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शिव से शिवत्व तक - Part 15 in Hindi

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6 K Listens
AuthorOmjee Publication
शिव से शिवत्व तक | लेखक - आशुतोष Voiceover Artist : Shrikant Sinha Author : Ashutosh
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उनमें से एक विषय में तो कुछ जानकारी आपको देख चुका हूँ जिससे मेरा युद्ध हुआ था । पहले मैं आप सभी को जानकारी देने का विचार कर रहा था । मैंने जो देखा या देखने के उपरांत जो उसका अभिप्राय निकाला, क्या हो सकते हैं अथवा मेरा दृष्टिभ्रम है? परन्तु अब जब मैंने शत्रु शव देखा तो मुझे अपने ऊपर पूर्ण विश्वास हो गया है । प्रमुख जी ने कहा प्रभु ये क्या कह रहे हैं आपको दृष्टिभ्रम ये असंभव है । प्रभु ने कहा नहीं प्रमुख चीज मैं भी मनुष्य हूँ और जो मैंने देखा वो तो है, अकल्पनीय था और आपका धान्य । अब मैं उसका आप सभी को वेदान्त सुना हूँ । मैंने महल से बाहर निकलते समय अच्छा रोक ही से देखा कि अपने सैनिकों शत्रु सैनिकों के बीच हो रहा है और युद्ध कहना संभावना न्यायोचित ना होगा क्योंकि वो एक तरफ हो । ये मूल बात नहीं है कि युद्ध एक तरफ हुआ था बल्कि मूल बात है जैसे ही अपने सैनिकों को आघात होता था रखता बहना प्रारंभ होता, शत्रु सैनिक अपना भी हाथ वह शरीर के किसी अंग, उस को अपने ही हाथों से आघात करते और आपने निकलने वाले रक्त को हमारे सैनिकों के रख समय मिलाते थे, जैसे उनका रखता हमारे सैनिकों के शरीर में प्रवेश करता हूँ, वैसे ही हमारे सैनिकों के शरीर तो प्रगति से गलने प्रारंभ हो जाते हैं और वह हमारे सैनिकों को अपनी पीठ पर बंदे हुए तीन क्रम पद्मपाद तो में सबसे ऊपर वाले पात्र में रख लेते । ये तो बताना ही भूल गए जैसी हमारे सैनिक उनके सैनिक के रख के संपर्क में आते हैं । हमारे सैनिकों का आकाश को नहीं लगता वे कुछ ही क्षणों में हमारे सैनिकों का आकार, एक लॉ की जितने आकार हो जाता है, अब आसानी से उसे उठाकर अपनी पीठ में बंधे सबसे ऊपर वाले पात्र में रखते हैं । हमारे सैनिक हमारे देखते देखते तरफ में बदल जाते हैं । वो सब ऊपर वाले पात्र से छू छूकर नीचे वाले पात्रों में पहुंच रहा था । जब इस प्रकार का ही एक सैनिक को द्रव रूप में परिवर्तित किया तो सबसे नीचे वाला पात्र उसने निकाला और उसे अपने मुँह में लगाया और पी लिया । पीते ही ऐसा प्रतीत हुआ कि उसका बाल कई गुना पड गया हूँ । मैंने की बात इसलिए नहीं बताई कि मुझे अपने दृष्टि पर फोन विश्वास नहीं था । मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि मुझे किसी कारण से मतलब हम तो नहीं हो गया । देखते ही देखते एक सब होगी । बहुत सारे सैनिकों को द्रव में परिवर्तित कर के है । हाँ, एक बात और मस्तिष्क में आ रही है कि उसके उपरांत वह पीछे हटने लगा तो उसके स्थान पर पूछ रहा हूँ । उसी प्रकार का सैनिक आ गया और वो भी उसी प्रकार का युद्ध करने लगा । आपका मक्सी ने कहा वो शत्रु पीछे क्यों हट गया? आप तो कह रहे थे कि आपको प्रतीत हुआ था कि वह शक्तिशाली हो गया था, कहाँ गया होगा? क्या अनुमान है आपका? प्रभु ने का मेरा भी कुछ भी अनुमान नहीं क्योंकि अभी शव देखने के बाद मुझे ये प्रतीत हुआ । मैंने जो देखा वो मेरा मतलब हम नहीं था, अन्य था । मुझे तो प्रतीत हो रहा था कि वो मेरा मतलब हम ही था । अब मैं कुछ विचार करना प्रारंभ करता हूँ । जब वह शत्रु बच्चा मांस रखता वासियों तक चला सकता है और उसे खास ही सकता है, तब तो निश्चित थी वह पृथ्वी का नहीं होगा । पहले तो मैं ये कहने में संकोच कर रहा था । यही आप लोग ये न समझे कि महाराज को ये क्या हो गया । कहीं इस प्रकार का चीज भी संभव है । दर्द था प्रभु क्या ये संभव नहीं है कि वह इतना खाती चुका हूँ तो उसे अब उत्सर्जन करना हूँ । इस कारण वो वहाँ से पीछे हट गया हूँ । प्रमुख लेने का हाँ हो सकता है आपका अनुमान सत्य के निकट मालूम होता है परन्तु उत्सर्जन के भी चिंता होने चाहिए । ये चर्चा चल ही रही थी । बहुत कोलाहाल सुनाई पडने लगा बोला हाल बढता ही जा रहा था । तब सभी ने उठकर बाहर जाने का निर्णय लिया कि आखिर इतना शोर हो रहा है । सभी अचंभित हो गए । देखा की छुट्टी सेना धीरे धीरे अन्दर की तरफ आ रही जीती सेना तो बचे हुए हमारे सैनिकों वह सेवकों का सफाया कर सकती है । ये तो उस शख्स उससे भी अधिक खतरनाक हैं जिससे तो युद्ध अभी किया नहीं जा सकता । तुरंत प्रमुख सीने सभी को आदेश दिया कि अपने अपने शरीर पर बस लगा हूँ और फिर स्टेशन से भी आ रही हैं । उसके चारों ओर भस्म का चडगांव करो । प्रभु ने का प्रमुख प्रतीत होता है कि कुछ और प्रकाश के करना दिखाई पड रही है आपको समझे प्रमुख जी ने कहा नहीं प्रभु ये चीटियां नदी की परिधि को पार करके किस प्रकार अंदर आई और इतने दिन का किये ठीक हूँ क्या? ये प्रश्न आपको प्रकाश की किरण नहीं दिखाई थी? था प्रमुख जीने का प्रभु आपकी कौतूहल पूर्ण वार्ता सुनकर मेरा मन मस्तिष् पूर्ण रूप से कार्य नहीं कर रहा है । आपकी मार्गदर्शन करेंगे । प्रभु ने कहा था बच्चे तीन तरफ से बढती है और एक तरफ से जहाँ से यहाँ पहुंचा जा सकता है वो मार अब हो चुका है । तो चीटियां कहाँ से आई? आप सभी सैनिकों वह सेवकों की सहायता से बहस पर डालकर चीजों को पीछे हटाइए । उन का मार्ग पहचानने का प्रयास कीजिए । प्रमुख लेने का हूँ आपकी चेक । आपने प्रतीत हो रहा है कि संपूर्ण मार्ग भी प्रशस्त कर दिया । आप के अतिरिक्त किसी के मन में ये विचार क्यों नहीं आया? क्योंकि ब्रह्मा आपको ही अग्र करता बनाना चाहता है होने का प्रमुख आप मुझे मनुष्य ही बने रहने दीजिए और मैंने जो कहा उसपर अभिषेक कार्यप्रारंभ की थी । प्रभु के आदेश के उपरांत तुरंत ही कार्य प्रारंभ हो गया । सभी सैनिक व सेवक डंडधार भोजन देशभर प्रमुख स्वता इसकी निगरानी करते हुए उसको लपेट कर धीरे धीरे आगे बढे परन्तु इस बार छुट्टिया भाजपा डालने पर भी उतनी शाम तक थी । पहले तो भाजपा के पास आते ही उनकी उग्रता समाप्त हो जाते थे परंतु अब उनकी उग्रता काम तो हो गई है परंतु समाप्त नहीं हुई है । बहुत धीरे धीरे पीछे हट रही थी । इस बात से सभी आवाज थे । यदि उन्होंने पीछे हटने की बात नहीं मानी और आपका मन कर दिया तो आप संभाविता कोई भी चीज जितना बच्चे परन्तु और कोई विकल्प अनाथ धीरे धीरे वो पीछे हट रही थी । वो उसी मार्ग से पीछे हट रही थी जिस मार्ग से आई थी । क्योंकि जब पीछे हटने वाली छुट्टियाँ धीरे धीरे वापस लौटने लगी तो उसी मार्ग पर आने वाले छुट्टियों पर भी भाजपा का प्रभाव धीरे धीरे होने लगा । अबे सीटियाँ जो वापस लौट रही थीं वो जो आ रही थी दो लोग मिलने लगी । सैनिक वह सेवन धीरे धीरे बस पर डालते हुए आगे बढ रहे थे । किसी को भी दिशा का ज्ञान नहीं था । सभी धीरे धीरे चीज के पीछे बढ रहे थे और वो पीछे हटना ही थी । प्रमुख की पूर्ण रूप से चिंता मत थे कि आखिर अब भी इनकी उग्रता समाप्त क्यों नहीं हो रही है । कुछ तो कारण होगा ही । अब धीरे धीरे चीटियाँ उस मार्ग पर चाहते हुए दिखाई बोल रही थी जहाँ कभी किसी का आवागमन नहीं था । पूरा महल पहले विशाल स्तंभ पर स्थित था और वो स्तंभ वहाँ महल पूर्ण रूप से अदृश्य ही रहता था । केवल उन्हीं को देखता था जो उस महल के अंदर रहते थे, बाहर से नहीं दिखता था । बाहर से देखने पर एक विशाल वृत्ताकार पर्वत श्रृंखला, जिसके मध्य में खाई के समान अस्थान प्रतीत होता था, क्योंकि उस खाई के मध्य में विशालतम असंभव की सहायता सहित चार सौ हाथ की ऊंचाई पर महल स्थित किया गया । अब तो वहाँ कुछ था । संपूर्ण महल वस्तु हो चुका था । पूरा महल एकमात्र स्तंभ पर स्थित था । अब चीटियां उसी पर्वत श्रृंखला वृताकार में चढने लगी । सभी को उनके पीछे पीछे तो चलना ही था । परंतु सभी आश्चर्यचकित थे कि वे पहले चाह कह रही हैं, प्रमुख ही धीरे धीरे चलता है थे । उनके पीछे चलने का कारण हकान नहीं बल्कि विचारशील थी । आखिर इस मार्ग से छुट्टिया का हसी आई । यहाँ तो कोई मार्ग था ही नहीं । ये विचार करते हुए वे पीछे पीछे चल रहे थे । चीटियों की उग्रता भी उनके मस्तिष्क को जब छोड रही थी, ऐसी तरह विचार करते हुए सभी पर्वत श्रृंखला का शिखर पर पहुंच गए । अब वहाँ सहित दृश्य सु अस्पष्ट वहाँ पे संगम था । चीटियों की संख्या की मात्रा इतनी अधिक थी कि उनसे एक काली रेखा बनी हुई दिखाई दे रही थी । आप लगभग बहुत कम स्थान निश्चित हो रहा था । वो सभी स्तंभ के पास से आती हुई दिखाई दे रही थी और अब वहीं से जाती हुई भी दिखाई दे रही थी । करोडों की संख्या में चीटियां और उनको कौन सा मार मिल गया जब की वहाँ पर कोई भी मार करना था । अभी धीरे धीरे नीचे उतर रहे थे । समतल मार्ग तो था नहीं और महल के खंडहर के पत्थर अलग से चलने में व्यवधान कर रहे थे । धीरे चलकर सभी उस केंद्र तक पहुंच गए जहां प्रमुख सी के अतिरिक्त इनमें से कभी कोई नहीं आया था । प्रमुख ही पहले भी आ चुके थे । जब महल का निर्माण चल रहा था । उन के अतिरिक्त इस स्थान का मार्ग कोई नहीं जानता था । जिन्होंने निर्माण कार्य में भाग लिया था, वे सभी इतने वर्षों में समाप्त हो चुके थे था । प्रमुख जी के अतिरिक्त यहाँ कोई भी पहले नहीं आया था तो जीवित व्यक्ति हो नीचे पहुंचते हैं । उन्होंने देखा, पत्थरों के नीचे से जीत या निकल रही थी और अब उसी मार्ग से जा रही है । क्या स्थान पत्थरों से अथवा कह सकते हैं कि महल के खंडहर से पूरी तरह आज छाती था या स्थान । जहां से चीटियां जाते हुई प्रतीत हो रही थी वो मूल स्तंभ के समय भी था । पूरा भवन है, जाने के पास भी दो बस काम जिस पर पूरा महल स्थित था वो अब भी सीधा खडा हुआ ना वो संस्थान से बहुत ही ऊंचाई पर प्रतीत हो रहा था । प्रमुख पाषाणों को हटाने का आदेश दिया जिससे यह पता चल सके कि चीटियों के आने का कौन सा मार्ग पत्थर हटाने का कार्य तीन प्रकृति के साथ चल रहा था । जैसे ही पत्थर वहाँ से हटे सभी बहुत छक्के रहेंगे । वहाँ पर सुरंग जैसा स्थान दिखाई दिया और काफी बडे आकार की सुरंग थी । सुरंग मानव निर्मित दिखाई बोल रही थी । ये सूचना प्रभु के पास तुरंत भेज दी गई । अब कुछ ही समय पश्चात प्रभु भी वहाँ पस्थिति । अब तक वो स्थान पर्याप्त साफ हो चुका था । वहाँ समझ में आने लगा था कि क्या हुआ होगा । चीटियां अब उसी सुरंग में वापस चली गई थी । इतना सब देखने के बाद प्रमुख चीजें बोलना प्रारम्भ किया हूँ । आपका क्या अनुमान है कि क्या हुआ होगा? प्रभु ने कहा प्रमुख चीन सुरंग से ही शत्रु आए होंगे । परन्तु मुख्य विषय ये है ये महल जब बाहर से दिखता ही नहीं था तब वो यहाँ किस प्रकार पहुंचेंगे प्रमुख लेने का मुझे एक और नीचे की तरफ मारकर दिखाई दे रहा है । मैं हूँ जरा इधर से पांच स्थानों को हटा हूँ । जैसे ही वहाँ से कुछ और पाषाण हटे, प्रमुख सी के मुख्य मंडल पर प्रसन्ना का वक्त खेत दोनों का सम्मिश्रण दिखाई दे देगा । प्रसन्नता इसलिए कि शत्रु के विषय में ज्ञात होने लगा था और खेत इसलिए ऐसा भी हो सकता है जो इस महल में प्रवेश कर जाए जहाँ प्रवेश असंभव था का । मक्सी ने कहा अब मैं ही इस विषय में सभी को पर्याप्त जानकारी दे दूंगा । अब हम जानकारी के पर्याप्त निकट हैं । ये दूसरा क्षेत्र दिखाई दे रहा है । ये मार्ग अस्तम भर के नीचे की तरफ जा रहा है । हमारा स्तंभ पूर्ण रूप से ठोस नहीं है । इसके ठीक केंद्र में ऊपर से नीचे की तरफ से एक बेलनाकार स्थान देख रहें और ये सुरंग उसी की तरफ जा रही है । प्रभु ने कहा ये संभव ठीक केंद्र में उर्ध्वाधर दिशा में मार्ग जब बनाया गया इसका क्या बताएँ हैं प्रमुख लेने का ऐसे स्तंभ के सबसे ऊपरी भाग में प्रकाश नियंत्रक यंत्र लगा है हूँ । यदि यंत्र पूरन प्रकाश को किसी कारण बस विकेंद्रित न कर पाए तो ऊर्जा का असर बढने लगता है और इस से विस्फोट होने का खतरा था । इस खतरे से बचने के लिए पहले एक व्यवस्था की थी कि प्रकाश इस बेलनाकार मार्ग से भूमि में समा जाए जिससे उसकी ऊर्जा भूमि में समाज रहे और कभी दुर्घटना की संभावना ना रहे हैं । परन्तु ये बेलनाकार बार इतना सक रहा था की तीन उंगलियां भी एक साथ ना जा सके । दर्द था बीस में ही बोल पडे जब एक साथ तीन उंगलिया भी नहीं जा सकती थी तो वहाँ से कोई कैसे जा सकता था, क्या जा सकता है । प्रमुख वही तो मैं आपको जानकारी दे रहा हूँ । डंडधार थी जब कभी वो प्रकाश यंत्र बंद किया गया होगा तब शत तूने इस स्थान का सही आकलन कर लिया होगा । फिर केंद्र स्थान पर आकर उसने इस बेलनाकार मार्ग से किसी अस्तर का प्रयोग करके प्रकाश यंत्र को प्रभावित किया होगा और प्रकाश यंत्र के प्रभावित होते ही ये संपूर्ण महल दृष्टिगोचर हो गया होगा । ये सुरंग उन्होंने पहले ही बना ली होगी और महल के दृष्टिगोचर होते ही उन्होंने महल पर आक्रमण कर दिया । हुआ अभी वार्ता चल रही रही थी । सैनिको ने नीचे जाने का बार साफ कर दिया । अब सब समझ में आ रहा था । ऐसा प्रतीत हो रहा था की प्रमुख जी का अनुमान सकते ही था । असम भर के केन्द्र के ठीक नीचे पहुंचने का मार्ग मिल गया था । वहाँ टूटे हुए सभी थे ।

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