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हूँ । गुप्तचर द्वारा मालिक क्यूँकि गुप्त योजना का पता चलना महाराज आशुतोष इंद्रा कुछ ही समय में पूर्ण स्वस्थ और जवान हो चुके थे । आंचलिक भी अब स्वस्थ था । गोश सिंगपुरा इस समय उत्साह नवागंतुक एक हजार आठ करों के साथ प्रसन्नता में सराबोर था । गण भी ऐसे की एक एक घंटे, एक एक सेना के समान । हाँ प्रभु दोनों कुमार सभी सेनापति, महामंत्री व अन्य गणमान्य व्यक्ति । प्रसन्नता वह विजयी महोत्सव में डूबे हुए थे । इस बीच महाराज ने मुख्य पदाधिकारियों को बुला भेजा । सभी प्राधन प्रसन्न मुद्रा में राज्यसभा में उपस्थि थे । इसी के बंदे प्रभु का विशेष को प्रचार भी सभा में उपस्थित हुआ । गुप्तचार वह महाराज के भाव भंगिमा इस प्रकार थी कि कुप्रचार महाराज, आशुतोष इंद्रा को मूल घटना वह खुद का रहस्य बता चुका है । अब महाराज उसे सभी के सम्मुख रखना चाहते हैं । इसलिए उन्होंने गुप्तचार को सभा में आमंत्रित किया । गुप्तचर ने सभा में सभी को प्रणाम किया और शांत भाव से अपने स्थान पर खडा हो गया । महाराज आशुतोष इंद्रा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, सभा जनों सर्वप्रथम आप सभी का मैं धन्यवाद करता हूँ या अपने जिस निस्वार्थभाव से देश वराज परिवार की विपरीत समय में सहायता की है वो निश्चित ही अत्यंत प्रशंसनीय है । आप ये न समझे क्या आपने मेरे जीवन रक्षा के लिए जो संघर्ष किया वो योगदान मैं अथवा आपका राष्ट्र कभी भूलेगा? राष्ट्र के ऊपर तो कोई उपकार कर ही नहीं सकता । इसके लिए प्लंबर नहीं । राष्ट्र पर विजय देने वालों के लिए स्वर्ग के मार्ग खोले हुए हैं । जो व्यक्ति अपनी जाती अपना घर में, अपना परिवार, राष्ट्र से ऊपर रखता है वो व्यक्ति मनुष्य प्रजाति का नहीं हो सकता है । बताया से पशुवत व्यक्ति के साथ पशुओं के सवाल ही व्यवहार करना चाहिए । जब राष्ट्र संगठित है तो हम है, हमारा परिवार है, हमारे संस्कार हैं, हमारी चाहती है और हमारा धर्म है । यानी राष्ट्र ही नहीं होगा तो कुछ भी शेष नहीं होगा । इतना कहने के उपरांत महाराज एक्शन शांत हुई और उन्होंने देखा कि प्रमुख जी कुछ कहना चाहते हैं प्रभु मैं क्षमा चाहता हूँ, शाम किस लिए? प्रभु कारण मैं आपकी बात से असहमत हूँ । इतना सुनने के उपरांत सभी संदर रह गए कि आज तक महाराज से कभी असहमति प्रकट ना करने वाले प्रमुख सी ये क्या कह रहे हैं? क्या सहमती प्रकट करना चाहते हैं? प्रमुख से नहीं सभी का मुक्त देखा और विचार किया कि कोई कुछ कहे इससे पूर्व अपना विचार सकते ना ही उचित है । प्रभु आप पर कौन कार्य कर सकता है? आप पर उपकार कोई कर ही नहीं सकता । आपके जीवन पर संकट था तब हम सब मात्र खडे ही रहे । जिन्होंने मुख्य भूमिका निभाई वह स्वतः आप ही थी । अब तो मुझे विश्वास हो गया है कि घायल भी आप ही थे । औषधि लेने भी आप ही गए थे और साडी भी आपने ही अपने मुख में डाली और उसके उपरांत माँ भी आपकी थी सब आप ही है । बस देखने में भिन्नता है प्रमुख थी ये सब आप क्या कह रहे हैं आप तो कम से कम मैं सादा कहें प्रभु शमा करें । जो देख रहा हूँ वही तो कह रहा हूँ । कार्तिक केंद्र विश्वास लाए सात में लटक करेंगी । दोनों ही आपके अंशय है । गाॅव भृंगी लोग से गडों को लाये वो भी आपका ही अंशय हैं । माँ आपको काल विश्व के प्रभाव से मुक्ति दिलाई । माँ और आप एक ही है एक जीवन तो दूसरा शक्ति एक प्रकाश तो दूसरा प्रकाशपुंज एक ही है । दोनों अगवाह एक से ही है दोनों अब आप ही कहे प्रभु आप पर किसने उपकार? क्या आप स्वतः ही सब कर रहे हैं और इतना कहने के उपरांत प्रमुख सी शाम तो हो गए । बात तो सच ही थी । अब सभी विचार करने लगे कि जो कार्य बडे बडे नहीं कर सकें वह दोनों कुमारों ने कैसे कर दिया । ब्रह्मा जिससे जो करवाना चाहता है उसे वो सुबह सकते देता है अन्यथा सभी सामान ही होते हैं । इस प्रकार सभी की महाराज आशुतोष इंद्रा के प्रति अगाध शर्ट था और पड गई । इस पर बब्बू ने कुछ नहीं कहा । वह मुस्कुराते रहे । तब महाराज की दृष्टि गुप्तचर पर पडी तो वे एक आई चौंक गए और उन्होंने कहा आप सभी की चर्चा में मूल विषय तो पीछे ही रह गया । मूल विषय अब प्रभु ने अपने मुख से कुछ नहीं कहा बल्कि मात्र गुप्तचार की तरफ दृष्टि बात किया । वो गुप्तचर भी क्या होगा जिसे भाषा व शब्दों की आवश्यकता हूँ । गुप्तचार तो वो होता है जो आंखों से, शक्तों को, भावों को, संकेतों से और कार्य प्रयोजन को कार्यशैली से जान जाता है । इसी प्रकार गुप्तचार ने मात्र प्रभु की दृष्टि बात से जान लिया की अब उसे ही बोलना है । महाराज की जय हो, मेरी अपनी संपूर्ण क्षमता, वहाँ आत्मनिष्ठा का परिणाम अब आपके संभव प्रस्तुत है । मैं पूरा क्षमा चाहता हूँ कि मैं जो कहने जा रहा हूँ वो मुझे अपने संपूर्ण जीवनकाल का सबसे निकृष्ट । इसका कहने के उपरांत वह गुप्तचर रोने लगा । कोई समझ नहीं पा रहा था की गुप्तचर को क्या हो गया है । ये गुप्त संदेश देने जा रहा था । एक आए उसके बाद वो भावों में इतना बडा परिवर्तन क्या हुआ? क्या राष्ट्र संकट क्या महाराज को अथवा कोई कुछ भी समझ नहीं पा रहा था । डंडधार आगे बढे । उन्होंने उसको बैठने में सहायता की, उसके पीने हितू जल आया परन्तु उसने जल ग्रहण करने से बना कर दिया । कुछ एक पल के उपरांत वह पुनः खडा हुआ और इस बार पहले से अधिक आत्मनियंत्रण और आत्मबल उसमें प्रतीत हो रहा था । सर्वप्रथम उसने सभी से क्षमा मांगी और अपने मनोभावों को अपने कर्तव्यों के नीचे दबाकर उसने कहना प्रारम्भ किया हूँ मैं क्षमा चाहता हूँ । मैं अपने भावों पर नियंत्रण रख सकता हूँ । इसके लिए पहले इस राज्यसभा का मूल्य समय नष्ट किया । इसके लिए मैं अपने आप को अपराधी बंदा हूँ और अपने लिए दंड की प्रार्थना करता हूँ । ये सुनकर प्रभु आशुतोष इंद्रा के अतिरिक्त प्रत्येक व्यक्ति का बन वाभाव गुप्तचर के लिए प्रेम व सम्मान से सराबोर हो गया । तब सभी ने आग्रह किया कि वह मूल चर्चा प्रारंभ करें । इसके उपरांत गुप्तचर ने जो कहा उसे सुनकर सभी सन्न रह गए हूँ । गैस प्रकार हम उनकी सूचनाएं लाने में सफल रहे हैं, उसी प्रकार उन्हें भी हमारी कुछ सूचनाएं प्राप्त हैं । आभारी सूचनाएं इस प्रकार और संभव है । सही राप्ती थी । उन्हें पता चल चुका है कि महाराष्ट्र स्वस्थ हो चुके हैं । अप्रैल में एक हजार आठ गण भी आए । ऍम गुप्तचार ये सूचनाएं तो जनमानस में भी हैं और जो सूचनाएं जनमानस में हूँ उनको गुप्ता नहीं कहा जा सकता है क्या महल व विशेष सूचना उन तक नहीं? महाराज उन तक अंदर की गुप्त सूचनाएं नहीं पहुंच रही हैं । गुप्तचार तुम जो मुख्य सूचना लाए थे उसका क्या हुआ? प्रभु वो कब तक सूचना यहाँ कहता हूँ? प्रभु ने एक बार दृष्टि कुमारी और राजा ने क्या देखा और क्षण भर के उपरांत कहा की सभा में कह तो कब? उ वे अपनी संख्या बढाने का प्रयास कर रहे हैं । ऍम सिद्ध होता है कि वे पर्याप्त संख्या में हताहत हो चुके हैं जी । उन्होंने स्वता ही कहा था कि वे तीन स्थानों पर युद्ध में अपने सैनिकों को खो चुके हैं । अब ये जो करने जा रहे हैं वो मैंने तो कभी नहीं सुना है । सम्भवता आपने सुना या देखा हो इसमें भी मुझे संशय । आपने ऐसा क्या सुना कब अच्छी इसके लिए वे प्राकृतिक कार्य करने जा रहे हैं और प्राकृतिक कार्य कुछ समझ नहीं आया । करपिया को समय के लिए आप सभी शांत रहे और जब तक गुप्तचार के बाद समाप्त हो जाए तब तक कोई प्रश्न पूछा जाएगा । अब आप अपनी बात कहें वे किसी राज्य से पच्चीस हजार महिलाओं का अपहरण करना चाहते हैं । महाराज एकता सुनने के पश्चात किसी को अपने कारणों पर विश्वास नहीं हुआ परन्तु आंसू तो सुरेंद्र नहीं कुछ भी पूछने या कहने को मना किया था । इसी कारण सभी के वक्त बंद थे । मुखाकृति से अस्पष्ट था की सभी प्रश्न पूछना चाह रहे हैं । प्रश्न अभी लगभग सभी का सामान ही रहा होगा । गुप्तचार दे सभी के बुक के भाव को देखा और पुनर् अपना कथन प्रारम्भ किया । पच्चीस नहीं पच्चीस हजार महिलाएं आप सभी ने सही सुना है । अब आप विचार कर रहे होंगे कि पच्चीस हजार महिलाएं किस लिए महिलाओं का प्रयोग में माल बच्चों को और पन्न करने में करेंगे । इतना सुनने के उपरांत डंडधार से रहा ना गया और वह बोल पडा हो परंतु कब अच्छा अभी भी महिलाओं का हरण करेंगे । इसके लिए उन्हें पूरे राज्य को जीतना होगा । इसके लिए ऐसा राज्य भी चाहिए जहाँ इतनी संख्या हो । फिर कुछ समय उस राज्य को जीतने के लिए चाहिए । फिर मेरे अनुसार ये कम से कम एक वर्ष का कार्य । तब तक तो हम उन्हें जीत लेंगे और समाप्त कर देंगे । साथ ही यह भी तो विचार करके कि मालिक शिवचंद्र लेते ही युद्ध करने नहीं लगेंगे । इस तर्कपूर्ण बात पर लगभग सभी ने स्वीकृति प्रदर्शित की । कुछ लोगों को बाल एक्शन का ये कदम मूर्खतापूर्ण प्रतीत हुआ और कुछ लोगों को लगा थी । गुप्तचर ही मुल्क है जीवन में प्रायर ये होता है कि जब आप किसी चर्चा को समझ नहीं पाते हैं अथवा वो चर्चा वो ज्ञान वह विज्ञान आपकी क्षमता से परे होता है तो आप सामने वाले व्यक्ति को मुर्ख सिर्फ करके अपने को पुत्ती बाल प्रदर्शित करते हैं । इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि वर्क शिष्य अपनी सफलता का ठीकरा अपने गुरु पर फूटता है । इसी प्रकार गुप्तचर को भी लगा परन्तु वो अपने पद और अपनी मर्यादा के अनुसार शांत रहा और पूरी चर्चा सुनने के उपरांत बहुत ही शांत भाव से उसने उत्तर दिया आप सभी अत्यंत बुद्धिमान वाॅटर जान है परन्तु मैं जो कह रहा हूँ वो चिंतन का विषय है । पता पहले उसे सुनी फिर कुछ नहीं । मालिक शो के पास कुछ समय पूर्व ही एक वैज्ञानिक उनके लोग से आया है । उसने एक अनुसंधान क्या है? इस अनुसंधान के अनुसार वो विकास वो उसके उपरांत शरीर के विकास की दर को चालीस गुना बढा सकता है । गुप्तचर चालीस को ना इसका क्या अभिप्राय महाराज स्टार था । ये है भूमकाल जो सामान्यता चालीस सप्ताह का होता है उसका ताल मात्र एक सप्ताह हो जाएगा । आप ये भी समझ सकते हैं कि गर्भकाल मात्र एक सप्ताह का हो जाएगा । ऐसा पहले स्वता अपने कानून से सुना है । शरीर का विकास उस वैज्ञानिक का दावा है कि जब शिशु पैदा होगा तो एक वर्ष में ही उसकी उम्र चालीस वर्ष के सामान हो जाएगी । अच्छा अच्छा माँ में वो बीस वर्ष का हो जाएगा । इसका अर्थ तो ये हुआ कि वे मालिक सिख रही । सब आप कभी हो जाएंगे । प्रभु सकते हैं । यदि उनकी आयु दो सौ वर्ष है तो इस प्रकार पैदा हुए मालिक पांच वर्ष में ही अपनी व्यवस्थापूर्ण कर सब हो जाएंगे । इसका अभिप्राय यह हुआ कि वे मालिक नहीं वे मालिक के रूप में उनके अस्त्रशस्त्र हैं । क्या कोई और सूचना नहीं? प्रमुख सी मेरे गुप्तचर सहयोगी अभी उन्हीं के साथ है । इसके अतिरिक्त जो भी सूचना प्राप्त होगी आपको अविलम्ब सूचना दी जाएगी । मेरे लिए क्या किया है? प्रभु से आज्ञा पाकर गुप्तचर अपने कार्य में लग गया और शेष युद्ध वयुद्ध नीति की तैयारी प्रभु ने अपनी ग्रीवा पर हाथ फेरा और कष्ट के कुछ जान है उनके मुख पर क्षणिक प्रदर्शित होने के उपरांत प्रसन्नता के आवरण में छुप गए । तब प्रभु ने कहना प्रारम्भ क्या प्रमुख जी आपका विचार क्या है? क्या ये विज्ञान द्वारा संभव है? प्रभु था तो सर्व के हैं । अध्यात्मवाद इश्वर के अतिरिक्त विज्ञान से सब संभव है । साथ ही यह भी ध्यान रखने का विषय है कि आविष्कार है महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण नहीं है । ये सृष्टि के नियमों का उल्लंघन है । साथ ही जहाँ तक मैं देख सकता हूँ, मानवीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत निंदा है । इसका एक प्रभाव मुझे अभी से दिख रहा है । वो क्या प्रभु वो वैज्ञानिक पच्चीस हजार महिलाओं से पच्चास हजार मालिक शिशु चाहता है था? एक महिला एक साथ दो शिशुओं को जन्मते । इसका अर्थ यह हुआ महिला की क्षमता दो बच्चों से अधिक जन्म देने की नहीं है, अन्यथा वे इसका अर्थ यह वहाँ की एक महिला, दो शिशुओं को जन्म देने के उपरांत सवा तो हो जाएगी । महिला समाप्त हो जाएगी । प्रभु मैं कुछ समझा नहीं । मेरे अनुसार यदि वे इस प्रकार का कार्य करने से नहीं चल रहे हैं तो मेरा अनुमान सत्य होगा । मेरे अनुसार में पच्चास हजार मालिक को मरने है तो ही पैदा कर रहे हैं । या तो वे युद्ध में मारे गए अथवा पांच ही वर्ष में अपनी न्यूपोर्ट करने के पश्चात मर जाएंगे । यदि वे अपने वाले का प्रयोग, यह समय, शस्त्र अस्त्र कई तरह कर रहे हैं तो रिश्ते थी । वो महिलाओं की अधिक क्षमता का प्रयोग करेंगे हूँ । मेरा भी गणित यही कहता है । यदि किसी महिला के शरीर से दो स्वस्थ शिशु एक सप्ताह में ही पूर्ण विकसित होंगे तो उसका बचना असंभव है । मेरे विचार से सब बहुत ही गन्ना के साथ किया गया है । इतना सुनने वह समझने के पश्चात प्रभु नहीं, कुछ क्षण के लिए अपनी आंखों को बंद किया और फिर एक गहरी श्वास छोडते हुए बोले, संस्कार था, ये हुआ कि हमें उन महिलाओं का भी जीवन सुरक्षित करना होगा । सर्वोत्तम तो यही होगा तो उनका विज्ञान ही गलत हो जाए । अब हमें उनके विज्ञान को पराजित करता है । जीवन रक्षा भी करनी है । प्रकृति का संतुलन भी बचाना है क्योंकि इस प्रकार चन्द्र लेने वाले बाल एक जब स्वता पिता बनेंगे तो क्या होगा ये कोई नहीं जानता । अब मैं करता हूँ जब थका शम खरान ।
Sound Engineer
Writer