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भाग - 17 in Hindi

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3 K Listens
AuthorOmjee Publication
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मालिक शोका । लाश तो सृष्टि के निर्माण का बीच आर ओपन लोग कहते हैं कि आज अमुक तिथि है अथवा आज रविवार है अथवा गुरुवार है । क्या ये तिथि और दिन सभी के लिए समान है? सामान्यता व्यक्ति कहेगा, हाँ सामान है । इसमें किस प्रकार का असमंजस हो सकता है? सभी के लिए एक विशेष दिन होती थी । सामान ही होगी । परन्तु यदि आप इसका सही विश्लेषण करें तो पाएंगे कि विशेष तिथि पर कोई प्रसन्ना था, कोई दुखी किसी ने पाया, किसी ने खोया, किसी ने जन्म लिया और किसी का जीवन काल समाप्त हो गया । इस प्रकार इस दुनिया में जितने भी चीज हैं अथवा जहाँ जहाँ जीवन है, एक विशेष तिथि होकर भी प्रत्येक काॅल भिन्न है । इस संसार में जितने व्यक्ति होंगे, उस विशेष तिथि भी उतने ही प्रकार के दिन होंगे । इस प्रकार आज को श्रृंगा, पूरा प्रसन्नता वहाँ आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर है । उसके दिन किस प्रकार व्यतीत हो रहे हैं, वहाँ कोई जान नहीं पा रहा है । इसके विपरीत उन्हीं सामान दिनों में मालिक शो को एक एक पल काटना युग के सवाल प्रतीत हो रहा है । कारण स्पष्ट था, तिथि सामान थी, परंतु कारण मिलना था प्रतीक्षा का एक एक पल एक एक युग के सवाल प्रतीत होता है । मालिक सशोरूम के मन में विचार उथल पुथल मचा रहे थे । एक आई उसके मन वापस थी । दोनों ने एक दूसरे को पुष्ट किया । मन तो पहले से ही विश्व था । साथ ही पति ने तर्क दिया की अब तक लगभग आधा करप् काल समाप्त हो गया होगा । इसका अर्थ हुआ कि गर्भावस्था दिखने लगी होगी । शारीरिक भिन्नता से भी स्पष्ट हो जाएगा कि मालिक शिशुओं का विकास सही हो रहा है अथवा नहीं । एहि सब विचारों का मंथन करता हुआ वो मालिक शब्दम से बोला अलेक् शब्दम मैं विचार कर रहा था की आधा करप् काल व्यतीत हो गया है तो महाराज मैं भी यही विचार कर रहा था । जब यहाँ अनुमति दे तो मैं वहाँ जाकर देखो और आपको शुभ समाचार हूँ । मालिक सोनकी आधी चर्चा के बाद मालिक शतम् ने वही कह दिया जो मालिक शिशुओं सुनना चाहता था । पहले व्यक्ति का यही एक तो उस होता है कि वो अपनी आलोचना नहीं सुनना चाहता । उसका कर पर प्रतिष्ठा उसको इस प्रकार अभिमंत्रित कर देते हैं कि वह सर्वश्रेष्ठ है और उससे कभी गलती हो ही नहीं सकती । इन्हीं दोनों के कारण सत्य बोलने वाले मित्र मंत्री उससे दूर होते जाते हैं । साथ ही लालची वन लोग से ग्रसित, बनावटी मित्र चाटुकारिता कर उसको पतन के मार्ग पर फीस देते हैं । मालिक शब्दम वह मुख्य माॅनसून की हाँ में हाँ मिलाते रहते थे । उन्हें अच्छे मित्र व श्रेष्ठ सेनापतित्व का गुण दर्शाते हुए गयी समझना चाहिए था आपके महाराज अब हमारी विजय संभव नहीं है । जिस प्रकार संसार में सबकुछ मिलना संभव है परंतु अच्छा मित्र मिलना असंभव है, उसी प्रकार यहाँ मालिक सोंग को अच्छे सुबह चिंतक, मित्र नहीं मिले । अब आप क्या पार कर मालिक शतम् कुंभ हापुर की ओर चला जबकि महाराज पर्वत श्रृंखलाओं की गुफाओं में ही रह गए । लोग तो कम वक् रूद ये चारों वृत्तियां पतन का मूल कारण है । इनमें से मात्र एक ही मनुष्य का पूर्ण पतन करने में सक्षम हैं । बडे से बडा मुनि साथ हो अथवा तपस्वी संपूर्ण जीवन के तब बाल को एक सुंदर स्ट्रीपर अथवा एक ग्रुप का परिणाम संपूर्ण जीवन पर भारी पड सकता है । यही तो विलक्षण होता है । ऍम चारों व्यक्तियों से घर चुका है । संपूर्ण प्राम्भ बांड के विजय होने का । मूंग दसो दिशाओं में अपनी जयजयकार सुनने का लोग योग महल में देखे हुए हिस्ट्री को पानी की लाल था । वहाँ आँसू तो सिंधु से क्रोध की पराकाष्ठा उसको बिच्छू कि भारतीय ढंग का मरती रहती थी । अब आज उसको सुखद समाचार मिलने की कामना उसके पीलिया को अवश्य ही कुछ काम करती थी । एनी सब विचारों के उठा पटक के बीच उसे किसी के पच्चास सुनाई पडे बच्चा आपकी आवाज भी व्यक्ति की विशिष्ट पहचान होती है । बच्चा सुनते ही माल अक्षय सोंग कुमार और उसने मालिक शब्दम के साथ बाल एक शिप को देखा । मुक्के भाव प्रतिकूल होता का परिचय करा रहे थे । सब कुछ अनुकूल होने के उपरांत प्रतिकूल का का स्थान कैसे संभव है? कुछ समझ में ना आने के कारण मालिक सोन ने पूछा क्या हुआ? आप तो सौ प्रतिशत निश्चित थे अथवा कोई अन्य आवश्यकता महाराज मैंने अपने लोग में हजारों प्रयोग किए और वे सभी सफल हुए थे । परंतु परन्तु क्या क्या तुम अपने प्रयोग में और सफल हो? इस बार मालिक सोन के स्वर्ग क्रोध था । कॅश सोन के क्रोध को भलीभांति जानता था । उसका वन भयाक्रांत हो गया परन्तु उसने अपने आप को पुनर्व्यवस्थित किया और पूरा महाराज आप चिंतित थे । ये मुझे ज्ञात हैं परन्तु मैं अभी भी आप स्वस्थ हूँ । नदियाँ पार स्वस्थ है तो समस्या कहाँ है? महाराज गर्भावस्था के कारण शारीरिक भिन्न का भी प्रदर्शित नहीं हो रही है । मोर इसका अर्थ स्पष्ट है के प्रयोग असफल हुआ । इतना सुनते ही मालिक शिफोन के मन में अपने जीवन को बचाने हेतु विचार पहुंच गए । संभव का वह कुछ समय और चाहता था । कारण वो अपने आप में पक्का कहाँ के उसका प्रयोग सफल होगा । तब उसने महाराज से कहा महाराज, मैंने यदि आपको साथ में दिन मालिक से शिशु न दिए तो इतना कहकर बलिक शिफोन शांत हो गया । दोस्तों का साथ कभी हितकर नहीं हो सकता चाहे वह संबंध में आपका कुछ भी क्यों ना हो । क्योंकि विपरीत समय आने पर वो अपना स्वभाव अर्थात दृष्टता प्रदर्शित करने में जरा भी समय नहीं लगता है । इस बात को भले क्षेपण समझ चुका था । आज तक उसने हजार होरा संधान कर महाराज की सेवा और आज चपेट अनुसंधान में वो असफल हुआ तो प्रशांत कलेक्शन सोनपुरा बोल पडा शक्कर वमेध कुछ है ही नहीं तो बाहर आ । जैसा भी तो हो सकता है कि शिशु का पूर्ण विकास गर्व के बाहर ही हो । ये पूरी बात निराधार थी परन्तु समय विपरीत होने पर मन कुछ भी मानने को विवश हो जाता है । इतना सुनने के उपरांत बाल एक्शन सोन नहीं मालिक छिपो को जाने के लिए का साथ ये भी कहा कि ये उसके लिए जीवन वक्त मृत्यु का प्रस्ताव है । मालिक शिवपुर यह जान चुका था कि अब जीवन का अंतर निकट है परन्तु अभी वो अपने प्रयास में लगा हुआ था । वो विचार करने लगा कि आखिर उससे क्या भूल हो गई । उसका अनुसंधान की उम्र सफल हो गया । कुंभ हापुर पहुंचते ही वो अपने मन मस्तिष्क को एकाग्र कर ये समझने का प्रयास कर रहा था कि उसने क्या एक का एक उसके मन में विचार आया कि यदि गलती होती तो एक साथ पच्चीस हजार प्रयोग सफल अर्थात कहीं ये शत्रु का कार्य तो रही फिर उसके बनने कहा यहाँ शत्रु कहाँ है? अब उसको एक ही आशा थी संभवता शिशुओं का जन्म हो और विकास की गति चंदमल लेने के उपरांत बढे परन्तु ये महाराज को किस खाती समझाऊँ तो तीन दिन की प्रतीक्षा के उपरांत वो जान गया कि अपना इलेक्शन शिशुओं का जनमत असंभव प्रतीत हो रहा है । उसमें महाराज से मिलने का निर्णय लिया । वो महाराज के पास पहुंचा और उसने महाराज से कहा महाराज संभाव्यता मेरा प्रयोग सफल नहीं रहा । मेरा प्रयोग असफल हो गया है । इतना सुनने के पश्चात कलेक्शन सोन अपने पर नियंत्रण नहीं रख सका । उसने अपनी कमर पर बंद हुई तलवार निकली और मालिक अपन पर प्रहार कर दिया । इसे विधि का विधान कहें या प्रभु आशुतोष इंद्र का सौभाग् के की ये घटना खुले आसमान के नीचे हुई । उसे घटनास्थल से कोर्स पर की दूरी पर आंचलिक बैठा हुआ था । अंजली ने देखा के भले क्षेपण भूमि पर गिरने के उपरांत पडते लगा और कुछ समय पश्चात शांत हो गया । कुछ क्षण और व्यतीत हुए होंगे ऍफ खडा हुआ माॅनसून अपने आप को नियंत्रित नहीं कर पा रहा था । उसे क्या था कि मालिक शो के खाओ अपने आप भर जाते हैं । इसके उपरांत भी उसे लगा केबल एक शिफोन समाप्त हो गया होगा जैसे उसने बाल एक रिपोर्ट के खाओ भरते हुए देखे । वो अपने थैली को नहीं रख सका । मनुष्य जब सफल होता है तो संपूर्ण सफलता का श्री स्वता लेता है और जब असफल होता है तो संपूर्ण सफलता का उत्तर ताई सहयोगी को कहता है । इसी प्रकार मालिक शोन क्रोध के कारण के भूल गया । केवल एक शेप अपन उसी का साथ ही है । जीवन भर उसने महाराज के लिए ही कार्य किया है । मालिक सुकून जैसे एक रूप से पागल हो गया । वो बहुत तीव्र स्वर्ग खिलाया और उसने उसका पाया कान काट दिया । कान के काटते ही नीले रंग का तरफ जैसा बहने लगा और इसके उपरांत चपरोत से भरे बाल एक्शन शोर नहीं बले क्षेपण पर प्रहार किया तो वह पुरा लाउड सका और समाप्त हो गया । उसके इस भयंकर को कृत्य को देखकर वहाँ बात उपस् थित मालिक शब्दम भी भयभीत हो गया । इतना देखकर वह शांत था । वो जानता था कि महाराज स्कूल में हैं और कुछ भी कहना मृत्यु को निमंत्रण देने के समान होगा । इधर मालिक शिफोन के प्राण निकले और उधर आंचलिक निकला । अपने स्वामी को सबसे महत्वपूर्ण समाचार देने के लिए हाँ

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