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प्रभु ने देखा की प्रमुख ही उन्हें प्रणाम कर रहे हैं तब प्रभु ने का कब अच्छी ये प्रणाम क्यों हो? जिस प्रकार आपने मेरे जीवन की रक्षा की है और इसमें आपके अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति संभव नहीं था वो मैं क्षमा भी चाहता हूँ क्योंकि मुझे संपूर्ण परीक्षण परिणाम बताने के उपरांत ही इसका प्रयोग करना चाहिए था । परन्तु मैं आपके बुद्धि कौशल वर्धा को देखना चाहता था जिसके भविष्य में आवश्यकता पड सकती है । प्रभु ने इस पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं थी बस धीरे से मुस्कुरा दिए परन्तु अब जब उन्होंने प्रमुख ही को ध्यान से देखा तो वे थोडा विस्मित हो गए । अभी तक वो सम्भवता पिछले घटनाक्रम से मानसिक रूप से बाहर नहीं आ सके थे । अब जैसे वे उस घटनाक्रम से बाहर आए तो प्रमुख जी को देखकर हुए बोले आ रहे हैं आप कैसे हो गए और ये सब क्या हुआ था प्रमुख लेने का कब हूँ । मैं तो वैसा ही हूँ जैसा पहले था । मुझ पर अब एक आवरण आ गया है जिससे मैं अब अस्त्र व शस्त्र से प्रभावित नहीं होंगा । साथ ही किसी वे केरल से भी प्रभावित नहीं होंगा । दनदना परंतु इसकी आप आपको आवश्यकता क्या पड रही क्या आप तो करने जाएंगे प्रमुख ने कहा प्रभु आपके होते मुझे युद्ध करने की क्या आवश्यकता हो सकती है परंतु समय नष्ट चला करते हुए मुझे पहले वो कार्य कर लेना चाहिए जिस कारण मैंने ये प्रयोग अपने ऊपर क्या छह सौ सभी चर्चाएं इसके उपरांत कर ली जाए । नदी आप आदेश तो निसंदेह आप पहले अपना कार्य सिद्ध करें । गुप्त रहस्य बच्चा चाहे तो बाद में भी होती रहेंगी । इसी के बाद प्रमुख सी आगे बढकर उस स्थान पर पहुंचे जहां कुमार घनेन्द्र का पान आगे रहा था । अब उन्होंने अपने सेवक को संकेत दिया । संकेत देते ही उसने वह यंत्र जहाँ समायोजित था, वहां पहुंचकर खडा हो गया । अब जब उसने पूर्ण तैयार होने का संकेत दिया तब प्रमुख चीजें उस स्थान पर आगे हाथ बढाया जहाँ था । अपने दोनों घुटनों को मोडकर वे भूमि की तरह पूरी तरह झुक गए । अब उन्होंने अपने दोनों हाथ भूमि के नीचे ले जाने प्रारंभ की । ऐसा प्रतीत हो रहा था की वहाँ की भूमि रेत की भांति हैं जिसमें उनके दोनों हाथ बहुत आसानी से अन्दर की तरफ जा रहे हैं । उनके दोनों खाते अब कोहनियों तक अंदर जा चुके थे । एकाएक हुई रुक गए । ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उन्हें कुछ अनुभव हो रहा हूँ और साथ ही पूर्वानुमानित भी हो । अब उनके मुखमण्डल पर और शारीरिक प्रतिक्रिया के आधार पर ये अनुमान लगाया जा सकता था । इस सब कुछ पूर्ण रुपेन पूर्वानुमान के अनुसार ही हो रहा है । तब आपको अपने आप पर संतुष्टि का अनुभव होता है । जब आपका अनुभव आपको पहले ही ये बता देता है कि यही होगा अथवा की नहीं होगा । उन्होंने एक एक बाल लगना प्रारम्भ किया । देखते ही देखते हुए घुटनों के बल झुके हुए थे । अब खडा होना प्रारंभ कर दिया । पल भर में ही उनके हाथों में एक विचित्र प्रकार का ब्रिज शरीर था । वो सब बहुत शरीर को अपने हाथों से उठाये हुए । घाट तो पात्र की तरफ चले और चलते ही वो मृत शरीर जब की भर्ती होता हुआ प्रतीत हुआ तब वह बहुत ॅ, क्रोधी, स्वर्ण, चिल्लाएगा, ध्यान पूर्वत ऍम लोग के विनाश का कारण बन सकता है । इतना ही कहने की आवश्यकता थी कि सभी समझ नहीं पा रहे थे की भूख किससे वक्त क्या चाहते हैं । सेवक जो यंत्र के पास था वो समझ गया था कि उससे क्या गलत हो गया था और उसने तुरंत ही अपनी गलती में सुधार कर लिया । अब उस मृत शरीर को उसका हाँ तो पात्र के पास ले आए हैं जिसका उपयोग अभी तक नहीं हुआ था । क्या तो यहाँ दो धातु पात्र मंगवाए गए थे । उसमें सदानीरा का जलवा भसपा मिली हुई थी । उस होटल में उन्होंने उस मृत शरीर को डाल दिया और स्वतः अच्छा छोटे छोटे संदूकों में रखे चोट को एक अनुपात में मिलाकर डाल दिया । वक्त हाथो पात्र को बंद कर दिया । इस तरह का दृश्य किसी नहीं पहले कभी न देखा था । अच्छा सभी नेशनल रूप से खडे थे । अब उन्होंने यंत्र का उपयोग करने वाले सेवक को संकेत क्या कि अब वो निश्चिंत हो सकता है । अब वो होता है अपने वास्तविक रूप में आना चाहते थे । उन्होंने अपना उसी धातु पात्र में अपने शरीर को बोया अंतिम संदूक में रखा छोड जब उसमें डाला गया तो को स्टेट तक जब से बुलबुले निकलते रहे अंत में जब उनसे बुलबुले निकलने बंद हो गए तब कुछ समय पर शायद सभी अन पूछे प्रश्नों के उत्तर देने के लिए प्रमुख थी । उस खाते पात्र से सुरक्षित वह स्वस्थ वापस निकल आएं । प्रमुख सीधा तो पात्र से निकलने के उपरांत सर्वप्रथम सदानीरा के तट पर आए और उन्होंने बहुत ही भली भांति प्रकार से स्नान किया । स्नानादि के उपरांत अपने वस्त्रों को धारण करके होना प्रमुख के सम्मुख उपस् थित उसका तो पात्र कोदंड आधार के विशेष सुरक्षा व्यवस्था में रख पाया गया जिसमें शव संरक्षित था । अब एक बार पुणा शिविर में सभा लगी हुई थी । सभी के मन में कुछ ना कुछ जानने के उत्कंठा बनी हुई थी । सभी कुछ कहना चाहते थे परंतु प्रमुख सीटें सर्वप्रथम कहना प्रारंभ दिया मुझे ज्ञात है आप सभी के मन में तब तो उत्कंठा है और मेरे पास समय बहुत कम है बल्कि हम सभी के पास समय बहुत कम है । दंडा था प्रमुख सी समय काम से आपका अभिप्राय क्या है? क्या हम सभी शत्रु के हाथ हूँ? वीरगति को प्राप्त होने वाले हैं अथवा कोई अन्य कारण जिससे हम लोगों का जीवन संकट में पडा हुआ है आप स्पष्ट रूप से इसे बताएँ । प्रमुख सीने मुस्कुराते आपने कहा आपके होते हुए शत्रु इतनी आसानी से हमें मृत्यु के द्वार तक नहीं ले जा सकता है । आपके साहस और वीरता से हम सभी भलीभांति परिचित हैं परन्तु बात कुछ और ही है । वो चंदेश्वर कुछ और बात है तो उसे भी सभी के सम्मुख रखिए । ऐसी कौन सी समस्या है जिसका निदान ना हो और ऐसा कौनसा रोग हैं जिसका चाहते हो बस आवश्यकता है केवल उसे खोजने की । प्रभु ने कहा आपकी बात पूर्ण भैया सकते हैं और उसे खोज में हम सभी लगे हुए हैं और आंशिक सफलता भी मिल चुकी है । आंशिक सफलता का असफलता में बदलना या पूर्ण सफलता में कतला केवल आपके कठोर परिश्रम वहाँ एकाग्रचित्तता पर निर्भर करता है । आंशिक सफलता तो प्राम्भ का दिया हुआ पीस होता है और ये आप देशभर करता है कि आप उस बीच को सही अ स्थान पर, सही समय पर रोककर और परिश्रम रूपी चल डालकर उसे वृक्ष में परिवर्तित कर पाते हैं अथवा उस बीच को यूँ ही व्यस्त में बर्बाद कर देते हैं । ब्रह्म ये पी छुपी आंशिक सफलता हर चीज को अपने अपने जीवन में अवश्य देता है । अब हमें चाहिए कि हम ने सांसद सफलता को पूर्ण सफलता में परिवर्तित कर ले । इसके लिए प्रमुख सी अब हम ये जानना चाहते हैं कि उन्हें क्या प्राप्त हुआ है और उस से हमें क्या संकेत प्राप्त हो चुके हैं । आगे उससे क्या अनुमान लगा सकते हैं? प्रमुख से ने कहा, प्रभु रम्मा के कृपा से एक प्रकाश के किरण दिख गई है जिसमें हम सभी के लिए सम्भवता आगे के द्वारों को खोल दिया है । अब हम सही दिशा में विचार कर सकते हैं । दंडक हार जीने का प्रमुख आप सारा कृप्या करके ठीक से बताएं कि क्या हुआ है और हमें क्या करना है प्रमुख से नहीं कहा हम उसी को बता रहे हैं । ये पूर्ण तैयार स्पष्ट है तो सब हमें प्राप्त हुआ है । वो शत्रु का है । ये भी अब हम सबका चुके हैं या खेत क्यूँ हमें कोई भी जीवित या मृत शरीर प्राप्त नहीं हुआ । एन के शरीर बहुत ही शीघ्र प्रयोजित हो जाते हैं । जिस प्रकार हम अथवा कोई जी जब मृत्यु को प्राप्त होता है तो उसे भी आयोजित होने में महीनों का समय लग जाता है । कई बार तो वर्षों का भी समय लग चाहता है या उसके आकार पर निर्भर करता है । जिस प्रकार छोटा जीव जल्दी ही समाप्त हो जाता है और बडा जी वपूर्ण समाप्त होने में महीनों अथवा वर्षों का समय ले लेता है । मेरा अनुमान हैं ये शत्रु मृत्यु के उपरांत बहुत ही सिख रही अभियोजित होकर मृदा में मिल जाते हैं । होने का तो आश्चर्यजनक है परन्तु किस प्रकार का ये आपका अनुमान हैं । प्रमुख सीने का प्रभु पूर्ण रूप से कुछ कह नहीं सकता । हाँ, अनुमान अवश्य लगा सकता हूँ । ये यहाँ तो किसी विशेष रसायन के कारण हो सकता है तो युद्ध से पूर्व इन को खिला दिया जाता हूँ अथवा इनके रक्त में ही मिला दिया जाता हूँ या पता नहीं हूँ । कुछ भी निश्चित नहीं है । परन्तु ये निश्चित है कि विनियोजन की गति अत्यंत अंतिम रहे डंडधार सीने का ये अभियोजन की गति अत्यंत रहे । ये आप किस प्रकार कह सकते हैं? प्रमुख जी ने कहा इसके तो मुख्य कारण है प्रथम ये कि प्रभु वहाँ कुछ चंदेश्वर ने पहले ही कहा था कि ऐसा नहीं है कि वे वृत्ति को प्राप्त नहीं हो रहे थे, वे भी मार रहे थे तो आखिर उनके मृत शरीर कहाँ चले गए । अब आप ये कह सकते हैं कि वे अपने सैनिकों के बेहतर शादी ले गया हूँ, लगभग असंभव है इतने सैनिकों के मृत शरीर अपने साथ वापस ले जाना जंगेश्वर लेकिन एक बात तो हो सकती है चीन की सेना ने उनका सफाया कर दिया हूँ और उनके सफाई के साथ चीटी सेना भी समाप्त हो गई हूँ । तब अच्छी ने कहा वो किस प्रकार उनके शरीर में कुछ इस प्रकार का रसायन जैसा कि आपने कहा था उसको खाते ही चींटी सेना समाप्त हो गई हूँ । प्रभु ने बीस में ही बोला हाँ प्रमुख थी हो तो सकता है परन्तु अपने ही विचार को नकारते हुए उन्होंने कहा है ना ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि यदि चींटी सेना ने उनका सफाया किया होता तो अंतिल अच्छी थी । अभी तो मरी हुई मिलती है वो जंगेश्वर हो सकता है कि वे चीटियां उसी रसायन से अभिषेक में मिल गई प्रमुख ही देगा । वश्य हो सकता है परन्तु अभी जितना मुझे क्या हो चुका है वो ये है कि उसका योजन बहुत सिर्फ था और वो एकमात्र इसके लिए शेष बच गया क्योंकि उसे प्रकाशपुंज नहीं अभियोजित होने से तो दंडा था प्रमुख्य इस प्रकार प्रकाशपुंज अपने सभी शवों को विनियोजित होने से क्यों नहीं होगा? केवल एक ही में ऐसी क्या विशेषता थी? कब बोलेगा? उस शव में कुछ भी विशेष नहीं है । ठंडक हार चीज बल्कि वह प्रकाश यंत्र कुछ इस प्रकार पत्रों के बीच में आकर रुक गया । उससे निकलने वाला प्रकाश शब्द पर पडता रहा हूँ और उसने इसको आयोजित करने से रोक दिया होगा । मेरा यही अनुमान हैं । क्यों प्रमुख चीज आप क्या कहते हैं? सत प्रतिशत सत्य है प्रभु । परन्तु इसमें सबसे बडी महत्वपूर्ण भूमिका है । कुमार गगनेन्द्र नदी, कुमार गजेंद्र का बाढ वहाँ गया होता तो हम सभी अभी तक यही समझ नहीं पा रहे होते हैं कि आगे क्या करना है । अर्थात कार्य का शुभारंभ यदि किसी ने किया तो वह हैं कुमार गणित । अठारह मैं अब कार्य के प्रारंभ होने को श्री गणेश ंद्र कहना चाहूंगा आप सभी का क्या विचार रहे सभी ने एक सुर में कहा कि अति उत्तम विचार है । आज से हम सभी कार्य प्रारंभ करने को श्री कंद्र कहना प्रारंभ करते हैं । इस प्रकार सभी को इस बात पर सहमती थी की ही इच्छा पर गजेंद्र का पान उस स्थान पर गिरा जहां शव नीचे दबा था । प्रमुख जीने का सब पर बात माँ की ही इच्छा के अनुसार होता है । आप सभी ये विचार कर रहे हैं शत्रु शव के रूप में किस प्रकार स्थान पर पहुंचा दण्डक हारने का हाँ मेरा अनुमान है कि जब विशाल गोलप नहीं सदानीरा जल के साथ प्रलय मचाई थी तब ये शत्रु जिस विशाल गोलप की चपेट में आ गया और हमारे लिए एक प्रकाश किरण बन गया । प्रभु ने कहा मेरे विचार से ऐसा ही हुआ होगा परन्तु एक आधार प्राप्त हो गया है और आप सभी का अब आगे के लिए क्या विचार है? अरे हाँ, सर्वप्रथम प्रमुख चीज ये तो रहस्योद्घाटन करें कि उन्हें किस प्रकार का अनुमान हुआ हूँ । आपने ही मार्गदर्शन किया है । मैं ऍफ मार्ग दर्शन किया प्रमुख थी । सर्वप्रथम कुमार ने श्रीकर्ण ेंद्र किया और उसके उपरांत आपने ही कहा था ये मृत शरीर पहले सुरक्षित था और ज्ञानेंद्र का बान लगते ही तिब्ब लगती से क्षय होने लगा । तब मेरे मन में आपकी बात से विचार विद्युत की भर्ती कौन क्या कि आखिर पहले और पान लगने के उपरांत क्या भिन्नता हो सकती है? ये तो पहले से ही विचार मन में आ रहा था कि यदि शत्रु शव प्राप्त नहीं हुई, साथ ही अपने सैनिकों अथवा सेवकों के शब्द भी प्राप्त नहीं हुए तो ये निश्चित ही है कि वे यही तीव्रगति से समाप्त हो गया हूँ । पर उनको इस गति से छह होने का कोई संकेत बाद हाथ नहीं था । अब संकेत आधार दोनों ही प्राप्त हो चुके हैं । आपके विचार मेरे मास्टर्स कर में पहुंचे तब मेरे मस्तिष्क ने विचार करना प्रारम्भ किया तो मैंने सोचा कि आखिर क्यूँ अपशब् तीव्र गति से बेहता में मिलता जा रहा है? अच्छा वो कौन सा कारण है जिससे अभी तक वो सब सुरक्षित था और अब रहता में मिलता जा रहा है । अब तुरंत ही विचार आया कि वह प्रकाश ऊर्जा हो सकती है क्योंकि वह प्रकाश मंत्रयोग महल के समाप्त होने के बाद यहीं कहीं होगा और था । अब वो प्रकाश यंत्र ही कारण हो सकता है जिससे प्रकाश की तीव्र फिर नहीं केंद्रित होकर शब्द पर गिर रही थी और वह सुरक्षित था । परन्तु जब कुमार घनेन्द्र का बान उससे अथवा जहाँ वो फंसा हुआ था, वहाँ पत्थरों से टकराया तो वे पत्थर व यंत्र असंतुलित होकर ढलान की तरफ लुढक गए थे । तब वो प्रकाशपुंज जो ऊर्जा के रूप में हितशत्रु पर पढ रहा था, वह प्रकाश सब पर पडा बंद हो गया तो वो बहुत तीव्र गति से मृता में मिलने लगा । इसी कारण हमारा प्रथम लक्ष्य था उस यन्त्र को प्राप्त कर रहा हूँ और उसको पुनर्व्यवस्थित करना जिससे उसका क्षय होना रुक जाए । इस कार्य में इन दोनों ने हमारी सहायता की है । हाँ प्रभु आपने क्या कभी एक विशेष बात मानती है? इंदूर के विषय में किस प्रकार की बात प्रमुख देने का वो किस से ज्यादा जुडाव रखना चाहता है अथवा किसके साथ रहने का विशेष इच्छुक रहता है? हूँ । नरेन्द्र के साथ यही मेरा अनुमान सत्य है तो जी तो क्या आप बिंदु को अब कुमार घनेन्द्र के साथ उन का विशेष सेवक बनाकर नियुक्त कर दिया जाए । इससे इंदूर भी प्रसन्न रहेगा और कुमार घनेंद्र को भी एक स्वामीभक्त सेवक मिल जाएगा जो भविष्य में उनके कार्य करने में उनकी सहायता करेंगे । एक दम ठीक रहेगा हम इंदूर को कुमार घनेन्द्र का विशेष सेवक नियुक्त करते हैं । प्रमुख छीनेगा आती चलो एक और सुभ कार्य का श्रीगांधी इंद्रा हुआ । प्रभु ने कहा अब उस विषय की चर्चा की जाए आप की किस प्रकार आपने उस सबको संरक्षित किया प्रमुख लेने का । उसको प्रकाश ऊर्जा से सुरक्षित रखने के उपरांत मैंने उस को संरक्षित करने का विचार प्रारम्भ किया क्योंकि प्रकाश यंत्र बहुत अधिक स्थिति में नहीं था । वो कभी भी अपना कार्य करना समाप्त कर सकता था । योग महल का दोस्त होने के साथ ही वो भी बहुत अधिक क्षतिग्रस्त हो गया था अगर शव परीक्षण के लिए उसको संरक्षित करना आवश्यक हो गया था । अब जब मैंने शव को बता के साथ रहता में मिलते देखा तब मैंने समझ लिया तो कि यदि कोई भी जीवित ऍम वस्तु इसके संपर्क में आएगी तो वह भी मृदा में मिल जाएगी । दंडा अच्छा तभी आपने अपने ऊपर एक आवरण चढा लिया था । समक्ष पीने का या तब ही आवश्यक था क्योंकि हो सकता है कि शत्रु शव से एक हाथ तक भी किधर निकल रहा था । इसलिए मैंने आप सभी को शव से दूर रहने को कहा और अपने शरीर पर विशेष परत चढा ली जो पूर्ण रूप से सुरक्षा प्रदान कर सकते थे । डंडधार ये विशेष परत को बहुत उत्तम व्यवस्था है । इससे तो शस्त्रों के अस्त्रशस्त्र का प्रभाव भी नहीं पडेगा । तब तो इसको युद्ध के समय पूर्ण रूप से उपयोग में लाया जा सकता है । प्रमुख जी ने मुस्कुराते हुए कहा नहीं दण्डक हँसी ये संभव नहीं है । तेरे घर काल के लिए इसका उपयोग संभव नहीं । क्यों नहीं है वो मैं समय आने पर अवश्य बताऊँगा हो । हमारे सेवक, वाॅक अथवा शत्रु के सैनिक वह सेवक कहाँ चले गए? इसका आंशिक उत्तर मेरे पास है परन्तु पूर्ण उत्तर अभी देने में समय लगेगा । प्रभु ने कहा जितने भी आपके पास जानकारी है वो सभी दे दीजिए । जो नहीं वो प्राप्त जानकारी के आधार पर ब्रह्मा की कृपा से प्राप्त होगी जाएगी । यहाँ आपने क्या अनुमान लगाया कि मैंने क्या देखा उस महल से निकलते समय प्रमुख जी ने कहा प्रभु मृत्यु को प्राप्त हुए सत्तू अथवा अपने सैनिक या सेवक कहाँ गए और क्यों नहीं मिले? इसका उत्तर अब मेरे पास है । जो जीवित शत्रु थे वे कहाँ चले गए? इसका उत्तर नहीं एक संभावना ये भी हो सकती है परंतु न कने रूप से हो सकती है । इस अभी शत्रु समाप्त हो गए । सभी की जलसमाधि बन गई दण्डक हार मच्छी कर दिया । यही बताइए के मृत शरीर कहाँ चले गए? बात की रहस्य तो बात में जान ही लेंगे । प्रमुख पीने का हूँ मूल वह मुख्य जानकारी तो सब वो परीक्षण के उपरांत ही प्राप्त हो सकती है परन्तु संकेतों के आधार पर ये कह सकते हैं उसके शत्रु के न मिलने के दो कारण हो सकते हैं । प्रथम उनके शरीर ही इस प्रकार से बने हुए कि उनका आतिश शुक्र है हो जाए परंतु इसकी संभावना काफी कम भी है जो मुझे लग रहा है कि उनके शरीर में कोई विशेष प्रकार का ऍम पहुंचा दिया गया हूँ जिससे जब तक जीवित हूँ तब तक कोई समस्या नहीं है । परन्तु जब पे हूँ तो उनके शायद अत्यंत केंद्र हो जाएगा जैसे किसी को प्रमाण के लिए प्राप्त न हो पाएगा । ये सब मेरा अनुमान मात्र ही है । सब प्रभु मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आपने योग महल से निकलते समय जो दृश्य देखा वो कुछ इस प्रकार होगा । शत्रुओं ने अपने सैनिको या सेवकों को मारने के उपरांत उसका भक्षण प्रारंभ कर दिया होगा अथवा जीवित अवस्था में ही उसका भक्षण प्रारंभ कर दिया होगा । आप लाती कुछ संकेत यात्रा जो आपने देखा उसकी जानकारी से अवगत कराया तो हो सकता है कि मैं कुछ और सही अनुमान लगा सकते हैं । प्रभु ने कहा, अब मैं उन शक्तियों के विषय में आप सभी को अवगत कराता हूँ जिनको मैंने देखा था ।
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