब में वह समीर को बताती है कि उसे ज्यादा कुछ नहीं पता है । जब उसमें उठती है तो उसे इसके बारे में पता चलता है । एशिया की भावी से ये सब सुनकर समीर के पैरों तले से जमीन खिसक जाती है । वो पागलों की तरह जोर जोर से चिल्ला चिल्लाकर परिवार के सभी सदस्यों को बताने लगता है । कुछ ही क्षणों में उसके परिवार के सभी सदस्य उसके पास आते हैं । सभी जोर जोर से बच्चों की जैसे होने लगता है । कुछ देर में वो अपने आप को संभालता है । अपने परिवार सहित एशिया के घर की और रवाना हो जाता है और सारे रास्ते में यही कहता रहता है कि उसकी बेटी परी की मौत का जिम्मेदार ईशा और उसकी माँ है और उन दोनों को चांस मार देगा । उसके पिताजी उसे किसी न किसी तरह समझाते हैं और कहते हैं कुछ वहाँ अपनी बेटी को कैसे मार सकती है । समीर हमको उनके घर जाकर सच्चाई का पता लगाना चाहिए । कुछ ही देर में सब दिशा के घर पहुंचते हैं और वहाँ समीर िषशास् अपनी बेटी के बारे में पूछता है । एशिया की भावी होने बताती है बडी रात को तो ठीक ठाक हुई थी लेकिन आधी रात को जाना शुरू बीमार हुए । अभी ईशा और उसकी मां उसे लेकर अस्पताल चले गए जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया । वो सब पारी को उसके अंतिम संस्कार के लिए शमशान घाट ले गए हैं । हम दोनों के लाख कहने पर भी वो हमें लेकर नहीं गए और वही सब कह परीक्षा की भावी फूट फूटकर रोने लग जाती है । उधर ये सब सुनकर समीर की आंखे गुस्से में लाल हो जाती हैं और वो सब जल्दी से शमशान घाट की तरफ भागते हैं । लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है । एशिया और उसकी माँ पारी का अंतिम संस्कार कर चुकी होती हैं । इस वजह से समीर पारी को अंतिम बार देख नहीं पाता है और वहीं जोर जोर से रोने लगता है । सभी रोते रोते बेहोश हो जाता है । सनी का भाई और उसके पिता उसे संभालते हैं और उसे होश में लाने के लिए उसके ऊपर पानी का छिडकाव करते हैं लेकिन वह होश में नहीं आता हूँ । उसके परिवार वाले सभी को जल्दी अस्पताल लेकर जाते हैं, अस्पताल नहीं । डॉक्टर समीर के कोमा में होने की पुष्टि करते हैं । समीर पारी को खोने के गम नहीं कोमा में चला जाता है । उसके परिवार वालों को पारी क्यूँ अचानक मृत्यु के कारणों का पता नहीं होता हूँ । लेकिन उन्हें इस बात का पक्का यकीन होता है कि इसके पीछे ईशा और उसकी माँ का हाथ है । समीर को कॉमर्स से बाहर आने और पूरी तरह ठीक होने में एक महीने का समय लग जाता है । इस दौरान उसे अपनी बेटी परी की बहुत याद आती है । बार बार होने लगता है उसके पिता उसे बहुत समझाते हैं । इस समय के दौरान ईशा की उसके परिवार वाले कोई भी उससे मिलने तक नहीं आता । समीर मनी मनी फैसला करता है कि वह ईशा और उसकी माँ को नहीं छोडेगा । समीर ईशा को फोन करता हूँ और से बहुत पूरा भला कहता है । ऐसा कुछ दर जाती है और अपने माँ को इस बारे में सब कुछ बताती है । ईशा की वह उसे हौसला देती है कि जब तक वो जिंदा है समीर क्या उसका बाप बीस का कुछ नहीं बिगाड सकता हूँ । कुछ दिनों के बाद समीर को पुलिस स्टेशन से फोन आता है । ये फोन समीर के दोस्त का होता है । वो उसे बताता है कि उसके परिवार के खिलाफ उसकी पत्नी ने दहेज उत्पीडन हो और मारपीट के इल्जाम के तहत शिकायत दर्ज करवाई है । समीर उसकी बात सुनकर हैरान हो जाता है और तुरंत इस बारे में अपने पिता को बताता है । सुमित के पिता तुरंत कार्रवाई करते हुए समीर की मौसी को फोन करके सब बताते हैं और उन्हें पूरी बात पता करने के लिए एशिया के घर जाने के लिए कहते हैं । समिति मौसी तुरंत ईशा के घर जाती है और एशिया की माँ से इस सब के बारे में पूछताछ करती है । दिशा कीमत जो कुछ कहती है वो सुनकर समीर की मौसी हराम रह जाती है और वो जल्दी से वहाँ से समीर की घर चली आती है । समीर के घर पहुंचने पर ईशा और उसकी माँ का संदेश उन्हें सुनने लगती है तो कहती है ऍम एशिया की माँ से मेरा बहुत देर तक बातचीत हुई है लेकिन मेरे लाख समझाने पर भी वह नहीं मान रही हूँ । कहीं नहीं तो मेरी ननद की भी कोई बात सुनने को तैयार नहीं हूँ । उसने कहा कि वह जाकर सभी और उसके परिवार वालों को ये बता दें कि वह अपनी आधी जायदाद या फिर ढाई सौ करोड रुपये मेरी बेटी के नाम कर रही हैं नहीं तो धारा चार सौ अट्ठानबे ए के तहत आप पर केस दर्ज कर देंगे । एशिया की माँ बातें सुनकर सभी के परिवार वाले सब हैरान रह जाते हैं । सभी धारा चार सौ अट्ठानबे ए का नाम सुनकर खडा जाता है और अपने पिता के गुस्से में कहता है ये एशिया और उसकी माँ को चांस मार देगा । सभी के पिता उसे संभालते हैं और से कहते हैं तो बेटा ये समय मार नहीं फिर भरने का नहीं है । इस समय धैर्य रहकर दिमाग से काम लेने का है तो मुझे तो सौरभ को फोन करके अपने पास ब्लाॅकों सलाह मशवरा करना चाहता हूँ । सुनील अपने पिता के कहने पर सौरभ को फोन करता है और से तुरंत घर आने को कहता है । कुछ ही समय में सौरभ खडा जाता है और सबसे मिलने मिलने के बाद समीर के पिता सौरभ को सारी बात बता देते हैं और उससे आगे की योजना के बारे में सजा देने को कहते हैं । सौरभ उनकी सारी बात सुन तार कहता है अंकल झूम हमला कुछ गंभीर होता जा रहा है । धारा चार सौ ठंड में एक के बारे में आप पहले ही जानते हो । धारा में कई परिवार के परिवार उजाड के रखती हैं उससे बचने का अब कोई रास्ता नहीं हूँ परन्तु इससे पहले किए धारा आपके परिवार के ऊपर लगे हम इस से पहले ही कुछ कार्यवाही करनी होगी । मेरे पास एक योजना है, सबसे पहले तो हमें ईशा के परिवार के बारे में पता करना होगा कि वह सब क्या योजना बना रहे हैं । अगर किसी ना किसी तरह से ये सब पता चल जाए तो हम अपनी योजना उसके अनुसार बना सकते हैं । समीर के पिता सौरभ की बात से सहमत होते हैं और कहते हैं, मेरा बात तो तुम्हारी बिल्कुल सही है और तो हम ये कैसे जान सकते हैं कि एशिया के परिवार वाले क्या योजना बना रहे हैं । छोड बोला अंकल जी हो ये सब आप मुझ पर छोड दीजिए । कुछ महीनों पहले की बात है, दिशा का भाई फौज में है । उसके ससुर मेरे पास आए थे । उन्होंने बताया था कि ईशा की माँ उसकी बेटी यानी एशिया की भाभी को बहुत बंद कर दी है । उसके साथ मारपीट तक करती है । मैंने धारा चार सौ अट्ठानबे ए के तहत एक नोटिस लिखकर दे दिया । एशिया के परिवार उस नोटिस को देख कर डर गए थे और उसकी भावी को तंग करना बंद कर दिया था । इस प्रकार उस ससुर अंकल से मेरी घास जान पहचान हो गई थी । अगर हम ऐसा करें कि हम तीनों मैं, समीर और आप उनके घर जाए और उन्हें सारी बात बताएँ । कुछ तो हमारी कुछ मदद कर सकें । समीर के पिता सौरभ की बात से सहमत हो जाते हैं और तुरंत उसके साथ एशिया की भाभी के मायके की और रवाना हो जाते हैं । कुछ समय के बाद उनसे मिलते हैं । कुछ देर बातें करने के बाद सौरभ उन्हें अपनी सारी बात बता देता है । पूछता है क्या तो हमारी कुछ मदद कर सकते हैं । सौरभ की बात के जवाब वो कहते हैं, बेटा जी, उस परिवार से तो मैं और मेरी बेटी भी बहुत दुखी है । मेरा दामाद घर पर नहीं होता जिस कारण वो इस बात का फायदा उठाते हैं और मेरी बेटी पर बहुत शर्म करते हैं । उन्होंने मेरी बेटी का हाल एक नौकरानी से भी बुरा किया हुआ है वो ही रही आप की बात तो मैं सिर्फ इतना कर सकता हूँ कि मैं अपनी बेटी को किसी बहाने यहाँ अपने पांच बना सकता हूँ, आपसे उस परिवार की योजना के बारे में पूछ सकते हो और मैं आपको यकीन दिलाता हूँ की वो आपको ना नहीं बोलेगी और उस परिवार के बारे में सब कुछ सच बता देगी । सभी उनकी बात से सहमत हो जाता है और उनसे ईशा की भावी को बुलाने के लिए कहता है ताकि वह इस सब जान सके कि ईशा के परिवार वालों ने उसके लिए क्या योजना बना रखी है । वो अपनी बेटी को फोन करते हैं और से बीमार होने का बहाना लगाकर अपने पास तुरंत आने को कहते हैं । कुछ ही समय में ईशा की भाभी अपने माय क्या जाती है और समीर को वहां देखकर आश्चर्यचकित हो जाती है । उसके पिता उसको अपने पांच बैठाते हैं और से सारी बात कह देते हैं और उससे एशिया के परिवार वालों की योजना के बारे में पूछने लगती है लेकिन वो कुछ नहीं बताती । इस पर समीर उसको कहता है, अभी आपको मुझे कुछ नहीं बताना मत बताएं क्या तो आपस परिवार से डरती हैं या फिर आप उस परिवार को बचाना चाहती हैं । अगर आप उस परिवार से डरती है तो हम सब आपके साथ हैं । हमारे होते हुए आपको उन सब से डरने की कोई जरूरत नहीं है और अगर आप उस परिवार की सहायता करना या उन्हें बचाना चाहती हैं तो आपको मेरी बेटी परी का वास्ता हूँ । आपको हमारी मदद कर दी ही होगी तो परिवार जिन्होंने शायद मेरी बेटी पढ ही को मार दिया । क्या आप उस परिवार की मदद करना चाहती हैं । समीर की बात सुनकर उन्होंने कहती हैं भाषा तो उस परिवार से डरती हूँ और ना ही उस परिवार को बचाना चाहती हूँ । आप ने कहा कि आपको शक है कि इस परिवार ने आपकी बेटी पारी को मारा है तो वही बात सच है । उन्होंने जानबूझकर अपनी बेटी पारी को मार डाला है । उस परिवार के बारे में अब सोच भी नहीं सकते कि वो कितनी चौक कमीने किस्म के अनुसार हैं । आपको शायद पता भी नहीं कि उन्होंने आप के बारे में क्या योजना बना रखी है । वो आपके पैसों से विदेश जाने तक की ताक में हैं । समीर और वहाँ बैठे सब उसकी बात सुनकर हैरान रह जाते हैं । उसका टकराव से खुलकर सारी बात बताने को कहते हैं तो कहती है ईशा की माँ बहुत भी चौदह है । ओडिशा की शादी विदेश में रहते अपने किसी रिश्तेदार के साथ करने की योजना बना रही है । किसी योजना की कामयाबी के लिए पैसों की जरूरत थी तो उन्होंने आपके परिवार पर धारा चार सौ अट्ठानबे एक झूठा केस डालकर पैसे लेने की योजना बनाई है । इसके लिए उन्होंने भारी पैसे अदा करके एक वकील से सहायता भी ले ली है और आपकी बेटी को भी उन्होंने मारा है क्योंकि वह एशिया की दूसरी शादी में रुकावट पैदा कर सकती थी । ये नहीं वो अपने छोटे बेटे की दूसरी शादी भी विदेश में करना चाहते हैं की बात सुनकर सभी दूसरे की और देखने लग जाते हैं । उसके बाद वो कहती है, कृप्या करके आप भी ये मत बताना कि आपको उनकी योजना के बारे में कुछ मैंने बता दिया है वरना वो मुझे झांसे मार देंगे । इससे पहले भी उन्होंने कई बार मुझे जान से मारने की कोशिश की है । उसकी पांच सुनकर सभी के पिता उसे विश्वास दिलाते हैं कि वह पे नौकरी से रहे । बहुत सही है, कुछ नहीं होने देंगे और वो सब अपने घर वापस आते हैं । समीर के सामने सारी तस्वीर साफ हो जाती है । उसे पता चल जाता है कि आखिर क्यों ईशा इतनी छोटी छोटी बातों पर बार बार उससे झगडा करती थी । हर पहुंचकर वो सब आपस में सलाह मशवरा करते हैं । इस मुसीबत से बचने के लिए उन्हें क्या कदम उठाना चाहिए? समीर के पिता सौरभ से इस बारे में पूछते हैं । सौरभ कहता है, अंकल जी हमें सबसे पहले तो उनके वकील के बारे में पता लगाना चाहिए और उससे ये जान लेना चाहिए कि ईशा और उसके परिवार वालों की असल में क्या योजना है । उसके अनुसार हमें अपनी योजना बनानी होगी । समीर के उसकी बात पर सहमत हो जाते हैं और उनके वकील के बारे में पता लगाने के लिए कहते हैं । कुछ ही समय में सौरभ फोन के जरिये उसके वकील के बारे में पता लगा लेता है । उनके वकील का नाम अनिल है और वह सौरभ के साथ ही काम कर चुका होता है । अनिल एशिया के मायके के घर के पास ही रहता है । सौरभ समीर के पिता को अनिल के बारे में बताने लगता है । सौरभ के अनुसार अगर बहुत ही लालची किस्म का इंसान है, पैसों के लिए वो कुछ भी कर सकता है । उदाहरण चार सौ अट्ठानबे ए के बारे में बहुत जानकारी रखता है । किसी परिवार की धारा चार सौ अट्ठानबे ए के झूठे केस में फंसाकर उनसे पैसे एट ना उसका मुख्य पेशा है । ऐसे वकील ही वकालत के पेशे को बदनाम करते हैं । समीर के पिता समझ जाते हैं । उनके असली गुनहगार एशिया पर उसकी माँ नहीं है बल्कि अनिल है । अपने वकील होने का नाजायज फायदा उठा रहा है । समीर के पिता सौरभ से पूछते हैं, क्या हमें अनिल से मिलना चाहिए या नहीं । सौरभ कहता है, हमें अनिल से मिलने का कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि वो हमारी कोई सहायता नहीं करेगा । इसके विपरीत और भी अहंकारी हो जाएगा । हमारे किसको कमजोर कर देगा । इससे हम केस हार भी सकते हैं । हाँ, मैं उसके पास काम कर रही एक लडकी को जानता हूँ । उसका नाम शीतल है और हम दोनों ने एक साथ वकालत की है । वो मेरी मदद जरूर कर सकती है । इतना कहने के बाद उस शीतल को फोन करता है और उसे समीर के घर आने के लिए कहता है । कुछ समय बाद शीतल समीर के घर पर आ जाती है । कुछ देर बातें करने के बाद सौरभ से कहता है, इधर मुझे थोडी मदद की जरूरत है । मैं तुमसे समीर के केस के बारे में कुछ पूछना चाहता हूँ । कितना कहती है मैं तुम्हारी हर प्रकार से मदद करने के लिए तैयार हूँ क्योंकि पहली बात ये कि मैं समीर जी की बहुत बडी शुभचिंतक मैं इनका हर गाना जरूर सुनती हूँ । दूसरी बात इनके साथ जो कुछ हो रहा है तो वो गलत हो रहा है । अनिल सर और ईशा की माने ये योजना बनाई है वो समीर जी और उनके परिवार को खत्म कर देगी । वो इन पर धारा चार सौ अट्ठानबे के तहत किस डालने की फिराक में है । उन्होंने लगभग तैयार कर लिया है । पहले तो आपसे ढाई सौ करोड रुपए की मांग करेंगे । पैसे न देने की सूरत में वहाँ पर धारा चार सौ अट्ठानबे ए के तहत केस कर देंगे । उसके बाद एशिया कानूनी तौर पर आपकी आधी ज्यादा कि मालिक हो जाएगी क्योंकि उनके हिसाब से लगभग तीन सौ करोड की है । अनिल सर कम नहीं उनकी पूरी मदद कर रहे हैं । इसके लिए उनको लगभग पचास करोड रुपये मिलेंगे । फॅस की नकल की कॉपी है । आपके पास सिर्फ पंद्रह दिन का टाइम है । अगर कुछ कर सकते हो तो अपने बचाव में कुछ कर लो । सौरभ शीतल से समीर के केस की कॉपी की मांग करता है । क्षेत्र कहती है कि किस में ही तैयार कर रही हूँ । मेरे लैप्टॉप नहीं । समिति के केस के बारे में सब कुछ लिखा है । मैं आपको अभी ईमेल के जरिए वो सब जानकारी भेज देती हूँ । उसके बाद शीतल समीर के केस की सारी जानकारी सौरभ कोई मिल के जरिए भेज देती है । सौरभ अनिल को तैयार के केस को पढकर हैरान रह जाता है । इसमें िशाने, समीर और उसके परिवार के खिलाफ बयान भी लिखा है । इसको उसे जल्द पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाना होता है । उसके बाद पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी । उस बयान में लिखा होता है, मेरा नाम इच्छा है । मेरे पिता का नाम शिव कुमार है । मैं मोगा शहर में रहने वाली हूँ । मेरी शादी को एक साल का समय हो गया है । मुझे मेरे ससुराल वाले दहेज के लिए बहुत तंग करते हैं । वो समय समय पर मेरे मायके वालों से कुछ न कुछ मांग करते रहते हैं और मांग पूरी न होने की सूरत में मुझसे मारपीट तक करते हैं । मेरे ससुर मुझे किसी ना किसी बात पर मारते रहते हैं । मेरे पति के बडे भाई मुझ पर बुरी नजर रखते हैं । यही नहीं एक बार तो उन्होंने मेरे साथ गलत काम करने की कोशिश भी की । मैंने अपने पति से इस बारे में बात की तो उन्होंने अपने भाई को कुछ नहीं कहा बल्कि मुझे ही बुरा भला कहने लगे । मेरी ननद और मेरी सास मेरे साथ हमेशा किसी न किसी बहाने मारपीट करते रहते हैं । मेरे ससुर की वजह से मैं अपनी जान से प्यारी बेटी हो चुकी हूँ और ये मुझे भी जान से मारने की धमकी दे रहे हैं । पिछले सप्ताह उन्होंने मेरे पिता जी से कार्य और पचास लाख रुपए की मांग की थी । इसको पूरा करने में मेरे पिता ने मना कर दिया । उन सब ने मिलकर मेरे साथ मारपीट की और मुझे घर से बाहर निकाल दिया । शाह का बयान पढकर सभी रो उसके प्रथा इतने डर जाते हैं कि कुछ समय के लिए कुछ नहीं बोलते । कुछ समय के बाद समीर के पिता सौरभ से पूछते हैं, अब इस मुसीबत से कैसे निपटा जाए? बैठे उनके जवाब नहीं । सौरभ कहता है, अंकल जी पुरानी कहावत है कांटा कांटे से ही बाहर निकाला जा सकता है । यानी से पहले कि वो हम पर कोई केस करें । उससे पहले हमें उन सबको किसी न किसी केस में फंसा देना चाहिए । समीर के पिता सौरभ को कहते हैं, वो क्या कह रहा है, उसे बिल्कुल समझ नहीं आ रहा तरफ विस्तारपूर्वक हम सब को समझाएं कि आखिर करना क्या है । सौरभ कहते हैं, अगर हम किसी ना किसी प्रकार से एशिया की भाभियों के मायके वालों को एशिया के परिवार वालों पर धारा चार सौ अट्ठानबे ए के तहत उन पर तेज करने के लिए मना लें, उनका सारा ध्यान अपने आपको उस केस से निकलवाने में लग जाएगा और वह हम पर तेज करने के बारे में सोचेंगे भी नहीं । आखिरकार उन्हें धारा चार सौ के बारे में पता तो चले । सभी सौरभ से पूछता है ऐसा हो सकता है तो सौरभ कहता है कि आज के जमाने में पैसा हो तो क्या नहीं हो सकता । सौरभ थी एशिया की भाभी के पिता को अपने पास बुलाता है और उन्हें सारी कहानी बयान कर देता है । वो सौरभ को कहता है अकेला में ही नहीं । ईशा की दूसरी भाभी के परिवार वाले भी एशिया के परिवार वालों से बहुत दुखी है और वो भी चाहते हैं कि किसी न किसी प्रकार से उनकी बेटियों को उस घर से छुटकारा मिलेगा । मैं उनसे बात कर लूंगा । आप हमारा इस तैयार करेंगे । हम आपके साथ हैं । अब जो बोलेंगे हम वहीं करेंगे । अगले दिन सुनील के पिता को सौरभ का फोन आता है कि उसने एशिया की भाइयों के दोनों परिवारों को उन पर केस करने के लिए राजी कर लिया है और उसे अब उनकी इजाजत का इंतजार है । अगर वो कहीं तो वह धारा चार सौ अट्ठानबे ए के तहत ईशा के परिवार वालों पर केस दाखिल कर दी और ये भी बताता है कि इस केस के दाखिल होने के कुछ ही घंटों के बाद दिशा के परिवार के सभी सदस्य गिरफ्तार हो जाएंगे । समीर के पिता इस बारे में समीर से बात करते हैं और उन से पूछते हैं कि वह चौदह को क्या जवाब दे । समीर ने कहता है कि वह आखिरी बार एशिया से फोन पर बात करना चाहता है और से समझाने की कोशिश करना चाहता है । मान गई और सही रास्ते पर आ गई तो ठीक है वरना जैसा वो ठीक समझे पैसा कर दें । समीर के पता और सौरभ दोनों सुनी की बात से सहमत हो जाते हैं और उसे कहते हैं कि वह जब कहेगा हम अपनी कार्यवाही अभी शुरू करेंगे । लेकिन इससे पहले की देर हो जाए वो जल्दी से एशिया से बात कर लेंगे । कुछ ही देर के बाद सुनील दिशा को फोन करता है, उससे सही रास्ते पर लाने को कहता है और कहता है कि उसका परिवार उसकी पिछली सब गलतियों को नजरअंदाज कर देगा और उसे माफ कर देगा । इससे पहले की इच्छा कुछ बोलती उसकी माँ फोन ले लेती है । समीर को बोलती है हम लोगों को तुम्हारी माफी की कोई जरूरत नहीं है । अनिषा की शादी कहीं और करने जा रहे हैं । तुम हमारा कुछ भी बिगाड नहीं सकते, लडकी वाले हैं और ये समाज और धारा चार सौ ठाणे एक हमारे साथ है । हम तुम्हारे परिवार का जीना हराम कर देंगे । समीर ओडिशा की माँ के बीच बहुत देर तक फोन पर बहसबाजी होती रही और कुछ देर के बाद समीर फोन बंद कर देता है । समीर के पता उसे ईशा और उसकी माँ के बीच हुई बातचीत के बारे में पूछते हैं, लेकिन समीर कुछ नहीं बोलता । समीर के पिता समीर की तरफ देखते हैं तभी शरीर की आंखों में पानी आ जाता है । समीर के पता उसकी आंखों में पानी देखकर सबकुछ समझ जाते हैं और वह सौरभ को फोन करके आगे की कार्यवाही जारी करने के बारे में बोल देते हैं । समीर के पिता का इशारा मिलते ही सौरभ अपनी कार्यवाही शुरू कर देता है । योजना के मुताबिक सबसे पहले वह एशिया की दोनों भाइयों की तरफ से पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवा देता है जिससे पुलिस दिशा समय उसके परिवार के बाकी सदस्यों को गिरफ्तार कर लेती है । अपनी गिरफ्तारी से एशिया की मांग पागलों की तरह पुलिसवालों पर चिल्लाने लगती है और इससे पहले की कुछ संभाल सके सौरभ धारा चार सौ अट्ठानबे ए के तहत उन सब पर केस दाखिल कर देता है क्योंकि समीर एक सेलिब्रिटी है । इस वजह से उसकी पत्नी की गिरफ्तारी की खबर जंगल की आपकी तरह सब और फैल जाती है । कुछ ही देर में सभी न्यूज चैनलों में इस बात की चर्चा होने लगती है । ईशा और उसका परिवार पर धारा के तहत केस दाखिल होने के कुछ ही दिनों के बाद समीरन पर अपनी बेटी परी की मृत्यु का केस दाखिल करवा देता है और ईशा पर तलाक का केस कर देता है । कुछ ही दिनों की अदालती कार्रवाई के बाद अदालत सुनी और एशिया का तलाक मंजूर कर लेती है और धारा चार सौ अट्ठानबे ए के तहत ईशा और उसके परिवार पर चल रहे केस और समीर की बेटी परी की मृत्यु के केस में उन सबको यानी ईशा उसके माता पिता को चौदह साल और उसके दोनों भाइयों को सात साल की सजा हो जाती है और इस प्रकार समीर और उसका परिवार अपने ऊपर आने वाली मुसीबत से बच जाता है । एक दिन समीर अपनी बेटी के पास शमशान घाट पर फूल चढाने जाता है । उसके साथ उसकी बहन भी होती है । वहाँ जाकर फूट फूटकर उन्हें लगता है उसे इस बात का दुख जरूर होता है कि अपनी बेटी पारी को आखिरी बार बिल भी नहीं सका । पूरा हो रहा होता है । तभी एक हाथ उसकी और बढता है और उसके आँसू पोछने लगता है । समीर पीछे मुडकर देखता है । वो हाथ शिखा क्या होता है? कुछ शिखा को वहाँ देख कर बहुत हैरान हो जाता है । कुछ समझ नहीं पाता । तभी शिखा उससे माफी मांगने लगती है और उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखती है । समीर हैरानी से उसकी और देखता रहता है । तभी शरीर की बहन ने हाँ उन दोनों का हाथ पकडकर एक दूसरे से मिलवा देती है । तीनों खुशी खुशी अपने घर पर आ जाते हैं । कुछ महीनों के बाद सुमित शिखा से शादी कर लेता है । उधर सभी ईशा की दोनों भाइयों की शादी भी दो बहुत ही अच्छे परिवारों में करवा देता है । सभी अपने घर में एक खुशनुमा जिंदगी व्यतीत करने लगते हैं । हैं
Writer
Sound Engineer