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भाग - 6.1 in Hindi

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5 K Listens
AuthorOmjee Publication
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एक ठंड के लिए अंतर्मन ने कहा, चलो जब आप नहीं कर दिया जाए । आॅल परन्तु अगले ही क्षण वो चाहते हो और उसके मुंह से अनायास ही निकलता है । नहीं, नहीं नहीं अब वरिष्ठ कम हो जाएगा और एक कदम जो उसके निकट ही था, उसने महाराज को देखा और बोला, महाराज, शाम काम क्या हुआ? आप निश्चित ही किसी अंतर्द्वंद्व में फंसे हुए हैं । आप मुझे कुछ बताएँ । हो सकता है कि मैं कुछ इतना कहने के उपरांत वाले उच्चतम शाम तो मालिक सुंदर भ्रष्टा में फंस चुका था । तब मालिक सोलह पुरा अपनी स्थिति का आकलन करते हुए बोलना प्रारम्भ किया । अब तुम ध्यान से समझे अपना लकी हाँ, उसे विशालतम हो गया है । पहले मैंने विचार किया था । इस सर्वप्रथम पृथ्वी को जीतना है । उसके पश्चात रितवी से अन्य बच्चे लोगों में जाने का स्थान प्राप्त हो जाएगा । अच्छे लोगों को में जाने का विज्ञान तो उस दिन पूरा के पास परन्तु मात रोज से लोगों में पहुंचने से कोई अंधश्रद्धा नहीं होगा । उन्होंने अच्छे लोगों पर भी विजय पताका फहरानी होगी । अब यदि आशुतोष को समाप्त कर दिया तो एक नई समस्या जनबल ले सकती है । मैं और समस्या को नहीं आने देना चाहता हूँ । यही समस्या ये नई समस्या क्या है? महाराज कुछ शांत रहने के माॅल तरीक विचार करूँ यदि आशुतोष को समाप्त कर दिया और ये घटना इन दोनों को पता चल गई तो निश्चित ही ये दोनों काल विश्व प्राप्त नहीं करेंगे । रिश्ता बहत फॅमिली बात महाराज के जीवन रक्षा है तो ही है । दबाव हो तो शैलेंद्र जीवित होंगे तो कल विश्व का क्या प्रयोजन? मरन तो हमारी दृष्टि फॅर हमें प्राप्त करना है । इससे हमारी विजय, उसकी पराजय, वो अपने भविष्य के लिए इस से सुरक्षा भी निश्चित हो जाएगी । ऍम पर तो बाहर आज रन तो क्या इतनी दूरी पर आने के उपरांत पोस्टिंग पूरा में क्या हो रहा है इसकी भनक किस प्रकार यहाँ पर आरती केंद्र को हो सकेगी । मेरे विचार से वो सिंगर पूरा का समाचार यहाँ पर इतनी शीघ्रता के साथ संभव ऍम मुस्कुराते ऍम हूँ । जो लोग जब विमान स्थानांतरण का विज्ञान जानते हो हम लोगों का रहस्य लगभग जान ही गए । हम लोगों का रहस्य था हूँ हम लोगों का रहस्य दैनिक तोता बोर्ड विचार का । यदि उन्होंने हम लोगों के विषय में जानकारी ना एकत्रित की होती तो युद्ध में हम उनको समाप्त कर देते हैं या नहीं । अब मालिक शतम् शाम तक उसको समझ पे आज हुआ था कि निश्चित ही उन्होंने हमारे विषय में अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी । कभी हम उन्हें समाप्त नहीं करना है । युद्ध में उन्होंने हमारे जीवन आधार को अर्थात मानुष भोजन मनुष्यों का माल हो हम से कर दिया था जिससे हम समाप्त होने लगे । नहीं इतना विचार आते ही बाल एक शतक नहीं बाहर आज से बाहर आज आप निश्चित ही श्रेष्ठ है । आप के बाद शत प्रतिशत सत्य प्रतीत होती है । इस प्रकार की संभावना पर विचार करना होगा कि दोनों के पास या ग्रो सिंगर पूरा के पास कुछ इस प्रकार का साधन अवश्य होगा जिससे यह आपस में मुख्य समाचारों का आदान प्रदान कर सके । आप कह रहे थे कि कालरेस प्राप्ति के उपरांत उनकी आंसू तो सुरेंद्र की क्षमता अत्यंत बढ जाएगी सकते दोनों ही चर्चाएं सत्य प्रतीत हो रही है । गठन उनके पास इस प्रकार का साधन भी हो सकता है जिससे वो अपने मुख्य समाचारों को भेज सकते हैं । अच्छा हमें कालरेस प्राप्त करने तक उन्हें शांति नहीं पहुंचानी चाहिए । काॅस्ट होने के उपरांत हम इन दोनों के साथ को सिंगापूर पूरा को भी समाप्त कर देंगे । साथ ही ब्रह्मांड विजय का मार्ग भी प्रशस्त हो जाएगा । तो थी शक्ति का प्रचंड प्रवाह हो जाएगा । ये अधिकार विश्व का प्रयोग किया जाए । दोनों वैज्ञानिकों का कहना था कि यदि कालरेस शरीर में विशिष्ट तकनीक के द्वारा प्रविष्ट करा दिया जाए तो संभावना किसी भी अस्त्र सही शरीर सुरक्षित हो जाएगा । महाराज तब तो टाॅप अब भूतपूर्व इस प्रकार हम अजय हो जाएंगे । महाराज हम स्वतः काल वेस्ट प्राप्त क्यों नहीं कर लेते हैं? इससे तो सौ प्रतिशत संभावना हमारी विजय की ही होगी । बाल एक दम वो सस्त्र को जिसका नाम बेताल अस्त्र है, का निर्माण बहुत से वैज्ञानिकों ने अत्यंत कठिन परिश्रम के उपरांत किया था । उस सस्त्र को निर्मित करने में विभागों का पूर्णतया विभाजन किया गया था जिससे कोई भी उस अस्त्र से संबंधित संपूर्ण जानकारी न प्राप्त कर सके । इसलिए किसी को उसके प्रारंभ के विषय में जानकारी थी तो किसी को अंतर के विषय इसको इस प्रकार भी समझ सकते हैं किसी को निर्माण प्रक्रिया का हिस्सा बनाया गया, किसी को संयोजन प्रक्रिया का और किसी वैज्ञानिक को संचालन की व्यवस्था सौंपी नहीं । इसके अतिरिक्त इसका प्रतिरोधक काल विश्व को उत्पन्न करने तो व्यवस्थित करने के लिए अलग अलग वैज्ञानिकों का उपयोग किया गया । वृद्धि लोग पर इस को व्यवस्थित करने का कार्यभार किसी अन्य को सौंपा गया था । इस प्रकार किसी को भी इस के विषय में पूर्ण जानकारी असंभव है । ये अपना स्वाभाव के नाम हम जिन वैज्ञानिकों का अपहरण करने में सफल हुए थे, वे संचालन व्यवस्था जानते थे । इसी कारण मैं उस अस्त्र का प्रयोग कर सकता हूँ । ऍम स्थान बहुत से प्राप्त करने की विधि इन दोनों में से किसी एक को अथवा दोनों को ही क्या था, ऐसा मेरा मत पता ही नहीं । दोनों का अनुसरण करना होगा । अब इस प्रकार की चर्चा के उपनाम ऍम दोनों ही कुछ समय के लिए शांत हो । दोनों के मध्य ही वार्ता वह विचारों के आदान प्रदान के कारण दोनों के मन मस्तिष्क में नए नए विचारों के सूत्र प्रवाहित हो रहे थे । दोनों मिल एक शो के विचार भिन्न भिन्न दिशा में प्रवाहित हो रहे थे । जवाब अनुपयुक्त समय में अपना जीवन जी रहे होते हैं तो ऋणात्मक विचारों का सवा धनात्मक विचारों पर भरी रहती हूँ । इस समय जो व्यक्ति अपनी धनात्मक विचारों के नाम को साहसी बनवार ठहरे की बताता हूँ, अपने आत्मबल से खेलता है । वो इलाज तक विचार संबंधी भवर को देश नहीं पार कर चाहता है । यहाँ पर मालिक अपने अपने अंदर धरात्मज विचारों को भी प्रवाहित करने की चीज का लग रहे हैं । परन्तु लो रिश्ता जो पतन का कारण है उसके साथ हाथ ही धरातल विचार उसी प्रकार समाप्त हो जाते हैं जैसे सुंदर सालों से लदे वृक्षों तेज आम थी । एक पल वही वृक्षों से अलग करते थे । इसी प्रकार लोग कृष्णा की आधी धनात्मक विचारों को शरीर से अलग करेंगे । इन्हें विचारों के थे वाले हो कुछ कहना चाहता हूँ ऍम उससे पहले ही अपना प्रदर्शन किया । बारह एक रस्तम मेरे मस्तिष्क में बहुत समय से उथल पुथल कर रहा है । यदि आप अब हाँ जो नहीं ओझी । मैं विचार कर रहा था कि आपने कहा था कि काल विश्व को शरीर में विशेष तकनीक से पहुंचाया जाता है । क्या वो तकनीक हम चाहते हैं क्या? इस पर आप अपने विचार तो भारत रिश्ता तो उचित है परंतु एक बार काल विश्व प्राप्त हो जाए । इतनी ही वार्ता हो पाई थी कि गुप्तचर सूचना देने ही दूँ आना चाहता है । ये सुनकर सभी विचार कहाँ चले गए, पता ही नहीं चला । तुरंत ही को प्रचार से मिलने की व्यवस्था हो गई । गुप्तचार कहना प्रारम्भ किया महाराज की जय हो क्या सोचना है महाराज अब हम लोग उनके पीछे नहीं जा पा रहे हैं, उनके पीछे नहीं जा पा रहे हैं और था । बोर्ड गति हुए और फिर इस से हो गए तो तुम सब भी सतारा के लिया दृश्य होता हो गई । हाँ, उनका पीछा करूँ । इतना सुनने के उपरांत भी गुप्तचर शांतभाव से ही खराब है । वो जानता था कि शांतभाव की एक मात्र निकल रहे हैं । उसका इस प्रकार शांत भाव प्रदर्शित करना बहुत कुछ कह रहा था अपने से बहुत श्रेष्ठ व्यक्ति से । जब आप का सामना तो शांत रहना ही संसार का सर्वोत्तम ऍम प्रचार अनुभवी था, उसमें भी किसी अस्त्र का चयन किया । मालिक स्कूल बहुत समय तक अपने आपको संयमित नहीं रख सका और अंतर था उसने पुना कुछ उत्तर क्यों नहीं दे रहे हो? क्या वे अपने व्यू रचना से बाहर निकल गए? नहीं महाराज, वे अभी तक आपने व्यू रचना में ही है परन्तु अब मालिक उनके स्थान पर बलिक शतक नहीं चर्चा को । अगर सारे अभी तक आपने ही व्यूह रचना में है तो समस्या क्या है? सेना बनती थी अब तक आपने वियोग में हैं परन्तु शेक रही वे अपनी ब्यूह रचना से बाहर निकल जाएगा और बोर वही तो जानना चाह रहे हैं कि किस प्रकार निकल जाएंगे । हौली कारण होगा कारण इसका क्या अभिप्राय महाराज की तरफ मुह करने के बाद तो चलेगा महाराज अब कुछ ही समय में हम सभी वन प्रांत से बाहर निकल जाएंगे । अब अपने आधार पर नहीं चल रहे हैं । हम मात्र उनको व्यू में घेरकर उनका अनुसरण कर रहे हैं । अब वन प्रांत सब आप तो होते ही नदी का किनारा आ जाएगा । तब तब क्या अब क्या समस्या आ जाएगी? सेनापति जी आपने अभी वन प्रांत के बाहर का दृश्य नहीं देखा है । ये सालोदा नदी का पार्ट अत्यधिक चौडा होने के कारण जब भी दोनों नदी की दिशा में अग्रसर होंगे तब हम उनको अपने व्यू में नहीं रख सकेंगे । नदी के मुहाने पर आने के पश्चात दृष्यता बहुत अधिक बढ जाएगी । महाराज उस समय हम उनको अपने व्यू में न रख सकेंगे । इतना कहने के पश्चात को प्रचंड को शांत हो गया परंतु बालक शिशु वह मालिक शतम् अशांत उनको समझ में आ चुका था कि कब प्रचार की समस्या अपने स्थान पर उच्च मालिक सूनने तुरंत ही गुप्तचर से कहा वो उसने नदी का दृश्य दिखा रहे हैं तो इस प्रकार व्यवस्था करें अभी तक चल रही व्यवस्था में दिखाना इसका आकर्षित का प्रबंध जैसे ही मालिक सोने नदी का दृश्य देखकर देखा । उसको बस कोई स्थिति का बोला गया है । क्या नदी के दोनों पार्टियों के पत्ते का अंतर बहुत मालिक से सोच विचार करने लगा कि यदि इसमें कोई भी जाएगा तो तुरंत ही वह सभी को दूर से ही अस्पष्टता दिख जाए । अब उसने देखा उससे लगभग आधे को उस की दूरी पर दो आकृतियाँ नदी के किनारे जा रहे हैं । साथ में दो होते हैं कुछ क्षण के लिए वो जैसे टीम कर सकते हो । अभी भी वो कुछ समझ नहीं पा रहा था । दो मनुष्य आकृतियाँ धीरे धीरे नदी की दिशा में पढ रही थी । एक ही उसके बन में विचार आया । इस सायंकाल समाप्त होने वाला है । क्या पता यह नदी के किनारे ही अपना रात्रि विश्रामस्थल चुनी । अच्छा उसने कुछ काल के लिए धैर्य धारण करना ही उचित समझा । ऍम उनसे कुछ कहना चाह रहा था परन्तु उसने संकेत से उसे समझाया कि वो कुछ समय के लिए शांत रहे । विश्व सभी को जीवन में समान अवसर प्रदान करने परन्तु व्यक्ति ही माया वो लोग टूर काम के आवरण के कारण उन अफसरों को पहचान नहीं पाता है जिस प्रकार सूर्य ऍम सभी के लिए समान रूप से प्रकाशित परन्तु पत्ती के ऊपर छाया वाॅर्डन आकाश में बादलों की भारतीय सुनील को खतरे का और उसका प्रकाश नहीं पता नहीं पाता है । यहाँ बाॅधें सही नहीं है नदी के इसी पार वे रुकते सम्भवता रात उधर रात्रिविश्राम के लिए लाॅ कुछ ही समय में नदी की एक विशाल शिला के पर था । वस्त्र कक्ष का होना है निर्माण प्रारंभ कर दिया ये ठीक उसी प्रकार की व्यवस्था थी । किस प्रकार की व्यवस्था पिछली रात को लेट भरेंगे नहीं । आज जब लड भिंडी व्यवस्था कर रहे थे तब कुमार गांधीगिरी फिर नहीं उन्हें बना क्या किस प्रकार की व्यवस्था की आवश्यकता नहीं हैं । परंतु लाॅबी ने प्रार्थना से उनके आदेश को परिवर्तित बना लिया और कहा हूँ आप निश्चित ही थक गए अच्छा प्रभु से अनुरोध है कि आज थोडा तैयार शाम करें । मैं भी आज आपको कष्ट नहीं होगा । खलता भी आपने जो अमृत ज्ञान चर्चा की उससे मैं सिद्धार्थ हो गया । इस पर कुमार कार्तिक केंद्र नहीं मौन रखना ही उचित समझा । उनको ये पूर्ण विश्वास कि जिसको भी इस प्रकार की अमृत ज्ञान से परिपूर्ण जलधारा में स्नान का अवसर ता तो होगा वो अफसर को जाने नहीं देगा । कुमार कार्य केंद्र का अनुमान धान लडवाएंगे अधिक समय तक शांतना रह सकेंगे क्योंकि उसके मन में अन्य प्रश्न अब तक निश्चित ही जनरल ले चुके होंगे । अब मात्र संगोष् भाव के कारण ही शांत भाव से बैठे हुए हैं । रात्रि के शांत वातावरण में अलग व्यक्तियों के लिए वो रात्रि अलग अलग नहीं । ध्यान से देखा जाए तो एक समान दिन अच्छा देती कहने के लिए तो सभी के लिए एक जैसे ही प्रदर्शित परन्तु सभी के लिए वह भिन्नता से बडी हूँ । आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि सामान थी वह दिन किसी के जीवन का प्रारंभ होता है और किसी की जीवन का कोई उस विशेष तीन सफल होता है और कोई असफल कोई मिलता है और कोई भी होता है किसी के जीवन में वो दिन याद कार होता है और किसी के जीवन का श्याम पृष्ठ । इस प्रकार संसार में जितने भी व्यक्ति हैं वो एक दिन सब का सवाल तिथि के बाद भी सामान नहीं है । अच्छा हम कह सकते हैं कि संसार में जितने भी व्यक्ति होते हैं उस एक दिन में उठते ही दिन होते हैं । इसी प्रकार इस समय उस रात्रि के प्रथम शहर के ना होने के कुछ समय पश्चात कुमार का लेकिन शांतभाव से संभाल मध्या मिले लखनऊ रहेंगी उनकी सुरक्षा के कारण समाधि की बिजली व्यवस्था । इधर जंगल के अंदर मालिक अब कुछ शांति का होता है । उन्होंने अपने साथ बंधक बनाया । उसने मनुष्य को राजी हो उनको भी भूमंडल पर रहने के लिए इस की आवश्यकता पूरी प्रक्रिया में शामिल नहीं बनी रहे । इसके लिए जितने भी मदद से उनकी पकडते हैं उन्होंने सभी ताकि वो बोल नहीं सकते, शोर रामाचा सकते है एक ही समय पर बात को घर की दूरी पर इतना मनोरम वाॅ वो भी एक साथ । एक तरफ समादेश कुमार का लेकिन जिनके बस तक से फोर्जा पंजाब हो रहा है और दूसरी तरफ मालिक शो के द्वारा मनुष्य को क्रास बनाना जो अपनी बीज को भी चिल्लाहट से काम नहीं करता रहे । बस उसके गले से एक दर्द भरी आवाज निकल रही थी जो किसी पशु की आवाज के सवाल करती हूँ । रात्रि के प्रथम प्रहर की समाप्ति तक वाले छोटे बडे ही सावधानीपूर्वक अपना भक्षण कार्यक्रम बंधता के साथ और करेगा । इसी मत है मालिक क्यों नहीं रात्रि का लाभ खाते हुए नदी के दोनों तरफ अपना चाल फैला लिया । दोनों तरफ इसलिए कि कुमार वाॅ तब जस्ट दिशा में जाएंगे । वे उनके पीछे आसानी से बने रहेंगे । इससे बडा हास्यास्पद क्या होगा? जिसका मात्र नाम स्मरण करने से संसार का हर ब्यूरो टूट जाता है । उन्हीं का कार्य करने जा रहे कुमार वॅाक उपयोग में घेर देगा । प्रयास हो रहा है ।

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